कब और किसने दी दुनिया में सबसे पहले अजान, कैसे हुई थी शुरुआत?
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अजान… जिसे सुनकर मुसलमान नमाज पढ़ते हैं. पूरे दिन में पांच बार मस्जिदों से अजान दी जाती है, जो नमाजियों को नमाज के लिए एक संकेत का काम करती है. क्या आप जानते हैं अजान सबसे पहले कब और किसने दी? चलिए इसके बारे में जानते हैं, लेकिन इसे जानने से पहले इस्लाम की कुछ जरूरी बातों को समझते हैं…
हजरत मोहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम को इस्लाम मजहब का आखिरी पैंगबर माना जाता है. पैंगबर हजरत मोहम्मद साहब का जन्म अरब देश के मक्का शहर में 20 अप्रैल 571 ईस्वी को हुआ था.
उन्हें पैगंबर होने की जानकारी 40 साल की उम्र में तब हुई जब वे हिरा पहाड़ की एक गार में अल्लाह की इबादत कर रहे थे. उसी बीच फरिश्ते हजरत जिब्राइल अलैहिस्सलाम ने उन्हें अल्लाह का पैगाम देते हुए इस्लाम के आखिरी पैगंबर होने की जानकारी दी.
अल्लाह से तोहफे में मिली पांच वक्त की नमाज
पैगंबर मोहम्मद साहब ने मक्का के लोगों को इसके बारे में बताया, जिसे सुनकर वह उनके दुश्मन बन गए. जब हजरत मोहम्मद साहब को पैगंबर बने 11 साल हुए तभी उनके साथ एक ऐसा वाक्या हुआ जिससे न सिर्फ उनकी जिंदगी बदली, बल्कि पूरे इस्लाम की हिस्ट्री का सुनहरा दौर शुरू हो गया. उस रात पैगंबर मोहम्मद साहब मेराज के सफर (यहां पढ़ें) के लिए निकले. इस सफर में उनकी सात आसमानों की सैर करते हुए अल्लाह से मुलाकात हुई. इस मुलाकात के दौरान पैगंबर मोहम्मद साहब को तोहफे में पांच वक्त की नमाज मिली. इस घटना के बाद हर मुसलमान पर नमाज पढ़ना अनिवार्य हो गया. यह इस्लाम के पांच स्तंभों में एक है.
पहले कैसे बुलाते थे नमाज के लिए?
अल्लाह से तोहफे में नमाज मिलने के बाद पैगंबर मोहम्मद साहब ने मुसलमानों को इसे पढ़ने का आदेश दिया. उस दौर में मक्का में बहुत कम मुसलमान हुए थे और वहां के गैर मुस्लिमों से उनकी जान पर खतरा रहता था. इस बीच जमाअत के साथ नमाज पढ़ने के लिए मुसलमान एक दूसरे को एक दूसरे के जरिए से बुला लिया करते थे. लेकिन नमाज के लिए बुलाने का कोई खास आगाज करने का तरीका नहीं था. इसके ठीक एक साल बाद पैगंबर मोहम्मद साहब मक्का से मदीना हिजरत कर गए.
जमाअत के लिए जोर से पुकारा जाता था
मदीना में लोगों को इस्लाम के बारे में बताया और लोग बड़ी संख्या में मुसलमान होने लगे. इस्लामिक स्कॉलर गुलाम रसूल देहलवी ने बताया कि पहले वहां मस्जिदे कुबा फिर उसके बाद नमाज के लिए मस्जिदे नबवी बनाई गई. हिजरी दो साल के बाद मुसलमानों की तादाद बढ़ने लगी और जमाअत की नमाज के लिए अस्सलातुल जामिया यानी नमाज के लिए सब जमा हैं’ कहकर जोर से पुकार किया जाता था. जो इस ऐलान को सुनता था वह जमाअत की नमाज में शामिल हो जाता था.
कैसे बुलाएं नमाजी? मिले कई सुझाव
गुलाम रसूल देहलवी हदीस की किताब बुखारी शरीफ का हवाला देते हुए कहते हैं कि मुसलमानों की बढ़ती तादात से नमाजियों की संख्या में भी इजाफा होने लगा. अब मुसलमानों को नमाज के लिए बुलाने का कोई तरीका ढूंढना पैगंबर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम और साहबियों को जरूरी लगने लगा. इसके बाद पैगंबर मोहम्मद साहब ने तमाम साहबियों के साथ इस्लाह और मशवरा शुरू कर दिया. इनमें से किसी ने यहूदियों की तरह बिगुल फूंकने की पेशकश की, तो किसी ने ईसाइयों की तरह घंटा बजाने, तो किसी ने आतिश परस्तों की तरह मोमबत्ती जलाकर नमाज के लिए बुलाने की पेशकश की. पैगंबर मोहम्मद साहब को इनमे से किसी की राय पसंद नहीं आई.
इस तरह मिला अजान का मशविरा
उसके बाद पैगंबर मोहम्मद साहब ने इसके लिए अच्छी राय के लिए वक्त का इंतजार किया. इस पर अल्लाह की तरफ से कोई अच्छा सुझाव या तरीका का कोई हुक्म आ जाए, जिसके लिए वे इंतजार करने लगे. कुछ दिन बीतने के बाद एक दिन सहाबी अब्दुल्ला इब्ने जैद रजियल्लाहु अन्हु, पैगंबर हजरत मोहम्मद के पास आए और कहा कि उन्होंने कल एक खूबसूरत ख्वाब देखा. जिसमें एक शख्स उन्हें अजान के अल्फाज सिखा रहा था और फिर उसने मुझे मशवरा दिया कि इसी अल्फाज से लोगों को नमाजों के लिए बुलाया करो. उन्होंने पैगंबर साहब को अजान के वह अल्फाज सुनाए जो उन्होंने ख्वाब में सीखे थे.
सबसे पहले हजरत बिलाल ने दी अजान
पैगंबर मोहम्मद साहब को अजान का यह अंदाज काफी पसंद आया और इसे उन्होंने इसे अब्दुल्ला इब्ने ज़ैद (र.अ) को अजान के यह अल्फाज हजरत बिलाल रजियल्लाहु अन्हु को सिखाने को कहा.इसके बाद नमाज का वक्त होते ही हजरत बिलाल (र.अ.) खड़े हुए और नमाज के लिए बुलंद आवाज में अजान दी. उनकी अजान की आवाज मदीना शरीफ में गूंज उठी और लोग सुनकर मस्जिदे नबवी की तरफ तेज रफ्तार से चलते-दौड़ते आने लगे.
और इस तरह लग गई मुहर
उसके बाद हजरत उमर इब्ने खत्ताब (र.अ.) भी आ गए और उन्होंने पैगंबर मोहम्मद साहब से कहा कि उन्हें भी यह अजान एक फरिश्ते ने कल रात ख्वाब में आकर सिखाया था. यह सुनने के बाद पैगंबर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम को इतिमीनान हुआ और इस अजान को नमाज के लिए बुलाने और पुकारने के लिए हमेशा के लिए कंफर्म कर दिया.
Mar 03 2025, 17:43