शेख हसीना को सुनाई गई मौत की सजा, मानवता के खिलाफ अपराध का दोषी ठहराया
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बांग्लादेशी की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना को फांसी की सजा सुनाई गई है। बांग्लादेश की अपदस्थ प्रधानमंत्री शेख हसीना के खिलाफ चल रहे एक मामले पर सोमवार को ढाका स्थित अंतरराष्ट्रीय अपराध न्यायाधिकरण (इंटरनेशनल क्राइम्स ट्रिब्यूनल-बांग्लादेश) की तरफ से फैसला सुनाया गया। ट्रिब्यूनल ने शेख हसीना को मानवता के खिलाफ अपराध का दोषी ठहराते हुए कहा कि वे अधिकतम सजा की हकदार हैं। इसी के साथ न्यायाधिकरण ने उन्हें मौत की सजा सुनाई। पहले से ही माना जा रहा था कि उन्हें सख्त सजा दी जा सकती है।
पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना पर मानवता के खिलाफ अपराध और हत्या जैसे कुल 5 मामले चल रहे थे, जिस पर तीन सदस्यीय ट्रिब्यूनल ने अपना 453 पन्नों का फैसला सुना दिया है। उन्हें अलग-अलग मामलों में आईटीसी ने दोषी करार दिया है और मौत की सजा सुनाई है। ट्रिब्यूनल को जस्टिस मोहम्मद गुलाम मुर्तजा मजूमदर लीड कर रहे थे। आईसीटी जज के मुताबिक ये मामला काफी बड़ा था, ऐसे में फैसला भी 6 भाग में सुनाया गया है।
शेख हसीना और उनके सहयोगियों के खिलाफ फैसला
ट्रिब्यूनल ने सोमवार को पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना, पूर्व गृह मंत्री असदुज्जमां खान कमाल और पूर्व पुलिस महानिरीक्षक चौधरी अब्दुल्ला अल-मामून के खिलाफ मानवता के खिलाफ अपराधों के पांच आरोपों पर अपना फैसला सुनाया है। ये आरोप जुलाई-अगस्त 2024 में आरक्षण विरोधी छात्र आंदोलन से जुड़ी अशांति से उत्पन्न हुए हैं। शेख हसीना और उनके सहयोगियों के खिलाफ 8747 पन्नों के आरोप पत्र कोर्ट में दाखिल गये थे, जिनमें पीड़ितों के बयान, जब्त किए सबूत और पीड़ितों की पूरी लिस्ट होने की बात कही गई थी। इसी आधार पर इंटरनेशनल क्राइम्स ट्रिब्यूनल-बांग्लादेश ने शेख हसीना के खिलाफ फैसला सुनाया है।
शेख हसीना ने मानवता के खिलाफ अपराध किए
ट्रिब्यूनल ने कहा है कि हमने मानवाधिकार संगठन और अन्य संगठनों की कई रिपोर्ट्स पर विचार किया है। हमने क्रूरताओं का विवरण भी दिया है। शेख हसीना ने मानवता के खिलाफ अपराध किए। ट्रिब्यूनल ने फैसले में यह भी कहा है कि बड़ी संख्या में प्रदर्शनकारी मारे गए हैं। ट्रिब्यूनल ने यह भी कहा है कि अवामी लीग के कार्यकर्ता कथित रूप से सड़कों पर उतर आए और पार्टी नेतृत्व की पूरी जानकारी में सुनियोजित हमले किए।
कोर्ट ने कहा-मानवाधिकारों का गंभीर उल्लंघन हुआ
ट्रिब्यूनल ने कहा कि राजनीतिक नेतृत्व की ओर से दिए गए सीधे आदेशों की वजह से प्रदर्शनकारियों और अन्य नागरिकों के मानवाधिकारों का गंभीर उल्लंघन हुआ। मामले में अभियोजकों ने दोषी के लिए मृत्युदंड की मांग की थी। संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार कार्यालय की एक रिपोर्ट में अनुमान लगाया गया है कि हसीना सरकार की ओर से आदेश के बाद 15 जुलाई से 15 अगस्त के बीच ‘विद्रोह’ के दौरान 1,400 लोग मारे गए थे। 11 हजार से अधिक लोग हिरासत में लिए गए या गिरफ्तार किए गए थे।
हसीना ने सभी आरोपों को झूठा और बेबुनियाद बताया
बता दें कि कि शेख हसीना इस वक्त भारत में हैं। उन्होंने ट्रिब्यूनल में मामले की सुनवाई के दौरान कहा था कि उन पर लगे सभी आरोप झूठे और बेबुनियाद हैं और वे ऐसे फैसलों की परवाह नहीं करतीं। आईसीटी के फैसले से पहले अपने समर्थकों को जारी एक ऑडियो संदेश में हसीना ने कहा था कि मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व में अंतरिम सरकार उनकी पार्टी को खत्म करना चाहती है। हसीना ने कहा था कि यह इतना भी आसान नहीं है। आवामी लीग जमीन से उठी पार्टी है।











Nov 17 2025, 18:00
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