सरहुल मिलन (बाहा) पर्व एवं आदिवासी समाज ससुरबैसी के बैनर तले अलग अलग जगहों पर मिलन का कार्यक्रम किया गया
तिसरी गिरिडीह तिसरी प्रखंड मुख्यालय भंडारी मुख्यमार्ग में आदिवासी कल्याण समिति ने सरहुल पूजा का आयोजन किया और सिंधु कान्हु के प्रतिमा पर माल्यार्पण करने के उपरांत महिलाएं मांदर की थाप पर नृत्य किया । वहीं दूसरी तरफ गांधी मैदान तिसरी में आदिवासी संथाल समाज ने भी सरहुल पूजा का आयोजन कर संबोधन एवं नृत्य किया । कल्याण समिति के सरहुल पूजा में बतौर मुख्य अतिथि तिसरी सीओ अखिलेश प्रसाद मौजूद थे ।
उन्होंने कहा सरहुल झारखंड में मनाए जाने वाले एक महत्वपूर्ण त्योहार के रूप में जाना जाता है । जिसे पूरे राज्य में बड़े उत्साह के साथ मनाया जाता है। इस दिन आदिवासी समुदाय नए साल का स्वागत करते हैं। सरहुल के अवसर पर प्रकृति अपने नए स्वरूप में नजर आती है । इस समय पेड़ों पर नए फूल और पत्ते खिलने लगते हैं । ‘सरहुल’ नाम दो शब्दों से मिलकर बना है – ‘सर’, जिसका अर्थ है सखुआ या साल का फूल, और ‘हुल’, जिसका अर्थ है क्रांति. इसे सखुआ फूल की क्रांति का पर्व भी कहा जाता है ।
यह त्योहार चैत्र महीने की अमावस्या के तीसरे दिन मनाया जाता है, हालांकि कुछ गांवों में इसे पूरे महीने भर मनाने की परंपरा है । इस दिन लोग अखाड़े में नृत्य और गायन करते हैं और पूजा-अर्चना में भाग लेते हैं।मौके पर रामी मरांडी ,राधे मरांडी , सुकेज हेंब्रम ,सोनू हेंब्रम ,एनसीएस हेंब्रम ,बिक्रम मुर्मू , समेल मुर्मू समेत दर्जनों मांझी हड़म शामिल थे । वहीं गांधी मैदान तिसरी में आदिवासी संथाल सुसरवेसी तिसरी के अरविंद मुरमू ,दीपक मुरमू ,किशोर हंसदा ,गंगाराम टुडू समेत दर्जनों लोग सामिल थे ।
May 29 2025, 21:02