परिसीमन पर स्टालिन ने चेन्नई में बुलाई बड़ी बैठक, बोले-आंदोलन की शुरूआत

#tamilnaducmmkstalindelimitationmeeting

चेन्नई में आज बड़ा राजनीतिक जुटान होने वाला है। तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने परिसीमन पर आज चेन्नई में बड़ी बैठक बुलाई है। बैठक में भाग लेने के लिए कई राज्यों के मुख्यमंत्रियों को आमंत्रित किया गया है। बैठक में केरल के मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन, तेलंगाना के रेवंत रेड्डी और पंजाब के भगवंत मान के शामिल होने की उम्मीद है। कर्नाटक का प्रतिनिधित्व उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार करेंगे, जबकि आंध्र प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री वाईएस जगन मोहन रेड्डी और ओडिशा के नवीन पटनायक अपने पार्टी प्रतिनिधि को भेजेंगे।

Image 2Image 3Image 4Image 5

तृणमूल ने किया किनारा

पश्चिम बंगाल की सत्तारूढ़ पार्टी तृणमूल कांग्रेस ने शुक्रवार को बताया कि चेन्नई में 22 मार्च को बुलाई गई परिसीमन बैठक के लिए कोई प्रतिनिधि नहीं भेजेगी। वहीं, केरल के मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन बैठक में भाग लेने के लिए चेन्नई पहुंच गए हैं।

स्टालिन ने बताया राष्ट्रीय आंदोलन

बैठक से पहले स्टालिन ने कहा, भारतीय संघवाद के लिए यह एक ऐतिहासिक दिन है। स्टालिन ने शुक्रवार को कहा, एक्स पर एक वीडियो संदेश साझा करते हुए बताया कि डीएमके सरकार 22 मार्च को चेन्नई में बैठक और पहले दौर की चर्चा क्यों आयोजित कर रही है। पोस्ट में स्टालिन ने इस बात पर जोर दिया कि तमिलनाडु की पहल के रूप में जो शुरू हुआ वह अब निष्पक्ष प्रतिनिधित्व के लिए एक राष्ट्रीय आंदोलन बन गया है, जिसमें राज्य संसदीय निर्वाचन क्षेत्रों के अनुचित आवंटन के विरोध में एकजुट हो रहे हैं।

बीजेपी ने कहा 'भ्रामक नाटक'

वहीं, तमिलनाडु भाजपा अध्यक्ष के अन्नामलाई ने आरोप लगाया कि परिसीमन पर बैठक एक 'भ्रामक नाटक' है। मुख्यमंत्री स्टालिन ने कहा, तमिलनाडु की पहल से शुरू हुआ यह आंदोलन अब एक राष्ट्रीय आंदोलन बन गया है, जिसमें पूरे भारत के राज्य निष्पक्ष प्रतिनिधित्व की मांग के लिए हाथ मिला रहे हैं।

मणिपुर के राहत कैंप में मिला 9 साल की बच्ची का शव, दुष्कर्म की आशंका

#nine_year_old_girl_found_dead_in_manipur_relief_camp

Image 2Image 3Image 4Image 5

मणिपुर में एक नौ वर्षीय बच्ची का शव संदिग्ध परिस्थितियों में मिला है। ये घटना चुराचांदपुर जिले की है। शुक्रवार तड़के 9 साल की एक बच्ची का संदिग्ध परिस्थितियों में शव बरामद किया गया। पुलिस के मुताबिक, बच्ची गुरुवार की शाम करीब छह बजे लापता थी। जिसके बाद उसके परिजन उसे ढूंढने लगे। काफी खोजबीन के बाद बच्ची का शव राहत शिविर परिसर में मिला। शव पर चोट के कई निशान पाए गए हैं। प्रारंभिक जांच में दुष्कर्म की आशंका जताई जा रही है।

पुलिस ने बताया कि बच्ची गुरुवार शाम करीब छह बजे लापता हो गई थी, जिसके बाद परिवार ने उसकी तलाश शुरू की। काफी देर बाद लड़की का शव शहर के लान्वा टीडी ब्लॉक में आंतरिक रूप से विस्थापित लोगों के लिए बने राहत शिविर के पास मिला। पुलिस के मुताबिक, बच्ची के शरीर पर चोट के कई निशान थे, खासकर गले पर, इसके अलावा खून के धब्बे भी थे। पुलिस ने बताया कि संदेह है कि बच्ची के साथ बलात्कार किया गया। फिलहाल शव को पोस्टमॉर्टम के लिए अस्पताल भेजवाया गया है।

पुलिस ने शक के आधार पर पंद्रह लोगों को हिरासत में लिया और उनसे पूछताछ की जा रही है। हालांकि, अभी तक किसी की गिरफ्तारी नहीं हुई है। पुलिस ने कहा कि जांच जारी है और दोषियों को जल्द ही पकड़ा जाएगा। जिस बच्ची का शव मिला वह चुराचांदपुर के वे मार्क अकादमी स्कूल में पढ़ती थी।

पूर्व मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह ने घटना की निंदा करते हुए शोक संतप्त परिवार के प्रति संवेदना व्यक्त की। उन्होंने कहा, मैं अज्ञात अपराधियों द्वारा लड़की की जघन्य हत्या की कड़ी निंदा करता हूं। यह मानवता के खिलाफ अपराध है और दोषियों को सख्त सजा मिलनी चाहिए। प्रशासन को जल्द से जल्द न्याय सुनिश्चित करना चाहिए।

इसके अलावा जोमी मदर्स एसोसिएशन और यंग वैफेई एसोसिएशन, हौपी ब्लॉक सहित कई संगठनों ने भी इस घटना पर शोक व्यक्त किया है। जोमी मदर्स एसोसिएशन ने कानून प्रवर्तन एजेंसियों से गहन जांच करने और दोषियों को न्याय के कठघरे में लाने का आग्रह किया है।

शेख हसीना की अवामी लीग पर बैन नहीं लगाएंगे मोहम्मद यूनुस, क्यों बदल दी चाल?

#bangladesh_government_will_not_ban_sheikh_hasina_party_awami_league

Image 2Image 3Image 4Image 5

बांग्लादेश की अंतरिम सरकार की अवामी लीग पर प्रतिबंध लगाने की कोई योजना नहीं है। बांग्लादेश की अंतरिम सरकार ने कहा है कि देश छोड़कर भाग गईं पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना की राजनीतिक पार्टी, अवामी लीग पर कोई प्रतिबंध लगाने की योजना नहीं है। हालांकि, यह भी कहा कि हत्या और मानवता के खिलाफ अपराधों समेत अन्य अपराधों के आरोपी नेताओं को अदालत में मुकदमे का सामना करना पड़ेगा। चुनाव को लेकर राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय दबाव के बीच बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के मुख्य सलाहकार मोहम्मद यूनुस का रुख नरम पड़ता दिख रहा है।

बांग्लादेश सरकार के मुख्य सलाहकार की मुहम्मद यूनुस के प्रेस विभाग ने गुरुवार को बयान में यह जानकारी दी। एक प्रतिनिधिमंडल के साथ बात करते हुए मुहम्मद यूनुस ने कहा कि सरकार ने चुनावों के लिए दो संभावित समयसीमाएं निर्धारित की हैं। यूनुस ने कहा कि मतदान में देरी नहीं की जाएगी। उन्होंने स्पष्ट किया कि यदि राजनीतिक दल चुनाव से पहले केवल सीमित सुधार चाहेंगे तो मतदान दिसंबर में होगा। हालांकि, यदि वे अधिक व्यापक सुधार पैकेज का अनुरोध करते हैं, तो चुनाव अगले साल जून में हो सकते हैं।

गुरुवार को मोहम्मद यूनुस ने कंफर्ट एरो के नेतृत्व में ढाका पहुंचे 'इंटरनेशनल क्राइसिस ग्रुप' के प्रतिनिधिमंडल के साथ मुलाकात की। इस दौरान यूनुस ने कहा कि सरकार ने अवामी लीग के नेताओं को जुलाई विद्रोह के दौरान संभावित अपराधों के लिए हेग स्थित अंतरराष्ट्रीय अपराध न्यायालय में भेजने से इनकार नहीं किया है। उन्होंने कहा, यह पूरी तरह से विचाराधीन है।

इससे पहले बांग्लादेश की अंतरिम सरकार और विपक्षी दल बीएनपी (बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी) उन पर चुनाव लड़ने से रोक लगाने की कोशिश कर रहे थे। वहीं, पिछले साल विद्रोह करके शेख हसीना की सरकार को उखाड़ फेंकने वाले छात्र नेताओं ने भी मांग है कि अवामी लीग को गैरकानूनी घोषित किया जाए। छात्रों की तरफ से शेख हसीना की पार्टी पर उनके 15 साल के कार्यकाल के दौरान व्यापक मानवाधिकारों के हनन का आरोप लगाया गया है। पिछले साल के आंदोलन के दौरान प्रदर्शनकारियों पर हिंसक कार्रवाई का भी आरोप लगा, जिसमें 800 से अधिक लोग मारे गए थे। ऐसे में कार्यवाहक सरकार के नेता और नोबेल पुरस्कार विजेता मुहम्मद यूनुस का यह फैसला उन छात्र क्रांतिकारियों को नागवार गुजर सकता है।

वक्फ बिल पर फूंक-फूंक कर कदम रख रही मोदी सरकार, सीएए की तरह ना बन जाएं हालात

#waqfamendmentbill

वक्फ संशोधन बिल 2024 को लेकर सरकार और विपक्ष के बीच तकरार तेज होती जा रही है। एक तरफ सरकार वक्फ संशोधन बिल को अंतिम रूप देने की तैयारी में है। कहा जा रहा है कि संसद के चालू बजट सत्र के दूसरे चरण में वक्फ संशोधन बिल 2024 को पेश किया जा सकता है। वही वक्फ बिल के खिलाफ मुस्लिम संगठनों का गुस्सा बढ़ता जा रहा है। इस बिल के विरोध में जंतर-मंतर पर बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन भी हुआ।

Image 2Image 3Image 4Image 5

ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड से लेकर जमियत उलेमा-ए-हिंद और जमात-ए-इस्लामी सहित तमाम मुस्लिम संगठनों ने 17 मार्च को दिल्ली के जंतर-मंतर पर विरोध प्रदर्शन कर अपने तेवर दिखा दिए हैं। इस प्रदर्शन में विपक्षी नेताओं का भी साथ मिला। इन संगठनों ने किसान आंदोलन की तरह वक्फ बिल के खिलाफ आंदोलन खड़ा करने की चेतावनी सरकार को दी है। जिससे सियासी दबाव बढ़ रहा है। वक्फ बिल को लेकर मौलाना मुसलमानों को एकजुट करने में लगे हैं। ऐसे में आशंका जताई जा रही है कि कहीं सीएए-एनआरसी जैसे हालात तो पैदा नहीं हो जाएंगे?

क्या हुआ था 2019 में?

मोदी सरकार साल 2019 में बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान के अल्पसंख्यक समुदाय को भारत की नागरिकता देने के लिए सीएए कानून लेकर आई थी। सीएए के तहत मुस्लिम समुदाय को छोड़कर हिंदुओं, जैनों, ईसाइयों, सिखों, बौद्धों और पारसियों को भारतीय नागरिकता प्रदान करने का प्रावधान रखा गया। इसे लेकर दिल्ली के जामिया मिल्लिया इस्लामिया विश्वविद्यालय आंदोलन शुरू हुआ, जिसका केंद्र शाहीन बाग बन गया। सीएए-एनआरसी के खिलाफ शाहीन बाग का प्रोटेस्ट एक मॉडल बन गया और इस आंदोलन की चिंगारी देश भर में फैल गई थी। देश के तमाम शहरों में शहीन बाग की तर्ज पर महिलाएं और बच्चे सड़कों पर उतरकर धरने दे रहे थे।

सीएए कानून के विरोध में मुस्लिम समुदाय इसीलिए भी विरोध प्रदर्शन के लिए उतर गए थे, क्योंकि उन्हें ये संशय था कि उनकी नागरिकता छिन जाएगी। सीएए के खिलाफ आंदोलन ने जब विकराल रूप लिया तो मोदी सरकार को साफ-साफ शब्दों में कहना पड़ा कि फिलहाल सरकार की मंशा एनआरसी लागू करने की नहीं है। हालांकि, सरकार ने 2024 में इस कानून को भी लागू कर दिया।

क्या कानून पास कराने की स्थिति में है सरकार?

वक्फ संशोधन बिल को संसद में पारित कराना सरकार के लिए कोई बड़ी चुनौती नहीं है। यह बिल पहले ही संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) से पास हो चुका है, और लोकसभा में सरकार के पास स्पष्ट बहुमत है।

लोकसभा में संख्याबल:

लोकसभा कुल सीटें: 542

एनडीए के सांसद: 293 (जिसमें बीजेपी के 240 सदस्य)

कांग्रेस सहित इंडिया ब्लॉक के सांसद: 233

अन्य निर्दलीय और छोटे दलों के सांसद: 16 सदस्य

अगर बिल पर वोटिंग (डिवीजन) होती है, तो भी सरकार आसानी से इसे पारित करा लेगी, क्योंकि एनडीए के पास स्पष्ट बहुमत है।

राज्यसभा में सरकार की स्थिति

राज्यसभा कुल सदस्य: 236

बीजेपी के सांसद: 98

एनडीए के कुल सांसद: 115

6 नॉमिनेटेड सदस्य (जो आमतौर पर सरकार के पक्ष में वोट करते हैं), वहीं, संभावित समर्थन के साथ एनडीए का आंकड़ा 120+ है जो कि बहुमत के लिए पर्याप्त है।

क्या है वक्फ और इसका प्रबंधन?

बता दें कि वक्फ एक इस्लामी परंपरा है, जिसमें धार्मिक उद्देश्यों के लिए संपत्ति दान की जाती है। वक्फ संपत्तियों को बेचा या विरासत में नहीं दिया जा सकता, ये हमेशा अल्लाह के नाम पर होती हैं। भारत में 8,72,351 वक्फ संपत्तियां हैं, जो 9 लाख एकड़ भूमि में फैली हुई हैं। अनुमानित रूप से इनकी कीमत 1 लाख करोड़ रुपये से अधिक है।

इस वक्त देश में अलग-अलग प्रदेशों के करीब 32 वक्फ बोर्ड हैं, जो वक्फ की संपत्तियों का रजिस्ट्रेशन, देखरेख और मैनेजमेंट करते हैं। बिहार समेत कई प्रदेशों में शिया और सुन्नी मुस्लिमों के लिए अलग-अलग वक्फ बोर्ड हैं।

वक्फ बोर्ड का काम वक्फ की कुल आमदनी कितनी है और इसके पैसे से किसका भला किया गया, उसका पूरा लेखा-जोखा रखना होता है। इनके पास किसी जमीन या संपत्ति को लेने और दूसरों के नाम पर ट्रांसफर करने का कानूनी अधिकार है। बोर्ड किसी व्यक्ति के खिलाफ कानूनी नोटिस भी जारी कर सकता है। किसी ट्रस्ट से ज्यादा पावर वक्फ बोर्ड के पास होती है।

संसद ने 1954 में बनाया था वक्फ एक्ट

वक्फ में मिलने वाली जमीन या संपत्ति की देखरेख के लिए कानूनी तौर पर एक संस्था बनी, जिसे वक्फ बोर्ड कहते हैं। 1947 में देश का बंटवारा हुआ तो काफी संख्या में मुस्लिम देश छोड़कर पाकिस्तान गए थे। वहीं, पाकिस्तान से काफी सारे हिंदू लोग भारत आए थे। 1954 में संसद ने वक्फ एक्ट 1954 के नाम से कानून बनाया।

इस तरह पाकिस्तान जाने वाले लोगों की जमीनों और संपत्तियों का मालिकाना हक इस कानून के जरिए वक्फ बोर्ड को दे दिया गया। 1955 में यानी कानून लागू होने के एक साल बाद, इस कानून में बदलाव कर हर राज्यों में वक्फ बोर्ड बनाए जाने की बात कही गई।

आज आतंकी जहां मारे जाते हैं, वहीं दफना दिए जाते हैं, राज्यसभा में अमित शाह की हुंकार

#amitshahrajya_sabha

गृह मंत्री अमित शाह ने आज (21 मार्च) राज्यसभा में मोदी सरकार के 10 सालों में देश की सुरक्षा व्यवस्था में हुए कार्यों को गिनाया। इस दौरान उन्होंने कहा कि मोदी सरकार ने पिछले 10 साल में तीन बड़े नासूरों को उखाड़ फेंका। ये तीन नासूर थे जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद की समस्या, वामपंथी उग्रवाद और उत्तर पूर्व का उग्रवाद।

Image 2Image 3Image 4Image 5

पार्लियामेंट में बहस के दौरान गृहमंत्री अमित शाह ने कांग्रेस की सरकारों पर करारा हमला क‍िया। अमित शाह ने कहा, जब गृह मंत्रालय की चर्चा होती है तब देश में 2014 के पहले से कई सारे मुद्दे थे, जो मोदी सरकार को मिले। इस देश का विकास तीन समस्याओं की वजह से रुका था। ये नासूर थे, जो देश की शांति में खलल डाल रहे थे। चार दशक से देश में 3 नासूर थे। जम्मू कश्मीर में आतंकवाद पहला नासूर था। दूसरा नक्सलवाद और उत्तर पूर्व उग्रवाद तीसरा नासूर था। हमने पाकिस्तान में घुसकर सर्जिकल स्ट्राइक की। हमने जम्मू कश्मीर से धारा 370 को खत्म किया। पहले की सरकार आतंकी हमलों को भूल जाती थी।

अमेर‍िका-इजरायल के बाद सिर्फ भारत ऐसा कर सकता है- अमित शाह

गृह मंत्री अमित शाह ने कहा, मोदी सरकार की आतंकवाद के खिलाफ जीरो टॉलरेंस की नीति है। हमने आतंकवाद के करारा जवाब दिया है। पहले हमलों के बाद कोई कार्रवाई नहीं की जाती थी और मामले लंबित रहते थे। लेकिन मोदी के सत्ता में आने के बाद, पुलवामा हमले के 10 दिनों के भीतर ही हमने पाकिस्तान में घुसकर हमला किया। पूरी दुनिया में केवल दो ही देश हैं जो अपनी सीमाओं और रक्षा बलों की रक्षा के लिए हमेशा तैयार रहते हैं। इजरायल और संयुक्त राज्य अमेरिका, और प्रधानमंत्री मोदी ने इस सूची में हमारे महान राष्ट्र का नाम भी जोड़ दिया है।

पहले आतंकियों का महिमामंडन होता था- अमित शाह

अमित शाह ने आगे कहा कि हमने एक देश में दो विधान को खत्म किया। पहले की सरकार ने वोट बैंक की वजह से अनुच्छेद 370 नहीं हटाया। अब लालचौक पर तिरंगा फहरा रहा है। पहले आतंकवादियों के जुलूस निकलते थे। अब आतंकी जहां मरते हैं, वहीं दफन होते हैं। दस साल पहले आतंकियों का महिमामंडन होता था।

वामपंथी उग्रवाद की बात

वामपंथी उग्रवाद की बात करते हुए अमित शाह ने कहा, ये तो तिरुपति से पशुपतिनाथ तक एक करने का सपना देखते थे। तीनों समस्याओं को एक साथ गिना जाए तो चार दशक में इनके कारण देश के 92 हजार नागरिक मारे गए। मोदी सरकार आने से पहले तक इनके उन्मूलन को कोशिश कभी नहीं की गई। इस काम को मोदी सरकार आने के बाद किया गया।

31 मार्च 2026 तक देश से नक्सलवाद खत्म होगा-अमित शाह

गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि हमारा मकसद नक्सलवाद को खत्म करना हैं। उन्होंने कहा, टेक्नोलॉजी से नक्सलवाद के खिलाफ लड़ाई लड़ रहे हैं। 31 मार्च 2026 तक देश से नक्सलवाद खत्म होगा। जहां सूर्य भी नहीं पहुंचते वहां हमारे जवान तैनात हैं। छत्तीसगढ़ में सरकार बदलने के एक ही साल में 380 नक्सली मारे गए, जिसमें कल के 30 जोड़ना बाकी है। 1145 नक्सली गिफ्तार हुए और 1045 नक्सलियों ने सरेंडर किया। ये सब करने में 26 सुरक्षाबल हताहत हुए। छत्तीसगढ़ के बीजापुर और कांकेर जिले में सुरक्षाबलों के साथ मुठभेड़ में 30 नक्सली मारे गए थे।

कर्नाटक विधानसभा में बीजेपी विधायकों का हंगामा, स्पीकर के ऊपर फेंके गए पेपर

#karnataka_honey_trap_row_uproar_in_assembly

Image 2Image 3Image 4Image 5

कर्नाटक विधानसभा में शुक्रवार को जमकर हंगामा हुआ। बीजेपी विधायकों के हंगामे के बाद सदन की कार्यवाही स्थगित करनी पड़ी। भाजपा विधायकों ने सदन के वेल में घुसकर सीडियां लहराईं और स्पीकर की कुर्सी के सामने कागज फाड़कर फेंके।स्पीकर के ऊपर पेपर उछाले जाने से विधानसभा में जाेरदार हंगामा हुआ। स्पीकर के ऊपर कागज न गिरे इसके लिए मार्शल को मोर्चा संभाला पड़ा। बीजेपी विधायकों के भारी हंगामें के बाद विधनसभा की कार्रवाई को स्थगित कर दिया।

कर्नाटक में 48 नेताओं को हनी ट्रैप किए जाने के आरोपों के बाद शुक्रवार को विधानसभा में भारी हंगामा देखने को मिला।कर्नाटक के सहकारिता मंत्री केएन राजन्ना ने गुरुवार को खुलासा किया था कि उन्हें हनी ट्रैप में फंसाने की कोशिश की गई थी। उन्होंने यह भी कहा था कि कर्नाटक के कई विधायकों और सांसदों को इस जाल में फंसाया गया है। राजन्ना के इसी बयान पर विपक्षी पार्टी के विधायकों ने कर्नाटक विधानसभा में खूब हल्ला मचाया।

बीजेपी विधायकों द्वारा विधानसभा में किए गए प्रोटेस्ट को लेकर मुख्यमंत्री सिद्धारमैया गुस्से में दिखाई दिए। सत्ता पक्ष के विधायक जहां सद में बैठक हुए थे तो वहीं दूसरी तरफ बीजेपी के विधायकों ने स्पीकर की कुर्सी को चारों तरफ से घेर लिया।बीजेपी विधायकों ने आरोप लगाया कि कांग्रेस की सरकार विपक्षी नेताओं को ब्लैकमेल के लिए हनीट्रैप का इस्तेमाल कर रही है।

इससे पहले गुरुवार को राज्य के सहकारी मंत्री के.एन. राजन्ना ने दावा किया था कि कर्नाटक के 48 हनीट्रैप की राजनीतिक धोखेबाजी का शिकार हुए हैं। बीजेपी विधायकों ने इस मामले की जांच हाई कोर्ट के मौजूदा जज से कराने की मांग की।

दिल्ली हाईकोर्ट जज के घर मिले नकदी मामले ने पकड़ा तूल, राज्यसभा में भी गूंज

#delhi_high_court_judge_cash_issue_raised_in_rajya_sabha

दिल्ली हाई कोर्ट में कार्यरत एक सीनियर जज के घर से भारी संख्या में नकदी बरामद होने की खबर से लोग सकते में हैं। एक जज के घर से कथित तौर पर नकदी बरामद होने का मामला शुक्रवार को राज्यसभा में भी गूंजा। सभापति जगदीप धनखड़ ने कहा कि वह इस मुद्दे पर व्यवस्थित चर्चा के लिए कोई व्यवस्था ढूंढ़ेंगे।

Image 2Image 3Image 4Image 5

कांग्रेस के जयराम रमेश ने सुबह के सत्र में यह मुद्दा उठाया। जयराम रमेश ने इस मुद्दे को सदन में उठाते हुए न्यायिक जवाबदेही पर सभापति से जवाब मांगा और इलाहाबाद हाईकोर्ट के एक जज के खिलाफ महाभियोग के संबंध में लंबित नोटिस के बारे में याद दिलाया। रमेश ने कहा कि आज सुबह, हमने दिल्ली हाईकोर्ट के एक जज के आवास पर भारी मात्रा में नकदी पाए जाने के चौंकाने वाले मामले के बारे में पढ़ा। रमेश ने यह भी याद दिलाया कि पहले 50 सांसदों ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के एक जज के खिलाफ महाभियोग का नोटिस दिया था, लेकिन उस पर अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई। उन्होंने चेयरमैन से अनुरोध किया कि न्यायिक जवाबदेही बढ़ाने के लिए सरकार को दिशा-निर्देश दिए जाएं।

राज्यसभा के चेयरमैन और उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने इस पर जवाब देते हुए कहा कि सिस्टम में पारदर्शिता और जवाबदेही जरूरी है और वह इस मुद्दे पर एक स्ट्रक्चर्ड डिस्कशन करवाएंगे। धनखड़ ने कहा कि उन्हें इस बात से परेशानी है कि घटना हुई लेकिन तत्काल सामने नहीं आई। उन्होंने कहा कि यदि ऐसी घटना किसी राजनेता, नौकरशाह या उद्योगपति से संबंधित होती तो संबंधित व्यक्ति तुरंत 'लक्ष्य' बन जाता। उन्होंने कहा, इसलिए, मुझे विश्वास है कि पारदर्शी, जवाबदेह और प्रभावी प्रणालीगत प्रतिक्रिया सामने आएगी।

सभापति ने आगे कहा कि वह सदन के नेता और विपक्ष के नेता से संपर्क करेंगे और सत्र के दौरान चर्चा कराने की कोशिश करेंगे। महाभियोग मामले पर सभापति ने कहा कि उन्हें राज्यसभा के 55 सदस्यों से प्रतिवेदन मिला है। उन्होंने कहा कि अधिकांश सदस्यों ने सकारात्मक प्रतिक्रिया दी, जिससे मुझे अपना कर्तव्य निभाने में मदद मिली। उन्होंने शेष सदस्यों से उन्हें भेजे गए ई-मेल का जवाब देने की अपील की।

धनखड़ ने कहा कि अगर हस्ताक्षर करने वालों की संख्या 50 से ऊपर है तो वह उसी के अनुसार आगे बढ़ेंगे। उन्होंने कहा कि ज्यादातर सदस्यों ने सहयोग किया है। जिन सदस्यों ने अभी तक अपना जवाब नहीं भेजा है वे कृपया उन्हें भेजे गए दूसरे मेल का जवाब दें। तब मेरे स्तर पर प्रक्रिया में देरी नहीं होगी, यहां तक कि एक पल के लिए भी नहीं। सभापति ने सदन को यह भी सूचित किया कि प्रतिनिधित्व पर हस्ताक्षर करने वाले 55 सदस्यों में से एक सदस्य के हस्ताक्षर दो जगहों पर हैं और संबंधित सदस्य ने दूसरा हस्ताक्षर करने से इनकार किया है।

मुसलमानों को जिहाद के अलावा कुछ नहीं पता”, उमर अब्दुल्ला ने क्यों कही ऐसी बात?

#cmomarabdullahcriticizessunilsharmalegislative_jihad

Image 2Image 3Image 4Image 5

जम्मू कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने विपक्ष के नेता सुनील शर्मा पर तीखा हमला बोला है। उमर अब्दुल्ला ने सुनील शर्मा की “लेजिसलेटिव जिहाद” शब्द का इस्तेमाल करने के लिए कड़ी आलोचना की है। उन्होंने कहा कि हर बात में आपको जिहाद नजर आता है। जब कोई अन्य सदस्य उनके धर्म के बारे में बात करता है तो उन्हें गुस्सा आ जाता है। क्या वह यह साबित करने की कोशिश कर रहे हैं कि मुसलमानों को 'जिहाद' के अलावा कुछ नहीं पता?

सीएम अब्दुल्ला ने कहा कि धार्मिक मामलों पर ऐसी टिप्पणी करने से बचने चाहिए, जिससे लोगों की भावनाएं आहत हों। विधानसभा के बाहर पत्रकारों से बातचीत करते हुए उमर अब्दुल्ला ने यह भी कहा कि किसी को भी यह महसूस नहीं होना चाहिए कि इस सरकार में उनकी बात नहीं सुनी जाती।

सुनील शर्मा ने क्या कहा था?

इससे पहले गुरुवार को विपक्ष के नेता सुनील शर्मा ने नेशनल कॉन्फ्रेंस (एनसी) के नेता उमर अब्दुल्ला और उनकी पार्टी पर "टू नेशन थ्योरी" को बढ़ावा देने और बाहरी लोगों के जम्मू-कश्मीर में जमीन खरीदने के अधिकार का विरोध करने का आरोप लगाया था। सुनील शर्मा ने कहा था,यहां लैंड जिहादियों को बचाने के लिए लेजिसलेटिव जिहाद का इस्तेमाल किया जा रहा है। भारत एक है, भारत से कोई भी यहां आ सकता है, अगर कश्मीर का कोई व्यक्ति महाराष्ट्र में जमीन खरीद सकता है, तो महाराष्ट्र का कोई व्यक्ति कश्मीर में जमीन क्यों नहीं खरीद सकता?

दिल्ली हाईकोर्ट जज के बंगले पर मिला कैश, जानें कैसे सामने आया मामला

#whoisdelhihighcourtjudgejusticeyashwantverma

Image 2Image 3Image 4Image 5

सरकार पर लोगों को भरोसा हो ना हो कानून पर पूरा भरोसा है। हालांकि, कुछ ऐसे मामले में जिनसे अदालतों पर भरोसे की दीवार भी कमजोर पड़ने लगी है। ऐसा ही एक मामला सामने आया है दिल्ली हाई कोर्ट से। दरअसल, दिल्ली हाई कोर्ट के जज यशवंत वर्मा के घर भारी मात्रा में कैश बरामद किया गया है। देश के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति संजीव खन्ना की अगुवाई वाली कॉलेजियम ने इस पर तुरंत एक्शन लिया और फौरन जज यशवंत वर्मा, जिनके घर से नकदी मिली है, को इलाहाबाद हाई कोर्ट में ट्रांसफर कर दिया है। जज वर्मा के घर बड़ी मात्रा में नकदी तब रोशनी में आई जब उनके घर लगी आग को बुझाने फायर ब्रिगेड वाले पहुंचे थे।

होली की छुटि्टयों के दौरान जस्टिस वर्मा के दिल्ली स्थित सरकारी बंगले पर आग लग गई थी। वे घर पर नहीं थे। परिवार के लोगों ने पुलिस और इमरजेंसी सर्विस को कॉल किया और आग की जानकारी दी। पुलिस और फायरब्रिगेड की टीम जब घर पर आग बुझाने गई तो उन्हें भारी मात्रा में कैश मिला।

कॉलेजियम ने इमरजेंसी मीटिंग की

सूत्रों के मुताबिक जब सीजेआई जस्टिस संजीव खन्ना को मामले की जानकारी मिली तो उन्होंने कॉलेजियम की इमरजेंसी मीटिंग बुलाई। सर्वोच्च न्यायालय कॉलेजियम ने दिल्ली उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा के खिलाफ एक रिपोर्ट आने के बाद उन्हें उनके मूल उच्च न्यायालय इलाहाबाद में स्थानांतरित करने का निर्णय लिया। मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना की अध्यक्षता वाली सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने केंद्र सरकार को उनके स्थानांतरण की सिफारिशें कीं। न्यायमूर्ति वर्मा ने अक्तूबर 2021 में दिल्ली उच्च न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में शपथ ली।

कौन हैं जस्टिस यशवंत वर्मा

न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा का जन्म 6 जनवरी 1969 को इलाहाबाद में हुआ था। उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय के हंसराज कॉलेज से बी.कॉम ऑनर्स की डिग्री हासिल की। यशवंत वर्मा ने 1992 में रीवा विश्वविद्यालय से लॉ में ग्रेजुएशन किया। इसके बाद 08 अगस्त, 1992 को एडवोकेट के रूप में नामांकित हुए। एडवोकेट यशवंत वर्मा ने संवैधानिक, इंडस्ट्रियल विवाद, कॉर्पोरेट, टैक्सेशन, पर्यावरण और कानून की संबद्ध शाखाओं से संबंधित विभिन्न प्रकार के मामलों को संभालने वाले मुख्य रूप से दीवानी मुकदमों की पैरवी की। 2006 से प्रोमोट होने तक जस्टिस यशवंत वर्मा तक इलाहाबाद हाई कोर्ट के विशेष वकील भी रहे। 11 अक्टूबर, 2021 को उनका दिल्ली हाई कोर्ट में ट्रांसफर हो गया था।

जज के घर पर बेहिसाब नकदी मिलना गंभीर मामला

बड़ी मात्रा में नकदी कोई भी व्यक्ति अपने घर में नहीं रख सकता। काले धन के प्रवाह को रोकने के लिए यह जरूरी है कि ज्यादा नकदी होने पर उसे बैंक में जमा करें। अगर किसी के घर में बड़ी मात्रा में नकदी मिलती है तो उस व्यक्ति को नकदी का स्रोत बताना पड़ेगा। खासतौर से जज जैसे जिम्मेदार ओहदे पर बैठे व्यक्ति को तो अपनी ट्रांसपेरेंसी रखनी ही होगी। किसी जज के घर पर बेहिसाब नकदी का पाया जाना एक दुर्लभ और गंभीर मामला है।

बेंगलुरु में आरएसएस की तीन दिवसीय बैठक शुरू, कई अहम मुद्दों पर होगी चर्चा

#rss_three_day_meeting_begin_in_bengaluru

Image 2Image 3Image 4Image 5

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) में निर्णय लेने की सर्वोच्च संस्था अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा की तीन दिवसीय बैठक आज 21 मार्च से बेंगलुरु में शुरी हो गई है।संघ प्रमुख मोहन भागवत ने इस बैठक का उदघाटन किया। इस बैठक में 1482 प्रतिनिधि हिस्सा ले रहे हैं। 23 मार्च तक चलने वाली इस बैठक में आरएसएस से जुड़े 32 संगठनों के महासचिव भी शामिल होंगे, जिनमें भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा और महासचिव बीएल संतोष भी शामिल होंगे।

संघ की प्रतिनिधि सभा की शुरूआत में पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, तबलावादक जाकिर हुसैन, प्रीतीश नंदी सहित कई जानी मानी हस्तियों और संघ के कार्यकर्ताओं और पदाधिकारियों को श्रद्धांजलि दी गई। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सह सरकार्यवाह मुकुंद सीआर ने कहा कि हम जब भी इस तरह बैठक करते हैं तो शुरुआत उन लोगों को श्रद्धांजलि देते हैं, जो इस दुनिया में नहीं रहे।

सह सरकार्यवाह मुकुंद ने कहा कि इस साल संघ की स्थापना के 100 साल पूरे हो जाएंगे, इसलिए बैठक में संघ के विस्तार पर बातचीत होगी साथ ही अब तक संघ ने कितना काम किया इस पर चर्चा होगी। इसका मूल्यांकन होगा कि जो सामाजिक बदलाव हम लाने की कोशिश कर रहे हैं, उसमें कितना सफल रहे।

संघ के मुख्य प्रवक्ता सुनील आंबेकर ने बताया कि बैठक के दौरान बांग्लादेश और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के शताब्दी समारोह को लेकर प्रस्ताव पारित किया जाएगा। आंबेकर ने बताया कि संघ के महासचिव दत्तात्रेय होसबोले, संघ द्वारा किए गए कार्यों और उसके भविष्य की रूपरेखा का विस्तृत विवरण प्रस्तुत करेंगे। क्षेत्रीय प्रमुख भी अपने कार्यों, कार्यक्रमों, भूमिका और भविष्य की योजनाओं को प्रस्तुत करेंगे, जिनकी समीक्षा की जाएगी।