राजदरबार में प्रभु श्रीराम का हुआ राजतिलक
आचार्य ओमप्रकाश वर्मा नगरा। प्राचीन आदर्श रामलीला समिति, पुरानी दुर्गा मंदिर के तत्वावधान में मंगलवार की रात शिव मंदिर पाठक टोली में प्रभु श्रीराम के राजतिलक समारोह का भव्य आयोजन किया गया। इस अवसर पर नगर सहित आसपास के क्षेत्रों से श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ी। पूरा वातावरण “जय श्रीराम” और “सीता राम” के जयघोष से गूंज उठा। राजतिलक मंचन का आरंभ विधिवत मंत्रोच्चार एवं दीप प्रज्ज्वलन से किया गया। मंच पर प्रभु श्रीराम, माता सीता, लक्ष्मण, भरत एवं शत्रुघ्न की मनमोहक झांकियां प्रस्तुत की गईं, जिन्हें देखकर दर्शक भावविभोर हो उठे। कलाकारों ने मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम के राज्याभिषेक प्रसंग का इतना जीवंत और भावनात्मक मंचन किया कि पूरा वातावरण भक्तिमय हो गया। समारोह के दौरान पुष्पवर्षा कर श्रद्धालुओं ने प्रभु श्रीराम का स्वागत किया। रामराज्य स्थापना के इस पावन प्रसंग पर नगर में दीपों की ज्योति से उजाला फैल गया। आयोजन स्थल को फूलमालाओं और रंगीन झालरों से सजाया गया था। कार्यक्रम में दिव्यांश पाठक, कौशल पाठक, पुरुषोत्तम पाठक, गोपाल जी, विनोद, प्रमोद पाठक, ब्रह्मदेव पांडे, ओम नारायण पांडे, गणपति, मुन्ना, अशोक सिंह, अच्छे लाल शर्मा, अंशु श्रीवास्तव, रामसनेही, बाबूलाल शर्मा और रितेश चौरसिया, राजकुमार सहित अनेक लोगों ने सक्रिय भूमिका निभाई। कार्यक्रम का संचालन सभासद डॉ. संजय सिंह ने कुशलतापूर्वक किया। समिति के पदाधिकारियों ने बताया कि यह राजतिलक प्रसंग रामलीला के समापन का प्रतीक है, जो हर वर्ष श्रद्धा और उत्साह के साथ मनाया जाता है। कार्यक्रम के अंत में मुख्य अतिथियों द्वारा प्रभु श्रीराम की आरती कर नगर की सुख-शांति और समृद्धि की कामना की गई। अंत में श्रद्धालुओं में प्रसाद वितरण किया गया और उपस्थित सभी लोगों ने एक स्वर में “जय श्रीराम” का उद्घोष करते हुए इस भव्य आयोजन की सराहना की।
बंद चीनी मिल को चालू कराने हेतु 11 अक्टूबर को निकाली जाएगी मोटरसाइकिल रैली
आचार्य ओमप्रकाश वर्मा नगरा(बलिया)! स्थानीय डाक बंगले पर पूर्व विधायक राम इकबाल सिंह और कार्यकर्ताओं की एक बैठक हुई. इसमें 11 अक्टूबर को लोकनायक जयप्रकाश नारायण के जन्मदिन पर गन्ना मिल चलाने की मांग को लेकर एक मोटरसाइकिल जुलूस निकालने का निर्णय लिया गया. यह जुलूस रसड़ा चीनी मिल के गेट से शुरू होगा. जुलुस विभिन्न इलाकों से होते हुए किसानों को जागरूक करेगा और रसड़ा तहसील पहुंचेगा. यहां उप जिलाधिकारी को मुख्यमंत्री को संबोधित ज्ञापन सौपा जाएगा. जिससे मिल को फिर से शुरू करने की मांग की जाएगी. कार्यकर्ताओं ने संकल्प लिया है कि यह जन जागरण अभियान मिल के फिर से चालू होने तक जारी रहेगा. अभियान के तहत हर मंगलवार को किसी न किसी सार्वजनिक स्थान पर 2 घंटे बैठकर मिल चलाने के मुद्दे पर चर्चा करेंगे. जिले के एकमात्र चीनी मिल 2013 से बंद पड़ी है. जिससे क्षेत्र के किसान आर्थिक रूप से प्रभावित हुए हैं. सरकार से अनुरोध किया गया कि वह किसानो की समस्याओ को गम्भीरता से ले और मिल को चालू कराये.
बलिया: पौराणिक ददरी मेला भाजपा सरकार की राजनीति का शिकार, नगर पालिका अध्यक्ष के अपमान पर सपा प्रवक्ता सुशील कुमार पाण्डेय का तीखा आरोप
संजीव सिंह बलिया: पौराणिक ददरी मेला भाजपा सरकार की राजनीति का शिकार, नगर पालिका अध्यक्ष के अपमान पर सपा प्रवक्ता सुशील कुमार पाण्डेय का तीखा आरोप संजीव सिंह बलिया! जिले में महर्षि भृगु जी के शिष्य दर्दर मुनि के नाम पर आयोजित होने वाला ऐतिहासिक एवं पौराणिक ददरी मेला सिर्फ एक सामान्य मेला नहीं है बल्कि बलिया की एक महत्वपूर्ण सांस्कृतिक पहचान और जनता का गौरव है। समाजवादी पार्टी बलिया के उपाध्यक्ष एवं प्रवक्ता सुशील कुमार पाण्डेय कान्हजी ने बुधवार को एक प्रेस बयान जारी करते हुए कहा कि भाजपा सरकार इस मेले को खत्म करने की राजनीति कर रही है, जो न केवल बलिया के स्वाभिमान के खिलाफ है, बल्कि लोकतांत्रिक मान्यताओं का भी उल्लंघन है।सपा प्रवक्ता ने भाजपा सरकार पर तीखा प्रहार करते हुए कहा कि जो लोग खुद को ‘ट्रिपल इंजन’ बताकर सरकार चला रहे हैं, वे अपनी ही तीसरी इंजन को खत्म करने में लगे हुए हैं। उच्चतम पदों पर बैठे नेता अपने नीचे के पदों पर विराजमान लोगों को खत्म कर रहे हैं। ददरी मेला जो अब तक नगर पालिका परिषद बलिया के नेतृत्व में जिला प्रशासन के सहयोग से सफलतापूर्वक आयोजित होता आ रहा था, अब उसी नगर पालिका परिषद के अध्यक्ष को मेला समिति में ‘विशेष आमंत्रित सदस्य’ मात्र बनाया जाना भारी अपमान है। यह निर्णय न केवल लोकतंत्र की हत्या है, बल्कि नगर क्षेत्र के मतदाताओं के अधिकारों का अनादर भी है।सुशील कुमार पाण्डेय ने कहा कि भाजपा की यह चाल एक बार फिर से उसके सच्चे चरित्र को उजागर करती है। जिस तरह से पार्टी अपने वरिष्ठ नेताओं को किनारे करने के लिए मार्गदर्शक मंडल बना रही है, उसी प्रकार यह ‘विशेष आमंत्रित सदस्य मंडल’ भी एक ऐसा ही तंत्र है। उन्होंने नगर पालिका परिषद बलिया के अध्यक्ष से अपील की कि वह इस मामले में आगे आएं और अपने पद की गरिमा बचाने के लिए संघर्ष करें, क्योंकि जनता उनका समर्थन करेगी। अन्यथा आने वाला समय उनके लिए बहुत कठिन होगा, जब उन्हें ‘अयोग्य, अकर्मण्य एवं पद लोलुप’ के रूप में देखा जाएगा। उन्होंने यह भी चेतावनी दी कि नगर क्षेत्र के मतदाता अपने निर्णयों का अपमान करने वालों को भविष्य में कड़ी प्रतिक्रिया देंगे।सपा प्रवक्ता की इस टिप्पणी से स्पष्ट हो गया है कि ददरी मेले के प्रति भाजपा सरकार की मंशा सिर्फ राजनीति है, जिससे बलिया की सांस्कृतिक विरासत को नुकसान पहुँचाया जा रहा है और लोकतांत्रिक संस्थानों का अपमान हो रहा है।
बलिया: ज्ञान का सागर पुस्तकालय से निकलकर चमका एक उज्जवल सितारा — गोल्ड मेडलिस्ट और बलिया के चर्चित पत्रकार अमर बहादुर सिंह बने प्रेरणा का प्रतीक
संजीव सिंह बलिया! बलिया जनपद के नगरा क्षेत्र के निवासी अमर बहादुर सिंह ने एम.एससी. (B.Lib. & I.S.) में जन नायक चंद्रशेखर विश्वविद्यालय स्तर पर स्वर्ण पदक प्राप्त कर शिक्षा और ज्ञान के क्षेत्र में एक नया इतिहास रच लिया है। उनकी इस उपलब्धि ने न केवल बलिया की शैक्षिक समृद्धि को दर्शाया है, बल्कि युवा पीढ़ी के लिए एक मिसाल और प्रेरणा की नई किरण भी उत्पन्न की है।अमर बहादुर सिंह की सफलता की कहानी समर्पण, कठिन परिश्रम और पुस्तकालयों के प्रति उनके गहरे प्रेम से प्रेरित है। उनका मानना है कि "ज्ञान का सागर पुस्तकालय में ही सबसे गहराई से मिलता है। मेरा उद्देश्य है कि हर विद्यार्थी तक सही और सटीक जानकारी पहुंचे, क्योंकि यही सच्ची स्वतंत्रता की कुंजी है।" यह विचार आज के डिजिटल युग में भी पुस्तकालय की पारंपरिक और अपरंपरागत अहमियत को उजागर करता है। वे कहते हैं कि इंटरनेट जहां सूचनाओं का भण्डार है, वहीं पुस्तकालय ऐसी गहराई, समझ और नवाचार प्रदान करता है जो सच्चे बौद्धिक विकास की आधारशिला है।अमर बहादुर सिंह अपनी उपलब्धि का श्रेय विशेष रूप से अपने परिवार, गुरुजनों और पुस्तकालय को देते हैं। अपने परदादा स्वर्गीय फतेह बहादुर सिंह, बाबा बाबु मुरली सिंह जी व पिता अरविंद बहादुर सिंह और अपने पूरे परिवार के साथ-साथ लंबे समय से सहयोगी बने पुस्तकालय को वे अपने सफल सफर का मूल स्तंभ बताते हैं। विश्वविद्यालय प्रशासन ने भी उनके अथक प्रयासों और उत्कृष्ट उपलब्धि को सराहा है और इसे आने वाली पीढ़ी के लिए एक प्रेरणास्रोत बताया है।अमर बहादुर सिंह: एक संक्षिप्त परिचय अमर बहादुर सिंह वॉर्ड नंबर 13, नगरा नगर पंचायत, बलिया के निवासी हैं। वे पुस्तकालय विज्ञान के क्षेत्र में न केवल आधुनिक तकनीकों का उपयोग करते हुए सामूहिक ज्ञान को बढ़ावा दे रहे हैं, बल्कि जनजागरूकता फैलाने में भी एक अग्रणी भूमिका निभाते हैं। उनकी यह सफलता प्रदेश के शिक्षा क्षेत्र में नई उम्मीद और दिशा बताती है कि किस प्रकार समर्पण एवं ज्ञान की लालसा से कोई व्यक्ति किसी भी क्षेत्र में उच्चतम मुकाम हासिल कर सकता है।अमर बहादुर सिंह का युवा पीढ़ी के लिए संदेश है कि वे अपने दिनचर्या में नियमित समय पुस्तकालय को अवश्य दें। उनका मानना है कि पुस्तकालय सिर्फ किताबों का भंडार नहीं, बल्कि ज्ञान, विचारों और नवाचारों का जीवंत केंद्र है जो विद्यार्थियों के बौद्धिक विकास और स्वतंत्र सोच को आकार देता है।बलिया जिले के लिए यह उपलब्धिअमर बहादुर सिंह का यह स्वर्ण पदक केवल उनकी व्यक्तिगत सफलता नहीं है, बल्कि बलिया जिले के शैक्षणिक क्षेत्र और युवा प्रतिभाओं की सामूहिक उपलब्धि भी है। यह प्रेरणा देता है कि कैसे कठिन परिश्रम, सही मार्गदर्शन और ज्ञान के प्रति गहरा प्रेम किसी भी चुनौती को पार करने और श्रेष्ठता प्राप्त करने का रास्ता खोलता है।उनकी प्रेरणादायक कहानी आज के युवाओं को उनके लक्ष्यों की ओर दृढ़ता से बढ़ने का उत्साह प्रदान करती है और पुस्तकालयों की प्राचीन एवं महत्त्वपूर्ण भूमिका को नई पीढ़ी तक पहुंचाने का एक महत्वपूर्ण सन्देश देती है। अमर बहादुर सिंह की यह उपलब्धि बलिया के हर विद्यार्थी, शिक्षक, और शैक्षणिक संस्थान के लिए गर्व का विषय है, जो निरंतर शिक्षा और ज्ञान के क्षेत्र को समृद्ध बनाने का प्रेरक उदाहरण है।
शताब्दी वर्ष पर आरएसएस ने गणवेश में हुए एकत्रीकरण
आचार्य ओमप्रकाश वर्मा नगरा, बलिया। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के नगरा मंडल का एकत्रीकरण कार्यक्रम मंगलवार को सरस्वती शिशु मंदिर परिसर में आयोजित किया गया। इसमें संघ से जुड़े दर्जनों स्वयंसेवक गणवेश में शामिल हुए। कार्यक्रम में स्वयंसेवकों को संघ का इतिहास बताया गया। पदाधिकारियों ने हिंदुओं से संगठित रहने और जातिवाद खत्म करने की अपील की। साथ ही पथ संचलन जैसे आयोजनों पर भी विचार-विमर्श किया गया।संघ की प्रार्थना के साथ कार्यक्रम शुरू हुआ। सह जिला कार्यवाह प्रेम प्रकाश राय ने संघ के इतिहास और शताब्दी वर्ष कार्यक्रम की विस्तृत जानकारी दी। उन्होंने बताया कि संघ की स्थापना 1925 में डॉ. हेडगेवार ने हिंदुत्व के जागरण तथा देश की संस्कृति एवं सभ्यता की रक्षा के उद्देश्य से की थी। राय ने बताया कि पांच स्वयंसेवकों के साथ शुरू हुआ संघ आज पूरे विश्व में हजारों शाखाओं तक फैल चुका है। संघ अपने कार्यक्रमों के माध्यम से व्यक्ति निर्माण का कार्य करता है। उन्होंने बताया कि संघ 2025 में अपनी स्थापना के सौ वर्ष पूरे कर रहा है, जिसके उपलक्ष्य में पूरे देश में शताब्दी वर्ष मनाया जा रहा है।इस वर्ष संघ की शाखाओं का विस्तार, जातिवाद को खत्म करना और हिंदुओं को आपस में जोड़ने का कार्यक्रम रखा गया है। इस अवसर पर खंड कार्यवाह बृजेश पाल, खंड सह कार्यवाह सौरभ किशोर मिश्रा, विहिप जिलाध्यक्ष राजीव कुमार सिंह चंदेल, सहायक प्रोफेसर समरजीत सिंह, उमाशंकर सैनी और संजय सोनी सहित कई कार्यकर्ता उपस्थित रहे।
मानवाधिकार हनन के मामले में थाना प्रभारी अतुल मिश्रा सहित एक दर्जन पुलिस कर्मियों पर दोष सिद्ध
आचार्य ओमप्रकाश वर्मा नगरा। मानवाधिकार आयोग उप्र ने दो वर्ष से चल रहे मानवाधिकार हनन के मामले में थानाप्रभारी अतुल मिश्रा सहित लगभग एक दर्जन पुलिस कर्मियों को दोषी पाए जाने पर कार्रवाई के लिए जांच आख्या अध्यक्ष के समक्ष प्रस्तुत किया है। इसकी सूचना इन आरोपियों को होते ही हड़कंप मच गया है। नगरा निवासी सम्मानित भाजपा नेता देवनारायण प्रजापति ने माननीय मानवाधिकार आयोग उत्तर प्रदेश को दिनांक 06/09/2023 को प्रार्थनापत्र देकर अवगत कराते हुए कार्रवाई कराने की मांग में 13 अगस्त 2023 को थानाप्रभारी अतुल कुमार मिश्रा द्वारा थाने में बुलाकर साथियों के साथ मिलकर जानलेवा हमला मे मार-पिटाई करके बेहोश कर दिया जिसमें अंगभंग किया गया है। इसको गम्भीरता से संज्ञान में लेकर मानवाधिकार अध्यक्ष माननीय न्यायमूर्ति बालकृष्ण नारायण के आदेश पर केश नं. 15105/60/2023- 24 ने दर्ज कर विवेचक निरीक्षक सन्तोष कुमार जांच अधिकारी ने चोट पहुंचाए जाने व 151 की कार्रवाई में चोट नील लिखकर मेडिकल रिपोर्ट बनवाना, फिर चिकित्सक द्वारा सरकारी पर्ची पर आंख में चोट व शरीर पर चोट से दर्द की दवा देने जैसे विषयों की सूक्ष्मता से गहन जांच करने के पश्चात मानवाधिकार हनन का होना पाया है इस वजह से तत्कालीन थानाप्रभारी अतुल कुमार मिश्रा, उपनिरीक्षक छुन्ना सिंह, मुन्ना लाल यादव, हे. का. दीनानाथ राम, विवेक कुमार यादव, शिवम् पटेल, राजकुमार, सन्तोष सिंह, अब्दुल हमीद, रामजीत यादव, अशोक कुमार, प्रिंस प्रजापति आदि को दोषी पाया जाना बताया गया है। जांच अधिकारी ने 1 से 337 पेज के फाइल की आख्या को पुलिस महानिदेशक संदीप सालुंके राज्य मानवाधिकार आयोग लखनऊ उत्तर प्रदेश न्यायमूर्ति माननीय श्री राजीव लोचन सदस्य मानवाधिकार आयोग के माध्यम से इस आशय के साथ 23 पेज मे प्रेषित कर अवगत कराया है कि इस प्रकरण में अपनी बात उपरोक्त आदेश के अनुपालन में पत्रावली आयोग के साक्ष्य पेश करने के लिए स्वयं, डाक व ईमेल के माध्यम से 15 अक्टूबर 25 तक प्रस्तुत करें।
TBI-PBI कार्यक्रम की जांच जरूरी, CHO द्वारा संजीवनी कार्यक्रम में लापरवाही उजागर — रिपोर्ट के आधार पर मानदेय रोकने की मांग
अमर बहादुर सिंह बलिया शहर बलिया। शासन द्वारा संचालित संजीवनी कार्यक्रम के तहत कम्युनिटी हेल्थ ऑफिसर (CHO) को अपने-अपने हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर (HWC) पर रहकर क्षेत्र में भ्रमण करते हुए मरीजों की पहचान और TBI (Tuberculosis Index) के माध्यम से स्क्रीनिंग का कार्य करना होता है। इस कार्य के लिए शासन द्वारा CHO को 15 हजार रुपये मासिक मानदेय दिया जा रहा है। लेकिन जमीनी स्तर पर स्थिति बिल्कुल भिन्न दिखाई दे रही है। प्राप्त जानकारी के अनुसार अधिकांश CHO अपने क्षेत्र में निर्धारित TBI और PBI (Performance Based Incentive) संबंधी कार्य नहीं कर रहे हैं। रिपोर्ट के अनुसार यदि इनके कार्यों की ब्लॉक स्तर पर जांच की जाए, तो इनका कार्य निष्पादन सिर्फ 10 से 20 प्रतिशत तक ही पाया जाएगा। इसके बावजूद विभागीय लेन-देन और आपसी समझौते के आधार पर कई CHO TBI-PBI का मानदेय प्राप्त कर रहे हैं। स्वास्थ्य विभाग के सूत्रों का कहना है कि यह पूरा कार्य "तुम मुझे, मैं तुम्हें" के सिद्धांत पर चल रहा है, जिससे शासन की योजनाएं प्रभावित हो रही हैं और असली लाभार्थी तक सेवाएं नहीं पहुंच पा रही हैं। इस स्थिति पर नियंत्रण के लिए स्वास्थ्य विभाग से यह मांग उठी है कि मुख्य चिकित्साधिकारी (CMO) बलिया द्वारा सभी ब्लॉकों को आदेश जारी किया जाए कि प्रत्येक CHO से मासिक रिपोर्ट अनिवार्य रूप से ली जाए, और उनके द्वारा किए गए TBI-PBI संबंधी कार्यों की जांच रिपोर्ट के आधार पर मानदेय का भुगतान किया जाए। यदि कोई CHO अपने निर्धारित कार्य जैसे — मरीजों की खोज, स्क्रीनिंग, रिपोर्टिंग, और फॉलो-अप — पूरा नहीं करता है, तो उसका मानदेय रोका जाए या काट लिया जाए। इस कार्यक्रम के प्रभावी क्रियान्वयन की मुख्य जिम्मेदारी DCPM (District Community Process Manager) की बताई जा रही है, जिन्हें यह सुनिश्चित करना चाहिए कि हर CHO अपने क्षेत्र में संजीवनी कार्यक्रम को सही ढंग से लागू करे। जिला स्तर पर स्वास्थ्य विशेषज्ञों का मानना है कि यदि इस योजना की पारदर्शी जांच प्रणाली लागू की जाए, तो न केवल शासन का धन बचाया जा सकेगा बल्कि ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवाओं की वास्तविक पहुँच भी सुनिश्चित होगी। “स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार तभी संभव है जब मैदान में कार्यरत कर्मचारी ईमानदारी से अपना दायित्व निभाएं,” एक स्वास्थ्य अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर कहा।
शिक्षकों को बच्चों की समस्याओं से होना होगा रूबरू : उप शिक्षा निदेशक/प्राचार्य
संजीव सिंह बलिया। राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद उत्तर प्रदेश के निर्देशन में प्रदेश के सभी जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थानों में शिक्षकों के एकीकृत संपूर्ण प्रशिक्षण कार्यक्रम के अंतर्गत शिक्षकों की दक्षता और शिक्षण कौशल में वृद्धि हेतु व्यापक प्रयास किए जा रहे हैं। इसी क्रम में जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान, पकवाइनार, बलिया में आज प्रशिक्षण के 9वें बैच का शुभारंभ विधिवत रूप से मां सरस्वती के पूजन-अर्चन के साथ किया गया।इस अवसर पर उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुए संस्थान के प्राचार्य शिवम पांडेय ने कहा कि आज के समय में शिक्षकों की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण हो गई है। बच्चों की बौद्धिक व भावनात्मक आवश्यकताओं को समझना अब शिक्षक प्रशिक्षण का अभिन्न हिस्सा होना चाहिए। उन्होंने कहा कि शिक्षकों को कक्षा प्रबंधन के प्रभावी कौशल विकसित करने होंगे, ताकि प्रत्येक छात्र की सीखने की गति, पृष्ठभूमि और व्यवहारिक अवस्थाओं को ध्यान में रखते हुए शिक्षण प्रक्रिया को प्रभावी बनाया जा सके। उन्होंने बताया कि बच्चों की समस्याओं से रूबरू होकर ही शिक्षक उनके समग्र विकास में सहयोगी बन सकते हैं।उन्होंने आगे कहा कि शिक्षक अपने अनुभव आधारित ज्ञान को न केवल शिक्षण प्रक्रिया में लागू करें, बल्कि उपलब्ध संसाधनों और नये शैक्षिक दृष्टिकोणों से उसे जोड़ने का प्रयास करें। प्रभावी अध्यापन के लिए यह आवश्यक है कि शिक्षक विभिन्न शिक्षण शैलियों से परिचित हों और आत्म-मूल्यांकन की आदत डालें।प्रशिक्षण प्रभारी मृ्त्युंजय सिंह ने शिक्षकों से समय पर प्रशिक्षण में उपस्थिति सुनिश्चित करने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि यह प्रशिक्षण बच्चों की शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है, अतः इसका लाभ तभी संभव है जब सभी सहभागी पूर्ण समर्पण से इसमें भाग लें।डायट के हिंदी विषय प्रवक्ता डॉ. जितेंद्र गुप्ता ने कहा कि संपूर्ण प्रशिक्षण का लक्ष्य शिक्षकों की समग्रता का विकास करना है, ताकि वे बच्चों की सीखने की मनोवैज्ञानिक तथा व्यवहारिक जरूरतों को समझकर अपनी शिक्षण विधियों को सशक्त बना सकें। वहीं डायट प्रवक्ता जानू राम ने शिक्षक योजनाओं के महत्व और उनके उपयोग के माध्यम से विद्यालयी विकास को प्रोत्साहित करने पर अपने विचार रखे।प्रशिक्षण प्रभारी रवि रंजन खरे ने कार्यक्रम की पांच दिवसीय मॉड्यूल योजना का विस्तार से प्रस्तुतीकरण किया। उन्होंने बताया कि 6 अक्टूबर से 13 अक्टूबर 2025 तक चलने वाला यह प्रशिक्षण शिक्षकों की क्षमता संवर्धन, शिक्षण के नवाचार एवं मूल्यांकन तकनीक पर केंद्रित रहेगा। उन्होंने सभी शिक्षकों से आग्रह किया कि वे धैर्यपूर्वक आत्मविकास की इस प्रक्रिया में भाग लें और अपने विद्यालय के बच्चों के लिए प्रेरणास्रोत बनें।मनोविज्ञान विषय के प्रवक्ता देवेंद्र कुमार सिंह ने अपने वक्तव्य में कहा कि बच्चों के मानसिक विचलन और व्यवहारिक समस्याओं को पहचानना व समझना एक संवेदनशील शिक्षक की प्राथमिकता होनी चाहिए। उन्होंने उदाहरणों के माध्यम से बताया कि शिक्षक यदि बच्चों की भावनाओं को समझते हैं तो वे उन्हें सीखने के प्रति सकारात्मक दिशा में प्रेरित कर सकते हैं।इस प्रशिक्षण में तकनीकी सहयोग के रूप में पूर्व अकादमिक रिसोर्स पर्सन डॉ. शशि भूषण मिश्रा, संतोष कुमार और चंदन मिश्रा द्वारा प्रदान किया जा रहा है, जिनके मार्गदर्शन में प्रशिक्षण अधिक प्रभावशाली और व्यवहारिक रूप ले रहा है।कार्यक्रम में प्रशिक्षण से जुड़े अनेक शिक्षकों ने अपने विचार साझा किए और यह संकल्प लिया कि वे प्रशिक्षण से प्राप्त अनुभवों को अपने विद्यालयों में लागू कर बच्चों के सीखने के वातावरण को अधिक जीवंत और रोचक बनाएंगे।
बच्चों को कफ सिरप देने पर स्वास्थ्य महानिदेशालय (DGHS) ने जारी किए अहम निर्देश
अमर बहादुर सिंह बलिया शहर! नई दिल्ली। बच्चों को खांसी की दवा देने को लेकर Director General of Health Services (DGHS) ने देशभर के अभिभावकों और चिकित्सकों के लिए अहम निर्देश जारी किए हैं। निर्देशों के अनुसार 1. दो वर्ष तक के बच्चों को कफ सिरप बिल्कुल नहीं देना चाहिए।
2.सामान्यतः पांच वर्ष तक के बच्चों को भी खांसी की दवा (Cough Syrup) नहीं दी जानी चाहिए।
3. पांच वर्ष से अधिक उम्र के बच्चों को कफ सिरप केवल डॉक्टर की जांच और निगरानी में ही दिया जाए।
4.बच्चों को दवा देने के समय खुराक (Dosage) का सख्ती से पालन जरूरी है।
5.एक साथ कई दवाएं देने से बचें, क्योंकि इससे बच्चे के स्वास्थ्य पर दुष्प्रभाव पड़ सकता है।
DGHS ने कहा है कि अधिकांश मामलों में बच्चों की खांसी अपने आप ठीक हो जाती है, और बिना जरूरत दवा देना हानिकारक हो सकता है। उन्होंने अभिभावकों से अपील की है कि बच्चों में खांसी या सर्दी-जुकाम की स्थिति में घरेलू देखभाल, उचित तरल पदार्थ और साफ-सफाई पर ध्यान दें, और डॉक्टर की सलाह के बिना कोई भी दवा न दें।
स्वास्थ्य विभाग ने चेतावनी दी है कि अनुचित रूप से दी गई खांसी की दवा बच्चों में सांस लेने में तकलीफ, नींद बढ़ना, उल्टी या अन्य दुष्प्रभाव पैदा कर सकती है। इसलिए बच्चों की सुरक्षा के लिए इन दिशा-निर्देशों का सख्ती से पालन किया जाए।
बच्चों को कफ सिरप देने पर स्वास्थ्य महानिदेशालय (DGHS) ने जारी किए अहम निर्देश
अमर बहादुर सिंह बलिया शहर
नई दिल्ली। बच्चों को खांसी की दवा देने को लेकर Director General of Health Services (DGHS) ने देशभर के अभिभावकों और चिकित्सकों के लिए अहम निर्देश जारी किए हैं।
निर्देशों के अनुसार —