बंटवारे की आग’ ने दिया एकजुट रहने का संदेश।
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संजय द्विवेदी प्रयागराज।अगर आप एकजुट नहीं रहेंगे तो कोई भी आपको टुकड़ो में बांट सकता है।उत्तर मध्य क्षेत्र सांस्कृतिक केन्द्र संस्कृति मंत्रालय भारत सरकार द्वारा आयोजित पाँच दिवसीय नौटंकी समारोह के अन्तर्गत सोमवार को मंचित नौटंकी बंटवारे की आग ने यही संदेश दिया।विनोद रस्तोगी द्वारा लिखित नाटक बटवारे की आग एक नौटंकी शैली का नाटक है। इसका निर्देशन किया था अजय मुखर्जी ने और इसे प्रस्तुत किया था प्रयागराज के विनोद रस्तोगी स्मृति संस्थान ने।सभी किरदारों और खासतौर से नाटक के खलनायक का अभिनय काफी सराहनीय था।
नाटक में इस्तेमाल किए गए डायलॉग मजबूत और वजनदार थे।भले ही नाटक की कहानी दो परिवारों के अलग होने की कहानी थी पर इसमें सूत्रधार और किरदारों ने एकजुट रहकर देश और समाज को जोड़े रखने का संदेश दिया।कार्यक्रम का शुभारंभ मुख्य अतिथि मेजर जनरल श्री धर्मराज राय(न्यू कैंट प्रयागराज)और केन्द्र निदेशक सुदेश शर्मा ने दीप प्रज्ज्वलन किया एवं केन्द्र निदेशक ने मुख्य अतिथि को अंग वस्त्र व पुष्प गुच्छ भेंट कर उनका स्वागत किया।नाटक की कहानी-एक गांव की है।दो भाई रामू और श्यामू एक खुशहाल संतुष्ट जीवन व्यतीत कर रहे होते हैं लेकिन खलनायक नौरंगी लाल दोनों भाईयों को जुदा करने की कोशिश करता है।
वह उन्हें कई तरह से परेशान करता है और आखिरकार अपने मकसद में कामयाब भी हो जाता है। पर यह ज्यादा देर तक नहीं रहता क्योंकि जैसे ही दोनों परिवारों को नौरंगी लाल की मंशाएं समझ आती हैं दोनों परिवार पहले से भी ज्यादा एकजुट हो जाते हैं। नाटक का अंत एक मजबूत सामाजिक संदेश देता है कि विभाजनकारी ताकतों से लड़ने के लिए समाज को एकजुट रहना होगा।सभी कलाकारों ने अपने अभिनय से दर्शकों को प्रभावित किया। विशेष रूप से खलनायक की भूमिका निभाने वाले कलाकार की प्रस्तुति सराहनीय रही। संवाद प्रभावशाली और सटीक थे।लाइटिंग और सेट डिज़ाइन कहानी के अनुरूप प्रभावी रहे। सूत्रधार और अन्य पात्रों ने मिलकर एकजुटता का जो संदेश दिया, जो दर्शकों को गहराई से छू गया।नाटक ने अंत में दर्शकों को यह सोचने पर विवश कर दिया कि समाज और देश को विभाजित करने वाली ताकतों के खिलाफ हमें एक साथ खड़ा होना होगा। जाति धर्म भाषा और क्षेत्र के आधार पर समाज को तोड़ने वालों से सतर्क रहने की आवश्यकता है।नाटक का संदेश था–यदि हम साथ रहें तो समाज में सकारात्मक बदलाव लाया जा सकता है।हारमोनियम पर उदय चन्द्र परदेशी ढोलक पर प्रवीण कुमार श्रीवास्तव नक्कारा पर बिंदेश्वरी प्रसाद और कोरस में उत्कर्ष ने शानदार सहयोग दिया।उनके संगीत ने नाटक की भावनाओं को और प्रभावशाली बना दिया।कार्यक्रम का संचालन डॉ.आभा मधुर ने किया।









Sep 09 2025, 09:47
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