बलिया: ज्ञान का सागर पुस्तकालय से निकलकर चमका एक उज्जवल सितारा — गोल्ड मेडलिस्ट और बलिया के चर्चित पत्रकार अमर बहादुर सिंह बने प्रेरणा का प्रतीक
संजीव सिंह बलिया! बलिया जनपद के नगरा क्षेत्र के निवासी अमर बहादुर सिंह ने एम.एससी. (B.Lib. & I.S.) में जन नायक चंद्रशेखर विश्वविद्यालय स्तर पर स्वर्ण पदक प्राप्त कर शिक्षा और ज्ञान के क्षेत्र में एक नया इतिहास रच लिया है। उनकी इस उपलब्धि ने न केवल बलिया की शैक्षिक समृद्धि को दर्शाया है, बल्कि युवा पीढ़ी के लिए एक मिसाल और प्रेरणा की नई किरण भी उत्पन्न की है।अमर बहादुर सिंह की सफलता की कहानी समर्पण, कठिन परिश्रम और पुस्तकालयों के प्रति उनके गहरे प्रेम से प्रेरित है। उनका मानना है कि "ज्ञान का सागर पुस्तकालय में ही सबसे गहराई से मिलता है। मेरा उद्देश्य है कि हर विद्यार्थी तक सही और सटीक जानकारी पहुंचे, क्योंकि यही सच्ची स्वतंत्रता की कुंजी है।" यह विचार आज के डिजिटल युग में भी पुस्तकालय की पारंपरिक और अपरंपरागत अहमियत को उजागर करता है। वे कहते हैं कि इंटरनेट जहां सूचनाओं का भण्डार है, वहीं पुस्तकालय ऐसी गहराई, समझ और नवाचार प्रदान करता है जो सच्चे बौद्धिक विकास की आधारशिला है।अमर बहादुर सिंह अपनी उपलब्धि का श्रेय विशेष रूप से अपने परिवार, गुरुजनों और पुस्तकालय को देते हैं। अपने परदादा स्वर्गीय फतेह बहादुर सिंह, बाबा बाबु मुरली सिंह जी व पिता अरविंद बहादुर सिंह और अपने पूरे परिवार के साथ-साथ लंबे समय से सहयोगी बने पुस्तकालय को वे अपने सफल सफर का मूल स्तंभ बताते हैं। विश्वविद्यालय प्रशासन ने भी उनके अथक प्रयासों और उत्कृष्ट उपलब्धि को सराहा है और इसे आने वाली पीढ़ी के लिए एक प्रेरणास्रोत बताया है।अमर बहादुर सिंह: एक संक्षिप्त परिचय अमर बहादुर सिंह वॉर्ड नंबर 13, नगरा नगर पंचायत, बलिया के निवासी हैं। वे पुस्तकालय विज्ञान के क्षेत्र में न केवल आधुनिक तकनीकों का उपयोग करते हुए सामूहिक ज्ञान को बढ़ावा दे रहे हैं, बल्कि जनजागरूकता फैलाने में भी एक अग्रणी भूमिका निभाते हैं। उनकी यह सफलता प्रदेश के शिक्षा क्षेत्र में नई उम्मीद और दिशा बताती है कि किस प्रकार समर्पण एवं ज्ञान की लालसा से कोई व्यक्ति किसी भी क्षेत्र में उच्चतम मुकाम हासिल कर सकता है।अमर बहादुर सिंह का युवा पीढ़ी के लिए संदेश है कि वे अपने दिनचर्या में नियमित समय पुस्तकालय को अवश्य दें। उनका मानना है कि पुस्तकालय सिर्फ किताबों का भंडार नहीं, बल्कि ज्ञान, विचारों और नवाचारों का जीवंत केंद्र है जो विद्यार्थियों के बौद्धिक विकास और स्वतंत्र सोच को आकार देता है।बलिया जिले के लिए यह उपलब्धिअमर बहादुर सिंह का यह स्वर्ण पदक केवल उनकी व्यक्तिगत सफलता नहीं है, बल्कि बलिया जिले के शैक्षणिक क्षेत्र और युवा प्रतिभाओं की सामूहिक उपलब्धि भी है। यह प्रेरणा देता है कि कैसे कठिन परिश्रम, सही मार्गदर्शन और ज्ञान के प्रति गहरा प्रेम किसी भी चुनौती को पार करने और श्रेष्ठता प्राप्त करने का रास्ता खोलता है।उनकी प्रेरणादायक कहानी आज के युवाओं को उनके लक्ष्यों की ओर दृढ़ता से बढ़ने का उत्साह प्रदान करती है और पुस्तकालयों की प्राचीन एवं महत्त्वपूर्ण भूमिका को नई पीढ़ी तक पहुंचाने का एक महत्वपूर्ण सन्देश देती है। अमर बहादुर सिंह की यह उपलब्धि बलिया के हर विद्यार्थी, शिक्षक, और शैक्षणिक संस्थान के लिए गर्व का विषय है, जो निरंतर शिक्षा और ज्ञान के क्षेत्र को समृद्ध बनाने का प्रेरक उदाहरण है।
Oct 08 2025, 12:41