आंदोलनकारियों के भय से विधायक ने नहीं किया पुलिया का उद्घाटन
हसपुरा / औरंगाबाद
प्रखंड में इन दिनों चल रहे महाआंदोलन रोड नहीं तो वोट नहीं,( चुनाव बहिष्कार ) का शिकार गोह विधायक भीम सिंह यादव को भी होना पड़ा। युवा आंदोलनकारियों का गुस्सा देख उन्हें अपना कार्यक्रम बदल कर बैरंग वापस लौटना पड़ा।
बुधवार को उन्हें अमझरशरीफ में एक पुलिया का उद्घाटन करने जाना था। लेकिन कार्यक्रम स्थल से पहले हीं सैंकड़ों आंदोलनकारी युवा काले झंडे लेकर विरोध में नारे लगाते हुए बरैलीचक मोड़ पर खड़े हो गये। स्थिति को बिगड़ता देख विधायक ने अपने कुछ समर्थकों को वहां भेजा।
विधायक के समर्थक आंदोलनकारियों से उलझ गये और धमकी देने लगे। इससे युवाओं का गुस्सा और बढ़ता चला गया। आलम यह हुआ कि आखिरकार विधायक भीम सिंह यादव को पुलिया का उद्घाटन किये बगैर वापस लौटना पड़ा।
- क्या है विरोध का मामला
आंदोलन का कारण है हसपुरा-देवकुंड रोड का बेहद हीं जर्जर होना। आंदोलन का नेतृत्व कर रहे सुधीर सिंह ने कहा कि यह सड़क हसपुरा और देवकुंड के दर्जनों गांवों के लिए जीवनरेखा की तरह है। बाबा दूधेश्वर नाथ की नगरी देवकुंड और पाक सैय्यदना का मजार अमझर शरीफ जैसे प्रसिद्ध धार्मिक स्थल हैं,जहां लाखों की संख्या में श्रद्धालु आते हैं। इसके बावजूद कई दशकों से सड़क की हालत ऐसी है कि पैदल चलना भी मुश्किल है। एंबुलेंस वाले इस रोड में आने से इन्कार कर देते हैं। लोग इस रोड पर सफर से बचने के लिए दुगनी दूरी तय कर पीरु रघुनाथपुर वाले रोड से जाते-आते हैं। उन्होंने कहा कि लोगों की सहनशक्ति अब जवाब दे चुकी है और दर्जन भर गांवों ने चुनाव बहिष्कार का ऐलान कर दिया है। साथ ही,यह भी तय किया है कि उन गांवों में किसी भी नेता को घुसने नहीं देंगे। दर्जन भर गांवों में चुनाव बहिष्कार के बैनर-पोस्टर ग्रामीणों ने लगा रखा है।
नारेबाजी करते रहे आंदोलनकारी
हसपुरा और अमझरशरीफ के बीच बरैलीचक मोड़ पर आंदोलनकारी बुधवार को दिन भर रोड नहीं तो वोट नहीं और नालायक नेता मुर्दाबाद के नारे लगाते रहें। साथ हीं वे विरोध के रूप में काले झंडे भी लहरा रहे थें। इससे पहले आंदोलन के समर्थन में युवाओं ने रविवार को हसपुरा बाजार में रैली निकाली थी। आंदोलनकारियों ने चुनाव बहिष्कार के समर्थन में आगामी 22 सितम्बर दिन सोमवार को सम्पूर्ण हसपुरा बंद का भी आह्वान किया है।
आंदोलन में विकास कुमार, शाहबाज मिन्हाज,किशोर कुमार, बिजेंत मौर्या,राहुल कुमार, दिलशाद अंसारी,आदिल अंसारी,अंकित पटेल,अफजल, इश्तेयाक,नैयर,आसिफ,शहीद, भोलू,जावेद,अभय कुमार,रितेश सहित अन्य सैंकड़ों की संख्या में युवा शामिल थें।
- धमकी का हो सकता है साइड इफेक्ट
आम मतदाताओं को विधायक के समर्थकों द्वारा जेल भेजवाने और झूठे मुकदमें में फंसाने की धमकी आरजेडी के लिए भारी पड़ सकता है। अब तक इस आंदोलन के निशाने पर सभी नेता और राजनीतिक दल रहे हैं। परंतु,बुधवार को विधायक के समर्थकों ने युवाओं के साथ जिस धमकी भरे लहजे में बातचीत की,उससे लोगों में आरजेडी के लिए नाराजगी बढ़ गई है। इसका खामियाजा आगामी विधानसभा चुनाव में आरजेडी को भुगतना पड़ सकता है।
Sep 21 2025, 19:41