/home/streetbuzz1/public_html/testnewsapp/system/../storage/avatars/thumbs1/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/testnewsapp/system/../storage/avatars/thumbs4/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/testnewsapp/system/../storage/avatars/thumbs5/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/testnewsapp/system/../storage/avatars/thumbs1/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/testnewsapp/system/../storage/avatars/thumbs4/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/testnewsapp/system/../storage/avatars/thumbs5/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/testnewsapp/system/../storage/avatars/thumbs1/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/testnewsapp/system/../storage/avatars/thumbs4/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/testnewsapp/system/../storage/avatars/thumbs5/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/testnewsapp/system/../storage/avatars/thumbs1/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/testnewsapp/system/../storage/avatars/thumbs4/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/testnewsapp/system/../storage/avatars/thumbs5/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/testnewsapp/system/../storage/avatars/thumbs1/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/testnewsapp/system/../storage/avatars/thumbs4/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/testnewsapp/system/../storage/avatars/thumbs5/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/testnewsapp/system/../storage/avatars/thumbs1/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/testnewsapp/system/../storage/avatars/thumbs4/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/testnewsapp/system/../storage/avatars/thumbs5/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/testnewsapp/system/../storage/avatars/thumbs1/1728120807932935.png/home/streetbuzz1/public_html/testnewsapp/system/../storage/avatars/thumbs4/1728120807932935.png/home/streetbuzz1/public_html/testnewsapp/system/../storage/avatars/thumbs5/1728120807932935.png/home/streetbuzz1/public_html/testnewsapp/system/../storage/avatars/thumbs1/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/testnewsapp/system/../storage/avatars/thumbs4/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/testnewsapp/system/../storage/avatars/thumbs5/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/testnewsapp/system/../storage/avatars/thumbs1/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/testnewsapp/system/../storage/avatars/thumbs4/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/testnewsapp/system/../storage/avatars/thumbs5/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/testnewsapp/system/../storage/avatars/thumbs1/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/testnewsapp/system/../storage/avatars/thumbs4/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/testnewsapp/system/../storage/avatars/thumbs5/1630055818836552.png StreetBuzz s:canadian
लिबरल पार्टी ने सांसद चंद्र आर्य को चुनाव लड़ने से रोका, भारत से करीबी संबंध की सजा

#canadianmpchandra_arya

कनाडा की लिबरल पार्टी ने भारतीय मूल के सांसद चंद्र आर्य के पार्टी नेतृत्व के लिए चुनाव लड़ने के आवेदन को तथा उनके अपने ओटावा नेपियन निर्वाचन क्षेत्र में उनके नामांकन को रद्द कर दिया। यह फैसला उन पर भारत सरकार से करीबी संबंध रखने के आरोपों के बीच आया है। चंद्र पिछले साल भारत दौरे पर आए थे और पीएम मोदी से मिले थे। उस वक्त कनाडा और भारत के रिश्तों में तनाव था, आर्य ने कनाडा सरकार को भारत की अपनी यात्रा के बारे में सूचित नहीं किया था।

'ग्लोब एंड मेल डेल' अखबार ने एक शीर्ष सूत्र के हवाले से कहा, चंद्र आर्य पिछले साल अगस्त में भारत आए थे और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिले थे। उन्होंने इस यात्रा की जानकारी कनाडा सरकार को नहीं दी, जबकि कनाडा और भारत के संबंध उस समय तनावपूर्ण थे।

सूत्रों के मुताबिक कनाडियन सिक्योरिटी इंटेलिजेंस सर्विस (सीएसआईएस) ने भारत सरकार के साथ आर्य के कथित करीबी संबंधों को लेकर कनाडा सरकार को जानकारी दी थी।

आरोपों पर क्या बोले चंद्र आर्य ?

चंद्र आर्य ने इन आरोपों को खारिज किया है। भारतीय मूल के सांसद चंद्र आर्य ने कहा, मेरा टिकट भारत से करीबी संबंध रखने की वजह से नहीं कटा। एक सांसद होने के नाते मैं कई राजनयिकों और राष्ट्र प्रमुखों से मिलता रहता हूं। ऐसी किसी भी मुलाकात के लिए उन्होंने सरकार से कभी भी अनुमति नहीं ली।

आर्य ने कहा कि लिबरल पार्टी की लीडरशिप और नेपियन से उनका हटाए जाने की वजह उनका खालिस्तानी आंदोलन का लगातार विरोध करना है। उन्होंने कहा, मुझे लगता है कि मुझे इसलिए निशाना बनाया गया क्योंकि मैंने कनाडा में खालिस्तानी चरमपंथ के खिलाफ खुलकर बोला है। मैंने कनाडा में रहने वाले हिंदी समुदाय के मुद्दों पर भी जोर दिया है।

आर्य कनाडा में खालिस्तानी तत्वों के खिलाफ लगातार आवाज उठाते रहे हैं। दरअसल, चंद्र आर्य ने 22 जून 2024 को कनाडा की संसद में खालिस्तानी आतंकी हरदीप सिंह निज्जर की याद में मौन रखने पर ट्रूडो सरकार की आलोचना भी की थी।

खालिस्तानी पन्नू ने ट्रूडो से शिकायत की थी

आर्य ने कनाडा में खालिस्तानी तत्वों के खिलाफ जोरदार तरीके से आवाज उठाई है। आर्य की आलोचना से चिढ़े खालिस्तानी समूहों ने अतीत में उन्हें निशाना बनाया है। अक्टूबर में अमेरिका स्थित खालिस्तानी आतंकवादी गुरपतवंत सिंह पन्नू ने तत्कालीन प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो से आर्य के खिलाफ कार्रवाई करने का आग्रह किया था।

चंद्र पहले जस्टिन ट्रूडो के करीबी माने जाते थे, लेकिन खालिस्तानी आतंकवाद और चरमपंथ को लेकर ट्रूडो के रुख के बाद आर्य उनके धुर विरोधी बन गए।

क्या है चंद्र आर्य का भारत कनेक्शन

चंद्र आर्य का जुड़ाव भारत के कर्नाटक से है। उनका जन्म कर्नाटक के तुमकुर जिले के द्वारलू गांव में हुआ। उन्होंने धारवाड़ के कर्नाटक विश्वविद्यालय से एमबीए किया। 2006 में कनाडा जाने के बाद उन्होंने पहले इंडो-कनाडा ओटावा बिजनेस चैंबर के अध्यक्ष के रूप में काम किया और बाद में 2015 के कनाडाई संघीय चुनाव में नेपियन राइडिंग से सांसद बने। उन्हें 2019 और 2021 में भी दोबारा चुना गया।

कनाडाई जांच एजेंसी ने कहा- निज्‍जर की हत्‍या में भारत क हाथ नहीं, ट्रूडो के आरोपों को किया खारिज

#canadian_report_says_no_definitive_link_to_foreign_state_proven_in_nijjar_killing

कनाडा के निवर्तमान प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो को उन्हें के देश की जेंसी ने बड़ा झटका दिया है। विदेशी हस्तक्षेप पर कनाडा सरकार की तरफ से गठित मैरी जोसी हॉग आयोग ने भारत को बेदाग करार दिया है। कनाडा की जांच आयुक्त मैरी-जोसे हॉग ने खालिस्तानी आतंकी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या में भारत की संलिप्तता के आरोपों का खंडन किया है।

हॉग आयोग की रिपोर्ट में दावा किया गया है कि भारत ने हरदीप सिंह निज्जर की हत्या को लेकर गलत सूचनाएं फैलाईं। हालांकि इसमें यह भी साफ कर दिया गया कि निज्जर की हत्या में भारतीय एजेंसियों के संबंध को साबित करने को लेकर कोई ठोस लिंक नहीं है। रिपोर्ट के अनुसार, यह हरदीप सिंह निज्जर की हत्या में संदिग्ध भारतीय संलिप्तता के बारे में पीएम ट्रूडो की घोषणा के बाद चलाए गए गलत सूचना अभियान के मामले में हो सकता है। हालांकि, फिर भी किसी विदेशी संलिप्तता का कोई प्रमाणिक संबंध साबित नहीं हो सका। बता दें कि जून 2023 में ब्रिटिश कोलंबिया के सरे में निज्जर की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी।

123 पन्नों की रिपोर्ट में, छह भारतीय राजनयिकों को निष्काषित किए जाने का भी जिक्र किया गया है। रिपोर्ट के अनुसार, 'अक्तूबर 2024 में, कनाडा ने भारत सरकार से जुड़े एजेंटों द्वारा कनाडाई नागरिकों के खिलाफ लक्षित अभियान की प्रतिक्रिया में छह भारतीय राजनयिकों और वाणिज्य दूतावास अधिकारियों को निष्काषित कर दिया।' हालांकि, भारत ने भी इसके जवाब में छह कनाडाई राजनयिकों को निष्कासित किया और अपने उच्चायुक्त को वापस बुलाने की घोषणा की।

वहीं, इस रिपोर्ट में भारत, रूस, चीन और पाकिस्तान को कनाडा के अंदरूनी मामलों में हस्तक्षेप करने के लिए जिम्मेदार ठहराया गया है। इसमें कहा गया है कि भारत ने चुनाव में तीन राजनीतिक दलों के उम्मीदवारों को चुपचाप पैसे से मदद की है। इसके लिए प्रॉक्सी एजेंटों का इस्तेमाल हुआ है।

हालांकि भारतीय विदेश मंत्रालय ने भारत के हस्तक्षेप संबंधी बातों को पूरी तरह से खारिज किया है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रंधीर जायसवाल ने कहा, हकीकत यह है कि कनाडा भारत के आंतरिक मामलों में लगातार हस्तक्षेप करता रहा है।

बता दें कि कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने नवंबर 2023 में देश की संसद में आरोप लगाया था कि हरदीप सिंह निज्जर की हत्या में भारतीय राजनयिक समेत कई लोग शामिल थे। ट्रूडो ने कहा था कि उनके पास इससे जुड़े सबूत भी हैं। कनाडाई प्रधानमंत्री के आरोपों के बाद भारत और कनाडा के बीच राजनयिक तनाव बढ़ गया था।

आदतों से बाज नहीं आ रहा कनाडा, अब लगाया चुनाव में दखल का आरोप, भारत ने लगाई लताड़

#india_slams_justin_trudeau_canadian_commission_report_on_election_interference

भारत-कनाडा के बीच जारी कूटनीतिक तनाव कम होने का नाम नहीं ले रहा है। इसी बीच कनाडा ने भारत पर चुनावों में दखल देने का आरोप लगाया गया है।कनाडा में विदेशी हस्तक्षेप की जांच कर रहे एक आयोग ने भारत पर चुनावी दखल देने का आरोप लगाया है। भारत ने सख्ती से इसका जवाब दिया है। दरअसल, कनाडा की राष्ट्रीय सुरक्षा और संसद सदस्यों की खुफिया कमिटी की एक रिपोर्ट में कहा गया था कि कनाडा के कुछ सांसद प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष तौर पर विदेशी दखल में शामिल थे।भारत के विदेश मंत्रालय ने इन आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया है।

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा कि हमने कनाडा चुनाव में हस्तक्षेप पर कथित गतिविधियों के बारे में एक रिपोर्ट देखी है। वास्तव में यह कनाडा ही है जो भारत के आंतरिक मामलों में लगातार हस्तक्षेप करता रहा है। इससे अवैध प्रवास और संगठित आपराधिक गतिविधियों के लिए भी माहौल तैयार हुआ है। मंत्रालय ने कहा कि हम भारत पर आक्षेप लगाने वाली रिपोर्ट को खारिज करते हैं। उम्मीद करते हैं कि अवैध प्रवासन को सक्षम करने वाली सहायता प्रणाली को आगे बरकरार नहीं रखा जाएगा।

इससे पहले कनाडा की एक जांच रिपोर्ट में आरोप लगाए गए कि भारत प्रॉक्सी एजेंटों के माध्यम से तीन राजनीतिक दलों के उम्मीदवारों को गुप्त रूप से वित्तीय मदद दे रहा था। रिपोर्ट के अनुसार भारत चुनावी प्रक्रिया को प्रभावित करने वाला दूसरा सबसे सक्रिय देश था। हालांकि आयोग की चेयरपर्सन मैरी-जोसे होग ने यह भी स्वीकार किया कि कोई प्रत्यक्ष प्रमाण नहीं मिला कि कनाडाई सांसदों ने किसी विदेशी सरकार के साथ मिलकर साजिश रची थी। रिपोर्ट में पाकिस्तान पर भी 2019 के चुनावों से पहले लिबरल पार्टी को प्रभावित करने की कोशिश करने का आरोप लगाया गया है।

कनाडा के एक अखबार की रिपोर्ट में आरोप लगाया गया था कि भारत ने संघीय चुनाव में तीन राजनीतिक दलों के उम्मीदवारों को गुप्त वित्तीय सहायता प्रदान करने के लिए प्रॉक्सी एजेंटों का इस्तेमाल किया। इस मामले में तत्कालीन पीएम जस्टिन ट्रूडो ने सितंबर 2023 में न्यायमूर्ति मैरी जोस हॉग को चीन, रूस और अन्य देशों द्वारा चुनावों में किए गए हस्तक्षेप की जांच के लिए बने आयोग के नेतृत्व का जिम्मा सौंपा था।

पिछले साल कनाडाई सुरक्षा खुफिया सेवा ने भारत पर चुनाव में हस्तक्षेप का आरोप लगाया था। कनाडाई खुफिया विभाग ने कहा था कि कनाडा में भारत सरकार का एक सरकारी प्रॉक्सी एजेंट था, जिसका चुनावों में हस्तेक्षप करने का इरादा था। 2021 में भारत सरकार ने छोटे जिलों में हस्तेक्षप करने की कोशिश की थी। भारत को लगता था कि कनाडाई चुनाव का एक हिस्सा खालिस्तानी आंदोलन और पाकिस्तान समर्थक राजनीति से जुड़ा हुआ है। दस्तावेज के अनुसार, खुफिया जानकारी के अनुसार, प्रॉक्सी एजेंट ने भारत समर्थक उम्मीदवारों को वित्तीय सहायता प्रदान की, जिससे लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं में दखल दिया जा सके।

रिपोर्ट में उस समय का जिक्र किया गया है जब कनाडा ने 14 अक्टूबर, 2024 को छह भारतीय राजनयिकों को निष्कासित कर दिया था, क्योंकि पुलिस ने सबूत जुटाए थे कि वे भारत सरकार के अभियान का हिस्सा थे। रिपोर्ट में यह भी दावा किया गया कि भारत ने हरदीप सिंह निज्जर की हत्या के संबंध में गलत सूचना फैलाई, हालांकि, रिपोर्ट ने यह कहकर खुद का खंडन किया कि कनाडा को उनकी हत्या पर किसी विदेशी राज्य से कोई लिंक नहीं मिला।

कौन हैं भारतीय मूल के सांसद चंद्र आर्य? ठोकी कनाडा में पीएम पद के लिए दावेदारी

#indianorigincanadianmpchandraaryapresentedclaimforpostof_pm

कनाडा में इस समय सियासी हलचल मची हुई है। साल 2015 से प्रधानमंत्री पद पर काबिज जस्टिन ट्रूडो ने देश में लंबे समय से चल रहे विरोध प्रदर्शन के चलते इस्तीफा देने का ऐलान कर दिया है। इसी के बाद भारतीय मूल के चंद्र आर्य ने भी पीएम पद की दावेदारी ठोकी है। इसके साथ ही कनाडा में पीएम पद की रेस में अब एक नया नाम जुड़ गया है। ट्रूडो इस्तीफे के बाद अगला नया नेता चुने जाने तक देश के प्रधानमंत्री पद पर रहेंगे। नए प्रधानमंत्री चुने जाने के बाद वह प्रधानमंत्री पद से हट जाएंगे। ऐसे में कई नेता अब पीएम पद की रेस में है।

कनाडा के भारतीय मूल के सांसद चंद्र आर्य ने गुरुवार को घोषणा की कि वे कनाडा के अगले प्रधानमंत्री बनने की दौड़ में शामिल होंगे। चंद्र आर्य ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पोस्ट करते हुए कहा कि वह कनाडा के अगले प्रधानमंत्री बनकर देश के पुनर्निर्माण और समृद्धि की दिशा में काम करना चाहते हैं। एक वीडियो बयान में आर्य ने कहा कि यदि कनाडा की जनता उन्हें निर्वाचित करती है तो तो वे एक कुशल और छोटी सरकार का नेतृत्व करेंगे, जो देश के पुनर्निर्माण और भविष्य की पीढ़ियों के लिए समृद्धि सुनिश्चित करेगी। उन्होंने कहा कि मैंने हमेशा कनाडाई लोगों के लिए सबसे अच्छा काम किया है। हमें ऐसे साहसिक निर्णय लेने होंगे जो हमारी आने वाली पीढ़ियों के लिए उपयोगी होंगी।

चंद्र आर्य कनाडा के ओटावा से सांसद हैं। उनकी घोषणाओं में कई नीति प्रस्ताव भी शामिल हैं, जिनमें 2040 तक सेवानिवृत्ति की आयु में दो साल की बढ़ोतरी और नागरिकता-आधारित कर प्रणाली की शुरुआत शामिल है। आर्य ने कहा कि उन्हें कनाडा का अगला प्रधानमंत्री बनने के लिए चुनाव लड़ने की प्रेरणा मिली है ताकि देश को पुनर्निर्माण और भविष्य की पीढ़ियों के लिए समृद्धि सुनिश्चित की जा सके। साथ ही आर्य ने यह भी कहा कि कनाडा को ऐसे नेतृत्व की आवश्यकता है जो बड़े और कठिन निर्णय लेने से न डरें। वह हमेशा लिबरल पार्टी की नीतियों से सहमत नहीं रहे हैं और हाल ही में उन्होंने कनाडा में विदेशी हस्तक्षेप के खिलाफ एक याचिका का समर्थन किया था।

कर्नाटक से रखते हैं तालुक

चंद्र आर्य का जन्म कर्नाटक के तुमकुर जिले के द्वारलू गांव में हुआ था और उन्होंने धारवाड़ के कर्नाटक विश्वविद्यालय से एमबीए किया। 2006 में कनाडा जाने के बाद, उन्होंने पहले इंडो-कनाडा ओटावा बिजनेस चैंबर के अध्यक्ष के रूप में काम किया और बाद में 2015 के कनाडाई संघीय चुनाव में नेपियन राइडिंग से सांसद बने। उन्हें 2019 और 2021 में भी दोबारा चुना गया।

चंद्र आर्य की राजनीति में सक्रियता विशेष रूप से भारतीय समुदाय और कनाडा के समाज के महत्वपूर्ण मुद्दों पर रही है। उन्होंने 2022 में कनाडा के हाउस ऑफ कॉमन्स में अपनी मातृभाषा कन्नड़ में भाषण दिया और टोरंटो में हिंदू मंदिरों की तोड़फोड़ के मामलों में भी मुखर रूप से अपनी आवाज उठाई। इस हमले के लिए उन्होंने खालिस्तानी चरमपंथियों को जिम्मेदार ठहराया।

कनाडा फिर बैकफुट, पीएम मोदी, जयशंकर और डोभाल पर किए गए दावे से पलटा

#canada_justin_trudeau_govt_rejects_canadian_media_report

पहले दावे करना और फिर उससे पलट जाना। हरदीप सिंह निज्जर मामले में कनाडा एक बार फिर अपने दावों से पीछे हट गई है। कनाडा सरकार ने माना है कि निज्जर हत्याकांड में पीएम मोदी, एस जयशंकर और अजित डोभाल का न तो कोई कनेक्शन है और न ही कोई सबूत है। ट्रूडो सरकार ने उस कनाडाई मीडिया के दावे को खारिज किया है, जिसने यह आरोप लगाया था। इससे पहले द ग्लोब एंड मेल नाम के कनाडा के अखबार ने अपनी रिपोर्ट में लिखा है कि भारत के शीर्ष नेतृत्व को हरदीप सिंह निज्जर की हत्या की साजिश के बारे में पता था। अखबार ने आरोप लगाया गया है कि भारतीय प्रधानमंत्री को हरदीप सिंह निज्जर की हत्या के प्लान के बारे में पहले से जानकारी थी। भारत सरकार ने कनाडाई अखबार द ग्लोब एंड मेल की उस रिपोर्ट को सिरे से खारिज कर दिया था।

भारत की सख्ती के बाद कनाडा के तेवर नरम पड़ते दिख रहे हैं। भारत की सख्ती के बाद ट्रूडो सरकार ने बयान जारी किया है। कनाडाई मीडिया रिपोर्ट पर सफाई देते हुए जस्टिन सरकार ने कहा, ‘कनाडा सरकार ने यह बयान नहीं दिया है, न ही उसे प्रधानमंत्री मोदी, विदेश मंत्री जयशंकर, या एनएसए अजित डोभाल को कनाडा के भीतर गंभीर आपराधिक गतिविधि से जोड़ने वाले सबूतों की जानकारी है। यह रिपोर्ट अटकलों पर आधारित और गलत है। 

ट्रूडो सरकार ने क्या कहा?

कनाडा सरकार ने एक बयान जारी कर रहा कि, 14 अक्टूबर को सार्वजनिक सुरक्षा के लिए एक महत्वपूर्ण और निरंतर खतरे के कारण आरसीएमपी और अधिकारियों ने भारत सरकार के एजेंटों द्वारा कनाडा में गंभीर आपराधिक गतिविधि को अंजाम देने के सार्वजनिक आरोप लगाने का असाधारण कदम उठाया था। बयान में आगे कहा गया है कि, कनाडा सरकार ने प्रधानमंत्री मोदी, मंत्री जयशंकर या एनएसए अजित डोभाल के कनाडा के भीतर किसी भी तरह की आपराधिक गतिविधि में शामिल होने के कोई भी सबूत नहीं है, न ही उसे इसकी जानकारी है। 

निराधार आरोपों पर चिंताएं

कनाडा सरकार ने इस मामले में मीडिया और अन्य स्रोतों से अनुरोध किया कि वे किसी भी बिना साक्ष्य के आरोपों को बढ़ावा न दें। सरकार का कहना था कि इस तरह के निराधार आरोप अंतरराष्ट्रीय संबंधों पर नकारात्मक असर डाल सकते हैं और दोनों देशों के बीच विश्वास को भी चोट पहुंचा सकते हैं।

कनाडा सरकार का यह बयान दोनों देशों के बीच जारी तनावपूर्ण स्थिति को और स्पष्ट करता है। हालांकि, कनाडा ने यह भी माना है कि सार्वजनिक सुरक्षा के संदर्भ में गंभीर खतरे की स्थिति को ध्यान में रखते हुए उन्होंने यह कदम उठाया था, लेकिन अब इसने यह स्पष्ट कर दिया है कि भारतीय नेताओं का इस आपराधिक गतिविधियों से कोई संबंध नहीं है। अब देखने वाली बात यह होगी कि दोनों देशों के बीच रिश्ते इस स्थिति के बाद किस दिशा में आगे बढ़ते हैं।

रिपोर्ट में क्या कहा गया?

बता दें कि द ग्लोब एंड मेल नाम के कनाडा के अखबार ने मीडिया रिपोर्ट्स में इस बात का जिक्र था कि निज्जर की हत्या से जुड़े कथित प्लॉट के बारे में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, विदेश मंत्री एस जयशंकर और एनएसए अजित डोवाल को जानकारी थी और सेक्योरिटी एजेंसियों को लगता है कि इसकी जानकारी पीएम मोदी को भी हो सकती है। रिपोर्ट में ये दावे बिना नाम दिए कनाडा के नेशनल सिक्योरिटी ऑफिसर के हवाले से किए गए थे।

निज्जर की हत्या के मामले में पहली बार सीधे पीएम मोदी पर आरोप लगाए गए। हालांकि, रिपोर्ट में यह भी दावा किया गया कि इसे लेकर कानाडा सरकार के पास कोई ठोस सबूत नहीं है। इससे पहले कनाडा की संसदीय समिति के सामने वहां के उप विदेशमंत्री केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह पर भी ऐसी ही टिप्पणी कर चुके हैं। भारत ने इन पर भी कड़ी आपत्ति जताते हुए इन्हें बेतुका और निराधार बताया था। बीते दिनों विदेश मंत्रालय ने इन आरोपों को निराधार करार देते हुए कनाडा सरकार के समक्ष आधिकारिक तौर पर विरोध भी दर्ज करवाया था।

कहां थमेगा कनाडा? अब पीएम मोदी का नाम लेकर लेकर चली चाल, रिपोर्ट को भारत सरकार ने किया खारिज*
#nijjar_murder_case_india_strongly_rejects_new_canadian_media_report *
निज्जर हत्याकांड को लेकर भारत और कनाडा के रिश्तों में तल्खी बढ़ती ही जा रही है। वैसे कनाडा शायद यही चाहता भी है। तभी तो जस्टिन ट्रूडो आए दिन कोई ना कोई ऐसा धमाका कर रहें हैं, जिससे दोनों देशों के रिश्तों में दरार और गहती होती जाए। जस्टिन ट्रूडो और उनकी सरकार लगातार भारत को बदनाम करने में लगी है।इस बीच कनाडा ने भारत के खिलाफ एक और जहर उगला है। एक कनाडाई अखबार ने अपनी रिपोर्ट में लिखा है कि भारत के शीर्ष नेतृत्व को हरदीप सिंह निज्जर की हत्या की साजिश के बारे में पता था। अखबार ने आरोप लगाया गया है कि भारतीय प्रधानमंत्री को हरदीप सिंह निज्जर की हत्या के प्लान के बारे में पहले से जानकारी थी। हालांकि, भारत सरकार ने कनाडाई अखबार द ग्लोब एंड मेल की उस रिपोर्ट को सिरे से खारिज कर दिया है। भारतीय विदेश मंत्रालय ने कहा कि कनाडाई मीडिया का यह रिपोर्ट भारत को बदनाम करने वाला है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा कि हम इस तरह के बयान को खारिज करते हैं। यह एक तरह का हास्यास्पद बयान है। रणधीर जायसवाल ने कहा कि इस तरह का दुष्प्रचार अभियान पहले से ही तनावपूर्ण संबंधों के लिए और नुकसान देह साबित होगा। बता दें कि द ग्लोब एंड मेल नाम के कनाडा के अखबार ने मीडिया रिपोर्ट्स में इस बात का जिक्र था कि निज्जर की हत्या से जुड़े कथित प्लॉट के बारे में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, विदेश मंत्री एस जयशंकर और एनएसए अजित डोवाल को जानकारी थी। और सेक्योरिटी एजेंसियों को लगता है कि इसकी जानकारी पीएम मोदी को भी हो सकती है। रिपोर्ट में ये दावे बिना नाम दिए कनाडा के नेशनल सिक्योरिटी ऑफिसर के हवाले से किए गए हैं। निज्जर की हत्या के मामले में यह पहली बार है जब सीधे पीएम मोदी पर आरोप लगाए गए हैं। हालांकि, रिपोर्ट में यह भी दावा किया गया है कि इसे लेकर कानाडा सरकार के पास कोई ठोस सबूत नहीं है। इससे पहले कनाडा की संसदीय समिति के सामने वहां के उप विदेशमंत्री केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह पर भी ऐसी ही टिप्पणी कर चुके हैं। भारत ने इन पर भी कड़ी आपत्ति जताते हुए इन्हें बेतुका और निराधार बताया था। बीते दिनों विदेश मंत्रालय ने इन आरोपों को निराधार करार देते हुए कनाडा सरकार के समक्ष आधिकारिक तौर पर विरोध भी दर्ज करवाया था। 18 जून, 2023 की शाम को सरे शहर के एक गुरुद्वारे से निकलते समय निज्जर की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। कनाडा के प्रधानमंत्री ट्रूडो ने भारत सरकार पर निज्जर की हत्या में शामिल होने का आरोप लगाया था, जिसे भारत ने खारिज किया था। इसके बाद कनाडा की ओर से लगातार इस तरह के आरोप लगाए जा रहे हैं। जिसके बाद से दोनों देशों के आपसी रिश्तों में तल्खी काफी ज्यादा बढ़ गई है।
कनाडा के वॉलमार्ट ओवन में मिला सिख युवती का मृत शरीर,जांच अभी तक जारी

#sikhteenfounddeadincanadianwalmartoveninvestigationgoingon

Walmart Canada

कनाडा के हैलिफ़ैक्स शहर में वॉलमार्ट स्टोर के बेकरी विभाग के वॉक-इन ओवन के अंदर एक 19 वर्षीय सिख महिला मृत पाई गई। हैलिफ़ैक्स क्षेत्रीय पुलिस (एचआरपी) ने कहा कि उन्हें शनिवार रात करीब साढ़े नौ बजे 6990 ममफोर्ड रोड पर वॉलमार्ट में अचानक मौत की सूचना मिली।

पुलिस के अनुसार, महिला, जिसकी पहचान नहीं हो पाई है, स्टोर में कार्यरत थी। पुलिस ने कहा, उसका शव वॉक-इन ओवन में पाया गया। मैरीटाइम सिख सोसाइटी ने सीटीवी न्यूज से पुष्टि की कि वह उनके समुदाय की सदस्य थी। मैरीटाइम सिख सोसाइटी के अनमोलप्रीत सिंह ने कहा, "यह हमारे लिए, उसके परिवार के लिए भी बहुत दुखद है, क्योंकि वह बेहतर भविष्य के लिए आई थी और उसने अपनी जान गंवा दी।"

जांच में कठिनाइयां

एचआरपी कांस्टेबल मार्टिन क्रॉमवेल ने कहा कि पुलिस को महिला की मौत के कारण के बारे में हो रहे ऑनलाइन अटकलों की जानकारी है । क्रॉमवेल ने कहा, "जांच जटिल है।"

द ग्लोब एंड मेल अखबार ने कहा कि वह हाल ही में भारत से कनाडा गई थी। दुकान शनिवार रात से बंद है जबकि जांच जारी है। "हम समझते हैं कि जनता इसमें शामिल है, और हम बस जनता को हमारी जांच में धैर्य रखने के लिए प्रोत्साहित करना चाहते थे और ध्यान रखना चाहते हैं क्योंकि इसमें परिवार के सदस्य और सहकर्मी भी शामिल हैं।" क्रॉमवेल ने कहा कि हैलिफ़ैक्स पुलिस जांच में मदद के लिए उपयुक्त एजेंसियों के साथ समन्वय कर रही है।

एचआरपी ने मंगलवार को एक बयान में कहा, "हम जनता से सोशल मीडिया पर काल्पनिक जानकारी साझा करने से सावधान रहने का आग्रह करते हैं।" प्रांत के श्रम विभाग के एक आलोचक ने कहा कि वॉलमार्ट स्टोर में बेकरी और "उपकरण के एक टुकड़े" के लिए काम रोकने का आदेश जारी किया गया है। एचआरपी ने कहा, "यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि जांच अभी तक उस बिंदु तक नहीं पहुंची है जहां मौत के कारण और तरीके की पुष्टि की गई हो।"

नोवा स्कोटिया के मेडिकल परीक्षक मौत का कारण निर्धारित करने के लिए काम कर रहे हैं, और प्रांत का स्वास्थ्य और सुरक्षा विभाग जांच में भाग ले रहा है।

वॉक-इन ओवन, जिन्हें कैबिनेट या बैच ओवन भी कहा जाता है, पहिएदार रैक या कार्ट का उपयोग करके बैचों में , सुखाने या बेकिंग की अनुमति देते हैं। वे अक्सर सुपरमार्केट जैसी जगहों पर बड़ी मात्रा में बेकरी में पाए जाते हैं।

वॉलमार्ट कनाडा ने एक बयान में कहा कि कंपनी दुखी है और उनकी संवेदनाएं महिला के परिवार के साथ हैं।

भारत के सख्त एक्शन से बौखलाए जस्टिन ट्रूडो, बोले-हम लड़ाई नहीं चाहते, लेकिन…

#justintrudeaureactiononindiaactionexpelledsixcanadian_diplomats

कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो की वजह से भारत और कनाडा के रिश्ते बेहद खराब दौर में पहुंच चुके हैं। भारत ने कनाडा के छह राजनियकों को देश छोड़ने का आदेश दिया है। वहीं कनाडा में मौजूद अपने राजनयिकों को वापस बुला लिया है। इनमें कार्यवाहक उच्चायुक्त स्टीवर्ट व्हीलर, उप उच्चायुक्त पैट्रिक हेबर्ट, सचिव मैरी कैथरीन जोली, सचिव लैन रॉस डेविड ट्राइट्स, सचिव एडम जेम्स चुइपका और सचिव पाउला ओर जुएला को 19 अक्टूबर की रात या उससे पहले भारत छोड़ने के लिए कहा गया है। इस बीच जस्टिन ट्रूडो का बयान सामने आया है।

कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने कहा कि कनाडा ने पिछले साल एक कनाडाई नागरिक की हत्या में भारतीय अधिकारियों की संलिप्तता के आरोपों से संबंधित सभी जानकारी अपने 'फाइव आईज' भागीदारों, विशेष रूप से अमेरिका के साथ साझा की है। ट्रूडो ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए कहा,"भारत ने सोमवार को छह कनाडाई राजनयिकों को निष्कासित कर दिया और हरदीप सिंह निज्जर की हत्या की जांच से जुड़े आरोपों खारिज कर दिया है। इसके बाद कनाडा ने अपने उच्चायुक्त और अन्य अधिकारियों को वापस देश बुला लिया है। जस्टिन ट्रूडो ने कहा कि मैंने पीएम मोदी से बात की और कहा था कि भारत इस मामले को गंभीरता से ले।"

हमने जानबूझकर संबंधों में तनाव पैदा करना नहीं चुना-ट्रूडो

ट्रूडो ने कहा है कि हमने जानबूझकर कनाडा-भारत संबंधों में तनाव पैदा करने के लिए नहीं चुना है। भारत एक महत्वपूर्ण लोकतंत्र है, एक ऐसा देश है जिसके साथ हमारे लोगों के बीच गहरे ऐतिहासिक व्यापारिक संबंध हैं। हम यह लड़ाई नहीं चाहते हैं, लेकिन जाहिर तौर पर कनाडा की धरती पर एक कनाडाई की हत्या कुछ ऐसी बात नहीं है एक देश के रूप में हम इसे नजरअंदाज कर सकते हैं।

भारत सरकार पर सहयोग नहीं करने का आरोप

कैनेडियन पीएम ने आगे कहा, ‘एक ऐसा रास्ता था जहां हम जवाबदेही और बदलाव सुनिश्चित करने के लिए मिलकर काम कर सकते थे और ऐसे कदम उठा सकते थे जिससे कनाडाई सुरक्षित रहें, क्योंकि यह हमारी सर्वोच्च प्राथमिकता है। भारत, भारतीय सरकार ने उन प्रयासों को अस्वीकार कर दिया। इस समस्या से निपटने के हमारे प्रयासों को अस्वीकार कर दिया और इसने हमें इस बिंदु पर ला खड़ा किया कि हमें कनाडा में भारतीय राजनयिकों से लेकर आपराधिक संगठनों तक की गतिविधियों की चैन को बाधित करना पड़ा, जो पूरे देश में कनाडाई लोगों पर सीधे हिंसक प्रभाव डालती हैं।

ट्रूडो का गंभीर आरोप

ट्रूडो ने कहा, ‘जैसा कि रॉयल कैनेडियन माउंटेड पुलिस (RCMP) कमिश्नर ने पहले कहा था, उनके पास साफ और ठोस सबूत है। भारत सरकार के एजेंट सार्वजनिक सुरक्षा के लिए खतरा पैदा करने वाली गतिविधियों में लगे हुए हैं। इसमें खुफिया जानकारी इकट्ठा करना, दक्षिण एशियाई कनाडाई लोगों को टारगेट कर हत्या सहित धमकी देने जैसे मामले शामिल हैं। ये अस्वीकार्य है। रॉयल कैनेडियन माउंटेड पुलिस ने सबूत साझा करने के लिए भारतीय अधिकारियों से मुलाकात की, जिसमें ये निष्कर्ष निकाला गया कि भारत सरकार के 6 एजेंट आपराधिक गतिविधियों में शामिल हैं। भारत सरकार से बार-बार अनुरोध करने के बावजूद उन्होंने सहयोग नहीं किया।

कनाडा के खिलाफ भारत का सख्त एक्शन, 6 राजनयिकों को निकाला

#6_canadian_diplomats_expelled_from_india_ordered_to_leave_country

कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो भारत के साथ रिश्ते तल्ख करने पर उतारू हैं। खालिस्तानी हरदीप सिंह निज्जर मामले में कनाडा ने एक बार फिर भारत विरोधी बयान दिया है। जिसके बाद भारत ने सख्त एक्शन लेते हुए कनाडा के 6 राजनयिकों को निष्कासित कर दिया है। वहीं, कनाडा से अपने उच्चायुक्त और अन्य राजनायिकों को वापस बुला लिया है।

ट्रूडो सरकार की ओर से कनाडा में तैनात भारतीय उच्चायुक्त संजय कुमार वर्मा और अन्य अफसरों को निगरानी सूची में शामिल करने के बाद भारत ने अपने इन सभी डिप्लोमेट्स को वापस बुलाने का फैसला किया है। साथ ही कनाडा के राजनयिकों को निष्कासित कर दिया है। जिन 6 कनाडाई राजनयिकों को निष्कासित करने का निर्णय लिया है, उनके नाम स्टीवर्ट रॉस व्हीलर (कार्यवाहक उच्चायुक्त), पैट्रिक हेबर्ट (उप उच्चायुक्त), मैरी कैथरीन जोली (प्रथम सचिव), लैन रॉस डेविड ट्राइट्स (प्रथम सचिव), एडम जेम्स चुइप्का (प्रथम सचिव) और पाउला ओरजुएला (प्रथम सचिव)। इन्हें शनिवार 19 अक्टूबर को रात 12 बजे से पहले भारत छोड़ने के लिए कहा गया है।

भारतीय विदेश मंत्रालय ने बयान जारी कर कहा कि कनाडा में जारी उग्रवाद और हिंसा के माहौल में, ट्रूडो सरकार के कार्यों ने हमारे राजनयिकों की सुरक्षा को खतरे में डाल दिया है। हमें उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करने की वर्तमान कनाडाई सरकार की प्रतिबद्धता पर कोई भरोसा नहीं है। लिहाजा भारत सरकार ने अपने उच्चायुक्त और अन्य संबंधित राजनयिकों व अधिकारियों को कनाडा से वापस बुलाने का फैसला किया है।

बता दें कि कनाडा में करीब 7 प्रतिशत भारतीय रहते हैं। इनमें सिखों की आबादी करीब 2 प्रतिशत है। सिख वहां का एक प्रभावशाली समुदाय बन चुका है। वहां पर सिखों की बड़ी पार्टी न्यू डेमोक्रेटिक पार्टी है, जिसकी अगुवाई जगमीत सिंह करता है। इस पार्टी से जुड़े अधिकतर नेता खालिस्तान समर्थक हैं और खुलकर भारत विरोधी एजेंडा चलाते हैं। भारत में खालिस्तानी आतंकवाद भड़काने में भी इसी पार्टी का बड़ा हाथ रहा है। भारत में अपराध कर भाग जाने वाले सिख आरोपियों को इस पार्टी की ओर से शरण दी जाती है। भारत की ओर से कई बार इन तत्वों पर अंकुश लगाने की मांग की गई। लेकिन सिख वोटों के लालच में ट्रूडो हमेशा इस मांग की अनदेखी करते रहे हैं।

पिछले साल कनाडा में खालिस्तानी आतंकी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या के बाद ट्रूडो को अपनी राजनीति चमकाने का और मौका मिल गया।ट्रूडो ने बिना जांच पूरी हुए भारत पर इस हत्या में शामिल होने का आरोप लगा दिया। साथ ही भारत के उच्चायुक्त संजय कुमार वर्मा की ओर भी उंगली उठाई। भारत ने सख्ती के साथ न केवल ट्रूडो के इन आरोपों को खारिज किया बल्कि उनसे घटना के संबंध में ठोस सबूत भी मांगे लेकिन डेढ़ साल बाद भी ट्रूडो सरकार ये सबूत मुहैया नहीं करवा पाई है।

अब कनाडा में एक बार फिर चुनाव आने वाले हैं। ऐसे में एक बार फिर ट्रूडो सरकार ने खालिस्तानी आतंकी निज्जर की हत्या मामले को उठाया है। कनाडा की सरकार ने खालीस्तानी आतंकी निज्जर हत्याकांड की जांच में भारतीय हाई कमिश्नर और डिप्लोमेट्स को पर्सन ऑफ इंटरेस्ट बताया गया है।ट्रूडो को लगता है कि ये सब कर के उनको खालिस्तानियों के वोट हासिल कर सकेंगे।

Canadian journalist Daniel Bordman says, " India is doing better than before
Canadian journalist Daniel Bordman says, " India is doing better than before
लिबरल पार्टी ने सांसद चंद्र आर्य को चुनाव लड़ने से रोका, भारत से करीबी संबंध की सजा

#canadianmpchandra_arya

कनाडा की लिबरल पार्टी ने भारतीय मूल के सांसद चंद्र आर्य के पार्टी नेतृत्व के लिए चुनाव लड़ने के आवेदन को तथा उनके अपने ओटावा नेपियन निर्वाचन क्षेत्र में उनके नामांकन को रद्द कर दिया। यह फैसला उन पर भारत सरकार से करीबी संबंध रखने के आरोपों के बीच आया है। चंद्र पिछले साल भारत दौरे पर आए थे और पीएम मोदी से मिले थे। उस वक्त कनाडा और भारत के रिश्तों में तनाव था, आर्य ने कनाडा सरकार को भारत की अपनी यात्रा के बारे में सूचित नहीं किया था।

'ग्लोब एंड मेल डेल' अखबार ने एक शीर्ष सूत्र के हवाले से कहा, चंद्र आर्य पिछले साल अगस्त में भारत आए थे और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिले थे। उन्होंने इस यात्रा की जानकारी कनाडा सरकार को नहीं दी, जबकि कनाडा और भारत के संबंध उस समय तनावपूर्ण थे।

सूत्रों के मुताबिक कनाडियन सिक्योरिटी इंटेलिजेंस सर्विस (सीएसआईएस) ने भारत सरकार के साथ आर्य के कथित करीबी संबंधों को लेकर कनाडा सरकार को जानकारी दी थी।

आरोपों पर क्या बोले चंद्र आर्य ?

चंद्र आर्य ने इन आरोपों को खारिज किया है। भारतीय मूल के सांसद चंद्र आर्य ने कहा, मेरा टिकट भारत से करीबी संबंध रखने की वजह से नहीं कटा। एक सांसद होने के नाते मैं कई राजनयिकों और राष्ट्र प्रमुखों से मिलता रहता हूं। ऐसी किसी भी मुलाकात के लिए उन्होंने सरकार से कभी भी अनुमति नहीं ली।

आर्य ने कहा कि लिबरल पार्टी की लीडरशिप और नेपियन से उनका हटाए जाने की वजह उनका खालिस्तानी आंदोलन का लगातार विरोध करना है। उन्होंने कहा, मुझे लगता है कि मुझे इसलिए निशाना बनाया गया क्योंकि मैंने कनाडा में खालिस्तानी चरमपंथ के खिलाफ खुलकर बोला है। मैंने कनाडा में रहने वाले हिंदी समुदाय के मुद्दों पर भी जोर दिया है।

आर्य कनाडा में खालिस्तानी तत्वों के खिलाफ लगातार आवाज उठाते रहे हैं। दरअसल, चंद्र आर्य ने 22 जून 2024 को कनाडा की संसद में खालिस्तानी आतंकी हरदीप सिंह निज्जर की याद में मौन रखने पर ट्रूडो सरकार की आलोचना भी की थी।

खालिस्तानी पन्नू ने ट्रूडो से शिकायत की थी

आर्य ने कनाडा में खालिस्तानी तत्वों के खिलाफ जोरदार तरीके से आवाज उठाई है। आर्य की आलोचना से चिढ़े खालिस्तानी समूहों ने अतीत में उन्हें निशाना बनाया है। अक्टूबर में अमेरिका स्थित खालिस्तानी आतंकवादी गुरपतवंत सिंह पन्नू ने तत्कालीन प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो से आर्य के खिलाफ कार्रवाई करने का आग्रह किया था।

चंद्र पहले जस्टिन ट्रूडो के करीबी माने जाते थे, लेकिन खालिस्तानी आतंकवाद और चरमपंथ को लेकर ट्रूडो के रुख के बाद आर्य उनके धुर विरोधी बन गए।

क्या है चंद्र आर्य का भारत कनेक्शन

चंद्र आर्य का जुड़ाव भारत के कर्नाटक से है। उनका जन्म कर्नाटक के तुमकुर जिले के द्वारलू गांव में हुआ। उन्होंने धारवाड़ के कर्नाटक विश्वविद्यालय से एमबीए किया। 2006 में कनाडा जाने के बाद उन्होंने पहले इंडो-कनाडा ओटावा बिजनेस चैंबर के अध्यक्ष के रूप में काम किया और बाद में 2015 के कनाडाई संघीय चुनाव में नेपियन राइडिंग से सांसद बने। उन्हें 2019 और 2021 में भी दोबारा चुना गया।

कनाडाई जांच एजेंसी ने कहा- निज्‍जर की हत्‍या में भारत क हाथ नहीं, ट्रूडो के आरोपों को किया खारिज

#canadian_report_says_no_definitive_link_to_foreign_state_proven_in_nijjar_killing

कनाडा के निवर्तमान प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो को उन्हें के देश की जेंसी ने बड़ा झटका दिया है। विदेशी हस्तक्षेप पर कनाडा सरकार की तरफ से गठित मैरी जोसी हॉग आयोग ने भारत को बेदाग करार दिया है। कनाडा की जांच आयुक्त मैरी-जोसे हॉग ने खालिस्तानी आतंकी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या में भारत की संलिप्तता के आरोपों का खंडन किया है।

हॉग आयोग की रिपोर्ट में दावा किया गया है कि भारत ने हरदीप सिंह निज्जर की हत्या को लेकर गलत सूचनाएं फैलाईं। हालांकि इसमें यह भी साफ कर दिया गया कि निज्जर की हत्या में भारतीय एजेंसियों के संबंध को साबित करने को लेकर कोई ठोस लिंक नहीं है। रिपोर्ट के अनुसार, यह हरदीप सिंह निज्जर की हत्या में संदिग्ध भारतीय संलिप्तता के बारे में पीएम ट्रूडो की घोषणा के बाद चलाए गए गलत सूचना अभियान के मामले में हो सकता है। हालांकि, फिर भी किसी विदेशी संलिप्तता का कोई प्रमाणिक संबंध साबित नहीं हो सका। बता दें कि जून 2023 में ब्रिटिश कोलंबिया के सरे में निज्जर की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी।

123 पन्नों की रिपोर्ट में, छह भारतीय राजनयिकों को निष्काषित किए जाने का भी जिक्र किया गया है। रिपोर्ट के अनुसार, 'अक्तूबर 2024 में, कनाडा ने भारत सरकार से जुड़े एजेंटों द्वारा कनाडाई नागरिकों के खिलाफ लक्षित अभियान की प्रतिक्रिया में छह भारतीय राजनयिकों और वाणिज्य दूतावास अधिकारियों को निष्काषित कर दिया।' हालांकि, भारत ने भी इसके जवाब में छह कनाडाई राजनयिकों को निष्कासित किया और अपने उच्चायुक्त को वापस बुलाने की घोषणा की।

वहीं, इस रिपोर्ट में भारत, रूस, चीन और पाकिस्तान को कनाडा के अंदरूनी मामलों में हस्तक्षेप करने के लिए जिम्मेदार ठहराया गया है। इसमें कहा गया है कि भारत ने चुनाव में तीन राजनीतिक दलों के उम्मीदवारों को चुपचाप पैसे से मदद की है। इसके लिए प्रॉक्सी एजेंटों का इस्तेमाल हुआ है।

हालांकि भारतीय विदेश मंत्रालय ने भारत के हस्तक्षेप संबंधी बातों को पूरी तरह से खारिज किया है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रंधीर जायसवाल ने कहा, हकीकत यह है कि कनाडा भारत के आंतरिक मामलों में लगातार हस्तक्षेप करता रहा है।

बता दें कि कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने नवंबर 2023 में देश की संसद में आरोप लगाया था कि हरदीप सिंह निज्जर की हत्या में भारतीय राजनयिक समेत कई लोग शामिल थे। ट्रूडो ने कहा था कि उनके पास इससे जुड़े सबूत भी हैं। कनाडाई प्रधानमंत्री के आरोपों के बाद भारत और कनाडा के बीच राजनयिक तनाव बढ़ गया था।

आदतों से बाज नहीं आ रहा कनाडा, अब लगाया चुनाव में दखल का आरोप, भारत ने लगाई लताड़

#india_slams_justin_trudeau_canadian_commission_report_on_election_interference

भारत-कनाडा के बीच जारी कूटनीतिक तनाव कम होने का नाम नहीं ले रहा है। इसी बीच कनाडा ने भारत पर चुनावों में दखल देने का आरोप लगाया गया है।कनाडा में विदेशी हस्तक्षेप की जांच कर रहे एक आयोग ने भारत पर चुनावी दखल देने का आरोप लगाया है। भारत ने सख्ती से इसका जवाब दिया है। दरअसल, कनाडा की राष्ट्रीय सुरक्षा और संसद सदस्यों की खुफिया कमिटी की एक रिपोर्ट में कहा गया था कि कनाडा के कुछ सांसद प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष तौर पर विदेशी दखल में शामिल थे।भारत के विदेश मंत्रालय ने इन आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया है।

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा कि हमने कनाडा चुनाव में हस्तक्षेप पर कथित गतिविधियों के बारे में एक रिपोर्ट देखी है। वास्तव में यह कनाडा ही है जो भारत के आंतरिक मामलों में लगातार हस्तक्षेप करता रहा है। इससे अवैध प्रवास और संगठित आपराधिक गतिविधियों के लिए भी माहौल तैयार हुआ है। मंत्रालय ने कहा कि हम भारत पर आक्षेप लगाने वाली रिपोर्ट को खारिज करते हैं। उम्मीद करते हैं कि अवैध प्रवासन को सक्षम करने वाली सहायता प्रणाली को आगे बरकरार नहीं रखा जाएगा।

इससे पहले कनाडा की एक जांच रिपोर्ट में आरोप लगाए गए कि भारत प्रॉक्सी एजेंटों के माध्यम से तीन राजनीतिक दलों के उम्मीदवारों को गुप्त रूप से वित्तीय मदद दे रहा था। रिपोर्ट के अनुसार भारत चुनावी प्रक्रिया को प्रभावित करने वाला दूसरा सबसे सक्रिय देश था। हालांकि आयोग की चेयरपर्सन मैरी-जोसे होग ने यह भी स्वीकार किया कि कोई प्रत्यक्ष प्रमाण नहीं मिला कि कनाडाई सांसदों ने किसी विदेशी सरकार के साथ मिलकर साजिश रची थी। रिपोर्ट में पाकिस्तान पर भी 2019 के चुनावों से पहले लिबरल पार्टी को प्रभावित करने की कोशिश करने का आरोप लगाया गया है।

कनाडा के एक अखबार की रिपोर्ट में आरोप लगाया गया था कि भारत ने संघीय चुनाव में तीन राजनीतिक दलों के उम्मीदवारों को गुप्त वित्तीय सहायता प्रदान करने के लिए प्रॉक्सी एजेंटों का इस्तेमाल किया। इस मामले में तत्कालीन पीएम जस्टिन ट्रूडो ने सितंबर 2023 में न्यायमूर्ति मैरी जोस हॉग को चीन, रूस और अन्य देशों द्वारा चुनावों में किए गए हस्तक्षेप की जांच के लिए बने आयोग के नेतृत्व का जिम्मा सौंपा था।

पिछले साल कनाडाई सुरक्षा खुफिया सेवा ने भारत पर चुनाव में हस्तक्षेप का आरोप लगाया था। कनाडाई खुफिया विभाग ने कहा था कि कनाडा में भारत सरकार का एक सरकारी प्रॉक्सी एजेंट था, जिसका चुनावों में हस्तेक्षप करने का इरादा था। 2021 में भारत सरकार ने छोटे जिलों में हस्तेक्षप करने की कोशिश की थी। भारत को लगता था कि कनाडाई चुनाव का एक हिस्सा खालिस्तानी आंदोलन और पाकिस्तान समर्थक राजनीति से जुड़ा हुआ है। दस्तावेज के अनुसार, खुफिया जानकारी के अनुसार, प्रॉक्सी एजेंट ने भारत समर्थक उम्मीदवारों को वित्तीय सहायता प्रदान की, जिससे लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं में दखल दिया जा सके।

रिपोर्ट में उस समय का जिक्र किया गया है जब कनाडा ने 14 अक्टूबर, 2024 को छह भारतीय राजनयिकों को निष्कासित कर दिया था, क्योंकि पुलिस ने सबूत जुटाए थे कि वे भारत सरकार के अभियान का हिस्सा थे। रिपोर्ट में यह भी दावा किया गया कि भारत ने हरदीप सिंह निज्जर की हत्या के संबंध में गलत सूचना फैलाई, हालांकि, रिपोर्ट ने यह कहकर खुद का खंडन किया कि कनाडा को उनकी हत्या पर किसी विदेशी राज्य से कोई लिंक नहीं मिला।

कौन हैं भारतीय मूल के सांसद चंद्र आर्य? ठोकी कनाडा में पीएम पद के लिए दावेदारी

#indianorigincanadianmpchandraaryapresentedclaimforpostof_pm

कनाडा में इस समय सियासी हलचल मची हुई है। साल 2015 से प्रधानमंत्री पद पर काबिज जस्टिन ट्रूडो ने देश में लंबे समय से चल रहे विरोध प्रदर्शन के चलते इस्तीफा देने का ऐलान कर दिया है। इसी के बाद भारतीय मूल के चंद्र आर्य ने भी पीएम पद की दावेदारी ठोकी है। इसके साथ ही कनाडा में पीएम पद की रेस में अब एक नया नाम जुड़ गया है। ट्रूडो इस्तीफे के बाद अगला नया नेता चुने जाने तक देश के प्रधानमंत्री पद पर रहेंगे। नए प्रधानमंत्री चुने जाने के बाद वह प्रधानमंत्री पद से हट जाएंगे। ऐसे में कई नेता अब पीएम पद की रेस में है।

कनाडा के भारतीय मूल के सांसद चंद्र आर्य ने गुरुवार को घोषणा की कि वे कनाडा के अगले प्रधानमंत्री बनने की दौड़ में शामिल होंगे। चंद्र आर्य ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पोस्ट करते हुए कहा कि वह कनाडा के अगले प्रधानमंत्री बनकर देश के पुनर्निर्माण और समृद्धि की दिशा में काम करना चाहते हैं। एक वीडियो बयान में आर्य ने कहा कि यदि कनाडा की जनता उन्हें निर्वाचित करती है तो तो वे एक कुशल और छोटी सरकार का नेतृत्व करेंगे, जो देश के पुनर्निर्माण और भविष्य की पीढ़ियों के लिए समृद्धि सुनिश्चित करेगी। उन्होंने कहा कि मैंने हमेशा कनाडाई लोगों के लिए सबसे अच्छा काम किया है। हमें ऐसे साहसिक निर्णय लेने होंगे जो हमारी आने वाली पीढ़ियों के लिए उपयोगी होंगी।

चंद्र आर्य कनाडा के ओटावा से सांसद हैं। उनकी घोषणाओं में कई नीति प्रस्ताव भी शामिल हैं, जिनमें 2040 तक सेवानिवृत्ति की आयु में दो साल की बढ़ोतरी और नागरिकता-आधारित कर प्रणाली की शुरुआत शामिल है। आर्य ने कहा कि उन्हें कनाडा का अगला प्रधानमंत्री बनने के लिए चुनाव लड़ने की प्रेरणा मिली है ताकि देश को पुनर्निर्माण और भविष्य की पीढ़ियों के लिए समृद्धि सुनिश्चित की जा सके। साथ ही आर्य ने यह भी कहा कि कनाडा को ऐसे नेतृत्व की आवश्यकता है जो बड़े और कठिन निर्णय लेने से न डरें। वह हमेशा लिबरल पार्टी की नीतियों से सहमत नहीं रहे हैं और हाल ही में उन्होंने कनाडा में विदेशी हस्तक्षेप के खिलाफ एक याचिका का समर्थन किया था।

कर्नाटक से रखते हैं तालुक

चंद्र आर्य का जन्म कर्नाटक के तुमकुर जिले के द्वारलू गांव में हुआ था और उन्होंने धारवाड़ के कर्नाटक विश्वविद्यालय से एमबीए किया। 2006 में कनाडा जाने के बाद, उन्होंने पहले इंडो-कनाडा ओटावा बिजनेस चैंबर के अध्यक्ष के रूप में काम किया और बाद में 2015 के कनाडाई संघीय चुनाव में नेपियन राइडिंग से सांसद बने। उन्हें 2019 और 2021 में भी दोबारा चुना गया।

चंद्र आर्य की राजनीति में सक्रियता विशेष रूप से भारतीय समुदाय और कनाडा के समाज के महत्वपूर्ण मुद्दों पर रही है। उन्होंने 2022 में कनाडा के हाउस ऑफ कॉमन्स में अपनी मातृभाषा कन्नड़ में भाषण दिया और टोरंटो में हिंदू मंदिरों की तोड़फोड़ के मामलों में भी मुखर रूप से अपनी आवाज उठाई। इस हमले के लिए उन्होंने खालिस्तानी चरमपंथियों को जिम्मेदार ठहराया।

कनाडा फिर बैकफुट, पीएम मोदी, जयशंकर और डोभाल पर किए गए दावे से पलटा

#canada_justin_trudeau_govt_rejects_canadian_media_report

पहले दावे करना और फिर उससे पलट जाना। हरदीप सिंह निज्जर मामले में कनाडा एक बार फिर अपने दावों से पीछे हट गई है। कनाडा सरकार ने माना है कि निज्जर हत्याकांड में पीएम मोदी, एस जयशंकर और अजित डोभाल का न तो कोई कनेक्शन है और न ही कोई सबूत है। ट्रूडो सरकार ने उस कनाडाई मीडिया के दावे को खारिज किया है, जिसने यह आरोप लगाया था। इससे पहले द ग्लोब एंड मेल नाम के कनाडा के अखबार ने अपनी रिपोर्ट में लिखा है कि भारत के शीर्ष नेतृत्व को हरदीप सिंह निज्जर की हत्या की साजिश के बारे में पता था। अखबार ने आरोप लगाया गया है कि भारतीय प्रधानमंत्री को हरदीप सिंह निज्जर की हत्या के प्लान के बारे में पहले से जानकारी थी। भारत सरकार ने कनाडाई अखबार द ग्लोब एंड मेल की उस रिपोर्ट को सिरे से खारिज कर दिया था।

भारत की सख्ती के बाद कनाडा के तेवर नरम पड़ते दिख रहे हैं। भारत की सख्ती के बाद ट्रूडो सरकार ने बयान जारी किया है। कनाडाई मीडिया रिपोर्ट पर सफाई देते हुए जस्टिन सरकार ने कहा, ‘कनाडा सरकार ने यह बयान नहीं दिया है, न ही उसे प्रधानमंत्री मोदी, विदेश मंत्री जयशंकर, या एनएसए अजित डोभाल को कनाडा के भीतर गंभीर आपराधिक गतिविधि से जोड़ने वाले सबूतों की जानकारी है। यह रिपोर्ट अटकलों पर आधारित और गलत है। 

ट्रूडो सरकार ने क्या कहा?

कनाडा सरकार ने एक बयान जारी कर रहा कि, 14 अक्टूबर को सार्वजनिक सुरक्षा के लिए एक महत्वपूर्ण और निरंतर खतरे के कारण आरसीएमपी और अधिकारियों ने भारत सरकार के एजेंटों द्वारा कनाडा में गंभीर आपराधिक गतिविधि को अंजाम देने के सार्वजनिक आरोप लगाने का असाधारण कदम उठाया था। बयान में आगे कहा गया है कि, कनाडा सरकार ने प्रधानमंत्री मोदी, मंत्री जयशंकर या एनएसए अजित डोभाल के कनाडा के भीतर किसी भी तरह की आपराधिक गतिविधि में शामिल होने के कोई भी सबूत नहीं है, न ही उसे इसकी जानकारी है। 

निराधार आरोपों पर चिंताएं

कनाडा सरकार ने इस मामले में मीडिया और अन्य स्रोतों से अनुरोध किया कि वे किसी भी बिना साक्ष्य के आरोपों को बढ़ावा न दें। सरकार का कहना था कि इस तरह के निराधार आरोप अंतरराष्ट्रीय संबंधों पर नकारात्मक असर डाल सकते हैं और दोनों देशों के बीच विश्वास को भी चोट पहुंचा सकते हैं।

कनाडा सरकार का यह बयान दोनों देशों के बीच जारी तनावपूर्ण स्थिति को और स्पष्ट करता है। हालांकि, कनाडा ने यह भी माना है कि सार्वजनिक सुरक्षा के संदर्भ में गंभीर खतरे की स्थिति को ध्यान में रखते हुए उन्होंने यह कदम उठाया था, लेकिन अब इसने यह स्पष्ट कर दिया है कि भारतीय नेताओं का इस आपराधिक गतिविधियों से कोई संबंध नहीं है। अब देखने वाली बात यह होगी कि दोनों देशों के बीच रिश्ते इस स्थिति के बाद किस दिशा में आगे बढ़ते हैं।

रिपोर्ट में क्या कहा गया?

बता दें कि द ग्लोब एंड मेल नाम के कनाडा के अखबार ने मीडिया रिपोर्ट्स में इस बात का जिक्र था कि निज्जर की हत्या से जुड़े कथित प्लॉट के बारे में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, विदेश मंत्री एस जयशंकर और एनएसए अजित डोवाल को जानकारी थी और सेक्योरिटी एजेंसियों को लगता है कि इसकी जानकारी पीएम मोदी को भी हो सकती है। रिपोर्ट में ये दावे बिना नाम दिए कनाडा के नेशनल सिक्योरिटी ऑफिसर के हवाले से किए गए थे।

निज्जर की हत्या के मामले में पहली बार सीधे पीएम मोदी पर आरोप लगाए गए। हालांकि, रिपोर्ट में यह भी दावा किया गया कि इसे लेकर कानाडा सरकार के पास कोई ठोस सबूत नहीं है। इससे पहले कनाडा की संसदीय समिति के सामने वहां के उप विदेशमंत्री केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह पर भी ऐसी ही टिप्पणी कर चुके हैं। भारत ने इन पर भी कड़ी आपत्ति जताते हुए इन्हें बेतुका और निराधार बताया था। बीते दिनों विदेश मंत्रालय ने इन आरोपों को निराधार करार देते हुए कनाडा सरकार के समक्ष आधिकारिक तौर पर विरोध भी दर्ज करवाया था।

कहां थमेगा कनाडा? अब पीएम मोदी का नाम लेकर लेकर चली चाल, रिपोर्ट को भारत सरकार ने किया खारिज*
#nijjar_murder_case_india_strongly_rejects_new_canadian_media_report *
निज्जर हत्याकांड को लेकर भारत और कनाडा के रिश्तों में तल्खी बढ़ती ही जा रही है। वैसे कनाडा शायद यही चाहता भी है। तभी तो जस्टिन ट्रूडो आए दिन कोई ना कोई ऐसा धमाका कर रहें हैं, जिससे दोनों देशों के रिश्तों में दरार और गहती होती जाए। जस्टिन ट्रूडो और उनकी सरकार लगातार भारत को बदनाम करने में लगी है।इस बीच कनाडा ने भारत के खिलाफ एक और जहर उगला है। एक कनाडाई अखबार ने अपनी रिपोर्ट में लिखा है कि भारत के शीर्ष नेतृत्व को हरदीप सिंह निज्जर की हत्या की साजिश के बारे में पता था। अखबार ने आरोप लगाया गया है कि भारतीय प्रधानमंत्री को हरदीप सिंह निज्जर की हत्या के प्लान के बारे में पहले से जानकारी थी। हालांकि, भारत सरकार ने कनाडाई अखबार द ग्लोब एंड मेल की उस रिपोर्ट को सिरे से खारिज कर दिया है। भारतीय विदेश मंत्रालय ने कहा कि कनाडाई मीडिया का यह रिपोर्ट भारत को बदनाम करने वाला है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा कि हम इस तरह के बयान को खारिज करते हैं। यह एक तरह का हास्यास्पद बयान है। रणधीर जायसवाल ने कहा कि इस तरह का दुष्प्रचार अभियान पहले से ही तनावपूर्ण संबंधों के लिए और नुकसान देह साबित होगा। बता दें कि द ग्लोब एंड मेल नाम के कनाडा के अखबार ने मीडिया रिपोर्ट्स में इस बात का जिक्र था कि निज्जर की हत्या से जुड़े कथित प्लॉट के बारे में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, विदेश मंत्री एस जयशंकर और एनएसए अजित डोवाल को जानकारी थी। और सेक्योरिटी एजेंसियों को लगता है कि इसकी जानकारी पीएम मोदी को भी हो सकती है। रिपोर्ट में ये दावे बिना नाम दिए कनाडा के नेशनल सिक्योरिटी ऑफिसर के हवाले से किए गए हैं। निज्जर की हत्या के मामले में यह पहली बार है जब सीधे पीएम मोदी पर आरोप लगाए गए हैं। हालांकि, रिपोर्ट में यह भी दावा किया गया है कि इसे लेकर कानाडा सरकार के पास कोई ठोस सबूत नहीं है। इससे पहले कनाडा की संसदीय समिति के सामने वहां के उप विदेशमंत्री केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह पर भी ऐसी ही टिप्पणी कर चुके हैं। भारत ने इन पर भी कड़ी आपत्ति जताते हुए इन्हें बेतुका और निराधार बताया था। बीते दिनों विदेश मंत्रालय ने इन आरोपों को निराधार करार देते हुए कनाडा सरकार के समक्ष आधिकारिक तौर पर विरोध भी दर्ज करवाया था। 18 जून, 2023 की शाम को सरे शहर के एक गुरुद्वारे से निकलते समय निज्जर की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। कनाडा के प्रधानमंत्री ट्रूडो ने भारत सरकार पर निज्जर की हत्या में शामिल होने का आरोप लगाया था, जिसे भारत ने खारिज किया था। इसके बाद कनाडा की ओर से लगातार इस तरह के आरोप लगाए जा रहे हैं। जिसके बाद से दोनों देशों के आपसी रिश्तों में तल्खी काफी ज्यादा बढ़ गई है।
कनाडा के वॉलमार्ट ओवन में मिला सिख युवती का मृत शरीर,जांच अभी तक जारी

#sikhteenfounddeadincanadianwalmartoveninvestigationgoingon

Walmart Canada

कनाडा के हैलिफ़ैक्स शहर में वॉलमार्ट स्टोर के बेकरी विभाग के वॉक-इन ओवन के अंदर एक 19 वर्षीय सिख महिला मृत पाई गई। हैलिफ़ैक्स क्षेत्रीय पुलिस (एचआरपी) ने कहा कि उन्हें शनिवार रात करीब साढ़े नौ बजे 6990 ममफोर्ड रोड पर वॉलमार्ट में अचानक मौत की सूचना मिली।

पुलिस के अनुसार, महिला, जिसकी पहचान नहीं हो पाई है, स्टोर में कार्यरत थी। पुलिस ने कहा, उसका शव वॉक-इन ओवन में पाया गया। मैरीटाइम सिख सोसाइटी ने सीटीवी न्यूज से पुष्टि की कि वह उनके समुदाय की सदस्य थी। मैरीटाइम सिख सोसाइटी के अनमोलप्रीत सिंह ने कहा, "यह हमारे लिए, उसके परिवार के लिए भी बहुत दुखद है, क्योंकि वह बेहतर भविष्य के लिए आई थी और उसने अपनी जान गंवा दी।"

जांच में कठिनाइयां

एचआरपी कांस्टेबल मार्टिन क्रॉमवेल ने कहा कि पुलिस को महिला की मौत के कारण के बारे में हो रहे ऑनलाइन अटकलों की जानकारी है । क्रॉमवेल ने कहा, "जांच जटिल है।"

द ग्लोब एंड मेल अखबार ने कहा कि वह हाल ही में भारत से कनाडा गई थी। दुकान शनिवार रात से बंद है जबकि जांच जारी है। "हम समझते हैं कि जनता इसमें शामिल है, और हम बस जनता को हमारी जांच में धैर्य रखने के लिए प्रोत्साहित करना चाहते थे और ध्यान रखना चाहते हैं क्योंकि इसमें परिवार के सदस्य और सहकर्मी भी शामिल हैं।" क्रॉमवेल ने कहा कि हैलिफ़ैक्स पुलिस जांच में मदद के लिए उपयुक्त एजेंसियों के साथ समन्वय कर रही है।

एचआरपी ने मंगलवार को एक बयान में कहा, "हम जनता से सोशल मीडिया पर काल्पनिक जानकारी साझा करने से सावधान रहने का आग्रह करते हैं।" प्रांत के श्रम विभाग के एक आलोचक ने कहा कि वॉलमार्ट स्टोर में बेकरी और "उपकरण के एक टुकड़े" के लिए काम रोकने का आदेश जारी किया गया है। एचआरपी ने कहा, "यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि जांच अभी तक उस बिंदु तक नहीं पहुंची है जहां मौत के कारण और तरीके की पुष्टि की गई हो।"

नोवा स्कोटिया के मेडिकल परीक्षक मौत का कारण निर्धारित करने के लिए काम कर रहे हैं, और प्रांत का स्वास्थ्य और सुरक्षा विभाग जांच में भाग ले रहा है।

वॉक-इन ओवन, जिन्हें कैबिनेट या बैच ओवन भी कहा जाता है, पहिएदार रैक या कार्ट का उपयोग करके बैचों में , सुखाने या बेकिंग की अनुमति देते हैं। वे अक्सर सुपरमार्केट जैसी जगहों पर बड़ी मात्रा में बेकरी में पाए जाते हैं।

वॉलमार्ट कनाडा ने एक बयान में कहा कि कंपनी दुखी है और उनकी संवेदनाएं महिला के परिवार के साथ हैं।

भारत के सख्त एक्शन से बौखलाए जस्टिन ट्रूडो, बोले-हम लड़ाई नहीं चाहते, लेकिन…

#justintrudeaureactiononindiaactionexpelledsixcanadian_diplomats

कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो की वजह से भारत और कनाडा के रिश्ते बेहद खराब दौर में पहुंच चुके हैं। भारत ने कनाडा के छह राजनियकों को देश छोड़ने का आदेश दिया है। वहीं कनाडा में मौजूद अपने राजनयिकों को वापस बुला लिया है। इनमें कार्यवाहक उच्चायुक्त स्टीवर्ट व्हीलर, उप उच्चायुक्त पैट्रिक हेबर्ट, सचिव मैरी कैथरीन जोली, सचिव लैन रॉस डेविड ट्राइट्स, सचिव एडम जेम्स चुइपका और सचिव पाउला ओर जुएला को 19 अक्टूबर की रात या उससे पहले भारत छोड़ने के लिए कहा गया है। इस बीच जस्टिन ट्रूडो का बयान सामने आया है।

कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने कहा कि कनाडा ने पिछले साल एक कनाडाई नागरिक की हत्या में भारतीय अधिकारियों की संलिप्तता के आरोपों से संबंधित सभी जानकारी अपने 'फाइव आईज' भागीदारों, विशेष रूप से अमेरिका के साथ साझा की है। ट्रूडो ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए कहा,"भारत ने सोमवार को छह कनाडाई राजनयिकों को निष्कासित कर दिया और हरदीप सिंह निज्जर की हत्या की जांच से जुड़े आरोपों खारिज कर दिया है। इसके बाद कनाडा ने अपने उच्चायुक्त और अन्य अधिकारियों को वापस देश बुला लिया है। जस्टिन ट्रूडो ने कहा कि मैंने पीएम मोदी से बात की और कहा था कि भारत इस मामले को गंभीरता से ले।"

हमने जानबूझकर संबंधों में तनाव पैदा करना नहीं चुना-ट्रूडो

ट्रूडो ने कहा है कि हमने जानबूझकर कनाडा-भारत संबंधों में तनाव पैदा करने के लिए नहीं चुना है। भारत एक महत्वपूर्ण लोकतंत्र है, एक ऐसा देश है जिसके साथ हमारे लोगों के बीच गहरे ऐतिहासिक व्यापारिक संबंध हैं। हम यह लड़ाई नहीं चाहते हैं, लेकिन जाहिर तौर पर कनाडा की धरती पर एक कनाडाई की हत्या कुछ ऐसी बात नहीं है एक देश के रूप में हम इसे नजरअंदाज कर सकते हैं।

भारत सरकार पर सहयोग नहीं करने का आरोप

कैनेडियन पीएम ने आगे कहा, ‘एक ऐसा रास्ता था जहां हम जवाबदेही और बदलाव सुनिश्चित करने के लिए मिलकर काम कर सकते थे और ऐसे कदम उठा सकते थे जिससे कनाडाई सुरक्षित रहें, क्योंकि यह हमारी सर्वोच्च प्राथमिकता है। भारत, भारतीय सरकार ने उन प्रयासों को अस्वीकार कर दिया। इस समस्या से निपटने के हमारे प्रयासों को अस्वीकार कर दिया और इसने हमें इस बिंदु पर ला खड़ा किया कि हमें कनाडा में भारतीय राजनयिकों से लेकर आपराधिक संगठनों तक की गतिविधियों की चैन को बाधित करना पड़ा, जो पूरे देश में कनाडाई लोगों पर सीधे हिंसक प्रभाव डालती हैं।

ट्रूडो का गंभीर आरोप

ट्रूडो ने कहा, ‘जैसा कि रॉयल कैनेडियन माउंटेड पुलिस (RCMP) कमिश्नर ने पहले कहा था, उनके पास साफ और ठोस सबूत है। भारत सरकार के एजेंट सार्वजनिक सुरक्षा के लिए खतरा पैदा करने वाली गतिविधियों में लगे हुए हैं। इसमें खुफिया जानकारी इकट्ठा करना, दक्षिण एशियाई कनाडाई लोगों को टारगेट कर हत्या सहित धमकी देने जैसे मामले शामिल हैं। ये अस्वीकार्य है। रॉयल कैनेडियन माउंटेड पुलिस ने सबूत साझा करने के लिए भारतीय अधिकारियों से मुलाकात की, जिसमें ये निष्कर्ष निकाला गया कि भारत सरकार के 6 एजेंट आपराधिक गतिविधियों में शामिल हैं। भारत सरकार से बार-बार अनुरोध करने के बावजूद उन्होंने सहयोग नहीं किया।

कनाडा के खिलाफ भारत का सख्त एक्शन, 6 राजनयिकों को निकाला

#6_canadian_diplomats_expelled_from_india_ordered_to_leave_country

कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो भारत के साथ रिश्ते तल्ख करने पर उतारू हैं। खालिस्तानी हरदीप सिंह निज्जर मामले में कनाडा ने एक बार फिर भारत विरोधी बयान दिया है। जिसके बाद भारत ने सख्त एक्शन लेते हुए कनाडा के 6 राजनयिकों को निष्कासित कर दिया है। वहीं, कनाडा से अपने उच्चायुक्त और अन्य राजनायिकों को वापस बुला लिया है।

ट्रूडो सरकार की ओर से कनाडा में तैनात भारतीय उच्चायुक्त संजय कुमार वर्मा और अन्य अफसरों को निगरानी सूची में शामिल करने के बाद भारत ने अपने इन सभी डिप्लोमेट्स को वापस बुलाने का फैसला किया है। साथ ही कनाडा के राजनयिकों को निष्कासित कर दिया है। जिन 6 कनाडाई राजनयिकों को निष्कासित करने का निर्णय लिया है, उनके नाम स्टीवर्ट रॉस व्हीलर (कार्यवाहक उच्चायुक्त), पैट्रिक हेबर्ट (उप उच्चायुक्त), मैरी कैथरीन जोली (प्रथम सचिव), लैन रॉस डेविड ट्राइट्स (प्रथम सचिव), एडम जेम्स चुइप्का (प्रथम सचिव) और पाउला ओरजुएला (प्रथम सचिव)। इन्हें शनिवार 19 अक्टूबर को रात 12 बजे से पहले भारत छोड़ने के लिए कहा गया है।

भारतीय विदेश मंत्रालय ने बयान जारी कर कहा कि कनाडा में जारी उग्रवाद और हिंसा के माहौल में, ट्रूडो सरकार के कार्यों ने हमारे राजनयिकों की सुरक्षा को खतरे में डाल दिया है। हमें उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करने की वर्तमान कनाडाई सरकार की प्रतिबद्धता पर कोई भरोसा नहीं है। लिहाजा भारत सरकार ने अपने उच्चायुक्त और अन्य संबंधित राजनयिकों व अधिकारियों को कनाडा से वापस बुलाने का फैसला किया है।

बता दें कि कनाडा में करीब 7 प्रतिशत भारतीय रहते हैं। इनमें सिखों की आबादी करीब 2 प्रतिशत है। सिख वहां का एक प्रभावशाली समुदाय बन चुका है। वहां पर सिखों की बड़ी पार्टी न्यू डेमोक्रेटिक पार्टी है, जिसकी अगुवाई जगमीत सिंह करता है। इस पार्टी से जुड़े अधिकतर नेता खालिस्तान समर्थक हैं और खुलकर भारत विरोधी एजेंडा चलाते हैं। भारत में खालिस्तानी आतंकवाद भड़काने में भी इसी पार्टी का बड़ा हाथ रहा है। भारत में अपराध कर भाग जाने वाले सिख आरोपियों को इस पार्टी की ओर से शरण दी जाती है। भारत की ओर से कई बार इन तत्वों पर अंकुश लगाने की मांग की गई। लेकिन सिख वोटों के लालच में ट्रूडो हमेशा इस मांग की अनदेखी करते रहे हैं।

पिछले साल कनाडा में खालिस्तानी आतंकी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या के बाद ट्रूडो को अपनी राजनीति चमकाने का और मौका मिल गया।ट्रूडो ने बिना जांच पूरी हुए भारत पर इस हत्या में शामिल होने का आरोप लगा दिया। साथ ही भारत के उच्चायुक्त संजय कुमार वर्मा की ओर भी उंगली उठाई। भारत ने सख्ती के साथ न केवल ट्रूडो के इन आरोपों को खारिज किया बल्कि उनसे घटना के संबंध में ठोस सबूत भी मांगे लेकिन डेढ़ साल बाद भी ट्रूडो सरकार ये सबूत मुहैया नहीं करवा पाई है।

अब कनाडा में एक बार फिर चुनाव आने वाले हैं। ऐसे में एक बार फिर ट्रूडो सरकार ने खालिस्तानी आतंकी निज्जर की हत्या मामले को उठाया है। कनाडा की सरकार ने खालीस्तानी आतंकी निज्जर हत्याकांड की जांच में भारतीय हाई कमिश्नर और डिप्लोमेट्स को पर्सन ऑफ इंटरेस्ट बताया गया है।ट्रूडो को लगता है कि ये सब कर के उनको खालिस्तानियों के वोट हासिल कर सकेंगे।

Canadian journalist Daniel Bordman says, " India is doing better than before
Canadian journalist Daniel Bordman says, " India is doing better than before