इंडिया का नाम बदलकर 'भारत' करने के लिए याचिका दायर, दिल्ली हाई कोर्ट ने केंद्र को दिया वक्त

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दिल्ली उच्च न्यायालय में एक याचिका दायर कर संविधान में संशोधन करने तथा इंडिया शब्द के स्थान पर 'भारत' या 'हिंदुस्तान' शब्द रखने के लिए सरकार को निर्देश देने की मांग की गई है। दिल्ली हाई कोर्ट ने सरकार को निर्देश देने के अनुरोध वाली याचिका पर निर्देश पाने के लिए समय दिया है। यह याचिका 4 फरवरी को जस्टिस सचिन दत्ता के सामने सुनवाई के लिए आई थी और अदालत ने इसे 12 मार्च को आगे की सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया था।

अदालत ने कहा, 'शुरुआत में, अग्रिम सूचना पर उपस्थित हुए प्रतिवादी संख्या एक और चार (केंद्र) के वकील ने निर्देश प्राप्त करने के लिए कुछ समय मांगा है।'शुरुआत में, याचिकाकर्ता ने संविधान में संशोधन करने और 'इंडिया' शब्द की जगह 'भारत' या 'हिंदुस्तान' करने के लिए केंद्र को निर्देश देने का अनुरोध करते हुए उच्चतम न्यायालय का दरवाजा खटखटाया। शीर्ष अदालत ने 2020 में निर्देश दिया था कि याचिका को एक ज्ञापन के रूप में लिया जाए और उचित मंत्रालयों द्वारा इस पर विचार किया जा सकता है।

याचिकाकर्ता नमहा ने हाई कोर्ट में याचिका दायर कर अधिकारियों को उनके ज्ञापन पर निर्णय लेने का निर्देश देने का अनुरोध किया। याचिका में कहा गया है, याचिकाकर्ता के पास वर्तमान याचिका के माध्यम से इस न्यायालय का दरवाजा खटखटाने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचा है, क्योंकि याचिकाकर्ता के ज्ञापन पर लिए गए किसी भी निर्णय के बारे में प्रतिवादियों की ओर से कोई अपडेट नहीं है।

याचिका में दावा किया गया है कि अंग्रेजी नाम ‘इंडिया’ देश की संस्कृति और परंपरा का प्रतिनिधित्व नहीं करता है और इसका नाम बदलकर ‘भारत’ करने से नागरिकों को ‘औपनिवेशिक बोझ’ से छुटकारा पाने में मदद मिलेगी। याचिका में संविधान के अनुच्छेद 1 में संशोधन करने की मांग की गई है, जो संघ के नाम और क्षेत्र से संबंधित है। याचिका में संविधान के अनुच्छेद 1 में संशोधन करने की मांग की गई है।

तत्कालीन संविधान के मसौदे के अनुच्छेद 1 पर 1948 में संविधान सभा में हुई बहस का हवाला देते हुए याचिका में कहा गया है कि उस समय भी देश का नाम 'भारत' या 'हिंदुस्तान' रखने के पक्ष में 'जबरदस्त लहर' थी। याचिका में कहा गया है, हालांकि, अब समय आ गया है कि देश को उसके मूल और प्रामाणिक नाम यानी भारत से पहचाना जाए, खासकर तब जब हमारे शहरों का नाम बदलकर भारतीय लोकाचार के साथ उनकी पहचान बनाई गई है।

सुप्रीम कोर्ट की रणवीर अल्लाहबादिया को लताड़ा, कहा- आपके शब्दों ने माता-पिता और समाज को शर्मिंदा किया

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समय रैना के शो 'इंडियाज गॉट लैटेंट' में अभद्र और आपत्तिजनक टिप्पणी करने पर सुप्रीम कोर्ट ने यूट्यूबर रणवीर इलाहाबादिया को फटकार लगाई है। कोर्ट ने कहा है कि उनके दिमाग में गंदगी है, जो यूट्यूब शो पर उगल दी गई। कोर्ट ने उन्हें अंतरिम राहत देते हुए मामले में दर्ज मुंबई, असम और जयपुर की एफआईआर के विरोध में गिरफ्तारी पर रोक लगा दी है। हालांकि, कोर्ट ने यह शर्त भी रखी कि रणवीर या उनके सहयोगी आगे सुनवाई पूरी होने तक कोई शो नहीं करेंगे। साथ ही कोर्ट की इजाजत के बिना देश छोड़कर नहीं जाएंगे।

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सुप्रीम कोर्ट ने यूट्यूबर रणवीर अल्लाहबादिया की याचिका पर मंगलवार यानी 18 फरवरी को सुनवाई की। सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस एन कोटेश्वर सिंह की बेंच ने रणवीर की याचिका पर सुनवाई की। सुप्रीम कोर्ट ने इन्फ्लुएंसर रणवीर इलाहाबादिया के वकील से पूछा समाज के मूल्य क्या हैं? ये पैरामीटर क्या हैं, क्या आप जानते भी हैं'? समाज के कुछ स्व-विकसित मूल्य हैं। आपको उनका सम्मान करने की जरूरत है।

रणवीर अल्लाहबादिया की ओर से पूर्व सीजेआई चंद्रचूड़ के बेटे अभिनव चंद्रचूड़ केस लड़ रहे हैं। वकील अभिनव चंद्रचूड़ ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि रणवीर अल्लाहबादिया की जान को खतरा है। उनके खिलाफ जान से मारने की धमकियां मिल रही हैं। वकीलअभिनव चंद्रचूड़ ने कहा कि कई राज्यों में मामले दर्ज हैं।

जस्टिस सूर्यकांत ने कहा कि आप लोगों के माता-पिता को बेइज्जत कर रहे हैं। यह गंदे दिमाग की उपज है। आपके पास भारी संपत्ति है। दो अलग एफआईआर का आप बचाव कर सकते हैं। हम एफआईआर क्यों क्लब करें। जांच और मुकदमा आपके मुताबिक नहीं चलाया जा सकता। अगर आपको खतरा है, तो यह राज्य सरकार की जिम्मेदारी है और आप शिकायत करें।

जस्टिस सूर्यकांत ने सख्त टिप्पणी करते हुए कहा, आप किसी भी तरह के शब्द बोल सकते हैं और पूरे समाज को हल्के में ले सकते हैं। आप हमें बताएं कि दुनिया में कौन सा व्यक्ति ऐसे शब्दों को पसंद करेगा। यदि आप अभद्र भाषा का प्रयोग करके सस्ती लोकप्रियता पा सकते हैं, तो धमकी देने वाला यह व्यक्ति भी प्रचार चाहता है। जो शब्द आपने चुने हैं, उससे मां-बाप, बहनें शर्मिंदा होंगी। पूरे समाज को शर्मिंदगी महसूस होगा। विकृत मन है आपका और आपके साथियों ने जिस विकृति का प्रदर्शन किया है। हमारे यहां न्यायिक व्यवस्था है, जो कानून के शासन से बंधी है। अगर धमकियां हैं तो कानून अपना काम करेगा।

नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर क्यों और कैसे मची भगदड़? आरपीएफ की रिपोर्ट में वजह आई सामने

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नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर 15 फरवरी को हुई भगदड़ में 18 लोगों की मौत हो गई थी। घटना को लेकर रेलवे सुरक्षा बल (आरपीएफ) की एक रिपोर्ट सामने आई है, जिसमें बताया गया है कि प्रयागराज जाने वाली कुंभ स्पेशल ट्रेन के प्लेटफॉर्म बदलने के अनाउंसमेंट से हादसा हुआ है। आरपीएफ ने घटना के एक दिन बाद यानी 16 फरवरी को दिल्ली जोन को एक रिपोर्ट सौंपी है।

आरपीएफ की रिपोर्ट के मुताबिक प्रयागराज जाने वाली कुंभ स्पेशल ट्रेन के बारे में तीन मिनट के अंतराल पर दो अलग-अलग प्लेटफॉर्म का ऐलान होने की वजह से शनिवार रात नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर मची भगदड़ में कम से कम 18 लोगों की मौत हो गई। पहले ऐलान में कहा गया कि ट्रेन प्लेटफॉर्म 12 से चलेगी, जबकि दूसरी बार कहा गया कि यह ट्रेन प्लेटफॉर्म 16 से रवाना होगी। रिपोर्ट्स के मुताबिक इन घोषणाओं के तुरंत बाद भगदड़ जैसी स्थिति बन गई।

आरपीएफ के नई दिल्ली पोस्ट के इंचार्ज इंस्पेक्टर ने यह रिपोर्ट तैयार की है। रिपोर्ट में कहा गया है कि कुंभ स्पेशल के लिए अनाउंसमेंट के बाद प्लेटफॉर्म नंबर 12, 13, 14 और 15 के यात्री पैदल पुल नंबर 2 और 3 की ओर जाने लगे। इन सभी प्लेटफॉर्म पर जाम लग गया था। ये सारे यात्री सीढ़ियों का इस्तेमाल कर रहे थे। ठीक उसी समय मगध एक्सप्रेस (प्लेटफॉर्म नंबर 14 पर खड़ी) और उत्तर संपर्क क्रांति एक्सप्रेस (प्लेटफॉर्म नंबर 15 पर खड़ी) और प्रयागराज एक्सप्रेस (जो स्टेशन पर आने ही वाली थी) के यात्री भी सीढ़ियों से नीचे उतर रहे थे। इन यात्रियों का आमना-सामना हुआ। भीड़ ज्यादा होने की वजह से कुछ यात्री सीढ़ियों पर फिसल गए और दूसरों के नीचे कुचल गए।

भगदड़ की शुरुआत जांच में पता चला था कि नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर हर दिन शाम 6 बजे से 8 बजे के बीच औसतन 7000 टिकट बुक किए जाते हैं। हालांकि, शनिवार को यह संख्या बढ़कर 9,600 से ज्यादा हो गई, जो कि सामान्य श्रेणी के टिकटों से 2600 ज्यादा थी। टिकटों की बिक्री में हुई बढ़ोतरी के चलते अजमेरी गेट साइड प्लेटफॉर्म पर यात्रियों की संख्या बढ़ गई, जहां प्रयागराज सहित कई पूर्व की ओर जाने वाली ट्रेनें निर्धारित थीं।

आरपीएफ के सहायक सुरक्षा आयुक्त ने पुल नंबर 2 पर पहुंचकर भीड़ का जायजा लिया और स्टेशन डायरेक्टर को टिकट बिक्री रोकने व भीड़ को कंट्रोल करने के लिए जरूरी कदम उठाने को कहा। डायरेक्टर को यह भी निर्देश दिया गया कि जैसे ही स्पेशल ट्रेनें भर जाएं, उन्हें तुरंत रवाना कर दिया जाए। रिपोर्ट में कहा गया है कि आरपीएफ अधिकारी पुलों को खाली कराने की कोशिश कर रहे थे, तभी रात 8:45 बजे कुंभ स्पेशल ट्रेन के प्लेटफॉर्म 12 से रवाना होने का ऐलान किया गया, कुछ ही देर बाद एक और ऐलान किया गया था कि यह ट्रेन अब प्लेटफॉर्म 16 से रवाना होगी। इससे यात्रियों में अफरातफरी मच गई।

ज्ञानेश कुमार के सीईसी बनने पर कांग्रेस क्यों नाराज? राहुल गांधी ने उठाए सवाल

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ज्ञानेश कुमार मुख्य चुनाव आयुक्त बनाए गए हैं। नई दिल्ली में प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में तीन सदस्यों वाली समिति की बैठक में सोमवार को यह फैसला किया गया। ज्ञानेश कुमार बुधवार यानी 19 फरवरी को मुख्य चुनाव आयुक्त की जिम्मेदार संभालेंगे। दिलचस्प है कि सुप्रीम कोर्ट में मुख्य चुनाव आयुक्त की नियुक्ति वाले नए नियम को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई से पहले इसकी घोषणा की गई है। जिसको लेकर ज्ञानेश कुमार की नियुक्ति पर मुख्य विपक्षी पार्टी कांग्रेस ने आपत्ति जताई है। कांग्रेस ने मुख्य चुनाव आयुक्त की नियुक्ति के लिए बैठक बुलाने में मोदी सरकार द्वारा दिखाई गई जल्दबाजी पर सवाल उठाए हैं।

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सोमवार को मुख्य चुनाव आयुक्त की नियुक्ति का फैसला पीएम मोदी, अमित शाह और राहुल गांधी की तीन सदस्यीय कमेटी ने किया। मुख्य चुनाव आयुक्त और चुनाव आयुक्त का 2:1 के बहुमत से चयन हुआ है। राहुल गांधी ने नियुक्ति पर असहमति जताई है। उनका कहना है कि जब तक सुप्रीम कोर्ट की ओर से नई नियुक्ति प्रक्रिया को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर फैसला नहीं किया जाता तब तक सीईसी की नियुक्ति को स्थगित करना चाहिए।

दरअसल नए कानून के तहत अब मुख्य चुनाव आयुक्त की नियुक्ति वाले पैनल में चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया नहीं होंगे। पहले इसमें सीजेआई भी शामिल होते थे। पिछले साल ही केंद्र सरकार की ओर से इस कानून में बदलाव किया गया था। कांग्रेस समेत विपक्ष की कई पार्टियों ने इसपर आपत्ति जताई थी और सुप्रीम कोर्ट का द्वार खटखटाया था। मामला अबतक सुप्रीम कोर्ट में लंबित है। ऐसे में राहुल गांधी इसी फैसले का इंतजार करने के लिए कह रहे थे।

कांग्रेस का कहना है कि सरकार को 19 फरवरी 2025 तक का इंतजार करना चाहिए था। 19 फरवरी 2025 को सुप्रीम कोर्ट में इस मामले की सुनवाई होनी है। इसको लेकर कांग्रेस महासचिव केसी वेणुगोपाल ने कहा, सरकार ने जल्दबाजी में आधी रात को नए मुख्य चुनाव आयुक्त की नियुक्ति की अधिसूचना जारी की है। यह हमारे संविधान के खिलाफ है। उन्होंने कहा, सुप्रीम कोर्ट ने भी कई मामलों में दोहराया है कि चुनाव की प्रक्रिया की पवित्रता के लिए मुख्य चुनाव आयुक्त को एक निष्पक्ष हितधारक होना चाहिए।

कौन हैं कतर के अमीर शेख अल-थानी? जिनके लिए पीएम मोदी प्रोटोकॉल तोड़कर पहुंच गए एयरपोर्ट

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कतर के अमीर शेख तमीम बिन हमद अल-थानी दो दिवसीय राजकीय दौरे पर भारत आए हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सोमवार शाम को खुद उनकी आगवानी करने इंदिरा गांधी एयरपोर्ट पहुंचे। पीएम मोदी ने प्रोटोकॉल तोड़कर कतर के अमीर शेख तमीम बिन हमद अल-थानी की अगवानी के ले वहां मौजूद रहे। कतर के अमीर शेख तमीम बिन हमद अल-थानी जैसे ही प्लेन से नीचे उतरे, पीएम मोदी ने मुस्कराते हुए उन्हें गले लगा लिया। अमीर ने भी उतनी ही गर्मजोशी के साथ उनका साथ दिया। कतर के अमीर को एयरपोर्ट पर रेड कारपेट वेलकम देकर गॉर्ड ऑफ ऑनर दिया गया।

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अमीर शेख तमीम बिन मंगलवार को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से मुलाकात करेंगे और पीएम नरेंद्र मोदी के साथ बातचीत करेंगे। प्रधानमंत्री ने एक्स पर एक पोस्ट में कहा कि अपने भाई, कतर के शेख तमीम बिन हम्माद अल-थानी का स्वागत करने के लिए एयरपोर्ट गया। भारत में उनके सफल प्रवास की कामना करता हूं।

मंगलवार की सुबह कतर के अमीर का राष्ट्रपति भवन के परिसर में औपचारिक स्वागत किया जाएगा, जिसके बाद हैदराबाद हाउस में प्रधानमंत्री मोदी के साथ उनकी बैठक होगी। विदेश मंत्रालय ने कहा कि वह प्रधानमंत्री मोदी के साथ द्विपक्षीय संबंधों के विभिन्न पहलुओं पर चर्चा करेंगे। बयान के अनुसार मंगलवार दोपहर को सहमति पत्रों का आदान-प्रदान होगा, जिसके बाद कतर के अमीर राष्ट्रपति मुर्मू से मुलाकात करेंगे। विदेश मंत्रालय ने कहा कि अल-थानी पीएम मोदी के आमंत्रण पर भारत दौरे पर आए हैं।

कौन हैं अमीर तमीम बिन अल-थानी?

शेख तमीम बिन हमद अल-थानी कतर के अमीर रहे शेख हमद बिन खलीफा अल-थानी के बेटे हैं। वे दुनिया के सबसे युवा राष्ट्राध्यक्षों में से एक हैं। उन्हें 2003 में क्राउन प्रिंस नियुक्त किया गया। इसके बाद 2009 में उन्हें सेना में डिप्टी कमांडर इन चीफ का पद मिला। वे 25 जून 2013 को कतर के अमीर बने थे। उनके पास करीब 335 अरब डॉलर की संपत्ति है। वे दुनिया के 9वें सबसे अमीर शासक हैं।

खेलों में है गहरी रूचि

तमीम बिन अल-थानी का जन्म 3 जून 1980 को कतर की राजधानी दोहा में हुआ था। उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा कतर में ही प्राप्त की और उच्च शिक्षा के लिए ब्रिटेन गए। ब्रिटेन से शिक्षा पूरी करने के बाद उन्होंने कतर की सेना में भी अपनी सेवाएं दीं। तमीम खेलों में गहरी रुचि रखते हैं। 2006 में कतर में आयोजित एशियन गेम्स के सफल आयोजन में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका रही। इस आयोजन ने उन्हें वैश्विक पहचान दिलाई। उनकी नेतृत्व क्षमता का एक और उदाहरण 2022 फीफा वर्ल्ड कप का कतर में सफल आयोजन रहा।

ज्ञानेश कुमार होंगे देश के अगले मुख्य निर्वाचन आयुक्त, नए कानून के तहत नियुक्त होने वाले पहले सीईसी

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ज्ञानेश कुमार को देश का नया मुख्य चुनाव आयुक्त बनाया गया है। पिछले साल मार्च में चुनाव आयुक्त के रूप में नियुक्त किए गए ज्ञानेश कुमार भारत के अगले मुख्य चुनाव आयुक्त बने है। वो राजीव कुमार की जगह लेंगे। राजीव कुमार 18 फरवरी को रिटायर हो रहे हैं। 19 फरवरी को ज्ञानेश कुमार सीईसी का पद संभालेंगे।

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सोमवार रात कानून मंत्रालय ने नोटिस जारी करते हुए नए चुनाव आयुक्त के नाम की घोषणा की। जारी अधिसूचना में कहा गया है कि मुख्य निर्वाचन आयुक्त और अन्य निर्वाचन आयुक्तों (नियुक्ति, सेवा की शर्तें और कार्यालय की अवधि) अधिनियम-2023 के खंड 4 की शक्तियों का प्रयोग करते हुए राष्ट्रपति ने निर्वाचन आयुक्त ज्ञानेश कुमार को मुख्य निर्वाचन आयुक्त नियुक्त किया है। वहीं, ज्ञानेश कुमार की जगह डॉ. विवेक जोशी अब चुनाव आयुक्त होंगे।

मुख्य चुनाव आयुक्त की नियुक्ति को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई में तीन सदस्यीय चयन समिति की बैठक हुई। यह बैठक साउथ ब्लॉक स्थित प्रधानमंत्री कार्यालय में आयोजित की गई। चयन समिति की बैठक में पीएम मोदी, लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी और प्रधानमंत्री द्वारा नामित केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह शामिल हुए।

केरल कैडर के 1988 बैच के आईएएस अधिकारी ज्ञानेश कुमार तीन सदस्यीय पैनल के दो आयुक्तों में से वरिष्ठ हैं, जिसका नेतृत्व राजीव कुमार ने किया था। पैनल के दूसरे आयुक्त उत्तराखंड कैडर के अधिकारी सुखबीर सिंह संधू हैं।पिछले साल मार्च से वो चुनाव आयुक्त के पद पर हैं।वे पहले सहकारिता मंत्रालय के सचिव थे और 31 जनवरी 2024 को रिटायर हुए। 

आईएलटी कानपुर से सिविल इंजीनियरिंग में बी.टेक पूरा करने के बाद ज्ञानेश कुमार ने आईसीएएफएल, भारत से बिजनेस फाइनेंस और हार्वर्ड विश्वविद्यालय, यूएसए से पर्यावरण अर्थशास्त्र की पढ़ाई की है। उन्होंने केरल सरकार में एर्नाकुलम के सहायक कलेक्टर, अदूर के सब कलेक्टर, एससी/एसटी के लिए केरल राज्य विकास निगम के एमडी, कोचीन निगम के नगर आयुक्त, केरल राज्य सहकारी बैंक के एमडी, उद्योग और वाणिज्य के निदेशक, एर्नाकुलम के जिला कलेक्टर, गोश्री द्वीप विकास प्राधिकरण के सचिव, त्रिवेंद्रम एयरपोर्ट डेवलपमेंट सोसाइटी के एमडी, केरल राज्य परिवहन परियोजना के परियोजना निदेशक और नई दिल्ली में केरल हाउस के रेजिडेंट कमिश्नर के रूप में काम किया है।

कम गहराई और 4.0 तीव्रता के कारण आए भूकंप के झटके: राष्ट्रीय भूकंप विज्ञान केंद्र ने किया विश्लेषण

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सोमवार सुबह करीब 5:36 बजे दिल्ली में 4.0 तीव्रता का भूकंप आया, जिसका केंद्र धौला कुआं में झील पार्क के नीचे था, जैसा कि राष्ट्रीय भूकंप विज्ञान केंद्र (एनसीएस) द्वारा किए गए विश्लेषण में पाया गया कि घटनाओं का क्रम उत्तर-पश्चिम-दक्षिण-पूर्व दिशा में हुआ। रिपोर्ट में कहा गया है कि संरचनात्मक विशेषता मुख्य झटके को ट्रिगर करने के लिए एक अत्यधिक अनुकूल स्थान के रूप में कार्य करती है, मुख्य रूप से भूकंप के केंद्र में और उसके आसपास मौजूद महत्वपूर्ण संरचनात्मक विविधता के कारण।

भूकंप का केंद्र लाल किले से 10 किमी दक्षिण-पश्चिम में था, जिसे एनसीएस द्वारा स्थापित 30 से अधिक ब्रॉडबैंड भूकंपीय स्टेशनों द्वारा अच्छी तरह से रिकॉर्ड किया गया था। उपसतह भूवैज्ञानिक संरचनाओं में भिन्नता ने संभवतः इस प्रवृत्ति के साथ तनाव संचय और बाद में टूटने में योगदान दिया। भूकंप के केंद्र के 50 वर्ग किलोमीटर के दायरे में पिछले भूकंपीय गतिविधियों की जांच से पता चलता है कि 25 दिसंबर, 2007 को वर्तमान भूकंप केंद्र के दक्षिण में 4.6 तीव्रता का भूकंप आया था, जो सोमवार के भूकंप के 6 किलोमीटर के दायरे में था।

रिपोर्ट में कहा गया है, "इससे अतीत में भूकंपजनन के सामान्य पैटर्न का पता चलता है, जो इस क्षेत्र में 1990 से भूकंपीय गतिविधि के साथ पुष्टि करता है, जो पहले से मौजूद तनाव की स्थिति और क्षेत्र में मौजूद कई रेखाओं और दोषों के बीच बातचीत की उपस्थिति को उजागर करता है, जो स्रोत क्षेत्र के नीचे पिछले नदी और जल संरचनाओं से तरल पदार्थ और पानी के साथ स्रोत रॉक सामग्री के जुड़ाव जैसी कमजोर श्रेणी की उप-सतह विषमताओं के कारण हाल की घटना को प्रभावित कर सकता है।" झील पार्क-धौला कुआं भूकंप सामान्य दोष के कारण हुआ, जिसने अलग-अलग शक्तियों के भूकंपजनन के प्रमुख कारण के रूप में हाइड्रो फ्रैक्चरिंग की अवधारणा का समर्थन किया।

इसके अतिरिक्त, दो प्रसिद्ध क्षेत्रीय दोष, मथुरा फॉल्ट और सोहना फॉल्ट, भूकंप के केंद्र के बहुत करीब स्थित हैं। भूकंप के केंद्र में अधिकतम तीव्रता IV (MMI स्केल) और भूकंप के केंद्र से लगभग 0-15 किमी की दूरी से न्यूनतम तीव्रता III (MMI स्केल) के झटके दर्ज किए गए हैं। रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि भूकंप की उथली गहराई के कारण भूकंपीय तरंगों के सतह पर पहुंचने और हवा के साथ संपर्क करने पर झटकों के दौरान तेज आवाज हुई। आज के भूकंप M4.0 का संकेत एक अच्छा संकेत है क्योंकि स्रोत क्षेत्र की चट्टान सामग्री ने 2007 के भूकंप M4.6 से पहले अपनी अधिकतम विश्वसनीय ऊर्जा तक पहुंचने से पहले ऊर्जा जारी की थी जो उसी भूकंप स्रोत क्षेत्र में आया था। 5 किमी की उथली गहराई और तीव्रता IV के कारण झटके तीव्र हैं, "रिपोर्ट में कहा गया है।

बंगाल की धरती से मोहन भागवत ने किया हिंदुओं को एकजुट होने का आह्वान, दिया बड़ा बयान

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राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के प्रमुख मोहन भागवत ने पश्चिम बंगाल की धरती से कहा है कि हमें हिंदू समाज को एकजुट और संगठित करने की जरूरत है।उन्होंने हिंदू समाज को जिम्मेदार समुदाय बताते हुए कहा कि वह एकता को विविधता का प्रतीक मानते हैं। संघ प्रमुख ने ये बातें पश्चिम बंगाल के पूर्वी बर्धमान स्थित एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कही।

देश का जिम्मेदार समाज हिंदू-भागवत

पश्चिम बंगाल के ब‌र्द्धमान में संघ के मध्य बंग प्रांत की सभा को संबोधित करते हुए हिंदू समाज की एकता पर जोर दिया। उन्होंने स्पष्ट किया कि संघ का उद्देश्य संपूर्ण हिंदू समाज को संगठित करना है, क्योंकि यह समाज भारत की सांस्कृतिक और नैतिक पहचान का प्रतीक है।भागवत ने कहा कि अक्सर लोगों द्वारा यह सवाल उठाया जाता है कि संघ सिर्फ हिंदू समाज पर ही क्यों ध्यान देता है। इसका उत्तर देते हुए उन्होंने कहा कि हिंदू समाज ही इस देश का जिम्मेदार समाज है, जो उत्तरदायित्व की भावना से परिपूर्ण है। इसलिए, इसे एकजुट करना आवश्यक है।

हिंदू ने विश्व की विविधता को अपनाया-भागवत

भागवत ने कहा, भारतवर्ष एक भौगोलिक इकाई नहीं है इसका आकार समय के साथ घट या बढ़ सकता है। इसे भारतवर्ष तब कहा जाता है जब यह अद्वितीय प्रकृति का प्रतीक हो। भारत का अपना चरित्र है। जिन लोगों को लगा कि इस प्रकृति के साथ नहीं रह सकते, उन्होंने अपना अलग देश बना लिया। जो लोग बचे रहे, वे चाहते थे कि भारत का सार बना रहे। यह सार क्या है? 15 अगस्त 1947 से अधिक पुराना है। यह हिंदू समाज है, जो विश्व की विविधता को अपनाकर फलता-फूलता है। यह प्रकृति विश्व की विविधता को स्वीकार करती है और उसके साथ आगे बढ़ती है। यह एक शाश्वत सत्य है जो कभी नहीं बदलता है।

इतिहास से सबक और समाज में एकता की आवश्यकता

अपने संबोधन में मोहन भागवत ने ऐतिहासिक आक्रमणों का जिक्र करते हुए कहा कि भारत पर शासन करने वाले आक्रमणकारियों ने समाज के भीतर विश्वासघात के कारण सफलता पाई। उन्होंने सिकंदर से लेकर आधुनिक युग तक के विभिन्न आक्रमणों का उदाहरण देते हुए कहा कि समाज जब संगठित नहीं रहता, तब बाहरी ताकतें हावी हो जाती हैं। इसलिए, हिंदू समाज की एकजुटता सिर्फ वर्तमान की नहीं, बल्कि भविष्य की भी जरूरत है।

हिंदू पूरे देश की विविधता को एकजुट रखते हैं-भागवत

मोहन भागवत ने कहा कि भारत में कोई भी सम्राटों और महाराजाओं को याद नहीं करता, बल्कि अपने पिता का वचन पूरा करने के उद्देश्य से 14 साल के लिए वनवास जाने वाले राजा (भगवान राम) और उस व्यक्ति (भरत) को याद रखता है, जिसने अपने भाई की पादुकाएं सिंहासन पर रख दीं और वनवास से लौटने पर राज्य उसे राज सौंप दिया। उन्होंने कहा, ये विशेषताएं भारत को परिभाषित करती हैं। जो लोग इन मूल्यों का पालन करते हैं, वे हिंदू हैं और वे पूरे देश की विविधता को एकजुट रखते हैं। हम ऐसे कार्यों में शामिल नहीं होते जो दूसरों को आहत करते हों। शासक, प्रशासक और महापुरुष अपना काम करते हैं, लेकिन समाज को राष्ट्र की सेवा के लिए आगे रहना चाहिए।

बता दें कि पहले ममता बनर्जी सरकार ने आरएसएस की रैली को अनुमति नहीं दी थी। इस पर संघ ने कलकत्ता हाईकोर्ट का रास्ता खटखटाया था, जिसने उन्हें रैली की इजाजत दी।

चीन पर सैम पित्रोदा ने फंसाया तो कांग्रेस ने किया किनारा, जयराम रमेश बोले- ये पार्टी के विचार नहीं

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इंडियन ओवरसीज कांग्रेस के अध्यक्ष और राहुल गांधी के करीबी सैम पित्रोदा ने कहा- भारत को चीन को अपना दुश्मन मानना बंद कर देना चाहिए। चीन से खतरे को अक्सर बढ़ा-चढ़ाकर पेश किया जाता है। पित्रोदा के इस बयान के बाद सियासी तूफान मच गया। बीजेपी ने कांग्रेस और राहुल गांधी के खिलाफ तीर-कमान तान लिया। विवाद बढ़ता देख उनकी इस टिप्पणी से कांग्रेस ने दूरी बना ली है। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और राज्यसभा सांसद जयराम रमेश ने एक बयान जारी कर स्पष्ट किया कि सैम पित्रोदा के चीन पर व्यक्त विचार पार्टी के आधिकारिक विचार नहीं हैं।

कांग्रेस महासचिव और मीडिया प्रभारी जयराम रमेश ने सोमवार को कहा कि सैम पित्रोदा द्वारा चीन पर की गई टिप्पणी से कांग्रेस का कोई मतलब नहीं है। उन्होंने कहा कि चीन देश की विदेश नीति, बाह्य सुरक्षा और आर्थिक क्षेत्र की सबसे बड़ी चुनौती बना हुआ है। कांग्रेस पार्टी ने चीन के प्रति मोदी सरकार के दृष्टिकोण पर बार-बार सवाल उठाए हैं। जिसमें प्रधानमंत्री द्वारा 19 जून 2020 को सार्वजनिक रूप से चीन को दी गई क्लीन चिट भी शामिल है।उन्होंने आगे कहा कि चीन पर पार्टी का सबसे हालिया बयान 28 जनवरी 2025 को जारी किया गया था।

जयराम रमेश ने कहा कि कांग्रेस ने मोदी सरकार द्वारा चीन के साथ संबंध सामान्य करने की घोषणा का संज्ञान लिया है, लेकिन सवाल यह है कि ऐसा निर्णय ऐसे समय में क्यों लिया जा रहा है, जब 2024 के डिसइंगेजमेंट समझौते से जुड़े कई सवालों के जवाब अब तक नहीं मिले हैं। उन्होंने बताया कि भारत और चीन के बीच हाल ही में वाणिज्यिक और सांस्कृतिक संबंधों को बहाल करने पर सहमति बनी है, जिसमें डायरेक्ट फ्लाइट्स, कैलाश मानसरोवर यात्रा की बहाली और उदार वीजा नीति जैसे मुद्दे शामिल हैं, लेकिन सरकार ने यह नहीं बताया कि लद्दाख में 2,000 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र, जहां 2020 तक भारतीय सेना की पेट्रोलिंग होती थी, उसे वापस लेने के लिए क्या कदम उठाए गए हैं।

सैम पित्रोदा ने कहा क्‍या?

इससे पहले न्यूज एजेंसी IANS को दिए इंटरव्यू में सैम पित्रोदा ने कहा- मुझे नहीं पता कि चीन से क्या खतरा है। मुझे लगता है कि इस मुद्दे को बढ़ा-चढ़ाकर पेश किया जाता है, क्योंकि अमेरिका को हमेशा दुश्मन की पहचान करनी होती है। हमें सीखने, संवाद बढ़ाने, सहयोग करने और मिलकर काम करने की जरूरत है, हमें ‘कमांड और कंट्रोल’ की मानसिकता से बाहर निकलना होगा।पित्रोदा ने कहा, हमारा रवैया पहले दिन से ही टकराव का रहा है। यह दुश्मनी पैदा करता है। मुझे लगता है कि हमें इस पैटर्न को बदलने की जरूरत है। यह किसी के लिए भी ठीक नहीं है।

मस्कट में जयशंकर और बांग्लादेश के विदेश सलाहकार की मुलाकात, भारत के साथ संबंधों पर कही बड़ी बात

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भारत और बांग्लादेश के बीच कई मुद्दों पर टकराव के बावजूद बातचीत का सिलसिला जारी है। ओमान में रविवार को भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर की बांग्लादेश के विदेश मामलों के सलाहकार मोहम्मद तौहीद हुसैन से मुलाकात हुई। इस दौरान दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय संबंधों और बिम्सटेक पर चर्चा हुई। बांग्लादेश अप्रैल में बिम्सटेक शिखर सम्मेलन की मेजबानी करेगा।

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जयशंकर ने एक्स पर एक पोस्ट में कहा, बांग्लादेश की अंतरिम सरकार विदेश मामलों के सलाहकार तौहिद हुसैन से मुलाकात की। बातचीत में हमारे द्विपक्षीय संबंधों और बिम्सटेक पर फोकस किया गया।

बता दें कि बिम्सटेक सात देशों का एक समूह है, जिसमें बांग्लादेश, भारत, श्रीलंका, थाईलैंड, म्यांमार, भूटान और नेपाल शामिल हैं। बांग्लादेश आगामी बिम्सटेक शिखर सम्मेलन की मेजबानी करेगा। यह सम्मेलन 2 से 4 अप्रैल तक बैंकॉक में आयोजित होगा।

वहीं, इस मुलाकात के बाद, अगले मंगलवार से भारत के सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) और बांग्लादेश के बॉर्डर गार्ड (बीजीबी) के बीच तीन दिवसीय बैठक शुरू होगी। इस बैठक में सीमा से जुड़े तनावपूर्ण मुद्दों पर चर्चा होगी। बांग्लादेश में सत्ता परिवर्तन के बाद अंतरिम सरकार के विदेश मंत्रालय के प्रभारी के साथ जयशंकर की यह दूसरी मुलाकात है।

हुसैन ने जयशंकर से ओमान में आठवें हिंद महासागर सम्मेलन के दौरान मुलाकात की, ताकि द्विपक्षीय संबंधों में और तनाव को टाला जा सके। वहीं, विओन के साथ बात करते हुए हुसैन ने शेख हसीना की सरकार गिरने के बाद बांग्लादेश की अंदरुनी राजनीति में उथलपुथल और विदेश नीति में आए बदलाव पर चर्चा की। इस दौरान उन्होंने कहा कि ढाका की ओर से भारत के खिलाफ कोई कदम नहीं उठाया जाएगा।

तौहीद हुसैन ने भारत से संबंधों पर हुए सवाल पर विओन से भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर के साथ हुई मुलाकात का जिक्र करते हुए कहा, दोनों देशों के बीच अच्छे संबंध जरूरी हैं। एस जयशंकर के साथ मेरी अच्छी मुलाकात हुई है, हमें कई मुद्दों पर बातचीत की है। दोनों देशों के बीच व्यापार बढ़ रहा है। मुझे लगता है कि बांग्लादेश, भारत को पारस्परिक रूप से लाभकारी अच्छे संबंधों की आवश्यकता है। हम इस पर लगातार काम भी कर रहे हैं।