पहलगाम आतंकी हमले में शिकार मनीष का शव पहुंचा रांची, परिजनों का रो रो का बुरा हाल

भारत ने लिए बड़े फैसले, पाकिस्तान की तोड़ी कमर

रांची : पहलगाम में निर्दोष पर्यटकों पर आतंकवादियों की कायराना हरकत के शिकार हुए रांची से सेट झालदा के आईबी अधिकारी मनीष रंजन का शव आज गुरुवार सुबह रांची एयरपोर्ट पर पहुंचा। रांची एयरपोर्ट पर आए मनीष रंजन के परिजनों का रो-रो कर बुरा हाल था। हालात ऐसे थे कि वह कुछ बोलने लायक नहीं थे इस घटना से मर्माहट उनके परिजन कुछ भी बोलने से इनकार कर रहे थे बस घटना को देखकर प्रतीत हो रहा था कि आखिर क्या कसूर था उन पर्यटकों का जिस पर आतंकियों ने हमला किया।

मनीष रंजन के श्रद्धांजलि देने पहुंचे नेता प्रतिपक्ष बाबूलाल मरांडी सांसद प्रदीप वर्मा समेत भाजपा के कई नेता और कार्यकर्ता पहुंचे। लेकिन सत्ताधारी दल के न तो कोई मंत्री दिखे न कोई विधायक। मनीष का परिवार मूल रूप से बिहार के सासाराम का रहने वाला है लेकिन उनके पिता वर्षों से झालदा में शिक्षक हैं और वहीं उनके परिवार बस गया है।

आतंकियों के कायराना हमले के बाद जिस तरह देश के गृह मंत्री जम्मू जाकर उन पर्यटकों को श्रद्धांजलि दी पूरा मामला को समझा। तो दूसरी देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने विदेश दौरा को रद्द कर सुरक्षा को लेकर कैबिनेट के मंत्रियों के साथ बैठक की जिसमें गृह मंत्री अमित शाह रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह व विदेश मंत्री एस जयशंकर मौजूद रहे। इसके बाद भारत सरकार ने ताबड़ तोड़ कई बड़े फैसले लिए। इस फैसले से पाकिस्तान की कमर टूट गयी है।

पहलगाम में हुए इस आतंकी हमले के बाद पूरा देश एकजुट है राजनीतिक पार्टियों एकजुट हो रही हैं। देश में अब कुछ बड़ा होने वाला रक्षा मंत्री ने भी साफ तौर पर चेतावनी दी है कहा है

हम सिर्फ़ उन्हीं लोगों तक नहीं पहुँचेंगे, जिन्होंने इस घटना को अंजाम दिया हैI हम उन तक भी पहुँचेंगे, जिन्होंने परदे के पीछे बैठकर, हिंदुस्तान की सरजमीं पर ऐसी नापाक हरकतों की साजिशें रची हैं।

झारखंड के वित्त मंत्री ने वर्ष 2024-25 के राज्य की वित्तीय स्थिति से जनता को कराया अवगत


रांची : किसी भी राज्य के विकास में अर्थव्यवस्था का मजबूत होना अति आवश्यक है। अगर झारखंड की बात करें तो 24 वर्ष का युवा झारखंड की आर्थिक स्थिति को लेकर झारखंड के वित्त मंत्री राधा कृष्ण किशोर ने राज्य के वित्तीय स्थिति से जनता को प्रेस वार्ता के माध्यम से अवगत कराया।

राज्य को आर्थिक रूप से सशक्त बनाने के लिए आधारभूत संरचना उत्तम स्वास्थ्य, उत्तम शिक्षा, सरप्लस बिजली, जल संचयन, शुद्ध पेयजल, ग्रामीण अर्थव्यवस्था की मजबूती व रोजगार के अवसर सामाजिक सुरक्षा स्थापना के लिए पर्याप्त धनराशि का प्रबंध तथा व्यय मेकैनिज्म को सुदृढ़ बनाना एक बहुत बड़ी चुनौती है। झारखंड राज्य के सर्वांगीण विकास के लिए वित्त मंत्री ने कहा कि इसके लिए आय व्यय की समरूपता आवश्यक है। हमारी सरकार का वित्तीय प्रबंधन पारदर्शी है। इसी दृष्टिकोण से आज वित्तीय वर्ष 2024-25 में राजस्व के विभिन्न स्रोतों से क्या आमदनी हुई और विभिन्न स्रोतों से अनुमानित खर्च के लक्ष्य के विरुद्ध कितना वास्तविक खर्च हो पाया है यह राज्य की जनता के बीच रखा है।

उन्होंने कहा कि वर्ष 2024-25 चुनावी वर्ष होने के बावजूद भी हेमंत सोरेन के नेतृत्व वाली सरकार ने राज्य सरकार की आय वयय संतोषप्रद रहा है। इसके अलावा उन्होंने चालू वित्तीय वर्ष 2025-26 में विभाग की ओर से राजस्व के सभी विभागों को यह निर्देश दिया है कि प्रत्येक 3 माह में राजस्व संग्रह की समीक्षा करें। इसके बाद प्रत्येक 6 माह में एक बार राज्य के वित्त मंत्री राधा कृष्ण किशोर राजेश्वरी शर्मा संग्रहण की समीक्षा करेंगे।

रिपोर्टर जयंत कुमार

झारखंड में जमीन की दाखिल खारिज प्रक्रिया होगी फटाफट, उपायुक्त ने दिए सख्त निर्देश


झारखंड में जमीन की खरीद-बिक्री करने वालों के लिए एक राहत भरी खबर है. राज्य में दाखिल खारिज करने में बिना कारण के विलंब करने वाले अंचल अधिकारियों पर अब त्वरित एक्शन लिया जायेगा. 

रांची उपायुक्त मंजूनाथ भजंत्री ने इस संबंध में सभी अंचल अधिकारियों को स्पष्ट निर्देश दिया है कि अंचल में आने वाले दाखिल खारिज करने में अब बिना कारण के विलंब करने वालों पर एक्शन लिया जायेगा. उपायुक्त ने समाहरणालय में जिला के सभी वरीय पदाधिकारियों के साथ हुई बैठक में उक्त निर्देश दियें.

बिना जायज कारण अस्वीकृत नहीं होंगे दाखिल खारिज

रांची उपायुक्त ने उन सभी अंचलों की सूची बनाने का निर्देश दिया गया है, जहां लंबे समय से दाखिल खारिज और भूमि संबंधित अन्य सभी मामले लंबित पड़े हैं. उपायुक्त ने बिना किसी जायज कारण के किसी भी दाखिल खारिज को अस्वीकृत करने से मना किया है. साथ ही किसी भी दाखिल खारिज को अस्वीकृत करने से पहले उनका अच्छे से मूल्यांकन करने का निर्देश दिया है.

इन पदाधिकारियों के खिलाफ होगी कार्रवाई

उपायुक्त ने बताया कि बिना जायज कारण के दाखिल खारिज अस्वीकृत करने वाले सभी मामले जिला के वरीय पदाधिकारियों से जांच करायें जायेंगे. जांच के दौरान दोषी पाए जाने पर संबंधित पदाधिकारी पर प्रपत्र ‘क’ गठित की जायेगी. उपायुक्त ने संबंधित पदाधिकारी को निर्देश देते हुए कहा कि राजस्व संबंधित मामले राजस्व शाखा में ही जानें चाहिए।

स्वास्थ्य मंत्री बताएं कि क्या 14 करोड़ के पेमेंट के उनके दबाव को नहीं मानने के कारण निदेशक को हटाया गया?- प्रतुल शाहदेव

जीबी की पूरी बैठक का सीसीटीवी फुटेज रिलीज करे सरकार

रांची :भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता प्रतुल शाहदेव ने आज स्वास्थ्य विभाग की कार्यशाली पर प्रश्न चिन्ह उठाते हुए स्वास्थ्य मंत्री इरफान अंसारी से जानना चाहा कि क्या 14 करोड़ का बकाया पेमेंट का भुगतान नहीं करने के कारण निदेशक को हटाया गया? प्रतुल ने कहा की रिम्स में वैकल्पिक व्यवस्था के तहत सक्षम मरीजों के लिए खून जांच के लिए मेडाल कंपनी और मशीनी जांच के लिए हेल्थ प्वाइंट कंपनी के साथ पीपीपी मोड पर करार हुआ था।लेकिन धीरे-धीरे अबुआ सरकार में यह दोनों कंपनी वैकल्पिक व्यवस्था की जगह मुख्य व्यवस्था बनते चले गए।

प्राप्त जानकारी के अनुसार मेडाल कंपनी की ओर से जो बकाया का दावा किया गया है वह 10.75 करोड़ रुपयों का है वही हेल्थ प्वाइंट ने भी 3.37 करोड़ रुपए के पेमेंट का दावा किया है। प्रतुल ने कहा कि जीबी की बैठक में इन दोनों कंपनियों को भुगतान एजेंडा में नहीं था।फिर भी स्वास्थ्य मंत्री अनावश्यक रूप से एजेंडा के बाहर जाकर इन कंपनियों को भुगतान करने का दबाव बनाने लगे। निदेशक के द्वारा नहीं मानने पर उनको हटाने की पटकथा लिखी जानी शुरू हो गई।

प्रतुल ने कहा कि मेडाल और हेल्थ प्वाइंट कंपनियों पर झारखंड के एजी ने भी ऑडिट करते समय गंभीर अनियमितता पाई थी और कई विसंगतियां का उदाहरण देते हुए अपनी रिपोर्ट राज्य सरकार को सौंप दी थी। इस रिपोर्ट पर कार्रवाई करने की जगह स्वास्थ्य मंत्री इन दोनों कंपनियों को पेमेंट करने का दबाव बना रहे थे जो कि सर्वथा अनुचित था।

प्रतुल ने कहा कि जीबी बैठक के दौरान दो दर्जन लोग अनिधिकृत रूप से नारेबाजी करते भीतर घुस आए थे।मंत्री इरफान अंसारी ने उनसे निदेशक को हटाने का मांग पत्र भी बैठक के दौरान लिया।प्रतुल ने सवाल किया कि आखिर इतनी कड़ी सुरक्षा व्यवस्था के बावजूद भी बाहरी लोगों को कैसे प्रवेश किया गया?दअरसल यह सब निदेशक को हटाने की एक सुनियोजित साजिश का हिस्सा था जिसकी पटकथा स्वास्थ्य मंत्री पहले ही लिख चुके थे।

प्रतुल ने कहा कि सरकार को अविलंब रिम्स के गर्वनिंग बॉडी की पूरी बैठक की सीसीटीवी फुटेज को जारी करना चाहिए।आखिरकार अबुआ सरकार खुद को पारदर्शी सरकार बताती है।तो फिर सीसीटीवी फुटेज को क्यों नहीं रिलीज कर रही?

प्रतुल ने कहा कि अगर सब कुछ पाक साफ है तो राज्य सरकार सीबीआई जांच से क्यों भाग रही है? प्रतुल ने जानना चाहा कि अगर इस पूरे प्रकरण में स्वास्थ्य मंत्री को लगता है कि उनकी या सरकार की कोई गलती नहीं और निदेशक को सही से हटाया गया है तो फिर राज्य सरकार सीबीआई जांच की अनुशंसा क्यों नहीं कर रही।यह पूरा प्रकरण प्रथम दृष्टि बड़े घपले और कमीशन खोरी का मामला लग रहा है और सीबीआई जांच से ही सच्चाई सामने आएगी।

रिम्स में प्रतिनियुक्ति होमगार्ड के जवानों को हटाने का औचित्य समझ से परे

भाजपा प्रवक्ता प्रतुल शाहदेव ने कहा कि स्वास्थ्य मंत्री ने घोषणा की है कि रिम्स में कार्यरत 370 होम गार्ड के जवानों में से ज्यादातार जवानों को हटा दिया जाएगा।प्रतुल ने कहा कि यह आरोप लग रहा है कि होमगार्ड जवानों की जगह निजी सुरक्षा एजेंसी को रिम्स की सुरक्षा का भार देने की फिर से तैयारी है। पूर्व में ऐसी सुरक्षा एजेंसी के संचालक के कांग्रेसी नेताओं से बहुत मधुर संबंध थे।निजी एजेंसी पर लचर व्यवस्था और कमीशन का भी आरोप लगा था।प्रतुल ने कहा कि रिम्स में हो रहे हर गैर कानूनी कार्य का भाजपा कड़ा विरोध करती रहेगी।

लुगु पहाड़ के मुठभेड़ में मारे गए विवेक दा उर्फ़ प्रयाग मांझी का दहशत झारखंड के अलावे बिहार, उड़ीसा और छत्तीसगढ़ में भी था

प्रशांत बोस की गिरफ्तारी के बाद उसने पारसनाथ में संभाली थी नक्सलवाद की कमान

झ. डेस्क

झारखंड में नक्सलवाद को खत्म करने के लिए लगातार अभियान चलाया जा रहा है. इस अभियान में सुरक्षा बलों को बड़ी सफलता मिली है. बोकारो जिले के लुगु पहाड़ की तलहटी में मुठभेड़ में एक करोड़ के इनामी नक्सली प्रयाग मांझी उर्फ विवेक जी समेत 8 नक्सलियों को सुरक्षा बलों ने मार गिराया.

प्रयाग उर्फ़ विवेक दा कैसे पहुंचा पारसनाथ और कैसा था उसका जीवन, किन लोगों के साथ रहता था,जानने के लिए पढ़िए पूरी खबर को....

पारसनाथ पर्वत को नक्सलियों का सबसे सेफ जोन माना जाता है. यही कारण है कि नक्सलियों के थिंक टैंक माने जाने वाले एक करोड़ के इनामी नक्सली और संगठन के पोलित ब्यूरो सदस्य प्रशांत बोस ने 2 वर्ष पूर्व यहां अपना ठिकाना बनाया था. एक और एक करोड़ रुपए के इनामी नक्सली और भाकपा माओवादी के सेंट्रल कमेटी मेंबर प्रयाग मांझी उर्फ विवेक दा के साथ-साथ दर्जनों इनामी नक्सली इसी क्षेत्र में आराम से रह रहे थे. वर्ष 2023 में नक्सलियों के थिंक टैंक प्रशांत बोस और उनकी पत्नी जब पारसनाथ से चाईबासा की ओर जा रहे थे, तभी पुलिस ने दोनों को गिरफ्तार कर लिया था.

प्रशांत बोस की गिरफ्तारी के बाद प्रयाग ने संभाला कमान

प्रशांत बोस की गिरफ्तारी के बाद नक्सली संगठन में मानो भूचाल आ गया. दोनों शीर्ष नक्सलियों की गिरफ्तारी के विरोध में नक्सली संगठनों ने विरोध-प्रदर्शन करते हुए दर्जनों नक्सली घटनाओं को अंजाम देकर पुलिस प्रशासन को चुनौती दी थी.प्रशांत बोस की गिरफ्तारी के बाद नक्सली संगठन की कमान एक करोड़ के इनामी नक्सली प्रयाग मांझी उर्फ विवेक दा को सौंपी गयी.धनबाद जिले के टुंडी के दल बूढ़ा गांव के रहने वाले प्रयाग मांझी दा उर्फ विवेक दा के जिम्मे पूरे नक्सली संगठन की कमान थी.

 2023 मे प्रयाग मांझी उर्फ विवेक ने पारसनाथ मे लिया आश्रय

गिरिडीह के पारसनाथ पर्वत क्षेत्र की जिम्मेदारी भी प्रयाग मांझी उर्फ विवेक दा के जिम्मे ही थी. पारसनाथ की कमान संभालने के बाद प्रयाग मांझी उर्फ विवेक दा जून 2023 में पारसनाथ पर्वत पहुंचा था. यहां नक्सली संगठन के कई बड़े नेताओं के साथ बैठक करके संगठन को मजबूत करने में जुट गया था.

 झारखंड के आलावे बिहार,

छत्तीसगढ़ और ओडिशा में था उसके नाम सें दहशत

भाकपा माओवादी संगठन के सेंट्रल कमेटी मेंबर प्रयाग मांझी उर्फ विवेक दा उर्फ फुचना उर्फ नागो मांझी उर्फ करण दा पर एक करोड़ का इनाम था. यह माओवादी संगठन का सबसे चालाक और बड़ा नक्सली था. इसकी तूती न सिर्फ झारखंड, बल्कि बिहार, छतीसगढ़ से लेकर ओडिशा तक बोलती थी. यही कारण है कि पारसनाथ में नक्सलियों की कमर टूटते देख संगठन ने विवेक दा को पारसनाथ की कमान सौंपी.

विवेक दा के कुनवा में था कौन-कौन?

प्रयाग मांझी उर्फ विवेक दा के साथ कई बड़े इनामी नक्सली रहते थे. इसमें मुख्य रूप से नक्सली परवेज मांझी उर्फ अनुज दा, अरविंद यादव उर्फ नेताजी, हार्डकोर नक्सली नारायण कोड़ा शामिल थे. ये लोग एके-47, इंसास और अन्य अत्याधुनिक हथियार से लैस रहते थे. इस दस्ते में एक दर्जन महिला समेत 50 से अधिक नक्सली रहते थे.

कहां का रहने वाला था विवेक दा

एक करोड़ का इनामी नक्सली प्रयाग मांझी उर्फ विवेक दा वैसे तो धनबाद जिले के टुंडी के दलबुढ़ा का रहने वाला था, लेकिन वह लगातार अलग-अलग क्षेत्रों में आता-जाता रहता था. पारसनाथ के अलावा छतीसगढ़, झुमरा, बिहार से लेकर बंगाल तक में इसके ठिकाने थे. संगठन के लिए वर्षों से काम कर रहा था. विवेक दा के खिलाफ सिर्फ गिरिडीह जिले में ही 50 से अधिक मामले दर्ज हैं.

बोकारो वन भूमि घोटाले की जांच, रांची, बोकारो समेत 15 ठिकानों पर ईडी की छापेमारी जारी


रांची : प्रर्वतन निदेशालय की टीम ने आज तड़के सुबह लालपुर के राजबीर कंस्ट्रक्शन के हरिओम टावर पर स्थित कार्यालय और कंपनी के ठिकानों, रांची के लालपुर, कांके के विभिन्न इलाकों में कंपनी के दफ्तर और उससे जुड़े लोगों के आवास पर छापा मारा गया है। जानकारी के मुताबिक झारखंड और बिहार समेत 15 ठिकानों पर यह रेड पड़ी है। वन भूमि घोटाला मामले को लेकर यह कार्रवाई की गयी है।

बोकारो वन भूमि घोटाले का मामला वर्ष 2022 का है। जिले के कुछ प्रशासनिक अधिकारियों ने कई गड़बड़ियां कर एक कंपनी को वन विभाग की 74.38 एकड़ जमीन दे दी थी। इस मामले को लेकर रांची में ईडी की कार्रवाई एक कंस्ट्रक्शन कंपनी के दफ्तरों और उससे जुड़े लोगों के आवास पर की गई। ईडी के अधिकारी दस्तावेजों की जांच के साथ पूछताछ भी कर रहे हैं। अब तक की छापेमारी में क्या कुछ बरामद हुआ है, इसकी जानकारी फिलहाल नहीं मिल पाई है।

जांच में पता चला कि वर्ष 2013 में चास थाना क्षेत्र के वन विभाग के प्लॉट को पुरानी परती भूमि के रूप में दर्ज कर लिया गया। इसके बाद मुकदमा दायर किया गया। इसके बाद से जांच शुरू हो गई। वहीं, वन भूमि घोटाले की गंभीरता को देखते हुए झारखंड के डीजीपी अनुराग गुप्ता के निर्देश पर सीआईडी ने भी जांच शुरू कर दी है।

बाद में इस भूमि को भू-माफिया ने फर्जी कागजातों के आधार पर हस्तांतरित करवाते हुए पूरी जमीन ही गबन कर लिया। इस मामले में इजहार हुसैन, अख्तर हुसैन, शैलेश कुमार सिंह, रघुनाथ सिंह, जैन सिंह, सचिन प्रसाद पांडे, सत्येंद्र सत्यार्थी माधव प्रसाद सिन्हा और आरबी सिंह को आरोपी बनाया गया है। सभी के खिलाफ पूर्व से सीआईडी जांच चल रही है।

रिपोर्टर जयंत कुमार

पिछले दिन जयराम महतो के लिए उनके पार्टी द्वारा जेड प्लस सुरक्षा की उठी मांग पर दिया विधायक ने चौकाने वाला जबाव

डुमरी विधायक जयराम महतो के लिए कुछ दिनों पूर्व जेड प्लस सुरक्षा की मांग उठी थी. पूर्व राजधनवार प्रत्याशी राजेश रतन ने गृह मंत्रालय को पत्र लिखकर विधायक के लिए जेड प्लस सुरक्षा की मांग की थी. 

इसके बाद से एक बड़ा सवाल उठ रहा था कि, आखिर विधायक को जेड प्लस सुरक्षा की जरुरत क्यों पड़ी. क्या उन्हें किसी से खतरा है ? 

इस संबंध में जब एक मीडिया हाउस द्वारा विधायक सें सवाल पूछा गया तो उन्होंने बेहद हैरान करने वाला जवाब दिया.

जेड प्लस सुरक्षा के सवाल पर विधायक ने सीधा जवाब दिया कि “मैंने नहीं मांगा है”. विधायक ने बताया कि उन्हें खुद भी इस बात की जानकारी नहीं थी. हमारे मित्र और संगठन के सचिव राजेश रतन ने इस संबंध में पत्र लिखा था. जयराम महतो ने कहा कि जब उन्हें सहयोगियों से इस संबंध में पता चला तो उन्होंने सोशल मीडिया पर लिखा कि, हम अपने मित्र की भावनाओं का सम्मान करते हैं, लेकिन हमें जेड प्लस सुरक्षा की जरुरत नहीं है.

इस वजह से विधायक पर बढ़ा खतरा

जयराम महतो को किन लोगों से खतरा है इस संबंध में सवाल करने पर विधायक ने बताया कि वे कोयलांचल से आते हैं और लगातार सभी क्षेत्रों में विजिट करते रहते हैं, तो ऐसे में खतरें की संभावनाएं बढ़ी है. जयराम ने बताया कि दो अंगरक्षक दिये गये थे. दो और अंगरक्षक बढ़ाने के लिये भी कहा गया था. उन्होंने कहा कि अंगरक्षक उनके साथ रहना भी नहीं चाहते हैं. अंगरक्षकों को लगता है कि वे उनके साथ इतना अधिक भ्रमण नहीं कर पायेंगे.

सीएम हेमंत सोरेन झारखंड मे निवेश के लिए पहुंचे स्पेन के बार्सिलोना फुटबॉल कोचों के प्रशिक्षण हेतु एमओयू पर किया हस्ताक्षर

वहां के उधमी और प्रवासी भारतीयों को किया यहां निवेश के लिए आमंत्रित, दिया GIGA फैक्ट्री स्थापित करने का प्रस्ताव

बार्सिलोना/रांची: मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन झारखण्ड में निवेश को आकर्षित करने के लिए स्पेन और स्वीडन की यात्रा पर हैं। इस क्रम में झारखण्ड सरकार को RCD Espanyol फुटबॉल क्लब ने खेल विकास, विशेषकर फुटबॉल कोचों के प्रशिक्षण हेतु समझौता ज्ञापन MoU पर हस्ताक्षर करने का प्रस्ताव दिया है। यह सहयोग बार्सिलोना के उत्कृष्ट खेल इकोसिस्टम, झारखण्ड में खेल खास कर फुटबॉल के विकास को बढ़ावा देगा।

 वहीं दूसरी ओर मुख्यमंत्री के नेतृत्व में झारखण्ड सरकार के उच्चस्तरीय प्रतिनिधिमंडल ने स्पेन के बार्सिलोना में प्रवासी भारतीय व्यवसायियों एवं प्रतिष्ठित विशेषज्ञों से मुलाकात की। इस क्रम में स्टार्टअप मेंटरशिप, क्लीन एनर्जी, पर्यावरणीय स्थिरता, सप्लाई चेन , बायो-फार्मास्यूटिकल्स, खेल विपणन, क्रिकेट टीम ओनरशिप , डीप-टेक बी2बी मार्केटिंग, लीगल, डेंटिस्ट्री और मेडटेक जैसे विभिन्न क्षेत्रों पर चर्चा हुई। 

प्रतिनिधिमंडल ने उद्यमिता, नवाचार और स्टार्टअप को बढ़ावा देने के लिए सुझाव दिए और झारखण्ड में एक जीवंत स्टार्टअप ईकोसिस्टम के निर्माण में सहयोग देने की इच्छा जताई। मुख्यमंत्री ने सभी प्रतिभागियों को झारखण्ड आने और राज्य में निवेश हेतु आमंत्रित किया है।

GIGA फैक्ट्री स्थापित करने का प्रस्ताव

मुख्यमंत्री ने Tesla Group A.S. (चेकोस्लोवाकिया) के CEO एवं सह-संस्थापक श्री डुशान लिचार्डस से भी भेंट की। उन्होंने झारखण्ड में एक GIGA फैक्ट्री स्थापित करने का प्रस्ताव दिया, जो वाणिज्यिक और औद्योगिक बैटरी भंडारण उत्पादों के असेंबली पर केंद्रित होगी। यह संयंत्र नवीकरणीय ऊर्जा भंडारण के क्षेत्र में कंपनी के रोमानिया के ब्रेइला में किए गए निवेश के समान होगा।

सरकार ने रखा प्रस्ताव

प्रतिनिधियों ने सुझाव दिया कि झारखण्ड में स्टार्टअप्स और उनके मेंटर्स का मैपिंग किया जाए और उन्हें वैश्विक इनक्यूबेटरों से जोड़ा जाए। खाद्य प्रसंस्करण, विशेष रूप से झारखण्ड के कटहल और टमाटर जैसे उत्पादों के मूल्यवर्धित प्रसंस्करण में निवेश की संभावनाएं तलाशने का सुझाव दिया गया। इसके अतिरिक्त पारंपरिक चिकित्सा (होड़ोपैथी), अनुसंधान एवं विकास, फार्मास्युटिकल, मेडटेक तथा बायोटेक में अनुसंधान जैसे विषय शामिल रहे। 

मुख्यमंत्री ने किया आश्वस्त

मुख्यमंत्री ने आश्वस्त किया कि स्पेनिश कंपनियों के साथ सतत संवाद, बैठकें और कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे ताकि, सहयोग की दिशा में ठोस प्रगति हो सके। राज्य सरकार प्राप्त सुझावों को नीतियों के मूल्यांकन एवं अद्यतन करते समय ध्यान में रखेगी। उन्होंने यह भी बताया कि झारखण्ड ने ईज़ ऑफ डूइंग बिजनेस में उल्लेखनीय प्रगति की है और निवेश को शीघ्र एवं सहज रूप से धरातल पर उतारने हेतु प्रतिबद्ध है।

डॉ राजकुमार RIMS के निदेशक पद से हटाए जाने को लेकर पहुंचे कोर्ट, दायर की याचिका

रांची : रिम्स के निदेशक पद से हटाए जाने के फैसले को नेचुरल जस्टिस और रिम्स नियमावली-2002 का उल्लंघन बताते हुए डॉ राजकुमार ने कोर्ट में चुनौती दी है। 

रिम्स के पूर्व निदेशक डॉ. राजकुमार ने अपने पद से हटाए जाने को लेकर झारखंड हाईकोर्ट में याचिका दायर की है। उन्होंने इस फैसले को नैसर्गिक न्याय और रिम्स नियमावली-2002 का उल्लंघन बताते हुए चुनौती दी है।

उल्लेखनीय है कि पिछले हफ्ते रिम्स में जनरल बॉडी (जीबी) की बैठक में किसी बात को लेकर माहौल गर्म हो गया था।जीबी की बैठक के बाद राज्य सरकार ने रिम्स निदेशक को हटाने का फैसला लिया था। स्वास्थ्य मंत्रालय की तरफ से जारी बयान में राजकुमार महतो को निदेशक पद से हटाये जाने की वजह उनके द्वारा काम में दिक्कतें पैदा करना, नियमों को नजरअंदाज करना, सरकार और कैबिनेट के निर्देशों का पालन नहीं करना बताया गया था। 

डॉ. राजकुमार का कहना है कि उन्होंने अपने कार्यकाल में किसी तरह की लापरवाही नहीं की। उनका दावा है कि उन्होंने जीवन भर ईमानदारी से काम किया, फिर भी उन पर बेबुनियाद आरोप लगाए गए। उन्होंने अदालत से पूरे मामले की निष्पक्ष जांच की मांगी की है।

वह इस पूरे मामले को लेकर भाजपा के पूर्व विधायक अमर कुमार बाउरी ने आरोप लगाया कि रिम्स निदेशक डॉ. राजकुमार को बिना पूर्व सूचना, और कारण के बिना पद से हटाया जाना इस बात का स्पष्ट संकेत है कि सरकार ईमानदार अधिकारियों को संस्थागत भ्रष्टाचार के खिलाफ काम नहीं करने देना चाहती। उन्होंने यह भी कहा कि डॉ. राजकुमार के खिलाफ आज तक किसी भी स्तर पर भ्रष्टाचार का आरोप नहीं लगा है। और उनके पिछले 14 महीने के कार्यकाल को ईमानदारी व दक्षता का उदाहरण माना जाता रहा है। 

रिपोर्टर जयंत कुमार

झारखंड के मतदाता सूची में सुधार से संबंधित एक भी अपील लंबित नहीं,नहीं आया है कोई नया अपील

रांची। भारत निर्वाचन आयोग के प्रावधानों के अनुसार हर मतदान केंद्र पर एक बूथ लेवल अधिकारी नियुक्त किया जाता है और हर बूथ पर हर राजनीतिक दल को बूथ लेवल एजेंट नामित करने का अधिकार होता है। देश का हर नागरिक जिसकी उम्र 18 वर्ष से अधिक है वह निर्वाचक बन सकता है। इस हेतु नए मतदाता के रूप में नाम जोड़ने के लिए फॉर्म 6, मतदाता सूची से नाम हटाने के लिए फार्म 7 एवं मतदाता सूची में प्रविष्टि में सुधार या बदलाव करने के लिए फॉर्म 8 का इस्तेमाल कर सकते हैं।

 इसके उपरांत बूथ लेवल अधिकारियों द्वारा इसका सत्यापन किया जाता है एवं उक्त सूची पर निर्वाचक निबंधन पदाधिकारी (ईआऱओ) द्वार संशोधन करने हेतु अंतिम निर्णय लिया जाता है। लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1950 की धारा 24(क) के तहत अगर किसी व्यक्ति को निर्वाचक निबंधन पदाधिकारी के निर्णय पर आपत्ति है तो, वह जिला निर्वाचन पदाधिकारी/डीईओ के समक्ष प्रथम अपील कर सकता है, साथ ही जिला निर्वाचन पदाधिकारी/डीईओ के निर्णय के विरुद्ध मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी के समक्ष द्वितीय अपील दायर की जा सकती है।

झारखंड में लगभग 2 करोड़ 62 लाख निर्वाचक हैं। राज्य में 29 हजार से भी अधिक बूथ लेवल अधिकारियों द्वारा मतदाता सूची के विशेष संक्षिप्त पुनरीक्षण कार्यक्रमों में घर–घर जाकर मतदाता सूची में पंजीकृत निर्वाचकों को सत्यापित एवं नये निर्वाचकों का पंजीकरण का कार्य किया जाता है। इस दौरान मान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों द्वारा नियुक्त बूथ लेवल एजेंट्स ने भी बूथ स्तर पर इन सूचियों को सत्यापित करने का कार्य किया है। वर्तमान में झारखंड में एक भी जिला निर्वाचन पदाधिकारी/डीईओ या सीईओ कार्यालय के समक्ष मतदाता सूची में संशोधन हेतु कोई भी अपील लंबित नहीं है, जिसका मतलब है कि झारखंड में मतदाता सूची मतदाताओं एवं अन्य सभी के शत प्रतिशत संतुष्टि के करीब है।