पीएनबी घोटाले में बड़ी सफलता, भगोड़े नीरव मोदी का भाई नेहल मोदी अमेरिका में गिरफ्तार

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पंजाब नेशनल बैंक के घोटाले में भगोड़ा घोषित नीरव मोदी के भाई नेहाल मोदी को अमेरिका में गिरफ्तार कर लिया गया है। सीबीआई और ईडी के प्रत्यर्पण के अनुरोध के बाद उन पर शिकंजा कसा गया है। अमेरिका के अधिकारियों ने भारत सरकार को इसकी जानकारी दी है। यूनाइटेड स्टेट्स डिपार्टमेंट ऑफ जस्टिस की ओर से दी गई जानकारी के मुताबिक, भगोड़े आर्थिक अपराधी नीरव मोदी के भाई को 4 जुलाई को अमेरिकी अधिकारियों ने गिरफ्तार किया था।

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नेहल मोदी भारत के सबसे बड़े बैंकिंग घोटालों में से एक, पीएनबी घोटाले में वांछित हैं। जांच एजेंसियों का आरोप है कि उन्होंने अपने भाई नीरव मोदी की मदद करते हुए करोड़ों रुपये की अवैध कमाई को छिपाया और शेल कंपनियों व विदेशी लेनदेन के जरिए उसे इधर-उधर किया।

2019 में जारी किया गया था रेड नोटिस

साल 2019 में प्रवर्तन निदेशालय ने इंटरपोल से नीरव मोदी को बैंक फंड्स को लूटने में मदद करने के आरोप में नेहल मोदी की भूमिका के लिए उसके खिलाफ रेड नोटिस जारी करने का अनुरोध किया गया था।

कौन है नेहल मोदी?

नेहल मोदी पंजाब नेशनल बैंक (पीएनबी) धोखाधड़ी मामले में वांछित है। नेहल मोदी पंजाब नेशनल बैंक (पीएनबी) में कथित 13,600 करोड़ रुपये के धोखाधड़ी वाले बैंक लेनदेन के मामले के आरोपी और भगोड़े हीरा व्यापारी नीरव मोदी का भाई है। 46 वर्ष का नेहल मोदी बेल्जियम का नागरिक प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) और केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) की ओर से की गई जांच में नेहल मोदी को नीरव मोदी की आपराधिक आय को वैध बनाने के लिए काम करने वाले अहम शख्स पाया गया था। नीरव मोदी ब्रिटेन से प्रत्यर्पण की कार्रवाई का सामना कर रहा है।

काले धन को सफेद करने और छुपाने अहम भूमिका

जांच में सामने आया है कि उसने अपने भाई नीरव मोदी के लिए काले धन को सफेद करने और छुपाने में अहम भूमिका निभाई थी। ईडी और सीबीआई की जांच में ये भी पाया गया है कि नेहाल मोदी ने कई शेल कंपनियों के जरिए बड़ी रकम को विदेशों में इधर-उधर किया। उसका मकसद था धोखाधड़ी से कमाई गई रकम को ट्रैक से बाहर रखना।

नेहल की गिरफ्तारी भारतीय एजेंसियों के लिए अहम

बता दें कि नीरव मोदी खुद इस समय ब्रिटेन में प्रत्यर्पण प्रक्रिया का सामना कर रहे हैं। नेहल मोदी के प्रत्यर्पण मामले की अगली सुनवाई 17 जुलाई 2025 को तय की गई है। जिसमें स्थिति की समीक्षा (स्टेटस कॉन्फ्रेंस) होगी। इस सुनवाई के दौरान नेहल मोदी जमानत की अर्जी भी दे सकते हैं, जिसे अमेरिकी अभियोजन पक्ष विरोध करेगा। यह गिरफ्तारी भारत की जांच एजेंसियों के लिए एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है।

20 साल बाद एक मंच पर ठाकरे ब्रदर्स, राज और उद्धव ने एक दूसरे को लगाया गले

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महाराष्ट्र की राजनीति ने एक बड़ा मोड़ लिया है।महाराष्ट्र में राज ठाकरे और उद्धव ठाकरे एक बार फिर एक साथ आ गए हैं। शिवसेना (यूबीटी) प्रमुख उद्धव ठाकरे और मनसे प्रमुख राज ठाकरे आज 20 सालों के बाद एक स्टेज पर एक साथ नजर आ रहे हैं।उद्धव और राज ठाकरे आज मुंबई में 'मराठी विजय सभा' में मंच साझा किया। मराठी भाषा के लिए दोनों भाई सारे गिले-शिकवे भुलाकर एक मंच पर साथ आए और एक दूसरे को गले लगाया।

महाराष्ट्र सरकार द्वारा हिंदी को तीसरी भाषा के रूप में लागू करने के लिए दो सरकारी प्रस्तावों को रद्द करने के बाद, उद्धव ठाकरे गुट (यूबीटी) और महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (एमएनएस) मुंबई के वर्ली डोम में एक संयुक्त रैली की। 'विजय रैली' मुंबई के वर्ली इलाके में एनएससीआई डोम में आयोजित की गई। जहां इन दोनों नेताओं ने महाराष्ट्र सरकार की तीन-भाषा नीति को वापस लेने की खुशी में लोगों को संबोधित किया।

जो काम बालासाहेब नहीं कर पाए, वो फडणवीस ने किया-राज ठाकरे

महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) के अध्यक्ष राज ठाकरे ने कहा, मैंने अपने एक इंटरव्यू में कहा था कि मेरा महाराष्ट्र किसी भी राजनीति और लड़ाई से बड़ा है। आज 20 साल बाद मैं और उद्धव एक साथ आए हैं। जो काम बालासाहेब नहीं कर पाए, वो देवेंद्र फडणवीस ने किया... हम दोनों को साथ लाने का काम।

राज ठाकरे ने हिंदी भाषा को अनिवार्य बनाने पर उठाया सवाल

राज ठाकरे ने अपने भाषण में महाराष्ट्र में हिंदी भाषा को अनिवार्य बनाने पर सवाल उठाया। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार को ऐसा नहीं करना चाहिए। कई राज्यों में हिंदी भाषा बोली जाती है लेकिन उन राज्यों का कोई विकास नहीं हुआ।150 साल मराठाओं ने भारत पर राज किया। राज ठाकरे ने कहा, नीति लागू करने से भाषा लागू नहीं होती। राज ठाकरे ने कहा, महाराष्ट्र को कोई तिरछी आंख से नहीं देख सकता।

अब हम एक हुए हैं, एक साथ रहने के लिए-उद्धव

विजय रैली को संबोधित करते हुए उद्धव ठाकरे ने कहा, बहुत सालों के बाद मैं और राज ठाकरे एक मंच पर मिले। राज ठाकरे ने बहुत बेहतरीन भाषण दिया। उन्होंने आगे बड़ा सियासी संदेश दे दिया है। उन्होंने कहा, अब हम एक हुए हैं, एक साथ रहने के लिए। उद्धव ठाकरे ने आगे कहा, अभी तो चुनाव नहीं है, हमको बाल ठाकरे ने बताया था कि सत्ता आती है, जाती है, लेकिन अपनी ताकत एक साथ होने में होनी चाहिए। हमारी ताकत एकता में है। संकट आने पर हम सब एक हो जाते हैं। हम सबको एक रहना चाहिए।

उद्धव का बीजेपी पर निशाना

मंच से बीजेपी पर निशाना साधते हुए उद्धव ठाकरे ने कहा, बीजेपी अफवाहों की फैक्टी है, बीजेपी की पॉलिसी यूज एंड थ्रो की है। बीजेपी पर अटैक करते हुए उन्होंने कहा, बीजेपी हमें क्या हिंदूत्व सिखाएगी। उन्होंने आगे कहा, न्याय के लिए हम बाहुबली बनने को तैयार है।

चीन जाने वाले हैं एस जयशंकर, जानें गलवान झड़प के बाद क्यों खास है विदेश मंत्री का ये पहला दौरा

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राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के बाद अब विदेश मंत्री डॉ एस जयशंकर भी अगले सप्ताह चीन की यात्रा पर जा रहे हैं। विदेश मंत्री एस जयशंकर शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) की बैठक में भाग लेने के लिए 13 जुलाई के आसपास चीन का दौरा करेंगे। पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर 2020 के सैन्य गतिरोध के बाद दोनों देशों के बीच संबंधों में गंभीर तनाव आने के बाद विदेश मंत्री जयशंकर की यह पहली चीन यात्रा होगी।

इस साल एससीओ की अध्यक्षता चीन कर रहा है। चीन एससीओ का वर्तमान अध्यक्ष है और वह समूह की बैठकों की मेजबानी कर रहा है। विदेश मंत्री जयशंकर की यह यात्रा रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह द्वारा शंघाई सहयोग संगठन के रक्षा मंत्रियों की बैठक में भाग लेने के लिए चीनी शहर चिंगदाओ की यात्रा के कुछ ही हफ्तों बाद हो रही है। इस समिट में शामिल होने के लिए विदेश मंत्री एस जशंकर चीन की यात्रा करेंगे।

चीनी विदेश मंत्री के साथ द्विपक्षीय बैठक की भी संभावना

विदेश मंत्री एस जयशंकर की 14 और 15 जुलाई को तिआनजिन में आयोजित एससीओ के विदेश मंत्रियों की काउंसिल बैठक में शामिल होने से पहले बीजिंग में अपने चीनी विदेश मंत्री वांग यी के साथ द्विपक्षीय बैठक करने की संभावना है। दोनों देश के विदेश मंत्रियों के बीच होने वाली यह बैठक भारत और चीन के वरिष्ठ अधिकारियों के बीच चल रही उन सीरिज बैठकों का हिस्सा होगी, जिसका मकसद दोनों देश के द्विपक्षीय संबंधों को सामान्य करना और लंबे समय से जारी सीमा विवाद का समाधान ढूंढना है।

गलवान घाटी की हिंसा के बाद जयशंकर का पहला दौरा

यह दौरा विशेष रूप से महत्वपूर्ण माना जा रहा है क्योंकि यह गलवान घाटी की हिंसक झड़प (जून 2020) के बाद जयशंकर की पहली चीन यात्रा होगी। इससे पहले वे अपने चीनी समकक्ष से विभिन्न बहुपक्षीय मंचों पर मिलते रहे हैं, लेकिन यह दौरा द्विपक्षीय संबंधों की बहाली की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।

पांच साल में पहली बार प्रतिनिधिमंडल स्तर पर बैठक

विदेश मंत्री का यह दौरा ऐसे समय में हो रहा है जब भारत-चीन संबंधों को सामान्य करने की दिशा में कई उच्चस्तरीय मुलाकातें हो चुकी हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग की अक्टूबर 2023 में रूस के कजान में ब्रिक्स सम्मेलन के दौरान हुई द्विपक्षीय बैठक ने इस प्रक्रिया को गति दी। यह बैठक पांच वर्षों में पहली बार प्रतिनिधिमंडल स्तर पर हुई थी। इसके बाद राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने बीजिंग का दौरा किया और विभिन्न जटिल मुद्दों पर गहन चर्चा की।

शाही ईदगाह मामले में हिंदू पक्ष को झटका, हाईकोर्ट ने खारिज विवादित ढांचा घोषित करने की मांग वाली याचिका

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मथुरा श्रीकृष्ण जन्मभूमि और शाही ईदगाह मस्जिद विवाद में इलाहाबाद हाईकोर्ट से हिंदू पक्ष को बड़ा झटका दिया है। मथुरा स्थित श्रीकृष्ण जन्मभूमि और शाही ईदगाह मामले में शुक्रवार को इलाहाबाद हाईकोर्ट में सुनवाई हुई। दोनों पक्षों की दलील सुनने के बाद हाईकोर्ट ने कृष्ण जन्मभूमि शाही ईदगाह से जुड़ी संपत्ति को विवादित घोषित करने से इनकार कर दिया।

पिछली सुनवाई पर बहस पूरी होने पर हाईकोर्ट ने फैसला रिजर्व कर लिया था। साथ ही निर्णय के लिए चार जुलाई की तारीख नियत की थी। जस्टिस राम मनोहर नारायण मिश्र की सिंगल बेंच ने यह फैसला सुनाया। न्यायमूर्ति राम मनोहर नारायण मिश्रा की अदालत ने वादी महेंद्र प्रताप सिंह की ओर से दाखिल अर्जी खारिज कर दी।

हिंदू पक्ष के सूट नंबर 13 में वादी अधिवक्ता महेंद्र प्रताप सिंह ने यह अर्जी दाखिल की थी। उन्होंने मासरे आलम गिरी से लेकर मथुरा के कलेक्टर रहे एफ एस ग्राउस तक के समय की लिखी पुस्तकों का अदालत में हवाला दिया था। सूट नंबर 13 के वादी द्वारा आवेदन A-44 प्रस्तुत किया गया था, जिसमें संबंधित स्टेनोग्राफर को इस मूल मुकदमे की संपूर्ण आगे की कार्रवाई में शाही ईदगाह मस्जिद के स्थान पर “विवादित ढांचा” शब्द का उपयोग करने का निर्देश देने का अनुरोध किया गया था। हालांकि मुस्लिम पक्ष द्वारा इस आवेदन पर लिखित आपत्ति दायर की गई थी।

साथ ही दावा किया था कि मथुरा की शाही मस्जिद भी श्रीकृष्ण जन्मभूमि के मूल गर्भगृह को तोड़कर ही बनाई गई है। हालांकि हिंदू पक्ष की इस मांग पर मुस्लिम पक्ष ने विरोध जताया था। साथ ही कोर्ट में लिखित आपत्ति भी दाखिल की थी। दोनों पक्षों को सुनने के बाद न्यायमूर्ति राम मनोहर नारायण मिश्र की कोर्ट ने शाही ईदगाह को विवादित ढांचा घोषित करने वाली याचिका पर फैसला सुरक्षित रख लिया था।

झारखंड में ईडी की बड़ी कार्रवाई, पूर्व विधायक अंबा प्रसाद के करीबियों के ठिकानों पर रेड

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प्रवर्तन निदेशालय ने झारखंड की पूर्व विधायक अंबा प्रसाद से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में एक बार फिर बड़ी कार्रवाई की है। शुक्रवार को ईडी ने रांची और हजारीबाग सहित कुल 8 ठिकानों पर छापामारी की। यह छापेमारी अंबा प्रसाद के रिश्तेदारों और करीबियों के ठिकानों पर की गई है। ईडी की एक टीम रांची के हरमू रोड स्थित किशोरगंज में और दूसरी टीम हजारीबाग के बड़कागांव में छापेमारी कर रही है।

बताया जा रहा है कि यह छापेमारी आरकेटीसी ट्रांसपोर्टिंग कंपनी से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले की जांच के तहत हो रही है। ईडी की टीमों ने रांची, हजारीबाग और बड़कागांव समेत कुल आठ लोकेशनों पर एक साथ सर्च ऑपरेशन शुरू किया है। विशेष रूप से यह कार्रवाई अंबा प्रसाद के करीबी संजीत के रांची के किशनगंज इलाके में स्थित आवास, उनके निजी सहायक संजीव साव, मनोज दांगी और पंचम कुमार के बड़कागांव स्थित ठिकानों पर चल रही है।

ईडी की टीम ने इससे पहले 18 मार्च 2024 को भी अंबा प्रसाद के हजारीबाग स्थित ठिकानों पर छापेमारी की थी। ईडी ने उनके पिता योगेंद्र साव और उनके सगे संबंधियों के कुल 17 ठिकानों पर छापा मारा था। अवैध खनन, लेवी वसूली समेत कई मामलों को लेकर ईडी ने दबिश दी थी। उस कार्रवाई में भी कई महत्वपूर्ण दस्तावेज और इलेक्ट्रॉनिक डिवाइसेज़ जब्त किए गए थे, जिनके आधार पर जांच को आगे बढ़ाया गया था।

पूर्व मंत्री योगेंद्र प्रसाद और अंबा प्रसाद को प्रवर्तन निदेशालय ने जमीन से जुड़े मामलों में समन भी भेजा था। फिलहाल सभी जगहों पर जांच और दस्तावेजों की जब्ती की कार्रवाई जारी है।

पुतिन ने तालिबान को दी मान्यता, ऐसा करने वाला पहला देश बना, क्या भारत ले सकेगा ये फैसला?

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रूस ने अफगानिस्तान की तालिबान सरकार को मान्यता दे दी है। ऐसा करने वाला वह पहला देश है।वर्ष 2021 में तालिबान के सत्ता में आने के बाद से अफगानिस्तान में उसकी सरकार को औपचारिक रूप से अभी तक अन्य किसी भी देश ने मान्यता नहीं दी है। मगर अब रूस ऐसा करने वाला दुनिया का पहला देश बन गया। इसके साथ ही मॉस्को ने तालिबान को अपने प्रतिबंधित संगठनों की सूची से भी हटा दिया।

रूसी विदेश मंत्रालय ने बताया कि उसने अफगानिस्तान के नए राजदूत गुल हसन हसन से प्रमाण पत्र प्राप्त किया है। मंत्रालय ने कहा कि अफगान सरकार की आधिकारिक मान्यता द्विपक्षीय सहयोग को बढ़ावा देगी। रूसी विदेश मंत्रालय ने एक बयान में कहा हमारा मानना है कि अफगानिस्तान के इस्लामी अमीरात की सरकार को आधिकारिक मान्यता देने से हमारे देशों के बीच विभिन्न क्षेत्रों में उत्पादक द्विपक्षीय सहयोग के विकास को बढ़ावा मिलेगा।

“साहसी निर्णय दूसरों के लिए उदाहरण होगा”

वहीं, अफगानिस्तान के विदेश मंत्रालय ने इसे ऐतिहासिक कदम बताया और तालिबान के विदेश मंत्री अमीर खान मुत्ताकी ने इस निर्णय का स्वागत करते हुए इसे “अन्य देशों के लिए एक अच्छा उदाहरण” कहा। अफगानिस्तान के विदेश मंत्री आमिर खान मुत्ताकी ने अफगानिस्तान में रूस के राजदूत दिमित्री झिरनोव के साथ काबुल में बैठक की। एक्स पर बैठक का वीडियो पोस्ट करते हुए मुत्ताकी ने कहा, यह साहसी निर्णय दूसरों के लिए उदाहरण होगा। अब जब मान्यता की प्रक्रिया शुरू हो गई है तो रूस सभी से आगे है। मुत्ताकी ने कहा, 'यह हमारे संबंधों के इतिहास में एक बड़ा मील का पत्थर है।

2021 में लागू हुआ था तालिबानी शासन

तालिबान का शासन 2021 में अफगानिस्तान में लागू हुआ था। तालिबान ने अगस्त 2021 में अमेरिकी और नाटो बलों की वापसी के बाद अफगानिस्तान पर कब्जा कर लिया था। जिसके बाद से वह देश पर शासन कर रहा है। हालांकि, उसे अभी तक किसी देश ने उसकी सरकार को मान्यता नहीं दी थी।

क्या भारत भी तालिबान को मान्यता देगा?

पुतिन के इस फैसले के बाद सवाल उठ रहे हैं कि क्या भारत भी तालिबान को मान्यता देगा? दरअसल, ऑपरेशन सिंदूर के समय पाकिस्तान के दावों पर तालिबान ने भारत का साथ दिया। बिक्रम मिस्री तालिबान विदेश मंत्री से मिल भी चुके हैं।

ट्रंप की बड़ी राजनीतिक जीत, जानें क्या है 'वन बिग ब्यूटीफुल बिल' जो भारी विरोध के बाद हुआ पास?

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अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की बड़ी जीत हुई है। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का चर्चित 'वन बिग ब्यूटीफुल बिल' गुरुवार देर रात पास हो गया। इस बिल को पास कराने में उपराष्ट्रपति जेडी वेंस अहम कड़ी साबित हुए। ट्रंप के महत्वाकांक्षी कर छूट और खर्च कटौती वाले इस विधेयक के पक्ष और विपक्ष में 50-50 वोट पड़े, जिसके बाद वेंस ने अपना वोट डालकर इसे मंजूरी दिलाई। बता दें कि इसी बिल के कारण डोनाल्ड ट्रंप और एलन मस्क के बीच तनातनी हुई।

वन बिग ब्यूटिफुल बिल को टैक्स छूट और व्यय कटौती विधेयक के नाम से जाना जाता है। रिपब्लिकन पार्टी के सदस्यों के समर्थन से अमेरिकी संसद के निचले सदन प्रतिनिधि सभा ने राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के 4,500 अरब डॉलर के कर छूट और व्यय कटौती विधेयक को गुरुवार को पारित कर दिया। प्रतिनिधि सभा से पहले इस बिल को सीनेट से मंजूरी मिल चुकी है।

हस्ताक्षर समारोह का होगा आयोजन

ट्रंप ने इसकी घोषणा करते हुए कहा, प्रतिनिधि सभा में रिपब्लिकन ने अभी-अभी वन बिग ब्यूटीफुल बिल एक्ट पारित किया है। हमारी पार्टी पहले से कहीं ज्यादा एकजुट है। अब ट्रंप ने 4 जुलाई को अमेरिका के स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर बिल पर हस्ताक्षर करने की घोषणा की है।

अमेरिकी राष्ट्रपति ने कहा, 'हम कल वॉइट हाउस में शाम 4 बजे (अमेरिकी समयानुसार) हस्ताक्षर समारोह का आयोजन करने जा रहे हैं। कांग्रेस के सभी सदस्य और सीनेटर आमंत्रित हैं। हम सब मिलकर अपने राष्ट्र की स्वतंत्रता और हमारे नए स्वर्ण युग की शुरुआत का जश्न मनाएंगे। संयुक्त राज्य अमेरिका के लोग पहले से कहीं अधिक समृद्ध, सुरक्षित और गौरवान्वित होंगे।

विधेयक 214 के मुकाबले 218 मतों से पारित

निचले सदन प्रतिनिधि सभा में यह विधेयक 214 के मुकाबले 218 मतों से पारित किया गया। इस विधेयक का विरोध करने के लिए रिपब्लिकन के दो सदस्य डेमोक्रेट पार्टी के साथ हो गए जो इसका पहले से विरोध कर रह थे। डेमोक्रेटिक पार्टी नेता और न्यूयॉर्क से सदस्य हकीम जेफ्रीस ने विधेयक के खिलाफ रिकॉर्ड तोड़ भाषण देकर आठ घंटे से अधिक समय तक सदन में मतदान में देरी कराई। सदन के अध्यक्ष माइक जॉनसन ने कहा, हमें एक बड़ा काम पूरा करना है। एक बड़े खूबसूरत विधेयक के साथ हम इस देश को पहले से कहीं ज़्यादा मजबूत, सुरक्षित और समृद्ध बनाने जा रहे हैं।

विधेयक में क्या है खास

इस विधेयक में टैक्स कटौती, सेना का बजट, रक्षा और ऊर्जा उत्पादन के लिए बढ़े हुए खर्च, साथ ही स्वास्थ्य और पोषण कार्यक्रमों में कटौती जैसे प्रमुख प्रावधान शामिल हैं। ये बिल अवैध प्रवासियों के बड़े पैमाने पर डिपोर्टेशन के लिए खर्च बढ़ाने से भी जुड़ा है। जबकि अन्य विपक्षी का मानना है कि इस खर्च का असर देश के स्वास्थ्य और शिक्षा जैसे क्षेत्रों पर पड़ने की संभावनाएं हैं। इसी वजह से उद्योगपति एलन मस्क समेत एक बड़ा वर्ग इस बिल के खिलाफ है और और आलोचना कर रहा है।

इस पैकेज की प्राथमिकता ट्रंप के पहले कार्यकाल के दौरान लागू 4.5 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर के टैक्स छूट को लागू करना है। कर्मचारियों को टिप और ओवरटाइम वेतन में कटौती की अनुमति मिलेगी। प्रति वर्ष 75,000 अमेरिकी डॉलर से कम कमाने वाले अधिकांश वृद्धों के लिए 6,000 अमेरिकी डॉलर की कटौती।

भारत में लोकतंत्र सिस्टम नहीं, संस्कार है' घाना की संसद में बोले पीएम मोदी

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अभी घाना गणराज्य के दौरे पर हैं। अपने दो दिवसीय यात्रा के दौरान पीएम मोदी ने घाना की संसद को संबोधित किया। घाना गणराज्य की संसद को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा, भारत लोकतंत्र की जननी है। हमारे लिए लोकतंत्र एक व्यवस्था नहीं है, बल्कि संस्कार है।

प्रधानमंत्री मोदी बुधवार को दो दिवसीय यात्रा पर घाना पहुंचे हैं। गुरुवार को घाना ने पीएम मोदी को घाना के सर्वोच्च नागरिक सम्मान 'द ऑफिसर ऑफ द ऑर्डर ऑफ द स्टार ऑफ घाना' से सम्मानित किया गया। इसके बाद पीएम मोदी ने घाना की संसद को संबोधित किया। पीएम मोदी ने कहा कि आज इस प्रतिष्ठित सदन को संबोधित करते हुए मुझे अत्यंत गौरव का अनुभव हो रहा है। घाना में होना सौभाग्य की बात है, यह एक ऐसी भूमि है जो लोकतंत्र की भावना से ओतप्रोत है। पीएम मोदी ने आगे कहा, विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र के प्रतिनिधि के रूप में मैं अपने साथ 1.4 अरब भारतीयों की सद्भावना और शुभकामनाएं लेकर आया हूं।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि दोस्तों कल शाम एक बहुत ही महत्वपूर्ण घटना हुई थी। भारत को अक्सर लोकतंत्र की जननी कहा जाता है. हमारे लिए लोकतंत्र केवल शासन की एक प्रणाली नहीं है। यह जीवन जीने का एक तरीका है, जो हमारे मौलिक मूल्यों में गहराई से निहित है। हजारों वर्षों से हमने लोकतांत्रिक सिद्धांतों को कायम रखा है। वैशाली के प्राचीन गणराज्य से लेकर ज्ञान तक आपकी अनुमति से मैं कह सकता हूं कि हमारी दोस्ती घाना के प्रसिद्ध शुगरलोफ अनानास से भी अधिक मीठी है। राष्ट्रपति महामा के साथ हम अपने संबंधों को एक व्यापक साझेदारी तक बढ़ाने के लिए सहमत हुए हैं।

घाना की संसद को संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने भारत के विशाल लोकतंत्र से संबंधित इतना बड़ा आंकड़ा पेश किया कि संसद में मौजूद घाना गणराज्य के सभी सांसद आश्चर्यचकित रह गए। भारत में 2,500 से ज़्यादा राजनीतिक दल हैं, 20 अलग-अलग पार्टियां अलग-अलग राज्यों पर शासन करती हैं, 22 आधिकारिक भाषाएं हैं, हजारों बोलियाँ हैं। यही वजह है कि भारत आने वाले लोगों का हमेशा खुले दिल से स्वागत किया जाता है। पीएम मोदी की ये बात सुनकर सदन में हंसी ठहाके की आवाजें सुनाई दीं, पीएम मोदी के चेहरे पर भी मुस्कान थी।

जब वो वक्त आएगा, तब देखा जाएगा', रूस प्रतिबंध विधेयक को लेकर बोले एस जयशंकर

#whenthattimecomeswewillseesaidjaishankar

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रूस के यूक्रेन के खिलाफ युद्ध छेड़ने के बाद से अमेरिका की कोशिश रूस को आर्थिक रूप से कमजोर करने की रही है। अमेरिका ने लगातार ऐसे देशों पर दबाव बनाने की कोशिश की है, जो रूस के साथ व्यापार करते हैं। हालांकि चीन, भारत, ईरान जैसे देशों ने अमेरिका की धमकियों को नजरअंदाज किया है। ऐसे में बीच-बीच में अमेरिकी नेता इन देशों पर खीज निकालते रहते हैं। अब अमेरिका के सीनेटर लिंडसे ग्राहम ने एक बार फिर भारत को नए टैरिफ लगाने की धमकी दी है। इसी बीच अमेरिका के दौरे पर गए भारतीय विदेश मंत्रा ने अमेरिका सीनेटर की धमकी का जवाब दिया है। 

अमेरिका दौरे पर गए भारतीय विदेश मंत्री डॉ एस जयशंकर से बुधवार को अमेरिकी सांसद लिंडसे ग्राहम के नए विधेयक को लेकर सवाल किया गया तो उन्होंने कहा कि भारतीय दूतावास और हमारे राजदूत लिंडसे ग्राहम के संपर्क में हैं, बाकी जब विधेयक पारित होगा तो उस वक्त देखा जाएगा कि क्या करना है।

बढ़ सकती हैं भारत की मुश्किलें

अमेरिका के सीनेटर लिंडसे ग्राहम रूस प्रतिबंध विधेयक ला रहे हैं, जिसमें रूस से तेल, गैस, यूरेनियम और अन्य उत्पाद खरीदने वाले देशों से अमेरिका में आने वाले सामान पर 500 प्रतिशत टैरिफ लगाने का प्रावधान है। अगर ऐसा होता है तो भारत की मुश्किलें बढ़ सकती हैं क्योंकि जब से रूस यूक्रेन युद्ध शुरू हुआ है, तब से भारत अपनी जरूरत के तेल का बड़ा हिस्सा रूस से ही खरीद रहा है। 

निशाने पर भारत और चीन

डोनाल्ड ट्रंप की रिपब्लिकन पार्टी के नेता ग्राहम का कहना है कि भारत और चीन ऐसे देश हैं, जो लगातार रूस की मदद कर रहे हैं। अगर ये देश ऐसा करने से नहीं रुकते हैं तो फिर इन पर 500 प्रतिशत तक टैरिफ लगाया जाएगा। ग्राहम ने दावा किया कि अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने उनको चीन और भारत पर प्रतिबंध लगाने वाला विधेयक (सैंक्शन बिल) तैयार करने को कहा है। उन्होंने कहा कि अब इस विधेयक पर आगे बढ़ने का समय आ गया है। इस विधेयक के निशाने पर खासतौर से भारत और चीन हैं।

आतंकवाद के खिलाफ जारी रहेगी कड़ी कार्रवाई” एस जयशंकर ने पाक को अमेरिकी धरती से लताड़ा

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भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर इस समय अमेरिका के दौरे पर हैं। इस दौरान जयशंकर क्वाड देशों (भारत, अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया) की वाशिंगटन डीसी में हुई बैठक में शामिल हुए। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने अमेरिका में क्वाड सम्मेलन में पाकिस्तान को आतंकवाद के मुद्दे पर जमकर खरी-खरी सुनाई। इस सम्मेलन में विदेश मंत्री ने कहा कि भारत भविष्य में आतंकी हमलों का करारा जवाब देगा।

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जयशंकर ने बताया ऑपरेशन सिंदूर का उद्देश्य

जयशंकर ने क्वाड देशों के साथ ऑपरेशन सिंदूर पर भी बात की। उन्होंने साफ कहा कि अगर आगे ऐसे हमले हुए तो भारत चुप नहीं बैठेगा। भारत को आत्मरक्षा का पूरा अधिकार है। विदेश मंत्री ने कहा कि यह बयान हमारे लिए इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि हमें दुनिया को बताना होगा कि हमने क्या किया? सात मई को हुए ऑपरेशन सिंदूर का उद्देश्य यह है कि अगर आतंकवादी हमले होते हैं, तो हम अपराधियों, समर्थकों, वित्तपोषकों और समर्थकों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करेंगे। यह संदेश बहुत स्पष्टता के साथ दिया गया था।

आतंकवाद पर चुप्पी साधने वालों को सुनाया

जयशंकर ने कहा कि हमने क्वाड के साथ-साथ विश्व स्तर पर अपने समकक्षों के साथ आतंकवाद की प्रकृति को साझा किया। साथ ही उन्होंने इस दौरान उन देशों को भी सुनाया जो दूसरे देशों के आतंक का शिकार होने पर चुप्पी साधे रहते हैं।

सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल की तारीफ

ऑपरेशन सिंदूर के बाद पाकिस्तान के आतंकवाद को बेनकाब करने के लिए भारत ने एक सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल दुनिया के कई देशों में भेजा था। इसी सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल का भी जयशंकर ने जिक्र किया। विदेश मंत्री ने कहा कि पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद भारत में अलग-अलग विचारधाराओं के नेताओं का एक साथ आना हमारे देश की एकता को दिखाता है। उन्होंने शशि थरूर, सुप्रिया सुले और गुलाम नबी आजाद जैसे नेताओं का नाम लिया।