साहित्य चेतना समाज ने कवि गोष्ठी का किया आयोजन
मिर्जापुर। साहित्य चेतना समाज के सौजन्य से अनगढ़ में कविगोष्ठी का आयोजन किया गया। मुख्य अतिथि गोरखपुर से आए प्रसिद्ध आशुकवि व संचालक राजेश राज रहे और अध्यक्षता रविन्द्र पाण्डेय सरल ने किया।
गोष्ठी का प्रारंभ नंदिनी वर्मा ने मां सरस्वती की वंदना से किया। कवि व कवयित्रियों ने अंगवस्त्र व स्मृति चिह्न भेंट कर राजेश राज का स्वागत किया। प्रसिद्ध संचालक व कवि राजेश राज की गिनती देश के बड़े आशु कवियों में होती है। राजेश राज ने अपने वक्तव्य में कहा कि मैं गोरखपुर में रहता हूं लेकिन मिर्जापुर मेरा पैतृक निवास है और यह साहित्यिक के क्षेत्र में अत्यंत समृद्ध जनपद है। मिर्जापुर ने आचार्य रामचंद्र शुक्ल, प्रेमघन, चुनारी लाल और बेचन शर्मा उग्र जैसे साहित्यकार दिए हैं।
काव्यपाठ के क्रम में राजेश राज ने सुनाया - भाई मेरे इक काम कर आना, कि मैं तो यहां सीमा पर खड़ा । राखी में जब थाल सजा कर, राह निहारे बहना । मेरे पहुंच न पाने का दुःख, उसे पड़े ना सहना । जा कर अपनी कलाई तू बढ़ाना, कि मैं तो यहां सीमा पर खड़ा।
रविन्द्र कुमार पाण्डेय ने सुनाया - तुम भले ही मूक बनकर दिव्य लोक में जा बसी हो। किन्तु प्रतिध्वनि तो तुम्हारी हर समय गूंजा करेगी।
केदारनाथ सविता ने पढ़ा - जिंदगी रिश्तों की डोर से बुनी हुई चारपाई है, जिसपर कितने लोग आये, बैठे और चले गये। आनंद अमित ने व्यंग्य कविता सुनाया- खाती बकरी घास है या बकरी को घास? इतने सीधे प्रश्न का उत्तर सबके पास।
सारिका चौरसिया ने पढ़ा - उदास शाम से सीखा मैंने, जो है अकेला चले निरंतर। सृष्टि राज ने पढ़ा - उन शहीदों को नमन जो रच गए इतिहास हैं। नंदिनी वर्मा ने सुनाया - जिंदगी हाथ मेरा थाम कहीं चलते हैं। चाहतों का लिए पैगाम कहीं चलते हैं। विनय कुमार श्रीवास्तव ने पढ़ा - मां तुमसा है कौन, हो तुम तो ममता की मूरत।
कार्यक्रम का संचालन आनंद अमित ने किया।
रविवार को रात आठ बजे तक चले इस कार्यक्रम में राजपति ओझा, कुलभूषण पाठक, मयंक प्रजापति, यामिनी, सावित्री आदि उपस्थित रहे। कार्यक्रम के अंत में सृष्टि राज ने सभी का धन्यवाद प्रकट किया।
Aug 12 2025, 17:47