दुलारचंद यादव हत्याकांड में बड़ी कार्रवाई, पटना पुलिस ने अनंत सिंह को किया गिरफ्तार

मोकामा के दुलारचंद यादव हत्याकांड मामले में बड़ी कार्रवाई करते हुए पटना पुलिस ने पूर्व विधायक और एनडीए प्रत्याशी अनंत सिंह को अरेस्ट कर लिया है. बता दें कि पटना एसएसपी की टीम ने बाढ़ स्थित कारगिल मार्केट पहुंचकर अनंत सिंह को हिरासत में लिया है. अब उन्हें बाढ़ से पटना लेकर जाया जा रहा है.

हालांकि पहले बताया जा रहा था कि दुलारचंद यादव हत्याकांड में आरोपी अनंत सिंह पुलिस के सामने सरेंडर कर सकते हैं. इसी सूचना के बाद पटना एसएसपी के नेतृत्व में एक पुलिस टीम अनंत सिंह के घर पहुंची थी.

अनंत सिंह पर पहले कार्रवाई करते तो बेहतर होता

दुलारचंद यादव हत्याकांड में मोकामा से जेडीयू उम्मीदवार अनंत सिंह की गिरफ्तारी पर जन सुराज पार्टी के मोकामा से उम्मीदवार पीयूष प्रियदर्शी ने एएनआई से टेलीफोन पर बातचीत में कहा, यह एक अच्छा कदम है, लेकिन अगर वे पहले कार्रवाई करते तो बेहतर होता. अनंत सिंह शनिवार को 50 वाहनों के काफिले में घूम रहे थे और चुनाव प्रचार में भी शामिल हुए. जब ​​उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई थी, तो उन्हें पहले ही गिरफ्तार कर लिया जाना चाहिए था. लेकिन देर आए दुरुस्त आए. अब महत्वपूर्ण यह है कि पुलिस पूरे मामले की जांच कैसे करती है. यह उनके परिवार के लिए राहत की बात है.

अनंत सिंह समेत तीन आरोपी गिरफ्तार

पटना के एसएसपी कार्तिकेय के शर्मा ने कहा, 30 अक्टूबर को दो प्रत्याशियों के गुटों में झड़प हो गई थी. जिसके बाद पथराव हुआ, जिससे कई लोग घायल हो गए. घटना के बाद एक शव बरामद किया गया. मृतक की पहचान दुलारचंद यादव (75) के तौर पर की गई, जो उसी गांव के निवासी थे, जहां यह झड़प हुई थी. दोनों पक्षों ने मामला दर्ज कराया और पुलिस ने मामले की जांच शुरू कर दी. साक्ष्यों, प्रत्यक्षदर्शियों के बयानों और मृतक की पोस्टमार्टम रिपोर्ट के आधार पर ऐसा लगता है कि आदर्श आचार संहिता का उल्लंघन किया गया और यह एक गंभीर मामला है.

साथ ही जांच में यह भी पाया गया कि यह सब प्रत्याशी अनंत सिंह की मौजूदगी में हुआ, जो इस मामले में मुख्य आरोपी भी हैं. अनंत सिंह को गिरफ्तार कर लिया गया है. उनके साथी मणिकांत ठाकुर और रंजीत राम को भी उनके साथ गिरफ्तार किया गया है. तीनों को मजिस्ट्रेट के सामने पेश किया जाएगा और उचित जांच की जाएगी.

एसएसपी ने कहा, हत्या के आरोप में तीन लोगों को गिरफ्तार किया गया है और अन्य की गिरफ्तारी के लिए छापेमारी की जा रही है. जल्द ही और गिरफ्तारियां की जाएंगी. सीआईडी ​​ने भी मामले की जांच शुरू कर दी है. दोनों समूहों के लोगों को पुलिस के साथ दुर्व्यवहार करने और कानून-व्यवस्था की समस्या पैदा करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया है. उन्होंने बताया कि हत्या के तीनों आरोपियों ने आत्मसमर्पण नहीं किया है. उन्हें गिरफ्तार किया गया है.

20 साल में कितना बदल गया बिहार… CM नीतीश कुमार ने विस्तार से बताया

बिहार में विधानसभा का चुनाव होने जा रहा है. पहले चरण के मतदान से सात दिन पहले मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने सोशल मीडिया पर अपना एक लेख पोस्ट किया है. इसमें उन्होंने लिखा है- वर्ष 2005 से पहले बिहार हर क्षेत्र में पिछड़ गया था. विकास के कार्य पूरी तरह से ठप पड़ गए थे. आधारभूत संरचनाओं के विकास के लिए कोई काम नहीं होता था. नए भवनों का निर्माण तो दूर की बात थी, पहले से बने भवनों का रखरखाव और जीर्णोद्धार तक नहीं हो पाता था. उबड़-खाबड़ और टूटी-फूटी सड़कें बिहार के पिछड़ापन की पहचान बन गयी थीं.

उन्होंने लिखा है वर्ष 2005 में राज्य में नयी सरकार के गठन के बाद आधारभूत संरचनाओं के विकास के क्षेत्र में कई अभूतपूर्व कार्य किए गए. राज्य में नए भवनों के निर्माण के साथ-साथ ऐतिहासिक भवनों और पर्यटन स्थलों के विकास पर जोर दिया गया. राज्य में कई विश्वस्तरीय आधुनिक आधारभूत संरचनाओं का निर्माण कराया गया, जिसकी राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर सराहना भी हुई. इन परियोजनाओं के निर्माण से राज्य के लोगों को काफी फायदा हुआ है तथा राज्य की छवि बेहतर हुई है.

विश्वस्तरीय पथों का निर्माण

नीतीश कुमार ने लिखा कि बीते 20 वर्षों में राज्य में कई विश्वस्तरीय पथों का निर्माण कराया गया, जबकि कई एक्सप्रेस-वे का निर्माण कार्य जारी है. इसमें जे०पी० गंगा पथ, अटल पथ, पाटलि पथ, बिहटा-सरमेरा पथ, मीठापुर-महुली पथ, लोहिया पथ चक्र, बख्तियारपुर-रजौली पथ, पटना-गया-डोभी पटना-मुजफ्फरपुर फोर लेन, पटना-बख्तियारपुर-मोकामा पथ तथा ईस्ट-वेस्ट कॉरिडोर प्रमुख हैं. वाराणसी कोलकाता एक्सप्रेस-वे, आमस-दरभंगा एक्सप्रेस-वे, पटना-पूर्णिया एक्सप्रेस-वे, गोरखपुर-सिलीगुड़ी एक्सप्रेस-वे और रक्सौल-हल्दिया एक्सप्रेस-वे का कार्य निर्माणाधीन है, जिसे तीव्र गति से पूरा किया जा रहा है.

इन एक्सप्रेस-वे और हाई स्पीड कॉरिडोर के बनने से राज्य में न सिर्फ आवागमन बेहद सुगम हो गया है बल्कि राज्य में आर्थिक और व्यापारिक गतिविधियों में तेजी आयी है. राज्य का तीव्र गति से विकास हो रहा है और लोगों की आमदनी बढ़ रही है.

कई ऐतिहासिक भवनों का निर्माण

उन्होंने आगे लिखा कि हमारी सरकार ने राज्य में कई ऐतिहासिक भवनों का भी निर्माण कराया है. इनमें पटना का सम्राट अशोक कन्वेंशन केंद्र स्थित ज्ञान भवन, बापू सभागार तथा सभ्यता द्वार, बिहार संग्रहालय, अंजुमन इस्लामिया भवन, बापू टावर, सरदार पटेल भवन, बापू परीक्षा परिसर, हज भवन, पटना समाहरणालय, पटना सिटी का प्रकाश पुंज, ओपी शाह सामुदायिक भवन, गया का राज्य अतिथिगृह, महाबोधि कन्वेंशन केंद्र तथा बिपार्ड भवन, दरभंगा में तारामंडल, पश्चिम चंपारण में वाल्मीकि सभागार और दिल्ली में नया बिहार सदन प्रमुख है. ये सभी अत्याधुनिक भवन सिर्फ नई संरचनायें ही नहीं हैं बल्कि बदलते बिहार की पहचान हैं.

इसी तरह से पर्यटन और ईको टूरिज्म के क्षेत्र में भी हमारी सरकार लगातार शानदार कार्य कर रही है. इसमें मुख्य रूप से राजगीर में घोड़ा-कटोरा का विकास, जू-सफारी का निर्माण, राजगीर नेचर सफारी (ग्लास स्काई वॉक) का निर्माण, वेणुवन एवं पांडु पोखर का सौंदर्गीकरण, नवादा के ककोलत जल प्रपात में पर्यटकीय सुविधाओं का विकास, राजगीर एवं मंदार में नये रोप-वे का निर्माण, पटना में बुद्ध स्मृति पार्क का निर्माण, मधुबनी में मिथिला हाट का निर्माण शामिल है. इन कार्यों ने बिहार पर्यटन को आज विश्व मानचित्र पर लाकर रख दिया है.

पटना के कंकड़बाग में पाटलिपुत्र स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स, राजगीर खेल अकादमी एवं खेल विश्वविद्यालय, पटना मेट्रो परियोजना, पटना में विश्वस्तरीय डॉ० ए०पी० जे० अब्दुल कलाम साइंस सिटी का निर्माण, वैशाली में बुद्ध सम्यक दर्शन संग्रहालय का निर्माण तथा गया में विष्णुपद मंदिर के पास रबर डैम का निर्माण कराया गया है. जबकि पटना में बिहार संग्रहालय एवं पटना संग्रहालय को भूमिगत टनल से जोड़ने का काम तेजी से चल रहा है.

हवाई सेवाओं की क्षमता में अभूतपूर्व वृद्धि

उन्होंने कहा कि पिछले दो दशकों में बिहार राज्य में हवाई सेवाओं की क्षमता में अभूतपूर्व वृद्धि हुई है. राज्य में बुनियादी ढांचे को मजबूत करते हुये हवाई यातायात का विस्तार किया गया है. पटना में अत्याधुनिक नया एयरपोर्ट टर्मिनल बनाया गया है. साथ ही दरभंगा एवं पूर्णिया में हवाई अड्डे भी संचालित हो चुके हैं. इसके साथ-साथ बिहटा, रक्सौल तथा वीरपुर हवाई अड्डों का निर्माण कार्य प्रारंभ कर दिया गया है एवं वाल्मीकिनगर, मधुबनी, मुंगेर, सहरसा तथा मुजफ्फरपुर हवाई अड्डों को विकसित करने की प्रक्रिया प्रारंभ कर दी गयी है.

राज्य में आधारभूत संरचनाओं की मजबूती के लिए हमारी सरकार बजट का भी पूरा इंतजाम कर रही है. आप सबको पता है वर्ष 2004-05 में राज्य का बजट लगभग 24 हजार करोड़ रुपये था. आज बिहार का बजट 3 लाख 16 हजार करोड़ रुपये भी अधिक हो गया है. हमलोग कुशल वित्तीय प्रबंधन करते हुए बढ़े हुए बजट का उपयोग राज्य के सर्वांगीण विकास में कर रहे हैं.

हमलोगों ने जो आपके लिए काम किए हैं, उसे याद रखिएगा. आगे भी हमलोग ही काम करेंगे. हमलोग जो कहते हैं, उसे पूरा करते हैं.

तुलसी विवाह के दिन तुलसी के पास न रखें ये चीजें, वरना घर में होगी आर्थिक तंगी!

इस बार तुलसी विवाह 1 नवंबर को मनाया जाएगा. हर साल ये पर्व कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को मनाया जाता है. इस दिन जगत के पालनहार भगवान श्री हरि विष्णु का के शालीग्राम स्वरूप का (वृंदा से) माता तुलसी से विवाह कराया जाता है. मान्यता है कि तुलसी विवाह करवाने वाले लोगों के सारे दुख दूर हो जाते हैं. घर में खुशहाली आती है. हिंदू धर्म शास्त्रों में तुलसी का बहुत विशेष महत्व माना गया है.

मान्यताओं के अनुुसार, घर में तुलसी का पौधा लगाने से सकारात्मकता आती है और नकारात्मकता उर्जा नष्ट हो जाती है. तुलसी के पौधे को घर में रखना बहुत शुभ होता है, क्योंकि तुलसी माता मां लक्ष्मी का ही स्वरूप मानी जाती हैं. तुलसी का पौधा घर के लोगों की रक्षा करता है और उनको हर समस्या से बचाता है. तुलसी विवाह के दिन वास्तु से संबंधित बातों का बहुत विशेष ध्यान रखना चाहिए. ऐसे में आइए जानते हैं कि तुलसी विवाह के दिन तुलसी के पास किन चीजों को नहीं रखना चाहिए?

तुलसी के पास न रखें जूते-चप्पल

वास्तु शास्त्र के अनुसार, तुलसी के पास जूते-चप्पल नहीं रखने चाहिए. ऐसा करने माता लक्ष्मी नाराज हो जाती हैं. घर में आर्थिक समास्याएं आने लगती हैं. तुलसी के पास जूते-चप्पल रखने से उसकी पवित्रता भंग होती है, इसलिए तुलसी का पौधा सदा स्वच्छ और पवित्र स्थान पर ही रखना चाहिए.

झाड़ू पास न रखें

तुलसी के पास झाड़ू नहीं रखना चाहिए. झाड़ू घर से गंदगी निकालने के लिए उपयोग की जाती है. इसे तुलसी के पौधे के पास रखने से माता का अपमान होता है. इससे घर में पौसों से जुड़ी परेशानियां होने लगती हैं.

शिवलिंग पास न रखें

तुलसी का पौधा और शिवलिंग कभी एक साथ नहीं रखना चाहिए. ऐसा करने से पूजा में दोष लगता है. तुलसी और शिवलिंग को इसलिए एक साथ नहीं पूजा जाता क्योंकि महादेव ने तुलसी माता के पति शंखचुड़ का वध किया था.

कांटेदार पौधे पास न रखें

तुलसी के पास कांटेदार पौधे नहीं लगाने या रखने चाहिए. मान्यता है कि ऐसा करने से घर में गरीबी आती है. घर के लोगों में तनाव और कलह बढ़ती है.

Disclaimer:इस खबर में दी गई जानकारी धार्मिक मान्यताओं और सामान्य जानकारियों पर आधारित है. हम इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

घाटों पर आस्था का सैलाब, देशभर में उगते सूर्य को अर्घ्य के साथ छठ महापर्व का हुआ भव्य समापन

कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को मनाया जाने वाला लोक आस्था का महापर्व छठ पूजा आज सुबह उगते सूर्य को अर्घ्य देने के साथ पूरा हो गया. देशभर के घाटों पर सुबह से ही श्रद्धालुओं का तांता लगा रहा. नदियों, तालाबों और सरोवरों के किनारे लाखों व्रती महिलाओं ने जल में खड़े होकर सूर्य देव को अर्घ्य अर्पित किया और परिवार की सुख-समृद्धि, संतान की दीर्घायु और समाज में खुशहाली की कामना की. चार दिनों तक चलने वाले इस पर्व ने पूरे देश में धार्मिक उल्लास और भक्ति का अद्भुत वातावरण बना दिया. इस दौरान व्रतियों ने सूर्य देव से घाटों पर पारंपरिक गीतों की गूंज और डूबते सूरज की किरणों के बीच जल में खड़ी महिलाओं ने सूर्य को अर्घ्य देकर अपने व्रत को पूरा किया.

उगते सूर्य को दिया गया ‘ऊषा अर्घ्य’

छठ पूजा का चौथा और आखिरी दिन बहुत ही महत्वपूर्ण होता है. आज सुबह से ही सभी नदी तटों, तालाबों और कृत्रिम घाटों पर आस्था का अद्भुत नज़ारा देखने को मिला. व्रती महिलाएं और पुरुष अपने परिवार के साथ सूप और डाला में फल, ठेकुआ, गन्ना, नारियल और अलग- अलगा तरह के पकवान सजाकर जल में खड़े हुए. जैसे ही सूर्य की पहली किरणें दिखाई दीं, पूरा वातावरण भक्तिमय हो गया. श्रद्धालुओं ने एक स्वर में छठी मैया के गीत गाए और जल तथा दूध से ‘ऊषा अर्घ्य’ अर्पित किया. सूर्य देव के उदय होते ही, चारों तरफ उत्साह और भक्ति की लहर दौड़ गई. इस क्षण को साक्षी बनाने के लिए लाखों लोगों की भीड़ उमड़ी थी, जिन्होंने दूर-दराज से आकर इस पावन पर्व में हिस्सा लिया.

36 घंटे का निर्जला व्रत संपन्न

छठ पर्व स्वच्छता, पवित्रता और आत्म-अनुशासन का प्रतीक है. खरना के दिन से शुरू हुआ 36 घंटे का कठिन निर्जला व्रत (बिना अन्न-जल ग्रहण किए), आज उगते सूर्य को अर्घ्य देने के बाद पूरा हुआ. व्रती सूर्य अर्घ्य देने के बाद प्रसाद ग्रहण कर विधि-विधान से अब व्रत का पारण करेंगे.

पर्व का महत्व: प्रकृति और संतान के प्रति कृतज्ञता

छठ महापर्व न केवल धार्मिक महत्व रखता है, बल्कि यह प्रकृति के प्रति आभार व्यक्त करने का भी एक अनूठा माध्यम है. इस पर्व में सूर्य देव (जो ऊर्जा और जीवन के स्रोत हैं) और छठी मैया (जो संतान की रक्षा करने वाली देवी हैं) की पूजा की जाती है. उगते और डूबते सूर्य को अर्घ्य देने की परंपरा यह संदेश देती है कि जीवन में हर स्थिति (उदय या अस्त) का सम्मान करना चाहिए. इसलिए छठ पूजा सिर्फ एक त्योहार नहीं, बल्कि करोड़ों लोगों की अटूट आस्था और सांस्कृतिक विरासत का प्रतीक माना जाता है.

Disclaimer: इस खबर में दी गई जानकारी धार्मिक मान्यताओं और सामान्य जानकारियों पर आधारित है. हम इसकी पुष्टि नहीं करता है.

बिहार चुनाव में राहुल गांधी की एंट्री, 29 अक्टूबर को तेजस्वी यादव के साथ करेंगे जनसभा

बिहार विधानसभा चुनाव को लेकर सभी राजनीतिक चल तैयारियों में जुटे हुए है. सूबे में रैलियों का दौर जारी है. राज्य की सत्ता पर काबिज होने के लिए जनता से लोकलुभावन वादे किए जा रहे हैं. सत्ता पक्ष और विपक्ष एक दूसरे पर लगातार हमले कर रहा है. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, गृहमंत्री अमित शाह, तेजस्वी यादव समेत अन्य दिग्गजों की चुनावी सभाएं हो रही हैं. वहीं अब कांग्रेस नेता राहुल गांधी भी चुनाव प्रचार में उतरने वाले हैं.

जानकारी के मुताबिक देश के नेता प्रतिपक्ष और कांग्रेस नेता राहुल गांधी 29 अक्टूबर को मुजफ्फरपुर के सकरा सुरक्षित विधानसभा क्षेत्र और दरभंगा में महागठबंधन समर्थित प्रत्याशियों के पक्ष में बिहार के नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव के साथ संयुक्त रूप से जनसभा को संबोधित करेंगे. इस दौरान दोनों ही नेता जनता से गठबंधन के उम्मीदवार के पक्ष में मतदान करने की अपील करेंगे.

राहुल गांधी करेंगे चुनावी सभाएं

बिहार कांग्रेस के मीडिया विभाग के चेयरमैन राजेश राठौड़ ने बताया कि कांग्रेस के नेता राहुल गांधी का विधानसभा चुनाव में यह पहला बिहार दौरा है. उन्होंने बताया कि राहुल सकरा सुरक्षित विधानसभा से कांग्रेस प्रत्याशी उमेश राम के समर्थन में पहली जनसभा को संबोधित करेंगे. इसके बाद वो दरभंगा में RJD और महागठबंधन के उम्मीदवार की सभा को संबोधित करेंगे.

मैदान में उतरेगी राहुल और तेजस्वी की जोड़ी

राहुल गांधी की दोनों ही सभाएं काफी अहमियत रखती हैं, क्योंकि चुनावी मौसम में राहुल और तेजस्वी की ये पहली सभाएं होंगी. जब से तेजस्वी को महागठबंधन का सीएम फेस घोषित किया गया है. तेजस्वी एक के बाद एक लगातार चुनावी सभाएं कर रहे हैं और एनडीए सरकार पर जमकर निशाना साध रहे हैं. वहीं अब राहुल और तेजस्वी एक साथ नजर आएंगे. चुनावी सभाओं से ठीक एक दिन पहले 28 अक्टूबर (मंगलवार) को महागठबंधन की तरफ से साझा घोषणापत्र जारी किया जाएगा.

वोटर अधिकार यात्रा के बाद राहुल का पहला दौरा

इससे पहले देश के नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने 16 दिनों तक लगातार बिहार में रहकर 1300 किमी की यात्रा की. वोटर अधिकार यात्रा के दौरान उन्होंने बीजेपी पर वोट चोरी का आरोप लगाते हुए जमकर निशाना साधा था. वहीं एसआईआर को लेकर चुनाव आयोग पर भी सवाल खड़े किए थे. बिहार वोटर अधिकार यात्रा के बाद राहुल पहली बार बिहार दौरे पर आ रहे हैं. जहां वो महागठबंधन के प्रत्याशियों के लिए संयुक्त रूप से जनसभाओं को संबोधित करेंगे.

बिहार विधानसभा चुनाव की बात करें तो राज्य की सभी 243 सीटों पर दो चरण में चुनाव होंगे. पहले चरण के लिए 6 नवंबर को और दूसरे चरण के लिए 11 नवंबर को वोटिंग होगी. वहीं चुनाव के नतीजे 14 नवंबर को जारी किए जाएंगे. पहले चरण में 18 जिलों की 121 सीटों और दूसरे चरण में 20 जिलों की 122 सीटों पर मतदान होगा. इन दोनों चरणों में कुल 2616 उम्मीदवार मैदान में हैं.

छठ पूजा के तीसरे दिन बनेगा रवि योग, जानें किस समय दें डूबते सूर्य को अर्घ्य

छठ महापर्व बड़ी आस्था और उत्साह के साथ मनाया जाता है, जो कि 4 दिनों तक चलता है. छठ पूजा का तीसरा दिन इस पर्व का मुख्य दिन होता है. सोमवार, 27 अक्टूबर को छठ का तीसरा दिन है, जिसमें शाम के समय डूबते सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है. अगले दिन 28 अक्टूबर उगते सूर्य को अर्घ्य देकर चार दिवसीय महापर्व का समापन होता है. ज्योतिषियों की मानें तो इस बार कार्तिक माह की षष्ठी तिथि पर रवि योग का निर्माण हो रहा है, जिसमें सूर्य को अर्घ्य देने से सूर्य देव की विशेष कृपा प्राप्त हो सकती है. आइए जानें कि छठ पूजा के तीसरे दिन डूबते सूर्य को अर्घ्य कब देना चाहिए.

छठ के तीसरे दिन बनेंगे ये शुभ योग

ज्योतिष की मानें तो कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि पर छठ का मुख्य दिन होता है. इस शुभ अवसर पर रवि योग, सुकर्मा योग और कौलव करण जैसे कई मंगलकारी योगों का निर्माण हो रहा है. ऐसा माना जाता है कि अगर इन योग में सूर्य देव को अर्घ्य दिया जाए, तो व्यक्ति की हर मनोकामना पूरी होती है और सुख- सौभाग्य में वृद्धि का आशीर्वाद मिलता है

27 अक्टूबर को सूर्यास्त कब होगा?

पंचांग के मुताबिक, सोमवार 27 अक्टूबर को दिल्ली में शाम 5 बजकर 40 मिनट पर सूर्यास्त होगा. इस समय नई दिल्ली में डूबते सूर्य देव को विधि-विधान से अर्घ्य दिया जाएगा.

रवि योग का समय

पंचांग की मानें तो 27 अक्टूबर को रवि योग दोपहर में शुरू होगा, जो कि पूरी रात तक रहेगा. ऐसे में इस योग में संध्या अर्घ्य देना सबसे शुभ रहेगा. धार्मिक मान्यता के अनुसार, रवि योग में सूर्य देव की उपासना करने से भगवान भास्कर की कृपा बरसती है और आरोग्यता का वरदान मिलता है. इसके अलावा, 27 अक्टूबर को सुकर्मा योग का भी संयोग बन रहा है.

रवि योग – 27 अक्टूबर को दोपहर 1:27 मिनट पर.

इनके अलावा, 27 अक्टूबर को कौलव और तैतिल करण का महासंयोग भी बनने वाला है. कौलव करण में भी आप डूबते सूर्य देव को अर्घ्य दे सकते हैं. ज्योतिष में कौलव करण को शुभ माना जाता है. वहीं, करण योग का निर्माण भी 27 अक्टूबर को होने वाला है. करण योग में अगले दिन उगते सूर्य देव को अर्घ्य दिया जाएगा.

Disclaimer: इस खबर में दी गई जानकारी धार्मिक मान्यताओं और सामान्य जानकारियों पर आधारित है. हम इसकी पुष्टि नहीं करता है.

छठ पूजा में खरना आज, भूलकर भी न करें ये गलतियां, जान लें पूजा विधि

छठ पूजा का महापर्व 25 अक्टूबर को नहाय-खाय के साथ शुरू हो चुका है. आज छठ पूजा का दूसरा दिन है. आज छठ पूजा में खरना है. खरना का दिन छठ पूजा में बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है. खरना पर पूरे दिन का व्रत रखा जाता है. खरना का अर्थ होता है, शुद्धता. ऐसे में इस दिन शुद्धता और पवित्रता का विशेष ध्यान ध्यान रखा जाता है, ताकि पूजा किसी भी तरह से बाधित न हो.

इस दिन मिट्टी के नए चूल्हे पर प्रसाद बनाया जाता है. प्रसाद बनाने के लिए आम की लकड़ियों का उपयोग होता है. इससे प्रसाद की पवित्रता बनी रहती है. इस दिन पूरे दिन व्रत के बाद शाम को देवी-देवताओं और छठी मैया को भोग लगाया जाता है. फिर इस प्रसाद को ग्रहण किया जाता है. खरना पर कुछ विशेष बातों का ध्यान रखना चाहिए. खरना के दिन कुछ गलतियां भूलकर भी नहीं करनी चाहिए. आइए जानते हैं इस दिन क्या गलतियां नहीं करनी चाहिए? साथ ही जानते हैं खरना के दिन की पूजा विधि.

खरना के दिन न करें ये गलतियां


छठ पूजा से जुड़ी वस्तुओं को गलती से भी गंदे हाथों से ना छुएं. पूजा से जुड़ी वस्तुओं को हाथ धोकर या फिर नहाने के बाद ही छूना सही है. खरना के किसी भी सामान में गंदे हाथ ना लगाएं. अगर गलती से ऐसा कर देते हैं, तो उस समान को पूजा में उपयोग ना करें. खरना के दिन प्रसाद बनाने वाली जगह साफ सुथरी होनी चाहिए. सूर्य देव और छठी मैया को प्रसाद अर्पित करने के बाद ही व्रती महिलाएं और परिवार के सदस्य भोजन करें. प्रसाद में केवल सेंधा नमक का ही उपयोग करें और कोई भी दूसरा नमक ना खाएं.

खरना पूजन की विधि


खरना के दिन सुबह जल्दी उठकर घर की अच्छी तरह सफाई करने के बाद नहा-धोकर साफ और आरामदायक वस्त्र पहनें. पूजा-पाठ करें. शाम को दोबारा स्नान करें. फिर साफ वस्त्र पहनें. आम की लकड़ियों से आग जलाकर प्रसाद (भोजन) बनाएं. प्रसाद तैयार होने के बाद सबसे पहले छठी मैया को भोग अर्पित करें. पूजा संपन्न होने के बाद व्रती कुछ समय वहीं बैठें और माता का ध्यान करें.

Disclaimer: इस खबर में दी गई जानकारी धार्मिक मान्यताओं और सामान्य जानकारियों पर आधारित है. हम इसकी पुष्टि नहीं करता है.

लोक आस्था का महापर्व छठ पूजा 25 अक्टूबर से ; जानें नहाय-खाय से उषा अर्घ्य तक का पूरा डिटेल

नई दिल्ली/पटना: सूर्य देव और छठी मइया की उपासना का सबसे बड़ा पर्व छठ पूजा 2025 में 25 अक्टूबर, शनिवार से शुरू होकर 28 अक्टूबर, मंगलवार को उषा अर्घ्य के साथ संपन्न होगा। यह चार दिनों तक चलने वाला कठिन अनुष्ठान बिहार, झारखंड और उत्तर प्रदेश सहित पूरे देश में पूरी श्रद्धा, स्वच्छता और अनुशासन के साथ मनाया जाता है।

चार दिवसीय छठ महापर्व 2025 का कार्यक्रम:

दिन तिथि अनुष्ठान मुख्य क्रिया अनुमानित समय (दिल्ली के लिए)

पहला दिन 25 अक्टूबर, शनिवार नहाय-खाय व्रती सात्विक भोजन (चना दाल, कद्दू की सब्जी, चावल) ग्रहण कर व्रत का संकल्प लेंगे।

सूर्योदय: 06:28 AM

दूसरा दिन 26 अक्टूबर, रविवार खरना (लोहंडा) व्रती दिन भर निर्जला व्रत रखेंगे और शाम को गुड़ की खीर, रोटी और केला का प्रसाद ग्रहण कर 36 घंटे का कठिन उपवास शुरू करेंगे।

सूर्यास्त: 05:41 PM

तीसरा दिन 27 अक्टूबर, सोमवार संध्या अर्घ्य डूबते हुए सूर्य देव को अर्घ्य दिया जाएगा। व्रती घाटों पर जाकर ठेकुआ और फलों का प्रसाद चढ़ाएंगे।

सूर्यास्त: 05:40 PM

चौथा दिन 28 अक्टूबर, मंगलवार उषा अर्घ्य व पारण उगते हुए सूर्य देव को अर्घ्य देकर छठी मइया से सुख-समृद्धि की कामना की जाएगी। इसके बाद व्रत का पारण होगा। सूर्योदय (उषा अर्घ्य): 06:30 AM

पर्व का महत्व

छठ पूजा को दिवाली के बाद आने वाला यह पर्व सूर्य देव की उपासना का सबसे बड़ा पर्व माना जाता है। मान्यता है कि इस व्रत को करने से घर में सुख-शांति, सौभाग्य और समृद्धि आती है। इस पर्व के माध्यम से न केवल सूर्य की ऊर्जा के प्रति आभार व्यक्त किया जाता है, बल्कि यह स्वच्छता, अनुशासन और सामूहिक एकता का भी प्रतीक है।

व्रत के दौरान व्रती 36 घंटे का कठिन निर्जला उपवास रखते हैं, जो इस पर्व को लोक आस्था का सबसे बड़ा और सबसे कठिन त्योहार बनाता है। छठ माता को सूर्य देव की बहन माना जाता है, जिन्हें संतानों की रक्षा और सुख देने वाली देवी के रूप में पूजा जाता है।

बिहार: दरभंगा के हायाघाट में बीजेपी उम्मीदवार रामचंद्र साहू का विरोध, ग्रामीणों ने गांव से बाहर जाने को किया मजबूर

दरभंगा जिला के हायाघाट विधानसभा क्षेत्र में भाजपा प्रत्याशी और स्थानीय विधायक रामचंद्र साहू को जनता के गुस्से का सामना करना पड़ा. क्षेत्र के अटहर पंचायतों के अटहर चौक पर ग्रामीणों ने जमकर नारेबाजी की और उन्हें गांव से बाहर जाने को मजबूर कर दिया. ग्रामीणों ने आरोप लगाया है कि पिछले पांच साल में क्षेत्र में कोई विकास कार्य नहीं हुआ.

सड़क, नाला, बिजली, पानी और स्वास्थ्य जैसी बुनियादी सुविधाओं की हालत बद से बदतर है. लोगों का कहना है कि विधायक रहते हुए क्षेत्र की समस्याओं पर कभी ध्यान नहीं दिया. ग्रामीण ने बताया कि इनकी जीत सिर्फ बीजेपी के नाम पर होती है. जनता पार्टी को देखकर वोट दे देती है, लेकिन ये उसका फायदा उठाते हैं. वहीं, विधायक फिलहाल अपना पक्ष रखने से इनकार कर दिया.

वापस जाओ, वापस जाओ के लगे नारे

रामचंद्र साहू को जनता के भारी विरोध का सामना करना पड़ा. विरोध के दौरान ग्रामीणों ने वापस जाओ, वापस जाओ और अब गांव में मत आओ के नारे भी लगाए. हायाघाट एक सामान्य सीट है. यह 1967 में स्थापित हुई और अब तक यहां 14 विधानसभा चुनाव हो चुके हैं. कमला और बागमती नदियों के कारण हर साल बाढ़ की समस्या बनी रहती है. यह सीट कांटे की टक्कर वाली सीट मानी जाती है. यहां एनडीए और महागठबंधन के बीच सीधा मुकाबला रहता है. पिछले विधानसभा चुनाव में रामचंद्र साहू ने आरजेडी के भोला यादव को हराया था.

हायाघाट में राजनीतिक सरगर्मियां तेज

हायाघाट में राजनीतिक सरगर्मियां तेज होने की उम्मीद है. बीजेपी अपनी जीती हुई सीट को बरकरार रखने के लिए पूरी ताकत लगाएगी. वहीं, आरजेडी के नेतृत्व वाला महागठबंधन इस सीट को वापस पाने की कोशिश करेगा. 2020 के चुनाव में राजद के भोला यादव ने कड़ी टक्कर दी थी, जिससे यह तय है कि यहां मुकाबला कांटे का हो सकता है.

2015 के विधानसभा चुनाव में जेडीयू से अमर नाथ गामी ने जीत हासिल की थी. उन्होंने लोक जनशक्ति पार्टी के रमेश चौधरी को हराया था. 2010 के चुनाव में गामी बीजेपी के टिकट पर चुनाव लड़े थे और उन्होंने जीत हासिल की थी. उन्होंने आरजेडी के भोला यादव को हराया था.

दिवाली पर 149000000 यूनिट बिजली खर्च, 24 घंटे में UP ने तोड़ दिए सारे रिकॉर्ड; दूसरे नंबर पर कौन?

दिवाली के पर्व ने उत्तर प्रदेश में नया इतिहास रच दिया है. इस बार त्योहार की रौशनी ने बिजली खपत के सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए. 24 घंटे में उत्तर प्रदेश में 1490 लाख यूनिट बिजली की खपत दर्ज की गई, जो देश में सबसे अधिक है. इस उपलब्धि के साथ यूपी ने बिजली उपभोग के मामले में पूरे देश में पहला स्थान हासिल किया है. उत्तर प्रदेश पावर कॉरपोरेशन लिमिटेड (यूपीपीसीएल) के अनुसार, दिवाली की रात घरों, बाजारों और सार्वजनिक स्थानों पर दीयों, लाइट्स और सजावट के लिए बिजली की मांग चरम पर पहुंच गई.

हरियाणा में 1390 लाख यूनिट बिजली खपत

इस दौरान यूपी ने हरियाणा को पीछे छोड़ते हुए शीर्ष स्थान हासिल किया. हरियाणा में 1390 लाख यूनिट बिजली की खपत के साथ दूसरा स्थान रहा. वहीं, पंजाब में 880 लाख यूनिट और दिल्ली में 830 लाख यूनिट बिजली का उपयोग हुआ. राजस्थान में यह आंकड़ा 560 लाख यूनिट रहा. यूपीपीसीएल के अधिकारियों ने बताया कि दिवाली के दौरान बिजली आपूर्ति को निर्बाध रखने के लिए विशेष इंतजाम किए गए थे. ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों में बिजली की मांग में भारी उछाल देखा गया.

इन शहरों में ज्यादा रही मांग

लखनऊ, कानपुर, वाराणसी और प्रयागराज जैसे शहरों में सजावटी लाइट्स और त्योहारी उत्साह ने बिजली खपत को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाया. ऊर्जा विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, “यह उपलब्धि दर्शाती है कि उत्तर प्रदेश में बिजली आपूर्ति की व्यवस्था मजबूत हुई है. हमने बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए पहले से ही तैयारी कर ली थी.” उन्होंने यह भी जोड़ा कि नवीकरणीय ऊर्जा और बेहतर ग्रिड प्रबंधन ने इस दौरान महत्वपूर्ण भूमिका निभाई.

बता दें कि पिछले साल दिवाली पर अधिकतम मांग करीब 23 हजार मेगावाट दर्ज की गई थी. इस बार दिवाली की संध्या तक यह मांग करीब 21 हजार मेगावाट तक दर्ज की गई. सोमवार को दिन में 17 से 18 हजार मेगावाट मांग बनी रही. अनुमान से अधिक बिजली की मांग को देखते हुए जहां जिले में स्थित परियोजनाओं की सभी इकाइयां उत्पादन पर ले ली गईं. वहीं सभी इकाइयों से बेहतर उत्पादन बनाए रखने को कहा गया.

दिवाली पर बढ़ती बिजली की मांग को देखते हुए सोनभद्र जिले की सभी बिजली परियोजनाओं को पूरी क्षमता पर लगाया गया. इन परियोजनाओं से लगातार बिजली की आपूर्ति सुनिश्चित की गई, ताकि उच्चतम खपत पीक ऑवर में भी बिजली कटौती न हो.

अनपरा ए (1630 मेगावाट): 1364 मेगावाट उत्पादन.

अनपरा बी (1000 मेगावाट): 900 मेगावाट उत्पादन.

अनपरा डी (1000 मेगावाट): 931 मेगावाट उत्पादन.

ओबरा सी (1320 मेगावाट): 1200 मेगावाट उत्पादन.

ओबरा बी (1000 मेगावाट): 522 मेगावाट उत्पादन.

लैंको (निजी 1200 मेगावाट): 722 मेगावाट उत्पादन.

रिहंद एनटीपीसी (3000 मेगावाट): 2978 मेगावाट उत्पादन.

सिंगरौली सुपर थर्मल पावर (2000 मेगावाट): 1978 मेगावाट उत्पादन.