झारखंड में रबी कर्मशाला का आयोजन: "भारी बारिश से हुए नुकसान का आकलन कर किसानों को जल्द मिलेगी मदद" - कृषि मंत्री शिल्पी नेहा तिर्की
रांची: राज्य सरकार की प्राथमिकताओं और आगामी कृषि रणनीति पर चर्चा के लिए मंगलवार को बिरसा कृषि विश्वविद्यालय (BAU) में राज्य स्तरीय रबी कर्मशाला 2025-26 का आयोजन किया गया। कृषि, पशुपालन एवं सहकारिता विभाग की मंत्री श्रीमती शिल्पी नेहा तिर्की ने कर्मशाला का उद्घाटन किया।
मंत्री के प्रमुख निर्देश और आश्वासन
कृषि मंत्री श्रीमती शिल्पी नेहा तिर्की ने अधिकारियों को संबोधित करते हुए कहा कि भारी बारिश के कारण फसल को हुए नुकसान का सरकार आकलन कर रही है, और जल्द से जल्द किसानों तक मदद पहुंचाई जाएगी।
उन्होंने जिला कृषि पदाधिकारियों (DAOs) को किसानों के साथ संवेदनशीलता के साथ संपर्क में रहने का निर्देश दिया। मंत्री ने कहा:
केसीसी लोन लक्ष्य: केसीसी लोन का लक्ष्य 25 लाख के मुकाबले सिर्फ 5 लाख तक ही हो पाया है, इसे बढ़ाने का प्रयास करें ताकि किसानों को आवश्यकतानुसार ऋण मिल सके।
सफलता की सूची: प्रखंड कृषि पदाधिकारी और अंचलाधिकारी से संपर्क कर आने वाली खरीफ कर्मशाला में अपने जिलों के ऐसे 200 किसानों की सूची बनाकर लाएं, जिनके जीवन में अधिकारियों ने बदलाव लाया हो।
पारदर्शिता: किसानों को समय पर बीज उपलब्ध कराएं और महत्वपूर्ण तकनीकी जानकारियां दें।
कृषि सचिव का एकीकृत दृष्टिकोण पर बल
कृषि सचिव श्री अबू बकर सिद्दीकी ने कहा कि कर्मशाला का मुख्य उद्देश्य रबी फसल की खेती से जुड़ी अधिक जानकारी किसानों तक पहुँचाना है ताकि पैदावार बढ़े।
कृषि कैलेंडर: उन्होंने रबी-खरीफ फसल का कैलेंडर पहले से तय करने और एक एकीकृत एप्रोच (Integrated Approach) अपनाने पर जोर दिया ताकि सीजन मिस न हो और किसानों को समय पर बीज वितरण किया जा सके।
अनकवर्ड एरिया: जिला कृषि पदाधिकारियों को अपने जिले में अनकवर्ड एग्रीकल्चर एरिया की पहचान कर उसे खेती योग्य बनाने पर जोर देने को कहा।
जनता दरबार का उपयोग: उन्होंने बताया कि 15 नवंबर को राज्य स्थापना दिवस से 'आपकी सरकार आपके द्वार' कार्यक्रम चलेगा, जिसका लाभ किसानों को जागरूक करने में लिया जाए।
विशेषज्ञों की तकनीकी सलाह
बिरसा कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. एससी दुबे सहित अन्य विशेषज्ञों ने किसानों को रबी फसल की बुवाई मॉइस्चर (नमी) रहते करने की सलाह दी।
डॉ. अरुण कुमार ने तिलहन की खेती को बढ़ाने पर जोर दिया और बिरसा बाबा मस्टर्ड वन जैसे उन्नत बीजों को अपनाने की सलाह दी।
डॉ. कमलेश कुमार ने चने की उन्नत खेती के लिए समय से बुवाई, उन्नत बीजों का चयन, और फल लगने से पहले तथा बाद में एक-एक सिंचाई की सलाह दी।
डॉ. सूर्य प्रकाश ने बताया कि जहाँ चना और मस्टर्ड नहीं लगा पाएँ, वहाँ नवंबर से दिसंबर तक गेहूं की खेती की जा सकती है।
कर्मशाला में कृषि मंत्री ने कृषि से संबंधित जानकारी हेतु रबी कर्मशाला पुस्तक का विमोचन भी किया।









5 hours ago
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