अब दिव्यांग पर कमेंट करके फंसे समय रैना, सुप्रीम कोर्ट सख्त

कॉमेडियन समय रैना लंबे समय से विवादों में चल रहे हैं। शो ‘इंडियाज गॉट लेटेंट’ में पैरेंट्स पर आपत्तिजनक टिप्पणी करने को लेकर समय, रणवीर इलाहाबादिया और अपूर्वा मखीजा को काफी फजीहत झेलने पड़ी। अभी भी वो मामला कोर्ट में चल रहा है। इसी बीच समय की मुश्किलें और बढ़ती दिख रही हैं।

दिव्यांग लोगों के संबंध में समय रैना की टिप्पणी पर सुप्रीम कोर्ट ने सख्त रुख अपनाया है। क्योर एसएमए फाउंडेशन ऑफ इंडिया नाम की एक संस्था सुप्रीम कोर्ट पहुंची। संस्था ने कोर्ट में बताया कि समय रैना ने दिव्यांगों पर कमेंट किए हैं। उनपर चुटकुले बनाए हैं। इस मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट सख्त है।

सुप्रीम कोर्ट ने ऐसे मामलों को लेकर चिंता जताई है। सुप्रीम कोर्ट ने दिव्यांगता और बीमारी पर चुटकुले बनाने को लेकर समय रैना को पक्षकार बनाने को कहा है। सुप्रीम कोर्ट ने समय रैना को रणवीर इलाहाबादिया मामले में पक्षकार बनाने आदेश दिए हैं। साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने समय रैना की क्लिप को रिकॉर्ड पर लिया है, जिसमें एक अंधे व्यक्ति के साथ ही दो महीने के शिशु का मजाक उड़ाया गया था, जिसे जीवित रहने के लिए 16 करोड़ रुपए के इंजेक्शन की जरूरत थी।

इस मामले की सुनावई कर रहे जस्टिस कांत ने कहा, 'यह बहुत ही गंभीर मुद्दा है। हम यह देखकर वास्तव में परेशान हैं। हम चाहते हैं कि आप इन घटनाओं को भी रिकार्ड में लाएं। यदि आपके पास प्रतिलेख के साथ वीडियो-क्लिपिंग हैं, तो उन्हें लाइए। संबंधित व्यक्तियों को पक्षबद्ध करें। साथ ही ऐसे उपाय भी सुझाएं जो आपके अनुसार... तब हम देखेंगे।

एक तरफ जहां समय रैना एक नए मामले को लेकर मुसीबत में पड़ते नजर आ रहे हैं, तो वहीं दूसरी तरफ पैरेंट्स पर टिप्पणी करने को लेकर उनके खिलाफ असम और महाराष्ट्र में भी केस चल रहा है। रणवीर ने सुप्रीम कोर्ट से अपना पार्सपोर्ट रिलीज करने की मांग की थी। उनकी इस याचिका को लेकर सुप्रीम कोर्ट सोमवार को सुनवाई करेगा। कोर्ट से कहा गया कि हम उनकी इस याचिका पर 28 अप्रैल को विचार करेंगे। पैरेंट्स पर कमेंट करने के बाद हर तरफ से समय रैना, रणवीर इलाहाबदिया, अपूर्वा मखीजा और आशीष चंचलानी की आलोचना हो रही थी। समय को यूट्यूब से इंडियाज गॉट लेटेंट के सारे एपिसोड हटाने भी पड़े थे।

यूसीसी लागू करने की तैयारी में मोदी सरकार, बीजेपी ने वीडियो जारी कर बताया प्लान

#modi_govt_third_tenure_achievements

आने वाले महीने यानी मई में केन्द्र की नरेंद्र मोदी सरकार के तीसरे कार्यकाल का एक साल पूरा होने वाले हैं। जहां विपक्ष ने 2024 लोकसभा चुनाव के नतीजों के बाद सरकार को कमजोर बताया था, वहीं बीजेपी ने सोशल मीडिया पर वीडियो जारी कर इस एक साल की प्रमुख उपलब्धियों को जनता के सामने रखा है। पार्टी ने साफ तौर पर संदेश दिया है कि "मोदी 3.0" न तो धीमा है, न ही दबाव में।

बीजेपी ने अपने आधिकारिक एक्स हैंडल पर एक वीडियो शेयर किया है, जिसमें मोदी सरकार के तीसरे कार्यकाल की उपलब्धियों को दिखाया गया है। वीडियो में दिखाया गया है कि कैसे विपक्ष के आरोपों के उलट, सरकार ने बीते 12 महीनों में कई सख्त और साहसिक कदम उठाए हैं। वीडियो का टाइटल दिया गया है- Big Moves Under Modi 3.0 The journey’s just begun...।

वीडियो में सरकार के कई बड़े फैसलों का भी जिक्र है। बीजेपी के अनुसार, नेशनल हेराल्ड केस में सोनिया गांधी और राहुल गांधी के खिलाफ चार्जशीट दाखिल। मेहुल चोकसी की गिरफ्तारी, पीएनबी घोटाले के आरोपी को बेल्जियम में पकड़ा गया। तहव्वुर राणा (26/11 मुंबई हमले का मास्टरमाइंड) को भारत प्रत्यर्पित किया गया। रॉबर्ट वाड्रा से जमीन घोटाले में ईडी की पूछताछ। संसद में वक्फ (संशोधन) बिल पास हुआ। दिल्ली, महाराष्ट्र और हरियाणा में विधानसभा चुनावों में शानदार सफलता हासिल की।

वीडियो में यह भी संकेत दिया गया कि सरकार अब यूनिफॉर्म सिविल कोड (UCC) लागू करने की दिशा में काम कर रही है। बीजेपी के यूनिफॉर्म सिविल कोड लोडिंग...वीडियो जारी कर संकेत दिया है कि यूसीसी को जल्द ही लागू किया जा सकता है।

राहुल गांधी भारतीय नागरिक पर हाईकोर्ट ने केंद्र से मांगा जवाब, 10 दिन का समय दिया

#rahulgandhidualcitizenshipcase

कांग्रेस सांसद राहुल गांधी की भारतीय नागरिकता को चुनौती देने वाली याचिका पर सोमवार को इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच में सुनवाई हुई। हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार से पूछा- 'राहुल गांधी भारतीय नागरिक हैं या नहीं, इस पर 10 दिन में जवाब दें।इस मामले की अगली सुनवाई 5 मई को होगी। याचिका में राहुल गांधी की नागरिकता पर सवाल उठाया गया है, जिससे उनकी लोकसभा सदस्यता खतरे में पड़ सकती है।

भाजपा कार्यकर्ता विग्नेश शिशिर की याचिका पर सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार ने एक स्टेटस रिपोर्ट पेश की। कोर्ट ने इसे अपर्याप्त माना और सरकार को और स्पष्ट जवाब देने का निर्देश दिया। कोर्ट ने कहा कि यह मामला राष्ट्रीय महत्व का है और इसमें देरी स्वीकार्य नहीं होगी। केंद्र सरकार ने इसका जवाब देने के लिए अतिरिक्त समय मांगा। अगली सुनवाई 5 मई को होगी।

क्या है राहुल गांधी की नागरिकता का मामला?

1 जुलाई, 2024 को कर्नाटक के वकील और भाजपा नेता एस विग्नेश शिशिर ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में एक याचिका दायर की थी। इसमें उन्होंने राहुल गांधी के पास ब्रिटिश नागरिकता होने का भी आरोप लगाया था। याचिकाकर्ता ने ब्रिटिश सरकार के 2022 के गोपनीय मेल का हवाला देते हुए यह आरोप लगाया था। विग्नेश शिशिर ने भारतीय नागरिकता अधिनियम 1955 की धारा 9(2) के तहत राहुल गांधी की भारतीय नागरिकता रद्द करने की मांग की थी।

याचिकाकर्ता ने सबूत होने का दावा किया

याचिकाकर्ता ने दलील दी है कि उसके पास ब्रिटिश सरकार के सभी दस्तावेज और कुछ ईमेल हैं जो साबित करते हैं कि राहुल गांधी ब्रिटिश नागरिक हैं और इस वजह से वह भारत में चुनाव लड़ने के लिए अयोग्य हैं। लिहाजा वह लोकसभा सदस्य का पद नहीं संभाल सकते। राहुल गांधी ने 2024 में रायबरेली लोकसभा सीट से चुनाव जीता है।

इससे पहले लखनऊ हाईकोर्ट में 24 मार्च को सुनवाई थी। जस्टिस एआर मसूदी और जस्टिस अजय कुमार श्रीवास्तव की खंडपीठ ने राज्य सरकार को चार सप्ताह में स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया था। सरकार ने 8 सप्ताह का समय मांगा था। इस पर 21 अप्रैल सुनवाई की तारीख तय हुई थी।

बंगाल में राष्ट्रपति शासन लगाने की मांग, याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा- हम पर पहले ही लग रहे आरोप

#westbengalviolencesupremecourt_hearing

सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर हुई है, जिसमें पश्चिम बंगाल में राष्ट्रपति शासन लागू करने की मांग की गई है।वकील विष्णु शंकर जैन ने जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की पीठ के समक्ष याचिका पेश की, जिसके बाद याचिका को कल सुनवाई के लिए सूचीबद्ध कर दिया गया।

सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को बंगाल में राष्ट्रपति शासन लागू करने और पैरामिलिट्री फोर्स तैनात करने की याचिका सुनवाई की। याचिकाकर्ता ने अपील की थी कि वक्फ कानून के विरोध में हुई मुर्शिदाबाद हिंसा के बाद कोर्ट इस पर फैसला ले। इस पर जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस एजी मसीह की बेंच ने कोई आदेश नहीं दिया। बेंच ने याचिकाकर्ता से पूछा, क्या आप चाहते हैं कि हम राष्ट्रपति को इसे लागू करने का आदेश भेजें? हम पर दूसरों के अधिकार क्षेत्र में दखलंदाजी के आरोप लग रहे हैं।

उपराष्ट्रपति धनखड़ ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर उठाया सवाल

बता दें कि हाल ही भाजपा सांसद निशिकांत दुबे ने सुप्रीम कोर्ट पर कार्यपालिका के काम में दखल देने का आरोप लगाया है। जिस पर खासा विवाद हो रहा है। साथ ही उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने भी सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले पर सवाल उठाए थे और सुप्रीम कोर्ट पर सुपर संसद के रूप में काम करने का आरोप लगाया था।

उपराष्ट्रपति धनखड़ ने सुप्रीम कोर्ट के उस ऐतिहासिक फैसले पर सवाल उठाए थे, जिसमें शीर्ष अदालत ने राष्ट्रपति और राज्यपालों को निर्देश दिया था कि अगर कोई विधेयक संसद या विधानसभा की तरफ से दोबारा पारित किया गया हो, तो तीन महीने के भीतर उसे मंजूरी दी जाए।

उपराष्ट्रपति धनखड़ ने कहा, हम ऐसी स्थिति नहीं ला सकते, जहां राष्ट्रपति को निर्देश दिया जाए। उन्होंने गहरी चिंता व्यक्त करते हुए कहा, मैंने कभी नहीं सोचा था कि राष्ट्रपति को कोर्ट द्वारा निर्देशित किया जाएगा। राष्ट्रपति भारत की सेना की सर्वोच्च कमांडर हैं और केवल वही संविधान की रक्षा, संरक्षण और सुरक्षा की शपथ लेते हैं। फिर उन्हें एक निश्चित समय में निर्णय लेने का आदेश कैसे दिया जा सकता है।

बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे ने लगाए गंभीर आरोप

वहीं इसके कुछ ही दिनों बाद बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे ने न्यायपालिका पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि सुप्रीम कोर्ट देश में धार्मिक युद्ध भड़काने के लिए जिम्मेदार है। निशिकांत दुबे ने इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट पर निशाना साधते हुए कहा था, अगर शीर्ष अदालत को कानून बनाना है तो संसद और राज्य विधानसभाओं को बंद कर देना चाहिए।

पोप फ्रांसिस का निधन, 88 साल की उम्र में ली आखिरी सांस

#pope_francis_died_age_of_88

पोप फ्रांसिस का सोमवार को निधन हो गया है। पोप फ्रांसिस का वेटिकन सिटी में निधन हुआ। वेटिकन के कैमर्लेंगो कार्डिनल केविन फेरेल ने बताया है कि पोप फ्रांसिस ने रोम के समय के हिसाब से सोमवार सुबह 7:35 बजे अंतिम सांस ली। वह 88 वर्ष के थे और लंबे समय से बीमार चल रहे थे।निमोनिया की शिकायत पर फ्रांसिस पिछले दिनों अस्पताल में भर्ती हुए थे।

पोप फ्रांसिस ईस्टर रविवार के अवसर पर सेंट पीटर्स स्क्वायर में हजारों लोगों की भीड़ के सामने कुछ समय के लिए आए थे और सार्वजनिक कार्यक्रम में शामिल हुए थे। पोप फ्रांसिस ने लोगों को ईस्टर की शुभकामनाएं भी दी थीं। हालांकि पोप फ्रांसिस ने पियाजा में ईस्टर की प्रार्थना में हिस्सा नहीं लेकर इसे सेंट पीटर्स बेसिलिका के सेवानिवृत्त कार्डिनल एंजेलो कोमास्ट्री को सौंप दिया।

पोप फ्रांसिस ब्रोंकाइटिस से पीड़ित थे और उन्हें शुक्रवार, 14 फरवरी को अस्पताल में भर्ती कराया गया था। लेकिन उनकी हालत बिगड़ती गई, क्योंकि डॉक्टरों को ‘जटिल नैदानिक स्थिति” के कारण पोप के श्वसन पथ के संक्रमण के इलाज में बदलाव करना पड़ा और फिर एक्स-रे कराने पर पुष्टि हुई कि वह डबल निमोनिया से पीड़ित थे।उनको लंबे समय से ऑक्सीजन सपोर्ट दिया जा रहा था। उनको लगातार खून चढ़ाया जा रहा था।

लगभग एक महीने तक अस्पताल में इलाज कराने के बाद पोप 24 मार्च को अपने निवास स्थान कासा सांता मार्टा लौटे थे। अस्पताल से लौटने पर उन्होंने बड़ी संख्या में अस्पताल के बाहर जमा हुए लोगों को आशीर्वाद दिया था। सार्वजनिक रूप से पोप को देखने के बाद लोग काफी खुश दिखे थे और जयकारे भी लगाए थे।

पोप फ्रांसिस का जन्म 17 दिसंबर 1936 को अर्जेंटीना के ब्यूनस आयर्स में हुआ था। उनका असली नाम जॉर्ज मारियो बर्गोग्लियो था। उन्होंने 13 मार्च 2013 को पोप का पद संभाला था, जो रोमन कैथोलिक चर्च का सर्वोच्च धर्म गुरु का पद है। रोम के बिशप और वैटिकन के राज्याध्यक्ष को पोप कहा जाता है। पोप फ्रांसिस लैटिन अमेरिका से आने वाले पहले पोप थे। पोप फ्रांसिस ने अपने कार्यकाल में चर्च में सुधारों को बढ़ावा दिया। उनको अपने मानवीय क्षेत्र में किए कामों के लिए भी जाना गया।

पाकिस्तान की एक और “नापाक” हरकत, कुलभूषण जाधव से अपील करने का अधिकार छीना

#pakistan_denied_kulbhushan_jadhav_right_to_appeal 

पाकिस्तान ने एक बार फिर अपनी नापाक हरकत दिखाई है। पाकिस्तान ने भारतीय नागरिक कुलभूषण जाधव को अपील का अधिकार देने से मना कर दिया है। पाकिस्तान के रक्षा मंत्रालय ने वहां के सुप्रीम कोर्ट को बताया है कि कुलभूषण जाधव को अंतरराष्ट्रीय न्याय न्यायालय से सिर्फ काउंसुलर एक्सेस देने का आदेश दिया गया था और कुलभूषण जाधव के पास अपील करने का अधिकार नहीं है। बता दें कि पाकिस्तान कुलभूषण जाधव पर भारतीय जासूस होने का आरोप लगाता रहा है।

पाकिस्तान के रक्षा मंत्रालय के वकील ख्वाजा हारिस अहमद ने बुधवार को पाकिस्तानी सुप्रीम कोर्ट में एक संवैधानिक पीठ के सामने कुलभूषण जाधव के मामले का जिक्र किया है। कुलभूषण जाधव का जिक्र उस वक्त किया गया है, जब मई 2023 में पूर्व प्रधान मंत्री इमरान खान की गिरफ्तारी पर बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन मामले की सुनवाई चल रही थी। इस दौरान इमरान समर्थकों को सैन्य अदालत की तरफ से सजा सुनाया गया है और उन लोगों ने सैन्य अदालत के फैसले को चुनौती दी है। जिसको लेकर शहबाज सरकार ने दलील दी है कि सैन्य अदालत से सजा मिलने के बाद उसे ऊपरी अदालतों में चुनौती नहीं दी जा सकती है।

कुलभूषण जाधव एक सेवानिवृत्त नौसेना अधिकारी हैं, जो सेवानिवृत्ति के बाद ईरान के चाबहार में व्यवसाय कर रहे थे। साल 2016 में पाकिस्तान ने कथित तौर पर कुलभूषण जाधव का अपहरण कर लिया और उन पर भारत का जासूस होने का आरोप लगाकर जेल में बंद कर दिया। एक साल बाद यानी 2017 में पाकिस्तान की सैन्य अदालत ने जासूसी के आरोप में कुलभूषण जाधव को मौत की सजा सुना दी। भारत ने इस फैसले का कड़ा विरोध किया और इसके खिलाफ अंतरराष्ट्रीय न्याय न्यायालय में अपील की। अंतरराष्ट्रीय न्याय न्यायालय ने भारत के पक्ष में फैसला सुनाते हुए कुलभूषण जाधव की मौत की सजा पर रोक लगा दी और पाकिस्तान को सुनवाई की समीक्षा करने और भारतीय नागरिक को काउंसुलर एक्सेस देने का आदेश दिया। 

पाकिस्तान का दावा है कि जाधव को 2016 में जासूसी और आतंकवाद के आरोप में बलूचिस्तान से गिरफ्तार किया गया था। भारत ने पाकिस्तान के आरोपों को खारिज कर दिया है। भारत का कहना है कि कुलभूषण जाधव चाबहार पोर्ट पर काम कर रहे थे, जब आतंकवादियों ने उन्हें पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई के इशारे पर अगवा कर लिया।

क्या फिर साथ आ रहा पवार परिवार? 15 दिन के भीतर शरद-अजित ने तीसरी बार किया मंच साझा

#sharad_pawar_and_ajit_pawar_will_join_hands

महाराष्ट्र में उद्धव ठाकरे और राज ठाकरे के साथ आने की अटकलों के बीच अब शरद पवार-अजित पवार के भी एकसाथ होने की चर्चा जोर पकड़ रही है। बीते दिनों में दोनों नेता कई बार एक मंच पर देखे जा चुके हैं। ताजा मामला सोमवार का है, जब राष्ट्रवादी कांग्रेस (एसपी) प्रमुख शरद पवार और उनके भतीजे, महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री अजित पवार ने एक पखवाड़े में तीसरी बार मंच साझा किया। इस बार कृषि और चीनी उद्योग में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) के उपयोग पर चर्चा के दौरान दोनों एक ही मंच पर दिखे।

पुणे के शुगर कॉम्प्लेक्स में एआई से संबंधित बैठक के बाद, वसंतदादा शुगर इंस्टीट्यूट के कामकाज के संबंध में बैठक हो रही है। इस बैठक में शरद पवार, अजित पवार और वीएसआई के पदाधिकारी मौजूद हैं। जब अजित पवार से दोनों के बीच जारी एकता के बारे में पूछा गया तो उन्होंने व्यंग्यात्मक टिप्पणी करते हुए कहा कि हमारे कार्यकर्ता होशियार हैं। इस तरह एक बार फिर अप्रत्यक्ष रूप से दोनों पवारों के एक साथ आने की खबर की ओर इशारा किया।

अजित पवार ने हाल ही में सतारा स्थित रयत शिक्षण संस्था में उनकी संयुक्त उपस्थिति पर भी टिप्पणी की, जहां उनके चाचा अध्यक्ष हैं और वे स्वयं ट्रस्टी हैं। उन्होंने कहा, जब मैं रयात शिक्षण संस्था की बैठकों में जाता हूं, तो मैं एक ट्रस्टी के रूप में जाता हूं, न कि उपमुख्यमंत्री के रूप में। उस बैठक में छात्रों को लाभ पहुंचाने के लिए शिक्षा में एआई के उपयोग पर ध्यान केंद्रित किया गया था। आज की बैठक कृषि में एआई के बारे में थी। सरकार में काम करते समय, हमें हमेशा किसानों की आय बढ़ाने और उनकी इनपुट लागत कम करने पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए। उपमुख्यमंत्री ने कहा कि कुछ विषय राजनीति से परे होते हैं।

अजित पवार लंबे समय तक शरद पवार के साथ मिलकर राजनीति करते रहे। लेकिन करीब 2 साल पहले जुलाई 2023 में उन्होंने चाचा के खिलाफ बगावत कर दिया और एनसीपी के एक धड़े के साथ राज्य में बने महायुति गठबंधन में शामिल हो गए। बाद में अजित पवार की अगुवाई वाले एनसीपी को मुख्य पार्टी घोषित कर दिया गया। यह पार्टी अभी राज्य में महायुति गठबंधन का हिस्सा है।

हमारी मंजूरी जरूरी नहीं...', निशिकांत दुबे के खिलाफ अवमानना याचिका दायर करने की मांग पर सुप्रीम कोर्ट की बड़ी टिप्पणी

#nishikantdubeycasesupremecourt

सुप्रीम कोर्ट और सीजेआई के खिलाफ टिप्पणी करने वाले भाजपा सांसद निशिकांत दुबे की मुश्किलें लगातार बढ़ती जा रही है। अब दुबे के खिलाफ अवमानना याचिका दायर करने की मांग की गई है, जिसपर सुप्रीम कोर्ट का बड़ा बयान आया है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आप इसे दायर करें, याचिका दायर करने के लिए आपको हमारी मंजूरी की जरूरत नहीं है। सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता से कहा कि इसके लिए हमसे नहीं बल्कि अटॉर्नी जनरल से मांग कीजिए।

अवमानना की कार्यवाही शुरू करने की मांग

यह याचिका सुप्रीम कोर्ट के वकील अनस तनवीर ने दायर की है। अनस तनवीर भी वक्फ कानून के खिलाफ दायर याचिकाओं में से एक का पक्ष सुप्रीम कोर्ट में रख रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी के बाद अनस तनवीर ने अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमाणी को पत्र लिखकर उनकी मंजूरी मांगी है। पत्र में कहा गया है कि दुबे ने सर्वोच्च अदालत की गरिमा को कम किया है। आवेदन में कहा गया है कि दुबे ने सुप्रीम कोर्ट पर तीखा हमला करते हुए कहा था कि अगर कानून सुप्रीम कोर्ट को ही बनाना है, तो संसद और राज्य विधानसभाओं को बंद कर देना चाहिए। उन्होंने भारत के मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना पर भी निशाना साधा और उन्हें देश में गृह युद्ध के लिए जिम्मेदार ठहराया

बीजेपी नेता का बयान 'खतरनाक रूप से भड़काऊ'

अधिवक्ता अनस तनवीर ने अटॉर्नी जनरल को लिखे पत्र में कहा है कि निशिकांत दुबे ने सार्वजनिक रूप से जो बयान दिए हैं, वे अत्यंत आपत्तिजनक, भ्रामक और माननीय सुप्रीम कोर्ट की गरिमा एवं अधिकार को कम करने की नीयत से दिए गए हैं। सुप्रीम कोर्ट के एडवोकेट ऑन रिकॉर्ड के भेजे गए पत्र के अनुसार, दुबे ने सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस के खिलाफ जो आपत्तिजनक टिप्पणियां की है वह कंटेप्ट वाली हैं और बेहद अपत्तिजनक है। पत्र में कहा कि दुबे की टिप्पणी 'गंभीर रूप से अपमानजनक' और 'खतरनाक रूप से भड़काऊ' हैं।

बीजेपी ने खुद को दुबे के बयान से अलग किया

निशिकांत दुबे की यह टिप्पणी वक्फ संशोधन कानून को लेकर आई। वक्फ संशोधन कानून के मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट सुनवाई कर रहा है। सुप्रीम कोर्ट ने वक्फ कानून के कुछ प्रावधानों को लेकर सवाल उठाए हैं, जिसके बाद केंद्र सरकार ने अगली सुनवाई तक कानून के कुछ प्रावधानों को लागू करने पर रोक लगा दी है। भाजपा ने भी शनिवार को खुद को निशिकांत दुबे के बयान से अलग कर लिया और दुबे के बयान को उनके निजी विचार बताया। भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा ने पार्टी नेताओं से अपील की है कि वे ऐसी टिप्पणियां न करें।

बीसीसीआई ने किया सेंट्रल कॉन्ट्रेक्ट का ऐलान, 5 भारतीय खिलाड़ियों को मिली जगह

#bcciannounces202425annualcontractlist

बीसीसीआई ने साल 2024-2025 के लिए खिलाड़ियों के सेंट्रल कॉन्ट्रेक्ट की सूची का एलान कर दिया है। इस लिस्ट में कुल 34 खिलाड़ी हैं। 34 नामों को चार ग्रेड में बांटा गया है। हमेशा की तरह खिलाड़ियों को A+, A, B और C कैटेगरी में बांटा गया है। इनकी सैलरी एक करोड़ से 7 करोड़ तक है। 34 खिलाड़ियों में 5 ऐसे नाम शामिल हैं जिन्हें बीसीसीआई ने पहली बार सेंट्रल कॉन्ट्रैक्ट में जगह दी है। बड़ी बात ये है कि ईशान किशन और श्रेयस अय्यर की कॉन्ट्रेक्ट में फिर से वापसी हुई है।

किस ग्रेड को कितना पैसा?

बीसीसीआई सेंट्रल कॉन्ट्रेक्ट में 34 खिलाड़ियों को 4 ग्रेड में बांटा गया है। हर खिलाड़ी को उसके ग्रेड के मुताबिक सालाना रकम दी जाएगी। सबसे ज्यादा 7 करोड़ रुपये A+ ग्रेड के खिलाड़ियों को मिलते हैं। वहीं A ग्रेड में 5 करोड़ रुपये मिलते हैं। जबकि B ग्रेड के खिलाड़ियों को 3 करोड़ रुपये। वहीं C ग्रेड में शामिल खिलाड़ियों को सालाना 1-1 करोड़ रुपये मिलते हैं। बीसीसीआई के केंद्रीय अनुबंध की सूची में उन्हीं खिलाड़ियों को जगह मिलती है जो एक साल के अंदर कम से कम तीन टेस्ट, आठ वनडे या 10 टी20 मैच जरूर खेले हों।

ऋषभ पंत ग्रेड- B से ग्रेड- A में प्रमोट

A+ ग्रेड में 4 खिलाड़ियों को जगह दी है। उसने रोहित शर्मा, विराट कोहली, जसप्रीत बुमराह और रवींद्र जडेजा को इस ग्रेड में रखा है। वहीं A ग्रेड में 6 खिलाड़ी शामिल किए गए हैं, जिसमें मोहम्मद सिराज, केएल राहुल, शुभमन गिल, हार्दिक पंड्या, मोहम्मद शमी और ऋषभ पंत हैं। विकेटकीपर बल्लेबाज ऋषभ पंत को इस कॉन्ट्रेक्ट में फायदा हुआ है। वह ग्रेड- B से ग्रेड- A में प्रमोट किए गए हैं।

ईशान और श्रेयस की वापसी

वहीं, पांच खिलाड़ी B ग्रेड और 19 खिलाड़ी C ग्रेड में हैं। नीतीश रेड्डी, हर्षित राणा, अभिषेक शर्मा और वरुण चक्रवर्ती को पहली बार बीसीसीआई के केंद्रीय अनुबंध में जगह मिली है। इन सभी को ग्रेड- C में रखा गया है। इस केंद्रीय अनुबंध की सबसे बड़ी खबर ईशान किशन और श्रेयस अय्यर की इस सूची मे वापसी है। ईशान और श्रेयस को बीसीसीआई से अनबन के बाद 2023-24 के केंद्रीय अनुबंध की सूची से बाहर होना पड़ा था। बीसीसीआई के कहने के बावजूद ईशान और श्रेयस ने घरेलू टूर्नामेंट में हिस्सा नहीं लिया था। हालांकि, अब इन दोनों की वापसी हो गई है। ईशान को ग्रेड- C और श्रेयस को ग्रेड- B में रखा गया है।

विदेशी जमीन से फिर राहुल ने देश के आतंरिक मुद्दों पर उठाए सवाल, बोले- चुनाव आयोग ने किया समझौता

#rahulsaidinamericaelection_commission

लोकसभा में विपक्ष के नेता और कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने एक बार फिर चुनावी प्रक्रिया पर सवाल खड़े किए हैं। हालांकि, इस बार उन्होंने भारत से नहीं बल्कि अमेरिका की धरती से कहा कि यह बिल्कुल स्पष्ट है कि चुनाव आयोग ने समझौता कर लिया है और सिस्टम में कुछ गड़बड़ है।

निर्वाचन आयोग को कटघरे में खड़ा किया

राहुल 2 दिन के अमेरिका दौरे पर हैं। राहुल गांधी शनिवार देर रात को अमेरिका के बॉस्टन एयरपोर्ट पर उतरे थे। माना जा रहा था कि राहुल एक बार फिर विदेशी जमीन से देश की मोदी सरकार और देश के आतंरिक मुद्दों पर बोलेंगे, वैसा ही हुआ। उन्होंने बोस्टन में ब्राउन यूनिवर्सिटी के छात्रों के साथ एक सत्र में हिस्सा लिया। यहां उन्होंने पिछले साल हुए महाराष्ट्र चुनाव का मुद्दा उठाया। उन्होंने देश की चुनाव प्रणाली और निर्वाचन का आयोग की मंशा को कटघरे में खड़ा किया।

महाराष्ट्र में वयस्कों की संख्या से ज्यादा मतदान-राहुल

राहुल गांधी ने ब्राउन यूनिवर्सिटी में संबोधन के दौरान राहुल ने कहा कि मैंने यह कई बार कहा है। महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में महाराष्ट्र में वयस्कों की संख्या से ज्यादा लोगों ने मतदान किया। राहुल गांधी ने आगे कहा कि चुनाव आयोग ने हमें शाम 5:30 बजे तक के मतदान के आंकड़े दिए और शाम 5:30 बजे से 7:30 बजे के बीच 65 लाख मतदाताओं ने मतदान कर दिया। ऐसा होना शारीरिक रूप से असंभव है। एक मतदाता को मतदान करने में लगभग 3 मिनट लगते हैं और अगर आप गणित लगाएं तो इसका मतलब है कि सुबह 2 बजे तक मतदाताओं की लाइनें लगी रहीं, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। जब हमने उनसे वीडियोग्राफी देने के लिए कहा तो उन्होंने न केवल मना कर दिया, बल्कि उन्होंने कानून भी बदल दिया ताकि हम वीडियोग्राफी के लिए न कह सकें।

महीने में पांच साल से ज्यादा वोटर्स जोड़े गए-राहुल

राहुल ने आरोप लगाया था कि लोकसभा चुनाव के लिए पांच साल में महाराष्ट्र में 32 लाख वोटर्स जोड़े गए, जबकि इसके पांच महीने बाद विधानसभा चुनाव के लिए 39 लाख वोटर्स को जोड़ा गया। उन्होंने चुनाव आयोग से पूछा कि पांच महीने में पांच साल से ज्यादा वोटर्स कैसे जोड़े गए? विधानसभा चुनाव में राज्य की कुल वयस्क आबादी से ज्यादा रजिस्टर्ड वोटर्स कैसे थे? राहुल ने कहा कि इसका एक उदाहरण कामठी विधानसभा है, जहां भाजपा की जीत का अंतर लगभग उतना ही है जितने नए वोटर्स जोड़े गए।

पहले भी उठा चुके हैं सवाल

यह पहली बार नहीं है, जब राहुल गांधी ने चुनाव प्रक्रिया को लेकर सवाल खड़े किए हैं। पिछले महीने 10 मार्च को राहुल ने सदन में मतदाता सूची का मुद्दा उठाया था। उन्होंने कहा था कि कई राज्यों में वोटर लिस्ट पर सवाल उठे हैं, इसलिए संसद में चर्चा होनी चाहिए। उन्होंने कहा था कि सरकार वोटर लिस्ट नहीं बनाती है, यह तो सबको पता है, लेकिन सवाल उठ रहे हैं तो अच्छा होगा कि संसद में इस विषय पर चर्चा हो।