*शिक्षा का सवाल समाज की प्राथमिकता में शामिल नहीं: ध्रुव नारायण त्रिपाठी*
गोरखपुर- दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय के प्राचीन इतिहास विभाग में 'शिक्षा का स्वास्थ्य: नैतिकता, विकास व रोजगार' विषयक परिसंवाद को संबोधित करते हुए शिक्षक नेता एवं एमएलसी ध्रुव नारायण त्रिपाठी ने कहा कि विकास के साथ नैतिक मूल्यों का ह्रास भी होता है. विडंबना यह है कि जिनका दायित्व सबसे कम है, उन्हीं निम्नवर्ग व मध्यमवर्ग पर जाति, धर्म, परंपरा व संस्कृति आदि का जिम्मा सर्वाधिक है. तथा, इन्हीं वर्गों से संचालित भी है. जबकि, जो सक्षम हैं वह अपना दायित्व नहीं स्वीकार करते, जबकि उन्हीं की भूमिका ज्यादा महत्वपूर्ण है.
उन्होंने कहा कि इसका कारण 70 वर्ष बाद भी न तो आमजन की प्राथमिकता में शिक्षा रही है और न ही सरकार की. दरअसल जो सरकार बनाता है वह शिक्षा व स्वास्थ्य का सवाल नहीं पूछता. अपना जनप्रतिनिधि चुनते वक्त मतदाता को शिक्षा से जुड़े प्रश्नों में रुचि नहीं होती. परिणामतः इंजीनियरिंग के छात्र अपनी डिग्री के नाम से चाय आदि की दुकान खोल रहे हैं.
उन्होंने कहा कि आज स्थिति यहां तक आ पहुंची है कि बड़े व प्रतिष्ठित शैक्षणिक संस्थान अपने को व्यवसायिक बनाने को बाध्य हो चुके हैं. जबकि आम नागरिक को इससे कोई फर्क ही नहीं पड़ता. जब तक आम मतदाता, जो अभिभावक के भी रूप में है, अपनी प्राथमिकता में शिक्षा व स्वास्थ्य को नहीं रखेगा, तब तक हम भावी पीढ़ी को आगे नहीं बढ़ा सकते.
उन्होंने कहा कि समाज की शक्ति असीमित है. जरूरत है तो अपने भीतर के मदन मोहन मालवीय सरीखे व्यक्तित्व को तलाशने की. इस दृष्टि से समाज की भी जवाबदेही होनी चाहिए. जब तक जवाबदेही नहीं बनेगी, सुदृढ़ समाज भी नहीं बनेगा. समाज को यह ध्यान रखना चाहिए कि BHU जैसा संस्थान सरकार ने नहीं बनाया है. आम मतदाता जब पूछेगा अपने बच्चों के बारे में, उसकी शिक्षा के बारे में, उसके स्वास्थ्य के बारे में तभी संस्थाएं निर्मित भी होंगी और बचेंगी भी. उन्होंने नोबेल पुरस्कार से सम्मानित अर्थशास्त्री अमर्त्य सेन का उदाहरण प्रस्तुत करते हुए कहा कि गरीबी उन्मूलन में शिक्षा का महत्व सर्वाधिक है. उन्होंने कहा कि वह शैक्षणिक संस्थान ज्यादा बेहतर कर रहे हैं जहां शिक्षक - छात्र का अनुपात 1:3 का है.
परिसंवाद के विषय का सूत्रपात अधिष्ठाता, कला संकाय एवं इतिहासविद प्रोफेसर राजवंत राव ने किया. प्रोफेसर राव ने कहा कि विद्यार्थी को एक बेहतर मनुष्य के रूप में करने की जिद का नाम है शिक्षक. आज का विद्यार्थी ही कल का समाज निर्मित करेगा. विद्यार्थी का निर्माण निश्चय ही शिक्षक के द्वारा होता है. इसलिए शिक्षक की भूमिका सबसे बड़ी व सर्वाधिक महत्वपूर्ण है.
स्वागत विभाग के अध्यक्ष प्रोफेसर प्रज्ञा चतुर्वेदी द्वारा किया गया. आभार ज्ञापन डॉ. मनीन्द्र यादव ने किया. इस दौरान श्याम नारायण सिंह,पूर्व अध्यक्ष उ०प्र०मा०शि०संघ, डॉ अमित उपाध्याय, डॉ. संजय राम, जितेन्द्र सिंह, राकेश कुमार, अरुण कुमार यादव आदि की विशिष्ट उपस्थिति बनी रही.
Apr 06 2025, 19:41