धनबाद के आईआईटी आईएसएम में टेक्नोलॉजी ट्रांसलेशन रिसर्च पार्क की मंजूरी, माइनिंग क्षेत्र में नए अवसरों का मार्ग प्रशस्त
धनबाद : आईआईटी आईएसएम धनबाद में टेक्नोलॉजी ट्रांसलेशन रिसर्च पार्क की मंजूरी मिली है. जानकारों के अनुसार इससे माइनिंग क्षेत्र में क्रांति आएगी। आईएसएम को केंद्रीय विज्ञान व प्रद्योगिकी मंत्रालय भारत सरकार ने मंजूरी दे दी है. वहीं आईआईटी कानपुर में साइबर सुरक्षा, आईआईएससी में रोबोटिक्स और ऑटोनोमस नेविगेशन, आईआईटी इंदौर में हेल्थकेयर साथ ही आईएसएम धनबाद माइनिंग शामिल है।
टेक्नोलॉजी ट्रांसलेशन माइनिंग सेक्टर के लिए टेक्नोलॉजी के आविष्कार के साथ उसके कॉमर्शियल पर भी काम करेगा. टेक्नोलॉजी ट्रांसलेशन रिसर्च पार्क बनने के बाद भारत किस तरह से विकास की ओर अग्रसर होगा इस संबंध में आईआईटी आईएसएम के डिप्टी डायरेक्टर प्रो. धीरज कुमार ने जानकारी दी.आईएसएम के डिप्टी डायरेक्टर ने दी जानकारी। आईआईटी आईएसएम के डिप्टी डायरेक्टर प्रो. धीरज कुमार ने कहा कि गवर्नमेंट ऑफ इंडिया में मिनिस्ट्री ऑफ साइंस एंड टेक्नोलोजी एक विंग है. चार साल पहले देश के 50 शीर्ष तकनीकी संस्थानों को टेक्नोलॉजी इनोवेशन हब के निर्माण के लिए शामिल किया गया था.
भारत सरकार के अलग-अलग मंत्रालय इसमें शामिल थे. इसके तहत आईओटी, एल/एमएल, ब्लॉकचेन को प्रमोट करना था. जिसमें आईआईटी आईएसएम ने भी अप्लाई किया था. जिसमें 25 हब देश के शीर्ष टेक्नोलॉजी संस्थान में स्थापना की गई. इसमें आईआईटी आईएसएम को भी एक हब मिला. उस हब का नाम दिया गया टेक्नोलॉजी इनोवेशन हब इन माइनिंग.यह जानकारी आईआईटी आईएसएम के डिप्टी डायरेक्टर प्रो. धीरज कुमार और टेक्समिन के सीइओ सूरज प्रकाश ने दी है।
टेक्समिन बनी लेवल ए की कंपनी
प्रो. धीरज कुमार ने कहा कि पूर्व से ही माइनिंग में हम अच्छा काम करते आ रहे हैं. हमारा परफार्मेंस पहले से ही अच्छा था. उसके बाद हमने इसे सिक्स मेड कंपनी में कनवर्ट किया. जिसका नाम दिया गया टेक्समिन. हमें स्टार्टअप और इनोवेशन के लिए टारगेट भी दिए गए हैं. हमने सभी पैरामीटर पर बहुत अच्छा कार्य किया. एक रिव्यू कमेटी का भी दौरा हुआ. सरकार का आदेश है कि ग्रेटर फंडिंग के तहत कुछ हब को और भी डेवलप करना है. इस हब को कॉमर्शियल और टेक्नोलॉजी के मामले में अधिक मजबूत बनाने के लिए इसे बढ़ाने की जरूरत है. जिसमें 12 हब को शामिल किया गया. जिसमें आईएसएम ने माइनिंग को लीड करने के लिए रिप्रेजेंट किया. जिसमें से 4 को प्रमोट करने का फैसला लिया है. टेक्नोलॉजी ट्रांसलेशनल रिसर्च पार्क के लिए आईएसएम को मंजूरी मिली है. इसके साथ ही हमारी टेक्समिन लेवल ए की कंपनी बन गई है. देश के शीर्ष आईआईटी में माइनिंग में हम टॉप में आए हैं.
टेक्नोलॉजी को बनाया जाएगा कॉमर्शियल
प्रो. धीरज कुमार ने बताया कि अभी तक हम टेक्समिन के तहत स्टार्टअप इनोवेशन इको सिस्टम को लीड कर रहे थे. अब हमें इसके द्वारा टेक्नोलॉजी को ट्रांसलेट कराना है. मतलब टेक्नोलॉजी को कॉमर्शियल बनाना है. टेक्नोलॉजी को पड़े पैमाने पर ले जाना है. स्टार्टअप को एक बड़ी कंपनी बनाना है. माइनिंग के लिए हमें टेक्नोलॉजी के लिए दूसरे देशों पर निर्भर रहना पड़ता है. हम दूसरे देशों से इंपोर्ट करते हैं. इस इंपोर्ट को हमें कम करना है. सेफ माइनिंग के साथ ही क्रिटिकल मिनरल पर भी काम करना है. भारत सरकार का क्रिटिकल मिनरल में 25 हजार करोड़ निवेश करने का प्लान है. इसमें भी यह मील का पत्थर साबित होगा. कोल इंडिया, डीजीएमएस और कई कंपनियां हमारे साथ पहले से ही है. विदेशी कंपनियों को भी हम साथ में ले रहे हैं. उन्होंने कहा कि आज हम आत्मनिर्भर भारत की बात कर रहे हैं. जब हम विकसित भारत बनेंगे, तो हमें एनर्जी की ज्यादा जरूरत पड़ेगी. देश में कोयला का भंडार है. अभी हाल में ही 1 बिलियन टन कोयला उत्पादन का लक्ष्य प्राप्त किया है. लेकिन इसके बावजूद कोयले का इंपोर्ट नहीं घट पा रहा है. हमारे पास टेक्नोलॉजी की कमी है या पर्याप्त नहीं है.
सेफ और सस्टेनेबल माइनिंग पर फोकस
उन्होंने कहा कि वर्तमान में जो टेक्नोलॉजी हम लगा रहे हैं, वह काफी नहीं है. माइनिंग में अभी भी हादसे हो रहे हैं. जिसमें लोग अपनी जान तक गंवा रहे हैं. सेफ और सस्टेनेबल माइनिंग की जरूरत है. क्रिटिकल मिनरल के लिए पूरी दुनिया में लड़ाई चल रही है. क्रिटिकल मिनरल काफी महत्वपूर्ण है. क्रिटिकल मिनरल को एक्सप्लोर करने के लिए हमें एक बेहतर टेक्नोलॉजी की जरूरत है. मेटल की रिसाइक्लिंग भी जरूरी है. जैसे मेटल से रिसाइक्लिंग कर मेटल निकालना. इस प्रोसेस के लिए भी बात चल रही है. इसके लिए हम आगे बढ़कर काम कर सकेंगे. यह हमारे देश के लिए वरदान साबित होगा.
माइनिंग का मैन्यूफैक्चरिंग हब बनेगा भारत
प्रो धीरज कुमार ने कहा कि अभी तक माइनिंग में स्टार्टअप का झुकाव नहीं है. माइनिंग का मैन्यूफैक्चरिंग हब भारत में नहीं है. हमें माइनिंग की मैन्यूफैक्चरिंग हब सेटअप करने की जरूरत है. जब हमारे देश में माइनिंग हब सेटअप होगा विदेशी कंपनियां हमारे देश आएंगी. विदेशी कंपनियां हमारे यहां इनवेस्टमेंट करेगी. ब्राजील की एक कंपनी के साथ आईएसएम ने एक एग्रीमेंट साइन भी किया है. चिले में भी क्रिटिकल मिनरल का भंडार है. लिथियम, रेनियम, मोलिब्डेनम जैसे कई क्रिटिकल मिनरल के भंडार चिले में हैं. चिले को हम क्रिटिकल मिनरल की माइनिंग के लिए सर्विस प्रोवाइड कर सकते हैं. उन्होंने कहा कि चिले के प्रेसिडेंट भी आईएसएम आए थे. चिले में जाकर उन्हें हम अपनी सर्विस प्रोवाइड कर सकते हैं. उन्होंने कहा कि हमारे देश का फोकस ही हो गया है कि इस तरह की एक्टिविटी में बढ़-चढ़कर हिस्सा लें. हम दूसरे देशों के जाकर वहां के क्रिटिकल मिनरल को माइनिंग करने में मदद करें. हमारा देश ‘वसुधैव कुटुंबकम’में विश्वास करता है. हम दूसरे देशों की भी मदद करना चाहते हैं. दूसरे देशों की जरूरतों को पूरा करने में हम मदद करेंगे. साथ ही हम देश की जरूरतों को पूरा करेंगे.
क्रिटिकल मिनरल की माइनिंग डील की शुरुआत
प्रो, धीरज ने कहा कि पूरा विश्व चाइना प्लस की बात कर रहा है. चाइना के पास क्रिटिकल मिनरल का भंडार नहीं है, लेकिन क्रिटिकल मिनरल की एक्सपोर्ट और इंपोर्ट की इको सिस्टम है. चाइना सिर्फ क्रिटिकल मिनरल का एक्सपोर्टर है. आखिर वह कहां से चाइना एक्सपोर्ट कर रहा. जबकि उसके पास भंडार नहीं है. इसका मतलब है कि दूसरे देश साउथ एशिया, साउथ अफ्रीकन जैसे देश चाइना जा रहे हैं और वहां से क्रिटिकल मिनरल की माइनिंग डील कर रहे हैं. ऐसे में भारत क्यों नहीं कर सकता है. हमने भी इसकी शुरुआत की है. लेकिन इसकी शुरुआत करने के पहले हमारे पास कई चुनौतियां हैं. जैसे टेक्नोलॉजी, टेक्निशीयन, मैनपावर और इनोवेशन की जरूरत है. यह सब आखिर कौन प्रोवाइड करेगा. इन्हीं सब चीजों को देखते हुए टैक्सीमन की स्थापना की गई है. अब टेक्समीन एक छलांग लगा चुका है. हम ए ग्रेड की कंपनी बन चुके हैं.
क्या है टेक्समिन
टेक्समिन का अर्थ है खनिज अन्वेषण और खनन में प्रौद्योगिकी नवाचार) आईएसएम में इसकी स्थापना इनोवेशन हब के रूप में की गई है. खनन उद्योग में नवीनतम तकनीकों को अपनाने और बढ़ावा देना ही इसका मकसद है. प्रो. धीरज कुमार ने बताया कि सिक्स मेड कंपनी है. वह शेयर होल्डर इंडस्ट्री पार्टनर हैं. टेक्समीन को आईआईटी आईएसएम लीड कर रही है. सीईओ ने दी जानकारी। वहीं टेक्समिन के सीइओ सूरज प्रकाश ने बताया कि यहां हम माइनिंग एंड एक्सप्लोरेशन रिलेटेड बात करते हैं. कोई भी रिसर्चर, स्टार्टअप मेक इन इंडिया के तहत टेक्नोलॉजी डेवलप कर अपनी पहचान बना सकते हैं. फंडिंग, नॉन फंडिंग हर तरह की स्कीम हमलोग टेक्समीन में बनाते हैं. माइनिंग क्षेत्र में किसी भी तरह की कठिनाई आने पर हमसे सीधे जुड़ सकते हैं. हर तरह की सहायता उन्हें टेक्समीन के माध्यम से मिल सकेगी. टेक्समीन माइनिंग टेक्नोलॉजी का एक इनोवेशन हब है.
Apr 17 2025, 19:10