एकनाथ शिंदे पर कुणाल कामरा की टिप्पणी पर बवाल, शिवसैनिकों ने जमकर मचाई तोड़फोड़, जानें पूरा मामला

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कॉमेडियन कुणाल कामरा की महाराष्ट्र के डिप्टी सीएम एकनाथ शिंदे के ऊपर की गई टिप्पणी से सियासी बवाल मच गया है। एकनाथ शिंदे की अगुवाई वाली शिवसेना ने कॉमेडियन के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है।कॉमेडियन कुणाल कामरा ने महाराष्ट्र की राजनीति और एकनाथ शिंदे के शिवसेना से अलग होने को लेकर एक पैरोडी गीत बनाया है। इस गीत में उन्होंने शिंदे का नाम तो नहीं लिया है लेकिन उन्होंने गद्दार शब्द का इस्तेमाल किया है। इसी के बाद शिवसेना शिंदे समर्थक भड़क गए और कामरा के मुंबई के स्टूडियो में तोड़फोड़ की। अब हैबिटेट स्टैंडअप कॉमेडी सेट में तोड़फोड़ करने के आरोप में शिवसेना युवा सेना (शिंदे गुट) के महासचिव राहुल कनाल और 19 अन्य के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है।

मुंबई के खार इलाके में मशहूर कॉमेडियन कुणाल कामरा का स्टूडियो है, जहां शिवसैनिकों ने तोड़फोड़ की। इस घटना के बाद महाराष्ट्र पुलिस ने कड़ा रुख अपनाया। मुंबई की पुलिस ने एकनाथ शिंदे गुट के 35 से 40 लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की है। इसमें 19 नामजद आरोपी हैं। इसमें शिंदे कैंप का सोशल मीडिया का हेड राहुल कनाल का भी नाम है।यह पूरा मामला तब शुरू हुआ जब कुणाल कामरा ने अपने एक स्टैंड-अप कॉमेडी शो में महाराष्ट्र के डिप्टी चीफ मिनिस्टर एकनाथ शिंदे पर तंज कसा था। शो के दौरान कुणाल ने एक गाने के जरिए शिंदे को “गद्दार” कहकर चुटकी ली।

शिवसेना विधायक मुरजी पटेल ने इस घटना के बाद कुणाल कामरा के खिलाफ एमआईडीसी पुलिस स्टेशन में एफआईआर दर्ज कराई थी। मुरजी ने कहा, हमने अपने नेता एकनाथ शिंदे के खिलाफ अपमानजनक टिप्पणी के लिए कुणाल के खिलाफ शिकायत दर्ज की है। हम चाहते हैं कि उनके खिलाफ तुरंत कार्रवाई हो। इसके साथ ही, शिंदे गुट के सांसद नरेश म्हस्के ने कुणाल को चेतावनी दी कि वे पूरे देश में शिवसैनिकों से बच नहीं पाएंगे।

कामरा ने क्या कहा?

कॉमेडियन ने वीडियो पर छिड़े विवाद के बाद सोशल मीडिया हैंडल एक्स पर एक प्रतिक्रिया भी दी है। कुणाल कामरा ने सोशल मीडिया हैंडल पर पहले अपनी वीडियो पोस्ट की, इसी के बाद उन्होंने एक्स पर अपनी एक फोटो पोस्ट की जिसमें उन्होंने संविधान की एक कॉपी पकड़ी हुई है। इस फोटो को पोस्ट करते हुए उन्होंने लिखा, आगे बढ़ने का एकमात्र रास्ता।

क्या बोले-कुणाल कामरा?

कुणाल कामरा ने कहा था कि जज के ऑर्डर में लिखा है, जो इन्होंने महाराष्ट्र के इलेक्शन में किया है। उसके बारे में तो बोलना पड़ेगा। कामरा ने इसके बाद अपने शो में कहा कि शिवसेना बीजेपी से बाहर आ गई फिर शिवसेना शिवसेना से बाहर आ गई। एनसीपी-एनसीपी से बाहर आ गई। एक वोटर को नौ बटन दे दिए। सब कंफ्यूज हो गए। चालू एक जन (व्यक्ति) ने किया था। मुंबई में एक बहुत बढ़िया डिस्ट्रिक्ट है ठाणे, वहां से आते हैं। फिर इसके बाद कुणाल कामरा एक म्यूजिक की धुन पर गीत सुनाते हैं।

क्या था कामरा के पैरोडी गीत में ?

इनमें वह कहते हैं कि ठाणे की रिक्शा...ठाणे की रिक्शा, चेहरे पे दाढ़ी, आंखों में चश्मा हाय... ठाणे की रिक्शा, चेहरे पे दाढ़ी, आंखों में चश्मा हाय... एक झलक दिखलाए कभी गुवाहाटी में छिप जाए... मेरी नजर से तुम देखो गद्दार नजर वो आए। ठाणे की रिक्शा, चेहरे पे दाढ़ी, आंखों में चश्मा हाय। मंत्री नहीं वो दलबदलू है और कहा क्या जाए... जिस थाली में खाए उसमें ही छेद कर जाए... मंत्रालय से ज्यादा फडणवीस की गोदी में मिल जाए... तीर कमान मिला है इसको बाप मेरा ये चाहे...ठाणे की रिक्शा...ठाणे की रिक्शा, चेहरे पे दाढ़ी, आंखों में चश्मा हाय...। इस पैरोडी गीत पर शिवसेना की भौंहे तन गई हैं।

मुस्लिम भाइयों को जो आंख दिखाएगा उसे छोड़ेंगे नहीं”, औरंगजेब विवाद के बीच अजित पवार का बड़ा बयान

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महाराष्ट्र में औरंगजेब को लेकर माहौल गर्म है। औरंगजेब को लेकर जारी विवाद के कारण नागपुर में 17 मार्च हिंसा भड़क गई। इस बीच महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री और एनसीपी प्रमुख अजित पवार ने इफ्तार पार्टी का आयोजन किया। इस इफ्तार पार्टी में अजीत पवार ने मुसलमानों को लेकर बड़ा बयान दिया है। अजित पवार ने मुस्लिम समुदाय को सुरक्षा का आश्वासन दिया है। उन्होंने कहा है हमने अभी होली मनाई है, गुड़ी पड़वा और ईद आने वाली है, ये सभी त्यौहार हमें एक साथ मिलकर मनाने हैं क्योंकि एकता ही हमारी असली ताकत है।

पार्टी की ओर से मुंबई के इस्लाम जिमखाना में शुक्रवार को दी गई इफ्तार पार्टी के दौरान अजित पवार ने मुसलमानों के साथ एकजुटता दिखाते हुए कहा, मैं आपको आश्वस्त करना चाहता हूं कि आपका भाई अजित पवार आपके साथ है। कहा- जो भी मुस्लिम भाइयों को आंख दिखाएगा, दो समूहों के बीच संघर्ष भड़काकर कानून व्यवस्था को बाधित करेगा और कानून को अपने हाथ में लेने की कोशिश करेगा। वह चाहे कोई भी हो, उसे किसी भी हालत में बख्शा या माफ नहीं किया जाएगा।

अजित पवार ने बताया रमजान का महत्व

पवार ने ये भी कहा- रमजान सिर्फ एक धर्म तक सीमित नहीं है। यह हमें एकता और भाईचारे का संदेश देता है। भारत विविधता में एकता का प्रतीक है। छत्रपति शिवाजी महाराज, बाबा साहब अंबेडकर, महात्मा ज्योतिबा फुले और शाहू जी महाराज ने जातियों को एकसाथ लाकर समाज के उत्थान का मार्ग दिखाया। हमें इस विरासत को आगे बढ़ाना है।

नागपुर हिंसा में अब तक 105 गिरफ्तार

अजित पवार का ये बयान उस वक्त आया है जब महाराष्ट्र में औरंगजेब को लेकर माहौल गरमाया हुआ है। हिंदू संगठनों ने मुगल शासक औरंगजेब की कब्र को गिराने की मांग कर रहे हैं। इस विवाद ने तब और तूल पकड़ लिया जब नागपुर, जो आरएसएस का मुख्यालय है, वहां चिटनिस पार्क, महल क्षेत्र में दो समूहों के बीच झड़प हो गई। यह हिंसा कुछ धार्मिक चीज़ों को जलाने की कथित घटना के बाद हुई। इस मामले में शुक्रवार को 14 लोगों को अरेस्ट भी किया गया है। अब तक इस मामले में पकड़े गए लोगों की कुल संख्या 105 हो गई है। हिंसा मामले में 10 किशोर भी हिरासत में लिए गए हैं। 3 नई एफआईआर भी दर्ज की गई हैं।

जस्टिस यशवंत वर्मा के खिलाफ पहले भी दर्ज हो चुका है मामला, 150 करोड़ के बैंक लोन से जुड़ा है मामला

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दिल्‍ली हाईकोर्ट के जज जस्टिस यशवंत वर्मा के आवास से बड़ी मात्रा में कैश मिलने के बाद खलबली मची हुई है। यह घटना वैसे तो होली के वक्त की बताई जा रही है, जो कल मीडिया रिपोर्ट से सामने आई। इन सब के बीच जस्टिस यशवंत वर्मा को लेकर एक और बड़ी खबर सामने आ रही है। बताया जा रहा है कि उनके खिलाफ सीबीआई ने 2018 में भी मामला दर्ज किया था। उस दौरान उनका नाम चीनी मिल बैंक धोखाधड़ी में सामने आया था।

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सीबीआई ने सिंभावली शुगर मिल्स, उसके निदेशकों और अन्य लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की, जिसमें यशवंत वर्मा भी शामिल थे। आरोप है कि इस मिल ने बैंकों को धोखा दिया था। इस मामले में चौंकाने वाली बात यह है कि जस्टिस यशवंत वर्मा 13 अक्टूबर 2014 को इलाहाबाद हाई कोर्ट के जज बनने से पहले सिम्भावली शुगर्स में नॉन-एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर थे। सीबीआई ने अपनी एफआईआर में वर्मा को ‘आरोपी नंबर 10’ के रूप में सूचीबद्ध किया था। इस सिम्भावली शुगर्स का खाता साल 2012 में नॉन परफॉर्मिंग एसेट घोषित कर दिया गया था।

सीबीआई ने 22 फरवरी 2018 को भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत एक एफआईआर दर्ज की थी। इसके पांच दिन बाद, प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने 27 फरवरी 2018 को मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट के तहत एक ईसीआईआर दर्ज की। ये एफआईआर ओरिएंटल बैंक ऑफ कॉमर्स (ओबीसी) की शिकायत पर दर्ज की गई थी।

सीबीआई की तरफ से एफआईआर दर्ज करने के कुछ समय बाद वर्मा का नाम चार्जशीट से हटा दिया गया था और एजेंसी ने अदालत को इस बारे में सूचित किया था। हालांकि, अब जब उनके खिलाफ संदिग्ध नकदी को लेकर मामला गरमाया है, तो उनके पुराने रिकॉर्ड फिर से सुर्खियों में आ गए हैं।

पाकिस्तान के राष्ट्रीय दिवस को भारत की “ना”, शामिल नहीं हुआ कोई भारतीय अधिकारी

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भारत-पाकिस्तान के बीच के संबंध कैसे हैं, इसे पूरी दुनिया जानती है। पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद ने दोनों देशों के रिश्तों को हमेशा तल्ख किया है। यही वजह है कि भारत ने लगातार दूसरे साल पाकिस्तान के राष्ट्रीय दिवस समारोह में हिस्सा नहीं लिया। यही नहीं, पाकिस्तान के राष्ट्रीय दिवस में अपने अधिकारियों के शामिल नहीं होने पर भारत ने दो टूक जवाब दिया है। विदेश मंत्रालय ने कहा है कि निमंत्रण की स्वीकृति रिश्तों की प्रकृति पर निर्भर करती है।

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल से शुक्रवार को जब यह पूछा गया कि क्या पाकिस्तान उच्चायोग ने इस कार्यक्रम के लिए निमंत्रण दिया था, तो प्रवक्ता ने कहा कि उन्हें इसकी जानकारी नहीं है। हालांकि, उन्होंने कहा कि जहां तक निमंत्रण का सवाल है, वे रिश्तों पर निर्भर करते हैं, है न? निमंत्रण की स्वीकृति रिश्तों की प्रकृति पर निर्भर करती है।

अपने वक्तव्य में जायसवाल ने मंगलवार को दिए गए अपने बयान का भी उल्लेख किया, जो पाकिस्तान द्वारा पीएम नरेन्द्र मोदी की पाकिस्तान पर की गई कुछ आलोचनात्मक टिप्पणियों की आलोचना के बाद जारी किया गया था। रणधीर जायसवाल ने कहा कि पाकिस्तान को झूठ फैलाने के बजाय अपने अवैध कब्जे वाले भारतीय क्षेत्र को खाली कर देना चाहिए। प्रवक्ता ने कहा कि विश्व जानता है कि वास्तविक मुद्दा पाकिस्तान द्वारा सीमापार आतंकवाद को सक्रिय रूप से बढ़ावा देना और प्रायोजित करना है। उन्होंने कहा, वास्तव में, यह क्षेत्र में शांति और सुरक्षा के लिए सबसे बड़ी बाधा है।

अमेरिका में पढ़ रहे अपने छात्रों को भारत की सलाह, कहा- स्थानीय कानूनों का पालन करें

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हमास का समर्थन करने के लिए अमेरिका में रह रहे भारतीय छात्रों को यूएस गवर्नमेंट की नाराजगी का सामना करना पड़ रहा है। ऐसे में भारत सरकार ने विदेशों में रहने वाले भारतीय नागरिकों से स्थानीय कानूनों और नियमों का पालन करने की नसीहत दी है। भारत सरकार की तरफ से ये बयान ऐसे समय में आया है जब, अमेरिका ने एक भारतीय रिसर्चर को गिरफ्तार कर लिया है तो एक अन्य स्टूडेंट को खुद अमेरिका छोड़कर कनाडा निर्वासित होना पड़ा है।

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विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता जयसवाल ने कहा कि वीजा और आव्रजन मामले उस देश के संप्रभू अधिकार में आते हैं। उन्होंने सुझाव दिया कि अमेरिका को ऐसे आंतरिक मामलों पर निर्णय लेने का अधिकार है। उन्होंने कहा, हम उम्मीद करते हैं कि जब विदेशी नागरिक भारत आते हैं, तो वे हमारे कानूनों और नियमों का पालन करेंगे। इसी तरह, हम उम्मीद करते हैं कि जब भारतीय नागरिक विदेश में होते हैं, तो उन्हें स्थानीय कानूनों और नियमों का भी पालन करना चाहिए।

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा कि इस सप्ताह की शुरुआत में हिरासत में लिए गए जॉर्जटाउन विश्वविद्यालय के टीचर बदर खान सूरी या कार्रवाई के डर से कनाडा भाग गई रंजिनी श्रीनिवासन ने मदद के लिए भारतीय अधिकारियों से संपर्क नहीं किया है। हालांकि, जायसवाल ने कहा कि अमेरिका में भारतीय दूतावास और वाणिज्य दूतावास उन छात्रों की सहायता के लिए तैयार हैं, जिन्हें किसी कठिनाई का सामना करना पड़ रहा है।

सूरी के बारे में बोलते हुए विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा कि न तो अमेरिकी सरकार और न ही इस व्यक्ति ने हमसे या दूतावास से संपर्क किया है। अगर वे हमसे संपर्क करते हैं, तो हम देखेंगे कि इस विशेष मामले में सबसे बेहतर तरीके से कैसे काम किया जाए। रंजना के वीजा रद्द किए जाने के बारे में पूछे जाने पर अधिकारी ने भारत की स्थिति को याद दिलाया कि 'जब वीजा और आव्रजन नीति की बात आती है, तो यह किसी देश के संप्रभु कार्यों के अंतर्गत आता है

बाता दें कि जॉर्जटाउन यूनिवर्सिटी के पोस्टडॉक्टरल फेलो बदर खान सूरी पर अमेरिकी अधिकारियों ने "हमास का प्रोपेगैंडा" फैलाने का आरोप लगाते हुए गिरफ्तार किया था। अमेरिकी होमलैंड सुरक्षा विभाग ने वाशिंगटन डीसी स्थित जॉर्जटाउन विश्वविद्यालय के पोस्टडॉक्टरल फेलो बदर खान सूरी को सोमवार रात हिरासत में लिया। उन पर "हमास के दुष्प्रचार को बढ़ावा देने" के आरोप लगे हैं। हालांकि, एक अमेरिकी संघीय न्यायाधीश ने सूरी के निर्वासन पर फिलहाल रोक लगा दी है।

जबकि कोलंबिया यूनिवर्सिटी की स्टूडेंट रंजिनी श्रीनिवासन का फिलिस्तीन समर्थक विरोध प्रदर्शन में भाग लेने के लिए वीजा रद्द कर दिया गया था।श्रीनिवासन पर "हिंसा और आतंकवाद का समर्थन" करने और हमास के पक्ष में गतिविधियों में शामिल होने के आरोप लगे थे, जिसके बाद उन्हें अमेरिका छोड़ने के लिए मजबूर किया गया।

परिसीमन पर स्टालिन ने चेन्नई में बुलाई बड़ी बैठक, बोले-आंदोलन की शुरूआत

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चेन्नई में आज बड़ा राजनीतिक जुटान होने वाला है। तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने परिसीमन पर आज चेन्नई में बड़ी बैठक बुलाई है। बैठक में भाग लेने के लिए कई राज्यों के मुख्यमंत्रियों को आमंत्रित किया गया है। बैठक में केरल के मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन, तेलंगाना के रेवंत रेड्डी और पंजाब के भगवंत मान के शामिल होने की उम्मीद है। कर्नाटक का प्रतिनिधित्व उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार करेंगे, जबकि आंध्र प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री वाईएस जगन मोहन रेड्डी और ओडिशा के नवीन पटनायक अपने पार्टी प्रतिनिधि को भेजेंगे।

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तृणमूल ने किया किनारा

पश्चिम बंगाल की सत्तारूढ़ पार्टी तृणमूल कांग्रेस ने शुक्रवार को बताया कि चेन्नई में 22 मार्च को बुलाई गई परिसीमन बैठक के लिए कोई प्रतिनिधि नहीं भेजेगी। वहीं, केरल के मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन बैठक में भाग लेने के लिए चेन्नई पहुंच गए हैं।

स्टालिन ने बताया राष्ट्रीय आंदोलन

बैठक से पहले स्टालिन ने कहा, भारतीय संघवाद के लिए यह एक ऐतिहासिक दिन है। स्टालिन ने शुक्रवार को कहा, एक्स पर एक वीडियो संदेश साझा करते हुए बताया कि डीएमके सरकार 22 मार्च को चेन्नई में बैठक और पहले दौर की चर्चा क्यों आयोजित कर रही है। पोस्ट में स्टालिन ने इस बात पर जोर दिया कि तमिलनाडु की पहल के रूप में जो शुरू हुआ वह अब निष्पक्ष प्रतिनिधित्व के लिए एक राष्ट्रीय आंदोलन बन गया है, जिसमें राज्य संसदीय निर्वाचन क्षेत्रों के अनुचित आवंटन के विरोध में एकजुट हो रहे हैं।

बीजेपी ने कहा 'भ्रामक नाटक'

वहीं, तमिलनाडु भाजपा अध्यक्ष के अन्नामलाई ने आरोप लगाया कि परिसीमन पर बैठक एक 'भ्रामक नाटक' है। मुख्यमंत्री स्टालिन ने कहा, तमिलनाडु की पहल से शुरू हुआ यह आंदोलन अब एक राष्ट्रीय आंदोलन बन गया है, जिसमें पूरे भारत के राज्य निष्पक्ष प्रतिनिधित्व की मांग के लिए हाथ मिला रहे हैं।

मणिपुर के राहत कैंप में मिला 9 साल की बच्ची का शव, दुष्कर्म की आशंका

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मणिपुर में एक नौ वर्षीय बच्ची का शव संदिग्ध परिस्थितियों में मिला है। ये घटना चुराचांदपुर जिले की है। शुक्रवार तड़के 9 साल की एक बच्ची का संदिग्ध परिस्थितियों में शव बरामद किया गया। पुलिस के मुताबिक, बच्ची गुरुवार की शाम करीब छह बजे लापता थी। जिसके बाद उसके परिजन उसे ढूंढने लगे। काफी खोजबीन के बाद बच्ची का शव राहत शिविर परिसर में मिला। शव पर चोट के कई निशान पाए गए हैं। प्रारंभिक जांच में दुष्कर्म की आशंका जताई जा रही है।

पुलिस ने बताया कि बच्ची गुरुवार शाम करीब छह बजे लापता हो गई थी, जिसके बाद परिवार ने उसकी तलाश शुरू की। काफी देर बाद लड़की का शव शहर के लान्वा टीडी ब्लॉक में आंतरिक रूप से विस्थापित लोगों के लिए बने राहत शिविर के पास मिला। पुलिस के मुताबिक, बच्ची के शरीर पर चोट के कई निशान थे, खासकर गले पर, इसके अलावा खून के धब्बे भी थे। पुलिस ने बताया कि संदेह है कि बच्ची के साथ बलात्कार किया गया। फिलहाल शव को पोस्टमॉर्टम के लिए अस्पताल भेजवाया गया है।

पुलिस ने शक के आधार पर पंद्रह लोगों को हिरासत में लिया और उनसे पूछताछ की जा रही है। हालांकि, अभी तक किसी की गिरफ्तारी नहीं हुई है। पुलिस ने कहा कि जांच जारी है और दोषियों को जल्द ही पकड़ा जाएगा। जिस बच्ची का शव मिला वह चुराचांदपुर के वे मार्क अकादमी स्कूल में पढ़ती थी।

पूर्व मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह ने घटना की निंदा करते हुए शोक संतप्त परिवार के प्रति संवेदना व्यक्त की। उन्होंने कहा, मैं अज्ञात अपराधियों द्वारा लड़की की जघन्य हत्या की कड़ी निंदा करता हूं। यह मानवता के खिलाफ अपराध है और दोषियों को सख्त सजा मिलनी चाहिए। प्रशासन को जल्द से जल्द न्याय सुनिश्चित करना चाहिए।

इसके अलावा जोमी मदर्स एसोसिएशन और यंग वैफेई एसोसिएशन, हौपी ब्लॉक सहित कई संगठनों ने भी इस घटना पर शोक व्यक्त किया है। जोमी मदर्स एसोसिएशन ने कानून प्रवर्तन एजेंसियों से गहन जांच करने और दोषियों को न्याय के कठघरे में लाने का आग्रह किया है।

शेख हसीना की अवामी लीग पर बैन नहीं लगाएंगे मोहम्मद यूनुस, क्यों बदल दी चाल?

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बांग्लादेश की अंतरिम सरकार की अवामी लीग पर प्रतिबंध लगाने की कोई योजना नहीं है। बांग्लादेश की अंतरिम सरकार ने कहा है कि देश छोड़कर भाग गईं पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना की राजनीतिक पार्टी, अवामी लीग पर कोई प्रतिबंध लगाने की योजना नहीं है। हालांकि, यह भी कहा कि हत्या और मानवता के खिलाफ अपराधों समेत अन्य अपराधों के आरोपी नेताओं को अदालत में मुकदमे का सामना करना पड़ेगा। चुनाव को लेकर राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय दबाव के बीच बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के मुख्य सलाहकार मोहम्मद यूनुस का रुख नरम पड़ता दिख रहा है।

बांग्लादेश सरकार के मुख्य सलाहकार की मुहम्मद यूनुस के प्रेस विभाग ने गुरुवार को बयान में यह जानकारी दी। एक प्रतिनिधिमंडल के साथ बात करते हुए मुहम्मद यूनुस ने कहा कि सरकार ने चुनावों के लिए दो संभावित समयसीमाएं निर्धारित की हैं। यूनुस ने कहा कि मतदान में देरी नहीं की जाएगी। उन्होंने स्पष्ट किया कि यदि राजनीतिक दल चुनाव से पहले केवल सीमित सुधार चाहेंगे तो मतदान दिसंबर में होगा। हालांकि, यदि वे अधिक व्यापक सुधार पैकेज का अनुरोध करते हैं, तो चुनाव अगले साल जून में हो सकते हैं।

गुरुवार को मोहम्मद यूनुस ने कंफर्ट एरो के नेतृत्व में ढाका पहुंचे 'इंटरनेशनल क्राइसिस ग्रुप' के प्रतिनिधिमंडल के साथ मुलाकात की। इस दौरान यूनुस ने कहा कि सरकार ने अवामी लीग के नेताओं को जुलाई विद्रोह के दौरान संभावित अपराधों के लिए हेग स्थित अंतरराष्ट्रीय अपराध न्यायालय में भेजने से इनकार नहीं किया है। उन्होंने कहा, यह पूरी तरह से विचाराधीन है।

इससे पहले बांग्लादेश की अंतरिम सरकार और विपक्षी दल बीएनपी (बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी) उन पर चुनाव लड़ने से रोक लगाने की कोशिश कर रहे थे। वहीं, पिछले साल विद्रोह करके शेख हसीना की सरकार को उखाड़ फेंकने वाले छात्र नेताओं ने भी मांग है कि अवामी लीग को गैरकानूनी घोषित किया जाए। छात्रों की तरफ से शेख हसीना की पार्टी पर उनके 15 साल के कार्यकाल के दौरान व्यापक मानवाधिकारों के हनन का आरोप लगाया गया है। पिछले साल के आंदोलन के दौरान प्रदर्शनकारियों पर हिंसक कार्रवाई का भी आरोप लगा, जिसमें 800 से अधिक लोग मारे गए थे। ऐसे में कार्यवाहक सरकार के नेता और नोबेल पुरस्कार विजेता मुहम्मद यूनुस का यह फैसला उन छात्र क्रांतिकारियों को नागवार गुजर सकता है।

वक्फ बिल पर फूंक-फूंक कर कदम रख रही मोदी सरकार, सीएए की तरह ना बन जाएं हालात

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वक्फ संशोधन बिल 2024 को लेकर सरकार और विपक्ष के बीच तकरार तेज होती जा रही है। एक तरफ सरकार वक्फ संशोधन बिल को अंतिम रूप देने की तैयारी में है। कहा जा रहा है कि संसद के चालू बजट सत्र के दूसरे चरण में वक्फ संशोधन बिल 2024 को पेश किया जा सकता है। वही वक्फ बिल के खिलाफ मुस्लिम संगठनों का गुस्सा बढ़ता जा रहा है। इस बिल के विरोध में जंतर-मंतर पर बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन भी हुआ।

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ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड से लेकर जमियत उलेमा-ए-हिंद और जमात-ए-इस्लामी सहित तमाम मुस्लिम संगठनों ने 17 मार्च को दिल्ली के जंतर-मंतर पर विरोध प्रदर्शन कर अपने तेवर दिखा दिए हैं। इस प्रदर्शन में विपक्षी नेताओं का भी साथ मिला। इन संगठनों ने किसान आंदोलन की तरह वक्फ बिल के खिलाफ आंदोलन खड़ा करने की चेतावनी सरकार को दी है। जिससे सियासी दबाव बढ़ रहा है। वक्फ बिल को लेकर मौलाना मुसलमानों को एकजुट करने में लगे हैं। ऐसे में आशंका जताई जा रही है कि कहीं सीएए-एनआरसी जैसे हालात तो पैदा नहीं हो जाएंगे?

क्या हुआ था 2019 में?

मोदी सरकार साल 2019 में बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान के अल्पसंख्यक समुदाय को भारत की नागरिकता देने के लिए सीएए कानून लेकर आई थी। सीएए के तहत मुस्लिम समुदाय को छोड़कर हिंदुओं, जैनों, ईसाइयों, सिखों, बौद्धों और पारसियों को भारतीय नागरिकता प्रदान करने का प्रावधान रखा गया। इसे लेकर दिल्ली के जामिया मिल्लिया इस्लामिया विश्वविद्यालय आंदोलन शुरू हुआ, जिसका केंद्र शाहीन बाग बन गया। सीएए-एनआरसी के खिलाफ शाहीन बाग का प्रोटेस्ट एक मॉडल बन गया और इस आंदोलन की चिंगारी देश भर में फैल गई थी। देश के तमाम शहरों में शहीन बाग की तर्ज पर महिलाएं और बच्चे सड़कों पर उतरकर धरने दे रहे थे।

सीएए कानून के विरोध में मुस्लिम समुदाय इसीलिए भी विरोध प्रदर्शन के लिए उतर गए थे, क्योंकि उन्हें ये संशय था कि उनकी नागरिकता छिन जाएगी। सीएए के खिलाफ आंदोलन ने जब विकराल रूप लिया तो मोदी सरकार को साफ-साफ शब्दों में कहना पड़ा कि फिलहाल सरकार की मंशा एनआरसी लागू करने की नहीं है। हालांकि, सरकार ने 2024 में इस कानून को भी लागू कर दिया।

क्या कानून पास कराने की स्थिति में है सरकार?

वक्फ संशोधन बिल को संसद में पारित कराना सरकार के लिए कोई बड़ी चुनौती नहीं है। यह बिल पहले ही संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) से पास हो चुका है, और लोकसभा में सरकार के पास स्पष्ट बहुमत है।

लोकसभा में संख्याबल:

लोकसभा कुल सीटें: 542

एनडीए के सांसद: 293 (जिसमें बीजेपी के 240 सदस्य)

कांग्रेस सहित इंडिया ब्लॉक के सांसद: 233

अन्य निर्दलीय और छोटे दलों के सांसद: 16 सदस्य

अगर बिल पर वोटिंग (डिवीजन) होती है, तो भी सरकार आसानी से इसे पारित करा लेगी, क्योंकि एनडीए के पास स्पष्ट बहुमत है।

राज्यसभा में सरकार की स्थिति

राज्यसभा कुल सदस्य: 236

बीजेपी के सांसद: 98

एनडीए के कुल सांसद: 115

6 नॉमिनेटेड सदस्य (जो आमतौर पर सरकार के पक्ष में वोट करते हैं), वहीं, संभावित समर्थन के साथ एनडीए का आंकड़ा 120+ है जो कि बहुमत के लिए पर्याप्त है।

क्या है वक्फ और इसका प्रबंधन?

बता दें कि वक्फ एक इस्लामी परंपरा है, जिसमें धार्मिक उद्देश्यों के लिए संपत्ति दान की जाती है। वक्फ संपत्तियों को बेचा या विरासत में नहीं दिया जा सकता, ये हमेशा अल्लाह के नाम पर होती हैं। भारत में 8,72,351 वक्फ संपत्तियां हैं, जो 9 लाख एकड़ भूमि में फैली हुई हैं। अनुमानित रूप से इनकी कीमत 1 लाख करोड़ रुपये से अधिक है।

इस वक्त देश में अलग-अलग प्रदेशों के करीब 32 वक्फ बोर्ड हैं, जो वक्फ की संपत्तियों का रजिस्ट्रेशन, देखरेख और मैनेजमेंट करते हैं। बिहार समेत कई प्रदेशों में शिया और सुन्नी मुस्लिमों के लिए अलग-अलग वक्फ बोर्ड हैं।

वक्फ बोर्ड का काम वक्फ की कुल आमदनी कितनी है और इसके पैसे से किसका भला किया गया, उसका पूरा लेखा-जोखा रखना होता है। इनके पास किसी जमीन या संपत्ति को लेने और दूसरों के नाम पर ट्रांसफर करने का कानूनी अधिकार है। बोर्ड किसी व्यक्ति के खिलाफ कानूनी नोटिस भी जारी कर सकता है। किसी ट्रस्ट से ज्यादा पावर वक्फ बोर्ड के पास होती है।

संसद ने 1954 में बनाया था वक्फ एक्ट

वक्फ में मिलने वाली जमीन या संपत्ति की देखरेख के लिए कानूनी तौर पर एक संस्था बनी, जिसे वक्फ बोर्ड कहते हैं। 1947 में देश का बंटवारा हुआ तो काफी संख्या में मुस्लिम देश छोड़कर पाकिस्तान गए थे। वहीं, पाकिस्तान से काफी सारे हिंदू लोग भारत आए थे। 1954 में संसद ने वक्फ एक्ट 1954 के नाम से कानून बनाया।

इस तरह पाकिस्तान जाने वाले लोगों की जमीनों और संपत्तियों का मालिकाना हक इस कानून के जरिए वक्फ बोर्ड को दे दिया गया। 1955 में यानी कानून लागू होने के एक साल बाद, इस कानून में बदलाव कर हर राज्यों में वक्फ बोर्ड बनाए जाने की बात कही गई।

आज आतंकी जहां मारे जाते हैं, वहीं दफना दिए जाते हैं, राज्यसभा में अमित शाह की हुंकार

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गृह मंत्री अमित शाह ने आज (21 मार्च) राज्यसभा में मोदी सरकार के 10 सालों में देश की सुरक्षा व्यवस्था में हुए कार्यों को गिनाया। इस दौरान उन्होंने कहा कि मोदी सरकार ने पिछले 10 साल में तीन बड़े नासूरों को उखाड़ फेंका। ये तीन नासूर थे जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद की समस्या, वामपंथी उग्रवाद और उत्तर पूर्व का उग्रवाद।

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पार्लियामेंट में बहस के दौरान गृहमंत्री अमित शाह ने कांग्रेस की सरकारों पर करारा हमला क‍िया। अमित शाह ने कहा, जब गृह मंत्रालय की चर्चा होती है तब देश में 2014 के पहले से कई सारे मुद्दे थे, जो मोदी सरकार को मिले। इस देश का विकास तीन समस्याओं की वजह से रुका था। ये नासूर थे, जो देश की शांति में खलल डाल रहे थे। चार दशक से देश में 3 नासूर थे। जम्मू कश्मीर में आतंकवाद पहला नासूर था। दूसरा नक्सलवाद और उत्तर पूर्व उग्रवाद तीसरा नासूर था। हमने पाकिस्तान में घुसकर सर्जिकल स्ट्राइक की। हमने जम्मू कश्मीर से धारा 370 को खत्म किया। पहले की सरकार आतंकी हमलों को भूल जाती थी।

अमेर‍िका-इजरायल के बाद सिर्फ भारत ऐसा कर सकता है- अमित शाह

गृह मंत्री अमित शाह ने कहा, मोदी सरकार की आतंकवाद के खिलाफ जीरो टॉलरेंस की नीति है। हमने आतंकवाद के करारा जवाब दिया है। पहले हमलों के बाद कोई कार्रवाई नहीं की जाती थी और मामले लंबित रहते थे। लेकिन मोदी के सत्ता में आने के बाद, पुलवामा हमले के 10 दिनों के भीतर ही हमने पाकिस्तान में घुसकर हमला किया। पूरी दुनिया में केवल दो ही देश हैं जो अपनी सीमाओं और रक्षा बलों की रक्षा के लिए हमेशा तैयार रहते हैं। इजरायल और संयुक्त राज्य अमेरिका, और प्रधानमंत्री मोदी ने इस सूची में हमारे महान राष्ट्र का नाम भी जोड़ दिया है।

पहले आतंकियों का महिमामंडन होता था- अमित शाह

अमित शाह ने आगे कहा कि हमने एक देश में दो विधान को खत्म किया। पहले की सरकार ने वोट बैंक की वजह से अनुच्छेद 370 नहीं हटाया। अब लालचौक पर तिरंगा फहरा रहा है। पहले आतंकवादियों के जुलूस निकलते थे। अब आतंकी जहां मरते हैं, वहीं दफन होते हैं। दस साल पहले आतंकियों का महिमामंडन होता था।

वामपंथी उग्रवाद की बात

वामपंथी उग्रवाद की बात करते हुए अमित शाह ने कहा, ये तो तिरुपति से पशुपतिनाथ तक एक करने का सपना देखते थे। तीनों समस्याओं को एक साथ गिना जाए तो चार दशक में इनके कारण देश के 92 हजार नागरिक मारे गए। मोदी सरकार आने से पहले तक इनके उन्मूलन को कोशिश कभी नहीं की गई। इस काम को मोदी सरकार आने के बाद किया गया।

31 मार्च 2026 तक देश से नक्सलवाद खत्म होगा-अमित शाह

गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि हमारा मकसद नक्सलवाद को खत्म करना हैं। उन्होंने कहा, टेक्नोलॉजी से नक्सलवाद के खिलाफ लड़ाई लड़ रहे हैं। 31 मार्च 2026 तक देश से नक्सलवाद खत्म होगा। जहां सूर्य भी नहीं पहुंचते वहां हमारे जवान तैनात हैं। छत्तीसगढ़ में सरकार बदलने के एक ही साल में 380 नक्सली मारे गए, जिसमें कल के 30 जोड़ना बाकी है। 1145 नक्सली गिफ्तार हुए और 1045 नक्सलियों ने सरेंडर किया। ये सब करने में 26 सुरक्षाबल हताहत हुए। छत्तीसगढ़ के बीजापुर और कांकेर जिले में सुरक्षाबलों के साथ मुठभेड़ में 30 नक्सली मारे गए थे।