बिहार के 4.96 करोड़ मतदाताओं के लिए खुशखबरी: 2003 की वोटर लिस्ट ECI वेबसाइट पर उपलब्ध, अब नहीं लगेंगे दस्तावेज

1.भारत निर्वाचन आयोग ने बिहार की 2003 की मतदाता सूची, जिसमें 4.96 करोड़ मतदाताओं का विवरण शामिल है, को ईसीआई वेबसाइट – https://voters.eci.gov.in पर अपलोड कर दिया है।

2. ईसीआई के 24 जून, 2025 के निर्देशों के पैरा 5 में यह उल्लेख किया गया था कि सीईओ/डीईओ/ईआरओ 01.01.2003 की अर्हक तिथि वाली मतदाता सूचियों को सभी बीएलओ को हार्ड कॉपी में, साथ ही अपनी वेबसाइट पर ऑनलाइन भी मुफ्त में उपलब्ध कराएंगे ताकि कोई भी व्यक्ति इसे डाउनलोड कर सके और अपना गणना प्रपत्र जमा करते समय इसे दस्तावेजी प्रमाण के रूप में उपयोग कर सके।

3. बिहार की 2003 की मतदाता सूचियों की आसान उपलब्धता, बिहार में चल रहे विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) को बहुत सुविधा प्रदान करेगी क्योंकि अब कुल मतदाताओं का लगभग 60 प्रतिशत हिस्सा कोई भी दस्तावेज़ जमा नहीं करेगा। उन्हें केवल 2003 की मतदाता सूची में अपने विवरण को सत्यापित करना होगा और भरा हुआ गणना प्रपत्र जमा करना होगा। मतदाता और बीएलओ दोनों इन विवरणों को आसानी से प्राप्त कर सकेंगे।

4. इसके अलावा, निर्देशों के अनुसार, जिसका नाम 2003 की बिहार मतदाता सूची में नहीं है, वह अभी भी अपने माता या पिता के लिए कोई अन्य दस्तावेज़ प्रदान करने के बजाय 2003 की मतदाता सूची का अंश उपयोग कर सकता है। ऐसे मामलों में, उसके माता या पिता के लिए किसी अन्य दस्तावेज़ की आवश्यकता नहीं होगी। केवल 2003 की मतदाता सूची का प्रासंगिक अंश/विवरण पर्याप्त होगा। ऐसे मतदाताओं को केवल अपने लिए, भरे हुए गणना प्रपत्र के साथ, दस्तावेज़ जमा करने होंगे।

5.यह दोहराया जाता है कि प्रत्येक चुनाव से पहले, लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम 1950 की धारा 21(2)(ए) और मतदाता पंजीकरण नियम 1960 के नियम 25 के अनुसार मतदाता सूची का पुनरीक्षण अनिवार्य है। ईसीआई अब तक 75 वर्षों से वार्षिक पुनरीक्षण, गहन और संक्षिप्त दोनों, करता रहा है।

6. यह अभ्यास आवश्यक है क्योंकि मतदाता सूची हमेशा एक गतिशील सूची होती है जो मृत्यु, व्यवसाय/शिक्षा/विवाह जैसे विभिन्न कारणों से लोगों के स्थानांतरण, 18 वर्ष के नए मतदाताओं के जुड़ने आदि के कारण बदलती रहती है।

7. इसके अलावा, संविधान का अनुच्छेद 326 एक मतदाता बनने की पात्रता को निर्दिष्ट करता है। केवल भारतीय नागरिक, 18 वर्ष से अधिक आयु के और उस निर्वाचन क्षेत्र के सामान्य निवासी, एक मतदाता के रूप में पंजीकृत होने के पात्र हैं।

भोगनाडीह में लाठीचार्ज की दमनकारी घटना हेमंत सरकार के पतन का कारण सिद्ध होगी....बाबूलाल मरांडी

भाजपा प्रदेश अध्यक्ष एवम नेता प्रतिपक्ष बाबूलाल मरांडी ने आज भोगनाडीह में हूल दिवस के दिन आदिवासी समाज के ऊपर हुए बर्बर लाठीचार्ज की घटना की कड़ी निंदा की है।

श्री मरांडी ने कहा कि हूल दिवस के पावन अवसर पर भोगनाडीह में पुलिस द्वारा किए गए लाठीचार्ज और आंसू गैस के प्रयोग की घटना अत्यंत निंदनीय और दुर्भाग्यपूर्ण है। इस बर्बर कार्रवाई में कई ग्रामीण घायल हुए हैं।

कहा कि साहिबगंज एसपी से दूरभाष पर पूरी घटना की जानकारी मिली है।

कहा कि आज की यह बर्बरता अंग्रेज़ी हुकूमत के दौर की यादें ताज़ा कर दी है। हूल क्रांति की भूमि पर, छह पीढ़ियों के बाद एक बार फिर सिद्धो-कान्हू के वंशजों को अत्याचार और अन्याय के विरुद्ध सड़क पर उतरना पड़ा है।

कहा कि दरअसल, घुसपैठियों की गोद में बैठी राज्य सरकार नहीं चाहती कि झारखंड का आदिवासी समाज अपने पुरखों की वीरगाथाओं और बलिदानों से प्रेरित होकर अपनी अस्मिता और अधिकारों की रक्षा के लिए संगठित हो।

कहा कि लेकिन सरकार की यह साजिश कभी सफल नहीं होगी। जिस तरह वीर सिद्धो-कान्हू, चांद-भैरव और फूलो-झानो ने हूल क्रांति के माध्यम से अंग्रेजी सत्ता की नींव हिला दी थी, उसी तरह आज भोगनाडीह में लाठीचार्ज की दमनकारी घटना हेमंत सरकार के पतन का कारण सिद्ध होगी।

मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने हूल आंदोलन के नायकों को दी श्रद्धांजलि

1855 में स्वतंत्रता की लड़ाई के अग्रगण्य। भारत माता के वीर सपूत और (हूल) आंदोलन के मुखिया सिदो - कान्हु एवं चांद - भैरव को माननीय मुख्यमंत्री श्री हेमंत सोरेन ने माल्यार्पण अर्पित कर श्रद्धांजलि दी।

इस अवसर पर उन्होंने कहा है कि संथाल हूल विद्रोह के महानायक अमर वीर शहीद सिदो-कान्हू, चांद-भैरव, फूलो-झानो और हजारों वीर शहीदों के संघर्ष और समर्पण के पदचिन्हों पर चलने वाले आदरणीय बाबा दिशोम गुरुजी अभी अस्वस्थ हैं। इस कारण मैं इस बार भोगनाडीह की क्रांतिकारी, वीर भूमि पर नहीं आ पाया ।लेकिन हूल दिवस हमारे लिए सिर्फ एक दिन का कार्यक्रम नहीं है। हूल दिवस हमारे लिए संकल्प का दिन है, हूल हमारी ताकत है, हूल हमारी पहचान है।

उन्होंने एक्स के माध्यम राज्यवासियों से कहा कि आने वाले समय में आदिवासी धर्म कोड, आदिवासी संस्कृति, भाषा, सभ्यता और पहचान के लिए हूल उलगुलान होगा।

हूल दिवस पर अमर वीर शहीदों को शत-शत नमन!

इस अवसर पर गांडेय विधायक श्रीमती कल्पना सोरेन,विधायक रामगढ़ श्रीमती ममता देवी, विधायक टुंडी श्री मथुरा प्रसाद महतो, विधायक सारठ श्री उदय प्रताप सिंह उर्फ चुन्ना सिंह, विधायक खिजरी श्री राजेश कच्छप और पूर्व विधायक श्री के एन त्रिपाठी भी उपस्थित रहे।

दिशोम गुरु शिबू सोरेन के स्वास्थ बिगड़ने से सभी चिंतित, सरना मां से जल्द स्वस्थ होने की कामना की गई

रांची : झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री शिबू सोरेन की तबीयत कुछ ठीक नहीं चल रही है। गौरतलब है कि 19 जून को शिबू सोरेन तबीयत बिगड़ी और उन्हें दिल्ली के सर गंगाराम हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया। इलाजरत झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री, झारखंड आंदोलन के दिग्गज नेता और राज्यसभा सांसद शिबू सोरेन की स्थिति चिंताजनक बनी हुई थी। इस वक्त उनके स्वास्थ्य में थोड़ा सुधार आ रहा है।

शिबू सोरेन के स्वास्थ्य को लेकर झारखंड मुक्ति मोर्चा, बीजेपी, कांग्रेस सहित विभिन्न दलों के नेताओं ने भी उनकी स्थिति में गिरावट पर चिंता जताते हुए उनके स्वास्थ्य लाभ की कामना की है। हाल में ब्रेन स्ट्रोक के कारण उनके शरीर का बायां हिस्सा लकवाग्रस्त हो गया है। वह किडनी की बीमारी से पहले से जूझ रहे हैं और पिछले एक साल से डायलिसिस पर हैं। शिबू सोरेन के जल्द स्वस्थ होने की लेकर राज्यवासी भी कामना कर रहे हैं। वही झारखंड के केंद्रीय सरना समिति के अध्यक्ष अजय तिर्की ने आज सिरम टोली स्थित सरना स्थल पर मनसारना से प्रार्थना कर उनके स्वस्थ होने की कामना की। उन्होंने कहा कि हम सरना स्थल पर यह प्रार्थना कर रहे हैं कि ढिशुम गुरु शिबू सोरेन जल्द स्वस्थ होकर झारखंड लौटे और झारखंड में अपनी सहभागिता निभाएं।

दिशाेम गुरु झारखंड की राजनीति के ऐसे शिल्पकार थे जिनका राजनीतिक जीवन, महज़ सत्ता की राजनीति से शुरू नहीं हुआ था। बल्कि उनका राजनीतिक जीवन संघर्ष की आग से निकला हुआ था। राज्य भर में लोग उनके स्वस्थ होने की कामना कर रहे हैं।

रिपोर्टर जयंत कुमार

मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने रथयात्रा के अवसर पर दिशोम गुरुजी के शीघ्र स्वस्थ होने की कामना की, देखें वीडियो
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने रथयात्रा के अवसर पर दिशोम गुरुजी के शीघ्र स्वस्थ होने की कामना की, देखें वीडियो

मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने रथयात्रा के अवसर पर दिशोम गुरुजी के शीघ्र स्वस्थ होने की कामना की, देखें वीडियो

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चतरा जिला ने नीति आयोग के आकांक्षी जिला कार्यक्रम में हासिल की शीर्ष रैंकिंग, नीति आयोग से मिलेगा 10 करोड़ रुपये का पुरस्कार

चतरा जिला ने नीति आयोग के आकांक्षी जिला कार्यक्रम में देश के 112 आकांक्षी जिलों में प्रथम स्थान प्राप्त किया है। इस उपलब्धि के लिए चतरा को 10 करोड़ रुपये का पुरस्कार मिलेगा, जो जिले के विकास कार्यों में गति लाने में मदद करेगा।

चतरा की सफलता के कारण

- स्वास्थ्य, शिक्षा और पोषण में उत्कृष्ट प्रदर्शन: चतरा ने स्वास्थ्य, पोषण, शिक्षा, कृषि, वित्तीय समावेशन और बुनियादी ढांचे जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों में बेहतर प्रदर्शन किया है।

- नवाचार और प्रभावी क्रियान्वयन: जिला प्रशासन के नवाचार, संवेदनशील योजनाएं और प्रभावी क्रियान्वयन ने इस सफलता में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।

पुरस्कार और इसके लाभ

- 10 करोड़ रुपये की पुरस्कार राशि: नीति आयोग द्वारा शीर्ष प्रदर्शन करने वाले जिले को यह पुरस्कार दिया जाता है ताकि वे अपनी योजनाओं को और बेहतर ढंग से लागू कर सकें।

- विकास को नई गति: इस पुरस्कार राशि से चतरा में स्थानीय विकास परियोजनाओं को नया आयाम मिलेगा।

आकांक्षी जिला कार्यक्रम क्या है?

- देश के पिछड़े जिलों का विकास: नीति आयोग का आकांक्षी जिला कार्यक्रम देश के 112 सबसे कम विकसित जिलों को तेजी से विकसित करने के उद्देश्य से शुरू किया गया था।

- पांच प्रमुख क्षेत्र: इस कार्यक्रम का फोकस स्वास्थ्य, शिक्षा, कृषि, वित्तीय समावेशन और बुनियादी ढांचे पर है।

गढ़वा की उपलब्धि

- शिक्षा क्षेत्र में बेहतरीन प्रदर्शन: गढ़वा को शिक्षा के क्षेत्र में बेहतरीन प्रदर्शन के लिए चुना गया है। यह जिले के शिक्षा क्षेत्र में सुधार की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।

झारखंड में 'नशा मुक्त भारत' अभियान का समापन: ग्रामीण विकास मंत्री बोलीं- यह सिर्फ शुरुआत है; 27,000 एकड़ अफीम की खेती नष्ट

रांची- झारखंड में 10 जून से 26 जून तक आयोजित मादक पदार्थों के दुरुपयोग के विरुद्ध राज्यव्यापी जागरूकता अभियान का समापन आज डोरंडा स्थित शौर्य सभागार में सम्पन्न हुआ। समापन समारोह की मुख्य अतिथि ग्रामीण विकास मंत्री दीपिका पांडेय सिंह ने इसे मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की दूरदृष्टि सोच और संवेदनशील नेतृत्व का परिणाम बताया। उन्होंने कहा कि यह अभियान का समापन नहीं बल्कि राज्य को नशामुक्त एवं अपराधमुक्त बनाने की दिशा में एक नई शुरुआत है।

नशे के बड़े सौदागरों पर कड़ी कार्रवाई की आवश्यकता

दीपिका पांडेय सिंह ने कहा कि आज झारखंड विकसित राज्यों की श्रेणी में कदम से कदम मिला कर चल रहा है जहाँ सभी आधारभूत संरचनाओं को सुदृढ़ किया जा रहा है वही दूसरी ओर झारखंड सामाजिक बुराइयों के खिलाफ भी मुखर होकर खड़ा है। उन्होंने स्पष्ट किया कि नशे के बड़े सौदागरों पर कड़ी कार्रवाई की आवश्यकता है ताकि समाज के ताने-बाने को नष्ट करने वाले तत्वों पर रोक लगाई जा सके।

अफीम की खेती के खिलाफ चलाया गया व्यापक अभियान “कॉम्प्रिहेंसिव सफलता”

मुख्य सचिव अलका तिवारी ने अपने संबोधन में कहा कि अफीम की खेती और नशे के कारोबार ने राज्य के कई हिस्सों को अपनी चपेट में लिया है। उन्होंने बताया कि इस बार राज्य सरकार ने तकनीक एवं बहु-विभागीय समन्वय के ज़रिए अफीम की खेती का बड़े पैमाने पर विनष्टीकरण किया है। अफीम की खेती के खिलाफ चलाए गए व्यापक अभियान को उन्होंने “कॉम्प्रिहेंसिव सफलता” बताया।

इस वर्ष 27,000 एकड़ भूमि पर फैली अफीम की खेती को किया गया नष्ट

राज्य के पुलिस महानिदेशक श्री अनुराग गुप्ता ने जानकारी दी कि इस वर्ष 27,000 एकड़ भूमि पर फैली अफीम की खेती को नष्ट किया गया। उन्होंने बताया कि खूंटी जैसे संवेदनशील जिलों में स्थानीय ग्रामीणों ने भी स्वेच्छा से इस अभियान में भागीदारी की। उन्होंने ब्राउन शुगर को युवाओं के लिए घातक बताते हुए कहा कि अब सप्लाई चेन तोड़ने की दिशा में पुलिस पैडलर्स, डीलर्स और सप्लायरों पर सख्त कार्रवाई करेगी। उन्होंने कहा कि अब तक ड्रग्स के विरुद्ध कुल 350 मामले दर्ज किए गए हैं और 318 आरोपियों की गिरफ्तारी हुई है।

नशा उन्मूलन से जुड़े पाठ्यक्रमों को किताबों में किया जाए शामिल

स्वास्थ्य विभाग के अपर मुख्य सचिव श्री अजय कुमार ने स्कूलों, कॉलेजों और आंगनबाड़ी केंद्रों के माध्यम से निरंतर जागरूकता कार्यक्रम चलाने की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने सुझाव दिया कि नशा उन्मूलन से जुड़े पाठ्यक्रमों को किताबों में शामिल किया जाए एवं NSS वालंटियर की सक्रिय भागीदारी सुनिश्चित की जाए।

अभियान के तहत 12,000 से अधिक जागरूकता कार्यक्रम किए गए आयोजित

गृह, कारा एवं आपदा प्रबंधन विभाग की प्रधान सचिव श्रीमती वंदना दादेल ने बताया कि अफ़ीम की अफ़ीम की खेती से राज्य के 238 पंचायत प्रभावित हैं, जहां जागरूकता अभियान आगे भी जारी रहेगा। उन्होंने बताया कि बीते दो हफ्तों में 12,000 से अधिक जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किए गए। इस दौरान 3,000 से अधिक स्कूलों में 22 लाख बच्चों को शामिल करते हुए विशेष अभियान चलाया गया। साथ ही डोर-टू-डोर प्रचार, मास्टर ट्रेनर्स की तैयारी और यूनिसेफ की तकनीकी सहायता इस अभियान की खास विशेषताएं रहीं।

समाज कल्याण सचिव श्री मनोज कुमार ने अपने स्वागत संबोधन में कहा कि यह अभियान सिर्फ दंडात्मक नहीं बल्कि मानवीय दृष्टिकोण से प्रेरित रहा। ड्रग्स पीड़ितों के प्रति सहानुभूतिपूर्ण रवैया अपनाते हुए उन्हें पुनर्वास की दिशा में बढ़ाया गया है।

समारोह के अंत में जागरूकता अभियान में विशेष भूमिका निभाने वाले विभागों और स्वयंसेवी संगठनों के प्रतिनिधियों को सम्मानित किया गया। साथ ही resistjharkhand.gov.in पोर्टल का लोकार्पण भी हुआ। इस पोर्टल पर नशामुक्ति से जुड़ी सभी जानकारियां, जागरूकता सामग्री और राज्य की उपलब्धियों को समाहित किया गया है।

कार्यक्रम में उच्च शिक्षा विभाग के प्रधान सचिव श्री राहुल पुरवार ,स्कूली शिक्षा सचिव श्री उमाशंकर सिंह, पर्यटन सचिव श्री मनोज कुमार, उपायुक्त श्री मंजूनाथ भजंत्री, आईजी असीम विक्रांत मिंज समेत कई वरिष्ठ अधिकारी एवं कर्मचारी उपस्थित रहे।

रांची की बेटी डॉली जैन: साड़ी ड्रेपिंग की वर्ल्ड रिकॉर्ड होल्डर, जिन्होंने अपनी कला से पाई देश-विदेश में पहचान

रांची: मात्र 18.5 सेकंड में साड़ी पहनाने का वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाने वाली मशहूर साड़ी ड्रेपिंग आर्टिस्ट डॉली जैन बुधवार को अपनी जन्मभूमि रांची पहुंचीं. वह एक फैशन और ब्राइडल एग्जिबिशन 'ब्राइडल स्टोरी' के उद्घाटन समारोह में शामिल होने आई थीं. उन्होंने रांची को अपनी जन्मभूमि बताते हुए कहा, "यहां आते ही मां की गोद का एहसास होता है. मैंने यहीं से सबकुछ पाया है."

शिक्षा की बाधाएं और सपनों की उड़ान

डॉली जैन का जन्म रांची के सेवा सदन में हुआ था. उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा महावीर चौक स्थित स्कूल से शुरू की, लेकिन पारिवारिक परिस्थितियों के कारण वह सातवीं कक्षा के बाद आगे नहीं पढ़ सकीं. उन्होंने बताया, "पढ़ने की इच्छा थी, लेकिन हालात ने इजाजत नहीं दी. फिर भी जब आपके भीतर कुछ खास होता है, तो आप खुद को साबित कर ही देते हैं."

साड़ी को बनाया ग्लैमर का प्रतीक और रिकॉर्ड्स का सफर

औपचारिक शिक्षा न होने के बावजूद, डॉली ने साड़ी पहनाने की कला को एक सफल पेशे में बदल दिया और देश-विदेश में अपनी पहचान बनाई. आज उनके नाम 325 से अधिक तरीकों से साड़ी बांधने का रिकॉर्ड दर्ज है. वह श्रीदेवी, दीपिका पादुकोण, आलिया भट्ट, सोनम कपूर, नीता अंबानी, कटरीना कैफ, सारा अली खान सहित कई बॉलीवुड और हाई-प्रोफाइल हस्तियों के लिए साड़ी ड्रेपिंग कर चुकी हैं. डॉली के इंस्टाग्राम और यूट्यूब पर लाखों फॉलोअर्स हैं, जहां वह महिलाओं को स्टाइलिंग और ड्रेपिंग के टिप्स साझा करती हैं.

श्रीदेवी से मिली प्रेरणा

डॉली ने खुलासा किया कि उन्हें यह पेशा अपनाने की प्रेरणा दिवंगत अभिनेत्री श्रीदेवी से मिली थी. एक बार मुंबई में श्रीदेवी से मिलने पर जब उन्होंने उनकी साड़ी ठीक की, तो श्रीदेवी ने उनकी तारीफ करते हुए कहा, "साड़ी जैसे तुम्हारी उंगलियों पर खेल रही हो." श्रीदेवी ने ही उन्हें इस कला को पेशे के तौर पर अपनाने की सलाह दी, जिसके बाद डॉली ने इसे गंभीरता से लेना शुरू कर दिया.

साड़ी से दूरी से लेकर अटूट प्रेम तक का सफर

शादी के बाद कोलकाता में रहने वाली डॉली ने बताया कि उनके ससुराल में केवल साड़ी पहनने की परंपरा थी, जबकि उन्हें साड़ी पसंद नहीं थी. लेकिन, धीरे-धीरे उन्हें इस परिधान से प्रेम हो गया. वह रात 11 बजे से लेकर डेढ़ बजे तक खुद पर साड़ी पहनाने की प्रैक्टिस करती थीं. उन्होंने कहा, "कैसे साड़ी पहनाएं, कैसे खुद पहनें. फिर इसे नेम, फेम और अर्निंग से जोड़ दिया."

सामाजिक आलोचना से मिली ताकत

डॉली ने बताया कि उनके इस सफर में उन्हें समाज से कई तरह की आलोचनाएं सुननी पड़ीं. लोग कहते थे, "'साड़ी पहनाना कोई प्रोफेशन है?' खासकर जैन समाज में यह काम स्वीकार्य नहीं था. लोगों ने कहा तुम टाइम वेस्ट कर रही हो," लेकिन आज वही समाज उनकी ताकत बन गया है.

महिलाओं के लिए प्रेरणादायक संदेश

डॉली जैन महिलाओं को प्रेरित करते हुए कहती हैं, "महिलाएं सपने देखें, उन्हें पूरा करें. मगर परिवार को साथ लेकर चलें. 24 घंटे में सिर्फ आधा घंटा खुद के लिए निकालें, वही आपकी पहचान बनेगी. मैंने समाज की सोच बदली है, आप भी बदल सकती हैं." उनकी यह कहानी न केवल साड़ी ड्रेपिंग की कला में उनके अदम्य साहस को दर्शाती है, बल्कि उन सभी महिलाओं के लिए एक प्रेरणा है जो सामाजिक बाधाओं के बावजूद अपने सपनों को साकार करना चाहती हैं.

झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन दिल्ली में पिता का हाल-चाल जानने पहुंचे

झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन अपने पिता शिबू सोरेन का हाल-चाल जानने के लिए दिल्ली पहुंचे, जो दिल्ली के सर गंगाराम अस्पताल में भर्ती हैं। शिबू सोरेन की तबीयत बिगड़ने के बाद उन्हें रांची से दिल्ली लाया गया था। अस्पताल में डॉक्टरों की निगरानी में उनका इलाज चल रहा है और फिलहाल उनकी हालत स्थिर बताई जा रही है।

शिबू सोरेन की स्थिति के बारे में महत्वपूर्ण बातें

- हास्पिटलाइजेशन: शिबू सोरेन पिछले तीन दिनों से सर गंगाराम अस्पताल में भर्ती हैं।

- स्वास्थ्य: उनकी हालत स्थिर है, लेकिन नियमित जांच और इलाज चल रहा है।

- सीएम की दिल्ली यात्रा: हेमंत सोरेन पिता का हाल-चाल जानने के लिए दिल्ली पहुंचे हैं और जल्द ही वापस रांची लौटने वाले हैं।

परिवार के साथ सीएम की मौजूदगी

- परिवार के साथ: सीएम हेमंत सोरेन के साथ उनकी मां और पत्नी भी दिल्ली में हैं।

- वापसी की संभावना: संभावना है कि 1-2 दिनों में सीएम पिता को साथ लेकर वापस रांची लौटेंगे।

झारखंड की राजनीति में शिबू सोरेन का महत्व

- राजनीतिक विरासत: शिबू सोरेन झारखंड की राजनीति में एक महत्वपूर्ण व्यक्ति हैं और उनके बेटे हेमंत सोरेन वर्तमान में राज्य के मुख्यमंत्री हैं।

- जेएमएम के संस्थापक: शिबू सोरेन झारखंड मुक्ति मोर्चा (जेएमएम) के संस्थापक हैं और उनकी राजनीतिक विरासत को उनके बेटे ने आगे बढ़ाया है।