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India

Jun 17 2024, 19:31

कंचनजंगा एक्सप्रेस हादसे में बड़ी लापरवाही आई सामने, सुबह से खराब पड़ा था ऑटोमेटिक सिग्नलिंग सिस्टम

#kanchanjunga_express_accident_big_negligence_revealed 

पश्चिम बंगाल में सियालदह जाने वाली कंचनजंगा एक्सप्रेस सोमवार को सुबह न्यू जलपाईगुड़ी के पास हादसे का शिकार हो गई। उसे एक मालगाड़ी ने पीछे से टक्कर मार दी। हादसे ने एक बार फिर यह सवाल खड़ा कर दिया कि आखिरकार ऐसा हुआ क्यों? अब तक मिली जानकारी के मुताबिक यह हादसा भी सिग्नल की गड़बड़ी के कारण बताया जा रहा है।

रेलवे सूत्र के हवाले से बताया कि पश्चिम बंगाल में रानीपानी रेलवे स्टेशन और छत्तर हाट जंक्शन के बीच स्वचालित सिग्नलिंग प्रणाली सही तरह से काम नहीं कर रही थी। सूत्रों की मानें तो सुबह 5.50 बजे से ऑटोमेटिक सिंग्निलिंस सिस्टम में खराबी थी। “ट्रेन नंबर 13174 (सियालदह कंचनजंघा एक्सप्रेस) सुबह 8:27 बजे रंगपानी स्टेशन से रवाना हुई और स्वचालित सिग्नलिंग विफलता के कारण रानीपत्रा रेलवे स्टेशन और छत्तर हाट के बीच रुक गई।” वहीं 8.55 मिनट पर यह हादसा हुआ और 9.01 मिनट पर सुबह रेलवे को इसकी जानकारी मिली।

एक अन्य रेलवे अधिकारी के मुताबिक, जब ऑटोमैटिक सिग्नलिंग सिस्टम काम करना बंद कर देती है, तो स्टेशन मास्टर ‘टीए 912’ नामक एक लिखित आधिकार-पत्र जारी करता है, जो चालक को खराबी के कारण उस सेक्शन के सभी रेड सिग्नलों को पार करने का अधिकार देता है। सूत्र ने बताया, ‘रानीपतरा के स्टेशन मास्टर ने ट्रेन संख्या 13174 (सियालदह कंचनजंघा एक्सप्रेस) को ‘टीए 912′ जारी किया था।’ उन्होंने कहा, ‘जीएफसीजे नामक एक मालगाड़ी लगभग उसी समय सुबह 8:42 बजे रंगापानी से रवाना हुई और 13174 नंबर ट्रेन के पिछले हिस्से से टकरा गई।

सूत्रों ने कहा कि जांच से ही पता चल सकेगा कि क्या मालगाड़ी को खराब सिग्नलों को तेज गति से पार करने के लिए टीए 912 दिया गया था या नहीं। वहीं, अगर मालगाड़ी को टीए 912 नहीं दिया गया था तो चालक को प्रत्येक खराब सिग्नल पर ट्रेन को एक मिनट के लिए रोकना था और 10 किलोमीटर प्रति घंटे की गति से आगे बढ़ना था।

रेलवे सूत्रों की मानें तो जिस समय ट्रेन हादसा हुआ उस समय उस इलाके में काफी तेज बारिश हो रही थी। ऐसे में संभव है सिग्नल के लाल बत्ती को ड्राइवर बारिश की वजह से देख नहीं पाया हो और वह आगे बढ़ गया। ऐसी भी आशंका है कि चूंकि ऑटोमैटिक सिग्नल सिस्टम सही तरीके से काम नहीं कर रहा था। ऐसे में मैनुअल सिग्नल सिस्टम को मालगाड़ी का ड्राइवर फॉलो नहीं कर पाया। हांलांकि इसी ट्रैक पर आगे कंचनजंगा एक्सप्रेस खड़ी थी, जिसके ड्राइवर ने सभी नियमों का सही तरीके से पालन किया।

बता दें कि हादसे में ट्रेन चला रहे चालक (लोको पायलट) की भी मौत हो गई। वहीं, कंचनजंगा एक्सप्रेस के गार्ड ने भी अपनी जान गंवा दी है। वहीं, अभी भी कंचनजंगा का एक डब्बा हवा में लटका हुआ है।

India

Mar 24 2023, 14:30

कांग्रेस सांसद राहुल गांधी लगा बड़ा झटका

#_Big Breaking

कांग्रेस सांसद राहुल गांधी लगा बड़ा झटका

राहुल गांधी की संसद सदस्यता खत्म

.लोकसभा सचिवालय ने जारी किया नोटिफिकेशन*

मोदी सरनेम' केस में सजा के बाद राहुल गांधी की लोकसभा सदस्यता गई

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Jun 17 2024, 19:31

कंचनजंगा एक्सप्रेस हादसे में बड़ी लापरवाही आई सामने, सुबह से खराब पड़ा था ऑटोमेटिक सिग्नलिंग सिस्टम

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पश्चिम बंगाल में सियालदह जाने वाली कंचनजंगा एक्सप्रेस सोमवार को सुबह न्यू जलपाईगुड़ी के पास हादसे का शिकार हो गई। उसे एक मालगाड़ी ने पीछे से टक्कर मार दी। हादसे ने एक बार फिर यह सवाल खड़ा कर दिया कि आखिरकार ऐसा हुआ क्यों? अब तक मिली जानकारी के मुताबिक यह हादसा भी सिग्नल की गड़बड़ी के कारण बताया जा रहा है।

रेलवे सूत्र के हवाले से बताया कि पश्चिम बंगाल में रानीपानी रेलवे स्टेशन और छत्तर हाट जंक्शन के बीच स्वचालित सिग्नलिंग प्रणाली सही तरह से काम नहीं कर रही थी। सूत्रों की मानें तो सुबह 5.50 बजे से ऑटोमेटिक सिंग्निलिंस सिस्टम में खराबी थी। “ट्रेन नंबर 13174 (सियालदह कंचनजंघा एक्सप्रेस) सुबह 8:27 बजे रंगपानी स्टेशन से रवाना हुई और स्वचालित सिग्नलिंग विफलता के कारण रानीपत्रा रेलवे स्टेशन और छत्तर हाट के बीच रुक गई।” वहीं 8.55 मिनट पर यह हादसा हुआ और 9.01 मिनट पर सुबह रेलवे को इसकी जानकारी मिली।

एक अन्य रेलवे अधिकारी के मुताबिक, जब ऑटोमैटिक सिग्नलिंग सिस्टम काम करना बंद कर देती है, तो स्टेशन मास्टर ‘टीए 912’ नामक एक लिखित आधिकार-पत्र जारी करता है, जो चालक को खराबी के कारण उस सेक्शन के सभी रेड सिग्नलों को पार करने का अधिकार देता है। सूत्र ने बताया, ‘रानीपतरा के स्टेशन मास्टर ने ट्रेन संख्या 13174 (सियालदह कंचनजंघा एक्सप्रेस) को ‘टीए 912′ जारी किया था।’ उन्होंने कहा, ‘जीएफसीजे नामक एक मालगाड़ी लगभग उसी समय सुबह 8:42 बजे रंगापानी से रवाना हुई और 13174 नंबर ट्रेन के पिछले हिस्से से टकरा गई।

सूत्रों ने कहा कि जांच से ही पता चल सकेगा कि क्या मालगाड़ी को खराब सिग्नलों को तेज गति से पार करने के लिए टीए 912 दिया गया था या नहीं। वहीं, अगर मालगाड़ी को टीए 912 नहीं दिया गया था तो चालक को प्रत्येक खराब सिग्नल पर ट्रेन को एक मिनट के लिए रोकना था और 10 किलोमीटर प्रति घंटे की गति से आगे बढ़ना था।

रेलवे सूत्रों की मानें तो जिस समय ट्रेन हादसा हुआ उस समय उस इलाके में काफी तेज बारिश हो रही थी। ऐसे में संभव है सिग्नल के लाल बत्ती को ड्राइवर बारिश की वजह से देख नहीं पाया हो और वह आगे बढ़ गया। ऐसी भी आशंका है कि चूंकि ऑटोमैटिक सिग्नल सिस्टम सही तरीके से काम नहीं कर रहा था। ऐसे में मैनुअल सिग्नल सिस्टम को मालगाड़ी का ड्राइवर फॉलो नहीं कर पाया। हांलांकि इसी ट्रैक पर आगे कंचनजंगा एक्सप्रेस खड़ी थी, जिसके ड्राइवर ने सभी नियमों का सही तरीके से पालन किया।

बता दें कि हादसे में ट्रेन चला रहे चालक (लोको पायलट) की भी मौत हो गई। वहीं, कंचनजंगा एक्सप्रेस के गार्ड ने भी अपनी जान गंवा दी है। वहीं, अभी भी कंचनजंगा का एक डब्बा हवा में लटका हुआ है।

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Mar 24 2023, 14:30

कांग्रेस सांसद राहुल गांधी लगा बड़ा झटका

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