भारत के चुनावों में अमेरिका ने दी दखल? मस्क ने रोकी फंडिंग, आरोप-प्रत्यारो शुरू
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देश में वोटिंग बढ़ाने के लिए अमेरिका से फंडिंग के मुद्दे पर विवाद पैदा हो गया। दरअसल, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के सहयोगी इलॉन मस्क ने भारत के चुनाव में मतदाताओं की भागीदारी बढ़ाने के लिए दी जाने वाली 182 करोड़ रुपए की फंडिंग रद्द कर दी है। मस्क के नेतृत्व वाले डिपार्टमेंट ऑफ गवर्नमेंट एफिशिएंसी (डीओजीई) ने शनिवार को ये फैसला लिया।
एलन मस्क के नेतृत्व वाला सरकारी दक्षता विभाग (डीओजीई) लगातार यूनाइटेड स्टेट्स एजेंसी फॉर इंटरनेशनल डेवलपमेंट (यूएसएआईडी) यानी यूएसएड की पोल खोलने में जुटा है। सरकारी खर्च में कटौती में जुटे ट्रंप प्रशासन के निशाने पर यूएसएड है। दक्षता विभाग ने हाल ही में भारत समेत दुनियाभर के कई देशों को दी जाने वाली आर्थिक सहायता रोक दी है।
डीओजीई ने एक लिस्ट जारी की है। इसमें डिपार्टमेंट की तरफ से 15 तरह के प्रोग्राम्स की फंडिंग रद्द की गई है। इसमें एक प्रोग्राम दुनियाभर में चुनाव प्रक्रिया को मजबूत बनाने के लिए भी है, जिसका फंड 4200 करोड़ रुपए है। इस फंड में भारत की हिस्सेदारी 182 करोड़ रुपए की है। दरअसल, अमेरिका भारतीय के चुनाव में मतदान प्रतिशत बढ़ाने की खातिर फंडिंग कर रहा था। अब सवाल यह उठ रहा है कि अमेरिका यह धन किसे देता था?
बीजेपी ने चुनाव में फंडिंग पर सवाल उठाए
बीजेपी आईटी सेल के प्रमुख अमित मालवीय ने दावा किया है कि इस फंड का इस्तेमाल भारतीय चुनाव को प्रभावित करने के लिए किया गया। उन्होंने कांग्रेस पार्टी और अमेरिकी बिजनेसमेन जॉर्ज सोरोस पर भारत में चुनाव प्रक्रिया में दखल देने का आरोप लगाया है। उन्होंने एक्स पोस्ट में कहा- 21 मिलियन डॉलर (182 करोड़ रुपए) वोटर टर्नआउट बढ़ाने के लिए? यह साफ तौर पर देश की चुनावी प्रक्रिया में बाहरी दखल है। इस फंड से किसे फायदा होगा। जाहिर है इससे सत्ताधारी (बीजेपी) पार्टी को तो फायदा नहीं होगा। एक दूसरे पोस्ट में अमित मालवीय ने कांग्रेस पार्टी और जॉर्ज सोरोस पर भारतीय चुनाव में हस्तक्षेप का आरोप लगाया। मालवीय ने सोरोस को गांधी परिवार का जाना-माना सहयोगी बताया।
मालवीय ने एक्स पर लिखा कि 2012 में एसवाई कुरैशी के नेतृत्व में चुनाव आयोग ने इंटरनेशनल फाउंडेशन फॉर इलेक्टोरल सिस्टम्स (आईएफईएस) के साथ एक एमओयू साइन किया था। ये संस्था जॉर्ज सोरोस के ओपन सोसाइटी फाउंडेशन से जुड़ा है। इसे मुख्य तौर पर यूएसएआईडी से आर्थिक मदद मिलती है।
कुरैशी फंडिंग किए जाने के आरोप को बताया निराधार
इधर, भारत के पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त रह चुके एसवाई कुरैशी ने कहा है कि उनके समय देश में वोटिंग प्रतिशत बढ़ाने के लिए अमेरिकी एजेंसी की तरफ से फंडिंग किए जाने के आरोप पूरी तरह निराधार है। कुरैशी ने कहा कि, देश के एक मीडिया तबके में जो ये बात कही जा रही है कि जब मैं देश का मुख्य चुनाव आयुक्त था, तब 2012 में भारतीय चुनाव आयोग और अमेरिकी एजेंसी के बीच वोटिंग प्रतिशत बढ़ाने के लिए किसी तरह का कोई फंडिंग से संबंधित करार हुआ, इस बारे में तनिक भी सच्चाई नहीं है। कुरैशी ने कहा कि वास्तव में 2012 में जब मैं सीईसी था, तब इंटरनेशनल फाउंडेशन फॉर इलेक्टोरल सिस्टम्स (आईएफईएस) के साथ एक समझौता हुआ था। इसका मकसद दूसरे देशों की चुनावी एजेंसियों और प्रबंधन निकायों को प्रशिक्षण देना था। इस समझौते में किसी भी तरह की फंडिंग का कोई वादा शामिल नहीं था। राशि तो भूल ही जाइए।
बता दें कि एस वाई कुरैशी 30 जुलाई, 2010 से 10 जून, 2012 तक भारतीय चुनाव आयोग के मुखिया रहे थे।
Feb 17 2025, 15:33