लोक आस्था का महापर्व छठ पूजा 25 अक्टूबर से ; जानें नहाय-खाय से उषा अर्घ्य तक का पूरा डिटेल

नई दिल्ली/पटना: सूर्य देव और छठी मइया की उपासना का सबसे बड़ा पर्व छठ पूजा 2025 में 25 अक्टूबर, शनिवार से शुरू होकर 28 अक्टूबर, मंगलवार को उषा अर्घ्य के साथ संपन्न होगा। यह चार दिनों तक चलने वाला कठिन अनुष्ठान बिहार, झारखंड और उत्तर प्रदेश सहित पूरे देश में पूरी श्रद्धा, स्वच्छता और अनुशासन के साथ मनाया जाता है।

चार दिवसीय छठ महापर्व 2025 का कार्यक्रम:

दिन तिथि अनुष्ठान मुख्य क्रिया अनुमानित समय (दिल्ली के लिए)

पहला दिन 25 अक्टूबर, शनिवार नहाय-खाय व्रती सात्विक भोजन (चना दाल, कद्दू की सब्जी, चावल) ग्रहण कर व्रत का संकल्प लेंगे।

सूर्योदय: 06:28 AM

दूसरा दिन 26 अक्टूबर, रविवार खरना (लोहंडा) व्रती दिन भर निर्जला व्रत रखेंगे और शाम को गुड़ की खीर, रोटी और केला का प्रसाद ग्रहण कर 36 घंटे का कठिन उपवास शुरू करेंगे।

सूर्यास्त: 05:41 PM

तीसरा दिन 27 अक्टूबर, सोमवार संध्या अर्घ्य डूबते हुए सूर्य देव को अर्घ्य दिया जाएगा। व्रती घाटों पर जाकर ठेकुआ और फलों का प्रसाद चढ़ाएंगे।

सूर्यास्त: 05:40 PM

चौथा दिन 28 अक्टूबर, मंगलवार उषा अर्घ्य व पारण उगते हुए सूर्य देव को अर्घ्य देकर छठी मइया से सुख-समृद्धि की कामना की जाएगी। इसके बाद व्रत का पारण होगा। सूर्योदय (उषा अर्घ्य): 06:30 AM

पर्व का महत्व

छठ पूजा को दिवाली के बाद आने वाला यह पर्व सूर्य देव की उपासना का सबसे बड़ा पर्व माना जाता है। मान्यता है कि इस व्रत को करने से घर में सुख-शांति, सौभाग्य और समृद्धि आती है। इस पर्व के माध्यम से न केवल सूर्य की ऊर्जा के प्रति आभार व्यक्त किया जाता है, बल्कि यह स्वच्छता, अनुशासन और सामूहिक एकता का भी प्रतीक है।

व्रत के दौरान व्रती 36 घंटे का कठिन निर्जला उपवास रखते हैं, जो इस पर्व को लोक आस्था का सबसे बड़ा और सबसे कठिन त्योहार बनाता है। छठ माता को सूर्य देव की बहन माना जाता है, जिन्हें संतानों की रक्षा और सुख देने वाली देवी के रूप में पूजा जाता है।

बिहार: दरभंगा के हायाघाट में बीजेपी उम्मीदवार रामचंद्र साहू का विरोध, ग्रामीणों ने गांव से बाहर जाने को किया मजबूर

दरभंगा जिला के हायाघाट विधानसभा क्षेत्र में भाजपा प्रत्याशी और स्थानीय विधायक रामचंद्र साहू को जनता के गुस्से का सामना करना पड़ा. क्षेत्र के अटहर पंचायतों के अटहर चौक पर ग्रामीणों ने जमकर नारेबाजी की और उन्हें गांव से बाहर जाने को मजबूर कर दिया. ग्रामीणों ने आरोप लगाया है कि पिछले पांच साल में क्षेत्र में कोई विकास कार्य नहीं हुआ.

सड़क, नाला, बिजली, पानी और स्वास्थ्य जैसी बुनियादी सुविधाओं की हालत बद से बदतर है. लोगों का कहना है कि विधायक रहते हुए क्षेत्र की समस्याओं पर कभी ध्यान नहीं दिया. ग्रामीण ने बताया कि इनकी जीत सिर्फ बीजेपी के नाम पर होती है. जनता पार्टी को देखकर वोट दे देती है, लेकिन ये उसका फायदा उठाते हैं. वहीं, विधायक फिलहाल अपना पक्ष रखने से इनकार कर दिया.

वापस जाओ, वापस जाओ के लगे नारे

रामचंद्र साहू को जनता के भारी विरोध का सामना करना पड़ा. विरोध के दौरान ग्रामीणों ने वापस जाओ, वापस जाओ और अब गांव में मत आओ के नारे भी लगाए. हायाघाट एक सामान्य सीट है. यह 1967 में स्थापित हुई और अब तक यहां 14 विधानसभा चुनाव हो चुके हैं. कमला और बागमती नदियों के कारण हर साल बाढ़ की समस्या बनी रहती है. यह सीट कांटे की टक्कर वाली सीट मानी जाती है. यहां एनडीए और महागठबंधन के बीच सीधा मुकाबला रहता है. पिछले विधानसभा चुनाव में रामचंद्र साहू ने आरजेडी के भोला यादव को हराया था.

हायाघाट में राजनीतिक सरगर्मियां तेज

हायाघाट में राजनीतिक सरगर्मियां तेज होने की उम्मीद है. बीजेपी अपनी जीती हुई सीट को बरकरार रखने के लिए पूरी ताकत लगाएगी. वहीं, आरजेडी के नेतृत्व वाला महागठबंधन इस सीट को वापस पाने की कोशिश करेगा. 2020 के चुनाव में राजद के भोला यादव ने कड़ी टक्कर दी थी, जिससे यह तय है कि यहां मुकाबला कांटे का हो सकता है.

2015 के विधानसभा चुनाव में जेडीयू से अमर नाथ गामी ने जीत हासिल की थी. उन्होंने लोक जनशक्ति पार्टी के रमेश चौधरी को हराया था. 2010 के चुनाव में गामी बीजेपी के टिकट पर चुनाव लड़े थे और उन्होंने जीत हासिल की थी. उन्होंने आरजेडी के भोला यादव को हराया था.

दिवाली पर 149000000 यूनिट बिजली खर्च, 24 घंटे में UP ने तोड़ दिए सारे रिकॉर्ड; दूसरे नंबर पर कौन?

दिवाली के पर्व ने उत्तर प्रदेश में नया इतिहास रच दिया है. इस बार त्योहार की रौशनी ने बिजली खपत के सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए. 24 घंटे में उत्तर प्रदेश में 1490 लाख यूनिट बिजली की खपत दर्ज की गई, जो देश में सबसे अधिक है. इस उपलब्धि के साथ यूपी ने बिजली उपभोग के मामले में पूरे देश में पहला स्थान हासिल किया है. उत्तर प्रदेश पावर कॉरपोरेशन लिमिटेड (यूपीपीसीएल) के अनुसार, दिवाली की रात घरों, बाजारों और सार्वजनिक स्थानों पर दीयों, लाइट्स और सजावट के लिए बिजली की मांग चरम पर पहुंच गई.

हरियाणा में 1390 लाख यूनिट बिजली खपत

इस दौरान यूपी ने हरियाणा को पीछे छोड़ते हुए शीर्ष स्थान हासिल किया. हरियाणा में 1390 लाख यूनिट बिजली की खपत के साथ दूसरा स्थान रहा. वहीं, पंजाब में 880 लाख यूनिट और दिल्ली में 830 लाख यूनिट बिजली का उपयोग हुआ. राजस्थान में यह आंकड़ा 560 लाख यूनिट रहा. यूपीपीसीएल के अधिकारियों ने बताया कि दिवाली के दौरान बिजली आपूर्ति को निर्बाध रखने के लिए विशेष इंतजाम किए गए थे. ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों में बिजली की मांग में भारी उछाल देखा गया.

इन शहरों में ज्यादा रही मांग

लखनऊ, कानपुर, वाराणसी और प्रयागराज जैसे शहरों में सजावटी लाइट्स और त्योहारी उत्साह ने बिजली खपत को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाया. ऊर्जा विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, “यह उपलब्धि दर्शाती है कि उत्तर प्रदेश में बिजली आपूर्ति की व्यवस्था मजबूत हुई है. हमने बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए पहले से ही तैयारी कर ली थी.” उन्होंने यह भी जोड़ा कि नवीकरणीय ऊर्जा और बेहतर ग्रिड प्रबंधन ने इस दौरान महत्वपूर्ण भूमिका निभाई.

बता दें कि पिछले साल दिवाली पर अधिकतम मांग करीब 23 हजार मेगावाट दर्ज की गई थी. इस बार दिवाली की संध्या तक यह मांग करीब 21 हजार मेगावाट तक दर्ज की गई. सोमवार को दिन में 17 से 18 हजार मेगावाट मांग बनी रही. अनुमान से अधिक बिजली की मांग को देखते हुए जहां जिले में स्थित परियोजनाओं की सभी इकाइयां उत्पादन पर ले ली गईं. वहीं सभी इकाइयों से बेहतर उत्पादन बनाए रखने को कहा गया.

दिवाली पर बढ़ती बिजली की मांग को देखते हुए सोनभद्र जिले की सभी बिजली परियोजनाओं को पूरी क्षमता पर लगाया गया. इन परियोजनाओं से लगातार बिजली की आपूर्ति सुनिश्चित की गई, ताकि उच्चतम खपत पीक ऑवर में भी बिजली कटौती न हो.

अनपरा ए (1630 मेगावाट): 1364 मेगावाट उत्पादन.

अनपरा बी (1000 मेगावाट): 900 मेगावाट उत्पादन.

अनपरा डी (1000 मेगावाट): 931 मेगावाट उत्पादन.

ओबरा सी (1320 मेगावाट): 1200 मेगावाट उत्पादन.

ओबरा बी (1000 मेगावाट): 522 मेगावाट उत्पादन.

लैंको (निजी 1200 मेगावाट): 722 मेगावाट उत्पादन.

रिहंद एनटीपीसी (3000 मेगावाट): 2978 मेगावाट उत्पादन.

सिंगरौली सुपर थर्मल पावर (2000 मेगावाट): 1978 मेगावाट उत्पादन.

40वीं बार सांप ने काटा, 2024 में डॉक्टर ने कर दिया मृत घोषित… फिर हो गए थे जिंदा; कहानी प्रेमचंद की

उत्तर प्रदेश के देवरिया में एक शख्स को सांप ने 40वीं बार काट लिया. ये मामला गौरी बाजार थाना क्षेत्र से सामने आया है, जहां के भगुआ के पासवान टोला इलाके में रहने वाले प्रेमचंद को सांप पकड़ते समय सांप ने डंस लिया. इसके बाद प्रेमचंद की हालत बिगड़ गई. सांप के काटने के तुंरत बाद उन्हें अस्पातल में भर्ती कराया गया, जहां उनका इलाज जारी है. इससे पहले 2024 में वह मरकर जिंदा हो गए थे.

दरअसल, गौरी बाजार इलाके के रहने वाले प्रेमचंद सांप पकड़ने का काम करते हैं. वह अब तक 600 से ज़्यादा सांप पकड़ चुके हैं. ऐसे में उन्हें सांप कई बार काच चुका है. अब एक सांप को पकड़ते समय उन्हें 40वीं बार सांप ने काट लिया. सांप के काटने के बाद भी प्रेमचंद ने सांप को पकड़कर एक डिब्बे में बंद कर दिया. इसके बाद प्रेमचंद को इलाज के लिए महर्षि देवराह बाबा मेडिकल कॉलेज में भर्ती कराया गया, जहां उनका जारी है.

सांप पकड़ते प्रेमचंद को डंसा

प्रेमचंद को पासवान टोला में रामभजन पासवान के घर के पास से सांप पकड़ने के लिए बुलाया गया. जब प्रेमचंद मौके पर पहुंचे, तो सांप छत पर था. सांप को पकड़ने के लिए, प्रेमचंद एक बांस की सीढ़ी के सहारे ऊपर चढ़े और सांप को पकड़ लिया. जब वह छत से नीचे आ रहे थे. तभी सांप ने पलट कर प्रेमचंद की उंगली में काट लिया. इसके बाद प्रेमचंद ने बिना डरे सांप को एक प्लास्टिक के डिब्बे में बंद कर दिया. हालांकि, कुछ समय बाद प्रेमचंद की तबीयत बिगड़ गई.

600 से ज्यादा सांप पकड़ चुके

प्रेमचंद 20 सालों से सांप पकड़ने का काम कर रहे हैं. वह देवरिया, गोरखपुर-बस्ती मंडल और बिहार तक में सांप पकड़ने जाते हैं. अब तक प्रेमचंद 600 से ज्यादा सांप पकड़ चुके हैं. सांपों को पकड़ने के बाद वह उन्हें जंगल में ले जाकर छोड़ देते हैं. इससे पहले भी सांप पकड़ते समय प्रेमचंद को कई बार सांप काट चुके हैं, लेकिन इसके बाद भी उनकी जान बच गई. 2024 में प्रेमचंद को एक जहरीले सांप ने काट लिया था. इससे वह बेहोश हो गए थे. उन्हें गोरखपुर मेडिकल कॉलेज में भर्ती कराया गया था, जहां डॉक्टरों ने प्रेमचंद को मृत घोषित कर दिया था, लेकिन कुछ देर बाद प्रेमचंद को खुद ही होश आ गया था. उसके बाद प्रेमचंद ने एक बार फिर सांप पकड़ना शुरू कर दिया था.

दिवाली पर छा जाता अंधेरा, खुशियां नहीं शोक मनाते हैं इन गांवों के लोग; वजह जान हैरान रह जाएंगे आप?

दिवाली के मौके पर लोग खुशियां मनाते हैं. अपने घरों में दिये जलाकर उन्हें रोशन करते हैं. एक-दूसरे को मिठाई खिलाते हैं और खुशियां बांटते हैं. इस बार 20 अक्टूबर को देशभर में दिवाली की रौनक होगी, लेकिन क्या आप जानते हैं कि कुछ जगह ऐसी भी हैं, जहां पर दिवाली के मौके पर लोग खुशियां नहीं, बल्कि शोक मनाते हैं. वह दिवाली पर दिए नहीं जलाते. बल्कि अपने घरों में अंधेरा कर लेते हैं.

ऐसा उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर जिले के कुछ गांवों में होता है. दिवाली के दिन कुछ गांवों में हर घर में सन्नाटा छा जाता है. इनमें राजगढ़ क्षेत्र के भांवा, अटारी और आसपास के गांवों के नाम शामिल हैं, जहां रहने वाले चौहान वंश के क्षत्रिय परिवार दिवाली नहीं मनाते, बल्कि इस दिन को शोक दिवस के रूप में बिताते हैं. स्थानीय लोगों की मान्यता है कि दिवाली के दिन ही मोहम्मद गोरी ने पृथ्वीराज चौहान की हत्या की थी, जिन्हें वह अपना पूर्वज और वीर योद्धा मानते हैं.

दिवाली पर छा जाता है अंधेरा

यही वजह है कि इन गांवों में न रंगोली सजती है, न दीप जलते हैं और न ही कोई उत्सव होता है. यहां के दिवाली के दिन खुश नहीं होते, बल्कि अपने पूर्वज को याद कर दुखी होते हैं. यहां के लोगों के घरों में दिवाली पर मिठाई नहीं खिलाई जाती और न ही रंगोली बनाई जाती है. दिवाली की रात जहां, देशभर में रौनक होती है. चारों तरह दिए जलते हैं और लोगों के घर जगमग होते हैं. यहां के घरों में दिवाली के दिन अंधेरा छा जाता है.

एक दीया जलाकर करते हैं पूजा

हालांकि, इन गावों में कुछ परिवार ऐसे भी हैं, जो सिर्फ एक दीया जलाकर लक्ष्मी-गणेश की पूजा करते हैं और थोड़ी देर बाद उसे भी बुझा देते हैं. यह परंपरा इन गांवों में अब से नहीं बल्कि कई पीढ़ियों से चलती आ रही है, जिसे यहां के लोग निभाते चले आ रहे हैं. वह दिवाली के दिन शांत होकर दिन गुजारते हैं. उनके लिए दिवाली खुशियों का त्योहर नहीं, बल्कि शोक है

बिहार में नामांकन का कल आखिरी दिन, INDIA गठबंधन में सस्पेंस बरकरार, जानें कितने साथ-कितने अलग

बिहार विधानसभा चुनाव के दूसरे और अंतिम चरण के लिए नामांकन दाखिल करने की प्रक्रिया पूरी होने वाली है, लेकिन INDIA गठबंधन में सीटों के बंटवारे को लेकर भ्रम की स्थिति बनी हुई है. वहीं NDA ने लगभग अपने सभी मनमुटाव दूर कर लिए हैं और बिहार चुनाव में मजबूत नजर आ रही है.

वहीं INDIA गठबंधन के दलों में कई सीटों पर खींचतान जारी है. जिसकी वजह झारखंड के प्रमुख दल JMM ने इस गठबंधन को छोड़ दिया है. वहीं कुछ सीटों पर RJD और कांग्रेस में गंभीर तकरार है और दोनों ही अपने कैंडिडेट उतार सकते हैं.

JMM ने अलग रास्ता अपनाया

महागठबंधन INDIA में सहयोगी दलों के बीच सहमति बनाने की कोशिशें जारी हैं। हालांकि, झारखंड के प्रमुख दल JMM ने इस गठबंधन को छोड़कर बिहार की छह सीटों पर अकेले चुनाव लड़ने का ऐलान कर दिया है. इससे गठबंधन को एक बड़ा झटका लगा है. गठबंधन के नेता पहले नए साथियों को शामिल करने की जरूरत का हवाला दे रहे थे, लेकिन JMM के अलग होने से स्थिति और जटिल हो गई है

RJD और कांग्रेस में मनमुटाव

गठबंधन में सबसे बड़ी पार्टी RJD ने अपने उम्मीदवारों के टिकट बांटने शुरू कर दिए हैं, लेकिन अभी तक उसकी पूरी सूची सामने नहीं आई है. कई सीटों पर RJD ने अपने ही गठबंधन साथियों के उम्मीदवारों के खिलाफ टिकट दे दिए हैं, जिससे तनाव पैदा हो गया है. वहीं, कांग्रेस ने 48 उम्मीदवारों की पहली सूची जारी की थी, और अब उसने पांच और सीटों के उम्मीदवारों के नाम घोषित किए हैं. इनमें किशनगंज सीट भी शामिल है, जहां कांग्रेस ने अपने मौजूदा विधायक को हटाकर AIMIM से आए एक नेता को टिकट दिया है. आरोप हैं कि कांग्रेस ने टिकट बेचे हैं, जबकि पार्टी नेता कह रहे हैं कि समझौता होने वाला है.

आठ सीटों पर आमने-सामने की आशंका

गठबंधन में समन्वय की कमी का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि कम से कम आठ सीटों पर एक ही गठबंधन के दो-दो उम्मीदवार चुनाव लड़ रहे हैं. इनमें से तीन सीटों पर RJD और कांग्रेस के बीच सीधा मुकाबला हो सकता है. वहीं, सत्तारूढ़ NDA में भी सब कुछ ठीक नहीं दिख रहा। जद(यू) ने अंतिम समय में अमौर सीट पर अपना उम्मीदवार बदल दिया और पूर्व भाजपा नेता सबीर अली को टिकट दे दिया, जिन्हें 2014 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की प्रशंसा करने के कारण पार्टी से निकाला गया था.

कितनी सीटों पर लड़ रहे नितीश?

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पार्टी JDU, जो भाजपा के बराबर 101 सीटों पर चुनाव लड़ रही है, ने आखिरी समय में अमौर से पूर्व राज्यसभा सांसद साबिर अली को मैदान में उतारने का फैसला किया, जहाँ से उसने पहले सबा ज़फ़र को उम्मीदवार बनाया था, जो 2020 की उपविजेता थीं और जिन्होंने पांच साल पहले भी भाजपा के चुनाव चिन्ह पर यह सीट जीती थी.

दिलचस्प बात यह है कि अली को 2014 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की प्रशंसा करने के कारण जद (यू) से निकाल दिया गया था, जिन्हें पार्टी सुप्रीमो अपना कट्टर विरोधी मानते थे. बाद में अली भाजपा में शामिल हो गए और उन्हें पार्टी के अल्पसंख्यक प्रकोष्ठ का महासचिव बनाया गया है.

NDA की मढ़ौरा सीट पर कोई उम्मीदवार नहीं

सत्तारूढ़ गठबंधन को मढ़ौरा सीट पर भी शर्मिंदगी का सामना करना पड़ा, यहां केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान की लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) की उम्मीदवार भोजपुरी अभिनेत्री से नेता बनीं सीमा सिंह का नामांकन पत्र तकनीकी आधार पर खारिज कर दिया गया.

यह सीट अब पूर्व मंत्री और मौजूदा विधायक जितेंद्र कुमार राय के पक्ष में एकतरफा मुकाबले की ओर बढ़ती दिख रही है, जिन्हें सिर्फ जन सुराज पार्टी के उम्मीदवार अभय सिंह ही चुनौती दे सकते हैं. हालांकि, पासवान ने कहा कि उनकी पार्टी ने एक छोटी सी चूक पर अपने फैसले पर पुनर्विचार करने के लिए चुनाव आयोग को ज्ञापन दिया है.

पंजाब में गरीब रथ एक्सप्रेस ट्रेन में लगी भीषण आग, बाल-बाल बचे यात्री

लुधियाना से दिल्ली जा रही गरीब रथ एक्सप्रेस की एक बोगी में शनिवार सुबह को भीषण आग लग गई. ये हादसा पंजाब के सरहिंद स्टेशन के पास हुआ. शुरुआती जांच में आग लगने का कारण शॉर्ट सर्किट बताया जा रहा है. आग लगते ही स्टेशन पर अफरातफरी मच गई. वहीं, रेलवे के अधिकारियों के मुताबिक, इस हादसे में किसी भी यात्री को कोई नुकसान नहीं पहुंचा है.

उत्तर रेलवे अंबाला के डीआरएम ने कहा है कि सरहिंद जंक्शन (SIR) पर ट्रेन संख्या 12204 (अमृतसर-सहरसा गरीब रथ एक्सप्रेस) में आग लगने की सूचना मिली है. रेलवे कर्मचारियों और स्थानीय अधिकारी मौके पर पहुंचे हैं. स्थिति नियंत्रण में है और अभी तक किसी के हताहत होने की सूचना नहीं है.

हादसा सुबह करीब साढ़े सात बजे हुआ, जब ट्रेन ने सरहिंद स्टेशन को पार ही किया था. बताया जा रहा है कि आग ट्रेन की 19 नंबर एसी बोगी में लगी, जिसमें लुधियाना के कई यात्री भी सफर कर रहे थे. जैसे ही बोगी से धुआं उठने लगा, यात्रियों में हड़कंप मच गया.

इमरजेंसी ब्रेक लगाकर ड्राइवर ने रोकी ट्रेन

लोको पायलट ने तुरंत इमरजेंसी ब्रेक लगाकर ट्रेन को नियंत्रित किया और सभी यात्रियों को सुरक्षित नीचे उतरने के निर्देश दिए. इस दौरान बोगी में मौजूद लोगों ने अपना सामान छोड़कर किसी तरह अपनी जान बचाई. अफरातफरी के माहौल में कई यात्रियों के चोटिल होने की खबर है. हालांकि, रेलवे ने इसकी पुष्टि नहीं की है.

तत्काल फायर ब्रिगेड की टीम मौके पर पहुंची

हादसे की सूचना मिलते ही रेलवे, पुलिस और फायर ब्रिगेड की टीमें मौके पर पहुंचीं. दमकल कर्मियों ने करीब एक घंटे की मशक्कत के बाद आग पर काबू पा लिया. राहत की बात यह रही कि इस घटना में कोई जनहानि नहीं हुई. हालांकि कई यात्रियों का सामान जल गया या बोगी में ही छूट गया.

हादसे के तुरंत बाद ट्रेन स्टाफ और टीटीई ने तत्काल स्थिति संभाली और रेलवे कंट्रोल को सूचना दी. अधिकारियों के निर्देश पर यात्रियों को सुरक्षित अन्य बोगियों में भेजा गया.रेलवे ने इस हादसे की जांच के आदेश दिए हैं, ताकि आग लगने के सटीक कारणों का पता लगाया जा सके.

बिहार चुनाव: 16 वर्तमान विधायकों को नहीं मिलेगा टिकट! बीजेपी आज जारी करेगी उम्मीदवारों की सूची

बिहार चुनाव में भाजपा ने सहयोगी पार्टियों के बीच सीटों का बंटवारा कर दिया है. बीजेपी के खाते में कुल 101 सीटें गई हैं. रविवार शाम को हुई केंद्रीय चुनाव कमेटी की बैठक में बीजेपी ने सभी 101 सीटों पर कल की बैठक में उम्मीदवारों के नाम तय कर लिये हैं. सूत्रों के अनुसार करीब सोलह मौजूदा विधायकों के टिकट काटे जा सकते हैं. करीब बीस प्रतिशत मौजूदा विधायकों के टिकट कट सकते हैं. इसके साथ ही कुछ वरिष्ठ नेताओं को टिकट मिलने की संभावना नहीं है. हालांकि 75 की उम्र पार करने वाले नेताों को भी टिकट मिल सकता है

इस बीच, बिहार भाजपा अध्यक्ष डॉ. दिलीप जायसवाल ने कहा कि उम्मीदवारों की सूची को अंतिम मंजूरी मिल गई है और पहले चरण के लिए नामों की घोषणा आज शाम तक कर दी जाएगी.

पटना में मीडियाकर्मियों से बात करते हुए डॉ जायसवाल ने कहा कि गठबंधन सहयोगियों के बीच सीटों का आवंटन बेहद सौहार्दपूर्ण माहौल में तय किया गया. जदयू सहित एनडीए के अन्य सहयोगी दल भी आज अपने उम्मीदवारों के नामों की घोषणा कर सकते हैं.

संत की गजब की भक्ति! हाथों के बल चलेंगे 3500KM, पूरी करेंगे नर्मदा परिक्रमा

भारत देश को आस्था और अध्यात्म की भूमि कहा जाता है जहां हर भक्त अपने तरीके से भगवान और प्रकृति की उपासना करता है. लेकिन मध्यप्रदेश के डिंडोरी जिले से जो तस्वीर सामने आई है वह भक्ति और तपस्या की पराकाष्ठा को दर्शाता है. आज के युग में जब लोग सुविधा और सहजता के आदी हो चुके हैं वहीं एक संत है धर्मपुरी महाराज, जिन्होंने मां नर्मदा की परिक्रमा करने का ऐसा संकल्प लिया है जो हर किसी को अचंभित कर दे.

धर्मपुरी महाराज नीचे सिर और ऊपर पैर, यानी हाथों के बल चलकर मां नर्मदा की परिक्रमा कर रहे हैं. आस्था का यह रूप जितना अनोखा है उतना ही कठिन भी. आमतौर पर भक्त नर्मदा परिक्रमा पैदल, दंडवत या वाहनों से करते हैं लेकिन धर्मपुरी महाराज ने इसे साधना और तपस्या का स्वरूप दे दिया है. उनका यह अनोखा संकल्प अमरकंटक से शुरू हुआ है जहां नर्मदा का उद्गम होता है और इसे पूरा करने में उन्हें तीन साल, तीन महीने और तेरह दिन लगेंगे. इस दौरान वे लगभग साढ़े तीन हजार किलोमीटर की दूरी तय करेंगे.

भक्ति देख आश्चर्य में लोग

धर्मपुरी महाराज का कहना है कि यह सिर्फ एक यात्रा नहीं बल्कि मां नर्मदा के प्रति उनका पूर्ण समर्पण और तप है. वे कहते हैं कि शरीर की सीमाएं चाहे जो हों सच्ची श्रद्धा और विश्वास से हर कठिनाई को पार किया जा सकता है. उनका जीवन इस बात का उदाहरण है कि जब मन में भक्ति की ज्योति जलती है तब असंभव भी संभव हो जाता है. स्थानीय ग्रामीण भी इस अनोखी परिक्रमा को देखकर श्रद्धा से भर जाते हैं. डिंडोरी के रहने वाले ग्रामीण जगदेव सिंह का कहना है कि हमने अपने जीवन में ऐसा नजारा और मां नर्मदा के प्रति ऐसी आस्था कभी नहीं देखी. महाराज जी के संकल्प ने पूरे गांव में भक्ति का माहौल बना दिया है. वहीं माखन धुर्वे का कहना है मां नर्मदा की कृपा से ही कोई ऐसा कर सकता है. यह सिर्फ शारीरिक नहीं बल्कि आत्मिक साधना है.

भक्ति में कठिन तपस्या

धर्मपुरी महाराज का यह प्रयास न केवल एक धार्मिक यात्रा है, बल्कि आस्था, संयम और आत्मबल का अद्भुत उदाहरण भी है. हाथों के बल चलते हुए वे हर दिन सैकड़ों लोगों को यह संदेश दे रहे हैं कि भक्ति का कोई रूप छोटा या बड़ा नहीं होता. मायने रखता है तो बस समर्पण का भाव. डिंडोरी की यह तस्वीर आज पूरे भारत के लिए प्रेरणा है कि जब तक मन में विश्वास और मां नर्मदा जैसी दिव्य शक्ति का आशीर्वाद है तब तक हर कठिन राह भी साधक के लिए तपोभूमि बन जाती है. दुनिया में भगवान के भक्त तो बहुत हैं लेकिन धर्मपुरी महाराज जैसे विरले ही होते हैं जो अपनी भक्ति को कठिनतम तपस्या में बदल देते हैं.

पटना मेट्रो में गुटखे के बाद अब 'ठुमके' बाजी! रील बनाने पर भड़के यात्री, जुर्माने की मांग

बिहार की राजधानी पटना में बहुप्रतीक्षित मेट्रो सेवा शुरू होने के कुछ ही दिनों के भीतर यह 'रील हब' बनती जा रही है। पहले जहां यात्रियों ने मेट्रो के डिब्बों में गुटखा थूककर गंदगी फैलाई, वहीं अब डांस और एक्टिंग करते हुए रील बनाने के वीडियो तेजी से वायरल हो रहे हैं।

हाल ही में, एक युवती का ब्लैक एंड व्हाइट ड्रेस में फिल्मी गाने पर डांस करते हुए रील बनाने का वीडियो वायरल हुआ है, जिस पर सोशल मीडिया पर तीखी प्रतिक्रियाएँ आ रही हैं। लोग मेट्रो के अंदर इस तरह के अवांछित व्यवहार पर सख्त कार्रवाई और भारी जुर्माना लगाने की मांग कर रहे हैं, ताकि सार्वजनिक संपत्ति का वातावरण साफ-सुथरा बना रहे और अश्लीलता न फैले।

लोगों का कहना है कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार द्वारा हरी झंडी दिखाए जाने के तुरंत बाद ही इस तरह की घटनाएँ होना दुर्भाग्यपूर्ण है। पटना मेट्रो रेल प्रशासन की ओर से अभी तक इस मामले पर कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है। हालांकि, संभावना है कि भविष्य में दिल्ली मेट्रो की तर्ज़ पर रील बनाने पर प्रतिबंध और नियमों का उल्लंघन करने पर जुर्माना लगाने जैसे कदम उठाए जा सकते हैं।