विजयदशमी पर रावण दहन के जश्न पर मंडराया बारिश का खतरा, झारखंड के 11 जिलों में भारी वर्षा का अलर्ट

रांची। झारखंड की राजधानी रांची समेत अधिकतर जिलों में विजयदशमी (2 अक्टूबर) के दिन होने वाले रावण दहन कार्यक्रमों पर इस बार बारिश का साया मंडरा रहा है। मौसम विभाग ने बंगाल की खाड़ी में बने निम्न दबाव के क्षेत्र के गहरे अवदाब (Deep Depression) में तब्दील होने की आशंका जताते हुए रांची सहित 11 जिलों में भारी से बहुत भारी बारिश की चेतावनी जारी की है।

2 से 4 अक्टूबर तक रहेगा भारी बारिश का दौर

मौसम विभाग के अनुसार, यह मौसमी प्रणाली 3 अक्टूबर की सुबह दक्षिण ओडिशा-उत्तर आंध्रप्रदेश तटों को पार करेगी, जिसके प्रभाव से झारखंड में 2 अक्टूबर से 4 अक्टूबर तक लगभग सभी जिलों में हल्के से मध्यम दर्जे की वर्षा होगी। कुछ जिलों में भारी से बहुत भारी वर्षा होने की भी संभावना है। इस दौरान वज्रपात और आंधी की भी आशंका है।

रावण दहन पर असर: रांची में कम से कम 5 बड़ी जगहों पर रावण दहन कार्यक्रम आयोजित होते हैं, जिनमें से दो में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के शामिल होने की संभावना है। भारी बारिश और तेज हवा के कारण:

रावण, कुंभकर्ण और मेघनाद के पुतलों के गिरने की आशंका है।

पुतलों और पटाखों के गीला होने से रावण दहन का कार्यक्रम प्रभावित हो सकता है।

बारिश के कारण रावण दहन देखने आने वाले श्रद्धालुओं की संख्या कम हो सकती है।

आयोजकों और श्रद्धालुओं ने अब दुआ करना शुरू कर दिया है कि रावण, कुंभकर्ण और मेघनाद के पुतलों को जलाए जाने के समय भगवान बारिश न दें, ताकि वे बिना किसी व्यवधान के रावण दहन का मजा ले सकें। मौसम विभाग ने जनता से सतर्क रहने और आवश्यक सावधानी बरतने की अपील की है।

राँची के उपायुक्त ने मुख्य सचिव अविनाश कुमार से की शिष्टाचार मुलाकात

रांची। उपायुक्त सह जिला दंडाधिकारी राँची, श्री मंजूनाथ भजन्त्री ने आज (01 अक्टूबर 2025) झारखंड के नवनियुक्त मुख्य सचिव, श्री अविनाश कुमार से शिष्टाचार मुलाकात की

जिला जनसम्पर्क कार्यालय द्वारा जारी प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार, उपायुक्त श्री भजन्त्री ने मुख्य सचिव के नए दायित्व ग्रहण करने पर उन्हें पुष्पगुच्छ भेंट कर हार्दिक शुभकामनाएं दीं। यह मुलाकात एक औपचारिक भेंट थी

रांची से अंबाला वन वे (एक तरफा) स्पेशल ट्रेन का परिचालन 2 अक्टूबर से

दीपावली और छठ के मद्देनजर ट्रेनों में अतिरिक्त भीड़ को देखते हुए रेल मंत्रालय द्वारा यह सुनिश्चित किया गया है कि यात्रियों की सुविधा के लिए रांची – अंबाला के बीच वन वे (एक तरफा) स्पेशल ट्रेन का परिचालन होगा |

ट्रेन संख्या 08107 रांची – अंबाला वन वे (एक तरफा) स्पेशल ट्रेन गुरुवार यानी 2 अक्टूबर को रांची से प्रस्थान करेगी।

समय सारणी

इस ट्रेन का परिचालन समय 2 अक्टूबर को रांची से 22:45 बजे प्रस्थान करेगी, मूरी आगमन 23:45 बजे प्रस्थान 23:47 बजे, बोकारो स्टील सिटी आगमन 01:05 बजे प्रस्थान 01:10 बजे, गोमो आगमन 02:25 बजे प्रस्थान 02:30 बजे, कोडरमा आगमन 03:35 बजे प्रस्थान 03:37 बजे, गया आगमन 06:00 बजे प्रस्थान 06:10 बजे, सासाराम आगमन 08:50 बजे प्रस्थान 08:52 बजे दीनदयाल उपाध्याय आगमन 10:55 बजे प्रस्थान 11:05 बजे, प्रयागराज आगमन 13:50 बजे प्रस्थान 13:55 बजे, लखनऊ आगमन 18:20 बजे प्रस्थान 18:25 बजे, बरेली आगमन 21:00 बजे प्रस्थान 21:05 बजे, मुरादाबाद आगमन 22:45 बजे प्रस्थान 22:50 बजे एवं अंबाला आगमन शनिवार 04:45 बजे होगा |

इस ट्रेन में एसएलआरडी के 02 कोच, सामान्य श्रेणी के 06 कोच, द्वितीय श्रेणी स्लीपर के 12 कोच एवं वातानुकूलित 3- टियर का 01 कोच कुल 21 कोच होंगे |

झारखंड और महात्मा गांधी: वह यात्रा जिसने बापू को दी ताकत

रांची/जमशेदपुर। महात्मा गांधी की भारत में पहली बड़ी सफलता, चंपारण आंदोलन, में भले ही बिहार का नाम अग्रणी रहा हो, लेकिन इस आंदोलन को मिली मजबूती और गांधी जी के प्रभाव को देश भर में फैलाने में झारखंड (तत्कालीन बिहार का हिस्सा) की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। झारखंड की यात्राओं ने न केवल गांधी जी को जनजातीय समुदायों से जोड़ा, बल्कि राष्ट्रीय आंदोलन के लिए एक मजबूत वैचारिक आधार भी प्रदान किया।

चंपारण के बाद रांची का निर्णायक दौरा (1917)

चंपारण आंदोलन की सफलता के ठीक बाद, गांधी जी को जून 1917 में तत्कालीन लेफ्टिनेंट गवर्नर सर एडवर्ड गेट से वार्ता के लिए रांची बुलाया गया था। ब्रजकिशोर प्रसाद के साथ रांची पहुँचे गांधी जी को गिरफ्तारी की आशंका थी, इसलिए उन्होंने अपनी पत्नी कस्तूरबा गांधी और बेटे को भी बुला लिया था। हालांकि, सर गेट के साथ हुई सफल वार्ता के बाद गिरफ्तारी नहीं हुई और इसके बजाय एक जांच कमेटी का गठन हुआ। यहीं से गांधी जी का झारखंड से अटूट संबंध स्थापित हुआ।

जनजातीय समुदायों ने दी नई ऊर्जा

गांधी जी 1917 के बाद 1925, 1934 और 1940 में कई बार झारखंड (रांची, जमशेदपुर, चाईबासा, रामगढ़, हजारीबाग, गिरिडीह, देवघर आदि) आए। उनकी यात्राओं का सबसे गहरा असर यहां के जनजातीय समाज पर पड़ा:

टाना भगतों का समर्पण: रांची में टाना भगतों ने गांधी जी से मुलाकात की, जिसके बाद वे उनके कट्टर अनुयायी बन गए। उनकी भक्ति ऐसी थी कि वे गया, कोलकाता और रामगढ़ के कांग्रेस अधिवेशन में भाग लेने के लिए पैदल ही चले गए। 'गांधी जी की जय' उनका मुख्य नारा बन गया और 1942 के आंदोलन में उन्होंने बड़ी भूमिका निभाई।

हो और संतालों से संवाद: 1925 में चाईबासा में गांधी जी ने हो समुदाय के लोगों से उनकी वीरता की कहानियाँ सुनीं। उन्होंने बेरमो और देवघर में संतालों से मुलाकात कर उन्हें राष्ट्रीय आंदोलन में खुलकर भाग लेने के लिए प्रेरित किया, जिसका परिणाम 1942 के आंदोलन में उनकी सक्रिय भागीदारी के रूप में सामने आया।

सामाजिक सुधार और श्रमदान पर जोर

गांधी जी ने अपनी यात्रा के दौरान केवल राजनीतिक चेतना ही नहीं जगाई, बल्कि सामाजिक सुधार पर भी ध्यान केंद्रित किया:

उन्होंने खादी, शराब से दूरी, महिलाओं की आत्मनिर्भरता, और समाज सेवा पर विशेष जोर दिया।

शिक्षा और चरित्र निर्माण: रांची के योगदा सत्संग स्थित विद्यालय की शिक्षा व्यवस्था से वे काफी प्रभावित हुए थे। हजारीबाग के संत कोलंबा कॉलेज में छात्रों को उन्होंने समाज सेवा और चरित्र निर्माण का महत्व समझाया और हो आदिवासियों के बारे में शोध करने को कहा।

कर्म में विश्वास: गिरिडीह में, सड़क मरम्मत के लिए पैसे की कमी की शिकायत पर, गांधी जी ने स्पष्ट कहा था कि लोग श्रमदान करें और सफाई करें, क्योंकि "सबसे बड़ी बीमारी निठल्लापन है।" उन्होंने खुद हरिजन स्कूल में बच्चों के नाखून और कान की सफाई की जाँच की और अध्यापकों को स्वच्छता को शिक्षा का आरंभ बिंदु बनाने को कहा।

जमशेदपुर: पूंजीपतियों का समर्थन और मजदूरों का नेतृत्व

गांधी जी 1925, 1934 और 1940 में जमशेदपुर भी गए, जहां उन्होंने मजदूरों और टाटा प्रबंधन के बीच बेहतर संबंध स्थापित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। यहां यह उल्लेखनीय है कि गांधी जी के दक्षिण अफ्रीका आंदोलन के दौरान सर रतनजी टाटा ने उन्हें 25 हजार रुपये की सहायता राशि भेजी थी, जिसका जिक्र गांधी जी ने स्वयं किया था।

झारखंड की इन यात्राओं ने महात्मा गांधी के नेतृत्व को जन-जन तक पहुँचाया और उन्हें राष्ट्रीय पटल पर एक शक्तिशाली नेता के रूप में स्थापित करने में अहम भूमिका निभाई।

झारखंड: मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने निवर्तमान मुख्य सचिव अलका तिवारी को दी भावभीनी विदाई, अविनाश कुमार ने संभाला राज्य के नए मुख्य सचिव का पदभार

रांची। झारखंड मंत्रालय में मंगलवार, 30 सितंबर 2025 को राज्य के प्रशासनिक नेतृत्व में बदलाव हुआ। मुख्यमंत्री श्री हेमन्त सोरेन ने मुख्य सचिव पद से सेवानिवृत्त हो रही वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी श्रीमती अलका तिवारी को भावभीनी विदाई दी और साथ ही, श्री अविनाश कुमार को राज्य के नए मुख्य सचिव का पदभार संभालने पर शुभकामनाएँ दीं।

निवर्तमान मुख्य सचिव की सेवाओं की सराहना

मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन ने निवर्तमान मुख्य सचिव श्रीमती अलका तिवारी की सेवाकाल की सराहना करते हुए कहा कि उन्होंने अपने कार्यकाल के दौरान बेहतर प्रशासनिक क्षमता का परिचय दिया। उन्होंने राज्य सरकार की विभिन्न योजनाओं और नीतियों के क्रियान्वयन में महत्वपूर्ण योगदान दिया, जिसके मार्गदर्शन से कई महत्वाकांक्षी योजनाओं को सफलतापूर्वक लागू करने में मदद मिली।

मुख्यमंत्री ने श्रीमती तिवारी के ईमानदारी, निष्ठा और कर्तव्यपरायणता की प्रशंसा की। उन्होंने कहा कि श्रीमती तिवारी ने राज्य प्रशासन को एक नई दिशा दी और प्रशासनिक परंपराओं को मजबूती प्रदान की। मुख्यमंत्री ने उन्हें भविष्य के लिए शुभकामनाएँ देते हुए आशा व्यक्त की कि वे आगे भी अपने अनुभव से समाज को लाभान्वित करती रहेंगी।

नवनियुक्त मुख्य सचिव को शुभकामनाएँ

इस अवसर पर, मुख्यमंत्री ने नवनियुक्त मुख्य सचिव श्री अविनाश कुमार को पदभार ग्रहण करने पर शुभकामनाएँ दीं। मुख्यमंत्री ने विश्वास व्यक्त किया कि श्री अविनाश कुमार की कार्यकुशलता, दूरदर्शिता एवं प्रशासनिक अनुभव से राज्य प्रशासन को और अधिक मजबूती मिलेगी तथा राज्य सरकार की विकास योजनाओं के कार्यान्वयन में तेजी आएगी।

इस मौके पर नवनियुक्त मुख्य सचिव श्री अविनाश कुमार, राज्य के नए विकास आयुक्त श्री अजय कुमार सिंह सहित विभिन्न विभागों के प्रधान सचिव/सचिव तथा अन्य वरिष्ठ पदाधिकारीगण उपस्थित थे।

डॉ. इरफान अंसारी करेंगे भव्य रावण दहन समारोह का उद्घाटन- आलोक कुमार दुबे”

रांची। राजधानी रांची के एचईसी स्थित शालीमार बाजार, धुर्वा में इस वर्ष भी परंपरागत विजयादशमी रावण दहन समारोह भव्य रूप से आयोजित होगा। इस आयोजन की तैयारियों को लेकर विजयादशमी रावण दहन समारोह समिति और रांची नगर निगम अधिकारियों ने संयुक्त रूप से स्थल का निरीक्षण किया और विभिन्न व्यवस्थाओं का जायजा लिया। इस दौरान समिति के मुख्य संरक्षक एवं झारखंड प्रदेश कांग्रेस कमेटी के महासचिव आलोक कुमार दूबे, समिति अध्यक्ष संजीत यादव, महासचिव सौरव पाण्डेय तथा मुख्य सहयोगी अभिषेक साहू उपस्थित थे। वहीं नगर निगम की ओर से मुख्य प्रशासक सुशांत गौरव, अपर प्रशासक संजय कुमार, उप प्रशासक रवीन्द्र कुमार, शाखा पदाधिकारी ओंकार पाण्डेय सहित अन्य अधिकारी भी मौके पर मौजूद रहे।

निरीक्षण के बाद नगर निगम के मुख्य प्रशासक सुशांत गौरव ने कहा कि निगम की ओर से स्वच्छता, सुरक्षा और यातायात की सभी आवश्यक तैयारियों को प्राथमिकता दी जाएगी ताकि लोग बिना किसी असुविधा के कार्यक्रम का आनंद उठा सकें। उन्होंने आश्वस्त किया कि इस ऐतिहासिक परंपरा को सफल और भव्य बनाने में निगम हरसंभव सहयोग करेगा। वहीं समिति के मुख्य संरक्षक आलोक कुमार दूबे ने कहा कि 1968 से चली आ रही इस परंपरा को हम सब मिलकर और भी भव्य रूप देंगे। ‌उन्होंने कहा कि रावण दहन केवल एक प्रतीकात्मक आयोजन भर नहीं है, बल्कि यह हमारी सामाजिक एकजुटता और सांस्कृतिक धरोहर का प्रतीक है।

आलोक दूबे ने बताया कि इस वर्ष रावण का पुतला 55 फीट और मेघनाद का पुतला 50 फीट ऊँचा तैयार किया जा रहा है।पुतला दहन के पूर्व आतिशबाजी की जाएगी। महिलाओं की सुरक्षा का विशेष इंतजाम किया जा रहा है।चलंत शौचालय, मेडिकल टीम भी रहेंगे।समिति के पदाधिकारी राहुल तिवारी, राजेश यादव, मंटू यादव, रवि शंकर सिंह, राहुल कुमार बिट्टू, अमित राय,मेंहुल दूबे और शुभम पंडित कार्यक्रम की सफलता को लेकर लगातार काम कर रहे हैं, मैदान को युद्ध स्तर पर समतल किया जा रहा है। कार्यक्रम का उद्घाटन डॉ. इरफान अंसारी करेंगे जबकि मुख्य अतिथि के रूप में श्रीमती शिल्पी नेहा तिर्की और श्रीमती दीपिका पाण्डेय सिंह उपस्थित रहेंगी। गेस्ट ऑफ ऑनर के रूप में सुबोधकांत सहाय समारोह की शोभा बढ़ाएंगे।

समिति की ओर से यह भी कहा गया कि एचईसी धुर्वा और डोरंडा क्षेत्र एवं रावण दहन कार्यक्रम हर साल पुलिस प्रशासन और जिला प्रशासन की नजरों से उपेक्षित रहता है। जबकि 2 अक्टूबर को यहां एक लाख से अधिक लोग शामिल होते हैं, फिर भी यह आयोजन फोकस में नहीं रहता। आयोजकों ने उम्मीद जताई है कि इस वर्ष प्रशासन समिति और जनता को निराश नहीं करेगा और सभी स्तर पर बेहतर सहयोग प्रदान करेगा।

इस वर्ष का रावण दहन समारोह आलोक कुमार दूबे के नेतृत्व में समिति के मुख्य संरक्षक के रूप में और संजीत यादव अध्यक्ष, अभिषेक साहू मुख्य सहयोगी तथा सौरव पाण्डेय महासचिव के रूप में आयोजित किया जा रहा है। आयोजकों का कहना है कि दशकों से चली आ रही इस परंपरा को और भी यादगार और ऐतिहासिक रूप देने के लिए हर स्तर पर प्रयास किए जा रहे हैं।

भाजपा झूठ और भ्रामक आरोप लगाकर गुमराह कर रही, सारंडा संरक्षण के लिए हेमंत सरकार प्रतिबद्ध": झामुमो महासचिव विनोद पांडेय का पलटवार

झारखंड। झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) के महासचिव विनोद पांडेय ने भारतीय जनता पार्टी (BJP) पर पलटवार करते हुए उन पर झूठ और भ्रामक आरोप लगाकर जनता को गुमराह करने की असफल कोशिश करने का आरोप लगाया है। पांडेय ने कहा कि झामुमो के जल, जंगल और जमीन के संघर्ष की ताकत के आगे भाजपा की कोई चाल सफल नहीं हो सकती।

सारंडा पर मंत्री समूह का गठन

विनोद पांडेय ने सारंडा जंगल को लेकर भाजपा के आरोपों को सिरे से नकारते हुए कहा कि हेमंत सोरेन सरकार सुप्रीम कोर्ट के आदेश का अनुपालन करते हुए इस जंगल के संरक्षण के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने जानकारी दी कि सरकार ने मंत्री समूह का गठन कर दिया है और आज से ही समूह ने सारंडा में सामाजिक-आर्थिक अध्ययन कार्य शुरू कर दिया है। इसका उद्देश्य जंगल को जैव विविधता और पारिस्थितिकी तंत्र की दृष्टि से सुरक्षित और संरक्षित करना है।

अवैध खनन की जड़ें भाजपा के कार्यकाल में

पांडये ने भाजपा पर तंज कसते हुए कहा कि भाजपा को यह नहीं भूलना चाहिए कि झारखंड में अवैध खनन की जड़ें उन्हीं की सरकार के कार्यकाल में पड़ी थीं। उन्होंने आरोप लगाया कि केंद्र और पिछली राज्य सरकारों में भाजपा ने कॉरपोरेट घरानों और खनन कंपनियों को संरक्षण देकर जंगल-जमीन को लूटा, और सबसे अधिक पर्यावरण को क्षति उसी दौरान हुई।

उन्होंने दावा किया कि हेमंत सरकार की नीति और नियत पर जनता ने भरोसा जताया है, जिसका परिणाम लगातार दूसरी बार मिला दो-तिहाई बहुमत है।

खनन पर नियंत्रण और पर्यावरणीय मानक

झामुमो महासचिव ने कहा कि हेमंत सरकार ने अपने कार्यकाल में खनन गतिविधियों पर कड़ा नियंत्रण किया है और पर्यावरणीय मानकों को सख्ती से लागू करने के लिए नियम बनाए हैं। उन्होंने बताया कि सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश का पालन करते हुए सारंडा को वन्यजीव अभयारण्य घोषित करने की प्रक्रिया तेजी से शुरू की है, जिसके बाद कोई भी कंपनी बिना सभी मानकों को पूरा किए यहां खनन नहीं कर सकेगी।

विनोद पांडेय ने भाजपा पर "मगरमच्छ के आंसू बहाने" का आरोप लगाते हुए कहा कि उनका एजेंडा भ्रम फैलाकर सत्ता हथियाना है। उन्होंने भाजपा को अपने गिरेबान में झांकने और सकारात्मक सहयोग करने की सलाह दी। उन्होंने अंत में दोहराया कि हेमंत सरकार की प्राथमिकता आदिवासियों और मूलवासियों के हितों की रक्षा करना है और मंत्री समूह की टीम स्थानीय समुदायों से संवाद कर सारंडा की हरियाली को आने वाली पीढ़ियों के लिए सुरक्षित करेगी।

झारखंड स्टेट को-ऑपरेटिव बैंक में 400 पदों पर होगी भर्ती,मार्च 2026 तक पूरी होगी भर्ती प्रक्रिया

युवाओं के लिए बड़ी खुशखबरी! झारखंड स्टेट को-ऑपरेटिव बैंक में मार्च 2026 तक 400 खाली पदों पर भर्ती होगी. साथ ही बैंक में कार्यरत करीब 300 कर्मियों और पदाधिकारियों को जल्द प्रमोशन मिलेगा और संविदा पर काम कर रहे कंप्यूटर ऑपरेटरों को स्थायी किया जाएगा. झारखंड के 16 लाख खाताधारियों के साथ बैंक का कारोबार बढ़ रहा है.

बैंक में काम करने वाले युवाओं के लिए अच्छी खबर है. झारखंड स्टेट को-ऑपरेटिव बैंक में 400 पदों पर बहाली होने वाली है. ये प्रक्रिया मार्च 2026 तक पूरी कर ली जाएगी. ये बातें झारखंड स्टेट को-ऑपरेटिव बैंक की चेयरमैंन विभा सिंह ने कही है. वह सोमवार को बिष्टुपुर स्थित झारखंड स्टेट को-ऑपरेटिव बैंक के दुर्गोत्सव में बतौर मुख्य अतिथि उद्घाटन करने रांची से आयी हुई थीं.

300 कर्मियों और पदाधिकारियों भी जल्द मिलेगी प्रोन्नति

झारखंड स्टेट को-ऑपरेटिव बैंक की चेयरमैन विभा सिंह ने कहा है कि को-ऑपरेटिव बैंक में कार्यरत करीब 300 कर्मियों और पदाधिकारियों को जल्द प्रोन्नति मिलेगी. वहीं, करीब 400 खाली पदों पर मार्च 2026 तक बहाली ली जायेगी. साथ ही संविदा पर कार्यरत कंप्यूटर ऑपरेटरों को स्थायी किया जायेगा. इस पर बोर्ड की सहमति मिल चुकी है.

झारखंड के 16 लाख लोग हैं बैंक में खाताधारी

विभा सिंह ने ये बातें ‘प्रभात खबर’ से बातचीत में कहीं. विभा सिंह ने बताया कि यह बैंक वर्ष 2022-23 में 90 करोड़ घाटे में था. इसमें सकल एनपीए 52 फीसदी था, जो अब घटकर नौ फीसदी पहुंच गया है. इसी तरह शुद्ध एनपीए 22 फीसदी था, जो अब मात्र तीन फीसदी बचा है. वर्ष 2024-25 और 2025-26 में मुनाफा बढ़ने के साथ पहली बार बैंक ने 28 करोड़ रुपये आयकर का भुगतान किया है. फिलहाल इस बैंक में झारखंड के 16 लाख खाताधारी हैं और वर्तमान में साढ़े चार हजार करोड़ का कारोबार है.

​निशुल्क नेत्र जांच एवं मोतियाबिंद ऑपरेशन शिविर 5 अक्टूबर को रावण दहन कार्यक्रम की तैयारियों पर आज होगी प्रेस वार्ता


​रांची: शहर में आगामी दिनों में दो महत्वपूर्ण कार्यक्रम आयोजित होने जा रहे हैं। इनमें एक निःशुल्क नेत्र जांच एवं चिकित्सा शिविर है, जबकि दूसरा पंजाबी हिंदू बिरादरी द्वारा आयोजित होने वाला पारंपरिक रावण दहन कार्यक्रम है।

​निशुल्क आंखों का शिविर 5 अक्टूबर को

​भगवान महावीर आई हॉस्पिटल (भगवान महावीर हॉस्पिटल ऐंड रिसर्च सेंटर रांची की इकाई) के सौजन्य से आगामी 5 अक्टूबर, रविवार को पंजाबी भवन, लाला लाजपत राय पथ, निकट ओवरब्रिज में एक विशाल निशुल्क नेत्र जांच एवं मोतियाबिंद ऑपरेशन शिविर का आयोजन किया जाएगा।

​यह शिविर प्रातः 10:30 बजे से दोपहर 2:00 बजे तक चलेगा। इसमें आंखों की निशुल्क जांच के साथ ही जरूरतमंदों को निशुल्क चश्मा दिया जाएगा। सबसे महत्वपूर्ण है कि शिविर में मोतियाबिंद का निशुल्क ऑपरेशन भी लेंस प्रत्यारोपण विधि द्वारा किया जाएगा।

​इच्छुक लोग रजिस्ट्रेशन एवं विस्तृत जानकारी के लिए मोबाइल नंबर 80840-82609 या 76339-69895 पर संपर्क कर सकते हैं।

​रावण दहन कार्यक्रम की जानकारी आज प्रेस वार्ता में

​वहीं, पंजाबी हिंदू बिरादरी द्वारा आगामी 2 अक्टूबर, गुरुवार को मोराबादी मैदान में आयोजित किए जाने वाले रावण दहन कार्यक्रम की विस्तृत जानकारी देने के लिए आज (सोमवार) एक प्रेस वार्ता बुलाई गई है।

​प्रेस वार्ता दोपहर 3:00 बजे से लाला लाजपत राय मिडिल स्कूल, कडरू में आयोजित होगी। बिरादरी के अध्यक्ष सुधीर उग्गल, महासचिव राजेश मेहरा, और दशहरा समिति के अध्यक्ष कुणाल अजमानी ने तमाम प्रेस प्रतिनिधियों से समय पर उपस्थित होने का अनुरोध किया है। माना जा रहा है कि इस दौरान रावण, कुंभकर्ण और मेघनाद के पुतलों की ऊंचाई तथा कार्यक्रम की अन्य तैयारियों की घोषणा की जाएगी।

उद्योग सचिव अरवा राजकमल ने झारखंड पवेलियन में मछली के अचार और पापड़ की सराहना की*

नई दिल्ली: वर्ल्ड फूड इंडिया 2025 में झारखंड पवेलियन का अवलोकन करते हुए उद्योग सचिव श्री अरवा राजकमल ने कहा कि झारखंड प्रदेश अपने असीम खनिज उत्पादों, आदिवासी संस्कृति और वनों के लिए जाना जाता है। उन्होंने कहा कि झारखंड में 136 माइनर फूड प्रोड्यूस करने वाले वनों की श्रृंखला है, जिसमें शाल, महुआ, इमली, कुसुम, जामुन, पलाश, कटहल आदि के पेड़ बहुतायत में पाए जाते हैं।

वन विभाग की पहल

वन विभाग द्वारा लगाए गए स्टाल पर उन्होंने बताया कि विभाग वन समितियों का सृजन कर लोगों को आवश्यक प्रशिक्षण, मशीन, मार्केट लिंक दे कर लाह, सिल्क, शहद, चिरौंजी, काजू आदि वस्तुओं का उत्पादन भी करती है। झारखंड का सिल्क, शहद, चिरौंजी आदि न सिर्फ देश में अपितु विदेशों तक निर्यात होता है।

कृषि और मछली उत्पादन

कृषि, पशुपालन एवं सहकारिता विभाग के स्टाल की जानकारी देते हुए मुकेश द्विवेदी ने बताया कि झारखंड प्रदेश अपने यहां सभी अनाजों की अपेक्षा चावल का उत्पादन ज्यादा करता है। वहीं वर्तमान में सरकार ऑर्गेनिक सब्जियों के उत्पादन को भी बढ़ावा दे रही है। फ़िशरीज विभाग के प्रशांत कुमार दीपक के अनुसार झारखंड प्रतिवर्ष 3.60 मीट्रिक टन मछली का उत्पादन कर रहा है, जिसमें रोहू, कटला, तिलपिया, पंजेसिप्स आदि मछली पाई जाती है।