*जीवन में राम जैसा स्वामी और हनुमान जी जैसी भक्ति हो-रामभद्राचार्य जी*
*वाल्मीकि रामायण में चतुर्थ दिवस भक्त और भगवान का भावपूर्ण वर्णन सुन भाव विभोर हुए भक्त*
विजेथुआ महोत्सव मेँ चल रही वाल्मीकि रामायण के चतुर्थ दिवस व्यासपीठ से स्वामी रामभद्राचार्य जी महाराज ने कहा कि “यदि श्रीराम जैसा मर्यादा वादी स्वामी नहीं बन सकते तो हनुमानजी जैसा मर्यादा वादी सेवक बनने का प्रयास करें।” उन्होंने कहा कि मर्यादा ही मनुष्य को महान बनाती है। श्रीराम ने अपने जीवन के प्रत्येक क्षण में धर्म और मर्यादा का पालन किया, इसलिए वे आज भी आदर्श स्वामी माने जाते हैं।
स्वामी जी ने कहा कि हनुमानजी ने सेवक होकर भी मर्यादा की ऐसी मिसाल पेश की, जो युगों-युगों तक प्रेरणा देती रहेगी। उन्होंने अपने समर्पण और निष्ठा से यह सिद्ध किया कि सेवा का अर्थ केवल आज्ञापालन नहीं, बल्कि पूर्ण मर्यादा में रहकर कर्तव्य निभाना है। स्वामी जी ने कहा कि “नेता बनना बड़ी बात नहीं, मर्यादा में रहकर सेवा करना ही सबसे बड़ी साधना है। उन्होंने आगे कहा कि आज समाज में अव्यवस्था का कारण मर्यादा का क्षय है। जब व्यक्ति अपने आचरण में अनुशासन और सेवा भाव लाता है, तभी समाज में संतुलन और सद्भाव होता है। कथा स्थल पर हजारों श्रद्धालु उपस्थित रहे। पूरा वातावरण “जय श्रीराम” और “हनुमानजी महाराज की जय” के जयघोष से गूंज उठा।
स्वामी जी ने अंत में कहा कि यदि प्रत्येक व्यक्ति श्रीराम की मर्यादा और हनुमानजी की निष्ठा को अपने जीवन में उतार ले, तो समाज में प्रेम, शांति और आदर्श जीवन की स्थापना निश्चित है। कथा से पूर्व कथा विजेथुआ महोत्सव के आयोजक सत्यपथ फाउंडेशन के संरक्षक विवेक तिवारी ने सपत्नीक व्यास पीठ की पूजा अर्चना कर श्रद्धालुओं के प्रति आभार जताया। वाल्मीकि रामायण में अतिथि क्षेत्रीय सँगठन मन्त्री बिहार, झारखंड नागेंद्र जी, पूर्व मन्त्री व एम.एल.सी. अशोक कटारिया, राष्ट्रीय प्रवक्ता प्रेम शुक्ला, पूर्व डीजीपी आरपी सिँह, अमेठी से आए समाजसेवी रोहित सिँह, भाजपा जिलाध्यक्ष सुशील त्रिपाठी,जिला विकास अधिकारी सुल्तानपुर गजेंद्र तिवारी डीसी मनरेगा अजीत कुमार सिंह प्रमोद कुमार पांडेय अंकित राय डा रत्नेश तिवारी, डा. गिरजेश तिवारी, डा. जेपी दूबे, प्रमुख प्रतिनिधि सर्वेश मिश्र, राम विनय सिँह, महेंद्र मिश्र, रितेश दूबे, अम्बरीश मिश्र, दीपक सिँह, अरविंद पाँडे य, जगदम्बा प्रसाद उपाध्याय, विक्की वर्मा, सत्यम तिवारी, विपिन शुक्ला, विजय उपाध्याय, रितेश उपाध्याय, कृष्ण कुमार चौबे, दीपक पाँडेय, रामूश्यामू उपाध्याय, शशांक पाँडेय, सत्येंद्र मिश्र, सत्यप्रकाश यादव, डा. सन्त भारती सहित तमाम संभ्रांत लोग मौजूद रहे। कथा के दौरान सीता की कथा सुना रहे जगतगुरु ने गद्दोपुर निवासी डेढ साल की बेटी को गोदी में लेकर उसका नामकरण मिथिला कर दिया। जैसे ही वह बिटिया पाँडाल मे गयी महिलाएं उसका चरण छूने के लिए होड लगाने लगी। महोत्सव आयोजक विवेक तिवारी धर्मपत्नी वन्दना तिवारी ने बिटिया को दक्षिणा देकर उसकी माता को सौँप दिया।
3 hours ago