पश्चिम बंगाल में फिर मेडिकल स्टूडेंट से गैंगरेप, तीन आरोपियों को 10 दिनों की पुलिस हिरासत में भेजा गया

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पश्चिम बंगाल में एक बार फिर से शर्मसार कर देने वाली घटना सामने आई है। राज्य के दुर्गापुर स्थित मेडिकल कॉलेज में ओडिशा की छात्र के साथ रेप की घटना हुई। इस मामले में तीन लोगों की गिरफ़्तारी हुई है, जिनमें छात्रा के साथ पढ़ने वाला एक छात्र भी शामिल है। अभियुक्तों को एक स्थानीय अदालत ने 10 दिनों की पुलिस हिरासत में भेजा है। यह घटना मेडिकल कॉलेज कैंपस के बाहर हुई। मेडिकल छात्रा का पास के एक अस्पताल में इलाज चल रहा है।

बर्धमान जिले के दुर्गापुर में मेडिकल स्टूडेंट के साथ गैंगरेप की ये वारदात शुक्रवार की है। पीड़ित अपने एक पुरुष दोस्त के साथ डिनर पर गई थी। वापस लौटते समय 3 लोगों ने उनका रास्ता रोका। छात्रा का दोस्त उसे छोड़कर भाग गया, जिसके बाद आरोपियों ने उससे दरिंदगी की।

पुलिस के मुताबिक, छात्रा ने बताया कि जब तीन लोगों ने उसका रास्ता रोका, तो उसका दोस्त उसे अकेला छोड़कर चला गया। फिर आरोपियों ने उसका फोन छीन लिया और उसे जंगल में ले गए, जहां तीनों ने उसके साथ रेप किया। आरोपियों ने घटना के बारे में किसी को बताने पर छात्रा को अंजाम भुगतने की धमकी भी दी। फिर उसका मोबाइल फोन वापस करने के लिए पैसे भी मांगे। पुलिस ने बताया कि उन्होंने पीड़ित छात्रा का बयान दर्ज कर लिया है।

पीड़ित के पिता को जानकारी उसकी सहेली ने दी। पिता के अनुसार यह घटना रात 8 से 9 बजे के बीच हुई। पिता ने शनिवार को मीडिया से बातचीत में कहा कि रात 10 बजे उसकी सहेली ने हमें फ़ोन किया और कहा आपकी बेटी के साथ बलात्कार हुआ है। पिता ने कहा कि सुरक्षा व्यवस्था ढीली है। इतनी गंभीर घटना हुई, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। यहां कोई व्यवस्था नहीं है, कोई प्रतिक्रिया नहीं है। पश्चिम बंगाल में यह घटना ऐसे वक्त पर सामने आई है जब तृणमूल कांग्रेस सरकार कोलकाता के आरजीकर रेप-मर्डर केस में भारी किरकरी करवा चुकी है।

मुत्ताकी की प्रेस कॉन्फेंस से महिला पत्रकारों को बाहर रखने पर भड़के राहुल, बोले-आपकी चुप्पी नारी शक्ति के नारे की सच्चाई

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अफगानिस्तान के विदेश मंत्री आमिर खान मुत्ताकी की दिल्ली में हुई प्रेस कॉन्फ्रेंस में महिला पत्रकारों को बैन करने का मामला तूल पकड़ता जा रहा है। इस मामले में कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पर निशाना साधा है। इससे पहले कांग्रेस सांसद प्रियंका गांधी ने भी पीएम मोदी से तीखा सवाल किया।

महिलाओं के प्रति कमजोरी और असंवेदनशीलता-राहुल गांधी

दिल्ली में शुक्रवार अफगानिस्तान के विदेश मंत्री आमिर खान मुतक्की द्वारा आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में महिला पत्रकारों को शामिल नहीं किए जाने पर कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पर तीखा हमला बोलाते हुए कहा कि जब प्रधानमंत्री ऐसे भेदभाव पर चुप रहते हैं तो यह पूरे देश की महिलाओं के प्रति कमजोरी और असंवेदनशीलता का संदेश देता है।

आप उनके लिए खड़े होने में कमजोर हैं-राहुल गांधी

राहुल गांधी ने एक्स पर लिखा, मोदी जी, जब आप महिला पत्रकारों को किसी सार्वजनिक कार्यक्रम से बाहर किए जाने की अनुमति देते हैं तो आप देश की हर महिला को यह बता रहे हैं कि आप उनके लिए खड़े होने में कमजोर हैं। हमारे देश में महिलाओं को हर क्षेत्र में समान भागीदारी का अधिकार है। ऐसे भेदभाव पर आपकी चुप्पी ‘नारी शक्ति’ के आपके नारों की खोखलापन उजागर करती है

प्रियंका ने पूछा- महिला पत्रकारों का यह अपमान कैसे होने दिया गया?

इससे पहले प्रियंका गांधी ने अपने आधिकारिक 'एक्स' हैंडल के जरिए पीएम मोदी को टैग करते हुए पोस्ट में लिखा, 'प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, कृपया यह स्पष्ट करें कि तालिबान के प्रतिनिधि की भारत यात्रा के दौरान उनकी प्रेस कॉन्फ्रेंस से महिला पत्रकारों को हटाने को लेकर आपकी क्या स्थिति है?' उन्होंने आगे लिखा, 'अगर महिलाओं के अधिकारों को लेकर आपकी मान्यता सिर्फ एक चुनाव से दूसरे चुनाव तक सीमित दिखावा नहीं है, तो फिर हमारे देश में, जहां महिलाएं हमारी रीढ़ हैं, हमारी शान हैं, इतनी योग्य महिला पत्रकारों का यह अपमान कैसे होने दिया गया?

बता दें कि एक दिन पहले ही अफगान विदेश मंत्री अमीर खान मुत्ताकी ने नई दिल्ली स्थित अफगान दूतावास में प्रेस कॉन्फ्रेंस की थी। इस दौरान केवल कुछ चुनिंदा पत्रकारों को आमंत्रित किया गया था और महिला पत्रकारों को बुलाया नहीं गया था। मुत्ताकी ने इससे पहले विदेश मंत्री एस. जयशंकर के साथ विस्तृत बातचीत की थी।

भारत दौरे पर आए अमेरिकी राजदूत सर्जियो गोर, विदेश मंत्री जयशंकर ने की मुलाकात

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अमेरिका और भारत के रिश्तें में इन दिनों तनाव है। इस बीच अमेरिका के नए राजदूत-नामित सर्जियो गोर दिल्ली पहुंचे। विदेश मंत्री एस। जयशंकर ने उनसे मुलाकात की। इस दौरान दोनों नेताओं के बीच गर्मजोशी नजर आई। अमेरिकी दूतावास के अनुसार, राजदूत गोर का औपचारिक परिचय पत्र प्रस्तुत किया जाएगा और भारत आने की तारीख बाद में तय की जाएगी। बता दें कि कुछ दिन पहले ही अमेरिकी संसद ने भारत में राजदूत के रूप में उनकी नियुक्ति की पुष्टि की थी।

विदेश मंत्री जयशंकर ने दी बधाई

नई दिल्ली में भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने अमेरिकी राजदूत सर्जियो गोर से मुलाकात के बाद एक्स पर ट्वीट किया। एस जयशंकर ने लिखा, आज नई दिल्ली में अमेरिका के राजदूत-डेसिग्नेट सर्जियो गोर से मिलकर प्रसन्नता हुई। भारत-अमेरिका संबंधों और इसके वैश्विक महत्व पर चर्चा हुई। उन्हें उनकी नई जिम्मेदारी के लिए शुभकामनाएं।

क्यों अहम है गोर की ये यात्रा

भारत में अगले अमेरिकी राजदूत के रूप में नियुक्ति के बाद सर्जियो गोर की यह पहली भारत यात्रा है। वो भारत में सबसे कम उम्र के अमेरिकी राजदूत हैं। अमेरिकी दूतावास ने एक बयान में कहा कि अमेरिका अपनी रणनीतिक साझेदारी को मजबूत करने और एक सुरक्षित, मजबूत और समृद्ध हिंद-प्रशांत क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए भारत के साथ काम करना जारी रखेगा। ये मुलाकात इसलिए अहम मानी जा रही क्योंकि यूएस राष्ट्रपति ट्रंप ने कुछ समय पहले ही भारत पर 50 फीसदी का टैरिफ लगाया था। जिसके बाद दोनों देशों के संबंधों में तनाव आ गया।

यूएनजीए में हुई थी जयशंकर से मुलाकात

गोर का आगमन 24 सितंबर को न्यूयॉर्क में संयुक्त राष्ट्र महासभा सत्र के दौरान विदेश मंत्री एस जयशंकर से मुलाकात के तुरंत बाद हुआ है, जहां दोनों नेताओं ने भारत-अमेरिका रणनीतिक साझेदारी को गहरा करने पर चर्चा की थी। बैठक के बाद, अमेरिकी विदेश विभाग ने एक्स पर साझा किया, दक्षिण और मध्य एशिया के लिए अमेरिका के विशेष दूत और भारत में राजदूत नामित सर्जियो गोर ने संयुक्त राष्ट्र महासभा के इतर भारत के विदेश मंत्री जयशंकर से मुलाकात की। वे अमेरिका-भारत संबंधों की सफलता को और बढ़ावा देने के लिए तत्पर हैं।

तालिबानी विदेश मंत्री की नई दिल्ली में प्रेस कॉन्फ्रेंस से महिला पत्रकारों हटाया गया, प्रियंका ने पीएम मोदी पर बोला हमला

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अफगानिस्तान की तालिबान सरकार के विदेश मंत्री अमीर खान मुत्तकी 7 दिनों के भारत पर आए हैं। अफगानी मंत्री ने शुक्रवार को विदेश मंत्री एस. जयशंकर से मुलाकात की। दोनों नेताओं की मुलाकात के बाद मुत्तकी की प्रेस कॉन्फ्रेंस आयोजित हुई, जिसमें महिला पत्रकारों को एंट्री नहीं दी गई। महिला पत्रकारों की ग़ैरमौजूदगी को लेकर भारत की विपक्षी पार्टियों ने सरकार पर हमला बोला है। विपक्षी नेता सरकार से इसपर सवाल पूछ रहे हैं।

मुत्ताकी ने शुक्रवार को नई दिल्ली में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस की। 2021 में अफगानिस्तान की सत्ता पर तालिबान के कब्जे के बाद यह पहली उच्चस्तरीय बैठक भारत में हुई है। शुक्रवार की शाम मुत्तकी की प्रेस कॉन्फ़्रेंस नई दिल्ली स्थित अफगानिस्तान के दूतावास में थी। जिसमें महिला पत्रकारों को आमंत्रित नहीं किया गया था। यह घटना विदेश मंत्री एस जयशंकर के साथ उनकी बातचीत के कुछ घंटों बाद हुई। कई महिला पत्रकारों ने सोशल मीडिया पर लिखा है कि उन्हें इस प्रेस कॉन्फ़्रेंस से बाहर रखा गया। अफगानिस्तान के विदेश मंत्रालय के पब्लिक कम्युनिकेशन के निदेशक हाफ़िज ज़िया अहमद ने प्रेस कॉन्फ़्रेंस की जो तस्वीर एक्स पर पोस्ट की है, उसमें साफ दिख रहा है कि कोई महिला पत्रकार नहीं है।

प्रियंका ने पूछा- महिलाओं का अपमान हमारे देश में कैसे होने दिया गया?

ऐसे में अफगानी मंत्री मुत्तकी की प्रेस वार्ता में महिला पत्रकारों की एंट्री बैन पर कांग्रेस ने भाजपा सरकार को घेरना शुरू कर दिया। प्रियंका गांधी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी, कृपया यह साफ करें कि भारत आए तालिबान प्रतिनिधि की प्रेस कॉन्फ्रेंस से महिला पत्रकारों को क्यों हटाया गया। अगर महिलाओं के अधिकारों को लेकर आपकी बातें सिर्फ चुनाव के समय की दिखावा नहीं हैं, तो देश की कुछ काबिल महिलाओं का यह अपमान हमारे देश में कैसे होने दिया गया? यह वही देश है जहां की महिलाएं रीढ़ और शान हैं।

एस जयशंकर पर महुआ मोइत्रा का तीखा हमला

मुत्ताकी की प्रेस कॉन्फ्रेंस को लेकर भारत सरकार और विदेश मंत्री एस. जयशंकर पर तृणमूल कांग्रेस की सांसद महुआ मोइत्रा ने भी तीखा हमला बोला है। महुआ मोइत्रा ने एक्स पर एक पोस्ट में सरकार पर सवाल उठाए। उन्होंने पूछा कि कैसे सरकार ने तालिबान प्रतिनिधि को भारतीय धरती पर पूरी प्रोटोकॉल के साथ महिलाओं पत्रकारों को बाहर रखकर प्रेस कॉन्फ्रेंस करने की इजाजत दी।

क्या कह रहा विदेश मंत्रालय?

अफगानिस्तान के विदेश मंत्री आमिर खान मुत्तकी की दिल्ली यात्रा के दौरान हुई प्रेस कॉन्फ्रेंस को लेकर उठे विवाद पर भारत सरकार ने अपनी स्थिति साफ कर दी है। विदेश मंत्रालय ने साफ किया है कि दिल्ली में आयोजित प्रेस वार्ता में उसकी कोई भूमिका नहीं थी और यह कार्यक्रम पूरी तरह अफगानिस्तान के दूतावास की तरफ से आयोजित किया गया था। इस बयान के साथ सरकार ने यह भी स्पष्ट किया कि भारत सरकार या उसके किसी विभाग का इस प्रेस इंटरैक्शन से कोई संबंध नहीं था।

अखिलेश यादव का फेसबुक अकाउंट हुआ सस्पेंड, तकनीकी गलती या कुछ और?

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उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव का फेसबुक पेज सस्पेंड कर दिया गया है। अखिलेश यादव का फेसबुक पेज शुक्रवार की शाम करीब 6 बजे से बंद कर दिया गया। पार्टी अध्यक्ष का अकाउंट सस्पेंड होने को लेकर समाजवादी पार्टी ने मोदी सरकार पर जोरदार हमला बोल दिया है। सपा ने आरोप लगाया है कि अखिलेश यादव का फेसबुक अकाउंट मोदी सरकार के इशारे पर सस्पेंड किया गया है।

सपा ने बताया- लोकतंत्र पर हमला

सपा ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) का विपक्षी आवाज दबाने का प्रयास बताया। पार्टी प्रवक्ता फखरुल हसन चांद ने एक्स पर लिखा, देश की तीसरी सबसे बड़ी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव जी का फेसबुक अकाउंट सस्पेंड करना लोकतंत्र पर हमला है। बीजेपी ने अनघोषित इमरजेंसी लगा दी है। 

बीजेपी के इशारे पर सस्पेंशन का आरोप

सपा का आरोप है कि यह सस्पेंशन बीजेपी के इशारे पर हुआ। पार्टी ने कहा कि अखिलेश ने हाल ही में बसपा प्रमुख मायावती की बीजेपी की तारीफ पर सवाल उठाए थे, जिससे ‘आंतरिक सांठगांठ’ का दावा किया। इससे पहले सपा ने चुनाव आयोग पर बीजेपी से मिलीभगत का आरोप लगाया था। अकाउंट सस्पेंड होने से सपा कार्यकर्ताओं में गुस्सा फैल गया। पार्टी ने फेसबुक से तुरंत बहाली की मांग की और कहा कि यह लोकतंत्र की हत्या है।

80 लाख से ज्यादा फॉलोअर्स

अखिलेश के फेसबुक अकाउंट में पर 80 लाख से ज्यादा फॉलोअर्स थे, जो एक्सेसिबल नहीं है। अखिलेश यादव रोजाना कई पोस्ट अपने सोशल प्लेटफॉर्म पर शेयर करते हैं। इन पोस्ट के जरिये सपा मुखिया बीजेपी सरकार की कमियों को भी उजागर करते थे।

बिहार में खत्म नहीं हो रही सीट शेरिंग का टेंशन, 12 सीटें मांग रही हेमंत सोरेन की पार्टी जेएमएम

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बिहार चुनाव के लिए पहले चरण के नामांकन आज से शुरु हो गए है। लेकिन अभी तक जन सुराज को छोड़कर किसी भी दल ने उम्मीदवारों की घोषणा नहीं है। एनडीए के साथ साथ महागठबंधन में भी सीट शेयरिंग को लेकर माथा पच्ची जारी है। इस बीच महागठबंधन में शामिल झारखंड की सत्तारूढ़ पार्टी झारखंड मुक्ति मोर्चा (जेएमएम) ने भी अपने लिए बड़ी मांग रख दी है। जेएमएम ने ‘इंडिया’ गठबंधन में 12 सीटों पर चुनाव लड़ने का दावा किया है।

जेएमएम ने आरजेडी को 12 सीटों की सूची सौंपी

पार्टी के एक वरिष्ठ नेता ने के मुताबिक हेमंत सोरेन की पार्टी जेएमएम ने आरजेडी को 12 सीटों की सूची सौंपी है। बिहार में जेएमएम 12 सीटों पर चुनाव लड़ना चाहती है। जेएमएम तारापुर, कटोरिया, मनिहारी, झाझा, बांका, ठाकुरगंज, रूपौली, रामपुर, बनमनखी, जमालपुर, पीरपैंती और चकाई सीट चाहती है।

सीट शेयरिंग को लेकर बातचीत जारी

जेएमएम के महासचिव विनोद कुमार पांडे ने कहा कि इंडिया गठबंधन के घटकों के बीच सीट शेयरिंग को लेकर बात चल रही है। सीट बंटवारे को अगले एक-दो दिन में अंतिम रूप दे दिया जाएगा। विनोद कुमार पांडे ने समाचार एजेंसी पीटीआई को बताया, हमने पिछले दिनों में पटना में हुई एक बैठक के दौरान बिहार में इंडिया गठबंधन के घटकों के नेताओं को अपनी मंशा से अवगत करा दिया था। हमने अपने पार्टी नेता और झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को भी बैठक के नतीजों के बारे में बता दिया है। अब, मुख्यमंत्री सोरेन इंडिया गठबंधन के सहयोगियों के साथ चर्चा के बाद बिहार में जेएमएम की ओर से चुनाव लड़ी जाने वाली सीटों पर अंतिम फैसला लेंगे।

कांग्रेस ने अपने हिस्से की सभी सीटों पर तय किए उम्मीदवार

कांग्रेस ने अपने हिस्से की सभी सीटों पर उम्मीदवार के नाम फाइनल कर दिए हैं। इस बात के संकेत बिहार प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष राजेश राम ने भी दिए है। राजेश राम का कहना है कि, हमने अपने उम्मीदवारों के सभी विधानसभा क्षेत्र तय कर लिए है। आने वाले समय में सभी लोग इंडिया गठबंधन की चुनावी ताकत और संघर्ष को देखेंगे। सीटों की आधिकारिक घोषणा बहुत जल्द की जाएगी।

सीट शेयरिंग पर इन फॉर्मूले पर बन सकती है बात

महागठबंधन में सीट शेयरिंग को लेकर माथापच्ची जारी है। इस बीच दो फॉर्मूला सामने आए है। इनमें किसी एक पर मुहर लग सकती है। राज्य में विधानसभा की 243 सीटें है। पहले फार्मूले के तहत आरजेडी 138, कांग्रेस 52, वाम दल 35,वीआईपी पार्टी 15, आरएलजेपी 2, जेएमएम को 1 सीटें दी जा सकती हैं। जबकि दूसरे फॉर्मूले के तहत आरजेडी 130, कांग्रेस 55, वाम दल 35, वीआईपी 18, आरएलजेपी 3, जेएमएम को 2 सीटें मिल सकती हैं।

मारिया कोरिना मचाडो को मिला नोबेल शांति पुरस्‍कार, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का सपना चकनाचूर

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वेनेज़ुएला की विपक्षी नेता मारिया कोरिना माचाडो अब 2025 का नोबेल शांति पुरस्कार जीत लिया है। इसी के साथ अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप इस पुरस्कार से चूक गए हैं। नोबेल समिति ने ट्रंप की उम्मीदों पर पानी फेरते हुए लोकतंत्र और मानवाधिकार के लिए लगातार संघर्ष करती युवा नेता को नोबेल शांति पुरस्‍कार के लिए चुना।

इस पुरस्कार की घोषणा करते हुए नोबेल समिति की अध्यक्ष ने मचाडो की शांति की एक साहसी और प्रतिबद्ध समर्थक के रूप में सराहना की। नॉर्वेजियन नोबेल समिति ने कहा कि यह सम्मान उन्हें वेनेज़ुएला के लोगों के लोकतांत्रिक अधिकारों के लिए उनके “अथक संघर्ष” और देश को तानाशाही से लोकतंत्र की ओर ले जाने के प्रयासों के लिए दिया गया है। मचाडो ने विपरीत परिस्थितियों में भी लोकतंत्र की ज्योति जलाए रखी और निरंकुश शासन के खिलाफ शांतिपूर्ण संघर्ष जारी रखा। समिति ने उन्हें लैटिन अमेरिका में “नागरिक साहस की असाधारण मिसाल” बताया है।

वेनेजुएला की 'आयरन लेडी' मचाडो

आयरन लेडी के नाम से भी मशहूर मचाडो का नाम टाइम पत्रिका की '2025 के 100 सबसे प्रभावशाली लोगों' की सूची में शामिल है। लेकिन कोरिना मचाडो फिलहाल किसी अज्ञात स्थान पर छिपी हुई हैं। पिछले साल वेनेजुएला में हुए चुनाव में वर्तमान राष्ट्रपति निकोलस मादुरो ने व्यापक रूप से धांधली की थी। जिसका मारिया कोरिना मचाडो ने जमकर विरोध किया था। उसके बाद से ही उन्हें सार्वजनिक रूप से नहीं देखा गया है।

डोनाल्ड ट्रंप को बहुत बड़ा झटका

बता दें कि डोनाल्ड ट्रंप बार बार नोबेल पुरस्कार के लिए अपनी दावेदारी पेश कर रहे थे। डोनाल्ड ट्रंप के लिए ये बहुत बड़ा झटका है, क्योंकि नोबेल पुरस्कार के लिए उन्होंने अपने दूसरे कार्यकाल में क्या नहीं किया है, उन्होंने हर युद्ध में खुद को शांति करवाने वाला मसीहा बताया है। वो 'सात युद्ध' में शांति करवाने का दावा करते आ रहे थे। लेकिन उन्होंने भारत-पाकिस्तान युद्ध में भी शांति करवाने के लिए मध्यस्थता करने का दावा किया था, जिसे भारत ने सिरे से खारिज कर दिया था। हालांकि पाकिस्तान ने उनकी भावना को स्वीकार करते हुए उन्हें नोबेल पुरस्कार के लिए नॉमिनेट किया था। पाकिस्तान के अलावा इजरायल ने भी डोनाल्ड ट्रंप को नोबेल शांति पुरस्कार के लिए नॉमिनेट किया था। लेकिन डोनाल्ड ट्रंप को नोबेल शांति पुरस्कार नहीं मिल पाया।

बिहार में नई वोटर लिस्ट एकदम सही? गड़बड़ी को लेकर 9 दिन तक नहीं आई एक भी शिकायत

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बिहार में वोटर ल‍िस्‍ट का स्‍पेशल इंटेंस‍िव रिवीजन (एसआईआर) शुरू हुआ तो खूब हंगामा मचा। मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच गया। आखिरकार 30 सितंबर को बिहार में फाइनल वोटर लिस्ट प्रकाशित किया गया। फाइनल वोटर लिस्ट जारी हुए 9 दिन बीत चुके हैं। आज 10वें दिन के बाद भी किसी जिले से कोई अपील नहीं की गई। यानी बिहार के 38 जिलों में किसी ने भी वोटर लिस्ट को लेकर कोई आपत्ति नहीं जताई। चुनाव आयोग ने इस बात की जानकारी दी।

चुनाव आयोग ने दी जानकारी

30 सितंबर को जारी हुई इस सूची पर, शिकायत या अपील करने की समय सीमा के बाद भी, राज्य के किसी भी जिले से एक भी शिकायत दर्ज नहीं हुई है। राज्य के मुख्य निर्वाचन कार्यालय ने पुष्टि की है कि लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम की धारा 24(क) के तहत जिलाधिकारियों के पास कोई अपील दर्ज नहीं की गई है। आयोग ने एक्स पर लिखा कि बिहार में विशेष गहन पुनरीक्षण अभियान, 2025 के दौरान, सभी 243 विधानसभा क्षेत्रों में निर्वाचक निबंधन अधिकारी द्वारा मतदाता सूची में नाम जोड़ने या हटाने के संबंध में जिलाधिकारियों को कोई अपील प्राप्त नहीं हुई है।

चुनाव आयोग ने बताया-ऐतिहासिक सफलता

चुनाव आयोग ने इसे एक ऐतिहासिक सफलता और मिसाल बताया है, जो यह साबित करता है कि विशेष गहन पुनरीक्षण अभियान (एसआईआर) के दौरान नाम जोड़ने, हटाने और सुधार का काम पूरी पारदर्शिता और शुद्धता से किया गया। मतदाता सूची को सटीक बनाने के लिए चलाए गए विशेष गहन पुनरीक्षण अभियान के तहत बड़े पैमाने पर बदलाव किए गए हैं। पूरे राज्य से लगभग 65 लाख पुराने नाम (मृत या गलत) मतदाता सूची से हटाए गए। लगभग 21.53 लाख नए मतदाताओं को सूची में जोड़ा गया।

बीजेपी और जेडीयू ने विपक्ष पर निशाना साधा

वोटर लिस्ट पर शून्य शिकायतें आने के बाद, सत्ताधारी दलों बीजेपी और जेडीयू ने विपक्ष पर निशाना साधा है। उन्होंने कहा कि विपक्षी दल लगातार वोटर लिस्ट में गड़बड़ी के झूठे आरोप लगा रहे थे, लेकिन अगर उनके पास कोई सबूत थे, तो उन्हें चुनाव आयोग में शिकायत दर्ज करनी चाहिए थी। शून्य शिकायतें यह साबित करती हैं कि उनके आरोप निराधार थे।

65 लाख नाम हटे, 21.5 लाख नए मतदाता जुड़े

बता दें कि बिहार में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) अभियान के दौरान निर्वाचन आयोग ने बड़ी कार्रवाई की। जारी आंकड़ों के मुताबिक, राज्यभर में करीब 65 लाख पुराने नाम सूची से हटाए गए, जबकि 21.53 लाख नए मतदाताओं को जोड़ा गया है। इससे राज्य में कुल मतदाताओं की संख्या अब लगभग 7.42 करोड़ रह गई है।

क्या तालिबान को औपचारिक रूप से मान्यता देगा भारत? अफगानी विदेश मंत्री की बड़ी मांग

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अफगानिस्तान के कार्यवाहक विदेश मंत्री अमीर खान मुत्तकी गुरुवार को एक हफ्ते की यात्रा पर दिल्ली पहुंचे। अगस्त 2021 में अफगानिस्तान में तालिबान के सत्ता में आने के बाद काबुल से दिल्ली तक यह पहली मंत्री स्तर की यात्रा है। आज अमीर खान मुत्तकी विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर से भी मिलेंगे। इससे ठीक पहले तालिबान ने खुलकर अपनी बड़ी डिमांड रख दी है। वह चाहते है कि भारत तालिबानी सरकार को औपचारिक रूप से मान्यता दे।

इस्लामिक अमीरात ऑफ अफगानिस्तान को मान्यता देने की मांग

तालिबान के कतर स्थित राजनीतिक कार्यालय के प्रमुख और अफगानिस्तान के राजदूत सुहैल शाहीन ने कहा, यह समय है कि भारत और अफगानिस्तान दोनों देश अपने संबंधों को एक नया राजनयिक स्तर दें और इस्लामिक अमीरात ऑफ अफगानिस्तान को मान्यता देकर विभिन्न क्षेत्रों में सहयोग का रास्ता खोलें। उन्होंने कहा, यह पहली बार है जब हमारे विदेश मंत्री भारत की यात्रा कर रहे हैं, और यह दौरा बहुत महत्वपूर्ण है। हमें उम्मीद है कि यह यात्रा दोनों देशों के संबंधों के नए अध्याय की शुरुआत करेगी।

भारत का क्या है कहना?

वहीं, भारत ने अभी तक तालिबान को मान्यता देने में जल्दी नहीं दिखा रही हैं। दरअसल, दिल्ली ने पहले ही कहा है कि उसकी रणनीति अंतरराष्ट्रीय समुदाय के रुख के अनुकूल रहेगी। कई देशों ने तालिबान की ओर से नियुक्त अधिकारियों को राजनयिक तौर पर स्वीकार किया है, पर रूस ही एक ऐसा देश रहा है जिसने सरकार को औपचारिक रूप से मान्यता दी है। भारत ने बार-बार कहा है कि वह एक संप्रभु, लोकतांत्रिक और शांतिप्रिय अफगानिस्तान चाहता है, जहाँ सभी समुदायों-महिलाओं, बच्चों और अल्पसंख्यकों-के हक सुरक्षित हों। इसके अलावा भारत अफगानिस्तान से यह भी गारंटी चाहता है कि उसकी जमीन का इस्तेमाल भारत के खिलाफ नहीं होने दिया जाएगा।

झंडे का प्रोटोकॉल बना चुनौती

हालांकि, अब मुत्तकी की यात्रा के दौरान भारतीय विदेश मंत्रालय के सामने एक कूटनीतिक समस्या पैदा हो गई है। दरअसल, मुत्तकी की शुक्रवार को विदेश मंत्री जयशंकर से मुलाकात हो सकती है। कूटनीतिक प्रोटोकॉल के अनुसार मेजबान देश (भारत) का झंडा और मेहमान मंत्री के देश का झंडा दोनों उनके पीछे या मेज पर रखे जाने चाहिए।

हालांकि, भारत ने अभी तक तालिबान-शासित अफगानिस्तान को आधिकारिक मान्यता नहीं दी है। इसी वजह से भारत ने तालिबान को अफगान दूतावास में अपना झंडा फहराने की अनुमति नहीं दी है। दूतावास में अभी भी इस्लामिक रिपब्लिक ऑफ अफगानिस्तान का झंडा फहराया जाता है (यह वह शासन था जिसका नेतृत्व अपदस्थ राष्ट्रपति अशरफ गनी कर रहे थे)। अब तक यही नियम चला आ रहा है। अब सवाल है कि जब मुत्तकी, जयशंकर से मिलेंगे तो उनके पीछे कौन सा झंडा लगेगा?

दोनों देशों के बीच विश्वास बढ़ा

हालांकि, मुत्ताकी का स्वागत करने का भारत का फैसला इस बात का संकेत है कि दोनों देशों के बीच विश्वास का स्तर बढ़ रहा है। तालिबान भारत से चाहता है कि वह अफगानिस्तान में अपना आर्थिक निवेश और उपस्थिति बढ़ाए।

फिलीपींस में शक्तिशाली भूकंप से कांपी धरती, आया 7.4 तीव्रता के बाद सुनामी की चेतावनी जारी

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फिलीपींस में शुक्रवार को जोरदार भूकंप आया। फिलीपींस में आए भूकंप की तीव्रता 7.6 मापी गई है। जबकि इसका केंद्र 62 किमी की गहराई पर था। अमेरिकी सुनामी चेतावनी प्रणाली ने चेतावनी जारी करते हुए कहा है कि भूकंप के केंद्र से 300 किमी के भीतर स्थित तटों पर खतरनाक सुनामी लहरें आ सकती हैं। फिलीपींस के अधिकारियों ने लोगों से अलर्ट रहने को कहा है। 

भूकंप के बाद सुनामी की चेतावनी

फिलीपींस के मिंडानाओ क्षेत्र में शुक्रवार सुबह भूकंप के तेज झटके महसूस किए गए हैं। बताया गया है कि भूकंप की तीव्रता 7.6 रही। पहले भूकंप की तीव्रता 7.2 मापी गई थी लेकिन बाद में इसे बढ़ाकर 7.6 कर दिया गया। इसके बाद अधिकारियों ने सुनामी की चेतावनी जारी कर दी। भूकंप के बाद सुनामी की पहली लहर फिलीपींस के स्थानीय समयानुसार 10 अक्टूबर को सुबह 9.43 बजे से 11.43 बजे के बीच आने की उम्मीद है। 

3 मीटर तक उठ सकती हैं लहरें

फिलीपींस इंस्टीट्यूट ऑफ वोल्केनोलॉजी एंड सीस्मोलॉजी ने बताया है कि ये लहरें घंटों तक जारी रह सकती हैं। इसने आगे बताया कि स्थानीय सुनामी डेटाबेस के आधार पर इन लहरों के सामान्य ज्वार से एक मीटर से भी ज्यादा ऊंची उठने की आशंका है। बंद खाड़ियों और जलडमरूमध्य में ये ऊंचाई और भी ऊंची हो सकती है। वहीं, प्रशांत सुनामी चेतावनी केंद्र ने कहा कि भूकंप के केंद्र से 300 किलोमीटर के दायरे में फिलीपींस के तटों पर सामान्य ज्वार से 3 मीटर ऊंची खतरनाक लहरें उठने की संभावना है।

30 सितंबर को आए भूकंप में गई थी 74 लोगों की जान

बता दें कि फिलीपींस में इसी साल बूकंप से भारी तबाही हुई थी। 30 सितंबर को 6.9 तीव्रता का भूकंप दर्ज किया गया था। इसमें कम से कम 74 लोगों की मौत हुई थी और हजारों लोग विस्थापित हुए थे। सेबू प्रांत इस भूकंप से सबसे ज्यादा प्रभावित हुआ था। यहां का बोगो शहर और इसके आसपास के कस्बों में भारी तबाही दर्ज हुई थी।

दो हफ्ते में तीसरी बार धरती कांपी

प्रशांत ‘रिंग ऑफ फायर’ के साथ स्थित होने के कारण फिलीपींस में अक्सर भूकंप के झटके महसूस किए जाते हैं। शुक्रवार को करीब दो हफ्ते में तीसरी बार धरती कांपी। इससे पहले 7 अक्टूबर को भूकंप के झटके महसूस हुए थे, जिसकी गहराई 80 किलोमीटर थी।