रामायण श्रेय प्रेय का साधन- प्रोफेसर त्रिपाठी
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फर्रुखाबाद lनवयुग कन्या महाविद्यालय राजेंद्र नगर लखनऊ के संस्कृत विभाग तथा ग्लोबल संस्कृत फोरम लखनऊ मंडल के संयुक्त तत्वाधान में महर्षि वाल्मीकि जयंती के उपलक्ष्य में एक दिवसीय ई राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन तरंग माध्यम से महाविद्यालय के प्राचार्य प्रोफेसर मंजुला उपाध्याय की अध्यक्षता में किया गया।
कार्यक्रम का प्रारंभ संगोष्ठी की संयोजिका संस्कृत विभाग नवयुग कन्या महाविद्यालय की सह आचार्या एवं संगोष्ठी संयो जिका डॉ वन्दना द्विवेदी के द्वारा मंगलाचरण प्रस्तुत किया गया। इस कार्यक्रम के मुख्य विद्वान वक्ता प्रोफेसर बल बहादुर त्रिपाठी निदेशक शोध पीठ बुंदेलखंड विश्वविद्यालय झांसी तथा विशिष्ट वक्ता डॉक्टर अभिमन्यु सिंह विभाग अध्यक्ष संस्कृत तथा प्राकृत भाषा विभाग लखनऊ विश्वविद्यालय लखनऊ उपस्थित रहे। "रामायण में मानवीय मूल्य विषय "पर संगोष्ठी का आयोजन किया गया। संगोष्ठी के प्रारंभ में अतिथि वक्ता का संक्षिप्त परिचय डॉक्टर उमा सिंह अध्यक्ष ग्लोबल संस्कृत फोरम लखनऊ मंडल के द्वारा किया गया।
मुख्य वक्ता ने अपने उद्बोधन में कहा कि रामायण श्री प्रिया दोनों का साधन है धर्म को ही परम श्रेष्ठ माना गया है धर्म के आधार पर पिता के वचनों को स्वीकार कर राम वन को जाते हैं ।राम के जन्म को यज्ञीय संस्कृति का स्वरूप बताया गया है ऋष्यश्रृंग द्वारा पुत्रेष्टियज्ञ से चार पुत्र उत्पन्न हुए थे।राम राज्य की विशेषता को बताते हुए मुख्य वक्ता ने कहा कि वर्तमान राजनैतिक परिदृश्य में राम राज्य की परिकल्पना को साकार करने का प्रयास वर्तमान सरकार द्वारा किया जा रहा है यह तभी संभव है जब हम वाल्मीकि के द्वारा विरचित आदर्श महाकाव्य रामायण के आदर्शों का अनुकरण करें तथा उसको आत्मसात करें। विशिष्ट वक्ता डॉ अभिमन्यु सिंह ने अपने उद्बोधन में कहा कि राम की तरह हम सभी को आचरण करना चाहिए रावण की तरह नहीं करना चाहिए मानव को मानव बनाने में जो सबल कारक हैं सभी रामायण में उपस्थित है। रामायण के मानवीय मूल्य के द्वारा एकरूपता तथा समानता का भाव ला सकते हैं रामायण के मानवीय मूल्य उत्तम आचरण, विद्या, कर्म, धर्म, न्याय, त्याग बलिदान, भक्ति एवं समर्पण ,बड़े एवं गुरुजनों का सम्मान आदि द्वारा तत्कालीन समाज को ही निर्देशित नहीं किया है बल्कि आज भी हमें उन मूल्यों को समझने तथा जीवन में उतारने हेतु प्रेरित करती है ।रामायण का सबसे बड़ा मूल्य सत्य के प्रति निष्ठा है सत्य का सर्वश्रेष्ठ स्थान है उस सत्य के पालन में राम सर्वदा का एकनिष्ठ देखे जाते हैं उनके पूरे जीवन में सत्य का निर्वाह देखा जा सकता है।
महाविद्यालय की प्राचार्य प्रोफेसर मंजुला उपाध्याय ने अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में कहा कि रामायण के प्रत्येक पात्र के चरित्र का अनुकरण करना चाहिए। त्याग भावना, मैत्री ,न्याय, जन कल्याण, सह जीवन का मूल्य, निष्ठा और सेवा भावना क्षमा और करुणा भातृ प्रेम और नारी सम्मान जैसे मूल्य रामायण में दृष्टिगत होते हैं जो आज भी प्रासंगिक हैं। अपने संचालनकर्त्री डॉक्टर वन्दना द्विवेदी ने कहा कि भगवान राम के अनंत गुण कर्म और चरित्र है जो वाणी से अगम्य और अक्षर प्रत्यक्षर मानवों के कल्याण कारक है। इनके समुद्र सदृश चरित्र में आदर्श का अन्वेषण प्रयास व्यर्थ और विफल है क्योंकि उनके सभी गुण ,क्रिया, चरित्र आदर्श ही है जो अनुकरणीय एवं कीर्तनीय है यह शरीर धारी स्वयं धर्म है -रामो विग्रहवान् धर्म:। कार्यक्रम के अंत में धन्यवाद ज्ञापन कार्यक्रम संचालिका डॉक्टर वन्दना द्विवेदी के द्वारा किया गया इस अवसर पर ग्लोबल संस्कृत फोरम के महासचिव डॉ राजेश मिश्र, ग्लोबल संस्कृत फोरम लखनऊ मंडल की कार्यकारिणी सदस्य , डा रजनी सरीन प्रो ऋचा शुक्ला, डॉ रेखा शुक्ला,रश्मि सिंह महाविद्यालय की सम्मानित समस्त प्रवक्तागण, संस्कृत सुधीजन शोध छात्र छात्राएं तथा महाविद्यालय की सभी छात्राएं उपस्थित रहीं।
Oct 12 2025, 08:53