केंद्र से तनाव के बीच स्टालिन की संबंध बढ़ाने की कोशिश! राज्य की स्वायत्तता के लिए बनाई हाई-लेवल कमेटी


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केंद्र सरकार के साथ बढ़ते तनाव के बीच तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने बड़ा कदम उठाया है। उन्होंने राज्य की स्वायत्तता के लिए एक उच्च-स्तरीय समिति बनाई है। इसको लेकर तमिलनाडु विधानसभा में मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने राज्य को स्वायत्त बनाने का प्रस्ताव पेश किया है। मुख्यमंत्री स्टालिन का कहना है कि केंद्र सरकार लगातार राज्यों के अधिकारों में दखल दे रही है। इसलिए, राज्य की स्वायत्तता को बचाने के लिए यह कदम उठाया गया है। 

तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन मंगलवार को विधानसभा में राज्य की स्वायत्तता के लिए एक उच्च स्तरीय समिति नियुक्त करने का प्रस्ताव पेश किया। स्टालिन के प्रस्ताव पर तीन सदस्यीय समिति गठित की गई है। इस पैनल की अगुवाई सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज जस्टिस कुरियन जोसेफ करेंगे। यह पैनल केंद्र और राज्य सरकारों के बीच संबंधों का गहराई से अध्ययन करेगा।

अपने अधिकारों को और मजबूत करना चाहती है स्टालिन सरकार

मुख्यमंत्री स्टालिन ने विधानसभा में नियम 110 के तहत घोषणा कर कहा कि यह कदम राज्य के अधिकारों की रक्षा और केंद्र के साथ राज्य सरकारों के बीच संबंधों को बढ़ाने के लिए उठाया गया है।

उन्होंने बताया कि समिति में पूर्व नौकरशाह अशोक शेट्टी और एमयू नागराजन भी शामिल होंगे। स्टालिन ने राज्य विधानसभा को बताया कि पैनल जनवरी 2026 में एक अंतरिम रिपोर्ट देगा। इसके बाद, दो साल के भीतर अंतिम रिपोर्ट और सिफारिशें पेश की जाएंगी। इसके माध्यम से राज्य सरकार अपने अधिकारों को और मजबूत करना चाहती है।

केन्द्र पर लगाया राज्यों के अधिकार छीनने का आरोप

स्टालिन ने कहा कि देश की आजादी को 75 साल पूरे हो गए हैं। हमारे देश में अलग अलग भाषा, जाति और संस्कृति के लोग रहते हैं। एक-एक करके राज्यों के अधिकार छीने जा रहे हैं। राज्य के लोग अपने मौलिक अधिकारों के लिए केंद्र सरकार से संघर्ष कर रहे हैं। हम अपनी भाषा से जुड़े अधिकारों की भी मुश्किल से रक्षा कर पा रहे हैं। स्टालिन ने कहा कि राज्य तभी सही मायने में तरक्की कर सकते हैं, जब उनके पास सभी ज़रूरी अधिकार और शक्तियां हों।

गवर्नर पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद सरकार का बड़ा कदम

सीएम स्टालिन ने राज्य को अधिक स्वायत्तता दिए जाने की बात ऐसे समय में की है, जब राज्यपाल आरएन रवि ने राज्य विधानसभा में पारित विभिन्न विधेयकों को मंजूरी देने से मना कर दिया। इसके चलते डीएमके के नेतृत्व वाली सरकार और राज्यपाल के बीच टकराव भी हुआ। जिसके बाद मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा। 8 अप्रैल को, सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि राज्यपाल आरएन रवि का 10 बिलों पर सहमति रोकना 'गैरकानूनी' था। सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस जेबी पारदीवाला और आर महादेवन की बेंच ने कहा कि राज्यपाल संवैधानिक रूप से राज्य विधानसभा की सलाह पर काम करने के लिए बाध्य हैं।

“लातों के भूत बातों से नहीं, डंडे से ही मानेंगे” बंगाल हिंसा पर सीएम योगी का बयान


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उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बंगाल में हो रहे दंगे को लेकर बड़ा बयान दिया है। उन्होंने एक कार्यक्रम के दौरान कहा कि लातों के भूत बातों से नही मानेंगे,दंगाई डंडे से ही मानेंगे। बता दें कि पश्चिम बंगाल में वक्फ कानून को लेकर बवाल मचा हुआ है। मुर्शिदाबाद और 24 परगना जिले में वक्फ बोर्ड के नए कानून को लेकर खूब हिंसा हुई है। घटना में तीन लोगों की मौत हो गई और कई लोग घायल हो गए हैं।

वक्फ कानून को लेकर मुर्शिदाबाद में जारी हिंसा पर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने हरदोई में आयोजित एक कार्यक्रम में ममता सरकार पर निशाना साधा। बंगाल हिंसा पर भी अपनी बात रखते हुए सीएम ने कहा कि आप याद करिए 2017 के पहले के उत्तर प्रदेश को। हर दूसरे-तीसरे दिन दंगा होता था। इन दंगाईयों का उपचार ही डंडा है। बिना डंडे के ये मानेंगे ही नहीं। 

सीएम योगी ने आगे कहा, बंगाल जल रहा है। वहां की मुख्यमंत्री चुप हैं। दंगाइयों को वह शांतिदूत कहती हैं। सेक्युलरिज्म के नाम पर दंगाइयों को खुली छूट दे दी गई है। पूरा मुर्शिदाबाद एक सप्ताह से जल रहा है, सरकार मौन है। इस प्रकार की अराजकता पर लगाम लगनी चाहिए।

योगी ने कहा, पश्चिम बंगाल में हुई हिंसा पर सब चुप हैं। मुर्शिदाबाद दंगों पर कांग्रेस चुप है। समाजवादी पार्टी मौन है। वे धमकी पर धमकी दे रहे हैं। बांग्लादेश में जो कुछ हुआ, उसका समर्थन किया जा रहा है। अगर उन्हें बांग्लादेश पसंद है, तो उन्हें बांग्लादेश ही जाना चाहिए। क्यों भारत की धरती पर बोझ बने हुए हैं।

आरजेडी-कांग्रेस में सीएम कैंडिडेड पर बनेगी बात? दिल्ली में राहुल गांधी और खरगे से मिले तेजस्वी यादव


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इस साल बिहार में विधानसभा चुनाव होने हैं। इससे पहले राजनीतिक दल सियासी जमीन तैयार करने में जुटे हैं। कांग्रेस बिहार विधानसभा चुनाव राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) की अगुवाई वाले महागठबंधन के साथ लड़ने के लिए तैयार है। हालांकि, सीट शेयरिंग और सीएम चेहरे को लेकर गठबंधन के बीच कशमकश बनी हुई है। इसी बीच आरजेडी नेता तेजस्वी यादव ने मंगलवार को दिल्ली में लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी से मुलाकात की। इस मुलाकात के दौरान दोनों दलों के शीर्ष नेता मौजूद रहे। कांग्रेस की तरफ से राहुल गांधी के अलावा मल्लिकार्जुन खरगे, केसी वेणुगोपाल, बिहार कांग्रेस के प्रभारी कृष्णा अल्लावरू के अलावा अन्य नेता मौजूद रहे। वहीं आरजेडी की तरफ से तेजस्वी यादव के अलावा राज्यसभा सांसद मनोज झा, संजय यादव समेत अन्य नेता मौजूद रहे।

माना जा रहा है कि इस मुलाकात के दौरान आगामी बिहार विधानसभा चुनाव को लेकर बातचीत हुई। तेजस्वी यादव की राहुल गांधी और पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे के साथ दिल्ली में हुई मीटिंग के बाद उन से सीएम फेस को लेकर सवाल पूछा गया। जिस पर तेजस्वी यादव ने कहा, आपलोग चिंतित मत होईए. हम लोग आपस में बैठ कर यह तय कर लेंगे।

तेजस्वी यादव ने जहां इस बात की जानकारी नहीं दी कि पार्टी मीटिंग में तेजस्वी यादव का चेहरा सीएम के लिए तय किया गया या नहीं। वहीं, उन्होंने इस बात को बार-बार कहा कि हम लोगों की पूरी तैयारी है। हम सब मिलकर बिहार को आगे लेकर जाएंगे। बिहार के साथ सौतेला व्यवहार किया गया. हम लोग मुद्दों के आधार पर चुनाव लड़ना चाहते हैं।

दरअसल, बिहार में कांग्रेस और आरजेडी के नेताओं के बीच मुख्यमंत्री के चेहरे को लेकर खींचतान मची है। आरजेडी जहां लगातार तेजस्वी यादव को गठबंधन का मुख्यमंत्री प्रत्याशी बता रहा है वहीं कांग्रेस के कई नेता कह चुके हैं कि सीएम का फेस चुनाव रिजल्ट आने के बाद तय होगा।  

हाल के दिनों को देखा जाए तो कांग्रेस के नेताओं की ओर से महागठबंधन में सीएम फेस को लेकर टिप्पणी की जा रही है। चाहे बिहार कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष राजेश कुमार हों, बिहार के कांग्रेस प्रभारी कृष्णा अल्लावरु हों या फिर कन्हैया कुमार, कोई खुलकर यह नहीं कह रहा है कि तेजस्वी यादव महागठबंधन के सीएम फेस हैं। इतना ही नहीं जब हाल ही में सचिन पायलट आए तो उन्होंने भी सीधे तेजस्वी को सीएम फेस नहीं बताया। कांग्रेस के कई नेताओं ने तो प्रदेश अध्यक्ष राजेश कुमार को ही सीएम बनाने की मांग कर दी।

बता दें कि लंबे समय बाद बिहार में कांग्रेस कन्हैया कुमार और कृष्णा अल्लावरु के जरिए अपने संगठन को मजबूत करने के प्रयास में दिख रही है। कन्हैया कुमार ने जहां 27 दिनों की पलायन रोको यात्रा की है और कृष्णा भी लगातार संगठन के नेताओं से मिल रहे हैं। इसके अलावा दलित नेता राजेश राम को बिहार कांग्रेस का नया प्रदेश अध्यक्ष भी बनाया गया है।

'आप अपने से 20 गुना बड़े व्यक्ति से युद्ध शुरू नहीं कर सकते', एक बार फिर ट्रंप ने जेलेंस्की को सरेआम “धोया”


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अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप एक बार फिर यूक्रेनी राष्ट्रपति वोलोदिमिर जेलेंस्की से खासे नाराज नजर आए। ट्रंप ने ज़ेलेंस्की पर रूस के साथ युद्ध शुरू करने का आरोप लगाया। अमेरिकी राष्ट्रपति ने कहा, "आप अपने से 20 गुना बड़े किसी व्यक्ति के खिलाफ युद्ध शुरू नहीं करते और फिर उम्मीद करते हैं कि लोग आपको कुछ मिसाइलें दे देंगे। ट्रंप का ये बयान यूक्रेन के शहर सूमी में सोमवार को हुए रूसी हमले के बाद आया है। सूमी पर इस रूसी स्ट्राइक ने कम से कम 35 लोगों की जान ली है। जिसकी पूरी दुनिया में आलोचना हो रही है।

राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने व्हाइट हाउस में अल सल्वाडोर के अध्यक्ष नायब बुकेले से मुलाकात की। इस मुलाकात के बाद ट्रंप ने मीडिया से बात की और इस दौरान ही उन्होंने जेलेंस्की को लेकर ये बयान दिया और साथ ही तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन को भी युद्ध के लिए जिम्मेदार माना। डोनाल्ड ट्रंप ने रूस-यूक्रेन युद्ध को पूर्व राष्ट्रपति जो बाइडेन का युद्ध बताया है। उन्होंने यूक्रेन के राष्ट्रपति वलोडिमीर जेलेंस्की पर बाइडेन के साथ मिलकर इस त्रासदी को शुरू करने की अनुमति देने में बिल्कुल भयानक काम करने का आरोप लगाया है। 

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा, तीन लोगों की वजह से लाखों लोग मारे गए। हम पुतिन को नंबर एक कहें, लेकिन बाइडेन जिन्हें पता नहीं था कि वह क्या कर रहे हैं, नंबर दो और ज़ेलेंस्की। ट्रंप ने आगे कहा, जब आप युद्ध शुरू करते हैं, तो आपको पता होना चाहिए कि आप युद्ध जीत सकते हैं। अपने से 20 गुना बड़े किसी व्यक्ति के खिलाफ युद्ध शुरू नहीं करते और युद्ध शुरू होने पर फिर उम्मीद करते हैं कि लोग आपको मिसाइलें दे देंगे।

डोनाल्ड ट्रंप ने आगे कहा कि मेरा इस युद्ध से कोई लेना-देना नहीं था, लेकिन मैं मौत और विनाश को रोकने के लिए लगन से काम कर रहा हूं। अगर 2020 का राष्ट्रपति चुनाव धांधली वाला नहीं होता, जो वो कई तरह से धांधली वाला था, तो यह भयानक युद्ध कभी नहीं होता। लेकिन वह अतीत है। अब हमें इसे रोकना होगा और इसे जल्दी रोकना होगा। ये बहुत दुखद है।

आपको बता दें कि इससे पहले ट्रंप ने यूक्रेन के शहर सुमी में रूसी हमले को भी काम कम करने आका था। उस हमले में दो बच्चों सहित 35 लोग मारे गए थे। डोनाल्ड ट्रंप ने हमले को "गलती" बताया था। उन्होंने कहा था कि मुझे लगता है कि यह भयानक था, और मुझे बताया गया कि उन्होंने गलती की, लेकिन मुझे लगता है कि यह एक भयानक बात है। मुझे लगता है कि पूरा युद्ध एक भयानक बात है।

प्रियंका गांधी के पति रॉबर्ट वाड्रा को ईडी ने आज पूछताछ के लिए बुलाया,जमीन सौदे मामले में दूसरा बार समन


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कांग्रेस सांसद प्रियंका गांधी के पति और बिजनेसमैन रॉबर्ट वाड्रा को प्रवर्तन निदेशालय ने समन भेजा है। रॉबर्ट वाड्रा को लैंड डील मामले में पीएमएलए के तहत ईडी का समन भेजा गया है। इससे पहले 8 अप्रैल को भी बुलाया था पर वाड्रा पहुंचे नहीं थे। ईडी की तरफ से जारी नए समन में आज यानी की 15 अप्रैल को हाजिर होने के आदेश दिए गए हैं।

ईडी के दूसरे समन के बाद वाड्रा ने प्रवर्तन निदेशालय दफ्तर के लिए रवाना होने से पहले मीडिया से बातचीत की। इस दौरान सरकार पर हमला बोला है और कहा कि सरकार बदले के तहत कारवाई कर रही है। मुझे नहीं पता कि दोष क्या है। जांच एजेंसियों का गलत इस्तेमाल किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि मुझे कुछ भी छिपाने की जरुरत नहीं है। उन्होंने कहा कि 20 साल से अब तक उन्हें कुछ भी नहीं मिला है, अगर कुछ है तो सामने लाया जाए।

इससे पहले ईडी ने मंगलवार को हरियाणा के शिकोहपुर भूमि सौदे से जुड़ी मनी लॉन्ड्रिंग जांच के सिलसिले में रॉबर्ट वाड्रा को समन भेजा है। वाड्रा पहले समन पर उपस्थित नहीं हुए थे, जो 8 अप्रैल को जारी किया गया था। उन्हें पूछताछ के लिए ईडी के सामने उपस्थित होने के लिए कहा गया, क्योंकि केंद्रीय जांच एजेंसी उनकी फर्म स्काईलाइट हॉस्पिटैलिटी से संबंधित कथित वित्तीय अनियमितताओं की जांच कर रही है।

 

ईडी के अनुसार, वाड्रा की कंपनी ने फरवरी 2008 में ओंकारेश्वर प्रॉपर्टीज से गुड़गांव के शिकोहपुर में 3.5 एकड़ का प्लॉट 7.5 करोड़ रुपये में खरीदा था। वाड्रा की कंपनी ने इसके बाद, इस जमीन को रियल एस्टेट दिग्गज डीएलएफ को 58 करोड़ रुपये में बेच दिया। इससे हुई इनकम से मनी लॉन्ड्रिंग का शक है। केंद्रीय एजेंसी इस अप्रत्याशित प्रोफिट के पीछे की जांच कर रही है।

मुर्शिदाबाद हिंसा के पीछे कौन? खुफिया एजेंसियों के चौंकाने वाले खुलासे


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वक्‍फ संशोधन कानून लागू हो चुका है। वहीं, दूसरी ओर कानून का विरोध भी जारी है। पश्चिम बंगाल में वक्‍फ संशोधन कानून का सबसे ज्यादा विरोध हो रहा है। पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद जिले और अन्य जिलों में वक्फ संशोधन बिल के खिलाफ हिंसक प्रदर्शन हुए। हिंसा में तीन लोगों की मौत हुई और कई पुलिसकर्मी घायल हुए। असम और त्रिपुरा में भी उग्र प्रदर्शन की खबरें आईं, मगर इन राज्यों में हालात काबू में रहा। देश के अन्य हिस्सों में भी वक्फ बिल के विरोध में प्रदर्शन हुए, मगर बंगाल की तरह पलायन की नौबत नहीं आई।

 वक्‍फ संशोधन कानून के विरोध में पश्चिम बंगाल में जारी हिंसा को लेकर इंटेलिजेंस एजेंसियों को चौंकाने वाले इनपुट मिले हैं। खुफिया एजेंसियों का कहना है कि वक्‍फ संशोधन कानून के विरोध में फैली हिंसा का पैटर्न साल 2019 में सीएए के खिलाफ हुए हिंसक प्रदर्शनों की तरह है। भारतीय जांच एजेंसियों के सूत्रों की मानें तो इस हिंसा की प्लानिंग लंबे समय से की जा रही थी। पिछले 3 महीनों से इलाके के लोग इस घटना को अंजाम देने की योजना बना रहे थे। इसके लिए विदेशों से फंडिंग की गई थी।

बांग्लादेश के कट्टरपंथी संगठनों का हाथ

सूत्रों के अनुसार, बंगाल पुलिस को इनपुट मिले हैं कि इस हिंसक प्रदर्शन में बांग्लादेश के कट्टरपंथी संगठनों का हाथ है। सूत्रों ने कहा है कि जमात-उल-मुजाहिदीन बांग्लादेश (जेएमबी) और हरकत-उल-जिहाद-अल-इस्लामी (हूजी) जैसे समूह बांग्लादेश बॉर्डर से लगते इलाकों और सुंदरबन डेल्टा में हथियारों की आपूर्ति कर रहे हैं। ये आतंकी संगठन ट्रेनिंग देने के साथ ही प्रोपेगेंडा भी फैला रहे हैं। उन्होंने यह भी कहा कि अंतरराष्ट्रीय संगठन अशांति को बढ़ाने के लिए वैश्विक मीडिया का उपयोग कर रहे हैं और दहशत फैलाने के लिए अफ़वाह फैलाने में मदद कर रहे हैं।

विदेशों से हो रही थी फंडिंग

मुर्शिदाबाद हिंसा की प्लानिंग और पूरे खर्च का दारोमदार तुर्की के भरोसे चल रहा था, यहीं से हिंसा को लेकर पूरा फंड दिया जा रहा है। जांच एजेंसियों की मानें तो इस योजना में शामिल हर हमलावर और पत्थरबाजों को लूटपाट के लिए 500 रुपये दिए गए थे। इनकी पिछले 3 महीनों से लगातार ट्रेनिंग चल रही थी। साजिशकर्ताओं ने बंगाल को भी बांग्लादेश बनाने की योजना बनाई थी, जैसे दंगे बांग्लादेश हिंसा में देखने को मिले थे। ठीक वैसे ही यहां भी प्लान था।

सुवेंदु अधिकारी ने भी “बांग्लादेश” पर उठाई अंगुली

भाजपा विधायक व बंगाल विधानसभा (विस) में नेता प्रतिपक्ष सुवेंदु अधिकारी ने हिंसा के पीछे बांग्लादेशी संगठन 'अंसारुल्ला बांग्ला जमात' का हाथ बताते हुए आरोप लगाया कि बंगाल सरकार के मंत्री सिद्दिकुल्लाह चौधरी ने हिंसा भड़काने का काम किया। सोमवार को विस भवन के गेट पर मीडिया से बातचीत में सुवेंदु ने कहा-'बंगाल में जहां भी हिंदू अल्पसंख्यक हैं, उन्हें मतदान करने से रोका जाता है। पुलिस सत्तारूढ़ पार्टी के कैडर की तरह काम कर रही है। स्वतंत्र व निष्पक्ष मतदान के लिए अगला विस चुनाव राष्ट्रपति शासन के तहत होना चाहिए। केंद्रीय निर्वाचन आयोग को इसकी सिफारिश करने पर विचार करना चाहिए।

कुणााल घोष का विवादित बयान

इस बीच टीएमसी नेता कुणाल घोष ने विवादित बयान दिया है। उन्होंने कहा कि हमें कुछ इनपुट मिल रहे हैं कि इन घटनाओं के पीछे एक बड़ी साजिश थी, जिसमें केंद्रीय एजेंसियों के अलावा बीएसएफ और दो-तीन राजनीतिक दल भी शामिल है।

कब शुरू हुई थी मुर्शिदाबाद में हिंसा

पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद में वक्फ कानून के विरोध में 10 अप्रैल से हिंसा जारी है। मुर्शिदाबाद में पहले से ही सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) के करीब 300 जवान तैनात हैं और केंद्र ने व्यवस्था बहाल करने में मदद के लिए केंद्रीय बलों की पांच अतिरिक्त कंपनियां तैनात की हैं।

केंद्र सरकार के वक्फ (संशोधन) अधिनियम को लेकर भड़की हिंसा में प्रदर्शनकारियों ने पुलिस वाहनों को आग लगा दी, सड़कें जाम कर दीं और रेलवे संपत्ति को नुकसान पहुंचाया है।

कर्नाटक में जाति जनगणना की रिपोर्ट लीक होते ही सियासत गरमाई, जानें पूरा मामला

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कर्नाटक में जाति जनगणना को लेकर बवाल मचा हुआ है। जनगणना के आंकड़े लीक होने के बाद कई समुदाय नाराज हैं। खासकर, ताकतवर माने जाने वाले समुदायों में गुस्सा है। इस जनगणना के संभावित आंकड़ों के लीक होने के बाद प्रदेश के दो प्रभावशाली समुदायों वोक्कालिगा और लिंगायतों में खलबली मची हुई है। इस वजह से कांग्रेस में भी फूट पड़ गई है। कई नेता इस जनगणना को 'अवैज्ञानिक' बता रहे हैं। वे सरकार से इसे रद्द करने की मांग कर रहे हैं।

कर्नाटक में जातिगत सर्वे की लीक रिपोर्ट में पिछड़ी जातियों (ओबीसी) का आरक्षण 32% से बढ़ाकर 51% करने और मुस्लिम समुदाय के लिए आरक्षण 4% से बढ़ाकर 8% करने की सिफारिश की गई है। लीक हुई जातिगत सर्वे रिपोर्ट के आंकड़ों अनुसार, मुसलमानों को राज्य की सबसे बड़ी आबादी वाला समूह बताया गया है। इसमें मुसलमानों की आबादी 75.2 लाख है। यानी, राज्य की आबादी में मुसलमानों की हिस्सेदारी लगभग 12.6% है। यह आंकड़ा 2015 में हुए सर्वे का है। इसके बाद अनुसूचित जातियों (SC) और अनुसूचित जनजातियों (ST) का नंबर आता है। इसमें SC के लिए 15% और ST के लिए 7.5% आरक्षण शामिल है। वोक्कालिगा और लिंगायत जैसी पारंपरिक रूप से प्रभावशाली मानी जाने वाली जातियां जनसंख्या के लिहाज से अब पीछे दिखाई गई हैं। कैटेगरी III(A) में वोक्कालिगा और दो अन्य समुदाय शामिल हैं, जिनकी आबादी 73 लाख बताई गई है और उन्हें 7% आरक्षण दिया गया है। वहीं, कैटेगरी III(B) में लिंगायत समुदाय और पांच दूसरे समुदायों को जगह दी गई है, जिनकी जनसंख्या 81.3 लाख है और उन्हें 8% आरक्षण दिया गया है। यह वही जातियां हैं, जिनके समर्थन पर दशकों से कर्नाटक की राजनीति का संतुलन टिका रहा है। ऐसे में इन आंकड़ों ने सत्ताधारी कांग्रेस के भीतर दरार की आशंकाएं बढ़ा दी हैं।

कांग्रेस में नया कलह

लिंगायत का नेतृत्व कर रहे उद्योग और वाणिज्य मंत्री एमबी पाटिल ने लीक हुए आंकड़ों पर सवाल उठाया है। उन्होंने दावा करते हुए कि उनकी जनसंख्या अभी भी बहुत अधिक है। पाटिल ने तर्क दिया कि लिंगायतों के कई उप-जातियों ने आरक्षण के लाभ के लिए अपनी मूल जाति का उल्लेख किया है, न कि जनगणना में लिंगायत धर्म का। हालांकि वे लिंगायत धर्म का पालन करते हैं। वोक्कालिगा भी इसी तरह के दावे करते हैं उन्होंने आकड़ों को अवैज्ञानिक बताते हुए खारिज कर दिया।

डीके शिवकुमार के लिए ये रिपोर्ट क्यों सिरदर्द?

मुख्यमंत्री सिद्धारमैया और राहुल गांधी जैसे नेता इस रिपोर्ट को सामाजिक न्याय की दिशा में बड़ा कदम मान सकते हैं। लेकिन डिप्टी सीएम और कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष डीके शिवकुमार, जो स्वयं वोक्कालिगा समुदाय से आते हैं, उनके लिए यह रिपोर्ट एक सियासी सिरदर्द बन गई है। शिवकुमार जैसे नेताओं की राजनीतिक शक्ति काफी हद तक उनकी जातिगत जनसंख्या के आधार पर तय होती रही है। अगर अब यह आधार ही कमजोर पड़ता दिखे, तो उनका राजनीतिक कद भी खतरे में पड़ सकता है।

परिवार का आशीर्वाद होगा तो मैं भी...' प्रियंका के पति रॉबर्ट वाड्रा ने बताई दिल की बात

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कांग्रेस सांसद प्रियंका गांधी ने पति के राजनीति में आने को लेकर तरह-तरह की बातें चलती रहती हैं। रॉबर्ट वाड्रा खुद भी इसको लेकर कई बार अपनी राय रख चुके हैं। प्रियंका गांधी वाड्रा के पति रॉबर्ट वाड्रा भी राजनीति में आना चाहते हैं। एक बार फिर रॉबर्ट वाड्रा ने अपने दिल की बात कही है। उन्होंने कहा है कि अगर कांग्रेस पार्टी चाहेगी और परिवार का समर्थन मिला तो वे भी राजनीति में कदम रखेंगे।

सोमवार को एएनआई से खास बातचीत में वाड्रा ने कहा कि राजनीति से उनका जुड़ाव काफी हद तक गांधी परिवार से उनके जुड़ाव के कारण है। हालांकि, उन्होंने कहा कि उनके नाम का इस्तेमाल ध्यान भटकाने के लिए किया जाता है। वाड्रा ने कहा, मेरा राजनीति से जुड़ाव सिर्फ इसलिए है क्योंकि मैं गांधी परिवार का सदस्य हूं। लेकिन मैं यह भी कहूंगा कि पिछले कई सालों में कई पार्टियों ने मेरे नाम का इस्तेमाल किया है और हमेशा मुझे राजनीति में खींच लिया है क्योंकि हर बार चुनाव आते हैं, उन्हें मेरा नाम याद आता है। हर बार जब उनके पास कोई मुद्दा होता है जिससे वे ध्यान भटकाना चाहते हैं, तो उन्हें मेरा नाम याद आता है। वाड्रा ने कहा कि यह अक्सर राजनीतिक प्रतिशोध की तरह लगता है।

व्यवसायी रॉबर्ट वाड्रा ने कहा कि मैं हमेशा चाहता था कि प्रियंका संसद में हों, अब वे वहां हैं, वे लोगों की चिंताओं को उठा रही हैं। किसानों के मुद्दे पर कोई बात नहीं होती, राहुल और प्रियंका उस पर बात करते हैं। मैंने उनसे और राहुल से और परिवार में सभी से बहुत कुछ सीखा है। लोग हमेशा मुझसे संसद जाने के बारे में पूछते हैं, देखते हैं, मैं कड़ी मेहनत करूंगा, जब कांग्रेस को जरूरत होगी, मेरे परिवार का आशीर्वाद होगा, मैं भी संसद में रहूंगा।

वाड्रा के इस बयान के कई राजनीतिक मायने निकाले जा रहे हैं। ऐसा कहा जा रहा है कि उनकी तरफ से संसद जाने की तैयारी लगभग पूरी हो चुकी है। बस उन्हें कांग्रेस और गांधी परिवार के आदेश का इंतजार है।

तहव्वुर राणा के बाद मेहुल चोकसी का होगा प्रत्यर्पण, जानें भारत लाने में क्या मुश्किलें?

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मेहुल चोकसी को बेल्जियम में गिरफ्तार कर लिया गया है। 13500 करोड़ रुपये के पीएनबी घोटाले का आरोपी मेहुल चोकसी इलाज करवाने बेल्जियम गया था। सीबीआई और ईडी के कहने पर बेल्जियम पुलिस ने उसे अस्पताल से ही हिरासत में ले लिया। इसके साथ ही भगोड़े हीरा कारोबारी को अब भारत लाने की तैयारियां तेज कर दी हैं। भारत और बेल्जियम के बीच अंग्रेजी शाषण के दौरान 1901 में ही प्रत्यर्पण संधि हुई थी और इसी आधार पर चोकसी पर शिकंजा कस गया है।

“भारत वापस लाना आसान नहीं होगा”

भगोड़े मेहुल चोकसी की बेल्जियम में गिरफ्तारी पर पंजाब नेशनल बैंक घोटाले के व्हिसिल-ब्लोअर हरिप्रसाद एसवी ने कहा, यह बहुत अच्छी खबर है। हम उन सभी लोगों के लिए बहुत खुश हैं, जिन्हें भारत में मेहुल चोकसी ने धोखा दिया था। यह भी जरूरी है कि हम न सिर्फ उसे भारत वापस लाएं बल्कि जो पैसा उसने लूटा उसको भी वापस लाया जाए।

मेहुल चोकसी के प्रत्यर्पण को लेकर उन्होंने आगे कहा, प्रत्यर्पण कोई आसान काम नहीं है। उसका बटुआ भरा हुआ है और वह यूरोप में सबसे अच्छे वकीलों को नियुक्त करेगा, जैसा कि विजय माल्या कर रहा है। भारत के लिए उसे वापस लाना आसान नहीं है। भले ही वह एंटीगुआ में पकड़ा गया था, लेकिन वो वहां से निकलने में कामयाब रहा क्योंकि उसके पास वकीलों का एक बेड़ा था। भारत सरकार के लिए यह इतना आसान नहीं होगा, लेकिन मुझे उम्मीद है कि सरकार इस बार सफल होगी।

चोकसी ने फिर चली चाल

इधर, चोकसी ने फिर एक चाल चल दी है, जिससे भारत लाना मुश्किल हो सकता है। बेल्जियम में गिरफ्तारी के बाद मेहुल चोकसी ने अपने खराब सेहत का हवाला देते हुए कोर्ट में जमानत मांगी है। उसकी ओर से कहा गया है कि इलाज कराने के लिए बेल्जियम आया था और अपनी पत्नी के साथ एंट्वर्प में रह रहा था।

“भगोड़ा आर्थिक अपराधी नहीं मेहुल चोकसी”

वहीं, न्यूज18 की रिपोर्ट के मुताबिक चोकसी के वकील विजय अग्रवाल ने कहा, मेहुल चोकसी को अभी तक भारत सरकार की तरफ से ‘भगोड़ा आर्थिक अपराधी’ घोषित नहीं किया गया है। उनकी गिरफ्ताती के बाद अब वहां अपील की जाएगी कि ये उन्हें कस्टडी में नहीं रखा जाए। इसका नियम है कि जब केस दर्ज किया जाता है और उसके बाद अगर वो देश छोड़कर भागता तो गलत होता। हम आज भी कहते हैं कि अगर जांच एजेंसी चाहे तो वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये उनका बयान ले सकती है।

क्या है मामला?

2018 की शुरुआत में पंजाब नेशनल बैंक में हजारों करोड़ रुपए का घोटाला सामने आया था। पंजाब नेशनल बैंक ने जनवरी 2018 में पहली बार नीरव मोदी, मेहुल चोकसी और उनके साथियों के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई। बैंक का दावा था कि इन सभी अभियुक्तों ने बैंक के अधिकारियों के साथ साजिश रची और बैंक को नुकसान पहुंचाया। इस शिकायत में उन पर 280 करोड़ रुपये के घोटाले का आरोप लगाया गया था।

12 साल से कम उम्र के बच्चों को हज करने की इजाजत नहीं, 291 भारतीय बच्चों का वीजा रिजेक्ट

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सऊदी अरब ने इस साल होने वाले हज के लिए तैयारियां शुरू कर दी है। हज की तैयारी के तहत सऊदी के गृह मंत्रालय ने हाजियों लिए नए नियम जारी किए हैं। हज यात्रा के नियमों में बदलाव का असर बच्चों को झेलना पड़ेगा। इस साल हज यात्रा की ख्वाहिश रखने वाले 12 साल से कम उम्र के बच्चों को झटका लगा है। सऊदी अरब सरकार ने इस आयु वर्ग के बच्चों को वीजा जारी करने से इनकार कर दिया है, जिसके चलते भारत के 291 बच्चों के आवेदन निरस्त कर दिए गए हैं।

क्यों नहीं दी गई बच्चों को इजाजत?

हर साल लाखों की तादाद में तीर्थयात्री हज के लिए सऊदी अरब जाते हैं। इस मौके पर कई लोग अपने छोटे-छोटे बच्चों को भी लेकर जाते हैं, लेकिन इस बार ऐसा करने की इजाजत नहीं दी गई है। सऊदी सरकार ने यह फैसला बच्चों की सुरक्षा को देख कर लिया है। हज 2024 में भारी भीड़ जुटी थी और हीटवेव के चलते लगभग 1200 लोगों की मौत दर्ज की थी। इसी के बाद से इन हालातों को देखने के बाद सऊदी अरब ने नियमों में कुछ बदलाव किए।

भारतीय हज समिति ने 13 अप्रैल को एक सर्कुलर जारी कर सऊदी सरकार के फैसले को सूचित किया है। इसी के साथ हज समिति ने घोषणा की है कि 12 साल से कम उम्र के बच्चों के लिए हज के लिए किए गए भुगतान को वापस किया जाएगा। इसी के साथ जानकारी दी गई कि सऊदी अरब के निर्णय के चलते 291 आवेदक बच्चों का हज आवेदन रद्द कर दिया गया है।

मक्का आने वालों की बढ़ेगी निगरानी

सऊदी सरकार ने कहा है कि 23 अप्रैल से मक्का में आने-जाने पर कड़ी निगरानी शुरू की जाएगी। मक्का में एंट्री करने के लिए काम करने का परमिट, मक्का का पहचान पत्र या हज का परमिट दिखाना जरूरी होगा। इनके अलावा किसी को एंट्री नहीं मिलेगी। सऊदी अरब में रहने वाले विदेशी नागरिक, जो मक्का में नहीं रहते हैं, उन्हें भी मक्का में आने के लिए परमिट लेना होगा। टूरिस्ट वीजा पर आए विदेशियों या देश के दूसरे हिस्से से आए लोगों को बिना रजिस्ट्रेशन हज में शामिल होने से रोकने के लिए ये नियम बनाए गए हैं।

स्थानीय और विदेशी नागरिकों पर विशेष निगरानी

सऊदी सरकार इस बार स्थानीय और विदेशी दोनों नागरिकों की मक्का यात्रा पर कड़ी निगरानी रखेगी। विशेष रूप से मक्का के गैर-निवासी विदेशी नागरिकों को भी परमिट लेना जरूरी होगा। देश के अन्य शहरों से मक्का आने वाले लोगों पर विशेष नजर रखी जाएगी। बिना अनुमति के किसी भी गतिविधि को नियम उल्लंघन माना जाएगा। यह कदम इसलिए जरूरी है क्योंकि हज के दौरान लाखों लोग मक्का आते हैं, और हर साल किसी न किसी कारणवश अव्यवस्था की स्थिति बनती है। इसलिए सरकार पहले से तैयार रहना चाहती है।