बलिदानियों को समर्पित संगोष्ठी का किया गया आयोजन
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गोरखपुर। भारतीय स्वातंत्र्य समर 1857 प्रथम विद्रोह के प्रथम क्रांतिकारी मंगल पांडेय के 168वें बलिदान दिवस पर मदन मोहन मालवीय प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय एवं गुरुकृपा संस्थान गोरखपुर का राष्ट्रवादी वैचारिक अधिष्ठान को बल देने वाला बलिदानियों को समर्पित संगठन अखिल भारतीय क्रांतिकारी सम्मान संघर्ष मोर्चा के संयुक्त तत्वावधान में आर्यभट सभागार में संगोष्ठी का आयोजन किया गया।
संगोष्ठी के मुख्य अतिथि वक्ता राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ गोरक्ष प्रांत के प्रांत प्रचारक रमेश ने कहा कि स्व जगेगा तो भारत विश्व गुरु बनेगा। एकता, स्वतंत्रता और महानता जीवंत रहे इसके लिए देश के युवाओं को जगाना होगा। राष्ट्र ही प्रथम है, जननी और जन्मभूमि स्वर्ग से महान है।
प्रांत प्रचारक रमेश ने इंजीनियरिंग की पढ़ाई करने वाले छात्रा छात्राओं को दिए गए अपने संदेश में कहा कि पढ़ने, पलने के साथ साथ राष्ट्र को गढ़ने के लिए आपका योगदान चाहिए क्योंकि स्वतंत्रता तो मिली स्वराज्य अभी बाकी है। स्व का हमें बोध करना होगा।
रमेश ने इतिहासकारों के कथन को विचारणीय बताया कहा कि 1857 का गदर असफल नहीं था, 29 मार्च 1857 का विद्रोह पूर्णरूपेण सफल रहा जिसकीे धधकी चिंगारी से देश में चहुंओर क्रांति फैली जिसका परिणाम था कि 1947 में देश आज़ाद हुआ।
राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ से प्रशिक्षित स्वयंसेवक गुरुकृपा संस्थान जैसे संस्था के बैनर तले देश के लिए अपना सर्वोच्च समर्पण से जीना मरना सिखाता है। मेरा कण कण राष्ट्र के लिए बलिदान हो। उन्होंने कहा कि गुरुकृपा संस्थान क्रांतिकारी परंपरा को जीवंत रखने के लिए मै रहूं या ना रहूं यह देश रहना चाहिए। यह ऐतिहासिक एवं अद्वितीय कार्य है।
विशिष्ट अतिथि के रूप में उत्तराखंड दिल्ली बाया बलिया गोरखपुर आए मंगल पांडेय के चौथी पीढ़ी के प्रपौत्र 80 वर्षीय रघुनाथ पांडेय ने कहा कि गुरुकृपा संस्थान का यह प्रयास अनुकरणीय एवं प्रशंसनीय है। आयोजन पर मुझे खुशी है, ऐसा आयोजन देश के हर कोने में होना चाहिए। जिससे युवा पीढ़ी को प्रेरणा मिलती रहे और उनमें देश प्रेम का उत्साह बना रहे। मैं गुरुकृपा संस्थान के सभी कर्मयोगियों की प्रशंसा करता हूं और आशीर्वाद देता हूं कि क्रांतिकारियों के प्रति ये दीवानगी और रवानगी ताउम्र बनी रहे।
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए कुलपति प्रो जे पी सैनी ने कहा कि अंग्रेज भली भांति जानते थे कि भारत को जितने एवं तोड़ने के लिए भेद भाव का बीजारोपण करना होगा। धर्म और संस्कृति नष्ट होता है तो राष्ट्र का अस्तित्व खतरे में पड़ जाता है। मंगल पांडेय प्रथम स्वातंत्र्य की मशाल जलाने वाले अप्रतिम योद्धा थे। मंगल पांडेय के बलिदान से देश के अन्य हिस्सों में विद्रोह को रोकने के लिए 10 दिन पहले फांसी दे दिया। प्रथम क्रांति के जनक को कैंपस की ओर से मंगल पांडेय को नमन करते हैं।
कार्यक्रम संयोजक बृजेश राम त्रिपाठी ने प्रस्ताविकी रखा, अखिल भारतीय क्रांतिकारी सम्मान संघर्ष मोर्चा संगठन के उद्देश्यों पर प्रकाश डाला। मंचासिन अतिथि आगंतुकों का स्वागत स्मृति चिन्ह शॉल और बुके भेंट करके किया।
संचालन और आभार ज्ञापन का गुरूतर जिम्मेदारी कैंपस छात्र क्रिया कलाप परिषद के चेयरमैन प्रो बी के पांडेय ने किया। इसके पूर्व अतिथियों ने भारत माता एवं मंगल पांडेय के चित्र पर माल्यार्पण एवं दीप प्रज्वलन कर कार्यक्रम की विधिवत शुरुवात किया।
कार्यक्रम में प्रमुख रूप से विभाग प्रचारक अजय नारायण, महानगर दक्षिण भाग प्रचारक मनीष, प्रो पी के सिंह, प्रो गोविंद पांडेय, प्रो अवधेश सिंह, डा प्रदीप मुले, डा प्रदुम्न भारती, श्याम बिहारी अग्रवाल, मनीष जैन, शंकर शरण दूबे, महेश चंद्र दूबे, डा धीरेन्द्र सिंह, राधेश्याम मिश्रा, चंद्रेश्वर सिंह, मनोज श्रीवास्तव, अजय मिश्रा, श्रद्धानंद त्रिपाठी, श्रीकांत मिश्रा, अभिषेक जायसवाल, अवनीश मणि त्रिपाठी, डा सुधीर नारायण सिंह, डा मिलिंद राज, चिकित्साधिकारी डा ए के पांडेय साक्षी तिवारी, प्रकृति, अभिलाषा, अभिनव, सूर्यांश, सहित भारी संख्या में प्रोफेसर फैकल्टी महानगर के प्रतिष्ठित नागरिकों सहितछात्र छात्रा उपस्थित थे।
Apr 08 2025, 19:48