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पाकिस्तान को मिला IMF से मिला लोन, भारत ने वोटिंग में नहीं लिया हिस्सा

#imfmeetingindiaexposespakistanonterror_funding

भारत-पाकिस्तान तनाव के बीच अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) ने पाकिस्तान को एक्सटेंडेड फंड फैसिलिटी (ईएफएफ) के तहत एक अरब अमेरिकी डॉलर का फंड तत्काल जारी कर दिया है। पाकिस्तान को कर्ज देने के लिए हुए मतदान में भारत ने हिस्सा नहीं लिया। हालांकि, भारत ने पाकिस्तान की पोल खोलने में कसर नहीं छोड़ी। भारत ने पाकिस्तान के खराब ट्रैक रिकार्ड हवाला देते हुए आईएमएफ फंड का दुरुपयोग राज्य प्रायोजित सीमा पार आतंकवाद में किए जाने की आशंका जताई।

भारत ने पाकिस्तान के खिलाफ क्यों नहीं किया वोट?

पाकिस्तान के दो लोन प्रोग्राम को मंजूर करने के लिए 9 मई को वोटिंग हुई। वोटिंग में पाकिस्तान को दो ऋण कार्यक्रमों के तहत कुल $2.3 बिलियन की वित्तीय सहायता प्रदान करने पर हरी झंडी दे दी गई। इस दौरान भारत ने पाकिस्तान के खिलाफ में वोट डालने की बजाए वोट ही नहीं डाला। सवाल उठ रहे हैं कि भारत ने ऐसा क्यों किया. अगर वह चाहता तो पाकिस्तान के खिलाफ वोट करके मौजूदा हालात में बदला तो ले ही सकता था लेकिन इसके बाद भी भारत वोटिंग से अलग रहा। दरअसल, भारत ने कूटनीतिक चैनलों के माध्यम से अपनी चिंताओं को बताना ज्यादा पसंद किया।

भारत ने खोली पाकिस्तान के करतूतों की पोल

भारत ने बयान जारी करते हुए कहा है कि पाकिस्तान लंबे समय से आईएमएफ से कर्ज ले रहा है लेकिन आईएमएफ की शर्तों के पालन करने में उसका ट्रैक रिकॉर्ड बहुत खराब है। पिछले 35 सालों में 28 साल पाकिस्तान ने आईएमएफ से कर्ज लिया है। 2019 से पिछले पांच वर्षों में आईएमएफ के चार सहायता कार्यक्रम हुए हैं। अगर पिछली सहायता सफल होती तो पाकिस्तान को एक और बेल-आउट कार्यक्रम के लिए कर्ज लेने की जरूरत नहीं होती।

भारत ने कहा कि पाकिस्तान का रिकॉर्ड बताता है कि या तो आईएमएफ के कार्यक्रम ठीक से नहीं बनाए गए या उनकी निगरानी ठीक से नहीं हुई या फिर पाकिस्तान ने उन्हें ठीक से लागू नहीं किया। भारत ने यह भी कहा कि पाकिस्तानी सेना आर्थिक मामलों में हस्ताक्षेप करती है। इससे नीतिगत चूक और सुधारों के उलट होने का जोखिम बढ़ गया है। वहां भले ही अभी आम नागरिकों की सरकार है लेकिन पाकिस्तानी सेना घरेलू राजनीति में बड़ी भूमिका निभाती है और अर्थव्यवस्था में भी दखल रखती है।2021 की संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट में सेना से जुड़े व्यवसायों को "पाकिस्तान में सबसे बड़ा समूह" बताया गया था। हालात सुधरे नहीं हैं बल्कि पाकिस्तानी सेना अब स्पेशल इन्वेस्टमेंट फैसिलिटेशन काउंसिल की भूमिका निभा रही है।

‘आतंकवाद को बढ़ावा देने वालों को इनाम देना गलत’

भारत ने आईएमएफ संसाधनों के दीर्घकालिक उपयोग के मूल्यांकन पर आईएमएफ रिपोर्ट का हवाला दिया। इस रिपोर्ट में कहा गया है कि पाकिस्तान को कर्ज देने में राजनीतिक बातों का ध्यान रखा जाता है। बार-बार कर्ज लेने से पाकिस्तान पर कर्ज का बोझ बहुत बढ़ गया है। भारत ने कहा कि सीमा पार आतंकवाद को बढ़ावा देने वालों को इनाम देना गलत है। इससे दुनिया में गलत संदेश जाएगा और फंडिंग करने वाली एजेंसियों और दानदाताओं की छवि खराब होगी।

भारत ने जताई पैसे का इस्तेमाल आतंकवाद के लिए किए जाने आशंका

भारत ने कहा कि आईएमएफ जैसे अंतरराष्ट्रीय वित्तीय संस्थानों से आने वाले पैसे का इस्तेमाल आतंकवाद के लिए किया जा सकता है। कई देशों ने इस पर चिंता जताई है। आईएमएफ के नियम और प्रक्रियाएं ऐसी हैं कि वह कुछ नहीं कर सकता। भारत ने कहा कि यह एक गंभीर समस्या है। वैश्विक वित्तीय संस्थानों को अपनी प्रक्रियाओं में नैतिक मूल्यों को भी शामिल करना चाहिए। आईएमएफ ने भारत के बयान और मतदान से दूर पर ध्यान दिया है।

बिना रजिस्ट्रेशन कुकुरमुत्ता की तरह झोलाछाप डॉक्टर के चल रहा क्लीनिक, डॉक्टर गिरजेश पांडे पर गंभीर आरोप

बलरामपुर।ग्राम हरैय्या चंदरसी में मानकों की उड़ रही धज्जियाँ, मरीजों की जान से हो रहा खिलवाड़

नारकोटिक दवाओं की अवैध बिक्री का अड्डा बनता जा रहा है पचपेड़वा का यह क्लीनिक

बलरामपुर जनपद के विकासखंड पचपेड़वा के अंतर्गत आने वाली ग्राम पंचायत हरैय्या चंदरसी में स्थित एक क्लीनिक इन दिनों चर्चाओं में है। जानकारी के अनुसार, इस क्लीनिक को डॉक्टर गिरिजेश पांडे द्वारा संचालित किया जा रहा है, लेकिन न तो इसका कोई विधिवत रजिस्ट्रेशन है और न ही चिकित्सा मानकों का पालन किया जा रहा है।

स्थानीय लोगों ने आरोप लगाया है कि यहां मरीजों का इलाज मनमाने तरीके से किया जा रहा है, जिससे उनकी जान को खतरा हो सकता है।

सबसे गंभीर बात यह है कि इस क्लीनिक में नारकोटिक (मादक) दवाओं की भी अवैध बिक्री की जा रही है। इन दवाओं का उपयोग नशे के रूप में भी किया जा सकता है, जिससे युवाओं में इसकी लत लगने का खतरा बढ़ गया है। ग्रामीणों ने बताया कि डॉक्टर पांडे के पास न तो फार्मेसी लाइसेंस है और न ही नारकोटिक दवाओं के स्टॉक की कोई वैध अनुमति।

स्थानीय प्रशासन की लापरवाही के चलते यह क्लीनिक अब तक बेधड़क संचालित हो रहा है। ग्रामीणों ने स्वास्थ्य विभाग और जिला प्रशासन से इस क्लीनिक की तत्काल जांच कर आवश्यक कार्रवाई की मांग की है। यदि समय रहते इस पर रोक नहीं लगाई गई तो यह लोगों की जान पर भारी पड़ सकता है और समाज में नशाखोरी की समस्या को और बढ़ा सकता है।

प्रशासन को चाहिए कि तुरंत संज्ञान लेकर जांच शुरू करे और दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाए।

दरोगा विद्यासागर के अपराध,काली कमाई ने बेटे को बना दिया अपराधी

जौनपुर। बहुत पुरानी कहावत है "कि बाप का खाया बेटा भरता हैं" लेकिन यह कहावत बिल्कुल फिट बैठ रही हैं. थानागद्दी चौकी पर तैनात प्रमोटी दारोगा विद्यासागर सिंह के बेटे आदित्य सागर के खिलाफ पड़ोसी वाराणसी जिले के चोलापुर थाने में गंभीर धाराओं में आरोपी बनाया हैं।

जानकारी के मुताबिक विद्यासागर सिंह सिपाही से प्रोन्नत होकर दरोगा बने। अल्प समय के लिए दरोगा की कुर्सी व कंधे पर सितारे लगते ही शरीर में ऐंठन होने लगी। फिर खाकी में अपराध व अवैध कामों को संरक्षण देकर के धन बटोरने में जुट गया। विभागीय लोग बताते हैं कि विद्यासागर के बेटे बेरोजगार हैं। जिससे विद्यासागर को हरवक्त बेटे को सजोने संवारने में जुट रहता हैं। जिसके लिए हरसंभव प्रयास करके अपराध में धंसता गया। खुद का सिंडिकेट तैयार लिया। जिसमें कुछ तथाकथित पत्रकारों को भी शामिल किया। जिससे किसी भी घटना को दबाते हुए,वसूली को प्रायोजित तरीके से कराई जा सके।

विद्यासागर ने अपराध से अर्जित काली कमाई से एक कृषि कार्य में रजिस्टर्ड ट्रैक्टर UP62AS9996 लिया। जिससे कमर्शियल उपयोग में लेने लगा। ट्रैक्टर को अपराधिक सिंडिकेट के इशारे पर अवैध कामों में धकेल दिया। अवैध व अपराध से अर्जित राशि ने ज्यादा दिन तक विद्यासागर का साथ नहीं दिया। कुछ माह बाद चोलापुर पुलिस ने हिट एंड रन का मामला आदित्य सागर के खिलाफ दर्ज करते हुए,चार्जशीट न्यायालय में भेज दिया।

कप्तान ने कतरे पर,भेजा खेतासराय

अपराध में धंसते जा रहे विद्यासागर को स्थानीय अधिकारियों का प्रश्रय था. जिससे विद्यासागर आराम से अपने कामों को अंजाम दे रहा था। लगातार शिकायतों को देखते हुए,कप्तान ने विद्यासागर का ट्रांसफर खेतासराय कर दिया। ट्रांसफर की बात सुनकर विद्यासागर के होश उड़ गए। अपराधिक सिंडिकेट के साथ विद्यासागर ने कई चौखटों पर माथा टेकते हुए,ट्रांसफर रुकवाने की गुहार की। लेकिन किसी ने नहीं सुनी। चूंकि खेतासराय में अवैध कमाई बंद हो चुकी हैं। सिंडिकेट भी बिखर चुका हैं। विभाग के अनुसार विद्यासागर केराकत थाना क्षेत्र के सरकी चौकी पर आने के लिए हर संभव प्रयास कर रहा हैं। जिससे सिंडिकेट व अपराधिक गतिविधि से काली कमाई की जा सके।

झारखंड में अब शराब होंगे महंगे,पॉपुलर ब्रांड्स की कीमतों में भारी बढ़ोतरी

झारखंड सरकार ने राज्य में शराब के पॉपुलर ब्रांड्स की कीमतों में भारी बढ़ोतरी का फैसला लिया है। रॉयल स्टैग, रॉयल चैलेंज, ब्लेंडर्स प्राइड, सिग्नेचर जैसे ब्रांड्स की कीमतों में अब 10 रुपये से लेकर 60 रुपये तक की वृद्धि देखने को मिलेगी।

उत्पाद शुल्क विभाग ने नई संशोधित दरों की अधिसूचना जारी कर दी है, जिसे मंत्रिपरिषद की मंजूरी मिलते ही लागू किया जाएगा। इस कदम का असर शराब की बिक्री से होने वाले राजस्व पर सकारात्मक रूप से पड़ने की उम्मीद है।

देशी शराब को मिलेगा बढ़ावा, महुआ से बनेगी सस्ती शराब

राज्य सरकार देशी शराब को बढ़ावा देने की दिशा में भी बड़ा कदम उठा रही है। अब महुआ से निर्मित देशी शराब को विकल्प के रूप में प्रस्तुत किया जाएगा। विदेशी शराब की तुलना में यह देशी शराब काफी सस्ती होगी, जिसकी कीमतें 10 से 25 रुपये तक तय की गई हैं।

विभाग का मानना है कि इससे महुआ शराब के पारंपरिक कारीगरों को रोजगार मिलेगा और राज्य को राजस्व में भी बढ़ोत्तरी होगी। अनुमान है कि 2024-25 तक देशी शराब की खपत बढ़कर 14.79 लाख एलपीई से अधिक हो जाएगी, जबकि 2019-20 में यह आंकड़ा केवल 1.16 लाख एलपीई था।

विदेशी शराब पर भी बदलाव, बाहर से आयातित ब्रांड होंगे सस्ते

दूसरी ओर, विदेश में बनी विदेशी शराब (IMFL) अब राज्य में सस्ती मिलेगी। सरकार ने इसकी कीमतों में 1000 रुपये से 8000 रुपये तक की कटौती का प्रस्ताव रखा है, जिससे उपभोक्ताओं को उच्च गुणवत्ता वाली शराब कम कीमत पर मिल सकेगी।

इस फैसले से झारखंड में रॉयल ग्रीन, सैम्पसन, सायना जैसे किफायती ब्रांड्स की मांग बढ़ सकती है, क्योंकि अब इनकी कीमतें सीधे आम उपभोक्ताओं के बजट में आएंगी।

390 ब्रांड्स की दरों में बढ़ोतरी, 149 ब्रांड्स में 26% तक उछाल

राज्य में कुल 562 शराब ब्रांड्स उपलब्ध हैं, जिनमें से 390 ब्रांड्स (करीब 69%) की कीमतें बढ़ाई गई हैं। वहीं, 149 ब्रांड्स की कीमतों में 26% तक की वृद्धि हुई है। इनमें अधिकतर मिड-सेगमेंट और प्रीमियम ब्रांड्स शामिल हैं, जैसे कि रॉयल स्टैग और ओल्ड मंक।

वहीं कुछ ब्रांड्स में मामूली वृद्धि करते हुए 10 से 25 रुपये की बढ़ोत्तरी की गई है, जिससे आम उपभोक्ताओं पर ज्यादा बोझ न पड़े।

राज्य को मिलेगा 1300 करोड़ का अतिरिक्त राजस्व

उत्पाद विभाग ने अनुमान लगाया है कि नई दरों के लागू होने से राज्य को लगभग 1300 करोड़ रुपये का अतिरिक्त राजस्व प्राप्त हो सकता है। इससे राज्य सरकार को सामाजिक योजनाओं और बुनियादी ढांचे के विकास में आर्थिक मजबूती मिलेगी।

उम्मीद की जा रही है कि इससे शराब कारोबार को और अधिक संगठित और लाभकारी बनाया जा सकेगा।

झारखंड में शराब की कीमतों में बदलाव केवल कीमतों तक सीमित नहीं है, बल्कि यह सरकार की नीति और राजस्व में वृद्धि की दिशा में एक बड़ा कदम है। देशी शराब को बढ़ावा देना और विदेशी शराब की कीमतों को तर्कसंगत बनाना, राज्य की आर्थिक रणनीति में अहम भूमिका निभाएगा।

मुख्य चिकित्सा अधिकारी ने फीता काटकर दस्तक अभियान का किया शुभारंभ

निर्मला सीतारमण: भारत की वित्त मंत्री के रूप में उनके योगदान और भूमिका

#nirmalasitaramantransformingindianeconomy

Nirmala Sitaraman (Union FM)

निर्मला सीतारमण भारत की केंद्रीय वित्त मंत्री के रूप में एक महत्वपूर्ण और प्रभावशाली नेता के रूप में उभरी हैं। उनका कार्यकाल भारतीय अर्थव्यवस्था को नई दिशा देने में महत्वपूर्ण साबित हुआ है। यहाँ उनके योगदान और वित्त मंत्री के रूप में उनके कार्यों पर विस्तृत चर्चा की जा रही है:

1. प्रारंभिक जीवन और शिक्षा

-जन्म: निर्मला सीतारमण का जन्म 18 अगस्त 1959 को तमिलनाडु के तिरुचिरापल्ली में हुआ था।

- शिक्षा: उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय से स्नातक की डिग्री प्राप्त की और फिर जॉर्ज वाशिंगटन विश्वविद्यालय से आर्थिक और अंतर्राष्ट्रीय व्यापार में पोस्ट-ग्रेजुएशन की डिग्री ली। 

-प्रारंभिक करियर: इससे पहले कि वे भारतीय राजनीति में प्रवेश करतीं, उन्होंने एक शिक्षक, अर्थशास्त्र के विद्वान और कॉर्पोरेट दुनिया में काम किया था। वे ब्रिटेन स्थित एक प्रमुख थिंक टैंक "हेरिटेज फाउंडेशन" की सदस्य भी रह चुकी हैं। 

2. राजनीति में प्रवेश

निर्मला सीतारमण भारतीय जनता पार्टी (भा.ज.पा.) से जुड़ीं और 2014 में नरेंद्र मोदी सरकार के गठन के समय, उन्हें केंद्रीय मंत्री के रूप में कार्यभार सौंपा गया। उन्हें पहले रक्षा मंत्री के रूप में कार्यभार सौंपा गया था, और बाद में 2019 में वित्त मंत्री का पद मिला।

3. वित्त मंत्री के रूप में कार्यकाल (2019 - वर्तमान)

निर्मला सीतारमण ने जुलाई 2019 में भारत की केंद्रीय वित्त मंत्री के रूप में शपथ ली। वे पहली महिला वित्त मंत्री थीं जिन्हें स्वतंत्र भारत में यह महत्वपूर्ण पद मिला। उनके कार्यकाल में भारतीय अर्थव्यवस्था को पुनर्निर्माण और विकास की दिशा में कई महत्वपूर्ण फैसले लिए गए:

   3.1. आर्थिक सुधारों को बढ़ावा

- विकसित और उदार नीतियाँ: निर्मला सीतारमण ने भारत की आर्थिक नीतियों को लचीला और उदार बनाने की दिशा में कई कदम उठाए, जैसे कॉर्पोरेट टैक्स में कटौती और व्यापारों को बढ़ावा देने के लिए नई योजनाओं की शुरुआत।

- वित्तीय विनियमन: वित्तीय क्षेत्र में सुधार और मजबूत विनियमन की दिशा में उन्होंने कई महत्वपूर्ण कदम उठाए, जिसमें बैंकों की पूंजी में वृद्धि, वित्तीय संस्थानों के सुधार और अनुकूलित टैक्स नीतियाँ शामिल हैं।

  

  3.2. कोविड-19 संकट के दौरान प्रभावी कदम

- आर्थिक पैकेज: कोविड-19 महामारी के संकट के समय, निर्मला सीतारमण ने भारत सरकार के द्वारा घोषित किए गए आर्थिक पैकेज को लागू किया। उन्होंने गरीबों, श्रमिकों और छोटे व्यापारों के लिए राहत उपायों का ऐलान किया, जैसे प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना, ECLGS (Emergency Credit Line Guarantee Scheme), और मुद्रा लोन योजनाएँ। 

- माइक्रो, स्मॉल और मीडियम एंटरप्राइजेज (MSMEs) के लिए योजनाएँ: कोविड-19 से प्रभावित MSMEs को पुनः सक्षम बनाने के लिए वित्त मंत्री ने कई योजनाओं की शुरुआत की, जिससे अर्थव्यवस्था को पुनर्जीवित किया जा सके।

  

     3.3. स्वच्छ भारत और आत्मनिर्भर भारत अभियान

- आत्मनिर्भर भारत पैकेज: निर्मला सीतारमण ने आत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत 20 लाख करोड़ रुपये के पैकेज की घोषणा की, जिसका उद्देश्य भारतीय अर्थव्यवस्था को आत्मनिर्भर बनाना था। इस योजना में कृषि, उद्योग, MSMEs, और अन्य क्षेत्रों के लिए विभिन्न सुधार और सहायता पैकेज शामिल थे।

  

    3.4. जीएसटी सुधार

- जीएसटी (GST) में सुधार: निर्मला सीतारमण ने जीएसटी प्रणाली में सुधार की दिशा में कई पहल कीं। उन्होंने छोटे व्यापारियों के लिए जीएसटी रिटर्न भरने में सरलता लाने और जीएसटी दरों में बदलाव करने की दिशा में कदम उठाए। 

- जीएसटी काउंसिल की बैठकें: उन्होंने जीएसटी काउंसिल की बैठक में राज्यों और केंद्रीय सरकार के बीच सामंजस्य स्थापित करने का कार्य किया, जिससे कर प्रणाली को सशक्त किया गया।

    3.5. कृषि क्षेत्र में सुधार

- कृषि सुधार: निर्मला सीतारमण ने कृषि क्षेत्र के सुधार के लिए कई महत्वपूर्ण कदम उठाए, जैसे कृषि सुधार विधेयक, जो किसानों को अधिक अधिकार और समर्थन देने के लिए लाए गए थे। हालांकि, यह विधेयक विवादों में भी रहा, लेकिन इसका उद्देश्य भारतीय कृषि क्षेत्र को अधिक प्रतिस्पर्धात्मक और लाभकारी बनाना था।

     3.6. बैंकिंग और वित्तीय क्षेत्र में सुधार

- बैंकिंग क्षेत्र की पुनर्पूंजीकरण: उन्होंने भारतीय बैंकों के पुनर्पूंजीकरण के लिए कई योजनाएँ बनाई, ताकि बैंकों को मजबूती से कार्य करने के लिए आवश्यक वित्तीय संसाधन मिल सकें।

- एनपीए (NPA) समस्या पर काबू पाना: वित्त मंत्री ने एनपीए की समस्या को हल करने के लिए कई उपाय किए और दिवाला एवं ऋणशोधन अक्षमता संहिता (IBC) को और प्रभावी बनाने की दिशा में काम किया।

  

     3.7. डिजिटल भुगतान को बढ़ावा

- डिजिटल इंडिया और कैशलेस ट्रांजैक्शंस: निर्मला सीतारमण ने डिजिटल भुगतान को बढ़ावा देने के लिए कई योजनाएँ लागू कीं। उन्होंने मोबाइल पेमेंट्स, यूपीआई (Unified Payments Interface) और अन्य डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म के उपयोग को बढ़ावा दिया।

 4. उनकी नेतृत्व क्षमता और आलोचनाएँ

निर्मला सीतारमण को उनकी उत्कृष्ट नेतृत्व क्षमता और दूरदर्शिता के लिए पहचाना जाता है, लेकिन उनके कार्यकाल में कुछ आलोचनाएँ भी रही हैं। विशेष रूप से, कुछ आलोचकों का मानना है कि सरकार के फैसलों की कार्यान्वयन में प्रभावी सुधारों की कमी हो सकती है, और कुछ योजनाएँ अधिक प्रभावी रूप से लागू नहीं हो पाई हैं। साथ ही, किसानों और व्यापारियों द्वारा कई बार सरकार की नीतियों पर सवाल उठाए गए हैं। 

5. अंतर्राष्ट्रीय मंच पर सीतारमण की स्थिति*

निर्मला सीतारमण को न केवल भारतीय राजनीति में, बल्कि अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भी वित्त और आर्थिक मामलों में एक प्रभावशाली नेता के रूप में देखा जाता है। उन्होंने G20, IMF, और विश्व बैंक जैसे अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर भारतीय नीतियों और हितों का प्रतिनिधित्व किया है। उनके नेतृत्व में भारत ने वैश्विक अर्थव्यवस्था में अपनी स्थिति को मजबूत किया और प्रमुख वैश्विक सुधारों में सक्रिय रूप से भाग लिया।

निर्मला सीतारमण का कार्यकाल भारतीय अर्थव्यवस्था को सुदृढ़ बनाने और वित्तीय सुधारों की दिशा में कई महत्वपूर्ण कदम उठाने वाला रहा है। उन्होंने भारतीय समाज के विभिन्न वर्गों के लिए वित्तीय समावेशिता, व्यवसाय को बढ़ावा देने और श्रमिकों के हित में कई योजनाएँ बनाई हैं। हालांकि, उनके कार्यों की आलोचना भी की गई है, लेकिन उनके योगदान और नेतृत्व के कारण वे एक स्थायी और महत्वपूर्ण स्थान पर खड़ी हैं। निर्मला सीतारमण ने यह साबित किया है कि महिला नेतृत्व केवल दायित्व नहीं, बल्कि उत्कृष्टता की ओर भी कदम बढ़ाता है।

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने पेश किया आर्थिक सर्वेक्षण, 2026 में GDP में 6.3-6.8% वृद्धि का अनुमान

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बजट से एक दिन पहले शुक्रवार को संसद में आर्थिक सर्वेक्षण 2024-25 को पेश किया गया। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने लोकसभा में आर्थिक सर्वेक्षण 2024-25 पेश किया। आर्थिक सर्वेक्षण पेश करते ही सदन में हंगामा शुरू हो गया तो लोकसभा अध्यक्ष ने लोकसभा की कार्यवाही कल तक के लिए स्थगित कर दी। राज्यसभा में भी वित्त मंत्री ने आर्थिक सर्वेक्षण पेश किया। इसके बाद राज्यसभा की कार्यवाही भी स्थगित कर दी गई।

सर्वेक्षण में FY26 के लिए भारत की GDP वृद्धि दर 6.3% से 6.8% के बीच रहने का अनुमान लगाया गया है। जीएसटी संग्रह में 11 फीसदी की वृद्धि का अनुमान है, जो 10.62 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच सकता है। यह सर्वेक्षण नीतिगत सुधारों और आर्थिक स्थिरता की दिशा में सरकार के प्रयासों को रेखांकित करता है। सरकार का अनुमान अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) के 6.5% अनुमान के करीब है, लेकिन विश्व बैंक के 6.7% अनुमान से कम है।

सर्वे के मुताबिक, जीएसटी संग्रह में भी उल्लेखनीय वृद्धि का अनुमान है। 2024-25 के लिए जीएसटी संग्रह 11% बढ़कर 10.62 लाख करोड़ रुपये तक पहुंचने की उम्मीद है। हालांकि, पिछले तीन महीनों में राजस्व वृद्धि में मंदी देखी गई है, जिसके कारण वित्त वर्ष 26 के अनुमानों पर विशेष ध्यान केंद्रित किया जा रहा है। सरकार ने नीतिगत ठहराव को दूर करने और आर्थिक सुधारों को गति देने के लिए कई महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं।

क्या है आर्थिक सर्वेक्षण

आर्थिक सर्वेक्षण सरकार द्वारा केंद्रीय बजट से पहले अर्थव्यवस्था की स्थिति की समीक्षा करने के लिए प्रस्तुत किया जाने वाला एक वार्षिक दस्तावेज है। यह दस्तावेज अर्थव्यवस्था की अल्पकालिक से मध्यम अवधि की संभावनाओं का भी अवलोकन प्रदान करता है। आर्थिक सर्वेक्षण वित्त मंत्रालय में आर्थिक मामलों के विभाग के आर्थिक प्रभाग द्वारा मुख्य आर्थिक सलाहकार की देखरेख में तैयार किया जाता है।

कल होगा बजट पेश

शनिवार को वित्त मंत्री सीतारमण मोदी 3.0 सरकार का पहला पूर्ण बजट पेश करेंगी, जिसमें आयकर स्लैब में बदलाव, बुनियादी ढांचा क्षेत्र को बड़ा बढ़ावा, ग्रामीण विकास और शिक्षा क्षेत्र के लिए बड़े आवंटन की उम्मीदें हैं। बजट दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था के लिए नीतिगत बढ़ावा दे सकता है, जिसकी शहरी मांग में कमी और कमजोर मुद्रा के कारण मुद्रास्फीति के जोखिम के बीच चार साल में सबसे धीमी वृद्धि दर दर्ज होने की उम्मीद है।

*বড়মার মন্দিরে এলেন দেব*

সোমবার নৈহাটি বড়মার মন্দিরে পুজো দিলেন অভিনেতা তথা তৃণমূল কংগ্রেসের সাংসদ দেব ।

 

চন্দননগরকে ছাপিয়ে জগদ্দল এবারেও ভিড় কেড়েছে জগদ্ধাত্রী পুজোয়

*নিউজ ব্যুরো:* রাজ্যের সেরা আলোকসজ্জা থেকে জগদ্ধাত্রী ঠাকুর চন্দননগরে বিখ্যাত।কিন্তু দিন যত যাচ্ছে ওপারকে ছাপিয়ে উত্তর ২৪ পরগনার জগদ্দল ও ভাটপাড়া টেক্কা দিয়ে এপারের জগদ্ধাত্রী ঠাকুর বিখ্যাত হতে চলেছে। যেমন আলোকসজ্জা, তেমনি মাতৃরূপ নজর কেড়ে নিয়েছে দর্শকদের। পূজার শুরুর দিন থেকেই জনজোয়ারে ভাসছে জগদ্দল ও ভাটপাড়ার জগদ্ধাত্রী পুজো মণ্ডপে। তবে কোথাও ইসরো যান কোথাও থিম সব মিলিয়ে জমজমাট।

*ছবি: প্রবীর রায়*

राष्ट्रीय लोक मोर्चा ने लेधी गांव में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी और पूर्व प्रधानमंत्री के चित्र पर पुष्पांजलि अर्पित कर जयंती मनाया

पाकिस्तान को मिला IMF से मिला लोन, भारत ने वोटिंग में नहीं लिया हिस्सा

#imfmeetingindiaexposespakistanonterror_funding

भारत-पाकिस्तान तनाव के बीच अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) ने पाकिस्तान को एक्सटेंडेड फंड फैसिलिटी (ईएफएफ) के तहत एक अरब अमेरिकी डॉलर का फंड तत्काल जारी कर दिया है। पाकिस्तान को कर्ज देने के लिए हुए मतदान में भारत ने हिस्सा नहीं लिया। हालांकि, भारत ने पाकिस्तान की पोल खोलने में कसर नहीं छोड़ी। भारत ने पाकिस्तान के खराब ट्रैक रिकार्ड हवाला देते हुए आईएमएफ फंड का दुरुपयोग राज्य प्रायोजित सीमा पार आतंकवाद में किए जाने की आशंका जताई।

भारत ने पाकिस्तान के खिलाफ क्यों नहीं किया वोट?

पाकिस्तान के दो लोन प्रोग्राम को मंजूर करने के लिए 9 मई को वोटिंग हुई। वोटिंग में पाकिस्तान को दो ऋण कार्यक्रमों के तहत कुल $2.3 बिलियन की वित्तीय सहायता प्रदान करने पर हरी झंडी दे दी गई। इस दौरान भारत ने पाकिस्तान के खिलाफ में वोट डालने की बजाए वोट ही नहीं डाला। सवाल उठ रहे हैं कि भारत ने ऐसा क्यों किया. अगर वह चाहता तो पाकिस्तान के खिलाफ वोट करके मौजूदा हालात में बदला तो ले ही सकता था लेकिन इसके बाद भी भारत वोटिंग से अलग रहा। दरअसल, भारत ने कूटनीतिक चैनलों के माध्यम से अपनी चिंताओं को बताना ज्यादा पसंद किया।

भारत ने खोली पाकिस्तान के करतूतों की पोल

भारत ने बयान जारी करते हुए कहा है कि पाकिस्तान लंबे समय से आईएमएफ से कर्ज ले रहा है लेकिन आईएमएफ की शर्तों के पालन करने में उसका ट्रैक रिकॉर्ड बहुत खराब है। पिछले 35 सालों में 28 साल पाकिस्तान ने आईएमएफ से कर्ज लिया है। 2019 से पिछले पांच वर्षों में आईएमएफ के चार सहायता कार्यक्रम हुए हैं। अगर पिछली सहायता सफल होती तो पाकिस्तान को एक और बेल-आउट कार्यक्रम के लिए कर्ज लेने की जरूरत नहीं होती।

भारत ने कहा कि पाकिस्तान का रिकॉर्ड बताता है कि या तो आईएमएफ के कार्यक्रम ठीक से नहीं बनाए गए या उनकी निगरानी ठीक से नहीं हुई या फिर पाकिस्तान ने उन्हें ठीक से लागू नहीं किया। भारत ने यह भी कहा कि पाकिस्तानी सेना आर्थिक मामलों में हस्ताक्षेप करती है। इससे नीतिगत चूक और सुधारों के उलट होने का जोखिम बढ़ गया है। वहां भले ही अभी आम नागरिकों की सरकार है लेकिन पाकिस्तानी सेना घरेलू राजनीति में बड़ी भूमिका निभाती है और अर्थव्यवस्था में भी दखल रखती है।2021 की संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट में सेना से जुड़े व्यवसायों को "पाकिस्तान में सबसे बड़ा समूह" बताया गया था। हालात सुधरे नहीं हैं बल्कि पाकिस्तानी सेना अब स्पेशल इन्वेस्टमेंट फैसिलिटेशन काउंसिल की भूमिका निभा रही है।

‘आतंकवाद को बढ़ावा देने वालों को इनाम देना गलत’

भारत ने आईएमएफ संसाधनों के दीर्घकालिक उपयोग के मूल्यांकन पर आईएमएफ रिपोर्ट का हवाला दिया। इस रिपोर्ट में कहा गया है कि पाकिस्तान को कर्ज देने में राजनीतिक बातों का ध्यान रखा जाता है। बार-बार कर्ज लेने से पाकिस्तान पर कर्ज का बोझ बहुत बढ़ गया है। भारत ने कहा कि सीमा पार आतंकवाद को बढ़ावा देने वालों को इनाम देना गलत है। इससे दुनिया में गलत संदेश जाएगा और फंडिंग करने वाली एजेंसियों और दानदाताओं की छवि खराब होगी।

भारत ने जताई पैसे का इस्तेमाल आतंकवाद के लिए किए जाने आशंका

भारत ने कहा कि आईएमएफ जैसे अंतरराष्ट्रीय वित्तीय संस्थानों से आने वाले पैसे का इस्तेमाल आतंकवाद के लिए किया जा सकता है। कई देशों ने इस पर चिंता जताई है। आईएमएफ के नियम और प्रक्रियाएं ऐसी हैं कि वह कुछ नहीं कर सकता। भारत ने कहा कि यह एक गंभीर समस्या है। वैश्विक वित्तीय संस्थानों को अपनी प्रक्रियाओं में नैतिक मूल्यों को भी शामिल करना चाहिए। आईएमएफ ने भारत के बयान और मतदान से दूर पर ध्यान दिया है।

बिना रजिस्ट्रेशन कुकुरमुत्ता की तरह झोलाछाप डॉक्टर के चल रहा क्लीनिक, डॉक्टर गिरजेश पांडे पर गंभीर आरोप

बलरामपुर।ग्राम हरैय्या चंदरसी में मानकों की उड़ रही धज्जियाँ, मरीजों की जान से हो रहा खिलवाड़

नारकोटिक दवाओं की अवैध बिक्री का अड्डा बनता जा रहा है पचपेड़वा का यह क्लीनिक

बलरामपुर जनपद के विकासखंड पचपेड़वा के अंतर्गत आने वाली ग्राम पंचायत हरैय्या चंदरसी में स्थित एक क्लीनिक इन दिनों चर्चाओं में है। जानकारी के अनुसार, इस क्लीनिक को डॉक्टर गिरिजेश पांडे द्वारा संचालित किया जा रहा है, लेकिन न तो इसका कोई विधिवत रजिस्ट्रेशन है और न ही चिकित्सा मानकों का पालन किया जा रहा है।

स्थानीय लोगों ने आरोप लगाया है कि यहां मरीजों का इलाज मनमाने तरीके से किया जा रहा है, जिससे उनकी जान को खतरा हो सकता है।

सबसे गंभीर बात यह है कि इस क्लीनिक में नारकोटिक (मादक) दवाओं की भी अवैध बिक्री की जा रही है। इन दवाओं का उपयोग नशे के रूप में भी किया जा सकता है, जिससे युवाओं में इसकी लत लगने का खतरा बढ़ गया है। ग्रामीणों ने बताया कि डॉक्टर पांडे के पास न तो फार्मेसी लाइसेंस है और न ही नारकोटिक दवाओं के स्टॉक की कोई वैध अनुमति।

स्थानीय प्रशासन की लापरवाही के चलते यह क्लीनिक अब तक बेधड़क संचालित हो रहा है। ग्रामीणों ने स्वास्थ्य विभाग और जिला प्रशासन से इस क्लीनिक की तत्काल जांच कर आवश्यक कार्रवाई की मांग की है। यदि समय रहते इस पर रोक नहीं लगाई गई तो यह लोगों की जान पर भारी पड़ सकता है और समाज में नशाखोरी की समस्या को और बढ़ा सकता है।

प्रशासन को चाहिए कि तुरंत संज्ञान लेकर जांच शुरू करे और दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाए।

दरोगा विद्यासागर के अपराध,काली कमाई ने बेटे को बना दिया अपराधी

जौनपुर। बहुत पुरानी कहावत है "कि बाप का खाया बेटा भरता हैं" लेकिन यह कहावत बिल्कुल फिट बैठ रही हैं. थानागद्दी चौकी पर तैनात प्रमोटी दारोगा विद्यासागर सिंह के बेटे आदित्य सागर के खिलाफ पड़ोसी वाराणसी जिले के चोलापुर थाने में गंभीर धाराओं में आरोपी बनाया हैं।

जानकारी के मुताबिक विद्यासागर सिंह सिपाही से प्रोन्नत होकर दरोगा बने। अल्प समय के लिए दरोगा की कुर्सी व कंधे पर सितारे लगते ही शरीर में ऐंठन होने लगी। फिर खाकी में अपराध व अवैध कामों को संरक्षण देकर के धन बटोरने में जुट गया। विभागीय लोग बताते हैं कि विद्यासागर के बेटे बेरोजगार हैं। जिससे विद्यासागर को हरवक्त बेटे को सजोने संवारने में जुट रहता हैं। जिसके लिए हरसंभव प्रयास करके अपराध में धंसता गया। खुद का सिंडिकेट तैयार लिया। जिसमें कुछ तथाकथित पत्रकारों को भी शामिल किया। जिससे किसी भी घटना को दबाते हुए,वसूली को प्रायोजित तरीके से कराई जा सके।

विद्यासागर ने अपराध से अर्जित काली कमाई से एक कृषि कार्य में रजिस्टर्ड ट्रैक्टर UP62AS9996 लिया। जिससे कमर्शियल उपयोग में लेने लगा। ट्रैक्टर को अपराधिक सिंडिकेट के इशारे पर अवैध कामों में धकेल दिया। अवैध व अपराध से अर्जित राशि ने ज्यादा दिन तक विद्यासागर का साथ नहीं दिया। कुछ माह बाद चोलापुर पुलिस ने हिट एंड रन का मामला आदित्य सागर के खिलाफ दर्ज करते हुए,चार्जशीट न्यायालय में भेज दिया।

कप्तान ने कतरे पर,भेजा खेतासराय

अपराध में धंसते जा रहे विद्यासागर को स्थानीय अधिकारियों का प्रश्रय था. जिससे विद्यासागर आराम से अपने कामों को अंजाम दे रहा था। लगातार शिकायतों को देखते हुए,कप्तान ने विद्यासागर का ट्रांसफर खेतासराय कर दिया। ट्रांसफर की बात सुनकर विद्यासागर के होश उड़ गए। अपराधिक सिंडिकेट के साथ विद्यासागर ने कई चौखटों पर माथा टेकते हुए,ट्रांसफर रुकवाने की गुहार की। लेकिन किसी ने नहीं सुनी। चूंकि खेतासराय में अवैध कमाई बंद हो चुकी हैं। सिंडिकेट भी बिखर चुका हैं। विभाग के अनुसार विद्यासागर केराकत थाना क्षेत्र के सरकी चौकी पर आने के लिए हर संभव प्रयास कर रहा हैं। जिससे सिंडिकेट व अपराधिक गतिविधि से काली कमाई की जा सके।

झारखंड में अब शराब होंगे महंगे,पॉपुलर ब्रांड्स की कीमतों में भारी बढ़ोतरी

झारखंड सरकार ने राज्य में शराब के पॉपुलर ब्रांड्स की कीमतों में भारी बढ़ोतरी का फैसला लिया है। रॉयल स्टैग, रॉयल चैलेंज, ब्लेंडर्स प्राइड, सिग्नेचर जैसे ब्रांड्स की कीमतों में अब 10 रुपये से लेकर 60 रुपये तक की वृद्धि देखने को मिलेगी।

उत्पाद शुल्क विभाग ने नई संशोधित दरों की अधिसूचना जारी कर दी है, जिसे मंत्रिपरिषद की मंजूरी मिलते ही लागू किया जाएगा। इस कदम का असर शराब की बिक्री से होने वाले राजस्व पर सकारात्मक रूप से पड़ने की उम्मीद है।

देशी शराब को मिलेगा बढ़ावा, महुआ से बनेगी सस्ती शराब

राज्य सरकार देशी शराब को बढ़ावा देने की दिशा में भी बड़ा कदम उठा रही है। अब महुआ से निर्मित देशी शराब को विकल्प के रूप में प्रस्तुत किया जाएगा। विदेशी शराब की तुलना में यह देशी शराब काफी सस्ती होगी, जिसकी कीमतें 10 से 25 रुपये तक तय की गई हैं।

विभाग का मानना है कि इससे महुआ शराब के पारंपरिक कारीगरों को रोजगार मिलेगा और राज्य को राजस्व में भी बढ़ोत्तरी होगी। अनुमान है कि 2024-25 तक देशी शराब की खपत बढ़कर 14.79 लाख एलपीई से अधिक हो जाएगी, जबकि 2019-20 में यह आंकड़ा केवल 1.16 लाख एलपीई था।

विदेशी शराब पर भी बदलाव, बाहर से आयातित ब्रांड होंगे सस्ते

दूसरी ओर, विदेश में बनी विदेशी शराब (IMFL) अब राज्य में सस्ती मिलेगी। सरकार ने इसकी कीमतों में 1000 रुपये से 8000 रुपये तक की कटौती का प्रस्ताव रखा है, जिससे उपभोक्ताओं को उच्च गुणवत्ता वाली शराब कम कीमत पर मिल सकेगी।

इस फैसले से झारखंड में रॉयल ग्रीन, सैम्पसन, सायना जैसे किफायती ब्रांड्स की मांग बढ़ सकती है, क्योंकि अब इनकी कीमतें सीधे आम उपभोक्ताओं के बजट में आएंगी।

390 ब्रांड्स की दरों में बढ़ोतरी, 149 ब्रांड्स में 26% तक उछाल

राज्य में कुल 562 शराब ब्रांड्स उपलब्ध हैं, जिनमें से 390 ब्रांड्स (करीब 69%) की कीमतें बढ़ाई गई हैं। वहीं, 149 ब्रांड्स की कीमतों में 26% तक की वृद्धि हुई है। इनमें अधिकतर मिड-सेगमेंट और प्रीमियम ब्रांड्स शामिल हैं, जैसे कि रॉयल स्टैग और ओल्ड मंक।

वहीं कुछ ब्रांड्स में मामूली वृद्धि करते हुए 10 से 25 रुपये की बढ़ोत्तरी की गई है, जिससे आम उपभोक्ताओं पर ज्यादा बोझ न पड़े।

राज्य को मिलेगा 1300 करोड़ का अतिरिक्त राजस्व

उत्पाद विभाग ने अनुमान लगाया है कि नई दरों के लागू होने से राज्य को लगभग 1300 करोड़ रुपये का अतिरिक्त राजस्व प्राप्त हो सकता है। इससे राज्य सरकार को सामाजिक योजनाओं और बुनियादी ढांचे के विकास में आर्थिक मजबूती मिलेगी।

उम्मीद की जा रही है कि इससे शराब कारोबार को और अधिक संगठित और लाभकारी बनाया जा सकेगा।

झारखंड में शराब की कीमतों में बदलाव केवल कीमतों तक सीमित नहीं है, बल्कि यह सरकार की नीति और राजस्व में वृद्धि की दिशा में एक बड़ा कदम है। देशी शराब को बढ़ावा देना और विदेशी शराब की कीमतों को तर्कसंगत बनाना, राज्य की आर्थिक रणनीति में अहम भूमिका निभाएगा।

मुख्य चिकित्सा अधिकारी ने फीता काटकर दस्तक अभियान का किया शुभारंभ

निर्मला सीतारमण: भारत की वित्त मंत्री के रूप में उनके योगदान और भूमिका

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Nirmala Sitaraman (Union FM)

निर्मला सीतारमण भारत की केंद्रीय वित्त मंत्री के रूप में एक महत्वपूर्ण और प्रभावशाली नेता के रूप में उभरी हैं। उनका कार्यकाल भारतीय अर्थव्यवस्था को नई दिशा देने में महत्वपूर्ण साबित हुआ है। यहाँ उनके योगदान और वित्त मंत्री के रूप में उनके कार्यों पर विस्तृत चर्चा की जा रही है:

1. प्रारंभिक जीवन और शिक्षा

-जन्म: निर्मला सीतारमण का जन्म 18 अगस्त 1959 को तमिलनाडु के तिरुचिरापल्ली में हुआ था।

- शिक्षा: उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय से स्नातक की डिग्री प्राप्त की और फिर जॉर्ज वाशिंगटन विश्वविद्यालय से आर्थिक और अंतर्राष्ट्रीय व्यापार में पोस्ट-ग्रेजुएशन की डिग्री ली। 

-प्रारंभिक करियर: इससे पहले कि वे भारतीय राजनीति में प्रवेश करतीं, उन्होंने एक शिक्षक, अर्थशास्त्र के विद्वान और कॉर्पोरेट दुनिया में काम किया था। वे ब्रिटेन स्थित एक प्रमुख थिंक टैंक "हेरिटेज फाउंडेशन" की सदस्य भी रह चुकी हैं। 

2. राजनीति में प्रवेश

निर्मला सीतारमण भारतीय जनता पार्टी (भा.ज.पा.) से जुड़ीं और 2014 में नरेंद्र मोदी सरकार के गठन के समय, उन्हें केंद्रीय मंत्री के रूप में कार्यभार सौंपा गया। उन्हें पहले रक्षा मंत्री के रूप में कार्यभार सौंपा गया था, और बाद में 2019 में वित्त मंत्री का पद मिला।

3. वित्त मंत्री के रूप में कार्यकाल (2019 - वर्तमान)

निर्मला सीतारमण ने जुलाई 2019 में भारत की केंद्रीय वित्त मंत्री के रूप में शपथ ली। वे पहली महिला वित्त मंत्री थीं जिन्हें स्वतंत्र भारत में यह महत्वपूर्ण पद मिला। उनके कार्यकाल में भारतीय अर्थव्यवस्था को पुनर्निर्माण और विकास की दिशा में कई महत्वपूर्ण फैसले लिए गए:

   3.1. आर्थिक सुधारों को बढ़ावा

- विकसित और उदार नीतियाँ: निर्मला सीतारमण ने भारत की आर्थिक नीतियों को लचीला और उदार बनाने की दिशा में कई कदम उठाए, जैसे कॉर्पोरेट टैक्स में कटौती और व्यापारों को बढ़ावा देने के लिए नई योजनाओं की शुरुआत।

- वित्तीय विनियमन: वित्तीय क्षेत्र में सुधार और मजबूत विनियमन की दिशा में उन्होंने कई महत्वपूर्ण कदम उठाए, जिसमें बैंकों की पूंजी में वृद्धि, वित्तीय संस्थानों के सुधार और अनुकूलित टैक्स नीतियाँ शामिल हैं।

  

  3.2. कोविड-19 संकट के दौरान प्रभावी कदम

- आर्थिक पैकेज: कोविड-19 महामारी के संकट के समय, निर्मला सीतारमण ने भारत सरकार के द्वारा घोषित किए गए आर्थिक पैकेज को लागू किया। उन्होंने गरीबों, श्रमिकों और छोटे व्यापारों के लिए राहत उपायों का ऐलान किया, जैसे प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना, ECLGS (Emergency Credit Line Guarantee Scheme), और मुद्रा लोन योजनाएँ। 

- माइक्रो, स्मॉल और मीडियम एंटरप्राइजेज (MSMEs) के लिए योजनाएँ: कोविड-19 से प्रभावित MSMEs को पुनः सक्षम बनाने के लिए वित्त मंत्री ने कई योजनाओं की शुरुआत की, जिससे अर्थव्यवस्था को पुनर्जीवित किया जा सके।

  

     3.3. स्वच्छ भारत और आत्मनिर्भर भारत अभियान

- आत्मनिर्भर भारत पैकेज: निर्मला सीतारमण ने आत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत 20 लाख करोड़ रुपये के पैकेज की घोषणा की, जिसका उद्देश्य भारतीय अर्थव्यवस्था को आत्मनिर्भर बनाना था। इस योजना में कृषि, उद्योग, MSMEs, और अन्य क्षेत्रों के लिए विभिन्न सुधार और सहायता पैकेज शामिल थे।

  

    3.4. जीएसटी सुधार

- जीएसटी (GST) में सुधार: निर्मला सीतारमण ने जीएसटी प्रणाली में सुधार की दिशा में कई पहल कीं। उन्होंने छोटे व्यापारियों के लिए जीएसटी रिटर्न भरने में सरलता लाने और जीएसटी दरों में बदलाव करने की दिशा में कदम उठाए। 

- जीएसटी काउंसिल की बैठकें: उन्होंने जीएसटी काउंसिल की बैठक में राज्यों और केंद्रीय सरकार के बीच सामंजस्य स्थापित करने का कार्य किया, जिससे कर प्रणाली को सशक्त किया गया।

    3.5. कृषि क्षेत्र में सुधार

- कृषि सुधार: निर्मला सीतारमण ने कृषि क्षेत्र के सुधार के लिए कई महत्वपूर्ण कदम उठाए, जैसे कृषि सुधार विधेयक, जो किसानों को अधिक अधिकार और समर्थन देने के लिए लाए गए थे। हालांकि, यह विधेयक विवादों में भी रहा, लेकिन इसका उद्देश्य भारतीय कृषि क्षेत्र को अधिक प्रतिस्पर्धात्मक और लाभकारी बनाना था।

     3.6. बैंकिंग और वित्तीय क्षेत्र में सुधार

- बैंकिंग क्षेत्र की पुनर्पूंजीकरण: उन्होंने भारतीय बैंकों के पुनर्पूंजीकरण के लिए कई योजनाएँ बनाई, ताकि बैंकों को मजबूती से कार्य करने के लिए आवश्यक वित्तीय संसाधन मिल सकें।

- एनपीए (NPA) समस्या पर काबू पाना: वित्त मंत्री ने एनपीए की समस्या को हल करने के लिए कई उपाय किए और दिवाला एवं ऋणशोधन अक्षमता संहिता (IBC) को और प्रभावी बनाने की दिशा में काम किया।

  

     3.7. डिजिटल भुगतान को बढ़ावा

- डिजिटल इंडिया और कैशलेस ट्रांजैक्शंस: निर्मला सीतारमण ने डिजिटल भुगतान को बढ़ावा देने के लिए कई योजनाएँ लागू कीं। उन्होंने मोबाइल पेमेंट्स, यूपीआई (Unified Payments Interface) और अन्य डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म के उपयोग को बढ़ावा दिया।

 4. उनकी नेतृत्व क्षमता और आलोचनाएँ

निर्मला सीतारमण को उनकी उत्कृष्ट नेतृत्व क्षमता और दूरदर्शिता के लिए पहचाना जाता है, लेकिन उनके कार्यकाल में कुछ आलोचनाएँ भी रही हैं। विशेष रूप से, कुछ आलोचकों का मानना है कि सरकार के फैसलों की कार्यान्वयन में प्रभावी सुधारों की कमी हो सकती है, और कुछ योजनाएँ अधिक प्रभावी रूप से लागू नहीं हो पाई हैं। साथ ही, किसानों और व्यापारियों द्वारा कई बार सरकार की नीतियों पर सवाल उठाए गए हैं। 

5. अंतर्राष्ट्रीय मंच पर सीतारमण की स्थिति*

निर्मला सीतारमण को न केवल भारतीय राजनीति में, बल्कि अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भी वित्त और आर्थिक मामलों में एक प्रभावशाली नेता के रूप में देखा जाता है। उन्होंने G20, IMF, और विश्व बैंक जैसे अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर भारतीय नीतियों और हितों का प्रतिनिधित्व किया है। उनके नेतृत्व में भारत ने वैश्विक अर्थव्यवस्था में अपनी स्थिति को मजबूत किया और प्रमुख वैश्विक सुधारों में सक्रिय रूप से भाग लिया।

निर्मला सीतारमण का कार्यकाल भारतीय अर्थव्यवस्था को सुदृढ़ बनाने और वित्तीय सुधारों की दिशा में कई महत्वपूर्ण कदम उठाने वाला रहा है। उन्होंने भारतीय समाज के विभिन्न वर्गों के लिए वित्तीय समावेशिता, व्यवसाय को बढ़ावा देने और श्रमिकों के हित में कई योजनाएँ बनाई हैं। हालांकि, उनके कार्यों की आलोचना भी की गई है, लेकिन उनके योगदान और नेतृत्व के कारण वे एक स्थायी और महत्वपूर्ण स्थान पर खड़ी हैं। निर्मला सीतारमण ने यह साबित किया है कि महिला नेतृत्व केवल दायित्व नहीं, बल्कि उत्कृष्टता की ओर भी कदम बढ़ाता है।

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने पेश किया आर्थिक सर्वेक्षण, 2026 में GDP में 6.3-6.8% वृद्धि का अनुमान

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बजट से एक दिन पहले शुक्रवार को संसद में आर्थिक सर्वेक्षण 2024-25 को पेश किया गया। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने लोकसभा में आर्थिक सर्वेक्षण 2024-25 पेश किया। आर्थिक सर्वेक्षण पेश करते ही सदन में हंगामा शुरू हो गया तो लोकसभा अध्यक्ष ने लोकसभा की कार्यवाही कल तक के लिए स्थगित कर दी। राज्यसभा में भी वित्त मंत्री ने आर्थिक सर्वेक्षण पेश किया। इसके बाद राज्यसभा की कार्यवाही भी स्थगित कर दी गई।

सर्वेक्षण में FY26 के लिए भारत की GDP वृद्धि दर 6.3% से 6.8% के बीच रहने का अनुमान लगाया गया है। जीएसटी संग्रह में 11 फीसदी की वृद्धि का अनुमान है, जो 10.62 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच सकता है। यह सर्वेक्षण नीतिगत सुधारों और आर्थिक स्थिरता की दिशा में सरकार के प्रयासों को रेखांकित करता है। सरकार का अनुमान अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) के 6.5% अनुमान के करीब है, लेकिन विश्व बैंक के 6.7% अनुमान से कम है।

सर्वे के मुताबिक, जीएसटी संग्रह में भी उल्लेखनीय वृद्धि का अनुमान है। 2024-25 के लिए जीएसटी संग्रह 11% बढ़कर 10.62 लाख करोड़ रुपये तक पहुंचने की उम्मीद है। हालांकि, पिछले तीन महीनों में राजस्व वृद्धि में मंदी देखी गई है, जिसके कारण वित्त वर्ष 26 के अनुमानों पर विशेष ध्यान केंद्रित किया जा रहा है। सरकार ने नीतिगत ठहराव को दूर करने और आर्थिक सुधारों को गति देने के लिए कई महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं।

क्या है आर्थिक सर्वेक्षण

आर्थिक सर्वेक्षण सरकार द्वारा केंद्रीय बजट से पहले अर्थव्यवस्था की स्थिति की समीक्षा करने के लिए प्रस्तुत किया जाने वाला एक वार्षिक दस्तावेज है। यह दस्तावेज अर्थव्यवस्था की अल्पकालिक से मध्यम अवधि की संभावनाओं का भी अवलोकन प्रदान करता है। आर्थिक सर्वेक्षण वित्त मंत्रालय में आर्थिक मामलों के विभाग के आर्थिक प्रभाग द्वारा मुख्य आर्थिक सलाहकार की देखरेख में तैयार किया जाता है।

कल होगा बजट पेश

शनिवार को वित्त मंत्री सीतारमण मोदी 3.0 सरकार का पहला पूर्ण बजट पेश करेंगी, जिसमें आयकर स्लैब में बदलाव, बुनियादी ढांचा क्षेत्र को बड़ा बढ़ावा, ग्रामीण विकास और शिक्षा क्षेत्र के लिए बड़े आवंटन की उम्मीदें हैं। बजट दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था के लिए नीतिगत बढ़ावा दे सकता है, जिसकी शहरी मांग में कमी और कमजोर मुद्रा के कारण मुद्रास्फीति के जोखिम के बीच चार साल में सबसे धीमी वृद्धि दर दर्ज होने की उम्मीद है।

*বড়মার মন্দিরে এলেন দেব*

সোমবার নৈহাটি বড়মার মন্দিরে পুজো দিলেন অভিনেতা তথা তৃণমূল কংগ্রেসের সাংসদ দেব ।

 

চন্দননগরকে ছাপিয়ে জগদ্দল এবারেও ভিড় কেড়েছে জগদ্ধাত্রী পুজোয়

*নিউজ ব্যুরো:* রাজ্যের সেরা আলোকসজ্জা থেকে জগদ্ধাত্রী ঠাকুর চন্দননগরে বিখ্যাত।কিন্তু দিন যত যাচ্ছে ওপারকে ছাপিয়ে উত্তর ২৪ পরগনার জগদ্দল ও ভাটপাড়া টেক্কা দিয়ে এপারের জগদ্ধাত্রী ঠাকুর বিখ্যাত হতে চলেছে। যেমন আলোকসজ্জা, তেমনি মাতৃরূপ নজর কেড়ে নিয়েছে দর্শকদের। পূজার শুরুর দিন থেকেই জনজোয়ারে ভাসছে জগদ্দল ও ভাটপাড়ার জগদ্ধাত্রী পুজো মণ্ডপে। তবে কোথাও ইসরো যান কোথাও থিম সব মিলিয়ে জমজমাট।

*ছবি: প্রবীর রায়*

राष्ट्रीय लोक मोर्चा ने लेधी गांव में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी और पूर्व प्रधानमंत्री के चित्र पर पुष्पांजलि अर्पित कर जयंती मनाया