बंगाल की धरती से मोहन भागवत ने किया हिंदुओं को एकजुट होने का आह्वान, दिया बड़ा बयान

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राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के प्रमुख मोहन भागवत ने पश्चिम बंगाल की धरती से कहा है कि हमें हिंदू समाज को एकजुट और संगठित करने की जरूरत है।उन्होंने हिंदू समाज को जिम्मेदार समुदाय बताते हुए कहा कि वह एकता को विविधता का प्रतीक मानते हैं। संघ प्रमुख ने ये बातें पश्चिम बंगाल के पूर्वी बर्धमान स्थित एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कही।

देश का जिम्मेदार समाज हिंदू-भागवत

पश्चिम बंगाल के ब‌र्द्धमान में संघ के मध्य बंग प्रांत की सभा को संबोधित करते हुए हिंदू समाज की एकता पर जोर दिया। उन्होंने स्पष्ट किया कि संघ का उद्देश्य संपूर्ण हिंदू समाज को संगठित करना है, क्योंकि यह समाज भारत की सांस्कृतिक और नैतिक पहचान का प्रतीक है।भागवत ने कहा कि अक्सर लोगों द्वारा यह सवाल उठाया जाता है कि संघ सिर्फ हिंदू समाज पर ही क्यों ध्यान देता है। इसका उत्तर देते हुए उन्होंने कहा कि हिंदू समाज ही इस देश का जिम्मेदार समाज है, जो उत्तरदायित्व की भावना से परिपूर्ण है। इसलिए, इसे एकजुट करना आवश्यक है।

हिंदू ने विश्व की विविधता को अपनाया-भागवत

भागवत ने कहा, भारतवर्ष एक भौगोलिक इकाई नहीं है इसका आकार समय के साथ घट या बढ़ सकता है। इसे भारतवर्ष तब कहा जाता है जब यह अद्वितीय प्रकृति का प्रतीक हो। भारत का अपना चरित्र है। जिन लोगों को लगा कि इस प्रकृति के साथ नहीं रह सकते, उन्होंने अपना अलग देश बना लिया। जो लोग बचे रहे, वे चाहते थे कि भारत का सार बना रहे। यह सार क्या है? 15 अगस्त 1947 से अधिक पुराना है। यह हिंदू समाज है, जो विश्व की विविधता को अपनाकर फलता-फूलता है। यह प्रकृति विश्व की विविधता को स्वीकार करती है और उसके साथ आगे बढ़ती है। यह एक शाश्वत सत्य है जो कभी नहीं बदलता है।

इतिहास से सबक और समाज में एकता की आवश्यकता

अपने संबोधन में मोहन भागवत ने ऐतिहासिक आक्रमणों का जिक्र करते हुए कहा कि भारत पर शासन करने वाले आक्रमणकारियों ने समाज के भीतर विश्वासघात के कारण सफलता पाई। उन्होंने सिकंदर से लेकर आधुनिक युग तक के विभिन्न आक्रमणों का उदाहरण देते हुए कहा कि समाज जब संगठित नहीं रहता, तब बाहरी ताकतें हावी हो जाती हैं। इसलिए, हिंदू समाज की एकजुटता सिर्फ वर्तमान की नहीं, बल्कि भविष्य की भी जरूरत है।

हिंदू पूरे देश की विविधता को एकजुट रखते हैं-भागवत

मोहन भागवत ने कहा कि भारत में कोई भी सम्राटों और महाराजाओं को याद नहीं करता, बल्कि अपने पिता का वचन पूरा करने के उद्देश्य से 14 साल के लिए वनवास जाने वाले राजा (भगवान राम) और उस व्यक्ति (भरत) को याद रखता है, जिसने अपने भाई की पादुकाएं सिंहासन पर रख दीं और वनवास से लौटने पर राज्य उसे राज सौंप दिया। उन्होंने कहा, ये विशेषताएं भारत को परिभाषित करती हैं। जो लोग इन मूल्यों का पालन करते हैं, वे हिंदू हैं और वे पूरे देश की विविधता को एकजुट रखते हैं। हम ऐसे कार्यों में शामिल नहीं होते जो दूसरों को आहत करते हों। शासक, प्रशासक और महापुरुष अपना काम करते हैं, लेकिन समाज को राष्ट्र की सेवा के लिए आगे रहना चाहिए।

बता दें कि पहले ममता बनर्जी सरकार ने आरएसएस की रैली को अनुमति नहीं दी थी। इस पर संघ ने कलकत्ता हाईकोर्ट का रास्ता खटखटाया था, जिसने उन्हें रैली की इजाजत दी।

चीन पर सैम पित्रोदा ने फंसाया तो कांग्रेस ने किया किनारा, जयराम रमेश बोले- ये पार्टी के विचार नहीं

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इंडियन ओवरसीज कांग्रेस के अध्यक्ष और राहुल गांधी के करीबी सैम पित्रोदा ने कहा- भारत को चीन को अपना दुश्मन मानना बंद कर देना चाहिए। चीन से खतरे को अक्सर बढ़ा-चढ़ाकर पेश किया जाता है। पित्रोदा के इस बयान के बाद सियासी तूफान मच गया। बीजेपी ने कांग्रेस और राहुल गांधी के खिलाफ तीर-कमान तान लिया। विवाद बढ़ता देख उनकी इस टिप्पणी से कांग्रेस ने दूरी बना ली है। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और राज्यसभा सांसद जयराम रमेश ने एक बयान जारी कर स्पष्ट किया कि सैम पित्रोदा के चीन पर व्यक्त विचार पार्टी के आधिकारिक विचार नहीं हैं।

कांग्रेस महासचिव और मीडिया प्रभारी जयराम रमेश ने सोमवार को कहा कि सैम पित्रोदा द्वारा चीन पर की गई टिप्पणी से कांग्रेस का कोई मतलब नहीं है। उन्होंने कहा कि चीन देश की विदेश नीति, बाह्य सुरक्षा और आर्थिक क्षेत्र की सबसे बड़ी चुनौती बना हुआ है। कांग्रेस पार्टी ने चीन के प्रति मोदी सरकार के दृष्टिकोण पर बार-बार सवाल उठाए हैं। जिसमें प्रधानमंत्री द्वारा 19 जून 2020 को सार्वजनिक रूप से चीन को दी गई क्लीन चिट भी शामिल है।उन्होंने आगे कहा कि चीन पर पार्टी का सबसे हालिया बयान 28 जनवरी 2025 को जारी किया गया था।

जयराम रमेश ने कहा कि कांग्रेस ने मोदी सरकार द्वारा चीन के साथ संबंध सामान्य करने की घोषणा का संज्ञान लिया है, लेकिन सवाल यह है कि ऐसा निर्णय ऐसे समय में क्यों लिया जा रहा है, जब 2024 के डिसइंगेजमेंट समझौते से जुड़े कई सवालों के जवाब अब तक नहीं मिले हैं। उन्होंने बताया कि भारत और चीन के बीच हाल ही में वाणिज्यिक और सांस्कृतिक संबंधों को बहाल करने पर सहमति बनी है, जिसमें डायरेक्ट फ्लाइट्स, कैलाश मानसरोवर यात्रा की बहाली और उदार वीजा नीति जैसे मुद्दे शामिल हैं, लेकिन सरकार ने यह नहीं बताया कि लद्दाख में 2,000 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र, जहां 2020 तक भारतीय सेना की पेट्रोलिंग होती थी, उसे वापस लेने के लिए क्या कदम उठाए गए हैं।

सैम पित्रोदा ने कहा क्‍या?

इससे पहले न्यूज एजेंसी IANS को दिए इंटरव्यू में सैम पित्रोदा ने कहा- मुझे नहीं पता कि चीन से क्या खतरा है। मुझे लगता है कि इस मुद्दे को बढ़ा-चढ़ाकर पेश किया जाता है, क्योंकि अमेरिका को हमेशा दुश्मन की पहचान करनी होती है। हमें सीखने, संवाद बढ़ाने, सहयोग करने और मिलकर काम करने की जरूरत है, हमें ‘कमांड और कंट्रोल’ की मानसिकता से बाहर निकलना होगा।पित्रोदा ने कहा, हमारा रवैया पहले दिन से ही टकराव का रहा है। यह दुश्मनी पैदा करता है। मुझे लगता है कि हमें इस पैटर्न को बदलने की जरूरत है। यह किसी के लिए भी ठीक नहीं है।

मस्कट में जयशंकर और बांग्लादेश के विदेश सलाहकार की मुलाकात, भारत के साथ संबंधों पर कही बड़ी बात

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भारत और बांग्लादेश के बीच कई मुद्दों पर टकराव के बावजूद बातचीत का सिलसिला जारी है। ओमान में रविवार को भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर की बांग्लादेश के विदेश मामलों के सलाहकार मोहम्मद तौहीद हुसैन से मुलाकात हुई। इस दौरान दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय संबंधों और बिम्सटेक पर चर्चा हुई। बांग्लादेश अप्रैल में बिम्सटेक शिखर सम्मेलन की मेजबानी करेगा।

जयशंकर ने एक्स पर एक पोस्ट में कहा, बांग्लादेश की अंतरिम सरकार विदेश मामलों के सलाहकार तौहिद हुसैन से मुलाकात की। बातचीत में हमारे द्विपक्षीय संबंधों और बिम्सटेक पर फोकस किया गया।

बता दें कि बिम्सटेक सात देशों का एक समूह है, जिसमें बांग्लादेश, भारत, श्रीलंका, थाईलैंड, म्यांमार, भूटान और नेपाल शामिल हैं। बांग्लादेश आगामी बिम्सटेक शिखर सम्मेलन की मेजबानी करेगा। यह सम्मेलन 2 से 4 अप्रैल तक बैंकॉक में आयोजित होगा।

वहीं, इस मुलाकात के बाद, अगले मंगलवार से भारत के सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) और बांग्लादेश के बॉर्डर गार्ड (बीजीबी) के बीच तीन दिवसीय बैठक शुरू होगी। इस बैठक में सीमा से जुड़े तनावपूर्ण मुद्दों पर चर्चा होगी। बांग्लादेश में सत्ता परिवर्तन के बाद अंतरिम सरकार के विदेश मंत्रालय के प्रभारी के साथ जयशंकर की यह दूसरी मुलाकात है।

हुसैन ने जयशंकर से ओमान में आठवें हिंद महासागर सम्मेलन के दौरान मुलाकात की, ताकि द्विपक्षीय संबंधों में और तनाव को टाला जा सके। वहीं, विओन के साथ बात करते हुए हुसैन ने शेख हसीना की सरकार गिरने के बाद बांग्लादेश की अंदरुनी राजनीति में उथलपुथल और विदेश नीति में आए बदलाव पर चर्चा की। इस दौरान उन्होंने कहा कि ढाका की ओर से भारत के खिलाफ कोई कदम नहीं उठाया जाएगा।

तौहीद हुसैन ने भारत से संबंधों पर हुए सवाल पर विओन से भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर के साथ हुई मुलाकात का जिक्र करते हुए कहा, दोनों देशों के बीच अच्छे संबंध जरूरी हैं। एस जयशंकर के साथ मेरी अच्छी मुलाकात हुई है, हमें कई मुद्दों पर बातचीत की है। दोनों देशों के बीच व्यापार बढ़ रहा है। मुझे लगता है कि बांग्लादेश, भारत को पारस्परिक रूप से लाभकारी अच्छे संबंधों की आवश्यकता है। हम इस पर लगातार काम भी कर रहे हैं।

आतंकी हाफिज सईद के साले की पाकिस्तान में हत्या, बाइक सवार ने घर के बाहर मारी गोली

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भारत की मोस्ट वांटेड लिस्ट में शामिल इंटरनेशनल आतंकवादी हाफिज सईद के साले मौलाना काशिफ अली को गोली मार दी गई है। पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा प्रांत में आतंकवादी संगठन लश्कर-ए-तैयबा के राजनीतिक विंग के प्रमुख मौलाना काशिफ अली की हत्या हो गई है। सोमवार को स्वाबी स्थित उसके घर के बाहर अज्ञात हमलावरों ने उसे निशाना बनाया।

खुरासान डायरी ने पुलिस के हवाले से अपनी रिपोर्ट में बताया है कि पाकिस्तान मरकजी मुस्लिम लीग (पीएमएमएल) के नेता काशिफ अली को पख्तूनख्वा प्रांत के स्वाबी में उनके घर के दरवाजे पर गोली मारी गई। अज्ञात हमलावर वारदात को अंजाम देने के बाद मोटरसाइकिल पर सवार होकर भाग निकले।

आतंकवादी काशिफ अली युवाओं का ब्रेनवाश करता था। उन्हें आतंकवादी संगठन में भर्ती करता था। काशिफ अली कई मस्जिदों और मदरसों का इंचार्ज भी था। वह आतंकवाद का पाठ पढ़ाकर अपने मकसद के लिए पाकिस्तानी युवाओं को बरगला कर आतंकवादी संगठन में भर्ती करता था। इसके अलावा वह आतंकवाद के ट्रेनिंग सेंटरों में जिहादी लेक्चर देने का काम भी करता था।

पीएमएमएल की स्थापना हाफिज सईद ने की थी। इसे लश्कर-ए-तैयबा की राजनीतिक शाखा के रूप में देखा जाता है। मौलाना काशिफ को हाफिज सईद का दाहिना हाथ समझा जाता था। पीएमएमल के प्रवक्ता ने काशिफ अली की मौत को आतंकवादी घटना बताया है। काशिफ अली की हत्या ने पाकिस्तान में सनसनी फैला दी है। लश्कर-ए-तैयबा से जुड़े संगठनों ने पाकिस्तान सरकार की आलोचना की है और हत्यारों की तत्काल की गिरफ्तारी की मांग कर रहे हैं।

पिछले 1 महीने के दौरान आतंकवादी संगठन लश्कर-ए-तैयबा के तीन आतंकवादी रहस्यमयी परिस्थितियों में किसी न किसी घटना में मारे गए हैं। इनमें से दो आतंकवादी कथित सड़क दुर्घटना में मारे गए थे। 1 महीने के दौरान काशिफ अली चौथा की हत्या चौथी वारदात है। काशिफ अली के मारे जाने के बाद आतंकवादी संगठन के बड़े सरगनाओ में एक बार फिर हड़कंप और दहशत फैल गई है।

महायुति में महाभारतः महाराष्ट्र में शिंदे-फडणवीस में नया तकरार

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महाराष्ट्र की सियासत में सब कुछ ठीक नहीं लग रहा है। महायुति सरकार में एकनाथ शिंदे के नाराजगी की लगातार चर्चाएं हो रही हैं। इस बीच एक बार फिर मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस और डिप्टी सीएम एकनाथ शिंदे के बीच संघर्ष नजर आ रहा है। इस बार दोनों के ऑफिस को लेकर तकरार सामने आया है। दरअसल, सीएम फडणवीस ने मंत्रालय के 7वें फ्लोर में सीएम हेल्प डेस्क और मुख्यमंत्री चिकित्सा सहायता डेस्क बनाया है। ठीक उसके बगल में डिप्टी सीएम शिंदे ने उपमुख्यमंत्री चिकित्सा सहायता डेस्क बना दिया।डिप्टी सीएम एकनाथ शिंदे के एक फैसले ने महायुति सरकार में ताजा टकराव के संकेत दे दिए हैं।

मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस द्वारा मुख्यमंत्री चिकित्सा राहत कोष (सीएमआरएफ) सेल का कार्यभार संभालने के बाद उप मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने मंत्रालय में स्थित अपने स्वयं के उप मुख्यमंत्री चिकित्सा सहायता सेल की स्थापना की है। यह पहली बार है जब किसी उप मुख्यमंत्री ने एक चिकित्सा सहायता सेल की स्थापना की है, जबकि मुख्यमंत्री राहत कोष सेल पहले से ही मौजूद है।

मुख्यमंत्री फडणवीस ने डॉ. रामेश्वर नाईक को अपने सीएमआरएफ सेल का प्रमुख नियुक्त किया और मुख्यमंत्री बनने के बाद मौजूदा प्रमुख मंगेश चिवटे को हटा दिया। चिवटे शिंदे के करीबी विश्वासपात्र हैं, जो शिंदे के मुख्यमंत्री रहते हुए सेल का नेतृत्व कर रहे थे। अब चिवटे को उप मुख्यमंत्री चिकित्सा सहायता सेल का प्रमुख नियुक्त किया गया है।

सीएम मेडिकल हेल्प सेल होने के बावजूद उप मुख्यमंत्री चिकित्सा राहत कोष खोलना और फडणवीस ने जिसे सेल से हटाया उन्हें अपने सेल का हेड बनाना साफ बता रहा है कि फडणवीस और शिंदे के बीच सब ठीक नहीं है। एकनाथ शिंदे महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में जीत के बाद सीएम न बनाए जाने से लगातार नाराज चल रहे हैं। उसके बाद से एक के बाद एक ऐसे घटनाक्रम हो रहे हैं जिससे वह अपनी नाखुशी जता रहे हैं। इस बीच उनका अलग अपना मेडिकल सेल बनाना सवाल उठाने लगा है।

दिल्ली को 20 फरवरी को मिलेगा नया मुख्यमंत्री, नाम पर सस्पेंस बरकरार, शपथ ग्रहण की तैयारियां शुरू

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दिल्‍ली के नए सीएम के नाम को लेकर अभी भी असमंजस की स्थिति बरकरार है। इसी बीच यह जानकारी सामने आ रही है कि 20 फरवरी को दिल्‍ली के नए चीफ मिनिस्‍टर का शपथ ग्रहण होगा। दिल्ली विधानसभा चुनाव रिजल्ट के 12 दिन बाद 20 फरवरी को नए मुख्यमंत्री रामलीला मैदान में शपथ लेंगे। हालांकि, भाजपा ने अब तक सीएम फेस तय नहीं किया है। पार्टी विधायक दल की बैठक 19 फरवरी को बुलाई गई है, जिसमें सीएम की घोषणा होगी।

भाजपा ने सोमवार को होने वाली विधायक दल की बैठक को दो दिन बाद के लिए टाल दिया है। भाजपा के एक सूत्र ने बताया, कल होने वाली भाजपा विधायक दल की बैठक स्थगित कर दी गई है। अब यह बैठक 19 फरवरी को होगी। मुख्यमंत्री का शपथ ग्रहण समारोह भी 18 फरवरी के बजाय 20 फरवरी को होगा। इससे पहले 16 फरवरी शाम को खबर आई कि 17 फरवरी, यानी आज विधायक दल की बैठक होगी और 18 फरवरी को शपथ ग्रहण समारोह होगा। हालांकि, कुछ देर बाद इसे दो दिन के लिए टाल दिया गया। इसकी वजह नहीं बताई गई।

भाजपा सूत्रों के मुताबिक शपथ ग्रहण कार्यक्रम दिल्ली के रामलीला मैदान में होगा। इसमें प्रधानमंत्री मोदी, केंद्रीय मंत्री, भाजपा और एनडीए शासित 20 राज्यों के मुख्यमंत्री और डिप्टी सीएम शामिल होंगे। इसके अलावा उद्योगपति, फिल्म स्टार, क्रिकेट खिलाड़ी, साधु-संत और राजनयिक भी आएंगे। भाजपा सूत्रों के मुताबिक, दिल्ली के 12 से 16 हजार लोगों को भी बुलाने की तैयारी की गई है।

दिल्ली सरकार के शपथग्रहण और सरकार गठन को लेकर आज शाम बैठक होगी। दिल्ली में आज यानी सोमवार को होने वाली बैठक में शपथग्रहण समारोह के इंचार्ज विनोद तावड़े और तरूण चुघ मौजूद रहेंगे। दिल्ली बीजेपी अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा और दिल्ली बीजेपी संगठन के पदाधिकारी भी मौजूद रहेंगे। इस मीटिंग में नई सरकार के शपथग्रहण की तारीख समय और जगह भी तय होगी। शपथग्रहण की तैयारियों, सिटिंग अरेंजमेंट और गेस्ट लिस्ट को भी फाईनल किया जाएगा।

भारत के चुनावों में अमेरिका ने दी दखल? मस्क ने रोकी फंडिंग, आरोप-प्रत्यारो शुरू

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देश में वोटिंग बढ़ाने के लिए अमेरिका से फंडिंग के मुद्दे पर विवाद पैदा हो गया। दरअसल, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के सहयोगी इलॉन मस्क ने भारत के चुनाव में मतदाताओं की भागीदारी बढ़ाने के लिए दी जाने वाली 182 करोड़ रुपए की फंडिंग रद्द कर दी है। मस्क के नेतृत्व वाले डिपार्टमेंट ऑफ गवर्नमेंट एफिशिएंसी (डीओजीई) ने शनिवार को ये फैसला लिया।

एलन मस्क के नेतृत्व वाला सरकारी दक्षता विभाग (डीओजीई) लगातार यूनाइटेड स्टेट्स एजेंसी फॉर इंटरनेशनल डेवलपमेंट (यूएसएआईडी) यानी यूएसएड की पोल खोलने में जुटा है। सरकारी खर्च में कटौती में जुटे ट्रंप प्रशासन के निशाने पर यूएसएड है। दक्षता विभाग ने हाल ही में भारत समेत दुनियाभर के कई देशों को दी जाने वाली आर्थिक सहायता रोक दी है।

डीओजीई ने एक लिस्ट जारी की है। इसमें डिपार्टमेंट की तरफ से 15 तरह के प्रोग्राम्स की फंडिंग रद्द की गई है। इसमें एक प्रोग्राम दुनियाभर में चुनाव प्रक्रिया को मजबूत बनाने के लिए भी है, जिसका फंड 4200 करोड़ रुपए है। इस फंड में भारत की हिस्सेदारी 182 करोड़ रुपए की है। दरअसल, अमेरिका भारतीय के चुनाव में मतदान प्रतिशत बढ़ाने की खातिर फंडिंग कर रहा था। अब सवाल यह उठ रहा है कि अमेरिका यह धन किसे देता था?

बीजेपी ने चुनाव में फंडिंग पर सवाल उठाए

बीजेपी आईटी सेल के प्रमुख अमित मालवीय ने दावा किया है कि इस फंड का इस्तेमाल भारतीय चुनाव को प्रभावित करने के लिए किया गया। उन्होंने कांग्रेस पार्टी और अमेरिकी बिजनेसमेन जॉर्ज सोरोस पर भारत में चुनाव प्रक्रिया में दखल देने का आरोप लगाया है। उन्होंने एक्स पोस्ट में कहा- 21 मिलियन डॉलर (182 करोड़ रुपए) वोटर टर्नआउट बढ़ाने के लिए? यह साफ तौर पर देश की चुनावी प्रक्रिया में बाहरी दखल है। इस फंड से किसे फायदा होगा। जाहिर है इससे सत्ताधारी (बीजेपी) पार्टी को तो फायदा नहीं होगा। एक दूसरे पोस्ट में अमित मालवीय ने कांग्रेस पार्टी और जॉर्ज सोरोस पर भारतीय चुनाव में हस्तक्षेप का आरोप लगाया। मालवीय ने सोरोस को गांधी परिवार का जाना-माना सहयोगी बताया।

मालवीय ने एक्स पर लिखा कि 2012 में एसवाई कुरैशी के नेतृत्व में चुनाव आयोग ने इंटरनेशनल फाउंडेशन फॉर इलेक्टोरल सिस्टम्स (आईएफईएस) के साथ एक एमओयू साइन किया था। ये संस्था जॉर्ज सोरोस के ओपन सोसाइटी फाउंडेशन से जुड़ा है। इसे मुख्य तौर पर यूएसएआईडी से आर्थिक मदद मिलती है।

कुरैशी फंडिंग किए जाने के आरोप को बताया निराधार

इधर, भारत के पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त रह चुके एसवाई कुरैशी ने कहा है कि उनके समय देश में वोटिंग प्रतिशत बढ़ाने के लिए अमेरिकी एजेंसी की तरफ से फंडिंग किए जाने के आरोप पूरी तरह निराधार है। कुरैशी ने कहा कि, देश के एक मीडिया तबके में जो ये बात कही जा रही है कि जब मैं देश का मुख्य चुनाव आयुक्त था, तब 2012 में भारतीय चुनाव आयोग और अमेरिकी एजेंसी के बीच वोटिंग प्रतिशत बढ़ाने के लिए किसी तरह का कोई फंडिंग से संबंधित करार हुआ, इस बारे में तनिक भी सच्चाई नहीं है। कुरैशी ने कहा कि वास्तव में 2012 में जब मैं सीईसी था, तब इंटरनेशनल फाउंडेशन फॉर इलेक्टोरल सिस्टम्स (आईएफईएस) के साथ एक समझौता हुआ था। इसका मकसद दूसरे देशों की चुनावी एजेंसियों और प्रबंधन निकायों को प्रशिक्षण देना था। इस समझौते में किसी भी तरह की फंडिंग का कोई वादा शामिल नहीं था। राशि तो भूल ही जाइए।

बता दें कि एस वाई कुरैशी 30 जुलाई, 2010 से 10 जून, 2012 तक भारतीय चुनाव आयोग के मुखिया रहे थे।

कांग्रेस नेता सैम पित्रोदा के बयान ने फिर बढ़ाया सियासी पारा, बोले- चीन दुश्मन नहीं

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कांग्रेस के सीनियर नेता और राहुल गांधी के करीबी सैम पित्रोदा अक्सर अपने बयानों के कारण सुर्खियों में रहते हैं। सैम पित्रोदा एक बार फिर चर्चा में हैं। इस बार उन्होंने एक बड़ा दावा करके नया विवाद खड़ा कर दिया है। सैम पित्रोदा ने कहा है कि चीन से खतरे को अक्सर बढ़ा चढ़ा कर पेश किया जाता है। उनका कहना है कि भारत को चीन को अपना दुश्मन मानना बंद कर देना चाहिए।

भारत का दृष्टिकोण टकराव वाला-पित्रोदा

सैम पित्रोदा का विवादों से पुराना नाता रहा है। ताजा मामले में कांग्रेस नेता ने दावा किया कि चीन के प्रति भारत का दृष्टिकोण टकराव वाला रहा है और इस मानसिकता को बदलने की जरूरत है। उन्होंने एकक इंटरव्यू में कहा कि मैं चीन से खतरे को नहीं समझता। मुझे लगता है कि इस मुद्दे को अक्सर बढ़ा-चढ़ाकर पेश किया जाता है, क्योंकि अमेरिका में दुश्मन को परिभाषित करने की प्रवृत्ति है।

दुश्मनी वाली मानसिकता को बदले की जरूरत-पित्रोदा

पित्रोदा ने कहा, मेरा मानना है कि अब समय आ गया है कि सभी देश सहयोग करें, टकराव नहीं। हमारा दृष्टिकोण शुरू से ही टकराव वाला रहा है और इस रवैये से दुश्मन पैदा होते हैं, जो बदले में देश के भीतर समर्थन हासिल करते हैं। पित्रोदा ने कहा कि हमें इस मानसिकता को बदलने की जरूरत है और यह मानना बंद करना होगा कि चीन पहले दिन से ही दुश्मन है। दरअसल, पित्रोदा ने यह बात उस सवाल के जवाब में कही जिसमें पूछा गया था कि क्या प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प चीन से उत्पन्न खतरों को नियंत्रित कर पाएंगे।

यूएस की पेशकश को भारत ने किया इनकार

बता दें कि हाल ही में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के बीच बैठक हुई। जिसके बाद 13 फरवरी को हुई एक संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने भारत और चीन के बीच चल रहे तनाव में मध्यस्थता करने की पेशकश की। भारत ने ट्रंप के इस प्रस्ताव को तुरंत ठुकरा दिया। विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने कहा, हमारे किसी भी पड़ोसी के साथ जो भी मुद्दे हैं, हम हमेशा इन्हें द्विपक्षीय तरीके से हल करने की कोशिश करते हैं। भारत और चीन के बीच भी यही स्थिति है। हम अपने मुद्दों पर द्विपक्षीय स्तर पर बातचीत करते रहे हैं और आगे भी यही करेंगे।

बीजेपी ने किया वार

बीजेपी ने पित्रोदा के बयान पर प्रतिक्रिया दी। बीजेपी ने कहा कि चीन के प्रति कांग्रेस के जुनून का मूल कारण 2008 में कांग्रेस और चीनी कम्युनिस्ट पार्टी (जो पड़ोसी देश पर शासन करती है) के बीच हुए समझौता ज्ञापन में निहित है। पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता तुहिन सिन्हा ने कहा कि जिन लोगों ने हमारी 40,000 वर्ग किलोमीटर जमीन चीन को दे दी, उन्हें अब भी ड्रैगन से कोई खतरा नहीं दिखता। सिन्हा ने कहा, कोई आश्चर्य नहीं कि राहुल गांधी चीन से खौफ खाते हैं और आईएमईईसी की घोषणा से एक दिन पहले बीआरआई का समर्थन कर रहे थे। कांग्रेस पार्टी के चीन के प्रति जुनूनी आकर्षण का मूल रहस्य 2008 के रहस्यमय कांग्रेस-सीसीपी एमओयू में छिपा है।

यूक्रेन की मदद को आगे आया ब्रिटेन, किया सेना भेजने का ऐलान

#pm_keir_starmer_said_britain_ready_to_send_troops_to_ukraine

अमेरिका और रूस के बीच यूक्रेन युद्ध पर बातचीत मंगलवार से शुरू होने जा रही है। अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो, डोनाल्ड ट्रंप के पश्चिम एशिया के विशेष दूत स्टीव विटकोफ और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार माइक वाल्ट्ज चर्चा के लिए सऊदी अरब आ रहे हैं। रूस का प्रतिनिधिमंडल भी बातचीत के लिए रियाद पहुंच रहा है। इस बीच ब्रिटेन के प्रधानमंत्री कीर स्टार्मर ने बड़ा एलान किया है। ब्रिटेन के पीएमने कहा कि अगर ब्रिटेन और यूरोप की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए ज़रूरत पड़ी, तो वह यूक्रेन में सेना भेजने के लिए तैयार हैं। 

स्टार्मर ने कहा कि अगर ब्रिटेन को यूक्रेन में सेना भेजने का निर्णय लेना पड़ा, तो वह इसे हल्के में नहीं लेंगे। उन्होंने कहा कि वह जानते हैं कि ब्रिटिश सैनिकों को यूक्रेन भेजने का मतलब उन्हें खतरे में डालना हो सकता है, और इसे लेकर उन्हें गहरी जिम्मेदारी का अहसास है। लेकिन, इसके बावजूद उन्होंने कहा कि अगर यूक्रेन की सुरक्षा सुनिश्चित करने में ब्रिटेन की भूमिका निभाई जाती है, तो यह सिर्फ यूक्रेन के लिए नहीं, बल्कि पूरे यूरोप और ब्रिटेन की सुरक्षा को भी मजबूत करेगा। 

कीर स्टार्मर ने कहा है कि वह सोमवार को इस मुद्दे पर पेरिस में आयोजित एक शीर्ष बैठक में शामिल होंगे। 24 फरवरी को यूक्रेन पर रूस के हमले की तीसरी वर्षगांठ से पहले जर्मनी, यूनाइटेड किंगडम, इटली, पोलैंड, स्पेन, नीदरलैंड और डेनमार्क के राष्ट्राध्यक्ष एक मीटिंग में हिस्सा ले सकते हैं। फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों की ओर से शिखर सम्मेलन का आयोजन किया गया है, जिसमें यूक्रेन युद्ध को खत्म करने को लेकर यूरोप की भूमिका पर चर्चा होगी।

साथ ही अपने बयान में ब्रिटिश पीएम ने दी कि यूरोपीय देशों को डर है कि अगर यूक्रेन को अमेरिका द्वारा कोई बुरा समझौता स्वीकार करने के लिए मजबूर किया गया, तो पुतिन इसे अपनी जीत मान सकते हैं और यूरोप को रूस की दया पर छोड़ सकते हैं। उन्होंने कहा कि हम अपने महाद्वीप की सामूहिक सुरक्षा के लिए एक पीढ़ी में एक बार आने वाले क्षण का सामना कर रहे हैं। यह केवल यूक्रेन के भविष्य का सवाल नहीं है, यह पूरे यूरोप के अस्तित्व का सवाल है।

ब्रिटेन के प्रधानमंत्री कीर स्टार्मर का ये बयान तब सामने आया है, जब अमेरिका रूस और यूक्रेन का युद्ध खत्म करने पर बात कर रहा है। अमेरिका यूक्रेन और रूस के बीच युद्ध को खत्म करने की कोशिश में जुटा है। मगर उसके इस कदम से यूरोप में चिंता की लहर पैदा हो गई है।

कौन होगा दिल्ली का मुख्यमंत्री? विधायक दल की बैठक टलने से बढ़ा सस्पेंस

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दिल्ली विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने 27 साल के बाद बड़ी जीत हासिल की है। हालांकि, 8 फरवरी को आए विधानसभा चुनाव के नतीजों के बाद भी ये तय नहीं हो सका है कि दिल्ली का नया मुख्यमंत्री कौन होगा? इधर, आज यानी 17 फरवरी को होने वाली विधायक दल की बैठक हल गई है। बीजेपी सूत्रों का कहना है कि अब बीजेपी विधायक दल की बैठक 19 फरवरी को होगी। विधायक दल की बैठक टाल दे जाने के बाद से दिल्ली में सीएम को लेकर सस्पेंस और बढ़ गया है।

बीजेपी से जुड़े सूत्रों के मुताबिक पहले विधायक दल की बैठक सोमवार को होने वाली थी। सूत्रों ने बताया था कि पंत मार्ग स्थित बीजेपी के प्रदेश कार्यालय में दोपहर 3 बजे यह बैठक होगी। इस बैठक में केंद्रीय पर्यवेक्षको को मौजूदगी में विधायक दल के नेता का चयन किया जाएगा और उसके बाद एलजी के पास जाकर सरकार बनाने का दावा पेश किया जाएगा। पार्टी के विधायकों को भी यह संदेश दे दिया गया था कि सोमवार को उन्हें दिल्ली में ही रहना है। शाम तक ऐसी भी खबरें आई कि विधायक दल की बैठक के बाद मंगलवार को शपथ ग्रहरण समारोह भी हो सकता है। लेकिन फिलहाल इसे स्थगित कर है।

पहले पर्यवेक्षकों के नाम की होगी घोषणा

अब यह बैठक 20 फरवरी को या उसके बाद होने की संभावना है। सूत्रों ने बताया कि सोमवार को पर्यवेक्षकों के नाम की घोषणा की जाएगी और फिर विधायक दल के नेता का चयन किया जाएगा। बता दें कि दिल्ली विधानसभा चुनाव में बीजेपी बिना किसी सीएम चेहरे के चुनाव में उतरी थी। ये चुनाव प्रधानमंत्री मोदी के चेहरे पर ही लड़ा गया। अब सवाल ये है कि मुख्यमंत्री किसे बनाया जाएगा। फिलहाल दिल्ली सीएम की रेस में केजरीवाल को हराने वाले प्रवेश वर्मा के अलावा रेखा गुप्ता, मोहन सिंह बिष्ट, विजेंद्र गुप्ता, सतीश उपाध्याय, आशीष सूद, शिखा राय और पवन शर्मा हैं।

बैठक टालने की क्या है वजह?

कारण यह बताया गया कि 19 तारीख को दिल्ली के झंडेवालान में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आएसएस) के नवनिर्मित मुख्यालय का उद्घाटन होना है, जिसमें पार्टी के भी कई वरिष्ठ नेता शामिल होंगे। इसी वजह से अब 20 तारीख के बाद निर्णय लिया जाएगा। विधायक दल की बैठक को टालने के पीछे एक बड़ा कारण नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर शनिवार रात हुए हादसे को भी माना जा रहा है, जिसमें 18 लोगों की मौत हो गई थी। हादसे के बाद से ही केंद्र सरकार, केंद्रीय रेल मंत्री और रेलवे प्रशासन विपक्ष के निशाने पर है। मृतकों के प्रति संवेदना प्रकट करते हुए बीजेपी ने रविवार को अपने सभी कार्यक्रम स्थगित कर दिए थे। ऐसे में इतने बड़े हादसे के तुरंत बाद बड़ा समारोह आयोजित करके बीजेपी दिल्ली की जनता के बीच यह संदेश नहीं देना चाहती कि उसे लोगों को कोई परवाह नहीं है।