मुख्यमंत्री धामी ने जाना घायलों का हाल, आर्थिक सहायता और हेल्पलाइन नंबर जारी

हरिद्वार, उत्तराखंड। रविवार सुबह प्रसिद्ध मनसा देवी मंदिर में दर्शन के दौरान मची भगदड़ में कम से कम छह श्रद्धालुओं की मौत हो गई और कई लोग घायल हो गए। घटना के तुरंत बाद उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने अस्पताल जाकर घायलों से मुलाकात की और हर संभव सहायता का आश्वासन दिया। उन्होंने मजिस्ट्रियल जांच के आदेश दिए हैं और अफवाह फैलाने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की चेतावनी दी है। मुख्यमंत्री ने मृतकों के परिजनों को ₹2 लाख और घायलों को ₹50,000 की सहायता देने की घोषणा की है। गंभीर घायलों को बेहतर इलाज के लिए एम्स ऋषिकेश रेफर किया गया है।

बिजली के करंट की अफवाह से भगदड़ ?

प्रारंभिक जानकारी के अनुसार, भगदड़ की वजह एक टूटी हुई बिजली लाइन के गिरने की अफवाह बताई जा रही है। हालांकि, मनसा देवी मंदिर ट्रस्ट के अध्यक्ष महंत रवींद्र पुरी ने इन अटकलों को नकारते हुए कहा कि करंट लगने जैसी कोई घटना नहीं हुई। उन्होंने बताया कि मंदिर के तीन रास्तों में भारी भीड़ जमा हो गई थी, जहां एक व्यक्ति के फिसलने से भगदड़ मच गई।

यूपीसीएल के अधीक्षण अभियंता प्रदीप कुमार ने भी कहा कि बिजली आपूर्ति पूरी तरह सुरक्षित है और कहीं से भी करंट लगने की पुष्टि नहीं हुई। उन्होंने बताया, “सिस्टम में कोई ट्रिपिंग नहीं हुई और अस्पताल में भी बिजली के झटके का कोई मामला दर्ज नहीं हुआ है।”

प्रधानमंत्री मोदी ने जताया शोक:

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस घटना पर गहरा दुख व्यक्त किया और शोक संतप्त परिवारों के प्रति संवेदनाएं प्रकट कीं। उन्होंने कहा कि स्थानीय प्रशासन पूरी तरह से प्रभावित लोगों की सहायता में लगा हुआ है।

* हेल्पलाइन नंबर जारी:

राज्य सरकार द्वारा घटना से जुड़ी जानकारी के लिए हेल्पलाइन नंबर भी जारी किए गए हैं:

हरिद्वार जिला आपातकालीन केंद्र: 01334-223999, 9068197350, 9528250926

राज्य आपातकालीन केंद्र, देहरादून: 0135-2710334, 2710335, 8218867005, 9058441404

हरिद्वार में मनसा देवी मंदिर मार्ग पर भगदड़, 6 की मौत, 35 घायल

* मृतकों में 5 उत्तर प्रदेश, 1 उत्तराखंड का निवासी

हरिद्वार (उत्तराखंड)। धार्मिक नगरी हरिद्वार में एक दर्दनाक हादसा सामने आया। मनसा देवी मंदिर मार्ग पर मची भगदड़ में 6 श्रद्धालुओं की मौत हो गई, जबकि करीब 35 लोग घायल हो गए। मृतकों में महिलाएं और बच्चे भी शामिल हैं। घायलों का इलाज नजदीकी अस्पतालों में चल रहा है, जिनमें कुछ की हालत गंभीर बताई जा रही है। अधिकारियों ने आशंका जताई है कि मृतकों की संख्या बढ़ सकती है।

गढ़वाल कमिश्नर विनय शंकर पांडे ने छह लोगों की मौत की पुष्टि करते हुए बताया कि राहत एवं बचाव कार्य तेजी से चल रहा है। वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक प्रमेंद्र डोबाल खुद स्थिति पर नजर बनाए हुए हैं। उन्होंने मौके पर पहुंचकर हालात का जायजा लिया और अस्पताल जाकर घायलों का हालचाल जाना। घायलों को बेहतर इलाज के लिए उच्च चिकित्सा केंद्रों पर भेजा जा रहा है।

बताया जा रहा है कि हादसा उस वक्त हुआ जब श्रद्धालुओं की भारी भीड़ मंदिर की ओर जा रही थी। रास्ता अत्यंत संकरा होने के कारण एक जगह अचानक धक्का-मुक्की शुरू हो गई, जिससे कई लोग जमीन पर गिर पड़े और भगदड़ मच गई। शनिवार और रविवार की छुट्टी के चलते श्रद्धालुओं की संख्या सामान्य से कई गुना अधिक थी। इसके अलावा हाल ही में संपन्न हुए जलाभिषेक के बाद भी कांवड़ यात्रा और दर्शनार्थियों का सैलाब हरिद्वार पहुंच रहा है।

स्थानीय पुलिस के अनुसार, जिस मार्ग पर हादसा हुआ, उसे मेला के दौरान आमतौर पर बंद रखा जाता है, लेकिन आज भारी भीड़ के बावजूद उस रास्ते से श्रद्धालुओं को भेजा गया। कोतवाली प्रभारी रितेश शाह ने भी भगदड़ की पुष्टि की है। यह हादसा एक बार फिर धार्मिक स्थलों पर भीड़ प्रबंधन की खामियों को उजागर करता है। प्रशासन ने घटना की जांच के आदेश दे दिए हैं। राज्य सरकार ने मृतकों के परिजनों को 2-2 लाख रुपये और घायलों को 50-50 हजार रुपये की सहायता राशि देने का ऐलान किया गया है।

हरिद्वार : कांवड़ यात्रा के बाद अब सफाई व्यवस्था की चुनौती

हरिद्वार, उत्तराखंड। विश्व की सबसे बड़ी धार्मिक यात्रा मानी जाने वाली कांवड़ यात्रा इस वर्ष 11 जुलाई से प्रारंभ होकर श्रावण मास की शिवरात्रि तक शांतिपूर्ण ढंग से संपन्न हो गई। परंतु करोड़ों श्रद्धालुओं की भागीदारी के बाद अब हरिद्वार प्रशासन के सामने सफाई एक बड़ी चुनौती बनकर उभरी है।

प्रशासनिक आंकड़ों के अनुसार, इस वर्ष साढ़े चार करोड़ से अधिक कांवड़िए गंगा जल भरने के लिए हरिद्वार पहुंचे। इन श्रद्धालुओं द्वारा छोड़े गए कचरे के कारण लगभग 8 से 10 हजार मीट्रिक टन कूड़ा हरिद्वार नगर क्षेत्र में एकत्र हो गया है।

हरिद्वार जिलाधिकारी मयूर दीक्षित ने बताया कि यात्रा के दौरान अत्यधिक भीड़ और वाहनों की आवाजाही के कारण कूड़ा वाहनों का संचालन संभव नहीं हो पा रहा था, जिससे नियमित सफाई प्रभावित हुई। नगर निगम के मुख्य नगर आयुक्त नन्दन कुमार ने बताया कि सफाई कार्य युद्ध स्तर पर शुरू कर दिया गया है और करीब 1,000 सफाईकर्मी, 15 ट्रैक्टर ट्रालियां, 8 CNG वाहन, लोडर, टिपर और अन्य संसाधन लगाए गए हैं।

विशेष रूप से हरकी पैड़ी, मोती बाजार, अलकनंदा, पंतद्वीप घाट जैसे क्षेत्रों में सफाई अभियान तेज किया गया है। प्लास्टिक पर प्रतिबंध के बावजूद कांवड़ियों द्वारा छोड़ी गई पॉलीथिन, कप, गिलास और चादरें सफाई को कठिन बना रही हैं। श्री गंगा सभा के अध्यक्ष नितिन गौतम ने बताया कि संस्था भी घाटों की सफाई में जुटी है और घाटों की धुलाई का कार्य किया जा रहा है। साथ ही, कीटनाशकों का छिड़काव और निगरानी टीमों की तैनाती की गई है।

कांवड़ यात्रा के दौरान फर्जी बाबाओं पर शिकंजा, उत्तराखंड पुलिस ने 127 लोगों को किया गिरफ्तार

डेस्क:– उत्तराखंड में सावन के पवित्र महीने के दौरान चल रही कांवड़ यात्रा के बीच राज्य सरकार ने बड़ा कदम उठाते हुए ऑपरेशन कालनेमि की शुरुआत की है. इस विशेष अभियान का मकसद उन लोगों की पहचान करना है और उनपर कार्रवाई करना है जो साधु-संतों का भेष धारण कर आम जनता को गुमराह कर रहे हैं. कांवड़ यात्रा के दौरान फर्जी संतो पर एक्शन लेते हुए उत्तराखंड पुलिस ने 127 लोगों को देहरादून, हरिद्वार और उधम सिंह नगर जिलों से गिरफ्तार किया है. ये सभी संतो का रूप बदलकर लोगों को ठग रहे थे.

अधिकारियों ने जानकारी देते हुए कहा, ” देहरादून जिले में लगभग 61 फर्जी संतों को पिछले दो दिनों में गिरफ्तार किया गया है. जिसमें ऋषिकेश से 17 लोगों की गिरफ्तारी हुई हैं. पुलिस ने एक बांग्लादेशी नागरिक को भी गिरफ्तार किया है, जिसका नाम रकम बताया जा रहा है, जो कि साधु का भेष रखकर रह रहा था.” पुलिस के मुताबिक यह व्यक्ति करीब सात महीने पहले ही देहरादून आया था और ये बांग्लादेश में ढाका के पास तंगेल जिले का रहने वाला है.

फर्जी संतों पर कड़ी कार्रवाई

देहरादून के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (SSP) अजय सिंह ने जानकारी दी कि शनिवार को जिले के अलग-अलग इलाकों से 23 लोगों को गिरफ्तार किया गया है. जबकि, इससे एक दिन पहले, यानी शुक्रवार को, 38 संदिग्ध फर्जी साधुओं को हिरासत में लिया गया था.

उधम सिंह नगर के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक मणिकांत मिश्रा ने जानकारी दी कि जिले के अलग-अलग क्षेत्रों से कुल 66 ऐसे संदिग्ध व्यक्तियों को हिरासत में लिया गया है, जो खुद को साधु बता रहे थे, लेकिन उनकी गतिविधियां संदिग्ध पाई गईं हैं.

उत्तराखंड में घुसपैठ कर रहे फर्जी नेटवर्क को उजागर करना और यात्रियों को किसी भी तरह की धोखाधड़ी से सुरक्षित रखने के लिए पुष्कर सिंह धामी सरकार ने ‘ऑपरेशन कालनेमि’ शुरू किया है.

श्रावण माह की कांवड़ यात्रा शुरू, हरिद्वार में उमड़ा आस्था का सैलाब

हरिद्वार, उत्तराखंड। श्रावण मास के आगमन के साथ ही हरिद्वार में श्रद्धा और भक्ति की गूंज सुनाई देने लगी है। शुक्रवार से कांवड़ यात्रा का शुभारंभ हो गया है। श्रावण कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा से लेकर चतुर्दशी तक चलने वाली इस यात्रा में लाखों शिवभक्त हर की पैड़ी से गंगाजल लेकर उत्तर प्रदेश, दिल्ली, राजस्थान, हरियाणा, पंजाब और मध्य प्रदेश के शिवालयों में जलाभिषेक करेंगे।

श्रावण मास में शिवभक्तों की तीन महायात्राएं प्रमुख रूप से होती हैं—कांवड़ यात्रा, अमरनाथ यात्रा और कैलाश मानसरोवर यात्रा। ये तीनों यात्राएं भक्तों के लिए कठिन साधना जैसी होती हैं, लेकिन भोलेनाथ का जलाभिषेक करने के बाद यही यात्राएं भक्तों के लिए अत्यंत आनंददायक अनुभव बन जाती हैं। हरिद्वार धार्मिक रूप से इसलिए भी विशेष महत्व रखता है क्योंकि मान्यता है कि श्रावण मास में भगवान शिव कनखल के राजा दक्ष को दिया गया वचन निभाने के लिए हर वर्ष यहां पधारते हैं। इस अवसर पर धर्मनगरी हरिद्वार 'बोल बम' और 'हर हर महादेव' के जयघोष से गूंज रही है।

वर्ष में दो बार कांवड़ यात्रा का आयोजन होता है- फागुन मास में महाशिवरात्रि के अवसर पर और श्रावण मास में शिव चौदस के दिन। इस बार 23 जुलाई को शिव चौदस मनाई जाएगी। धार्मिक पंचांग के अनुसार, एकादशी, द्वादशी और त्रयोदशी की तिथियां एक साथ पड़ने से त्रयोदशी का क्षय हो रहा है, जिसके कारण शिव चौदस इसी दिन मनाई जाएगी। प्रशासन ने लाखों कांवड़ियों की संभावित भीड़ को देखते हुए सुरक्षा, चिकित्सा और यातायात के पुख्ता इंतजाम किए हैं। सभी श्रद्धालुओं से अपील की गई है कि वे नियमों का पालन करें और यात्रा को शांतिपूर्ण ढंग से संपन्न करें।

मानसून से थमी चारधाम यात्रा, केदारनाथ में श्रद्धालुओं की संख्या में भारी गिरावट

रुद्रप्रयाग, उत्तराखंड। मानसून के सक्रिय होते ही चारधाम यात्रा पर व्यापक असर पड़ा है। खासकर केदारनाथ धाम जाने वाले श्रद्धालुओं को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। रुद्रप्रयाग-गौरीकुंड हाईवे और गौरीकुंड-केदारनाथ पैदल मार्ग भूस्खलन और मलबा आने के कारण बाधित हो गए हैं, जिससे यात्रा की रफ्तार थम गई है।

पिछले एक सप्ताह से केदारनाथ पहुंचने वाले श्रद्धालुओं की संख्या में लगातार गिरावट दर्ज की जा रही है। जुलाई के शुरुआती नौ दिनों में केवल 27,280 श्रद्धालु ही धाम पहुंच सके हैं, जबकि मानसून पूर्व जून में यह आंकड़ा 6.18 लाख और मई में करीब 6.97 लाख था। बुधवार को तो सिर्फ 1,165 श्रद्धालु ही बाबा केदार के दर्शन कर सके, जो इस यात्रा सीजन की सबसे कम संख्या रही। श्रद्धालुओं की संख्या घटने से स्थानीय व्यापार भी बुरी तरह प्रभावित हुआ है। केदारनाथ में कैंटीन संचालित करने वाले राकेश नेगी कहते हैं, यात्रा में गिरावट के कारण कारोबार लगभग ठप हो गया है। वहीं गढ़वाल मंडल विकास निगम के क्षेत्रीय प्रबंधक गिरवीर सिंह रावत ने कहा कि हर दिन कई बुकिंग रद्द हो रही हैं, जिससे निगम को आर्थिक नुकसान झेलना पड़ रहा है।

बदरीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति के मुख्य प्रशासनिक अधिकारी युदवीर पुष्पवाण के अनुसार, जून के तीसरे सप्ताह से ही यात्रा में गिरावट शुरू हो गई थी। वर्तमान में प्रतिदिन केवल 1,500 से 2,000 श्रद्धालु ही केदारनाथ पहुंच रहे हैं। प्रशासन और संबंधित एजेंसियां मार्गों को सुचारू करने में जुटी हैं, लेकिन मौसम की अनिश्चितता और भारी बारिश के कारण कार्य में बाधाएं आ रही हैं। यात्रियों को सलाह दी गई है कि वे मौसम की स्थिति देखकर ही यात्रा की योजना बनाएं।

काशीपुर में सूर्या रोशनी फैक्ट्री में हाइड्रोजन सिलेंडर विस्फोट, एक की मौत, कई घायल

काशीपुर, उत्तराखंड। काशीपुर स्थित सूर्या रोशनी लिमिटेड फैक्ट्री में गुरुवार सुबह करीब 11:30 बजे उस समय हड़कंप मच गया, जब मुरादाबाद रोड पर स्थित फैक्ट्री परिसर में हाइड्रोजन सिलेंडर जोरदार धमाके के साथ फट गया। इस भीषण विस्फोट की आवाज कई किलोमीटर दूर तक सुनाई दी, जिससे पूरे इलाके में अफरा-तफरी मच गई।

प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, विस्फोट के तुरंत बाद फैक्ट्री परिसर धुएं के घने गुबार से भर गया और वहां काम कर रहे कर्मचारियों में चीख-पुकार मच गई। फैक्ट्री प्रबंधन ने आनन-फानन में सभी कर्मचारियों को छुट्टी देकर बसों से बाहर भेजा और पूरा परिसर सील कर दिया गया।

एचआर हेड संजीव के अनुसार, घटना में केवल एक महिला को हल्की चोटें आई हैं, लेकिन चश्मदीदों का दावा है कि अंदर मौजूद 10 से 12 कर्मचारी झुलस गए हैं और कई की हालत गंभीर है। वहीं, एक व्यक्ति की मौत की भी सूचना मिल रही है, हालांकि इसकी आधिकारिक पुष्टि अब तक नहीं हुई है।

पुलिस और प्रशासन की टीमें मौके पर पहुंच चुकी हैं और राहत व बचाव कार्य जारी है। फिलहाल फैक्ट्री परिसर को आमजन के लिए बंद कर दिया गया है और जांच जारी है।

इस हादसे ने एक बार फिर औद्योगिक सुरक्षा, विशेष रूप से खतरनाक गैसों के प्रबंधन को लेकर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। स्थानीय लोग दहशत में हैं और क्षेत्र में भय का माहौल बना हुआ है।

— संवाददाता, काशीपुर

उत्तराखंड में फर्जी साधुओं पर कार्रवाई के लिए ‘ऑपरेशन कालनेमि’ शुरू, सीएम धामी ने दिए सख्त निर्देश

— ब्यूरो चीफ, देहरादून

देहरादून। देवभूमि उत्तराखंड में धर्म की आड़ में ठगी और पाखंड फैलाने वालों के खिलाफ अब सख्त कार्रवाई होगी। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने ऐसे फर्जी साधु-संतों के खिलाफ 'ऑपरेशन कालनेमि' शुरू करने का ऐलान किया है। इस अभियान का उद्देश्य सनातन धर्म की गरिमा की रक्षा और समाज में सौहार्द बनाए रखना है।

हरिद्वार, ऋषिकेश जैसे धार्मिक स्थलों पर हाल के वर्षों में ऐसे कई मामले सामने आए हैं, जहां असामाजिक तत्व साधु-संतों का भेष धारण कर लोगों, विशेषकर महिलाओं को ठगने और उनकी भावनाओं से खिलवाड़ करने में लगे हुए थे। इससे न केवल आमजन की धार्मिक आस्था आहत हो रही है, बल्कि सनातन परंपरा की छवि को भी ठेस पहुंच रही है।

सीएम धामी ने अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि किसी भी धर्म का व्यक्ति अगर साधु के भेष में अपराध करता पाया जाए, तो उसके खिलाफ कड़ी कानूनी कार्रवाई की जाए। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि आस्था के नाम पर पाखंड फैलाने वालों को बख्शा नहीं जाएगा।

‘कालनेमि’ नाम पौराणिक कथा से लिया गया है, जिसमें एक असुर साधु का भेष धारण कर लोगों को भ्रमित करता था। आज के समय में भी ऐसे ‘कालनेमि’ सक्रिय हैं, जो धर्म की आड़ में अपराध कर रहे हैं।

मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तराखंड सरकार जनभावनाओं, सनातन संस्कृति और सामाजिक समरसता की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध है। ऑपरेशन ‘कालनेमि’ के तहत पुलिस और प्रशासन इन फर्जी बाबाओं की पहचान कर उन पर निगरानी रखेगा और आवश्यकतानुसार कार्रवाई करेगा।

गुरु पूर्णिमा पर हर की पैड़ी में उमड़ा श्रद्धा का सैलाब

— संवाददाता, हरिद्वार

हरिद्वार ( उत्तराखंड )। गुरु पूर्णिमा के पावन अवसर पर हरिद्वार स्थित हर की पैड़ी पर श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ी। देश के कोने-कोने से आए हजारों श्रद्धालुओं ने गंगा में आस्था की डुबकी लगाई और गुरुजनों के प्रति अपनी श्रद्धा प्रकट की।

गंगा तट पर सुबह से ही श्रद्धालुओं का तांता लगा रहा। भोर होते ही श्रद्धालुओं ने हर की पैड़ी पर पहुँचकर गंगा स्नान किया और सूर्य को अर्घ्य अर्पित किया। मान्यता है कि गुरु पूर्णिमा पर गंगा स्नान से समस्त पापों का नाश होता है और जीवन में गुरु कृपा बनी रहती है।

हर की पैड़ी और आस-पास के घाटों पर सुरक्षा के व्यापक इंतजाम किए गए थे। पुलिस व प्रशासनिक अधिकारियों की टीम लगातार निगरानी में जुटी रही। घाटों पर जगह-जगह पुलिसकर्मी तैनात किए गए थे ताकि कोई भी अप्रिय घटना न हो।

श्रद्धालुओं ने पूजा-अर्चना कर अपने गुरुओं का स्मरण किया और विधिवत पूजा कर उनसे आशीर्वाद प्राप्त किया। गंगा की धारा में डुबकी लगाते श्रद्धालुओं के चेहरों पर भक्ति व आस्था की झलक स्पष्ट दिखाई दी। कई श्रद्धालु अपने परिवार सहित घाटों पर उपस्थित रहे और गुरु पूर्णिमा को आध्यात्मिक उल्लास के साथ मनाया।

दूसरे युवक से हुई नजदीकी तो प्रेमी के सिर पर हुआ खून सवार, प्रेमिका और 6 माह की बच्ची का गला रेतकर बेरहमी से की हत्या

डेस्क: · दिल्ली के मजनू का टीला में अपनी पूर्व प्रेमिका और छह महीने की बच्ची की गला रेतकर बेरहमी से हत्या करने के आरोप में एक व्यक्ति को गिरफ्तार किया गया है। एक अधिकारी ने बुधवार को यह जानकारी दी। आरोपी की पहचान निखिल के रूप में हुई है, जिसकी उम्र 22 से 25 वर्ष के बीच है। उसे उत्तराखंड के हल्द्वानी से पकड़ा गया, जहां का वह मूल निवासी है। पुलिस ने बताया कि सिविल लाइंस थाने की एक टीम घटनास्थल पर पहुंची और दोनों पीड़ितों को एक कमरे में खून से लथपथ पाया।

मिली जानकारी के अनुसार, तिमारपुर स्थित एक रेस्तरां में काम करने वाले निखिल और पीड़िता के रिश्ते के बारे में दोनों के परिवार वालों को पता था और वे दोनों की शादी कराने की योजना भी बना रहे थे। बताया कि वे लगभग छह साल से रिश्ते में थे। महिला के बड़े भाई-बहनों की शादी के बाद उनके परिवार वाले उनकी शादी कराने की योजना बना रहे थे। लेकिन, निखिल ने पिछले साल से पीड़िता को पीटना शुरू कर दिया था और दोनों के बीच अक्सर झगड़े होते थे। पीड़िता हाल ही में उसके साथ रिश्ता खत्म करने के बाद अपनी सहेली के घर रहने लगी थी। उसके चले जाने से क्रोधित होकर निखिल पूर्व प्रेमिका के दोस्त के घर गया, जहां वह रह रही थी और मंगलवार दोपहर को उसने महिला और बच्ची की हत्या कर दी।

इसके बाद निखिल ने घर में आत्महत्या करने की कोशिश की, लेकिन असफल होने पर वह ​हल्द्वानी​ में अपनी बहन के घर भाग गया। आरोपी ने हत्या में इस्तेमाल चाकू को पानी से साफ किया और अपराध छिपाने के लिए उसे अपने साथ ले गया। पकड़े जाने से बचने के लिए उसने अपना मोबाइल फोन भी अपराध स्थल पर छोड़ दिया ताकि पुलिस उसे पकड़ न सके। महिला के भाई ने बताया कि उन्हें पता ही नहीं चला कि मामला कैसे बढ़ गया और खबर सुनते ही वे नैनीताल से तुरंत आ गए। उन्होंने कहा कि मेरी मां खबर सुनने के बाद से ही बेसुध हैं। हम पूरी तरह टूट चुके हैं।

पुलिस उपायुक्त राजा बंथिया ने बताया कि महिला को निखिल के साथ कई समस्याएं थी और अक्सर उनके झगड़े होते रहते थे। जिस कारण वह उसे छोड़कर सहेली (शिकायतकर्ता महिला) के परिवार के साथ रहने लगी। घटना के समय, बच्ची की मां (सूचना देने वाली महिला) अपने पति के साथ पांच-वर्षीय अपनी दूसरी बेटी को स्कूल से लाने बाहर गई हुई थी। 

पुलिस सूत्रों के अनुसार, महिला निखिल को छोड़कर चली गई थी, जिससे नाराज होकर उसने (आरोपी ने) कथित तौर पर पीड़िता की हत्या कर दी, जबकि महिला को सहारा देने के कारण उसकी सहेली से बदला लेने के लिए उसकी बेटी को भी मार डाला। दोनों मृतकों के शव उनके परिवारों को सौंप दिए गए। महिला का शव उसके परिवार वाले नैनीताल ले गए, जबकि बच्ची को दिल्ली में दफनाया जाएगा।