दिल्ली एनसीआर में भूकंप के तेज झटके किए गए महसूस, लोग अपने- अपने घरों से निकले बाहर

दिल्ली में सोमवार सुबह 5 बजकर 36 मिनट में भूकंप के जोरदार झटके महसूस किए गए. कई सेकंड तक धरती डोलती रही. लोग दशहत में अपने - अपने घरों से बाहर निकल गए. रिक्टर स्केल पर भूकंप की तीव्रता 4.3 मापी गई,इसका केंद्र दिल्ली के आसपास ही बताया जा रहा हैं इसीलिए झटके इतने तेज महसूस किए गए।

बीएड कोर्स अब केवल 1 साल का, जानें क्या हैं नए नियम


नयी दिल्ली :- भारत में शिक्षक बनने के लिए B.Ed, कोर्स करना अनिवार्य है। नई शिक्षा नीति 2020 के तहत, नेशनल काउंसिल फॉर टीचर एजुकेशन (NCTE) ने 10 साल बाद एक बार फिर से B.Ed, कोर्स की अवधि को 1 साल करने का निर्णय लिया है। इसके साथ ही, 1 साल का एमएड कोर्स भी शुरू किया जाएगा। हालांकि, 1 साल के बीएड कोर्स में प्रवेश के लिए कुछ विशेष शर्तें निर्धारित की गई हैं।

योग्यता :

1 साल के B.Ed, कोर्स में प्रवेश के लिए सभी ग्रेजुएट छात्रों को योग्य नहीं माना जाएगा।

एनसीटीई के अनुसार, केवल वे छात्र जो विशेष विषयों में स्नातक की डिग्री प्राप्त कर चुके हैं, उन्हें इस कोर्स में एडमिशन मिलेगा।

इसके लिए आवश्यक है कि उम्मीदवार ने अपनी ग्रेजुएशन किसी मान्यता प्राप्त विश्वविद्यालय से की हो और वह उन विषयों में ग्रेजुएट हो, जिनमें वह शिक्षक बनना चाहता है, जैसे विज्ञान, गणित, या सामाजिक विज्ञान।

कोर्स की शुरुआत :

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, 1 साल का बीएड कोर्स और 1 साल का एमएड कोर्स अगले शैक्षणिक सत्र 2026-27 से शुरू होगा। 

2025 में जो कैंडिडेट्स बीएड करना चाहते हैं, उन्हें 2 साल के कोर्स में भी एडमिशन मिलेगा।

2026 में बीएड एडमिशन के फॉर्म में 1 साल के बीएड और 1 साल के एमएड कोर्स में एडमिशन का विकल्प उपलब्ध होगा।

निष्कर्ष :

यदि आप 1 साल का बीएड कोर्स करने की योजना बना रहे हैं, तो सुनिश्चित करें कि आप एनसीटीई द्वारा निर्धारित योग्यताओं को पूरा करते हैं। समय पर आवेदन करना और सभी आवश्यक दस्तावेज तैयार रखना भी महत्वपूर्ण है।

सावधान! साइबर ठगों का नया हथकंडा: बिना ओटीपी के खाता खाली कर रहे हैं ठग

नयी दिल्ली :- साइबर ठगों ने अब एक नया हथकंडा अपनाया है। वे पीएम किसान सम्मान निधि के नाम से एक फर्जी एप बनाकर लोगों को ठग रहे हैं। इस एप को इंस्टॉल करते ही आपके सभी निजी मैसेज एक अज्ञात नंबर पर फॉरवर्ड होने लगते हैं। अब तक कई लोग इस ठगी का शिकार हो चुके हैं। ठगों से बचने के लिए किसी भी अनजान एप को डाउनलोड न करें।

बदलते समय के साथ ही साइबर ठगों के तरीके भी तेजी से बदले। साइबर ठग पीएम किसान सम्मान निधि के नाम से फर्जी मैसेज फारवर्डिंग एप डेवलप कर लोगों को ठगी का शिकार बना रहे हैं। कुछ दिनों पहले एक वाट्सएप ग्रुप में मुख्य कृषि अधिकारी के नंबर से यह एप वायरल किया गया था।

इसे इन्स्टाल करते ही सभी निजी मैसेजे अज्ञात नंबर पर फारवर्ड हो रहे हैं। इसका पता तब चल रहा है,जब अकाउंट खाली हो रहा है। अब तक नगर आयुक्त सहित अन्य लोग इसका शिकार बन चुके हैं। ऐसे में किसी अंजान एप को डाउनलोड करना खतरे से खाली नहीं है।

बदले साइबर ठगी के तरीके

बदलते समय के साथ ही साइबर ठगों के तरीके भी तेजी से बदल रहे हैं। एटीएम बदलकर, फिर ओटीपी पूछकर और लिंक भेजकर ठगी का तौर तरीका सार्वजनिक हुआ तो अब साइबर ठग अब एक्सपर्ट्स को भी अपने गिरोह में शामिल कर रहे हैं।

सुअर की किडनी इंसान में प्रत्यारोपित, मरीज ठीक नई तकनीक से किडनी फेल्योर के मरीजों को मिली उम्मीद


दुनिया में इस वक्त 'विज्ञान' की दिन दूनी रात चौगुनी गति से प्रगति हो रही है. कुछ वक्त पहले तक असंभव सी लगने वाली चीजें आज बढ़ती आधुनिकता की सहायता से आसानी से अच्छे परिणाम तक पहुंच रही हैं. खास तौर पर चिकित्सा के क्षेत्र में वैज्ञानिक हर रोज असंभव चीजों को संभव करने में लगे हुए हुए हैं. वहीं, हाल ही में वैज्ञानिकों ने सुअर के जीन में बदलाव कर उसकी किडनी इंसान में सफलतापूर्वक प्रत्यारोपित की है.

मरीज पूरी तरह से सेहतमंद है और हॉस्पिटल से डिस्चार्ज होने वाले हैं. इस कामयाबी से न सिर्फ मेडिकल के क्षेत्र में, बल्कि दुनिया भर में किडनी फेल्योर का सामना कर रहे लाखों मरीजों के लिए उम्मीद की एक किरण जगी

दरअसल, न्यू हैम्पशायर के 66 साल के टिम एंड्रयूज़ ने सुअर की किडनी प्रत्यारोपण करवाने के लिए महीनों तक कड़ी मेहनत की और आखिरकार उन्हें इसमें सफलता भी मिली मैसाचुसेट्स जनरल हॉस्पिटल ने शुक्रवार को घोषणा की कि एंड्रयूज़ अब डायलिसिस से मुक्त हैं और उनकी सर्जरी 25 जनवरी को हुई . सर्जरी के बाद, वह तेजी से ठीक हुए कि एक हफ्ते के भीतर अस्पताल से छुट्टी मिल गई.

एंड्रयूज़ ने कहा, 'जब मैं ऑपरेशन के बाद होश में आया, तो मैं खुद को एक नया इंसान महसूस कर रहा था.'

सुअर के अंगों से जीवनदान की नई उम्मीद

जानवरों से इंसानों में अंग प्रत्यारोपण (ज़ेनोट्रांसप्लांटेशन) को लेकर वैज्ञानिक सालों से रिसर्च कर रहे हैं, ताकि मानव अंगों की कमी को दूर किया जा सके. अमेरिका में 1 लाख से ज्यादा लोग प्रत्यारोपण लिस्ट में हैं, जिनमें से ज्यादातर को किडनी की 9जरूरत है, लेकिन अंग न मिलने की वजह से हजारों लोग हर साल मर जाते हैं.

हालांकि, अब तक चार लोगों में सूअर के अंग प्रत्यारोपित किए गए थे, जिनेमें दो दिल और दो किडनी, लेकिन ये प्रत्यारोपण ज्यादा वक्त तक नहीं टिक सके. हालांकि, न्यूयॉर्क की 54 साल टोवाना लूनी को नवंबर में सूअर की किडनी लगाई गई थी, और वह 2.5 महीने से सेहतमंद हैं. यह संकेत देता है कि यह तकनीक सफल हो सकती है.

अब, एंड्रयूज़ पर प्रयोग के बाद, अमेरिकी फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (FDA) ने मैस जनरल हॉस्पिटल को दो और मरीजों पर यह प्रयोग करने की इजाजत दी है. इसके अलावा, यूनाइटेड थेरेप्यूटिक्स नामक कंपनी को भी इसी साल 6 मरीजों पर सूअर की किडनी ट्रांसप्लांट करने की अनुमति दी गई है. अगर इसके बाद वे छह महीने तक स्वस्थ रहते हैं, तो 50 और मरीजों को यह प्रत्यारोपण करने के लिए मिलेगा.

एंड्रयूज़ की संघर्ष भरी कहानी

एंड्रयूज़ की किडनी दो साल पहले अचानक खराब हो गई थी और डायलिसिस पर निर्भर थे. डॉक्टरों ने बताया कि उनके खून के समूह (ब्लड ग्रुप) के कारण इंसानी किडनी मिलने में 7 साल तक का वक्त लग सकता है, जबकि डायलिसिस पर इंसानों के जीवीत रहने की संभावना सिर्फ 50 फीसदी है. बावजूद इसके उन्होंने हार नहीं मानी और सुअर की किडनी अपने शरीर में प्रत्यारोपण करवाने के लिए जद्दोजहद करने लगे.

आखिरकार डॉक्टरों ने इसके लिए उनकी फिटनेस की जांच की और पाया कि वह बहुत कमजोर थे, साथ ही उन्हें डायबिटीज़ और दिल की भी बीमारी थी. लेकिन एंड्रयूज़ ने हिम्मत नहीं हारी. उन्होंने छह महीने तक कड़ी मेहनत की, 30 पाउंड (लगभग 13 किलो) वजन कम किया, और अपनी फिटनेस में सुधार किया. डॉक्टरों ने जब फिर से टेस्ट किया तो पाया कि वे अब प्रत्यारोपण करवा सकते हैं.

सफल प्रत्यारोपण और नई उम्मीद

डॉक्टरों के सर्जरी के दौरान जैसे ही सुअर की किडनी को उनके शरीर में प्रत्यारोपण किया, तुरंत वह गुलाबी हो गई और यूरिन बनाने लगी. सफलर सर्जरी के बाद अब तक उनकी किडनी सही तरीके से काम कर रही है. एंड्रयूज़ अब जल्द ही अपने घर लौटने वाले हैं.

भविष्य की संभावनाएं

मैस जनरल के डॉक्टरों का कहना है कि अभी देखना होगा कि एंड्रयूज़ की किडनी कितने वक्त तक काम करती है. अगर किसी कारण से यह किडनी फेल होती है, तो एंड्रयूज़ के शरीर में इंसानी किडनी प्रत्यारोपित की जाएगी.

न्यूयॉर्क यूनिवर्सिटी के डॉक्टर रॉबर्ट मोंटगोमरी का मानना है कि इस तकनीक का सबसे बड़ा फायदा उन मरीजों को मिलेगा जो बहुत ज्यादा बीमार नहीं हैं, लेकिन इंसानी किडनी के लिए ज्यादा इंतजार नहीं कर सकते. अगर यह प्रयोग सफल रहा, तो यह लाखों लोगों के लिए एक नई उम्मीद लेकर आएगा, जिससे अंग प्रत्यारोपण की समस्या हल हो सकती है.

बिहारी सबपे भारी : दिल्ली विधानसभा चुनाव में बिहार का परचम,5 बिहारी प्रत्याशी बने विधायक


नयी दिल्ली :- दिल्ली विधानसभा चुनाव में बिहार निवासी पांच प्रत्याशियों ने परचम लहराया है। इनमें भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) से तीन और आम आदमी पार्टी (आप) से दो विधायक बने हैं। भाजपा से अभय वर्मा (दरभंगा), डॉ. पंकज कुमार सिंह (बक्सर) और चंदन कुमार चौधरी (खगड़िया) ने जीत दर्ज की है।

वहीं, आप से अनिल झा (मधुबनी) और संजीव झा (मधुबनी) को सफलता मिली है। बुराड़ी से संजीव झा चौथी बार विधायक चुने गए। हालांकि आप के विनय मिश्रा द्वारका सीट से हार गए। वह दिग्गज नेता महाबल मिश्र के बेटे हैं।

दिल्ली की लक्ष्मी नगर विधानसभा सीट से जीतने वाले अभय वर्मा मूल रूप से दरभंगा के रहने वाले हैं। वह पेशे से वकील और दिल्ली भाजपा के उपाध्यक्ष भी हैं। उन्हें लक्ष्मी नगर विधानसभा में 65858 वोट मिले। वर्मा ने आप के बीबी त्यागी को 11,542 मतों से हराया।

मधुबनी जिले के बेनीपट्टी के बरहा गांव के निवासी अनिल झा (आप) ने किरारी विधानसभा सीट पर भाजपा के बजरंग शुक्ला को 21 हजार 871 वोटों से हराया। वह तीसरी बार जीते हैं। इससे पूर्व वह बीजेपी से दो बार इसी विधानसभा से विजयी हुए थे।

पिछले चुनाव में पराजित होने के बाद इस बार आप पार्टी की टिकट पर किरारी विधानसभा से ही चुनाव लड़े।

चंदन की जीत पर खगड़िया में जश्न

खगड़िया के परबत्ता प्रखंड के चकप्रयाग निवासी चंदन कुमार चौधरी ने संगम विहार विधानसभा सीट पर भाजपा के टिकट पर 54049 वोट हासिल किए। उन्होंने आम आदमी पार्टी के दिनेश मोहनिया को 344 वोट से हराया। उनके परबत्ता प्रखंड स्थित पैतृक गांव चकप्रयाग में जश्न का माहौल है। 

गांव के लोगों ने स्थानीय महावीर मंदिर में मिठाई चढ़ाई और एक-दूसरे को अबीर लगाकर खुशी का इजहार किया। चंदन चौधरी, स्व. रासो चौधरी व कृष्णा देवी के इकलौते पुत्र हैं। चंदन की पत्नी नीलू चौधरी दिल्ली में ही भाजपा महिला मोर्चा की प्रवक्ता हैं।

आज का इतिहास:1931 में आज ही के दिन भारत की राजधानी बनी थी नई दिल्ली


नयी दिल्ली: 10 फरवरी का इतिहास महत्वपूर्ण माना जाता है क्योंकि 1921 में आज ही के दिन महात्मा गांधी जी ने काशी विद्यापीठ का उद्घाटन किया था। 

1931 में 10 फरवरी के दिन ही नई दिल्ली भारत की राजधानी बनी थी।

1933 में आज ही के दिन जर्मनी के तानाशाह हिटलर ने मार्क्सवाद के समाप्त होने की घोषणा की थी।

2009 में आज ही के दिन प्रसिद्ध शास्त्रीय गायक पंडित भीमसेन जोशी को देश का सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारतरत्न से सम्मानित किया गया था।

1992 में 10 फरवरी के दिन ही अंडमान और निकोबार द्वीप विदेशी पर्यटकों के लिए खुला था।

1989 में आज ही के दिन अमेरिका ने नेवादा परीक्षण स्थल से न्यूक्लियर टेस्ट किया था।

1981 में 10 फरवरी के दिन ही खगोलविद राय पेंथर द्वारा धूमकेतु की खोज की थी।

1979 में आज ही के दिन ईटानगर को अरुणाचल प्रदेश की राजधानी बनाया गया था।

1947 में 10 फरवरी के दिन ही नीदरलैंड्स रेडियो यूनियन की स्थापना हुई थी।

1933 में आज ही के दिन जर्मनी के तानाशाह हिटलर ने मार्क्सवाद के समाप्त होने की घोषणा की थी।

1931 में 10 फरवरी के दिन ही नई दिल्ली भारत की राजधानी बनी थी।

1921 में आज ही के दिन महात्मा गांधी जी ने काशी विद्यापीठ का उद्घाटन किया था।

1918 में 10 फरवरी के दिन सोवियत नेता लियों ट्रोटस्की ने रूस के प्रथम विश्व युद्ध से हटने की घोषणा की थी।

1916 में आज ही के दिन ब्रिटेन में सैन्य भर्ती शुरू हुआ था।

1912 में 10 फरवरी के दिन ही ब्रिटेन के किंग जार्ज पंचम तथा क्वीन मैरी भारत से रवाना हुआ था।

1904 में आज ही के दिन रूस और जापान ने युद्ध की घोषणा की थी।

1879 में 10 फरवरी के दिन ही अमेरिका के कैलिफोर्निया थियेटर में पहली बार रोशनी के लिए 

बिजली का इस्तेमाल किया गया था।

1846 में आज ही के दिन सिख और ईस्‍ट इंडिया कंपनी के बीच सोबराऊं की जंग शुरू हुई थी।

1828 में 10 फरवरी के दिन ही दक्षिण अमेरिकी क्रांतिकारी साइमन बोलिवार कोलंबिया के शासक बने थे।

1818 में आज ही के दिन तीसरा और अंतिम युद्ध रामपुर में अंग्रेजों तथा मराठा के बीच लड़ा गया था।

10 फरवरी को जन्मे प्रसिद्ध व्यक्ति

1970 में आज ही के दिन हिंदी मंच के कवि कुमार विश्वास का जन्म हुआ था।

1922 में आज ही के दिन हंगरी के राष्ट्रपति अर्पद गांक्ज का जन्म हुआ था।

1915 में आज ही के दिन प्रसिद्ध लेखक सुरेन्द्र कुमार श्रीवास्तव का जन्म हुआ था।

1890 में 10 फरवरी के दिन ही नोबेल पुरस्कार विजेता रूसी लेखक बोरिस पास्तरनेक का जन्म हुआ था।

1847 में 10 फरवरी के दिन ही बांग्‍ला कवि लेखक नवीनचंद्र सेन का जन्‍म हुआ था।

10 फरवरी को हुए निधन

1995 में आज ही के दिन प्रसिद्ध साहित्यकार गुलशेर खां शानी का निधन हुआ था।

1692 में 10 फरवरी के दिन ही कलकत्ता के संस्थापक जॉब चारनॉक का निधन हुआ था।

1984 में आज ही के दिन सोवियत राष्ट्रपति यूरी आंद्रोपोव का निधन हुआ था।

अमिताभ बच्चन का क्रिप्टिक पोस्ट, फैंस में मचा हड़कंप


मुंबई : अमिताभ बच्चन इंडस्ट्री के वो स्टार हैं जो चाहे कितने भी बिजी क्यों ना हो वह रोजाना ब्लॉग और ट्विटर पर अपने दिल का हाल जरूर बयां करते हैं। शुक्रवार रात साढ़े 8 बजे अमिताभ ने एक ऐसा ट्वीट कर दिया जिससे फैंस घबरा गए।

सोशल मीडिया यूजर्स काफी कन्फ्यूज हैं कि आखिर उन्होंने ऐसी क्रिप्टिक पोस्ट क्यों लिखी है? वहीं कुछ लोगों का अनुमान है कि कहीं अमिताभ बच्चन फिल्म इंडस्ट्री क्विट की हिंट तो नहीं दे रहे हैं? आइए जानते हैं कि उन्होंने क्या लिखा है?

82 वर्षीय अमिताभ बच्चन ने 7 फरवरी को रात 8 बजकर 34 मिनट पर ट्वीट किया- 'जाने का समय आ गया है।' इस ट्वीट को देख फैंस परेशान हो गए।

एक फैन ने लिखा-'ऐसा मत बोला करिए सर।'

एक अन्य फैन ने पूछा- 'क्या हो गया सर?' एक और फैन का ट्वीट था-'सर जी क्या लिख रहे हैं आप मतलब?'

प्रोफेशनल फ्रंट की बात करें तो अमिताभ बच्चन इस वक्त 'कौन बनेगा करोड़पति 16' होस्ट कर रहे हैं। वह साल 2024 में रजनीकांत स्टारर 'वेट्टियान' में नजर आए थे। फिलहाल उन्होंने कोई नई फिल्म अनाउंस नहीं की है

दिल्ली सचिवालय में अलर्ट: चुनाव नतीजों के बीच अधिकारियों को फाइल और डाटा सुरक्षित रखने के निर्देश


नयी दिल्ली : दिल्ली विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी की हार और बीजेपी की जीत के बाद दिल्ली सचिवालय में आला अधिकारी को तुरंत पहुंचने के निर्देश दिए गए हैं. अधिकारियों को सरकारी दस्तावेज और डाटा प्रोटेक्ट करने के लिए कहा गया है.

आदेश में कहा गया है कि 'सुरक्षा चिंताओं और अभिलेखों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए, यह अनुरोध किया जाता है कि जीएडी की अनुमति के बिना कोई भी फाइल/दस्तावेज, कंप्यूटर और हार्डवेयर आदि दिल्ली सचिवालय परिसर से बाहर न ले जाएं.'

आदेश में आगे कहा गया है, "यह निर्देश दिया जाता है कि दिल्ली सचिवालय में स्थित विभागों/कार्यालयों के अंतर्गत संबंधित शाखा प्रभारियों को उनके अनुभाग/शाखाओं के अंतर्गत अभिलेखों, फाइलों, दस्तावेजों, इलेक्ट्रॉनिक फाइलों आदि की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक निर्देश जारी किए जाएं."

आदेश में लिखा गया है, "यह आदेश सचिवालय कार्यालयों और मंत्रिपरिषद के शिविर कार्यालयों पर भी लागू होगा और दोनों कार्यालयों के प्रभारियों को भी इस आदेश का अनुपालन करने के लिए निर्देशित किया जाता है. यह सक्षम प्राधिकारी की स्वीकृति से जारी किया जाता है."

बीजेपी के तुरुप के इक्के प्रवेश वर्मा: केजरीवाल को चक्रव्यूह में फंसाने वाले नेता की कहानी

नयी दिल्ली : दिल्ली विधानसभा चुनाव के नतीजे आज घोषित होने हैं, वोटों की गिनती अभी भी जारी है. अभी तक के रुझानों के मुताबिक बीजेपी को 42 सीटें मिल रही हैं. दिल्ली की मौजूदा सरकार वाली आम आदमी पार्टी 27 सीटों के साथ दूसरे नंबर पर है.

इस चुनाव में बीजेपी उम्मीदवार प्रवेश साहिब सिंह वर्मा नई दिल्ली विधानसभा सीट पर दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के खिलाफ चुनाव लड़ रहे हैं. अभी तक की मतगणना के अनुसार वे केजरीवाल को कड़ी टक्कर दे रहे हैं. आइए जानते हैं कौन हैं ये प्रवेश साहिब सिंह वर्मा जिन्हें बीजेपी ने नई दिल्ली से टिकट दिया है.

कौन हैं प्रवेश वर्मा?

प्रवेश वर्मा दिल्ली के एक प्रमुख राजनीतिक परिवार से आते हैं, वे पूर्व भाजपा नेता और दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री साहिब सिंह वर्मा के बेटे हैं. उनके चाचा आज़ाद सिंह उत्तरी दिल्ली नगर निगम के मेयर रह चुके हैं और उन्होंने 2013 में भाजपा के टिकट पर मुंडका निर्वाचन क्षेत्र से विधानसभा चुनाव लड़ा था.

 प्रवेश वर्मा का जन्म 1977 में हुआ था. ये दिल्ली पब्लिक स्कूल, आर.के.पुरम से अपनी स्कूली शिक्षा पूरी की और फिर दिल्ली विश्वविद्यालय के किरोड़ीमल कॉलेज से कला स्नातक की डिग्री प्राप्त की.

2013 में राजनीति में रखा कदम

ग्रेजुएशन की डिग्री हासिल करने के बाद प्रवेश वर्मा ने फोर स्कूल ऑफ मैनेजमेंट से एमबीए किया. उन्होंने 2013 में राजनीति में प्रवेश किया. 2013 में उन्होंने महरौली निर्वाचन क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किया और दिल्ली विधानसभा में जीत हासिल की. उन्होंने 2014 में पश्चिमी दिल्ली संसदीय सीट जीतकर और भी सफलता हासिल की, उसके बाद 2019 के चुनाव में शानदार जीत हासिल की, जहां उन्होंने 5.78 लाख के अंतर से जीत हासिल की.

आपको बता दें, सांसद के तौर पर अपने कार्यकाल के दौरान प्रवेश वर्मा संसद सदस्यों के वेतन और भत्ते संबंधी संयुक्त समिति के सदस्य रह चुके हैं. इसके साथ ही उन्होंने शहरी विकास संबंधी स्थायी समिति में भी अपनी सेवाएं दी हैं. फिर 2025 के दिल्ली चुनाव से पहले प्रवेश वर्मा ने "केजरीवाल हटाओ, देश बचाओ" नाम से एक अभियान शुरू किया.

यमुना नदी की सफाई का मुद्दा भी उठाया

प्रवेश वर्मा ने दिल्ली सरकार के प्रशासनिक कामकाज की भी कड़ी आलोचना की, खास तौर पर प्रदूषण से जुड़ी चिंताओं, महिला सुरक्षा और नागरिक बुनियादी ढांचे के विकास से निपटने के तरीके की. इस चुनाव में उन्होंने यमुना नदी की सफाई का मुद्दा भी उठाया. यही वजह है कि प्रवेश वर्मा ने इस चुनाव में खूब सुर्खियां बटोरीं. फिलहाल, अब तक के नतीजों के मुताबिक, वह केजरीवाल से सिर्फ 223 वोटों से आगे चल रहे हैं.

आजमगढ़ का युवक रूस में लापता, विदेश मंत्री से वतन वापसी की गुहार


आजमगढ़:- सिक्योरिटी गार्ड की नौकरी के झांसे में रूस गया आजमगढ़ उत्तर प्रदेश के एक नौजवान अजहरुद्दीन बीते एक साल से लापता है. आखिरी जानकारी ये थी कि उसे रूस की सेना में भर्ती करवा दिया गया है. अजहरुद्दीन की मां नसरीन ने साल भर से बेटे से कोई बात नहीं हो पाने के बाद भोपाल के सैय्यद आबिद हुसैन को अपने दस्तावेज भेजे हैं. 

दुनिया के अलग-अलग हिस्सों में फंसे भारतीयों की वतन वापसी आसान कराने वाले सैय्यद आबिद हुसैन ने अब इस मामले में विदेश मंत्री एस जयंशकर से दरख्वास्त की है.

आबिद ने ट्वीट कर विदेश मंत्री से गुहार लगाई है कि आजमगढ़ से अजहरुद्दीन नाम के एक शख्स को एजेंट ने सिक्योरिटी गार्ड की नौकरी के नाम पर रूस भेज दिया था. वहां उसे यूक्रेन की सेना के खिलाफ लड़ा दिया गया. इस सदमे में उनके पिता की मौत हो गई और परिवार बेटे की वतन वापसी की गुहार लगा रहा है.

पैसे का लालच देकर रूस युद्ध में झौंके जा रहे नौजवान

अब तक दुनिया के अलग-अलग हिस्सों में फंसे 700 से ज्यादा भारतीयों की वतन वापसी करा चुके सैय्यद आबिद हुसैन के पास ये मामला आजमगढ़ उत्तर प्रदेश से आया है. आबिद हुसैन का कहना है कि "ये मामला गंभीर है. गंभीर इसलिए कि पैसों के लालच में एजेंट ने नौजवान की जिंदगी से खेलने की कोशिश की है. 

आबिद हुसैन ने बताया कि आजमगढ़ से अजहरुद्दीन नाम के एक शख्स के एजेंट ने सिक्योरिटी गार्ड की नौकरी के नाम पर रूस भेज दिया. इस सदमे में उनके पिता मैनुद्दीन की मौत हो चुकी और परिवार दिन रात तनाव में है कि बेटा किस हाल में होगा.

आबिद ने बताया कि मैंने जो जानकारी जुटाई, उसमें एजेंट ने इन्हें ज्यादा पैसे का लालच देकर मौत के मुंह में डाल दिया. परिजनों का कहना है उनकी महीनों से अपने बेटे से बात नहीं हुई है. वे सरकार से बेटे की सही सलामत घर वापसी की मांग कर रहे हैं."

ऐसे 18 भारतीय नौजवान लापता हैं

आबिद हुसैन ने बताया कि "भारतीय प्रवासी मजदूरों की रिहाई के लिए मेरे पास एक मामला आया है. जिसके बाद मुझे ये पता चला है कि भारतीय प्रवासी मजदूरों को गार्ड की नौकरी के नाम पर रशिया ले जाया जा रहा है. अभी इन्हीं में से एक परिवार ने मुझसे संपर्क किया. रशिया में फंसे अजहरुद्दीन की बहन ने संपर्क करके बताया कि पिछले साल जनवरी महीने में उनके भाई को रूस भेजा गया था, लेकिन फिर अप्रैल 2024 से उससे बात नहीं हुई है. ये भी नहीं पता है कि भाई कहां है.

आबिद ने कहा कि मैंने उनकी सारी जानकारी और डॉक्यूमेंट एक आवेदन के साथ रशियन एम्बेसी के साथ भारत के विदेश मंत्रालय की टीम को लिखा है कि इनकी जल्द से जल्द वतन वापसी कराई जाए. इसी केस से आगे मुझे ये जानकारी मिली है कि करीब 18 लड़कों की मिसिंग है."

अजहरुद्दीन की मां से 27 अप्रैल को हुई आखिरी बात

आजमगढ़ की रहने वाली नसरीन खान ने भारतीय दूतावास और रूस के उच्चायुक्त को पत्र लिखा है. पत्र में उन्होंने लिखा है कि "एक वर्ष पहले मेरा पुत्र अजहरुद्दीन रूस सिक्यरिटी गार्ड की नौकरी करने के संबंध में गया था. वहां पहुंचने के एक हफते बाद वहां पर धोखे से एक साल का एग्रीमेंट साइन कराया जो कि रशियन भाषा में था. फिर एग्रीमेंट साइन कराने के बाद इन लोगों को रूस की आर्मी में धोखे से ज्वाइन करा दिया गया. फिर 15 दिन की ट्रेनिंग देकर मेरे बेटे को रूस युद्ध में बार्डर पर भेज दिया.

जबकि वहां पर पर जान का खतरा था. बार्डर पर रहने के दौरान मेरे बेटे का कॉल आया कि अम्मी वहां लोगों ने हमें फंसाया और धोखे से हमें आर्मी में भर्ती करा दिया है. हमारी जान को यहां खतरा है. यह बात जब मेरे शौहर को पता चली तो उनकी तबीयत खराब हो गई और वो पैरालाइज हो गए. फिर हमें कुछ दिन बाद पता चला कि हमारा बेटा जंग में घायल हो गया है. जिसके बाद मेरे शौहर की तबीयत और बिगड़ी और 8 अप्रैल 2014 को उनका इंतकाल हो गया.

मेरा वही बेटा कमाने वाला था. उसके वहां फंसने की वजह से अपना गहना बेचकर पति का इलाज कराया. 27 अप्रैल को उससे आखिरी बार बात हुई. मेरे बेटे ने साल भर पहले तस्वीर भेजी थी. मोबाइल छिन जाने से वो बात नहीं कर पाता है. 27 अप्रैल से उसकी कोई जानकारी नहीं मिल रही है. एम्बेसी में फोन करके यही मिलता है कि वो गायब है. आपसे अनुरोध है असुद्दीन को खोजकर भारत भेजने की कृपा करें."