पुण्य श्लोक अर्थात मंत्र की भांति पवित्र देवी अहिल्याबाई होल्कर - डॉ विद्यासागर उपाध्याय त्रिशताब्दी ( 1725 से 2025 ) जन्मोत्सव पर विशेष लेख
संजीव सिंह बलिया! पिछले दिनो होल्कर रजवाड़ा जाने का अवसर प्राप्त हुआ।माता अहिल्याबाई के कक्ष में उनकी प्रतिमा आसान पर विराजमान थी और उनके हाथों में शिवलिंग सुशोभित हो रहा था। मराठा इतिहास का गहन अध्ययन करने के कारण इस भूमि की महत्ता ने मुझे वहीं आसन के सम्मुख बैठ जाने को विवश कर दिया। माता अहिल्याबाई होल्कर को पुण्यश्लोक कहा गया, जिसका अर्थ है "पवित्र मंत्रों की तरह शुद्ध' । माता अहिल्याबाई होल्कर के व्यक्तित्व और कृतित्व पर चर्चा करने से पूर्व थोड़ा उनकी पृष्ठभूमि पर चर्चा कर लें। आपमें से कुछ लोग हो सकता है पानीपत मूवी देखें हों।कुछ लोग खिचड़ी पर्व (मकर संक्रांति ) १४ जनवरी १७६१ के दिन हुए इतिहास के सर्वाधिक भीषण रक्तपात को पढ़े भी हों जिसमें प्रत्येक मराठा परिवार ने अपने किसी ना किसी संबंधी को खोया था।युद्ध आरम्भ होने से पूर्व मराठा सेना कई दिनों से भोजन नहीं कर पाई थी।उस दिन बस गुड बचा था, जिसे पीकर और कड़कती ठंड में केवल साधारण धोती पहनकर मराठों ने प्रातः ठीक नौ बजे युद्ध का बिगुल फूंक दिया।ठीक उसी समय सेना का नेतृत्व कर रहे श्रीमंत सदाशिव राव भाऊ पेशवा ने अपने सहयोगी मल्हार राव होल्कर को गुप्त रूप से निर्देशित किया कि यदि युद्ध में अनहोनी हो जाय तो आप महिलाओं को अवश्य बचा लीजिएगा। भीषण युद्ध प्रारंभ हुआ।अहमद शाह अब्दाली की स्थिति खराब हो गई।इब्राहिम खान गार्दी की तोपों ने अब्दाली का दायां मोर्चा तोड़ दिया।बंदूक दल ने अफगान मोर्चा तहस - नहस कर दिया। महादजी सिंधिया,जानकोजी सिंधिया,पेशवा बाजीराव बल्लाल भट्ट के सुपुत्र शमशेर बहादुर आदि की बहादुरी ने छः फ़ूटे अफगानों के दांत खट्टे कर दिए। अहमद शाह अब्दाली की सेना का प्रमुख सरदार नजाबत खान और फौजदार अब्दुस समद खान मारे गए।मराठा सेना शत्रु दल को गाजर मूली की तरह काटते हुए अपनी योजना के अनुरूप यमुना किनारे होकर दिल्ली की ओर बढ़ने लगी। लेकिन पानीपत में पिछले दो बार के युद्धों की तरह इतिहास ने स्वयं को दुहराया। हाथी पर सवार श्रीमंत विश्वासराव भट्ट पेशवा जो मराठा साम्राज्य के पुणे के पेशवा बालाजी बाजी राव के सबसे बड़े पुत्र और मराठा साम्राज्य की पेशवा की उपाधि के उत्तराधिकारी भी थे को गोली लगी और वो रणभूमि में अपना सर्वोच्च बलिदान दिए।विश्वास राव को आंखों के सामने मरते देख सदाशिव राव विछिप्त होकर अपने हाथी से नीचे उतर गए।हाथी को सेनापति विहीन देख मराठा सेना में भगदड़ मच गई।उसी दौरान मराठों की ओर से लड़ रहे आराधक सिंह अपनी पांच हजार की सेना लेकर अब्दाली से मिल गए। भारत की ओर से लड़ रहे गुलाम अफगानों ने महिलाओं को लूटना शुरू कर दिया।अवध के नवाब शुजाउद्दौला और रुहेला सरदार नजीब पहले से ही गद्दारी कर चुके थे।तीसरे प्रहर तक युद्ध का पासा पलट चुका था।इब्राहिम शहीद हो चुके थे,भारतीय तोपें खामोश थीं।अब्दाली की ऊंटों पर लदी छोटी जंबूरक तोपें आग उगल रही थीं। मराठों का चौकोर व्यूह दुर्रानी तुलगामा व्यूह में चारों ओर से बुरी तरह फंस चुका था।सारे सरदार मातृभूमि की बलिवेदी पर शहीद हो चुके थे। अब मल्हार राव होल्कर के परीक्षा की घड़ी थी।अपने शहीद सेनापति के निर्देशानुसार महिलाओं को सुरक्षित घेरे के अंदर लेकर आगे बढ़े।भीषण रक्तपात हुआ।लेकिन अदम्य शौर्य का परिचय देते हुए वैरी दल को मात देकर सब स्त्री समूह सहित सुरक्षित भरतपुर तक पहुंच गए।आगे जाट राजा सूरजमल की सहायता से पार्वती बाई और अन्य महिलाओं को पूर्णतः सुरक्षा में पुणे तक पहुंचाया।बहुत से इतिहासकार मल्हार राव होल्कर पर पानीपत के युद्ध से भागने का भी आरोप लगाते हैं।लेकिन मैं डॉ विद्यासागर अनेक मंचों से तर्क और तथ्य से इसे गलत सिद्ध कर चुका हूँ। इस संक्षिप्त पृष्ठभूमि के उपरान्त एक दृष्टि डालते हैं माता अहिल्याबाई होल्कर के जीवन वृत्त पर।अहिल्याबाई होल्कर का जन्म ३१ मई १७२५ को महाराष्ट्र के अहमदनगर के छौंड़ी गांव में हुआ था। उनके पिता मंकोजी राव शिंदे, अपने गांव के पाटिल थे। उस दौर में महिलाओं को स्कूल नहीं भेजा जाता था, लेकिन अहिल्याबाई के पिता ने उन्हें लिखने-पढ़ने लायक पढ़ाया।यह वो दौर था जब औरंगजेब की मृत्यु के बाद मुगल साम्राज्य पतन की ओर था और मराठा अपने साम्राज्य का विस्तार करने में जुटे हुए थे। पेशवा बाजीराव ने मल्हार राव होल्कर को मालवा की जागीर सौंपी, जिन्होंने अपने बाहुबल से इंदौर राज्य बसाया। उपरोक्त वर्णित इंदौर राज्य व होल्कर साम्राज्य के संस्थापक परम वीर श्रीमंत महाराज मल्हार राव होल्कर और रानी गौतमाबाई के पुत्र थे खंडेराव होल्कर जिन्होंने दिल्ली के भरे दरबार में मुग़ल बादशाह को झुकने पर विवश कर दिया था। वह बचपन से ही राज काज में काफी रुचि लेते थे, जिसके कारण उन्होंने अपने पिता के साथ मिलकर छोटी सी आयु में स्वतंत्र होकर लड़ाई लड़ी थी। उनका स्वभाव भले ही क्रोध भरा रहा था, लेकिन वो वीर और साहसी व्यक्ति थे।खंडेराव होल्कर ने अपने पिता से युद्ध कला की शिक्षा ली। जिसमें वो काफी निपुण हो गए थे।उनका विवाह देवी अहिल्याबाई के साथ हुआ।उनके एक पुत्र मालेराव और पुत्री थीं मुक्ता।निजाम और मराठों के बीच युद्ध की शुरूआत हुई तो खंडेराव ने उस युद्ध में बेहतरीन प्रदर्शन दिखाते हुए युद्ध जीता और निजाम पर विजय हासिल की। इसके बाद मालवा में मुगलों की ओर से शाजापुर के कमाविसदार को लूटा गया, बस्तियों को जलाया गया, और कई लोगों को जान से मार दिया गया। इसकी खबर जैसे ही होल्कर सैनिकों को लगी तो खंडेराव होलकर ने मीरमानी खान पर हमला कर उसे मार गिराया। मराठो का पुर्तगालियों के साथ युद्ध चल रहा था, तभी खंडेराव ने संताजी वाघ के साथ मिलकर तारापुर के किले के नीचे बारूदी सुरंगे बिछाकर धमाका कराया,जिसके कारण किले की दीवारें ध्वस्त हो गईं और मराठों ने घमासान युद्ध कर किले को हासिल कर लिया। आगे चल कर खण्डेराव ने चार हजार मराठा सेना के साथ मिलकर जाटों पर धावा बोला।मराठा सैनिकों ने पहाड़ और जंगलों में छिपकर जाटों पर आक्रमण किया और अपना अधिकार हासिल किया। जिस समय मराठा सैनिकों ने हमला किया उस समय महाराजा सूरजमल जाट के पुत्र जवाहर सिंह बरसाना में मौजूद थे। डर इतना ज्यादा बढ़ गया कि उन्होंने बरसाना छोड़ने का फैसला लिया और डींग पहुंच गए। वहीं उन्होंने पनाह ली। जिसके बाद खंडेराव ने जाटों के शहरों पर अपना हक जमाना शुरू कर दिया। साथ ही अपने राज्य को वहां स्थापित भी किया।खंडेराव होल्कर का खौफ इतना ज्यादा हो गया था कि उनसे मुगल बादशाह भी डरने लगे थे। एक बार जब खंडेराव होलकर दिल्ली पहुंचे तो दिल्ली में भगदड़ मच गई। कुछ लोग उस समय अपने घर छोड़कर ही भाग खड़े हुए। मुगल बादशाह भी उनके आने से खौफ में थे। लेकिन खंडेराव सिर्फ बातों को सुलझाने दिल्ली पहुंचे थे, युद्ध के लिए नहीं। दिल्ली के बादशाह ने खंडेराव को खुश करने की काफी कोशिश की।उन्होंने अशर्फियां, छ: वस्त्रों की खिलअत, जड़ाऊ सरपेच, तलवार और हाथी उनको भेंट स्वरूप दिया,लेकिन खंडेराव ने उन सभी उपहारो को लेने से मना कर दिया। वो उस समय सिर्फ मीरबख्शी के पास आए थे, उनसे विशेष विषय पर चर्चा करने ना कि कोई सरोकार या उपहार लेने। खंडेराव ने ऐसा ही किया उन्होंने मीरबख्शी के साथ युद्ध से जुड़े मुद्दों पर चर्चा की और उसके बाद दिल्ली से रवाना हो गए और अपने शहर आ गए। १७ मार्च १७५४ ई० को खण्डेराव होल्कर युद्ध का संचालन कर रहे थे उसी समय घात लगाये बैठे जाट सैनिकों ने किले में घुसकर उनपर गोलियों से हमला कर दिया। हमले में एक गोली खण्डेराव होलकर को भी लगी,जिसके बाद उनकी मृत्यृ हो गई। उस समय खंडेराव होल्कर की उम्र ३१ साल थी।खंडेराव होल्कर की मृत्यु के बाद उनके पिता मल्हार राव होल्कर ने सती प्रथा को खत्म करते हुए देवी अहिल्याबाई को सती होने से रोका । वो अपने पति की मृत्यृ के बाद भी अपने हक की लड़ाई लड़ती रही। खंडेराव की मृत्यु के बाद, मल्हार राव की भी मृत्यु हो गई। जिसके बाद खंडेराव होल्कर के इकलौते बेटे ने अपनी मां अहिल्याबाई होल्कर के संरक्षण में कम उम्र में ही इंदौर की गद्दी संभाली और अपना शासन शुरू कर दिया। मानसिक बीमारी से माता अहिल्याबाई होल्कर के अपने पुत्र की मृत्यु के उपरान्त उन्होंने मल्हार राव के दत्तक पुत्र तुकोजी राव होल्कर को सेना का सेनापति नियुक्त किया।उन्होंने १७९२ ईस्वी में चार बटालियन बनाकर अपनी सेना को आधुनिक बनाने में मदद करने के लिए फ्रांसीसी शेवेलियर डुड्रेनेक को नियुक्त किया। उस समय के एक और नियम को तोड़ते हुए देवी अहिल्याबाई ने पर्दा प्रथा (महिलाओं का एकांतवास) का पालन नहीं किया। वह सभी प्रजा के लिए सुलभ होने के लिए जानी जाती थीं और रोज़ाना सभाएँ आयोजित करती थीं जहाँ लोग उनसे संपर्क कर सकते थे। उन्होंने नागरिकों के विवादों में न्याय और मध्यस्थता के लिए अदालतें स्थापित कीं। उस समय के लिए असामान्य रूप से अहिल्याबाई ने अपनी बेटी की शादी एक आम आदमी से कर दी जिसने युद्ध के मैदान में अद्भुत वीरता दिखाई।अहिल्याबाई ने अपने शासनकाल में लोगों के रहने के लिए बहुत सी धर्मशालाएं भी बनवाईं।ये सभी धर्मशालाएं उन्होंने मुख्य तीर्थस्थान जैसे गुजरात के द्वारका, काशी विश्वनाथ, वाराणसी का गंगा घाट, उज्जैन, नाशिक, विष्णुपद मंदिर और बैजनाथ के आस-पास ही बनवाईं।मुगल आक्रमणकारियों के द्वारा तोड़े हुए मंदिरों को देखकर ही उन्होंने सोमनाथ में शिवजी का मंदिर बनवाया,जो आज भी हिन्दुओं द्वारा पूजा जाता है। महारानी अहिल्याबाई ने अपने साम्राज्य महेश्वर और इंदौर में काफी मंदिरों का निर्माण भी किया था। इसके अलावा उन्होंने लोगों के लिए घाट बंधवाए, कुओं और बावड़ियों का निर्माण किया, मार्ग बनवाए-सुधरवाए, भूखों के लिए अन्नसत्र (अन्न क्षेत्र) खोले, प्यासों के लिए प्याऊ बनाईं, मंदिरों में विद्वानों की नियुक्ति की।अपने जीवनकाल में ही इन्हें जनता ‘देवी’ समझने और कहने लगी थी। काशी विश्वनाथ कॉरिडोर बनने से पूर्व और वर्तमान में भी मै हमेशा बलिया से बनारस बाबा विश्वनाथ के दर्शन हेतु जाता रहता हूं।उम्मीद है आप भी गए होंगे। गंगा मईया में स्नान के उपरान्त हम जब सीढ़ियों से ऊपर चढ़कर मंदिर परिसर में प्रवेश करते है तो सर्वप्रथम आदि शंकराचार्य और भारत माता के साथ ही माता अहिल्याबाई के भी दर्शन होते हैं।मूल विश्वनाथ मन्दिर को मुस्लिम आक्रांताओं ने ध्वस्त कर दिया। ज्ञान की वापी पर ज्ञानवापी मस्जिद खड़ी कर दी गई जिसकी दीवारें आज भी चीख - चीख कर उसे हिन्दू मंदिर प्रमाणित करती हैं। नंदी भगवान का मुंह आज भी अपने विश्वनाथ जी की ओर उद्धार हेतु प्रतीक्षारत है।उस समय जन भावना का सम्मान और अपनी उदारता का परिचय देते हुए माता अहिल्याबाई होल्कर ने मूल विश्वनाथ मन्दिर के बगल में भूमि खरीदकर भव्य शिव मंदिर का निर्माण कराया, जहां आज हम पूजन अर्चन और अभिषेक कर रहे हैं।राज्य की अतिशय चिन्ता और प्यारे लोगों के मृत्यु के शोक-भार को देवी अहिल्याबाई का शरीर अधिक नहीं संभाल सका और १३ अगस्त सन् १७९५ ईस्वी को उनकी जीवन-लीला समाप्त हो गई। भारतवर्ष ने एक महान समाज सुधारक, कुशल प्रजापालक और दूरदर्शी देवी को सदैव के लिए खो दिया। आगामी ३१ मई २०२५ ईस्वी को माता अहिल्याबाई होल्कर का त्रिशताब्दी जन्मोत्सव है जिसे मनाने हेतु हम सब उत्सुक और आह्लादित है। हे देवी यह भारतवर्ष आपके व्यक्तित्व और कृतित्व का सदैव ऋणी रहेगा। ©डॉ विद्यासागर उपाध्याय
जाति जाति पूछे नहीं कोई, जो हरि को भजे, सो हरि का होई: चंपत राय समाज से जातिगत भेदभाव को मिटाना ही हमारा लक्ष्य हो
संजीव सिंह बलिया! नगरा: वर्ग के तीसरे दिन विश्व हिन्दू परिषद के केंद्रीय उपाध्यक्ष माननीय चंपत राय जी का आगमन हुआ। केंद्रीय उपाध्यक्ष चंपत राय ने सभी को बजरंग दल, विश्व हिन्दू परिषद एवं दुर्गावाहिनी के विषय में बताते हुए कहा कि भारत की पहचान हिन्दू समाज से है I भारत और हिन्दू एक दूसरे के पूरक है I आज पूरी दुनिया के 25 देशों में विश्व हिन्दू परिषद का कार्य चल रहा है I साथ ही उन्होंने युवाओं को देश एवं राष्ट्र के प्रति समर्पित होने का बोध कराते हुए कहा कि देश के प्रत्येक युवक को साहसी होना चाहिए । आज हम अपने देश के सीमाओं की सुरक्षा के लिए किसी दूसरे देश पर निर्भर नहीं है I विश्व हिन्दू परिषद अपनी स्थापना से ही हिन्दू समाज के कल्याण में लगा हुआ है I सन 1967 में विहिप में सेवा कार्य प्रचलन में आया। इसके बाद से ही समाज के लोगों ने एक दूसरे का सहयोग करते हुए अच्छे कार्यो को करने के कार्य को गति दी। समाज के सभी वर्गों के लोग मिलकर ही समाज में व्याप्त बुराईयों को दूर कर सकते है I हमारे समाज में निरक्षरता, छुआछूत एक बड़ी समस्या है I धरती हम सभी की माता है और हम सभी इसकी संतान है I इस प्रकृति ने जो भी दिया है हम सभी के लिए दिया है I जल, कुँआ, तालाब, मंदिर ये सभी के लिए है I हम सभी के बीच आपसी भाइचारे का व्यवहार होना चाहिए। हमारे किसी भी व्यवहार से किसी को कष्ट नहीं पहुंचना चाहिए । देश में 6 वीं सदी तक पूर्ण रूप से समरसता थी हमे पुनः उसे वापस लाना है तभी हम एक समृद्ध राष्ट्र का निर्माण कर पाएंगे। उक्त अवसर पर प्रांत सह संगठन मंत्री दीपेश जी, प्रांत सह मंत्री मंगलदेव चौबे, प्रांत संयोजक दुर्गेश प्रताप राव, प्रांत सह संयोजक श्रद्धेय पाल , जिलाध्यक्ष राजीव सिंह "चंदेल", अरविन्द मिश्रा, अविनाश त्रिपाठी, सह व्यवस्था प्रमुख दीपक गुप्ता, संयोजक प्रतीक राय, अरुण सिंह, विपिन गुप्ता, रामविलास शर्मा आदि उपस्थित रहे।
भीमपूरा:बरवां रतीपट्टी में शिक्षक राणा प्रताप सिंह की माता रामकेशी सिंह की तेरहवीं कार्यक्रम में दी गई श्रद्धांजलि
संजीव सिंह बलिया। नगरा ब्लॉक के बरवां भीमपूरा गांव में आज आयोजित राणा प्रताप सिंह की माता की तेरहवीं का कार्यक्रम श्रद्धा और सम्मान के साथ संपन्न हुआ। इस अवसर पर बड़ी संख्या में ग्रामीण, रिश्तेदार और स्थानीय गणमान्य लोग एकत्र हुए, जिन्होंने दिवंगत आत्मा को श्रद्धांजलि अर्पित की और परिवार के प्रति अपनी संवेदना व्यक्त की। कार्यक्रम में कई सम्मानित बीजेपी नेता व गणमान्य लोग उपस्थित होकर उनकी ओर से परिवार के दुख में सहभागिता निभाई। बरवां गांव में आयोजित इस तेरहवीं कार्यक्रम में परंपरागत रीति-रिवाजों के साथ पूजा-पाठ और श्रद्धांजलि सभा का आयोजन किया गया। शिक्षक राणा प्रताप सिंह की माता के निधन से गांव में शोक की लहर थी, और इस अवसर पर लोगों ने एकजुट होकर परिवार का साथ दिया। श्रद्धांजलि सभा में उपस्थित लोगों ने दिवंगत आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना की और उनके द्वारा किए गए सामाजिक कार्यों को याद किया।कई गणमान्य लोगों ने इस अवसर पर परिवार के प्रति अपनी संवेदना व्यक्त करते हुए कहा, “यह दुखद क्षति हम सभी के लिए अपूरणीय है। हम ईश्वर से प्रार्थना करते हैं कि वे दिवंगत आत्मा को अपने चरणों में स्थान दें और परिवार को इस असहनीय दुख को सहने की शक्ति प्रदान करें।” उनकी उपस्थिति ने कार्यक्रम में सामाजिक और राजनैतिक महत्व भी जोड़ा। स्थानीय लोगों ने इस आयोजन को एकता का प्रतीक बताया। एक ग्रामीण ने कहा, “ऐसे दुख के समय में समाज का साथ परिवार के लिए बहुत बड़ा सहारा होता है। कई बीजेपी नेता का आना और परिवार के साथ समय बिताना सराहनीय है।”कार्यक्रम में शामिल होने वाले लोगों ने राणा प्रताप के परिवार के प्रति अपनी एकजुटता दिखाई और सामाजिक मूल्यों की मिसाल पेश की। इस अवसर पर सभी ने यह कामना की कि ईश्वर परिवार को इस दुख से उबरने की शक्ति दे।
अच्छे शिक्षकों के माध्यम से ही डिजिटल लिटरेसी का विस्तार हो सकता है
संजीव सिंह बलिया! अच्छे शिक्षकों के माध्यम से ही डिजिटल लिटरेसी का विस्तार  ho सकता है! उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा आज बेसिक शिक्षा विभाग की कई योजनाओं का लोकार्पण एवं शिलान्यास लोक भवन लखनऊ में आयोजित कार्यक्रम में किया गया। इस कार्यक्रम का सजीव प्रसारण एवं सम्मान कार्यक्रम का आयोजन विकास भवन बलिया में किया गया। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि भारतीय जनता पार्टी के जिला अध्यक्ष संजय मिश्रा तथा विशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित नगर पालिका परिषद बलिया के अध्यक्ष मिठाई लाल गुप्ता रहे। मुख्य विकास अधिकारी के दिशा निर्देशन में आयोजित इस कार्यक्रम में जनपद के 18 शिक्षा क्षेत्र से एक-एक सुयोग्य अध्यापकों को प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया गया, जबकि राष्ट्रीय आविष्कार योजना के अंतर्गत चयनित कुल पांच बच्चों को टैबलेट देकर के प्रोत्साहित किया गया। कार्यक्रम का शुभारंभ मुख्य विकास अधिकारी ओजस्वी राज तथा मुख्य अतिथि एवं विशिष्ट अतिथि द्वारा मां सरस्वती के चित्र पर माल्यार्पण कर किया गया। सभी अतिथियों का स्वागत जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी मनीष सिंह द्वारा बुके देकर किया गया। कार्यक्रम को संबोधित करते हुए भाजपा जिला अध्यक्ष ने विश्वास व्यक्त किया कि बेसिक शिक्षा निश्चित रूप से बेहतर प्रदर्शन कर रही है तथा अपेक्षा अनुरूप कार्य कर रही है। इस कार्यक्रम में सम्मानित होने वाले शिक्षकों में कंपोजिट विद्यालय टोला काशी राय, मुरली छपरा के प्रदीप कुमार सिंह, कंपोजिट विद्यालय बसंतपुर हनुमानगंज के कृष्णकांत यादव, उच्च प्राथमिक विद्यालय बांसडीह के एहसानूल हक, कंपोजिट विद्यालय तालिबपुर बैरिया के धर्मनाथ जी मौर्य, कंपोजिट विद्यालय औदी, चिलकहर के विनोद कुमार राम, कंपोजिट विद्यालय चित बड़ा गांव , सोहाव के सुमंत प्रसाद गुप्ता, कंपोजिट विद्यालय सरया, दुबहर की कंचन पांडे, कंपोजिट विद्यालय आसचौरा, बेरूआरबारी के जय सिंह, कंपोजिट विद्यालय इनदसों नोनिया पूरा, नगरा के पंकज ,कंपोजिट विद्यालय रसड़ा, रसड़ा की श्वेता गुप्ता, कंपोजिट विद्यालय समसुद्दीनपुर ,सीयर के अमित कुमार, प्राथमिक विद्यालय वजीरापुर नगर क्षेत्र के डॉक्टर सुनील गुप्ता, प्राथमिक विद्यालय कछुअरा मठिया, नवानगर के विश्वजीत कुमार चौरसिया, प्राथमिक विद्यालय रुद्रपुर बेलहरी के सुनील यादव, कंपोजिट विद्यालय रेवती ,रेवती के विक्रम कुमार वर्मा ,कंपोजिट विद्यालय इकाईल, पंद्ह के अरुण कुमार सिंह, कंपोजिट विद्यालय मनियर, मनियर के राहुल कुमार तथा कंपोजिट विद्यालय सिंहाचर,गड़वार के कन्हैया राम रहे, जबकि बच्चों में सम्मानित होने वालों में कंपोजिट विद्यालय भीख छपरा बैरिया के आयुष सिंह, कंपोजिट विद्यालय दादर,पंद्ह के पीयूष कुमार वर्मा, कंपोजिट विद्यालय पकवाईनार, रसड़ा की नेहा ,कंपोजिट विद्यालय सोनाडीह, सियर के प्रयागराज तथा कंपोजिट विद्यालय माफी दुबहर के विवेक कुमार रहे। कार्यक्रम में राज्य संदर्भ दाता समूह के सदस्य आशुतोष कुमार सिंह तोमर, संतोष तिवारी तथा चित्रलेखा सिंह की उपस्थिति रही। बेसिक शिक्षा विभाग के जिला समन्वयक मध्यान भोजन योजना अजीत पाठक, जिला समन्वयक निर्माण सत्येंद्र कुमार राय, जिला समन्वयक प्रशिक्षण ओम प्रकाश सिंह ने सहयोग प्रदान किया। पूर्व एकेडमिक पर्सन डॉक्टर भवतोष कुमार पांडे, विजय कुमार, अम्बरीश तिवारी, एकेडमिक रिसोर्स पर्सन लालजी यादव, उत्तर प्रदेश प्राथमिक शिक्षक संघ के जिला अध्यक्ष, अजय कुमार सिंह नगर क्षेत्र के प्रधानाध्यापक प्रमोद चंद तिवारी आदि ने भी अपना सहयोग प्रदान किया। कार्यालय के सहयोगी सौरभ तथा प्रभाकर राय ने तकनीकी सहयोग प्रदान किया। कार्यक्रम का संचालन नगर शिक्षा क्षेत्र बलिया के पूर्व एकेडमिक पर्सन डॉक्टर शशि भूषण मिश्र द्वारा किया गया।
सुनील सर्राफ के रोड शो में उमड़ा जन सैलाव
ओमप्रकाश वर्मा नगरा (बलिया)। जहां समाजवादी पार्टी के जिलाध्यक्ष व विधायक संग्राम सिंह यादव, कामेश्वर सिंह, रामेश्वर पांडेय ने स्वागत किया। उसके बाद सुनील सराफ सैकडों वाहनों के साथ फेफना पहुंचे जहां उनका स्वागत हुआ। कपिलेश्वरी भवानी पर भी कार्यकर्ताओं ने स्वागत किया। मंदिर में पूजा पाठ करने के बाद सीधे वह सागरपाली पहुंचे जहां सैकड़ों कार्यकर्ताओं ने सुनील सराफ का माला पहनाकर स्वागत किया। सागरपाली से माल्देपुर आये, माल्देपुर में मुन्ना राय ने दर्जनों कार्यकर्ताओं के साथ उनका स्वागत किया। फिर वहां से बहेरी होते हुए चित्तू पांडेय चौराहा पहंुचे जहां उनका स्वागत हुआ। उसके बाद सीधे वह रेलवे स्टेशन मालगोदाम रोड होते हुए पूर्व चेयरमैन संजय उपाध्याय के कैंप कार्यालय पहुंचे यहां भी उनका स्वागत किया गया। भृगु मंदिर में पूजन पाठ के बाद वहां से सुनील सराफ बालेश्वर मंदिर पहुंचे वहां भी पूजा पाठ किया। हनुमान गढ़ी मंदिर में पूजा के बाद सिनेमा रोड, कासिम बाजार, टाउन हाल पहुंचे जहां उनका स्वागत किया गया। यहां पूर्व विधायक मंजू सिंह, पूर्व चेयरमैन लक्ष्मण गुप्ता, अनिल राय, बीरबल राम, शशिकांत चतुर्वेदी, विकेश सिंह, उमेश चंद सराफ, चंदन गुप्ता, दशरथ सोनी, रंजीत चौधरी, आचार्य ओमप्रकाश वर्मा आदि मौजूद रहे।
विश्व हिंदू परिषद का प्रांतीय शौर्य प्रशिक्षण वर्ग का शुभारंभ
ओमप्रकाश वर्मा नगरा(बलिया)! विश्व हिंदू परिषद का बजरंग दल प्रांतीय शौर्य प्रशिक्षण वर्ष का शुभारंभ नरही स्थित पीजी कॉलेज में रविवार की शाम किया गया. जिसका उद्घाटन विश्व हिंदू परिषद के सर्वव्यवस्था प्रमुख एवं जिलाध्यक्ष राजीव कुमार सिंह चंदेल ने गो पूजन कर किया. उन्होंने कहा कि विश्व हिंदू परिषद की युवा इकाई बजरंग दल की ओर से देश भर में अनेकों सेवा के कार्य के साथ-साथ युवाओं में शौर्य भरने का कार्य उपासना केंद्र के माध्यम से चल रहा है. बजरंग दल के हजारों साप्ताहिक मिलन केंद्र युवाओं को संगठित कर रहा है. भारत की गौरवशाली इतिहास परंपरा को व्यवस्थित करने करते हुए कहा कि मुगलो व अंग्रेजों ने कभी भी संपूर्ण भारत पर कब्जा नहीं कर पाए. हमारे देश के अनेकों शूरवीरों ने हर समय किसी न किसी स्थान पर इन्हें कड़ी टक्कर दी. अयोध्या में श्री रामलला का मंदिर हम देख रहे हैं. उद्घाटन समारोह में डॉक्टर विजय नारायण सिंह उर्फ़ गोपाल जी, दुर्गेश प्रताप राव, दीपेश, मंगल देव चौबे, दीपक गुप्ता, सुजीत दास, अरविंद मिश्रा आदि मौजूद रहे. सप्त दिवसीय प्रशिक्षण शिविर में युवाओं को सेवा सुरक्षा व संस्कार के साथ आत्मरक्षा जैसे तलवारबाजी, राइफल प्रशिक्षण, जूडो कराटे बाधाएं पार करना आदि सिखाया जाएगा. इसमें 17 वर्ष से 35 वर्ष की युवा भाग ले रहे हैं. जिलाध्यक्ष ने बताया कि शिविर का उद्देश्य युवाओं में देशभक्ति की भावना बढाना है.
सीजेएम कोर्ट से जारी गिरफ्तारी वारंट पर दो अभियुक्त गिरफ्तार
ओमप्रकाश वर्मानगरा(बलिया)। न्यायालय सी.जे.एम. बलिया द्वारा निर्गत गिरफ्तारी वारण्ट के क्रम में नगरा पुलिस द्वारा कुल 02 वारन्टी अभियुक्त को गिरफ्तार करके कोर्ट भेजा दिया गया है। पुलिस अधीक्षक ओमवीर सिंह के कुशल निर्देशन में अपराध एवं अपराधियों के विरुद्ध चलाये जा रहे अभियान के क्रम में अपर पुलिस अधीक्षक (उत्तरी) अनिल कुमार झा के निकट पर्यवेक्षण व क्षेत्राधिकारी रसड़ा आलोक कुमार गुप्ता व थानाध्यक्ष कौशल पाठक थाना नगरा बलिया के कुशल नेतृत्व में रविवार को थाना नगरा पुलिस टीम द्वारा मा0 न्यायालय सी.जे.एम. बलिया द्वारा निर्गत गिरफ्तारी वारण्ट के क्रम में कुल 02 नफर वारन्टी अभियुक्त सम्बन्धित एसटी नं0 279/24 एऩसीआर नं0 01/2007 धारा 427 भादवि में वारण्टी अभियुक्त 1. महेश पुत्र एकम निवासी इनामीपुर थाना नगरा जनपद बलिया उम्र 45 वर्ष* तथा एसटी नं0 996/21 धारा 498ए, 323, 506 भादवि व ¾ डीपी एक्ट में वारण्टी अभियुक्त 2. लालबालू चौहान उर्फ लालू चौहान पुत्र विरेन्द्र चौहान निवासी ग्राम चन्द्रवार दुगौली थाना नगरा जनपद बलिया उम्र 20 वर्ष को गिरफ्तार कर मा0 न्यायालय भेज दिया गया।
सीजेएम कोर्ट से जारी गिरफ्तारी वारंट पर दो अभियुक्त गिरफ्तार
ओमप्रकाश वर्मानगरा(बलिया)। न्यायालय सी.जे.एम. बलिया द्वारा निर्गत गिरफ्तारी वारण्ट के क्रम में नगरा पुलिस द्वारा कुल 02 वारन्टी अभियुक्त को गिरफ्तार करके कोर्ट भेजा दिया गया है। पुलिस अधीक्षक ओमवीर सिंह के कुशल निर्देशन में अपराध एवं अपराधियों के विरुद्ध चलाये जा रहे अभियान के क्रम में अपर पुलिस अधीक्षक (उत्तरी) अनिल कुमार झा के निकट पर्यवेक्षण व क्षेत्राधिकारी रसड़ा आलोक कुमार गुप्ता व थानाध्यक्ष कौशल पाठक थाना नगरा बलिया के कुशल नेतृत्व में रविवार को थाना नगरा पुलिस टीम द्वारा मा0 न्यायालय सी.जे.एम. बलिया द्वारा निर्गत गिरफ्तारी वारण्ट के क्रम में कुल 02 नफर वारन्टी अभियुक्त सम्बन्धित एसटी नं0 279/24 एऩसीआर नं0 01/2007 धारा 427 भादवि में वारण्टी अभियुक्त 1. महेश पुत्र एकम निवासी इनामीपुर थाना नगरा जनपद बलिया उम्र 45 वर्ष* तथा एसटी नं0 996/21 धारा 498ए, 323, 506 भादवि व ¾ डीपी एक्ट में वारण्टी अभियुक्त 2. लालबालू चौहान उर्फ लालू चौहान पुत्र विरेन्द्र चौहान निवासी ग्राम चन्द्रवार दुगौली थाना नगरा जनपद बलिया उम्र 20 वर्ष को गिरफ्तार कर मा0 न्यायालय भेज दिया गया।
विहिप द्वारा बजरंग दल सप्त दिवसीय प्रान्तीय शौर्य प्रशिक्षण वर्ग का आयोजन
ओमप्रकाश वर्मा नगरा(बलिया)‌। विश्व हिन्दू परिषद गोरक्ष प्रांत तत्वाधान में बजरंग दल प्रान्तीय शौर्य प्रशिक्षण वर्ग का सप्त दिवसीय आयोजन किया गया है। कार्यक्रम के सर्व व्यवस्था प्रमुख के रुप में विश्व हिन्दू परिषद के जिलाध्यक्ष राजीव सिंह चन्देली राजू बयान में जानकारी दिया है कि दिनांक 25 मई दिन रविवार से 01 जून दिन रविवार दोपहर तक भोजनोपरान्त कार्यक्रम का समापन है। उक्त कार्यक्रम में मुख्य रुप से विश्व हिन्दू परिषद राष्ट्रीय महामंत्री मिलिंद परांडे द्वारा सत्र का उद्घाटन किया जाएगा। प्रत्येक वर्ष होने वाले इस आयोजन में हिन्दू समाजिक शारीरिक मानसिक बौद्धिक विकास हेतु इस वर्ष श्री नरहेजी स्नातकोत्तर महाविद्यालय नहीं रसड़ा बलिया के प्रांगण मे सप्त पूर्ण कालिक कार्यक्रम में 17 वर्ष से 35 वर्ष तक के इण्टर मीडिएट या अन्य विद्यार्थियों को भाग लेना है। इसमें अनिवार्य रुप से 200 शुल्क के साथ पूर्ण बजरंग दल के गणवेश सहित अर्हता के रुप में रोजमर्रा के सामग्री के साथ उपस्थित रहना है।
आपरेशन सिन्दूर में जांबाज़ जवानो के अदम्य साहस पर नगरा में निकला तिरंगा यात्रा
ओमप्रकाश वर्मा नगरा(बलिया)। आपरेशन सिन्दूर के सफलता के बाद सेना के सम्मान में भारतीय जनता में भारी प्रसन्नता है इस मौके पर सेना ने जो पराक्रम दिखाते हुए पाकिस्तान के आतंकवादी संगठनो को रौंद कर उसके सेना आई एस आई के जवानों को सबक सिखाया है उसे लैकर जनमानस में खुशी का माहौल है। देश की जांबाज सेना की जज्बा के सम्मान व वीर शहीदों की सहादत में जगह जगह तिरंगा यात्रा निकाली जा रही है। इसी क्रम में बेल्थरा रोड विधानसभा के नगरा मण्डल में सूर्य प्रकाश सिंह पप्पू के नेतृत्व में शुक्रवार को नगरा डाक बंगला से तिरंगा जुलूस यात्रा निकालकर बाजार के रसड़ा मार्ग, भीमपुरा मार्ग, बेल्थरा मार्ग, से सिकन्दर पुर मार्ग काली स्थान से वापस दुर्गा चौक पर समापन हुआ। जुलूस में डीजे की देशभक्ति गीत पर विभिन्न धारों के साथ लोगों ने सेना के सम्मान तिरंगा लहराया। शहीदों के अमरत्व की कामना भी किए। इस अवसर पर पूर्व विधायक गोरख पासवान, धनन्जय कन्नौजिया, छट्ठू राम, राव, पंचम गुप्ता, देवनारायण प्रजापति देवा भाई, पृथ्वी पाल सिंह, जयप्रकाश जायसवाल, अशोक गुप्ता, धर्मराज सिंह विक्की, गौरव सिंह, प्रमोद गुप्ता, अदा रहे। सुरक्षा व्यवस्था हेतु थानाध्यक्ष कौशल कुमार पाठक के नेतृत्व में भारी पुलिस फोर्स मौजूद रहीं।