गाजीपुर के मस्जिदों की अनोखी पहल, बिना दहेज की शादी का दिया जा रहा संदेश; लेकिन कैसे

उत्तर प्रदेश के गाजीपुर जिले में समाज सुधार की एक अनूठी पहल शुरू की गई है. दिलदारनगर कमसार क्षेत्र में कुछ समाजसेवी हर जुमे को मस्जिदों में विशेष जागरूकता अभियान चला रहे हैं. समाजसेवी नमाज के बाद मस्जिदों के बाहर बैनर-पोस्टर हाथों में लेकर खड़े रहते हैं. इन पोस्टरों के माध्यम से वो बिना बारात और बिना दहेज के सादगीपूर्ण निकाह का संदेश दे रहे हैं. उनका मुख्य उद्देश्य शादी-विवाह में होने वाली अनावश्यक खर्च को रोकना है.

इस अभियान में शिक्षा को बढ़ावा देने पर विशेष जोर दिया जा रहा है. साथ ही समाज में एकता बढ़ाने के लिए भी लोगों को प्रेरित किया जा रहा है. यह पहल समाज में सकारात्मक बदलाव लाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम साबित हो रही है. तख्तियों पर लिखे गए विशेष संदेश समाज में सकारात्मक बदलाव ला रहे हैं. इन संदेशों में बिना बारात और बिना दहेज के सादगीपूर्ण निकाह की अपील की गई है.

दहेज के खिलाफ जागरुकता

नमाजियों के लिए यह संदेश प्रेरणा का स्रोत बन रहे हैं. जब वे मस्जिद से बाहर निकलते हैं, तो इन संदेशों को पढ़कर इस पहल की सराहना करते हैं. यह जागरूकता फैलाने का एक प्रभावी माध्यम साबित हो रहा है. इस अभियान का मुख्य उद्देश्य शादी में होने वाले फिजूल खर्च को कम करना है. इसमें लोगों को सलाह दी जाती है कि वे बचे हुए पैसों का उपयोग अपने बच्चों की शिक्षा पर करें. यह प्रयास बिना किसी शोर-शराबे के चुपचाप समाज में बदलाव ला रहा है.

सोशल मीडिया का भी इस्तेमाल

गाजीपुर का कमसारो बार का इलाका जिसमें मुस्लिम बहुल दर्जनों गांव शामिल है और यहां पर इस्लाह मुआशरा का कार्यक्रम आजादी के पहले से चलाया जा रहा है. जिसका समय-समय पर लोग अनुसरण करते हैं और इन इलाकों में बिना दहेज और बिना बारात के शादियों पर लगातार जोर देते हैं. ताकि गरीब बेटियों की भी शादी आसानी पूर्वक हो जाए. ऐसे में अब इन लोगों के द्वारा जो पहल की जा रही है. इससे भी आने वाले समय में एक बड़ी उम्मीद उन परिवारों को दिख रही है जो दहेज के अभाव में अपनी बेटियों की शादी नहीं करा पाते हैं. वहीं इन लोगों के प्रयास को लोग और आगे बढ़ाने के लिए सोशल मीडिया का भी सहारा ले रहे हैं. सोशल मीडिया के माध्यम से जागरूकता को और आगे तक बढ़ाने में लगे हुए हैं.

हाथ में पीएम और उनकी मां की तस्वीर, फूट-फूटकर रोने लगा युवक; फिर प्रधानमंत्री ने किया ये काम

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का शनिवार को गुजरात दौरा का दूसरा और आखिरी दिन है. पीएम मोदी शुक्रवार को सूरत पहुंचे थे और वहां सूरत खाद्य सुरक्षा संतृप्ति अभियान प्रोग्राम का आरंभ किया था. पीएम मोदी ने एक रोड-शो भी किया. सूरत में प्रधानमंत्री मोदी के रोड शो के दौरान उनकी एक झलक पाने के लिए बड़ी संख्या में लोग उमड़ पड़े. इस रोड शो के दौरान एक युवक प्रधानमंत्री मोदी का बेसब्री से इंतजार कर रहा था और उसके हाथ में प्रधानमंत्री मोदी और उनकी मां हीरा बा की तस्वीर थी.

प्रधानमंत्री मोदी को देखकर सूरत के एक युवक की आंखें भर आईं. वह पीएम मोदी को देखकर फूट-फूटकर रोने लगा. इस भावुक क्षण में प्रधानमंत्री मोदी ने युवक से बात की और युवक के हाथ में मौजूद तस्वीर पर अपने हस्ताक्षर भी किए.

पीएम को देखकर फूट-फूटकर रोने लगा युवक

जब उस भाव-विह्वल युवक पर प्रधानमंत्री मोदी की नजर पड़ी तो उन्होंने अपने वाहन को रुकवाया और युवक ने जो स्केच पकड़ रखा था. उसे अपने पास मंगवाया. इसके बाद प्रधानमंत्री ने उस स्केच पर अपने हस्ताक्षर किये और फिर उस युवक के पास वापस भिजवा दिया.

इसके बाद उस युवक ने हाथ जोड़कर प्रधानमंत्री को धन्यवाद दिया और उनका अभिवादन किया. प्रधानमंत्री ने नेयुवक की बनाई तस्वीर पर लिखा- प्रिय ओम अभिनंदन’ इसके बाद उस पर अपने हस्ताक्षर किए और तारीख लिखकर युवक को वापस कर दिया.

दिव्यांग ने पीएम मोदी को पेंटिंग भेंट की

दूसरी ओर, प्रधानमंत्री मोदी की सूरत यात्रा के दौरान उन्हें सूरत के एक दिव्यांग व्यक्ति द्वारा बनाई गई राम मंदिर की पेंटिंग भेंट की गई. कलाकार ने प्रधानमंत्री मोदी के रोड शो के दौरान अपनी कलाकृति प्रधानमंत्री को भेंट की.

प्रधानमंत्री मोदी राम मंदिर की पेंटिंग देखकर खुश हुए और उन्होंने पेंटिंग पर हस्ताक्षर भी किए, जिससे दिव्यांगों की आंखों में खुशी के आंसू देखने को मिले.

मुलाकात के बाद प्रधानमंत्री मोदी ने दिव्यांग कलाकार मनोज से मुलाकात की और उनकी कलाकृति की प्रशंसा की. कलाकार मनोज भिंगारे हाथ न होने के बावजूद अपने चेहरे और पैरों का उपयोग करके कैनवास पर अद्भुत पेंटिंग बनाते हैं. इस कलाकृति को बनाने के लिए मनोज ने लगातार 15 दिनों तक कड़ी मेहनत की थी.

UP के इन जिलों की आंगनबाड़ी में बंपर भर्ती, प्रक्रिया शुरू; जानें कैसे कर सकते हैं आवेदन

उत्तर प्रदेश में 21,547 आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं की भर्ती प्रक्रिया तेजी से चल रही है. इसके लिए 6.69 लाख से अधिक आवेदन प्राप्त हुए हैं. मथुरा, बस्ती जैसे कई जिलों में सत्यापन पूरा हो चुका है. शेष जिलों में ऑनलाइन और भौतिक सत्यापन जारी है. मुख्य सचिव ने प्रक्रिया में तेजी लाने के निर्देश दिए हैं ताकि जल्द से जल्द कार्यकर्ता अपनी जिम्मेदारियां संभाल सकें.

आकड़ों के अनुसारभर्ती के लिए विकसित पोर्टल पर अब तक 6.69 लाख से अधिक आवेदन प्राप्त हो चुके हैं. ऑनलाइन सत्यापन और भौतिक सत्यापन के माध्यम से चयन प्रक्रिया को जल्द से जल्द पूर्ण किए जाने की तैयारी है.

कई जिलों में सत्यापन की प्रक्रिया पूरी

यह भर्ती राज्य के सभी 75 जनपदों में की जा रही है. मथुरा, बस्ती, मऊ, देवरिया और बिजनौर में चयन संबंधी समस्त प्रक्रिया पूर्ण हो चुकी है, जबकि मुरादाबाद और प्रयागराज में प्रक्रिया आंशिक रूप से पूरी हुई है. शेष 68 जनपदों में आवेदकों के प्रमाण पत्रों का शत-प्रतिशत ऑनलाइन सत्यापन पूरा कर लिया गया है. इसके अलावा, 53 जनपदों में अभ्यर्थियों के अभिलेखों का भौतिक सत्यापन हो चुका है, जबकि 17 जनपदों में यह कार्य प्रगति पर है. मुख्य सचिव मनोज कुमार सिंह ने प्रक्रिया को जल्द से जल्द पूर्ण किए जाने के निर्देश दिए हैं

प्रमाण पत्रों का सत्यापन और भर्ती में पारदर्शिता

भर्ती प्रक्रिया में पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए आवेदकों के प्रमाण पत्रों का ऑनलाइन और भौतिक सत्यापन किया जा रहा है. विभाग द्वारा इस प्रक्रिया को तेज करने के लिए विशेष प्रयास किए जा रहे हैं. ताकि चयनित कार्यकत्रियां जल्द से जल्द अपनी जिम्मेदारियों को संभाल सकें. आंगनवाड़ी भारत में ग्रामीण मां और बच्चों के देखभाल का केंद्र है. बच्चों को भूख और कुपोषण से निपटने के लिए एकीकृत बाल विकास सेवा कार्यक्रम के भाग के रूप में, 1975 में उन्हें भारत सरकार द्वारा शुरू किया गया था. मूल स्वास्थ्य देखभाल गतिविधियों में गर्भनिरोधक परामर्श और आपूर्ति, पोषण शिक्षा और अनुपूरक, साथ ही पूर्व-विद्यालय की गतिविधियांशामिलहैं.

बिहार: राजगीर में सम्राट जरासंध स्मारक का अनावरण, CM नीतीश कुमार ने किया पुष्प अर्पित

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने आज नालंदा जिले के राजगीर के जयप्रकाश उद्यान में सम्राट जरासंध स्मारक का फीता काटकर अनावरण किया. महान सम्राट जरासंध की यह 21 फीट ऊंची प्रतीकात्मक प्रतिमा है. लोकार्पण के पश्चात् मुख्यमंत्री ने सम्राट जरासंध की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर उन्हें नमन किया. इस दौरान मुख्यमंत्री ने सम्राट जरासंध की जीवनी पर म्यूरल्स (भित्तिचित्र), जरासंध जानकारी केंद्र एवं परिसर के जल संरक्षण संरचना का अवलोकन किया. मुख्यमंत्री ने जयप्रकाश उद्यान परिसर का जायजा लेने के क्रम में कहा कि पूरे परिसर को ठीक ढंग से मेंटेन रखें.

मुख्यमंत्री ने कहा कि राजगीर से हमारा पुराना रिश्ता है. हम बचपन से ही यहाँ आते हैं. बिहार की बागडोर संभालने के बाद वर्ष 2009 में हम राजगीर में 7 दिन रहे थे और यहां के सभी महत्वपूर्ण स्थलों को जाकर देखा था. उसके बाद राजगीर के सभी ऐतिहासिक एवं धार्मिक स्थलों का विकास कराया गया लेकिन सम्राट जरासंध के अखाड़े की स्थिति को ठीक नहीं कर पाये क्योंकि यह स्थल भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के अधीन प्रतिबंधित है.

2023 में सम्राट जरासंध स्मारक

उन्होंने कहा कि हम सम्राट जरासंध के अखाड़ा को विकसित करना चाहते थे लेकिन प्रतिबंधित क्षेत्र होने के कारण यह संभव नहीं हो सका इसलिए जरादेवी मंदिर एवं जे.पी. उद्यान के बगल में जरासंध स्मारक निर्माण कराने का निर्णय लिया गया और 27 नवम्बर, 2022 को इसकी घोषणा की गयी. वर्ष 2023 में सम्राट जरासंध स्मारक का निर्माण कार्य शुरू हुआ. हमने कई बार निर्माणाधीन स्थल का जायजा लिया था.

मुख्यमंत्री ने कहा कि यहां सम्राट जरासंध की 21 फीट ऊंची प्रतिमा लगायी गई है. यहां पार्क भी बनकर तैयार है. आज सम्राट जरासंध के स्मारक एवं उनकी प्रतिमा (मूर्ति) का अनावरण किया गया है. बिहार में चन्द्रवंशी समाज के लोग सम्राट जरासंध को अपना पूर्वज मानते हैं. इसे देखते हुए वर्ष 2023 से सरकारी तौर पर जरासंध महोत्सव का आयोजन किया जा रहा है.

जानें कौन थे जरासंध?

जरासंध महाभारत काल के बेहद ही शक्तिशाली योद्धा थे. वे मल युद्ध (कुश्ती) में माहिर थे. पुराने जमाने के जरासंध का अखाड़ा आज भी राजगीर में मौजूद है. कार्यक्रम के दौरान पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री डॉ० सुनील कुमार ने पुष्प गुच्छ तथा पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग की सचिव श्रीमती बन्दना प्रेयसी ने प्रतीक चिह्न भेंटकर मुख्यमंत्री का स्वागत किया.

कार्यक्रम में मौजूद दिग्गज हस्तियां

कार्यक्रम में जल संसाधन सह संसदीय कार्य मंत्री श्री विजय कुमार चौधरी, सहकारिता मंत्री डॉ० प्रेम कुमार, पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री डॉ. सुनील कुमार, सांसद संजय कुमार झा, सांसद कौशलेंद्र कुमार, विधायक कौशल किशोर, विधायक कृष्ण मुरारी शरण उर्फ प्रेम मुखिया, पूर्व विधायक ई. सुनील, अन्य जनप्रतिनिधिगण, मुख्यमंत्री के सचिव अनुपम कुमार, पर्यावरण वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग की सचिव वन्दना प्रेयसी, मुख्यमंत्री के विशेष कार्य पदाधिकारी गोपाल सिंह, पटना प्रमंडल के आयुक्त मयंक बरबड़े, पटना प्रक्षेत्र के पुलिस महानिरीक्षक राकेश राठी, नालंदा के जिलाधिकारी शशांक शुभंकर सहित अन्य वरीय अधिकारी उपस्थित थे.

बिहार में ये कैसी शराबबंदी? गांव में आईदारू की बड़ी खेप, पहुंची पुलिस तो हो गय हमला; जान बचाकर भागे दरोगा

बिहार की राजधानी पटना के पालीगंज इलाके में शराबबंदी वाले राज्य में शराब माफियाओं के बढ़ते दुस्साहस की बानगी देखने को मिली, जब पालीगंज के रानी तालाब थाना क्षेत्र में पुलिस की टीम छापेमारी करने पहुंची. शराब के धंधेबाजों ने न केवल टीम पर हमला कर दिया बल्कि पुलिस टीम के कई जवानों की पिटाई भी कर दी.

हमले में दो दारोगा बुरी तरह से घायल हो गए वहीं कई अन्य जवानों को भी चोट आई है. पुलिस के वाहनों को भी क्षतिग्रस्त कर दिया गया है. मिली जानकारी के अनुसार शनिवार की सुबह नौ बजे के करीब पुलिस को सूचना मिली थी कि होली के मौके पर शराब के धंधेबाजों ने इस इलाके में शराब की एक बड़ी खेप मंगाई है. इसके बाद पुलिस ने पालीगंज थाना क्षेत्र के राघोपुर मुसहरी गांव में छापा मारा.

शराब धंधेबाजों का पुलिस टीम पर हमला

बिहार पुलिस के छापा मारने के बाद अचानक शराब के धंधेबाजों और उनके गुर्गों ने पुलिस के ऊपर पत्थरों से हमला शुरू कर दिया. इस हमले में एक तरफ जहां पुलिस के कई वाहन क्षतिग्रस्त हो गए, वहीं दूसरी तरफ दो दरोगा समेत कई पुलिसकर्मी घायल भी हो गए. बताया जा रहा है कि अपनी जान को बचाने के लिए पुलिस टीम को वहां भी भागना पडा. हालांकि घटना की सूचना मिलने के बाद आसपास के दुल्हिन बाजार और विक्रम थाना क्षेत्र की पुलिस को भी मौके पर बुलाया गया. साथ ही साथ डीएसपी समेत तीन थानों की पुलिस की तैनाती की गई.

इलाके में अभी तक बना हुआ है तनाव

पुलिस से मिली जानकारी के मुताबिक, इलाके में अभी भी तनाव बना हुआ है. इस मामले में अभी तक किसी की गिरफ्तारी की कोई सूचना नहीं आई है और न ही अभी पुलिस अधिकारियों की तरफ से कोई आधिकारिक बयान आया है, लेकिन बताया जा रहा है कि पुलिस ने शराब के धंधेबाजों की तलाश शुरू कर दी है और पूरे गांव में छानबीन की जा रही है. पुलिस पर हुए हमले में एसआई शिव शंकर, शिव शंकर राय समेत अन्य कर्मी शामिल हैं.

बिहार के मुजफ्फरपुर में शादी के मंडप में बवाल: दूल्हे की प्रेमिका ने किया हंगामा, दुल्हन के परिवार ने तोड़ी शादी

बिहार के मुजफ्फरपुर में एक शादी में बवाल मच गया. फेरों से ठीक पहले दूल्हे की प्रेमिका अपनी मां के साथ मैरिज हॉल पहुंच गई, जहां प्रेमिका ने चल रही शादी समारोह में हंगामा किया. इसके बाद दुल्हन के परिवार ने शादी तोड़ दी. सदमे में आकर दूल्हे की मां को हार्ट अटैक आ गया. दूल्हे की मां को तत्काल इलाज के लिए अस्पताल भर्ती कराना पड़ा.

गुरुवार को सुबह दुल्हन के घरवाले बारात के स्वागत की तैयारियों में व्यस्त थे. तभी अचानक एक महिला अपनी बेटी के साथ शादी स्थल पर पहुंच गई . दुल्हन के पिता से बोली कि जिस लड़के से आप अपनी बेटी की शादी कर रहे हैं, उसका मेरी बेटी से पहले से प्रेम संबंध है. प्रेमिका की मां ने साफ शब्दों में कहा कि में यह शादी नहीं होने दूंगी. हालांकि, दूल्हे के घरवाले लड़की और उसकी मां से मिन्नतें करते रहे कि वे वहां से चली जाएं, लेकिन दोनों कुछ भी सुनने को तैयार नहीं थीं. इसी बीच, दुल्हन के पिता को जब ये जानकारी मिली तो वे भी सकते में आ गए.

शादी में मचा बवाल

ये बात सुनते ही दुल्हन के परिवार में हड़कंप मच गया. स्थानीय लोगों की भीड़ भी वहां जमा हो गई. इसी दौरान लड़के पक्ष के लोगों ने नगर थाना पुलिस की डायल 112 टीम को बुला दिया. पुलिस ने मां-बेटी से कहा कि अगर शादी करना चाहती हैं तो शादी करें या थाने में शिकायत दर्ज करें.

सदमे में आई दूल्हे की मां

हालांकि, दोनों ने शिकायत दर्ज करने से इनकार कर दिया. इस बीच प्रेम प्रसंग के इस दावे के बाद दुल्हन के घरवालों ने तुरंत शादी तोड़ने का फैसला किया. इस फैसले से दूल्हे का परिवार सदमे में आ गया और दूल्हे की मां को दिल का दौरा पड़ गया और उनका इलाज अस्पताल में जारी है और यह मामला पूरे इलाके में चर्चा का विषय बन गया है.

महिलाएं और पुरुषों में से कौन ज्यादा बोलता है? स्टडी में हुआ खुलासा, जानें

क्या औरतों की तरह बातें कर रहे हो… तुम कितना बोलती हो, यह तो बड़ी बतूनी है… हमेशा यह माना जाता रहा है कि पुरुषों के मुकाबले औरतें ज्यादा बातें करती हैं. पुरुष शांत होते हैं, लेकिन औरतें हर मामले पर ज्यादा बोलती हैं, ज्यादा जज्बाती होती हैं, हालांकि, इन सभी बातों को लेकर एक स्टडी सामने आई है जो इस बात का सटीक जवाब देती है और बताती है कि महिलाओं और पुरुषों में से कौन ज्यादा बात करता है.

स्टडी के मुताबिक, महिलाएं कितनी बात करती हैं यह उनके जेंडर नहीं बल्कि सीधे-सीधे उनकी उम्र पर निर्भर करता है. साल 2007 में एरिजोना यूनिवर्सिटी के रिसर्च्स ने एक रिपोर्ट तैयार की. इस रिपोर्ट के मुताबिक, बताया गया है कि पुरुष और महिलाएं प्रति दिन लगभग बराबर ही शब्द बोलते हैं. दोनों ही लगभग 16,000 शब्द हर दिन बोलते हैं. साथ ही स्टडी में बाद में यह भी कहा गया है कि महिलाएं पुरुषों से अगर ज्यादा बात भी करती हैं तो वो सिर्फ निर्धारित एज ग्रुप में ही ज्यादा बोलती हैं.

कौन ज्यादा बोलता है?

साल 2007 में, एरिजोना यूनिवर्सिटी में मनोवैज्ञानिक मैथियास मेहल और उनकी टीम ने उस समय सुर्खियां बटोरीं जब उन्होंने इस मिथक को खारिज कर दिया कि महिलाएं पुरुषों की तुलना में प्रति दिन कहीं अधिक शब्द बोलती हैं.

इलेक्ट्रॉनिक रूप से सक्रिय रिकॉर्डर (ईएआर) का इस्तेमाल करते हुए, जो तकनीक की मदद से भाषण के टुकड़े रिकॉर्ड करते हैं, उन्होंने 500 लोगों की बातचीत का विश्लेषण किया और पाया कि दोनों जेंडर ने प्रति दिन लगभग 16,000 शब्द बोले.

जहां यह माना जाता है कि महिलाएं ज्यादा बातें करती हैं, वहीं यह स्टडी सामने आने के बाद यह मिथक टूट जाता है, क्योंकि महिलाएं और पुरुष बराबर मात्रा में ही रोजाना शब्द बोलते हैं.

किस एज ग्रुप में महिलाएं ज्यादा बोलती हैं?

इसी के बाद इसी मामले को लेकर इसी यूनिवर्सिटी में एक और स्टडी की गई, जिसमें एक नई चीज सामने आई. रिसर्चर मैथियास मेहल के साथ रिसर्चर कॉलिन टिडवेल, वेलेरिया फिफर और अलेक्जेंडर डेनवर्स ने इस इस सवाल पर बड़े पैमाने पर फिर से विचार करने का निर्णय लिया. इस बार, उन्होंने चार देशों में किए 22 टेस्ट किए. इसमें उन्होंने 2,197 प्रतिभागियों से 630,000 ऑडियो रिकॉर्डिंग का विश्लेषण किया.

हालांकि, इस बार की स्टडी में एक बड़े ही मजे की बात सामने आई, वो यह कि यह बताया गया कि एक एज ग्रुप की महिलाएं ज्यादा बात करती हैं. स्टडी में सामने आया 25 से 65 साल की महिलाएं पुरुषों से 3 हजार शब्द रोजाना ज्यादा बोलती हैं. इस एज ग्रुप की महिलाएं रोजाना 21,845 शब्द बोलती हैं. वहीं, इस एज ग्रुप के पुरुष रोजाना 18 हजार 570 शब्द बोलते हैं.

आप यह जानकर हैरान हो जाएंगे कि सिर्फ 25 से 65 साल की महिलाएं ही पुरुषों से 3000 शब्द रोजाना ज्यादा बोलती हैं, जबकि बाकी एज ग्रुप की महिलाएं चाहे वो 10-17 साल के बीच हो, 18 से 24 साल के बीच हो, या फिर 65 साल से ज्यादा हो, वो पुरुषों के बराबर ही शब्द बोलती हैं. जितना एक पुरुष बात करता है उतना ही वो भी बात करती हैं.

क्यों 25-65 साल की महिलाएं ज्यादा बात करती हैं?

जब आप इस स्टडी को पढ़ रहे होंगे तो आपके जहन में आया होगा कि जब बाकी सभी एज ग्रुप की महिलाएं पुरुषों जितना ही बोलती हैं तो फिर 25 से 65 की उम्र की महिलाएं ज्यादा बात क्यों करती हैं. स्टडी में इस सवाल का सटीक जवाब नहीं दिया गया है, लेकिन इस एज ग्रुप की महिलाओं की जिंदगी देख कर एक जवाब का सुझाव दिया गया है.

इस एज ग्रुप में महिलाओं की शादी हो जाती हैं और वो पेरेंटिंग में भी लग जाती हैं. उनके ऊपर जिम्मेदारियां आ जाती हैं. इसी के चलते इसे एक पॉइंट माना जा सकता है जिसकी वजह से वो ज्यादा बात करती हैं. रिसर्चर मेहल ने कहा, ये साल बच्चे के पालन-पोषण का समय होता है और महिलाएं अक्सर बच्चों की देखभाल में इस समय लगी होती हैं और अहम भूमिका निभाती हैं. इससे स्वाभाविक रूप से महिलाओं की बच्चों के साथ ज्यादा बातचीत होती हैं. दिलचस्प बात यह है कि स्टडी में यह भी साफ कर दिया गया है कि महिलाएं हार्मोन जैसे जैविक कारक के अंतर के चलते महिलाएं ज्यादा नहीं बोलती हैं.

उंगलियां करने लगी बात, लोग हो गए खामोश

इस स्टडी में न सिर्फ यह सामने आया कि महिलाएं और पुरुषों में से कौन ज्यादा बोलता है, बल्कि यह भी सामने आया है कि सोशल मीडिया के चलते अब हमारी उंगलियां ज्यादा बात करने लग गई हैं और लब खामोश हो गए हैं. अब ज्यादातर लोग खामोश रहते हैं और सिर्फ फोन पर मैसेज करके ही एक दूसरे से ज्यादा बात करते हैं. शोधकर्ताओं ने कहा कि हमें संदेह है कि जैसे-जैसे हम संचार के लिए तकनीक पर निर्भर होते जा रहे हैं, हर दिन बोले जाने वाले शब्दों की संख्या कम हो रही है.

इन महापुरुषों की जिंदगी में रहा महिलाओं का खास योगदान, हर कदम पर चलीं साथ

हर पुरुष की सफलता में कहीं न कहीं किसी महिला का हाथ जरूर होता है…ये लाइन आपने कई बार सुनी होगी और यह काफी हद तक सच भी है. जिंदगी में किसी पुरुष को आगे बढ़ाने में सहयोग करने वाली उनकी पत्नी, बहन, मां कोई भी हो सकती है. महिलाएं जहां कंधे से कंधा मिलाकर चलना जानती हैं तो वह पूरी तरह समर्पित होकर साथ भी देना जानती हैं. भारत के इतिहास में कई ऐसी महिलाएं हुई हैं, जिन्होंने न सिर्फ अपनी वीरता का प्रमाण दिया है, बल्कि अपने समर्पण से भी देश को सींचा है. भारत की धरती पर कई महापुरुष हुए हैं और उनकी जिंदगी में उन्हें आगे बढ़ाने से लेकर हर स्थिति में साथ चलने तक महिलाओं का खास योगदान रहा है. आज अंतराष्ट्रीय महिला दिवस के मौके पर बात करेंगे ऐसी ही महिलाओं के बारे में जिनका देश के महापुरुषों के जीवन में खास योगदान रहा और देश की आजादी में भी इन महिलाओं ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया.

एक महिला अगर पुरुष की हर परिस्थिति में साथ देने का ठान ले तो वह उसे अर्श तक ले जाने का दम रखती है और हर परिस्थिति में उसके साथ जीवन निर्वाह भी कर सकती है. ऐसी ही न जाने कितनी कहानियां हैं जो हमारे देश की महिलाओं की गाथा कहती हैं. देश में योगदान देने वाले महापुरुषों की तो काफी बातें की जाती हैं, लेकिन उनकी जिंदगी में भी किसी न किसी महिला का योगदान जरूर रहा है तो चलिए उनके बारे में भी जान लेते हैं.

कस्तूरबा गांधी

गांधी जी को देश का बापू कहा जाता है और देश का बच्चा-बच्चा आज भी उनके बारे में जानता है. गांधी जी ने देश को आजादी दिलाने के लिए हर भरसक प्रयास किया और खुद को पूरी तरह से समर्पित कर दिया, वहीं उनकी पत्नी कस्तूरबा गांधी भी हर कदम पर उनके साथ रहीं. यहां तक कि उन्होंने स्वतंत्रता आंदोलनों में भी हिस्सा लिया और जेल भी गईं. इस दौरान उन्होंने काफी कष्ट भी सहे. वहीं महात्मा गांधी की मां पुतलीबाई का भी एक प्रेरणा के रूप में उनके जीवन में खास योगदान रहा.

सावित्री बाई फुले

ज्योतिबा फुले एक समाजसुधारक, लेखक होने के साथ क्रांतिकारी कार्यकर्ता भी थे तो वहीं उनकी पत्नी सावित्रीबाई फुले ने भी देश के लिए अहम भूमिका निभाई है. सावित्रीबाई फुले का महिलाओं की साक्षरता में खास योगदान रहा है. आज भी उनके किए कार्य प्रेरणा हैं. वह भारत की पहली महिला शिक्षिका थीं और अपने पति ज्योतिवाराव फुलें का साथ मिलकर उन्होंने कई स्कलों की स्थापना की और समाज को सुधारने की तमाम कोशिशें की.

सुशीला दीदी

एक ऐसी महिला जिसने देश के क्रांतिकारियों के लिए अपने गहनों तक को बेच दिया था, उनका नाम है सुशीला, जिन्हें सुशीला दीदी के नाम से जाना गया. भारत की स्वाधीनता आंदोलन के दौरान मातृशक्ति का खास योगदान रहा है. सुशीला दीदी वह महिला थीं, जिन्हें स्कूल से ही देशभक्ति की प्रेरणा अपनी महिला प्राचार्य से मिली थी और उन्होंने एक पंजाबी गीत भी लिखा जो क्रांतिकारियों की पसंदीदा गीत बना. इसके अलावा वह क्रांतिकारियों तक गुप्त सूचनाएं भेजना, क्रांति की अलख जगाने केलिए पर्चे वितरित करना, जैसे काम भी करती थीं.

होली से पहले मिलावटखोरों पर बड़ा एक्शन, 10,000 लीटर मिलावटी देसी घी बरामद

होली का त्योहार नजदीक है. ऐसे में लोग एक-दूसरे को मिठाइयां खिलाकर खुशियां बांटते हैं, लेकिन होली आने से पहले ही मिलावटखोरों ने मिलावट करनी भी शुरू कर दी गई है. इसको लेकर फूड सेफ्टी डिपार्टमेंट भी अलर्ट हो गया है. उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर के इमलिया गांव में फूड सेफ्टी डिपार्टमेंट टीम ने शुक्रवार को बड़ा एक्शन लिया है, जहां टीम ने पार्श्वनाथ घी प्लांट पर छापा मारा है.

होली के करीब आते ही घी में मिलावट शुरू हो गई है. जब फूड सेफ्टी डिपार्टमेंट ने पार्श्वनाथ घी प्लांट पर छापा मारा तो वहां से 10,000 लीटर मिलावटी देसी घी बरामद हुआ. इस घी की कीमत करीब 50 लाख रुपये है. इस घी को तैयार करने के लिए केमिकल मिलाया जा रहा है. मामले की जांच की गई तो ये भी सामने आया कि इसमें 27 लीटर देसी घी का फ्लेवर भी मिलाया गया.

10,000 लीटर मिलावटी देसी घी बरामद

घी में फ्लेवर और एसेंस को मिलाकर देसी घी की खुशबू दी जा रही थी. यही नहीं फूड सेफ्टी डिपार्टमेंट की टीम ने घी बनाने में इस्तेमाल किए जा रहे 27 घरेलू गैस सिलेंडर को भी बरामद किया है. फूड सेफ्टी डिपार्टमेंट ने जिस प्लांट से ये 10,000 लीटर मिलावटी देसी घी बरामद किया. उसके मालिक पर भी केस दर्ज कराया है. अब और भी जगहों पर छापेमारी की जाएगी और मिलावटखोरों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी.

प्लांट को भी कर दिया गया सील

मिलावटी देसी घी बरामद करने और पार्श्वनाथ घी प्लांट के मालिक पर केस दर्ज कराने के बाद प्लांट को भी सील कर दिया. इससे बाकी उद्योगों को भी एक मैसेज दिया गया है कि मिलावट करने वालों के खिलाफ कड़ा एक्शन लिया जाएगा. खाद्य सुरक्षा अधिकारी विनीत कुमार ने बताया, मिलावटी घी की शिकायत मिल रही थी. पार्श्वनाथ घी प्लांट पर छापा मारा गया. 10000 लीटर मिलावटी देसी घी मिला है. प्लांट को सील कर दिया गया है. सैंपल जांच के लिए लैब भेजा जाएगा.

लोगों को मिलावटी घी नकली न लगे. इसके लिए वनस्पति और रिफाइंड को मिलाकर तैयार किया जा रहे घी में एसेंस मिलाया जा रहा था, जिसकी 25 से 30 बोतल भी मिली हैं. सेफ्टी के लिए यहां पर 6-7 कुत्ते भी पाले हुए थे. प्लांट से लाखों देसी घी के रैपर बरामद किए गए, जिनकी पैकिंग हरियाणा के नाम पर की जा रही थी.

कहानी भिवानी की लड़की की, जिसकी पेंटिंग की राष्ट्रपति मुर्मू भी हो गईं फैन, प्रेसिडेंट हाउस बुलाया

जब भी महिलाओं के संघर्ष की बात आती है तब कई ऐसे नाम हमारे सामने आते हैं जिन्हें हम अक्सर सुनते हैं, लेकिन बहुत से नाम ऐसे भी होते हैं जो गुमनाम रहते हैं और चुपचाप संघर्ष करते हुए अचानक से सामने आ जाते हैं. एक ऐसा ही नाम है सुलेखा कटारिया का जिन्होंने अपना संघर्ष गांव की पगडंडियों से शुरु किया और अपनी सफलता की तालियां राष्ट्रपति भवन तक पहुंचकर बटोरीं.

सुलेखा कटारिया का जन्म हरियाणा के भिवानी जिले के एक छोटे-से गांव, ढाबढाणी में हुआ. सुलेखा का बचपन विपरीत परिस्थितियों में गुज़रा, लेकिन इनके सपने विपरीत परिस्थितियों से लड़कर अपनी मंज़िल तक पहुंचने के थे. इनके पिता छोटे किसान हैं साथ ही दर्जी का काम भी करते हैं. सुलेखा की प्रारंभिक शिक्षा गांव के सरकारी स्कूल में हुई और कॉलेज की पढ़ाई राजीव गांधी महिला महाविद्यालय, भिवानी से पूरी हुई. इसके बाद सुलेखा ने कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय, कुरुक्षेत्र से पोस्ट ग्रेजुएशन किया.

कॉलेज की फीस भरने के नहीं थे पैसे

सुलेखा के घर की आर्थिक स्थिति कमज़ोर है. घर मे 4 भाई-बहन हैं. पिता की इतनी कमाई नहीं कि बिना कर्ज़ लिए सबकी पढ़ाई का खर्च उठा पाएं. सुलेखा ने अपने जीवन में वो दिन भी देखे जब कॉलेज की फीस भरने के लिए पैसे नहीं थे और न ही ऑटो का किराया दे पाना आसान था. लेकिन फिर भी सुलेखा ने आगे बढ़ने की कोशिश जारी रखी.

सुलेखा का जब भी मनोबल टूटता उनके बड़े भाई उन्हें प्रेरित करते रहे, लेकिन कोरोना के दौरान जब सुलेखा के भाई की दोनों किडनियां खराब हो गईं तब परिवार बिखर गया. मजबूरन पोस्ट ग्रेजुएशन के बाद सुलेखा को दिल्ली आकर नौकरी करनी पड़ी.

गांव के सरकारी स्कूल में पढ़ाई के दौरान सुलेखा ने गीता जयंती महोत्सव में भाग लिया. जहां उनकी बनाई पेंटिंग कोब्लॉक लेवल पर पहला स्थान मिला. तब सुलेखा को ये एहसास हुआ कि उनकी कला में कुछ खास बात है. जिसके बाद उन्होंने अपनी कला को निखारने की ठानी और जिला व राज्य स्तर पर कई प्रतियोगिताएं भी जीतीं.

मार्च 2024 में दिल्ली के ऐतिहासिक पुराना किला में आयोजित एक राष्ट्रीय वर्कशॉप में सुलेखा को भाग लेने का मौका मिला. जिसमें देशभर से बहुत से कलाकार शामिल हुए थे, इसकी थीम थी— “विकसित भारत: विजन 2047”. सुलेखा ने बताया कि इस प्रतियोगिता में उन्होंने एक विशेष चित्र बनाया—’भारत का मानचित्र’, जिसमें हाल ही में लॉन्च हुए चंद्रयान को दर्शाया गया था और भारत के माथे पर हरियाणा की शान—पगड़ी को उकेरा था. इस पेंटिंग को बनाते वक्त सुलेखा नहीं जानती थीं कि ये पेंटिंग उनकी ज़िंदगी में बड़ा बदलाव लाएगी.

टॉप 15 पेंटिंग्स में हुई शामिल

इसके बाद राष्ट्रपति भवन से एक दिन सुलेखा को एक फोन आया. ‘आपकी पेंटिंग देश की टॉप 15 पेंटिंग्स में शामिल की गई है और आपको राष्ट्रपति भवन में आमंत्रित किया जा रहा है!’ इस कॉल को सुनने के बाद सुलेखा को विश्वास नहीं हुआ और उन्हें लगा कि कहीं ये कोई स्कैम तो नहीं! इसके बाद जबआधिकारिक निमंत्रण आया तब सुलेखा को यकीन हो गया. सुलेखा से बात करने पर उन्होंने बताया कि राष्ट्रपति भवन जाना मेरे लिए सपने के सच होने जैसा था. मैं वहां पहुंची तो चारों ओर भव्यता थी, लेकिन मेरे दिल में बीते संघर्षों की स्मृतियां थीं. वहां राष्ट्रपति जी ने मेरी कला की सराहना की. सबसे बड़ी खुशी की बात यह थी कि मेरी पेंटिंग को राष्ट्रपति भवन के एक विशेष हॉल में स्थायी रूप से प्रदर्शित किया गया.

गांव के छोटे से स्कूल से संघर्ष से जूझते हुए अपने सफर की शुरुआत की थी और जब राष्ट्रपति भवन के उस हॉल में सुलेखा ने अपनी पेटिंग को दीवार पर टंगे देखा तो उनका मन प्रसन्न हो उठा. सुलेखा कहतीं हैं कि अगर आपके अंदर धैर्य और मेहनत करने की इच्छा है तो कोई भी विपरीत परिस्थिति आपके सपनों के आड़े नहीं आ सकती. सुलेखा आज भी इसी कोशिश में हैं कि अपनी कला के ज़रिए उन सभी लड़कियों के लिए प्रेरणा बनें जो छोटे गांवों से निकलकर बड़े सपने देखती हैं.