केंद्र ने वक्फ अधिनियम कानून का किया बचाव, सुप्रीम कोर्ट में दायर किया हलफनामा
#centrefilesaffidavitinsc
केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में वक्फ संशोधन कानून का बचाव कया है। केन्द्र ने वक्फ कानून के खिलाफ दायर याचिकाओं पर अपना जवाब दाखिल किया है। वक्फ कानून में लाए गए संशोधनों का बचाव करते हुए, केंद्र ने शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट द्वारा धर्म और संपत्ति के आधार पर चुनौतियों की सुनवाई के दौरान प्रावधानों पर किसी भी अंतरिम रोक के खिलाफ तर्क दिया। सरकार ने कहा है कि अदालत वक्फ मामले पर अंतरिम रोक न लगाते हुए पूरी सुनवाई कर अंत में कोई फैसला ले।
याचिकाओं में लगाए गए सभी आरोपों को नकारा
केंद्रीय अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय ने सर्वोच्च अदालत में हलफनामा दायर किया है जिसमें अदालत में दायर याचिकाओं में लगाए गए सभी आरोपों को नकारा है। केंद्र ने कहा कि याचिकाएं इस झूठे आधार के साथ लगाई गई हैं कि संशोधन धार्मिक स्वतंत्रता के मौलिक अधिकारों को छीन लेंगे। सुप्रीम कोर्ट विधायी क्षमता, अनुच्छेद 32 के तहत मौलिक अधिकारों के उल्लंघन के आधार पर कानून की समीक्षा कर सकता है। संसदीय पैनल की ओर से व्यापक, गहन, विश्लेषणात्मक अध्ययन के बाद संशोधन किया गया है। केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दायर कर वक्फ (संशोधन) अधिनियम, 2025 की वैधता के खिलाफ याचिकाओं को खारिज करने की मांग की।
संसद से पारित कानून पर रोक लगाना ठीक नहीं
केंद्र ने अधिनियम के किसी भी प्रावधान पर रोक लगाने का विरोध करते हुए कहा, कानून में यह स्थापित स्थिति है कि संवैधानिक अदालतें किसी वैधानिक प्रावधान पर प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से रोक नहीं लगाएंगी। अदालतें मामले पर अंतिम रूप से निर्णय लेंगी। सरकार ने कहा है कि सर्वोच्च न्यायालय के पास संवैधानिकता को जांचने की ताकत है लेकिन संसद ने जिस कानून को पारित किया है, उस पर रोक लगाना ठीक नहीं है।
'वक्फ-बाय-यूजर' पर बोली सरकार
केंद्र ने कहा कि वक्फ-बाय-यूजर को वैधानिक संरक्षण से वंचित करने से मुस्लिम समुदाय के किसी व्यक्ति को वक्फ बनाने से वंचित नहीं किया जा सकता है। यहां एक जानबूझकर, उद्देश्यपूर्ण और भ्रामक कहानी बहुत ही शरारती तरीके से बनाई गई है, जिससे यह धारणा बनाई गई है कि जिन वक्फों ('वक्फ-बाय-यूजर' सहित) के पास अपने दावों का समर्थन करने के लिए दस्तावेज नहीं हैं, वे प्रभावित होंगे। यह न केवल असत्य और गलत है, बल्कि जानबूझकर इस अदालत को गुमराह करने वाला है।
पिछली सुनवाई में क्या हुआ?
इस महीने की शुरुआत में, सुप्रीम कोर्ट ने 'वक्फ बाय यूजर' को हटाने, वक्फ बोर्ड में गैर-मुस्लिमों को शामिल करने और विवादित सरकारी भूमि पर वक्फ की स्थिति निर्धारित करने के मामले में कलेक्टर की शक्तियों पर चिंता जताई थी। भारत के मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना ने अधिनियम के कुछ प्रावधानों को चिह्नित करते हुए कहा था कि हम आम तौर पर चुनौती के इस चरण में किसी कानून पर रोक नहीं लगाते हैं, जब तक कि असाधारण परिस्थितियों में ऐसा न हो। यह एक अपवाद प्रतीत होता है। हमारी चिंता यह है कि अगर वक्फ-बाय-यूजर को गैर-अधिसूचित किया जाता है, तो इसके बहुत बड़े परिणाम हो सकते हैं।
Apr 25 2025, 17:02