मध्यान भोजन रसोइया महासंघ ने उपमुख्यमंत्री अरुण साव को लिखा पत्र, घोषणा पत्र में शामिल 50 फीसदी वेतन वृद्धि के वादे को पूरा करने की उठाई मांग

रायपुर- छत्तीसगढ़ मध्यान भोजन रसोइया महासंघ ने उपमुख्यमंत्री अरुण साव को पत्र लिखा है। इस पत्र के माध्यम से विधानसभा चुनाव 2023 के दौरान घोषित ‘मोदी की गारंटी’ के तहत रसोइयों के मानदेय में 50 प्रतिशत वृद्धि की मांग की गई है। महासंघ ने यह भी बताया कि पिछले 8 वर्षों से इस दर में कोई वृद्धि नहीं की गई है। सरकार से अपील की है कि आगामी 2025 बजट सत्र में रसोइयों के न्यूनतम मजदूरी में वृद्धि की जाए।

पत्र में लिखा कि प्रदेश के सभी 90 विधानसभा क्षेत्रो के मैदानी (ग्रामीण) व वन (ग्रामीण) क्षेत्र के भु भाग में स्थित समस्त शासकीय शालाओं में 87500 रसोईयों से छात्रों के भोजन निर्माण का कार्य लिया जाता है। हम सब रसोईया सरकार से मोदी की गारंटी विधानसभा चुनावी घोषणा पत्र 2023 में किये गए 50% वेतन वृद्धि के वादे को जल्द से जल्द पूर्ण करने की मांग करते है।

हमें वेतन वृद्धि प्रदान करने के लिए सरकार को केंद्र सरकार से भी आर्थिक मदद के लिए मांग नहीं करनी पड़ेगी। यदि सरकार वर्तमान श्रम आयुक्त दर में न्यूनतम मजदूरी में वृद्धि कर देती है। न्यूनतम मजदूरी श्रम आयुक्त दर में वृद्धि का नियम है, जिसे पिछली सरकार ने लागू नहीं किया, 8 वर्ष लगभग हो चुका है। हर 5 वर्ष में पिछली भाजपा सरकार नियमानुसार वृद्धि कर देती थी। इस श्रम आयुक्त दर के मजदूरी के आधार पर समस्त जिलों के जिलाधीश अपने-अपने जिलों में कलेक्टर दर घोषित करते है।

“रसोईयों की मांग पूर्ण करने तत्काल न्यूनतम मजदूरी में वृद्धि आगामी 2025 बजट सत्र में छत्तीसगढ़ सरकार को करना होगा।” उन्होंने यह भी मांग की है कि रसोइयों को मासिक वेतन का भुगतान प्रत्येक माह एक निर्धारित तिथि तक सुनिश्चित रूप से किया जाए। इस संबंध में स्कूल शिक्षा विभाग को आवश्यक निर्देश जारी करने का अनुरोध किया गया है।

मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के मार्गदर्शन व स्वास्थ्य मंत्री श्री जायसवाल के कुशल नेतृत्व में डिजिटल सुशासन की ओर बढ़ते कदम

रायपुर-  छत्तीसगढ़ सरकार ने राज्य की सार्वजनिक स्वास्थ्य सेवा को पारदर्शी, उत्तरदायी और तकनीकी रूप से दक्ष बनाने की दिशा में एक उल्लेखनीय पहल करते हुए ‘औषधि दर्पण’ नामक डिजिटल प्लेटफॉर्म का शुभारंभ किया है। छत्तीसगढ़ मेडिकल सर्विसेज कॉर्पोरेशन लिमिटेड (सीजीएमएससीएल) द्वारा विकसित यह ऐप दवा आपूर्ति श्रृंखला को सुव्यवस्थित करने, निगरानी को मजबूत करने और वितरण व्यवस्था को वास्तविक समय (रियल-टाइम) में संचालित करने हेतु तैयार किया गया है।

‘औषधि दर्पण’ ऐप को ड्रग प्रोक्योरमेंट एंड डिस्ट्रीब्यूशन मैनेजमेंट इंफॉर्मेशन सिस्टम (DPDMIS) के अंतर्गत डिज़ाइन किया गया है। इस सिस्टम के माध्यम से अब राज्य के किसी भी स्वास्थ्य संस्थान में दवाओं की उपलब्धता, उनकी मांग, शिपमेंट, वितरण और भंडारण की स्थिति का सटीक विश्लेषण किया जा सकता है। ऐप का उपयोग मोबाइल, टैबलेट या डेस्कटॉप किसी भी उपकरण पर संभव है, जिससे अधिकारियों को त्वरित निर्णय लेने में सहूलियत होती है और स्वास्थ्य सेवा अधिक लचीली बनती है।

ऐप की सबसे बड़ी विशेषता है इसकी रीयल-टाइम ट्रैकिंग क्षमता, जिससे दवाओं के स्टॉक का निरंतर मूल्यांकन किया जा सकता है। यह न केवल किसी भी प्रकार की कमी या अधिकता से बचाता है, बल्कि समय पर आवश्यक दवाओं की आपूर्ति भी सुनिश्चित करता है। इसके अतिरिक्त, ऐप के माध्यम से दवाओं की समाप्ति तिथि की भी निगरानी की जाती है और आवश्यकतानुसार उनका पुनर्वितरण संभव होता है, जिससे दवाओं की बर्बादी को रोका जा सके।

गौरतलब है कि ऐप में जीपीएस ट्रैकिंग प्रणाली एकीकृत की गई है, जिससे दवा वितरण वाहनों की निगरानी भी संभव हो गई है। इससे यह सुनिश्चित होता है कि दवाएं दूरस्थ और दुर्गम क्षेत्रों तक भी सही समय पर पहुँचे। लॉजिस्टिक्स की निगरानी अब राज्य के केंद्रीय गोदामों से लेकर अंतिम डिलीवरी तक की जा रही है।

‘औषधि दर्पण’ ऐप में एक राज्य स्तरीय निगरानी मॉड्यूल भी है, जिससे सभी स्तरों – राज्य, ज़िला, संभाग, निदेशालय और स्थानीय संस्थानों – पर एकीकृत आंकड़ों के आधार पर रणनीतिक निर्णय लिए जा सकते हैं। इससे शासन प्रणाली में पारदर्शिता और उत्तरदायित्व की भावना को बल मिलता है।

इस तकनीकी नवाचार के सामाजिक प्रभाव भी उल्लेखनीय हैं। अब आम जनता को आवश्यक दवाएं समय पर प्राप्त हो रही हैं। डॉक्टर और फार्मासिस्ट अब दवा प्रबंधन की चिंताओं से मुक्त होकर सेवा गुणवत्ता पर अधिक ध्यान केंद्रित कर पा रहे हैं। विशेष रूप से आदिवासी और ग्रामीण क्षेत्रों में नियमित और भरोसेमंद दवा आपूर्ति एक बड़ी उपलब्धि है।

सीजीएमएससीएल की प्रबंध निदेशक पद्मिनी भोई ने कहा, “‘औषधि दर्पण’ एक ऐसा प्लेटफॉर्म है जो छत्तीसगढ़ की दवा आपूर्ति प्रणाली को पूरी तरह पारदर्शी और उत्तरदायी बनाने की दिशा में निर्णायक भूमिका निभा रहा है। रियल-टाइम डेटा के माध्यम से हम यह सुनिश्चित कर पा रहे हैं कि दवाएं समय पर हर जरूरतमंद तक पहुँचे। इससे जनविश्वास भी और मजबूत हुआ है।”

यह ऐप गूगल प्ले स्टोर पर मुफ्त में उपलब्ध है और इसे राज्य भर के सभी शासकीय स्वास्थ्य संस्थानों में लागू कर दिया गया है। आमजन या अधिकारी अधिक जानकारी के लिए https://dpdmis.in पोर्टल पर भी जा सकते हैं। छत्तीसगढ़ सरकार की यह पहल डिजिटल सुशासन के क्षेत्र में एक आदर्श उदाहरण है, जो भविष्य में अन्य राज्यों के लिए भी मार्गदर्शक बन सकती है।

भारतमाला परियोजना घोटाला: जमीन दलाल हरमीत सिंह 14 मई तक न्यायिक हिरासत में, EOW की जांच जारी

रायपुर- भारतमाला परियोजना से जुड़े 48 करोड़ रुपये के घोटाले में फंसे जमीन दलाल हरमीत सिंह खनूजा को 14 मई तक न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया है. आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो (EOW) ने पूछताछ पूरी होने के बाद शुक्रवार को उन्हें विशेष न्यायालय में पेश किया, जहां अदालत ने उसे जेल भेजने की मांग को स्वीकार कर लिया.

ईओडब्ल्यू ने की थी बड़ी कार्रवाई

बता दें कि 25 अप्रैल को ईओडब्ल्यू ने घोटाले की जांच के तहत प्रदेशभर में 20 ठिकानों पर छापेमारी की थी. छापों के अगले ही दिन यानी 26 अप्रैल को जमीन दलाल हरमीत सिंह खनूजा, केदार तिवारी, उसकी पत्नी उमा तिवारी और विजय जैन को गिरफ्तार कर 1 मई तक रिमांड पर लिया गया था.

पहले से जेल में हैं बाकी आरोपी

हरमीत सिंह को छोड़ अन्य तीनों आरोपियों को पहले ही जेल भेजा जा चुका था. अब पूछताछ पूरी होने के बाद हरमीत सिंह को भी 14 मई तक के लिए जेल भेज दिया गया है. ईओडब्ल्यू के मुताबिक मामले की जांच अब भी जारी है.

और नाम आ सकते हैं सामने

ईओडब्ल्यू इस घोटाले में शामिल अन्य व्यक्तियों की तलाश कर रही है. जांच के दौरान और भी बड़े नाम सामने आ सकते हैं तथा घोटाले से जुड़े नए खुलासों की संभावना जताई जा रही है.

क्या है भारतमाला परियोजना का मुआवजा घोटाला?

छत्तीसगढ़ में भारतमाला परियोजना के तहत राजधानी रायपुर से विशाखपट्टनम तक 950 कि.मी. सड़क निर्माण किया जा रहा है. इस परियोजना में रायपुर से विशाखापटनम तक फोरलेन सड़क और दुर्ग से आरंग तक सिक्स लेन सड़क बनना प्रस्तावित है. इस सड़क के निर्माण के लिए सरकार ने कई किसानों की जमींने अधिग्रहित की हैं. इसके एवज में उन्हें मुआवजा दिया जाना है, लेकिन कई किसानों को अब भी मुआवजा नहीं मिल सका है. विधानसभा बजट सत्र 2025 के दूसरे दिन नेता प्रतिपक्ष चरण दास महंत ने इस मुद्दे को उठाया था, जिसके बाद इस मामले में जांच का फैसला लिया गया.

शराब घोटाला मामला: अनवर ढेबर की याचिका पर 23 मई को सुनवाई, 8 डिस्टलरी संचालकों को आरोपी बनाने की मांग, इधर कवासी लखमा की भी बढ़ी रिमांड

रायपुर- छत्तीसगढ़ के बहुचर्चित शराब घोटाले में जेल में बंद अनवर ढेबर द्वारा आठ डिस्टलरी संचालकों को आरोपी बनाए जाने की मांग की थी. इस आवेदन पर अब 23 मई को सुनवाई होगी. अनवर ढेबर का आरोप है कि ईओडब्लू ने एकपक्षीय कार्रवाई करते हुए उन्हें झूठे प्रकरण में फंसाया है. विशेष न्यायालय ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद मामले की सुनवाई को 14 दिन के लिए टाल दिया है.


इन डिस्टलरी संचालकों को आरोपी बनाए जाने की है मांग

अनवर ढेबर ने अपनी याचिका में जिन 8 डिस्टलरी संचालकों को घोटाले में शामिल बताते हुए आरोपी बनाने की मांग की है, उनमें वेलकम डिस्टलरी, भाटिया वाइन मर्चेंट, छत्तीसगढ़ डिस्टलरी, मैसर्स नेक्स्ट जेनरेशन, दिशिता वेंचर्स, ओम साईं बेवरेज, सिद्धार्थ सिंघानिया और मैसर्स टाप सिक्योरिटी डिस्टलरी के संचालक शामिल हैं. विशेष न्यायाधीश ने दोनों पक्षों की दलील सुनने के बाद सुनवाई को 14 दिन के लिए आगे बढ़ा दिया है.

कवासी लखमा की रिमांड भी बढ़ी

इसके साथ ही शराब मामले में जेल में बंद पूर्व आबकारी मंत्री एवं सुकमा विधायक कवासी लखमा की न्यायिक रिमांड को भी 23 मई तक के लिए आगे बढ़ा दिया गया है.

नवा रायपुर में प्रस्तावित होलसेल कॉरिडोर रद्द, 540 रुपए वर्गफीट में जमीन देने का भी था प्रस्ताव

रायपुर-  नवा रायपुर अटल नगर में प्रस्तावित ‘होलसेल कॉरिडोर’ प्रोजेक्ट पर फिलहाल ब्रेक लग गया है. पूर्ववर्ती सरकार के कार्यकाल में तैयार किए गए होलसेल कॉरिडोर प्रोजेक्ट को निरस्त किया जा चुका है. होलसेल कॉरिडोर निर्माण के लिए अब नए सिरे से प्रोजेक्ट तैयार किया जाएगा. नवा रायपुर में बसाहट, निवेश व वाणिज्यिक गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिए होलसेल कॉरिडोर विकसित करने का निर्णय लिया गया था. पूर्व में ‘होलसेल कॉरिडोर’ के लिए नवा रायपुर में 1083 एकड़ जमीन चिन्हित कर ली गई थी और इसका भू-उपयोग परिवर्तन किया जा चुका था. ‘होलसेल कॉरिडोर’ को दक्षिण एशिया व देश का सबसे बड़ा थोक व्यावसायिक बाजार बनाने की योजना थी. पूर्ववर्ती सरकार द्वारा होलसेल कॉरिडोर में 540 रुपए वर्गफीट में व्यवसायियों को भू-खंड आवंटित करने तथा इसके निर्माण में अतिरिक्त राशि राज्य सरकार द्वारा खर्च किए जाने का प्रस्ताव तैयार किया गया था.

बताया गया है कि पूर्ववर्ती सरकार के इस निर्णय पर वर्तमान भाजपा सरकार सहमत नहीं है और भूखंड आवंटन की प्रक्रिया को भी निरस्त कर दिया गया है. नवा रायपुर अटल नगर विकास प्राधिकरण द्वारा नवा रायपुर में नीलामी के जरिए जमीन का आवंटन किए जाने का प्रावधान है. जबकि होलसेल कॉरिडोर के लिए भू-खंडों की दर निर्धारित की गई थी.

अधोसंरचना निर्माण पर 100 करोड़ रुपए होंगे खर्च

नवा रायपुर अटल नगर विकास प्राधिकरण की ओर से नवा रायपुर क्षेत्र में सड़क, नाली, बिजली, पेयजल सहित अन्य अधोसंरचना निर्माण का कार्य भी शुरू किया जा रहा है. करीब 100 करोड़ रुपए की लागत से विभिन्न अधोसंरचना निर्माण के लिए निविदा प्रक्रिया पूरी कर ली गई है. इनमें 30 करोड़ रुपए सड़क निर्माण पर खर्च होंगे. शेष राशि नाली, बिजली, पेयजल सहित अन्य मूलभूत सुविधाएं विकसित करने पर व्यय किए जाएंगे.

सुशासन तिहार : 45 साल पुरानी मांग पर CM साय ने लगाई मुहर, 10 गांवों के 5000 से अधिक किसानों को होगा सीधा फायदा

रायपुर-  गरियाबंद जिले के सुदूर वनांचल मड़ेली में आज एक ऐतिहासिक क्षण उस समय आया, जब मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने 45 वर्षों से अधूरी पड़ी पीपरछेड़ी सिंचाई परियोजना को पूरा करने की घोषणा की। यह घोषणा न केवल एक अधूरे वादे की पूर्णता है, बल्कि क्षेत्र के हजारों किसानों के सपनों की भी पुनर्स्थापना है।

1977 में प्रारंभ हुई इस योजना को घुनघुट्टी नाला पर बांध बनाकर सिंचाई सुविधा उपलब्ध कराने के उद्देश्य से शुरू किया गया था, लेकिन 1980 में वन अधिनियम लागू होने के कारण वन एवं पर्यावरणीय स्वीकृति न मिलने से कार्य अधर में लटक गया। इसके बाद की कई सरकारों ने इस ओर गंभीर पहल नहीं की, और किसानों की आशाएं धीरे-धीरे धुंधली पड़ती गईं।

परंतु मुख्यमंत्री श्री साय ने इस मुद्दे को प्राथमिकता में लिया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में केंद्र सरकार ने पर्यावरणीय स्वीकृति देकर वर्षों पुरानी इस परियोजना को जीवनदान दिया। मुख्यमंत्री श्री साय ने सुशासन तिहार समाधान शिविर में इस बहुप्रतीक्षित स्वीकृति की घोषणा की, जिसे सुनकर उपस्थित जनसमूह ने हर्षोल्लास से वातावरण गुंजायमान कर दिया।

मुख्यमंत्री श्री साय ने कहा कि यह सिर्फ एक परियोजना नहीं, बल्कि किसानों के संघर्ष, प्रतीक्षा और उम्मीद की जीत है। यह सुशासन तिहार का असली अर्थ है – लोगों के जीवन में वास्तविक बदलाव लाना। इस निर्णय से न केवल क्षेत्र के किसानों को स्थायी सिंचाई सुविधा मिलेगी, बल्कि फसल उत्पादन और किसानों की आर्थिक स्थिति में भी व्यापक सुधार होगा, जिससे क्षेत्र में समग्र विकास की नई धारा बहेगी।

कस्टम मिलिंग घोटाला : मार्कफेड के तत्कालीन एमडी मनोज सोनी को हाईकोर्ट से मिली जमानत, सालभर से जेल में है बंद

बिलासपुर-  छत्तीसगढ़ में कस्टम मिलिंग घोटाला के आरोपी मनोज सोनी को ED और EOW केस में हाईकोर्ट ने जमानत दे दी है. बता दें कि मनोज सोनी मार्कफेड के तत्कालीन एमडी हैं. छत्तीसगढ़ में 140 करोड़ रुपए का कस्टम मिलिंग घोटाला हुआ था।

कस्टम मिलिंग घोटाले को लेकर पहले ईडी फिर ईओडब्लू ने एफआईआर दर्ज की थी. तत्कालीन एमडी मनोज सोनी बीते एक साल से केंद्रीय कारागार रायपुर में बंद है. बता दें कि कस्टम मिलिंग घोटाले को लेकर पहले ईडी और फिर ईओडब्लू ने एफआईआर दर्ज की थी. हाईकोर्ट में मनोज सोनी की जमानत याचिका पर बीते 13,14 और 15 अप्रैल को जस्टिस अरविंद कुमार वर्मा की कोर्ट में लगातार सुनवाई हुई थी और 15 अप्रैल को जस्टिस अरविंद कुमार वर्मा ने दोनों पक्षों के तर्कों को सुनने के बाद फैसला सुरक्षित कर लिया था. हाईकोर्ट ने अपने आदेश में मार्कफेड के तत्कालीन एमडी मनोज सोनी ईडी और ईओडब्लू के दोनों प्रकरणों में जमानत दे दी है.


ये है पूरा मामला

वर्ष 2022-23 में कस्टम मिलिंग के एवज में राइस मिलरों से प्रति क्विंटल 20 रुपए कमीशन लेने के आरोप हैं. मार्कफेड के तत्कालीन एमडी मनोज सोनी ने विपणन अधिकारी प्रीतिका पूजा केरकेट्टा के माध्यम से रोशन चन्द्राकर को निर्देश दिया था कि केवल उन्हीं राइस मिलर्स के बिल का भुगतान किया जाना है, जिनकी वसूली की राशि रोशन चन्द्राकर को प्राप्त हुई है. आयकर विभाग ने जब छापे की कार्रवाई के दौरान एक करोड़ छह लाख रुपए नकदी सहित लेन-देन के दस्तावेज सहित डिजिटल डिवाइस जब्त किया था. इस तरह कस्टम मिलिंग के माध्यम से राइस मिलरों से 140 करोड़ रुपए वसूली करने के आरोप हैं.

मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने बलदाकछार में दी कई सौगातें: महानदी में होगा तटबंध निर्माण, चौक में लगेगी हाई मास्ट लाइट

रायपुर- प्रदेशव्यापी सुशासन तिहार अंतर्गत मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने बलौदाबाजार भाटापारा जिले के ग्राम बलदाकछार में आयोजित चौपाल में ग्रामीणों से शासकीय योजनाओं के क्रियान्वयन के संबंध में जानकारी ली। इस दौरान मुख्यमंत्री श्री साय ने ग्राम बलदाकछार में महानदी के बहाव से नदी के तट को कटाव से बचाने हेतु तटबंध निर्माण एवं गांव के चौक में हाई मास्ट लाइट लगाने की घोषणा की। इसके साथ ही ग्रामीणों की मांग पर बलदाकछार में उपस्वास्थ्य केंद्र खोलने, महानदी में एनीकट निर्माण हेतु जांच कराने, नवापारा अभयारण्य में जंगल सफारी के लिए सफारी वाहन चलाने हेतु ड्राइवरों को प्रशिक्षण देकर रोजगार प्रदान करने की बात कही।

मुख्यमंत्री श्री साय ने कहा कि लोगों की समस्याओं और सरकारी योजनाओं की पहुँच आमजन तक हो रही है या नहीं—इसी को जानने के लिए सुशासन तिहार के तहत अधिकारीगण आपके घर तक पहुँच रहे हैं। प्रधानमंत्री आवास योजना (ग्रामीण) अंतर्गत पात्र हितग्राहियों को आवास का लाभ देने हेतु आवास 2.0 का सर्वे जारी है। इसमें सभी पात्र हितग्राही अपना पंजीयन अवश्य कराएं। अब सरकार ने यह भी निर्णय लिया है कि 5 एकड़ असिंचित या 2.5 एकड़ सिंचित भूमि के मालिक तथा मोटरसाइकिल रखने वाला व्यक्ति भी आवास योजना के लिए पात्र होगा। महतारी वंदन योजना के लिए नवीन पंजीयन हेतु पुनः पोर्टल प्रारंभ किया जाएगा। इस अवसर पर मुख्य सचिव अमिताभ जैन, मुख्यमंत्री के प्रमुख सचिव सुबोध कुमार सिंह, सचिव बसवराजू एस. सहित अन्य अधिकारीगण उपस्थित थे।

हनुमान मंदिर से मूर्ति चोरी, हिंदू संगठनों में आक्रोश, जांच में जुटी पुलिस

पथरिया- मुंगेली जिले के लछनपुर मार्ग पर स्थित दक्षिण मुखी हनुमान मंदिर से हनुमान जी की मूर्ति चोरी होने से इलाके में सनसनी फैल गई है. असामाजिक तत्वों द्वारा की गई इस शर्मनाक हरकत के बाद हिंदू संगठनों में भारी आक्रोश देखा जा रहा है. फिलहाल पुलिस और क्राइम ब्रांच की टीम मामले की जांच में जुट गई है.

मिली जानकारी के अनुसार, स्वर्गीय लतेलराम पाल के परिजनों द्वारा 30 जून 2020 की स्मृति में इस मंदिर की स्थापना विधि-विधान से की गई थी. आए दिन हो रही सड़क दुर्घटनाओं को देखते हुए श्रद्धालुओं ने आस्था और सुरक्षा की दृष्टि से मंदिर की स्थापना करवाई थी. प्रतिदिन सुबह-शाम पूजा-अर्चना के लिए पुजारी मंदिर पहुंचते थे.

घटना बीते दिनों की है, जब शाम करीब 4 बजे पूजा के बाद पुजारी मंदिर से लौट गए. लेकिन महज आधे घंटे बाद वहां से गुजर रहे राहगीरों ने देखा कि मंदिर में हनुमान जी की मूर्ति ही गायब है. इस सूचना के बाद दक्षिण मुखी हनुमान मंदिर समिति के कार्यकर्ता मौके पर पहुंचे. शुरुआत में मूर्ति खंडित होने की आशंका थी, लेकिन जब मंदिर के भीतर जाकर देखा गया तो स्पष्ट हुआ कि मूर्ति पूरी तरह चोरी हो चुकी है.

हनुमान जी की जो मूर्ति चोरी हुई है, उसमें चांदी की आंखें लगी थीं और श्रद्धालुओं ने चांदी-सोने के लॉकेट भी अर्पित किए थे. आशंका जताई जा रही है कि इन्हीं कीमती धातुओं की नीयत से मूर्ति को चुरा लिया गया है.

मंदिर में एक छोटा गेट है और पूजा-पाठ नियमित रूप से होता है, इसलिए ताला नहीं लगाया जाता था. घटना के बाद बुधवार रात और गुरुवार सुबह पुलिस ने आसपास के क्षेत्र में तलाश की, लेकिन मूर्ति का कोई सुराग नहीं मिला. अब क्राइम ब्रांच की एक विशेष टीम आरोपियों की तलाश में जुटी हुई है.रायपुर। छत्तीसगढ़ में डीएमएफ घोटाला मामले में एसीबी/ईओडब्ल्यू ने बड़ी कार्रवाई की है. EOW ने आज 4 अफसरों को गिरफ्तार कर कोर्ट में पेश किया. न्यायालय ने 13 मई तक यानि चार दिन के लिए चारों आरोपी पत्थलगांव जनपद सीईओ वीरेंद्र कुमार राठौर, रिटायर्ड जनपद सीईओ बीएस राज, डीएमएफ नोडल अधिकारी भरोसा राम ठाकुर और जनपद सीईओ राधेश्याम मिर्जा को पुलिस रिमांड पर भेजा है. बता दें कि इन अधिकारियों पर डीएमएफ फंड के करोड़ों रुपये के गबन का आरोप है.

DMF घोटाले में बड़ी कार्रवाई : ACB-EOW ने 4 अफसरों को किया गिरफ्तार, सभी 13 मई तक रिमांड पर भेजे गए, करोड़ों के गबन का आरोप

रायपुर- छत्तीसगढ़ में डीएमएफ घोटाला मामले में एसीबी/ईओडब्ल्यू ने बड़ी कार्रवाई की है. EOW ने आज 4 अफसरों को गिरफ्तार कर कोर्ट में पेश किया. न्यायालय ने 13 मई तक यानि चार दिन के लिए चारों आरोपी पत्थलगांव जनपद सीईओ वीरेंद्र कुमार राठौर, रिटायर्ड जनपद सीईओ बीएस राज, डीएमएफ नोडल अधिकारी भरोसा राम ठाकुर और जनपद सीईओ राधेश्याम मिर्जा को पुलिस रिमांड पर भेजा है. बता दें कि इन अधिकारियों पर डीएमएफ फंड के करोड़ों रुपये के गबन का आरोप है.

इन अफसरों को ACB-EOW ने किया गिरफ्तार

भरोसा राम ठाकुर – तत्कालीन नोडल अधिकारी, डीएमएफ, जिला कोरबा

भूनेश्वर सिंह राज – तत्कालीन जनपद मुख्य कार्यपालन अधिकारी, जिला कोरबा

राधेश्याम मिर्झा – तत्कालीन जनपद मुख्य कार्यपालन अधिकारी, जिला कोरबा

वीरेंद्र कुमार राठौर – तत्कालीन जनपद मुख्य कार्यपालन अधिकारी, जिला कोरबा

DMF फंड के दुरुपयोग और फर्जीवाड़े के गंभीर आरोप

इन अधिकारियों पर डीएमएफ फंड के दुरुपयोग, वित्तीय अनियमितताओं और फर्जीवाड़े के गंभीर आरोप लगे हैं. प्रारंभिक जांच में यह सामने आया है कि डीएमएफ के तहत खनिज क्षेत्र के विकास के लिए स्वीकृत योजनाओं में भारी वित्तीय घोटाला किया गया, जिसमें ठेके देने में पारदर्शिता नहीं बरती गई और कई योजनाएं कागज़ों में ही पूर्ण दिखा दी गई. ब्यूरो ने प्रारंभिक जांच के बाद संबंधित दस्तावेजों, बैंक लेन-देन और फर्जी भुगतान की पुख्ता जानकारी जुटाकर इन अधिकारियों के खिलाफ ठोस साक्ष्य एकत्र किए. इन पर डीएमएफ फंड के करोड़ों रुपये के गबन का आरोप है.

पूछताछ में बड़े खुलासे होने की संभावना

पुलिस रिमांड के दौरान इन अफसरों से पूछताछ में और भी बड़े खुलासे होने की संभावना जताई जा रही है. यह आशंका है कि इस घोटाले में अन्य अधिकारी, ठेकेदार और नेता भी शामिल हो सकते हैं. जांच एजेंसियां अब इन सभी संभावित संदिग्धों की भूमिका की जांच में जुटी है.