CGPSC पेपर लीक मामला : डिप्टी कलेक्टर शशांक गोयल और भूमिका कटियार की जमानत याचिका खारिज, हाईकोर्ट ने कहा- यह हत्या से भी बड़ा अपराध

बिलासपुर-  हाईकोर्ट ने छत्तीसगढ़ लोक सेवा आयोग (PSC) की राज्य सेवा परीक्षा 2021 में पेपर लीक मामले में डिप्टी कलेक्टर बने शशांक गोयल और भूमिका कटियार की जमानत अर्जी खारिज कर दी है. सुनवाई जस्टिस विभू दत्त गुरु की सिंगल बेंच में हुई.

बता दें कि दोनों को सीबीआई ने 6 दिसंबर 2024 को गिरफ्तार किया था. उन्होंने हाईकोर्ट में जमानत याचिका लगाई थी. हाई कोर्ट ने अपने आदेश में सख्त टिप्पणी करते हुए कहा है कि पेपर लीक करना लाखों युवाओं के भविष्य से खिलवाड़ है. यह हत्या से भी बड़ा अपराध है. आरोपी ‘फसल को खा जाने वाली बाड़’ का उदाहरण हैं.

दरअसल, छत्तीसगढ़ पीएससी की 2020-2022 की भर्ती प्रक्रिया में गड़बड़ी का आरोप लगाते हुए शिकायत की गई थी. इस मामले को राज्य सरकार ने सीबीआई को सौंपा था. मामले में तत्कालीन अध्यक्ष टामन सिंह सोनवानी पर अपने रिश्तेदारों को फायदा पहुंचाने का आरोप है. सोनवानी के करीबी रहे रायपुर के उद्याेगपति श्रवण गोयल के बेटे शशांक गोयल और बहू भूमिका कटियार का चयन डिप्टी कलेक्टर के पद पर हुआ था. गोयल बजरंग पावर एंड इस्पात लिमिटेड के डायरेक्टर है. उन्होंने अपनी कंपनी से सीएसआर फंड के तहत ग्रामीण विकास समिति नामक एनजीओ को दो बार में 45 लाख रुपये दिए. एनजीओ की अध्यक्ष सोनवानी की पत्नी, सचिव भाई और सदस्य भतीजा है.

सीबीआई के अनुसार, यह राशि पीएससी की प्रारंभिक और मुख्य परीक्षा से पहले दी गई. इसके बदले में परीक्षा के प्रश्नपत्र दिए गए, जिसे उन्होंने अपने बेटे और बहू को उपलब्ध कराया. दोनों ने इन्हीं प्रश्नपत्रों के आधार पर परीक्षा पास की और डिप्टी कलेक्टर बने. सीबीआई की जांच में सामने आया कि सोनवानी के कहने पर उप नियंत्रक ने प्रश्नपत्र ए-2 को दिए. सोनवानी के भाई अनिल सोनवानी ने यह बात अपने बयान में कही. उसने यह भी स्वीकार किया कि एनजीओ को 2 मार्च 2022 और 18 मई 2022 को क्रमशः 20 लाख और 25 लाख रुपये मिले.

अधिकारियों-कर्मचारियों को वर्षों से लंबित ग्रेच्युटी राशि का भुगतान

रायपुर- उप मुख्यमंत्री तथा नगरीय प्रशासन एवं विकास मंत्री अरुण साव की पहल पर भिलाई नगर निगम में वर्ष 2018 से लंबित सेवानिवृत्त व दिवंगत अधिकारियों-कर्मचारियों की ग्रेच्युटी का भुगतान किया गया है। वर्षों से लंबित जीपीएफ/सीपीएफ, अवकाश नगदीकरण, चिकित्सा प्रतिपूर्ति और एरियर्स का भी भुगतान अधिकारियों-कर्मचारियों को किया गया है। लंबे समय से इन राशियों का इंतजार कर रहे भिलाई नगर निगम के सेवानिवृत्त कार्मिकों तथा मृत अधिकारियों-कर्मचारियों के परिजनों ने इस पर खुशी जताते हुए उप मुख्यमंत्री अरुण साव के प्रति कृतज्ञता ज्ञापित की है। उन्होंने भिलाई नगर निगम के स्वायत्तशासी कर्मचारी महासंघ तथा छत्तीसगढ़ कर्मचारी कांग्रेस के पदाधिकारियों के साथ श्री साव के रायपुर स्थित निवास कार्यालय में मुलाकात कर आभार जताया और धन्यवाद दिया।

भिलाई नगर निगम के सेवानिवृत्त व दिवंगत अधिकारियों-कर्मचारियों की ग्रेच्युटी के वर्ष 2018 से भुगतान नहीं होने की बात संज्ञान में आते ही उप मुख्यमंत्री अरुण साव ने विभागीय अधिकारियों को इसके लिए निर्देशित किया था। उन्होंने पिछले दो वर्षों से लंबित अधिकारियों-कर्मचारियों के जीपीएफ/सीपीएफ, अवकाश नगदीकरण, चिकित्सा प्रतिपूर्ति और एरियर्स के भी भुगतान की व्यवस्था के निर्देश दिए थे। उप मुख्यमंत्री श्री साव के अनुमोदन के बाद राज्य शासन ने ग्रेच्युटी के भुगतान के लिए संचित निधि से 10 करोड़ 85 लाख 36 हजार रुपए तथा जीपीएफ/सीपीएफ एवं अवकाश नगदीकरण के भुगतान के लिए लीज फ्री-होल्ड की राशि से चार करोड़ 36 लाख 38 हजार रुपए के भुगतान की अनुमति भिलाई नगर निगम को दी है। विगत 3 अप्रैल को राज्य शासन द्वारा अनुमति प्रदान किए जाने के दो दिनों के भीतर ही 300 से अधिक अधिकारियों-कर्मचारियों तथा उनके परिजनों के खातों में 15 करोड़ रुपए अंतरित कर दी गई है।

ग्रेच्युटी एवं अन्य राशि मिलने से खुश सेवानिवृत्त कार्मिकों तथा मृत अधिकारियों-कर्मचारियों के परिजन, भिलाई नगर निगम के स्वायत्तशासी कर्मचारी महासंघ तथा छत्तीसगढ़ कर्मचारी कांग्रेस के पदाधिकारियों ने उप मुख्यमंत्री अरुण साव से रायपुर स्थित उनके निवास कार्यालय में मुलाकात कर आभार जताया और धन्यवाद दिया। ये सभी लंबे समय से इन राशियों के भुगतान की बाट जोह रहे थे। किसी के यहां बेटी की शादी थी, तो किसी को इलाज या मकान बनाने के लिए राशि की जरूरत थी।

उप मुख्यमंत्री श्री साव के प्रति आभार व्यक्त करते हुए स्वायत्तशासी कर्मचारी महासंघ तथा छत्तीसगढ़ कर्मचारी कांग्रेस के पदाधिकारियों ने कहा कि आपकी संवेदनशील पहल और नेतृत्व से ही आज सैकड़ों परिवारों के बीच बहुत ही सुखद क्षण आया है। अनेक मायूस परिवारों में मुस्कुराहट लौटी है। हम सभी परिवारों की ओर से आपको धन्यवाद देते हैं और आभार प्रकट कर रहे हैं। श्री साव से मुलाकात के दौरान स्वायत्तशासी कर्मचारी महासंघ तथा छत्तीसगढ़ कर्मचारी कांग्रेस के संजय शर्मा, शरद दुबे, विष्णु चन्द्राकर, शशिभूषण मोहंती, कृष्णा देशमुख, सुरेन्द्र सोनबेर, वामन राव, विनय मेश्राम, संतोष पाण्डेय, रामायण सिंह, थानूराम साहू, टहल राम साहू, रीता चतुर्वेदी और शालिनी गुरव मौजूद थीं।

पटवारी ने साइन करने से मना किया, तो फर्जी दस्तावेज बनाकर निकाला 20 लाख का लोन, FIR दर्ज…

बिलासपुर- न्यायधानी में जमीन के फर्जी दस्तावेज बनाकर 20 लाख रुपये का लोन लेने का मामला उजागर हुआ है. पटवारी के फर्जी हस्ताक्षर कर तैयार किया गया कब्जा प्रमाण पत्र इस पूरे फर्जीवाड़े का आधार बना. मामले में सिरगिट्टी पुलिस ने दो आरोपियों के खिलाफ नामजद एफआईआर दर्ज की है.

जानकारी के मुताबिक, सिरगिट्टी थाना क्षेत्र में तैनात पटवारी राजेश पाण्डेय ने थाने में शिकायत दर्ज कराई है कि कुछ दिन पहले बजरंग कोरी और गणेश कोरी उनके कार्यालय पहुंचे थे. दोनों को सरकारी जमीन का आबादी पट्टा आवंटित किया गया था और वे कब्जा प्रमाण पत्र बनवाना चाह रहे थे. लेकिन पटवारी ने नियमों के तहत ऐसा प्रमाण-पत्र जारी करने से इनकार कर दिया. इसके बाद आरोपियों ने पटवारी के फर्जी हस्ताक्षर कर नकली कब्जा प्रमाण पत्र तैयार किया, और उसी के आधार पर बैंक से 20 लाख रुपये का लोन हासिल कर लिया.

जांच में जुटी पुलिस

जब पटवारी को इस धोखाधड़ी की जानकारी मिली तो उन्होंने इसकी सूचना उच्च अधिकारियों को दी और सिरगिट्टी थाना में शिकायत दर्ज करवाई. पुलिस ने बजरंग कोरी और गणेश कोरी के खिलाफ धोखाधड़ी का मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है.

बता दें, बता दें, फर्जी दस्तावेजों के सहारे सरकारी जमीन पर लोन लेना गंभीर अपराध की श्रेणी में आता है. अब पुलिस इस बात की भी जांच कर रही है कि बैंक लोन स्वीकृति प्रक्रिया में किस स्तर पर चूक हुई और क्या इसमें किसी और की संलिप्तता है. इन फर्जी दस्तावेजों के आधार पर, आरोपियों ने AU स्मॉल फाइनेंस बैंक लिमिटेड से ₹20,55,488 (बीस लाख पचपन हजार चार सौ अठ्ठासी रुपये) का लोन भी ले लिया. लोन की प्रक्रिया के दौरान दस्तावेजों में प्रयुक्त हस्ताक्षर व सील को पटवारी का बताया गया, जबकि वह पूरी तरह फर्जी थे.

राजधानी में पकड़ाई 20 लाख की हुक्का सामग्री, क्राइम ब्रांच ने 2 अलग-अलग जगहों पर दी दबिश, दो सगे भाई गिरफ्तार…

रायपुर- छत्तीसगढ़ में प्रतिबंधित हुक्का सामाग्री बेचने वाले 2 सगे भाइयों को रायपुर पुलिस ने रंगे हाथों धर दबोचा है. दोनों भाई मिलकर राजधानी में अवैध रूप से हुक्के का कारोबार कर रहे थे, जिसका पुलिस ने भंडाफोड़ किया है. इस कार्रवाई में पुलिस ने 2 अलग-अलग स्थानों से हुक्का पॉट, पाइप, नोजल, कोल, गोगो, विभिन्न फ्लेवर, तंबाकू समेत अन्य प्रतिबंधित सामग्रियां जब्त की हैं, जिसकी कुल कीमत 20 लाख बताई जा रही है।

बता दें, शहर में नशे के खिलाफ अभियान के तहत रायपुर पुलिस ने मुखबिरों की सूचना पर यह बड़ी कार्रवाई की है. पुलिस को बीते दिन 8 अप्रैल को सूचना मिली थी कि खम्हारडीह थाना क्षेत्र के राजीव नगर स्थित एक मकान में प्रतिबंधित हुक्का से संबंधित सामग्री रखा गया है और बिक्री की जा रही है. जिस पर एण्टी क्राईम एण्ड साईबर यूनिट और थाना खम्हारडीह पुलिस की संयुक्त टीम ने बताए गए मकान के पास जाकर पाईंटर भेजा और टेस्ट पर्चेस कराया गया. आरोपी ने जैसे ही हुक्का से संबंधित सामग्री दिया, उसी दौरान पुलिस ने उसे रंगे हाथ पकड़ लिया. पूछताछ में व्यक्ति ने अपना नाम मोहन लाल मंदानी निवासी राजीव नगर खम्हारडीह का होना बताया. वहीं उसके मकान की तलाशी लेने पर कमरे से पुलिस ने भारी मात्रा में प्रतिबंधित हुक्का सामग्री बरामद किया.

इस तरह गोलबाजार थाना क्षेत्र के जयस्तंभ चौक स्थित राज पान पैलेस में चोरी-छिपे हुक्का सामग्रियों की बिक्री की जाने की सूचना पर भी पुलिस ने छापेमार कार्रवाई की और भारी मात्रा में हुक्का सामाग्री जब्त किया गया और पान पैलेस के मालिक अशोक मंदानी को गिरफ्तार किया गया.

बता दें, गिरफ्तार किए गए दोनों आरोपी सगे भाई हैं. वे पहले भी हुक्का के अवैध भंडारण और बिक्री मामले में जेल निरुद्ध रह चुके हैं. मंदानी भाईयों के खिलाफ खम्हारडीह थाने और गोलबाजार थाने में 80/25 धारा 4(के),21(1) के विरुद्ध अपराध धारा 80/25 और अन्य तम्बाकू उत्पाद (विज्ञापन का प्रतिषेध और व्यापार तथा वाणिज्य उत्पाद वितरण और वितरण का विमोचन) अधिनियम 2003 एवं संशोधन अधिनियम 2023 के तहत अपराध पंजीबद्ध कर कार्रवाई की जा रही है.

प्रो लवली शर्मा होंगी खैरागढ़ संगीत विश्वविद्यालय की कुलपति, राजभवन से जारी हुआ आदेश

खैरागढ़- लंबे समय से नेतृत्व के स्थायित्व का इंतजार कर रहे इंदिरा कला संगीत विश्वविद्यालय को आखिरकार एक अनुभवी और योग्य कुलपति मिल गया है. राज्यपाल एवं कुलाधिपति द्वारा जारी आदेश के तहत प्रो. लवली शर्मा को विश्वविद्यालय का नया कुलपति नियुक्त किया गया है. यह नियुक्ति विश्वविद्यालय अधिनियम 1956 (संशोधन) एवं 2021 की धारा 12 (1) के अंतर्गत की गई है.

गौरतलब है कि बीते कुछ वर्षों से विश्वविद्यालय लगातार विवादों में घिरा रहा है. पूर्व कुलपति डॉ. ममता चंद्राकर के कार्यकाल से ही विश्वविद्यालय की कार्यशैली पर सवाल उठते रहे. ममता चंद्राकर के पास कुलपति पद हेतु आवश्यक योग्यता—अर्थात कम से कम दस वर्षों का अध्यापन अनुभव—का अभाव था, बावजूद इसके उन्हें पद पर नियुक्त किया गया था. इस निर्णय की व्यापक आलोचना हुई और इससे विश्वविद्यालय की साख पर भी असर पड़ा.

पूर्व कुलपति के कार्यकाल के बाद विश्वविद्यालय में स्थायी कुलपति की नियुक्ति नहीं हो पाई थी. पिछले कई महीनों से कुलपति का प्रभार संभागायुक्त को सौंपा गया था, जिससे विश्वविद्यालय प्रशासन में स्थायित्व की कमी महसूस की जा रही थी.

ऐसे में प्रो. लवली शर्मा की नियुक्ति को विश्वविद्यालय के लिए एक सकारात्मक मोड़ माना जा रहा है. वर्तमान में दयालबाग एजुकेशनल इंस्टीट्यूट, आगरा में प्रोफेसर के पद पर कार्यरत प्रो. शर्मा संगीत शिक्षा में लंबा अनुभव रखती हैं और उनकी अकादमिक साख भी मजबूत है.

प्रो. लवली शर्मा भारतीय शास्त्रीय संगीत (सितार) पढ़ाती हैं. वे स्नातक और स्नातकोत्तर स्तर पर सितार की प्रैक्टिकल क्लास के साथ-साथ ‘श्रुति, स्वर विभाजन और रागों का विश्लेषण’ भी पढ़ाती हैं. उनके रुचि के क्षेत्र संगीत से जुड़ी चिकित्सा, संगीत का अध्ययन, संगीत शिक्षा, घरानों की परंपरा और लोक संगीत हैं. उनके 26 रिसर्च पेपर और 7 किताबें प्रकाशित हो चुकी हैं.

वे एक मशहूर संगीत विशेषज्ञ और संगीत से इलाज करने वाली विशेषज्ञ (म्यूजिक थैरेपिस्ट) हैं. उन्हें सितार की मैहर परंपरा में प्रशिक्षण मिला है. उनके नेतृत्व में विश्वविद्यालय को न केवल प्रशासनिक स्थायित्व मिलेगा, बल्कि शैक्षणिक और सांस्कृतिक गतिविधियों को भी एक नई दिशा मिलने की उम्मीद है.

जिला अस्पताल के दर्जनभर इनवर्टर फटे, परिसर हुआ धुआं-धुआं, मच गई अफरा-तफरी…

रायगढ़- किरोड़ीमल शासकीय जिला अस्पताल में आज सुबह लैब के बैटरी स्टोर रूम में रखे करीबन एक दर्जन इनवर्टर बैकअप बैटरी गर्मी की वजह से फट गए. घटना से पूरा लैब परिसर धुएं से भर गया. इस हादसे की वजह से पूरे अस्पताल परिसर में अफरा-तफरी का माहौल नजर आया. सूचना पर पहुंची फायर ब्रिगेड की टीम ने आग पर काबू पाया. गनीमत रही कि इससे किसी प्रकार की जनहानि नहीं हुई. 

घटना को लेकर सिविल सर्जन डॉ. दिनेश पटेल ने बताया कि लैब में स्थित स्टोर कक्ष में आग लगी थी, जहां कुछ क्षति हुई है. घटना के बाद सभी वार्ड में सैंपलिंग की वैकल्पिक व्यवस्था की गई है, जिससे मरीजों को किसी प्रकार की परेशानी का सामना न करना पड़े. फायर ब्रिगेड और इलेक्ट्रिकल एंड मैंटनेंस विभाग की टीम ने स्थिति पर काबू पाते हुए व्यवस्था को बहाल करना शुरू कर दिया.

अस्पताल प्रशासन को मिली सीख

इस घटना से अस्पताल प्रशासन को एक बड़ा सीखने का अवसर मिला है, जिससे भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए बेहतर उपाय किए जा सकें. अस्पताल प्रशासन और सिविल सर्जन ने सभी कर्मचारियों की तत्परता की सराहना करते हुए कहा कि ऐसी घटनाओं से निपटने के लिए सभी आवश्यक सुरक्षा उपायों पर विचार किया जाएगा.

मुख्यमंत्री ने गृह विभाग की ली समीक्षा बैठक, नए आपराधिक कानूनों के प्रभावी क्रियान्वयन और अपराध अनुसंधान की गुणवत्ता पर दिए निर्देश

रायपुर- मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने आज मंत्रालय महानदी भवन, नवा रायपुर में गृह विभाग के कार्यो की समीक्षा की। मुख्यमंत्री श्री साय ने भारत सरकार द्वारा लागू किए गए नए आपराधिक कानून भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) के प्रभावी क्रियान्वयन को सर्वोच्च प्राथमिकता देने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि ये कानून न केवल न्याय प्रणाली में सुधार लाने वाले हैं, बल्कि अपराधियों में भय और आम जनता में विश्वास उत्पन्न करने में सहायक होंगे।

मुख्यमंत्री श्री साय ने कहा कि इन कानूनों की प्रभावी समझ और व्यावहारिक प्रशिक्षण पुलिस बल, अभियोजन अधिकारी एवं अन्य संबंधित कर्मियों के लिए आवश्यक है। उन्होंने निर्देश दिए कि सभी जिलों में चरणबद्ध तरीके से कार्यशालाओं और सेमिनारों का आयोजन किया जाए, जिनमें केस स्टडी और मॉक ट्रायल के माध्यम से प्रशिक्षण दिया जाए।

बैठक के दौरान मुख्यमंत्री ने अपराध अनुसंधान प्रणाली को अधिक प्रभावी, वैज्ञानिक और प्रमाणिक बनाने पर विशेष बल दिया। उन्होंने कहा कि आपराधिक प्रकरणों में केवल गिरफ्तारी ही नहीं, बल्कि सटीक और पुख्ता साक्ष्य के आधार पर विवेचना पूरी की जाए ताकि अभियुक्तों को सजा दिलाई जा सके। मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि विवेचना अधिकारियों को आधुनिक अनुसंधान तकनीकों, डिजिटल फॉरेंसिक, सीसीटीएनएस प्रणाली और वैज्ञानिक उपकरणों के उपयोग में दक्ष किया जाए। पीड़ितों को समय पर न्याय दिलाना राज्य सरकार की प्राथमिकता है और इसके लिए अनुसंधान प्रक्रिया में पारदर्शिता, तत्परता और तकनीकी दक्षता अनिवार्य है। मुख्यमंत्री श्री साय ने साइबर अपराधों की बढ़ती चुनौती को देखते हुए साइबर सेल को तकनीकी रूप से सक्षम बनाने तथा जनता को साइबर जागरूकता से जोड़ने के लिए अभियान चलाने के निर्देश भी दिए।

इस अवसर पर उपमुख्यमंत्री विजय शर्मा, मुख्य सचिव अमिताभ जैन, अपर मुख्य सचिव मनोज पिंगुआ, पुलिस महानिदेशक अरुण देव गौतम, मुख्यमंत्री के प्रमुख सचिव सुबोध कुमार सिंह,सचिव राहुल भगत के अलावा वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।

दुर्ग रेप केस : कांग्रेस जांच समिति का गंभीर आरोप, जिस परिवार को मिलना था न्याय उसकी हुई पिटाई …

दुर्ग- जिले के उरला इलाके में 6 साल की बच्ची से रेप और हत्या मामले को लेकर सियासत गरमा गई है। आज कांग्रेस की पांच सदस्यीय जांच समिति पीड़िता के घर पहुंची और पीड़ित परिवार से मुलाकात की। मीडिया से बात करते हुए संजारी बालोद विधायक संगीता सिन्हा ने कहा कि पुलिस ने पीड़ित परिवार के ही सदस्य को आरोपी बना दिया, जबकि जिस बादल मेश्राम पर परिवार ने शंका जताई थी उसे छोड़ दिया गया है।

जिस परिवार को मिलना था न्याय उसकी हुई पिटाई – विधायक सिन्हा

विधायक संगीता सिन्हा ने आरोप लगाया कि परिवार के सदस्यों के साथ मारपीट कर पूछताछ की गई। उन्होंने कहा, “जिस परिवार को न्याय मिलना चाहिए, उसे पीटा गया है। उनके शरीर पर चोट के निशान साफ दिखाई दे रहे हैं। इस पूरे मामले की निष्पक्ष जांच होनी चाहिए। विधायक संगीता सिन्हा ने यह भी कहा कि यह घटना नशे की वजह से हुई है और सरकार शराब को बढ़ावा देने में लगी हुई है, जिससे ऐसी घटनाएं बढ़ रही हैं।

कांग्रेस की इस टीम में संगीता सिन्हा के साथ राजनांदगांव की पूर्व महापौर हेमा देशमुख, खैरागढ़ विधायक यशोदा वर्मा, डोंगरगढ़ विधायक हर्षिता स्वामी बघेल, पूर्व पार्षद प्रेमलता साहू, दुर्ग ग्रामीण जिलाध्यक्ष राकेश ठाकुर, गया पटेल और मुकेश चंद्राकर शामिल थे।

1.65 करोड़ का गोल्ड लोन का फ्रॉड करने वाली ‘पापा की परी’ गिरफ्तार

गरियाबंद-  ईओडब्ल्यू ने दो साल से फरार बैंक की पूर्व असिस्टेंट मैनेजर को गिरफ्तार किया है. ये मैनेजर इतनी शातिर थी कि उसने उन अकाउंट्स को अपना टारगेट बनाया जिसमें ज्यादा ट्रांजेक्शन नहीं होते थे या ऐसे अकाउंट्स जो कुछ महीनों से बंद पड़े थे. इस ठग ने 1 करोड़ 65 लाख रुपए से अधिक की ठगी को अंजाम दिया है. इसके चालाकी का अंदाजा आप इसी बात से लगा सकते है कि वो पिछले 2 वर्षों से फरार चल रही थी और पुलिस उसे पकड़ नहीं पा रही थी.

दरअसल, यह पूरा मामला छत्तीसगढ़ के गरियाबंद जिले का है, जहां स्थित इंडियन ओवरसीज बैंक की राजिम शाखा में करोड़ों रुपये के गोल्ड लोन घोटाले का खुलासा साल 2023 हुआ था. इस मामले में फरार आरोपी राज्य आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो (EOW) ने बैंक की पूर्व सहायक प्रबंधक अंकिता पाणिग्रही को ओडिशा के बरगढ़ से गिरफ्तार किया है. आरोपी को पुलिस रिमांड पर लेकर पूछताछ की जा रही है.

EOW द्वारा जारी प्रेस नोट के अनुसार, वर्ष 2022 में आरोपी अंकिता पाणिग्रही ने राजिम स्थित इंडियन ओवरसीज बैंक में सहायक प्रबंधक के पद पर रहते हुए हितग्राहियों के बंद खातों का इस्तेमाल कर फर्जी दस्तावेजों के ज़रिए 1 करोड़ 65 लाख रुपये के गोल्ड लोन स्वीकृत किए. इन लोन की राशि सीधे बैंक से निकालकर गबन कर ली गई.

2023 में दर्ज हुआ था मामला

बैंक प्रबंधन द्वारा मामले की शिकायत मिलने पर EOW ने वर्ष 2023 में घोटाले की जांच शुरू की थी. जांच के बाद भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 13(क) (संशोधित 2018) और IPC की धारा 409 (आपराधिक विश्वासघात) के तहत अपराध दर्ज किया गया.

हो सकते हैं और भी नाम उजागर

EOW की टीम फिलहाल आरोपी से गहन पूछताछ कर रही है. शुरुआती जांच में यह संकेत मिले हैं कि इस घोटाले में और भी बैंककर्मी या बाहरी लोग संलिप्त हो सकते हैं. अब EOW यह पता लगाने में जुटी है कि फर्जी लोन योजना को अंजाम देने में किन-किन की भूमिका रही.

भारतमाला परियोजना में भ्रष्टाचार : घोटालेबाज अधिकारियों-भूमाफियाओं पर कसेगा शिकंजा, राजस्व विभाग ने 11 जिलों के कलेक्टरों को दिए जांच के निर्देश

रायपुर- छत्तीसगढ़ के बहुचर्चित भारतमाला प्रोजेक्ट में हुई गड़बड़ियों को लेकर जांच अब और तेज हो गई है. रायपुर समेत कुल 11 जिलों में जांच शुरू करने के निर्देश जारी किए गए हैं. राजस्व विभाग के सचिव अविनाश चंपावत ने सभी संबंधित जिलों के कलेक्टरों को जांच कर रिपोर्ट जमा करने के निर्देश दिए हैं.

मिली जानकारी के अनुसार, रायपुर, दुर्ग, धमतरी, धमतरी, कांकेर, कोंडागांव, कोरबा, रायगढ़, जशपुर, राजनांदगांव, बिलासपुर और जांजगीर-चांपा जिलों में जांच की प्रक्रिया शुरू की जा रही है. इससे पहले कुछ जिलों में हुई प्रारंभिक जांच की रिपोर्ट अब आर्थिक अपराध अन्वेषण शाखा (EOW) ने मांगी है. जिसके बाद अब घोटलेबाज अधिकारियों-भूमाफियाओं पर शिकंजा कसने की तैयारी है।

शुरुआती जांच में 43 करोड़, अब तक 220 करोड़ के भ्रष्टाचार की संभावना

शुरुआती जांच में यह सामने आया था कि कुछ सरकारी अधिकारियों, भू-माफियाओं और प्रभावशाली लोगों ने मिलीभगत कर फर्जी तरीके से लगभग 43 करोड़ रुपये की मुआवजा राशि हासिल कर ली. लेकिन विस्तृत जांच में यह आंकड़ा 220 करोड़ रुपये से ज्यादा तक पहुंच गया है. अब तक 164 करोड़ रुपये के संदिग्ध लेन-देन का रिकॉर्ड भी जांच एजेंसी को मिल चुका है. मामले की गंभीरता को देखते हुए नेता प्रतिपक्ष चरणदास महंत ने 6 मार्च को प्रधानमंत्री कार्यालय (PMO) और केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी को पत्र लिखकर CBI जांच की मांग की है.

इस घोटाले को लेकर चरणदास महंत ने विधानसभा बजट सत्र 2025 में भी मुद्दा उठाया था. इसके बाद मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट बैठक में इस प्रकरण की जांच ईओडब्ल्यू (EOW) को सौंपने का निर्णय लिया गया था. अब ईओडब्ल्यू ने इस पूरे मामले की जांच को और तेज कर दिया है.

क्या है भारतमाला परियोजना का मुआवजा घोटाला?

छत्तीसगढ़ में भारतमाला परियोजना के तहत राजधानी रायपुर से विशाखपट्टनम तक 950 कि.मी. सड़क निर्माण किया जा रहा है. इस परियोजना में रायपुर से विशाखापटनम तक फोरलेन सड़क और दुर्ग से आरंग तक सिक्स लेन सड़क बनना प्रस्तावित है. इस सड़क के निर्माण के लिए सरकार ने कई किसानों की जमींने अधिग्रहित की हैं. इसके एवज में उन्हें मुआवजा दिया जाना है, लेकिन कई किसानों को अब भी मुआवजा नहीं मिल सका है. विधानसभा बजट सत्र 2025 के दूसरे दिन नेता प्रतिपक्ष चरण दास महंत ने इस मुद्दे को उठाया था, जिसके बाद इस मामले में जांच का फैसला लिया गया.

भूमि अधिग्रहण नियम

भूमि अधिग्रहण नियम 2013 के तहत हितग्राही से यदि 5 लाख कीमत की जमीन ली जाती है, तो उस कीमत के अलावा उतनी ही राशि यानी 5 लाख रुपए सोलेशियम के रूप में भी दी जाएगी. इस तरह उसे उस जमीन का मुआवजा 10 लाख दिया जाएगा.

इसके तहत 5 लाख की यदि जमीन अधिग्रहित की जाती है तो उसके 10 लाख रुपए मिलेंगे और 10 लाख रुपए सोलेशियम होगा. इस तरह हितग्राही को उसी जमीन के 20 लाख रुपए मिलेंगे.