बहराइच-लखनऊ हाई-वे पर दर्दनाक हादसा, ट्रेलर की चपेट में आने से चार की मौत


लखनऊ/बहराइच। बुधवार सुबह बहराइच-लखनऊ राष्ट्रीय राजमार्ग पर मदन कोठी चौराहे के पास बड़ा हादसा हो गया। फखरपुर की ओर से आ रहा गिट्टी से भरा ट्रेलर अचानक अनियंत्रित हो गया और सामने से आ रही बाइक में जा टकराया।
हादसा इतना भीषण था कि बाइक सवार चार लोगों की मौके पर ही मौत हो गई। मृतकों में एक वर्ष का मासूम बच्चा भी शामिल है। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, सभी की मौत ट्रेलर के पहिए के नीचे आने से हुई है। घटना के बाद ट्रेलर चालक वाहन छोड़कर मौके से फरार हो गया। पुलिस ने शवों को कब्जे में लेकर पोस्टमॉर्टम के लिए भेज दिया है।
फिलहाल मृतकों की पहचान नहीं हो सकी है। पुलिस मामले की जांच में जुटी हुई है।
यूपी पंचायत चुनाव 2026 : ग्राम पंचायत सदस्य से प्रधान पद तक नामांकन शुल्क और खर्च की सीमा तय



लखनऊ । उत्तर प्रदेश में होने वाले पंचायत चुनाव 2026 को लेकर राज्य सरकार ने नामांकन शुल्क, जमानत राशि और चुनाव खर्च की सीमा तय कर दी है। राज्य निर्वाचन आयोग की नई अधिसूचना के अनुसार ग्राम पंचायत सदस्य से लेकर ग्राम प्रधान पद तक के उम्मीदवारों के लिए शुल्क और खर्च की स्पष्ट व्यवस्था बनाई गई है।

ग्राम पंचायत सदस्य पद के लिए सामान्य उम्मीदवारों को नामांकन शुल्क ₹200 और जमानत राशि ₹800 जमा करनी होगी। वहीं अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, अन्य पिछड़ा वर्ग और महिला उम्मीदवारों के लिए यह शुल्क ₹100 और जमानत राशि ₹400 निर्धारित की गई है।

ग्राम प्रधान पद के लिए सामान्य श्रेणी के प्रत्याशियों को नामांकन शुल्क ₹600 और जमानत राशि ₹3000 देनी होगी। जबकि आरक्षित श्रेणी (SC/ST/OBC/महिला) के उम्मीदवारों के लिए यह राशि क्रमशः ₹300 शुल्क और ₹1500 जमानत तय की गई है।

चुनाव खर्च की अधिकतम सीमा भी तय कर दी गई है। अब कोई भी उम्मीदवार पंचायत चुनाव में प्रचार-प्रसार, जनसंपर्क और अन्य अनुमन्य गतिविधियों पर अधिकतम ₹1,25,000 तक ही खर्च कर सकेगा। इस सीमा से अधिक खर्च करने पर निर्वाचन आयोग की कार्रवाई का प्रावधान रहेगा।

निर्वाचन आयोग के अनुसार, यह निर्णय पारदर्शी और निष्पक्ष चुनाव सुनिश्चित करने के उद्देश्य से लिया गया है। आयोग का मानना है कि खर्च सीमा तय होने से चुनाव में पैसे का प्रभाव घटेगा और आम ग्रामीण उम्मीदवारों को भी बराबरी का मौका मिलेगा। पंचायत चुनाव की अधिसूचना जारी होने के बाद उम्मीदवारों को निर्धारित तिथियों के भीतर नामांकन पत्र दाखिल करना होगा।
निर्माण श्रमिकों को 15 नवम्बर तक कराना होगा लेबर कार्ड नवीनीकरण, अन्यथा सूची से नाम होगा निष्क्रिय

लखनऊ। उत्तर प्रदेश भवन एवं अन्य सन्निर्माण कर्मकार कल्याण बोर्ड द्वारा पंजीकृत निर्माण श्रमिकों के हितार्थ अनेक कल्याणकारी योजनाएँ संचालित की जा रही हैं। इनमें कन्या विवाह सहायता योजना, मातृत्व, शिशु एवं बालिका मदद योजना, सन्त रविदास शिक्षा प्रोत्साहन योजना, गंभीर बीमारी सहायता योजना, निर्माण कामगार मृत्यु व दिव्यांगता सहायता योजना तथा अटल आवासीय विद्यालय योजना प्रमुख हैं।

इन योजनाओं का लाभ केवल उन्हीं निर्माण श्रमिकों को प्राप्त होगा, जो बोर्ड में विधिवत पंजीकृत हैं तथा जिनका पंजीयन नियमानुसार नवीनीकृत किया गया है। अपर श्रमायुक्त कल्पना श्रीवास्तव ने बताया कि ऐसे श्रमिक, जिनका लेबर कार्ड या श्रमिक पंजीकरण कार्ड चार वर्ष या उससे अधिक समय से नवीनीकृत नहीं कराया गया है, उन्हें 15 नवम्बर 2025 के उपरान्त निष्क्रिय सूची में सम्मिलित कर दिया जायेगा। निष्क्रिय सूची में सम्मिलित श्रमिकों की गणना पंजीकृत निर्माण श्रमिकों में नहीं की जाएगी और वे योजनाओं के पात्र नहीं रहेंगे।

उन्होंने सभी पंजीकृत निर्माण श्रमिकों से अपील की है कि वे शीघ्र अपने लेबर कार्ड का नवीनीकरण अपने नजदीकी C.S.C. ई-डिस्ट्रिक्ट सेंटर, C.S.C. ई-गवर्नेंस सेंटर अथवा बोर्ड की वेबसाइट upbocw.in के माध्यम से करा लें। बोर्ड की सभी योजनाओं, पंजीकरण प्रक्रिया एवं नवीनीकरण की विस्तृत जानकारी उक्त वेबसाइट पर उपलब्ध है।
चावल मिलों को नॉन हाइब्रिड धान की कुटाई के लिए रिकवरी प्रतिशत में मिली एक प्रतिशत की छूट
राइस मिलों में कार्यरत लगभग 2 लाख लोगों के रोजगार में आएगी सुदृढ़ता

राईस मिलों से जुड़े अनुमानित 13 से 15 लाख किसान होंगे लाभान्वित

लखनऊ। प्रदेश सरकार द्वारा राइस मिलर उद्योग को बढ़ावा देने के उद्देश्य से तथा नॉन हाइब्रिड धान की कुटाई को प्रोत्साहित करने के लिए इसके रिकवरी प्रतिशत में 01 प्रतिशत की छूट प्रदान की है। इस छूट से चावल मिलें सरकारी क्रय केन्द्रों पर खरीदे गये नान हाईब्रिड धान की कुटाई करने हेतु प्रोत्साहित होंगी तथा चावल मिलों में आपसी प्रतिस्पर्धा बढ़ेगी। इस प्रकार चावल मिल उद्योग को नई ऊर्जा प्राप्त होगी व चावल मिल उद्योग सुदृढ़ होगा तथा उद्यमियों द्वारा चावल मिल उद्योग लगाने के प्रति विश्वास भी बढ़ेगा। इससे राइस मिलों में कार्यरत लगभग 2 लाख लोगों के रोजगार में सुदृढ़ता आएगी तथा राईस मिलों से जुड़े अनुमानित 13 से 15 लाख किसान लाभान्वित होंगे। नॉन हाइब्रिड की कुटाई में रिकवरी प्रतिशत की छूट की मात्रा के समतुल्य धनराशि की प्रतिपूर्ति राज्य सरकार द्वारा अपने बजट से इस वर्ष से किया जायेगा, जिसके लिए अनुमानित रू166.51 करोड़ धनराशि आंकलित की गयी है।

प्रदेश के वित्त एवं संसदीय कार्य मंत्री सुरेश कुमार खन्ना ने मंगलवार को लोकभवन स्थित मीडिया सेंटर में प्रेस प्रतिनिधियों से वार्ता करते हुए यह जानकारी दी।

उन्होंने बताया कि  विगत वर्षों में कतिपय चावल मिलें ऐसी थीं, जो नान हाईब्रिड धान की रिकवरी प्रतिशत कम होने के कारण सरकारी क्रय केन्द्रों के धान की कुटाई में रूचि नहीं लेती थी। चावल मिलों के पास पर्याप्त पूँजी न होने के कारण वे अपनी मशीनों को समय से आधुनिकीकृत नहीं कर पाती थी। अब छूट की प्रतिपूर्ति से प्राप्त धनराशि को वे अपनी क्षमता को बढ़ाने में व्यय कर सकेंगी, जिससे प्रदेश में धान कुटाई की अतिरिक्त क्षमता सृजित होगी। प्रदेश के राइस मिलर्स धान खरीद प्रक्रिया की रीढ़ ही नहीं है बल्कि इनमें भारी संख्या में लोगों को रोजगार भी मिलता है। राइस मिलों की संख्या बढ़े, इस उद्देश्य से प्रदेश सरकार द्वारा उनकी समस्याओं का समाधान किया जा रहा है। विगत वर्षों में प्रदेश में चावल मिल उद्योग की संख्या में प्रतिवर्ष कमी परिलक्षित हो रही है, जिसका प्रमुख कारण धान कुटाई में रिकवरी प्रतिशत कम प्राप्त होना था। राइस मिलर द्वारा 67 प्रतिशत मानक का चावल तैयार कर भाखानि को सम्प्रदानित करने से उन्हें आर्थिक हानि होती थी।

श्री खन्ना ने बताया कि पूरे देश में धान से चावल निर्मित करने हेतु 67 प्रतिशत रिकवरी निर्धारित की गयी है। जब प्रदेश सरकार को इस समस्या से अवगत कराया गया कि हाइब्रिड धान की कुटाई में ब्रोकन राइस का प्रतिशत ज्यादा होने के कारण रिकवरी कम प्राप्त होती है तो सरकार द्वारा इसका संज्ञान लेते हुए वर्ष 2018-19 से चावल मिलर्स को कुटाई में 3 प्रतिशत रिकवरी की प्रतिपूर्ति राज्य सरकार के बजट से की जा रही है। विगत वर्ष इस मद में लगभग रू० 94.79 करोड़ की प्रतिपूर्ति चावल मिलर्स को की गयी। इस वर्ष सरकार के संज्ञान में लाया गया कि नॉन-हाइब्रिड धान में भी अपेक्षित रिकवरी प्राप्त नहीं हो रही है, जिससे राइस मिलों के अस्तित्व पर संकट आ सकता है। प्रदेश की चावल मिलों को प्रोत्साहित करने के लिए इस वर्ष से नॉन हाईब्रिड धान की कुटाई में भी रिकवरी में 01 प्रतिशत की छूट की मात्रा के समतुल्य धनराशि की प्रतिपूर्ति राज्य सरकार द्वारा अपने बजट से की जायेगी, जिसमें लगभग रू0 166.51 करोड़ की धनराशि व्यय होगी। चूंकि प्रदेश में सीएमआर की अग्रिम लॉट के सापेक्ष धान दिये जाने का प्राविधान है, अतः चावल मिले यथाशीघ्र सीएमआर का सम्प्रदान भारतीय खाद्य निगम को करके धान प्राप्त करने हेतु इच्छुक रहेंगी। इसका लाभ यह होगा कि जून तक सम्प्रदानित होने वाले सीएमआर के अप्रैल माह तक ही केन्द्रीयपूल में शत-प्रतिशत सम्प्रदान होने की सम्भावना बढ़ जायेगी। रिकवरी प्रतिशत में छूट के कारण कुटाई में चावल मिलों की प्रतिस्पर्धा होने से किसानों द्वारा लाये गये किसी भी प्रकार की धान की प्रजाति को सरकारी क्रय केन्द्रों पर खरीदा जा सकेगा। किसानों द्वारा हाईब्रिड धान के अतिरिक्त अन्य प्रजातियों के धान की फसल को भी लगाये जाने में प्रोत्साहन मिलेगा। इससे धान की देशी प्रजातियों की बुआई को बढ़ावा भी मिलेगा। केन्द्रों पर खरीद बढ़ जाने के फलस्वरूप बाहर के प्रदेशों से भारतीय खाद्य निगम द्वारा पीडीएस योजना में वितरण हेतु चावल की रैक प्रदेश के बाहर से नहीं मंगानी पड़ेगी, जिससे केन्द्र सरकार की इन रैकों पर व्यय होने वाली धनराशि की बचत होगी।

वित्त मंत्री ने बताया कि खरीफ विपणन वर्ष 2025-26 में प्रस्तावित 4000 धान क्रय केन्द्रों के सापेक्ष अबतक पश्चिमी उत्तर प्रदेश के जनपदों में 1244 केन्द्र एवं पूर्वी उत्तर प्रदेश के जनपदों में 2856 केन्द्र कुल 4100 क्रय केन्द्रों संचालित हैं। पश्चिमी उत्तर प्रदेश में दिनांक 01.10.2025 से एवं पूर्वी उत्तर प्रदेश में दिनांक 01.11.2025 से खरीद प्रारम्भ हो गयी है। समस्त जनपदों के क्रय केन्द्रों पर खरीद सम्बन्धी समस्त व्यवस्थाएं एवं कृषकों की सुख-सुविधा की व्यवस्थाएं पूर्ण हैं। प्रदेश में अब तक 2,53,339 कृषकों द्वारा धान विक्रय के लिए पंजीकरण कराया गया है।

गत वर्ष अब तक 0.58 लाख मीटन धान खरीद हुयी थी, जब कि इस वर्ष अब तक 1.41 लाख मी टन धान खरीदा जा चुका है. जो 2.5 गुना है।
कानपुर में भ्रष्टाचार का बड़ा पर्दाफाश: डिप्टी एसपी ऋषिकांत शुक्ला निलंबित, 100 करोड़ संपत्ति की जांच


लखनऊ । यूपी के कानपुर में अखिलेश दुबे से जुड़े भ्रष्टाचार के चर्चित प्रकरण में सोमवार को एक बड़ी प्रशासनिक कार्रवाई की गई। डिप्टी एसपी ऋषिकांत शुक्ला को निलंबित कर दिया गया, जिसे अब तक इस मामले में सबसे गंभीर कदम माना जा रहा है। इससे पहले इंस्पेक्टर आशीष द्विवेदी को निलंबित किया गया था। उनके खिलाफ आरोप था कि उन्होंने पुलिस कार्यालय में शिकायत प्रकोष्ठ में तैनाती के दौरान भाजपा नेता रवि सतीजा को अखिलेश दुबे के कार्यालय तक पहुंचाने में मदद की थी।

एसआईटी जांच में ऋषिकांत का नाम आया सामने

एसआईटी की जांच में सामने आया कि ऋषिकांत शुक्ला, डिप्टी एसपी विकास पांडेय, संतोष कुमार सिंह और केडीए के अन्य अधिकारी लंबे समय से अखिलेश दुबे के करीबी रहे हैं। आरोप है कि इन अधिकारियों ने सरकारी पद का दुरुपयोग कर करोड़ों की संपत्ति अर्जित की और फर्जी कंपनियों तथा जमीनों के लेनदेन के जरिए काला धन सफेद किया। विशेष सूत्रों के अनुसार, ऋषिकांत की पत्नी प्रभा शुक्ला, विकास पांडेय के भाई प्रदीप कुमार पांडेय, संतोष सिंह के रिश्तेदार अशोक कुमार और अखिलेश दुबे के परिजन इस कंस्ट्रक्शन कंपनी में शामिल थे।

ऋषिकांत शुक्ला पर लगे गंभीर आरोप

जांच में यह खुलासा हुआ कि केवल इस एक कंपनी का ही टर्नओवर 100 करोड़ से अधिक था। कंपनी के जरिए निर्माण और रियल एस्टेट से जुड़े काम किए जाते थे और सरकारी पद का दुरुपयोग कर निजी लाभ कमाया जाता था। इसमें अधिकारियों और उनके परिजनों की हिस्सेदारी स्पष्ट तौर पर पाई गई।ऋषिकांत शुक्ला पर यह आरोप भी है कि उन्होंने कानपुर में तैनाती के दौरान फर्जी मुकदमों में लोगों को फंसाकर उनकी संपत्ति पर कब्जा किया। एसआईटी ने उनके विभिन्न ठिकानों और संपत्तियों की जांच की, जिसमें 12 स्थानों पर 92 करोड़ रुपये से अधिक की संपत्ति पाई गई। इसके अलावा तीन अन्य संपत्तियों के रिकॉर्ड जांच के अधीन हैं, लेकिन गोपनीय सूचनाओं के अनुसार ये भी उनके नाम से जुड़े हैं। आर्यनगर में 11 दुकानें उनके पड़ोसी देवेंद्र दुबे के नाम पर दर्ज हैं, लेकिन वास्तव में यह ऋषिकांत शुक्ला की बेनामी संपत्ति हैं।

अखिलेश दुबे के साथ मिलकर ऋषिकांत ने दर्ज किए फर्जी मुकदमे

पुलिस कमिश्नर ने 10 और 15 सितंबर को अपर पुलिस महानिदेशक, प्रशासन को रिपोर्ट भेजी थी। रिपोर्ट में बताया गया कि ऋषिकांत शुक्ला ने कानपुर में लगभग दस साल तक तैनाती के दौरान अखिलेश दुबे गिरोह के साथ मिलकर वसूली, कब्जा और फर्जी मुकदमें करने का काम किया। उनके करीबी अधिकारियों और केडीए कर्मियों पर भी यही आरोप हैं। एसआईटी द्वारा भेजे गए नोटिस के बावजूद इन लोगों ने अपनी सफाई नहीं दी, संभवतः इस डर से कि उन्हें भी अखिलेश दुबे और इंस्पेक्टर सभाजीत की तरह गिरफ्तार न कर लिया जाए।

अन्य कई बड़े पुलिस अफसर पर भी कार्रवाई की तैयारी

अब तक की जांच में यह स्पष्ट हुआ कि भ्रष्टाचार के इस नेटवर्क में पुलिस, केडीए और अन्य सरकारी विभागों के अधिकारी शामिल थे। निलंबन और विजिलेंस जांच की कार्रवाई इस बात का संकेत है कि शासन इस प्रकरण में गंभीरता से आगे बढ़ रहा है। इसके अलावा डिप्टी एसपी विकास पांडेय, संतोष कुमार सिंह और महेंद्र कुमार सोलंकी समेत कई अन्य अधिकारियों पर भी कार्रवाई की तैयारी है।जानकारों का मानना है कि यह कार्रवाई न केवल कानपुर पुलिस प्रशासन के लिए चेतावनी है, बल्कि भ्रष्टाचार और शक्ति का दुरुपयोग रोकने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम भी है।
लखनऊ पुलिस ने शुरू किया "ऑपरेशन पहचान" अभियान


किरायेदारों का अनिवार्य सत्यापन, नियम उल्लंघन पर होगी कार्रवाई

लखनऊ। राजधानी लखनऊ में बढ़ती आर्थिक गतिविधियों, व्यापार, शिक्षा एवं सरकारी सेवाओं के विस्तार के चलते बड़ी संख्या में बाहरी जनपदों और राज्यों से लोग रोजगार व सुविधाओं हेतु शहर में रहते हैं। ऐसे में असामाजिक तत्वों की पहचान सुनिश्चित करने के उद्देश्य से लखनऊ पुलिस ने "ऑपरेशन पहचान" अभियान शुरू किया है।

अभियान के तहत मकान मालिकों को अपने किरायेदारों का सत्यापन कराना अनिवार्य किया गया है। पुलिस का कहना है कि कई बार असामाजिक तत्व अपनी पहचान छुपाकर किराए पर कमरा लेकर अपराध की घटनाओं को अंजाम देते हैं। ऐसी स्थितियों को रोकने के लिए किरायेदारों का सत्यापन बेहद जरूरी है।

लखनऊ पुलिस द्वारा किरायेदार पंजीकरण की पूरी प्रक्रिया को आसान बनाया गया है। मकान मालिक http://lucknowpolice.up.gov.in अथवा UPCOP मोबाइल ऐप पर जाकर ऑनलाइन किरायेदार का विवरण दर्ज कर सकते हैं।

मुख्य बिंदु:

मकान मालिक किरायेदार की जानकारी पुलिस वेबसाइट या UPCOP ऐप पर देंगे।

किराया देने से पहले या अधिकतम 1 माह के भीतर सत्यापन अनिवार्य।

एक से अधिक किरायेदारों के मामले में सभी का सत्यापन जरूरी।

पुलिस टीम द्वारा भौतिक सत्यापन भी किया जाएगा।

आवश्यक दस्तावेज जैसे फोटो, पहचान पत्र, मोबाइल नंबर आदि उपलब्ध कराना अनिवार्य।

आपराधिक गतिविधियों में संलिप्त किरायेदार पाए जाने पर मकान मालिक को भी कार्रवाई का सामना करना पड़ेगा।

* यदि मकान मालिक किसी विदेशी व्यक्ति को किराए पर कमरा देता हैं, तो FORM C भरना आवश्यक।

अभियान में थाना प्रभारी, चौकी प्रभारी सहित सभी पुलिस अधिकारी अपने क्षेत्रों में सक्रिय रहेंगे और नियमित रूप से मकान मालिकों को जागरूक करेंगे। साथ ही अवैध रूप से रहने वालों पर निगरानी रखी जाएगी। लखनऊ पुलिस ने नागरिकों से अपील की है कि अपराध रोकथाम और सुरक्षित शहर की दिशा में सहयोग करते हुए अपने किरायेदारों का समय से सत्यापन अवश्य कराएं।

*शुद्ध निर्वाचक नामावली–मजबूत लोकतंत्र की नींव*


मतदाता सूची का विशेष प्रगाढ़ पुनरीक्षण अभियान 2026 : घर-घर पहुंचेंगे बीएलओ
लखनऊ । भारत निर्वाचन आयोग द्वारा "शुद्ध निर्वाचक नामावली – मजबूत लोकतंत्र" के संकल्प को साकार करने के लिए विशेष प्रगाढ़ पुनरीक्षण अभियान–2026 की शुरुआत की गई है। इस अभियान के अंतर्गत आज 04 नवम्बर 2025 से 04 दिसम्बर 2025 तक बूथ लेवल अधिकारी (बीएलओ) घर-घर जाकर मतदाताओं से संपर्क करेंगे और निर्वाचक नामावली को अद्यतन करेंगे।

*घर-घर जाकर किया जाएगा विवरण संकलन*

बीएलओ प्रत्येक घर जाकर मतदाताओं को प्री-प्रिंटेड गणना प्रपत्र (एन्यूमरेशन फॉर्म) की दो प्रतियां प्रदान करेंगे। वे मतदाताओं को फॉर्म भरने में सहायता भी करेंगे और आवश्यक जानकारी उपलब्ध कराएंगे। मतदाताओं से आग्रह किया गया है कि वे फॉर्म को सही-सही भरकर उस पर हस्ताक्षर करें तथा अपना नवीनतम फोटो संलग्न करें।
भरा हुआ गणना प्रपत्र बीएलओ को वापस देते समय मतदाताओं को प्राप्ति रसीद अवश्य लेनी होगी। यह प्रक्रिया निर्वाचन सूची की सटीकता और पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए महत्वपूर्ण है।

*डिजिटल सुविधा भी उपलब्ध*

मतदाता अब https://voters.eci.gov.in पोर्टल से भी गणना प्रपत्र डाउनलोड कर सकते हैं। इस पोर्टल के माध्यम से मतदाता अपने विवरण की जांच, सुधार या नए नामांकन के लिए ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं।
सहायता के लिए हेल्पलाइन
किसी भी प्रकार की जानकारी या सहायता के लिए निर्वाचन आयोग की हेल्पलाइन 1950 या टोल-फ्री नंबर 1800-180-1950 पर संपर्क किया जा सकता है।

*कार्यक्रम की प्रमुख तिथियाँ*

गणना प्रपत्र का वितरण एवं संकलन: 04 नवम्बर 2025 से 04 दिसम्बर 2025

निर्वाचक नामावली का आलेख्य प्रकाशन: *09 दिसम्बर 2025*

दावे एवं आपत्तियाँ दाखिल करने की अवधि: *09 दिसम्बर 2025 से 08 जनवरी 2026*

नोटिस, सुनवाई एवं निस्तारण की अवधि: *09 दिसम्बर 2025 से 31 जनवरी 2026*

निर्वाचक नामावली का अंतिम प्रकाशन: *07 फरवरी 2026*

*नागरिकों से अपील*

निर्वाचन आयोग ने सभी योग्य मतदाताओं से अपील की है कि वे इस अभियान में सक्रिय रूप से भाग लें और यह सुनिश्चित करें कि उनका नाम मतदाता सूची में सही जानकारी के साथ दर्ज हो। एक शुद्ध निर्वाचक नामावली ही मजबूत लोकतंत्र की पहचान है- *आइए, अपने लोकतंत्र को और सशक्त बनाएं।*
04 नवम्बर से शुरू हो रही पायलट प्रोजेक्ट के रूप में 15 दिनों के लिए वातानुकूलित बस सेवा

*कैसरबाग बस स्टेशन से दुधवा नेशनल पार्क तक वातानुकूलित बस सेवा संचालित होगी : दयाशंकर सिंह*

लखनऊ । प्रदेश में पर्यटन को बढ़ावा देने तथा पर्यटकों को सुगम, सुरक्षित एवं आरामदायक परिवहन सुविधा उपलब्ध कराने के उद्देश्य से पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री जयवीर सिंह के प्रस्ताव पर परिवहन राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) दयाशंकर सिंह  ने कैसरबाग बस स्टेशन (लखनऊ) से दुधवा नेशनल पार्क तक वातानुकूलित 2X2 बाईपास बस सेवा संचालित कराये जाने के निर्देश दिये हैं।

यह सेवा आज 04 नवम्बर, 2025 से पायलट प्रोजेक्ट के रूप में 15 दिनों के लिए प्रारंभ की जा रही है। पर्यटन मंत्री के सुझाव एवं परिवहन मंत्री के निर्देशानुसार, अपर मुख्य सचिव परिवहन / अध्यक्ष परिवहन निगम श्रीमती अर्चना अग्रवाल (IAS) एवं प्रबन्ध निदेशक, उत्तर प्रदेश राज्य परिवहन निगम प्रभु एन. सिंह (IAS) के मार्गदर्शन में अवध डिपो से यह नई वातानुकूलित बस सेवा प्रारंभ की जा रही है।

यह बस सेवा कैसरबाग बस स्टेशन, लखनऊ से प्रातः 08:00 बजे प्रस्थान कर सीतापुर बाईपास, लखीमपुर बाईपास होते हुए दुधवा नेशनल पार्क अपराह्न 13:30 बजे पहुँचेगी। वापसी में बस दुधवा नेशनल पार्क से अपराह्न 14:30 बजे प्रस्थान कर लखीमपुर बाईपास, सीतापुर बाईपास से होते हुए रात्रि 20:00 बजे लखनऊ कैसरबाग बस स्टेशन पहुँचेगी।
इस सेवा के माध्यम से लखनऊ से दुधवा नेशनल पार्क जाने वाले आम नागरिकों एवं पर्यटकों को एक सुखद, सुरक्षित एवं आरामदायक वातानुकूलित परिवहन सुविधा का लाभ प्राप्त होगा।

*सेवा विवरण:*

मार्ग दूरी: 227 कि.मी.

*सेवा प्रकार*: वातानुकूलित 2X2 बाईपास बस

*किराया:* ₹487/- (रुपये चार सौ सत्तासी मात्र)

यह पायलट प्रोजेक्ट प्रदेश के पर्यटन स्थलों को राजधानी से बेहतर जोड़ने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल है। सफल संचालन के उपरांत इस सेवा को नियमित रूप से संचालित किए जाने पर विचार किया जाएगा।
लखनऊ-देवा मार्ग पर भीषण सड़क हादसा, 6 की मौत, 2 गंभीर घायल

बाराबंकी/ लखनऊ । बाराबंकी में देवा-फतेहपुर मार्ग पर सोमवार देर शाम एक दिल दहला देने वाला हादसा हो गया। कल्याणी नदी पुल के पास तेज रफ्तार ट्रक और अर्टिगा कार की आमने-सामने टक्कर में दंपति, उनके बेटे सहित छह लोगों की मौत हो गई, जबकि दो लोग गंभीर रूप से घायल हैं। टक्कर इतनी जबरदस्त थी कि कार के परखच्चे उड़ गए और मौके पर अफरा-तफरी मच गई। सूचना पर डीएम शशांक त्रिपाठी और एसपी अर्पित विजयवर्गीय पुलिस बल के साथ मौके पर पहुंचे।

कानपुर में एक कार्यकम में शामिल होने गया था रस्तोगी परिवार

जानकारी के मुताबिक फतेहपुर कस्बे के भाजपा नेता गिरधर गोपाल की नई अर्टिगा कार लेकर मौलवीगंज निवासी प्रदीप रस्तोगी (55) परिवार के साथ कानपुर के बिठूर में एक कार्यक्रम में शामिल होने गए थे। लौटते समय शाम करीब साढ़े सात बजे कल्याणी नदी के पुल के पास सामने से आ रहे तेज रफ्तार ट्रक ने कार में जोरदार टक्कर मार दी।

इनकी मौके पर हो गई मौत

हादसे में प्रदीप रस्तोगी, उनकी पत्नी माधुरी रस्तोगी (52), पुत्र नितिन (35), कार चालक श्रीकांत (40), युवक नैमिष (20) और एक अन्य व्यक्ति बालाजी की मौके पर ही मौत हो गई। प्रदीप के छोटे बेटे कृष्णा (15) और विष्णु नामक युवक गंभीर रूप से घायल हुए। दोनों को स्थानीय लोगों की मदद से जिला अस्पताल भेजा गया, जहां से हालत गंभीर होने पर उन्हें लखनऊ ट्रॉमा सेंटर रेफर किया गया।

ट्रक की रफ्तार बहुत तेज थी

टक्कर के बाद आसपास के ग्रामीण मौके पर पहुंचे और कार में फंसे शवों को निकालने में पुलिस की मदद की। वाहन इतनी बुरी तरह से क्षतिग्रस्त था कि पुलिस को गैस कटर बुलाना पड़ा। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, ट्रक की रफ्तार बहुत तेज थी और चालक ब्रेक लगाने के बाद भी वाहन पर नियंत्रण नहीं रख सका। हादसे के बाद वह ट्रक छोड़कर फरार हो गया।एसपी अर्पित विजयवर्गीय ने बताया कि ट्रक को कब्जे में लेकर चालक की तलाश की जा रही है।

पूरे फतेहपुर कस्बे में शोक की लहर

मृतकों के शव पोस्टमार्टम के लिए भेज दिए गए हैं और परिजनों को सूचना दे दी गई है।इस हादसे के बाद पूरे फतेहपुर कस्बे में शोक की लहर दौड़ गई। रस्तोगी परिवार कस्बे में सम्मानित माना जाता है। एक ही परिवार के तीन सदस्यों की मौत से हर किसी की आंखें नम हो गईं। देर रात तक लोगों की भीड़ उनके घर के बाहर जुटी रही।
यूपी में 45 हजार से अधिक होमगार्ड की भर्ती को हरी झंडी

लखनऊ । उत्तर प्रदेश में 45 हजार से ज्यादा होमगार्ड स्वयंसेवकों की भर्ती की प्रक्रिया जल्द शुरू होने जा रही है। राज्य सरकार ने भर्ती को मंजूरी देते हुए शासनादेश जारी कर दिया है। इसके साथ ही भर्ती से जुड़ी गाइडलाइन भी तय कर दी गई है।भर्ती की जिम्मेदारी उत्तर प्रदेश पुलिस भर्ती एवं प्रोन्नति बोर्ड को सौंपी गई है। बोर्ड जिलों से रिक्त पदों का प्रस्ताव मिलने के बाद एनरोलमेंट की प्रक्रिया शुरू करेगा। इसके बाद अभ्यर्थियों की लिखित परीक्षा आयोजित की जाएगी।

भर्ती के लिए उम्मीदवार की आयु 18 से 30 वर्ष के बीच होनी चाहिए

जारी आदेश के अनुसार, होमगार्ड स्वयंसेवक के पदों पर भर्ती के लिए उम्मीदवार की आयु 18 से 30 वर्ष के बीच होनी चाहिए। लिखित परीक्षा के बाद मेरिट सूची तैयार की जाएगी। सफल उम्मीदवारों को शारीरिक मानक परीक्षण, दस्तावेज़ सत्यापन और शारीरिक दक्षता परीक्षा से गुजरना होगा। सभी चरणों में सफल रहने वाले अभ्यर्थियों के नाम अंतिम चयन सूची में शामिल किए जाएंगे।
प्रमुख सचिव (होमगार्ड) राजेश कुमार सिंह के अनुसार, यह भर्ती प्रदेश में सुरक्षा व्यवस्था को सुदृढ़ करने और युवाओं को रोजगार के अवसर प्रदान करने की दिशा में बड़ा कदम है।