पकड़ी गई उज्बेक युवतियां, लेकिन उन्हें लाने वाली लोला कायूमोवा अब भी फरार"
लखनऊ । यूपी की राजधानी में पकड़ी गईं उज्बेकिस्तान की दो युवतियों ने राजधानी की सुरक्षा व्यवस्था और खुफिया तंत्र पर बड़ा सवाल खड़ा कर दिया है। इन दोनों युवतियों—होलिडा और नीलोफर—को एफआरआरओ (विदेशी क्षेत्रीय पंजीकरण कार्यालय) ने 20 जून को न्यू हजरतगंज स्थित एक फ्लैट से गिरफ्तार किया था। इनके पास कोई वैध वीजा या पासपोर्ट नहीं था और वे अवैध रूप से देश में रह रही थीं। यही नहीं, उन्हें भारत लाने वाली उज्बेक महिला लोला कायूमोवा, जिस पर पहले से लुकआउट नोटिस जारी है, उसी फ्लैट में मौजूद थी, लेकिन पुलिस की गिरफ्त से बच निकली।
सिर्फ सेक्स रैकेट या बड़ी साजिश?
हालांकि प्रारंभिक जांच में यह मामला सेक्स रैकेट से जुड़ा प्रतीत हो रहा है, लेकिन सुरक्षा एजेंसियों को आशंका है कि बात इससे कहीं आगे की भी हो सकती है। सूत्रों की मानें तो इन महिलाओं की गतिविधियों, उनकी यात्राओं और संपर्कों को देखते हुए खुफिया एजेंसियां अब यह भी जांच कर रही हैं कि कहीं इनका संबंध किसी जासूसी नेटवर्क से तो नहीं है।इन युवतियों ने दिल्ली सहित किन-किन शहरों में समय बिताया, किन लोगों से संपर्क में रहीं, और क्या वे किसी संवेदनशील जानकारी तक पहुंचने की कोशिश कर रही थीं—इन सभी पहलुओं की गहन जांच की जा रही है।
खुफिया एजेंसियों की नजर में लोला कायूमोवा
इस पूरे मामले की सबसे अहम कड़ी है लोला कायूमोवा। बताया जा रहा है कि वह छापेमारी के दौरान फ्लैट में ही मौजूद थी, लेकिन पुलिस की गंभीर लापरवाही के चलते वह फरार हो गई। लोला के उज्बेकिस्तान से लुकआउट नोटिस के बावजूद उसका भारत में खुलेआम रहना न केवल सिस्टम पर सवाल उठाता है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि अंतरराष्ट्रीय आपराधिक तत्व किस हद तक भारतीय एजेंसियों को चकमा देने में सक्षम हैं।
विभूतिखंड में उज्बेक महिला की मौत से कनेक्शन?
सुरक्षा एजेंसियों को इस मामले से जुड़ा एक और पहलू परेशान कर रहा है—विभूतिखंड क्षेत्र के एक होटल में हाल ही में एक उज्बेक महिला का शव मिला था। प्रारंभिक जांच में वह महिला भी किसी के साथ लखनऊ आई थी। अब यह जांच की जा रही है कि क्या वह महिला भी लोला के नेटवर्क का हिस्सा थी और क्या उसकी मौत महज संयोग थी या किसी बड़ी साजिश की परत।
एजेंसियों की सख्ती और राजनीतिक चुप्पी
जहां सुरक्षा एजेंसियों ने मामले को गंभीरता से लिया है, वहीं यह बात भी सामने आई है कि स्थानीय पुलिस शुरुआत में मामले को दबाने में लगी रही। यदि मीडिया द्वारा मामला उजागर न किया गया होता, तो शायद यह पूरा रैकेट एक बार फिर पर्दे के पीछे चला जाता। अब जब पूरा मामला सामने आ चुका है, तो एजेंसियों ने न केवल दोनों महिलाओं से गहन पूछताछ की तैयारी कर ली है, बल्कि लोला कायूमोवा, अर्जुन राणा और उनके नेटवर्क से जुड़े हर शख्स की तलाश शुरू कर दी गई है।
Jun 22 2025, 15:01