कौन हैं कांग्रेस सांसद गौरव गोगोई की विदेशी पत्नी एलिजाबेथ? जिसको लेकर आक्रामक हो रहे असम के सीएम सरमा
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असम के मुख्यमंत्री हेमंत विश्व सरमा और कांग्रेस सांसद गौरव गोगोई आमने सामने हैं। दोनों नेताओं के विवाद के बीच की वजह हैं कांग्रेस सांसद गौरव गोगोई की ब्रिटिश मूल की उनकी पत्नी एलिजाबेथ कोलबर्न। बिस्वा सरमा के गोगोई और उनकी ब्रिटिश मूल की पत्नी एलिजाबेथ कोलबर्न पर सवाल उठाने के बाद इस मामले ने तूल पकड़ लिया है। बिस्वा ने गोरव की पत्नी पर पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी- आईएसआई से संपर्क रखने के आरोप लगाए हैं। सरमा ने कांग्रेस सांसद गौरव गोगोई की दस साल पहले भारत में उस समय पाकिस्तान के हाई कमिश्नर के साथ हुई मीटिंग को लेकर सवाल उठाए और इसे उनकी पत्नी एलिजाबेथ गोगोई से जोड़ा है। इसके बाद भाजपा ने इस बात को लेकर ना केवल गौरव गोगोई को घेरा है, बल्कि कांग्रेस पर भी हमलावर है।
हिमंत का आरोप
सबसे पहले मामले की जड़ मे चलते है, यानी जानते हैं कि मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा गौरव गोगोई को लेकर आखिर कहा क्या है। बिस्वा सरमा ने गुरुवार, 13 फ़रवरी को एक्स पर लिखा, "2015 में भारत में पाकिस्तानी उच्चायुक्त अब्दुल बासित ने पहली बार बने सांसद (गौरव गोगोई) और उनके स्टार्टअप, पॉलिसी फॉर यूथ को नई दिल्ली स्थित पाकिस्तान उच्चायोग में भारत-पाकिस्तान संबंधों पर चर्चा करने के लिए आमंत्रित किया था। उल्लेखनीय बात यह है कि यह सांसद उस समय विदेशी मामलों की संसदीय समिति तक के सदस्य नहीं थे। जिससे उनके पाकिस्तानी उच्चायोग जाने की मंशा पर सवाल उठ रहे हैं। गोगोई ऐसे वक़्त में पाकिस्तानी उच्चायोग गए जब भारत ने अपने अंदरूनी मामलों में उच्चायोग के दख़ल और हुर्रियत कॉन्फ़्रेंस के नेताओं से उसके संपर्क करने को लेकर आधिकारिक विरोध जताया था।"
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मुख्यमंत्री सरमा ने ये भी लिखा कि इस मुलाकात के फौरन बाद 'द हिंदू' में प्रकाशित लेख में सांसद के स्टार्टअप ने सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ़) की आलोचना करते हुए अवैध बांग्लादेशी प्रवासियों से निपटने के उनके तरीक़ों पर एतराज जताया। गोगोई के संसद की कार्रवाई के दौरान पूछे गए प्रश्नों का जिक्र करते हुए हिमंत ने उनकी मंशा पर सवाल उठाए और इशारा किया कि संवेदनशील रक्षा मामलों की तरफ़ उनका ध्यान लगातार बढ़ रहा है। उन्होंने इस पोस्ट में ये भी लिखा कि ये सभी डेवलपमेंट उनकी एक ब्रितानी महिला से शादी के बाद होने शुरु हुए। उन महिला का प्रोफेशनल बैकग्राउंड और भी कई संदेहों को जन्म देता है।
इससे पहले हिमंत ने एक और पोस्ट में लिखा था, "आईएसआई से संबंधों, युवाओं को ब्रेनवॉश करने और कट्टरपंथी बनाने के लिए पाकिस्तानी दूतावास में ले जाने तथा पिछले 12 वर्षों से भारतीय नागरिकता लेने से इनकार करने के आरोपों से जुड़े गंभीर सवालों के जवाब दिए जाने की आवश्यकता है।"
इससे पहले बीजेपी नेता गौरव भाटिया ने समाचार एजेंसी पीटीआई से कहा था, "विपक्ष के उपनेता गौरव गोगोई की पत्नी एलिज़ाबेथ कोलबर्न के पाकिस्तान योजना आयोग के सलाहकार अली तौकीर शेख और आईएसआई से संबंध पाए गए हैं। यह बेहद चिंताजनक है और राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ा है। इसलिए उम्मीद है कि राहुल गांधी, मल्लिकार्जुन खड़गे और गौरव गोगोई पाकिस्तान और आईएसआई के साथ उनके संबंधों के बारे में स्पष्ट करेंगे।"
कौन हैं एलिजाबेथ?
ब्रिटेन में जन्मी एलिज़ाबेथ कोलबर्न से गौरव गोगोई की मुलाकात 2010 में हुई थी जब वे दोनों संयुक्त राष्ट्र सचिवालय की एक समिति में एक साथ इंटर्नशिप कर रहे थे। एलिजाबेथ का परिवार लंदन में बसा है। तीन साल बाद यानी 2013 में गौरव गोगोई ने नई दिल्ली में एलिजाबेथ से शादी कर ली। एक जानकारी के अनुसार एलिजाबेथ ने मार्च 2011 से जनवरी 2015 तक सीडीकेएन (क्लाइमेट डेवलपमेंट एड नॉलेज नेटवर्क) के साथ काम किया था।
सीडीकेएन की वेबसाइट के अनुसार यह संस्था ग़रीब और जलवायु परिवर्तन के प्रति सबसे सबसे अधिक संवेदनशील लोगों के जीवन की गुणवत्ता को बढ़ाने की दिशा में काम करती है। एलिजाबेथ इस संस्था के लिए भारत-पाकिस्तान और नेपाल में काम कर चुकी हैं। जलवायु परिवर्तन से जुड़े उनके कई लेख सीडीकेएन की वेबसाइट पर मौजूद है।
एलिज़ाबेथ ने लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स से स्नातक की पढ़ाई की है। वह इस समय ऑक्सफ़ोर्ड पॉलिसी मैनेजमेंट से जुड़ी हुई हैं, जो जलवायु परिवर्तन से जुड़े मुद्दों से निपटने के लिए काम करती है। सांसद गौरव गोगोई ने 2024 के आम चुनाव में जो हलफनामा दाखिल किया है उसमें पत्नी के काम की जानकारी के तौर पर उन्हें ऑक्सफ़ोर्ड पॉलिसी मैनेजमेंट इंडिया प्राइवेट लिमिटेड में वरिष्ठ सलाहकार बताया गया है।
हिमंत क्यों गौरव के पीछे पड़े?
असम के ही जोरहाट से सांसद गौरव गोगोई लोकसभा में कांग्रेस के डिप्टी लीडर हैं। अब सवाल ये उठाता है कि असम के सीएम अपने ही राज्य के कांग्रेस नेता पर इतने ज्यादा आक्रामक क्यों हैं?दरअसल, इस पूरे विवाद को हिमंता और गोगोई के बीच प्रतिद्वंद्विता के महज एक पड़ाव के रूप में देखा जाना चाहिए। दोनों के बीच वर्चस्व की लड़ाई करीब डेढ़ दशक पहले शुरू हुई थी, जब हिमंता, गौरव के पिता तरुण गोगोई के करीबी हुआ करते थे। 90 के दशक में हिमंता ने कांग्रेस से राजनीति की शुरुआत की थी। हिमंता कांग्रेस में तेजी से आगे बढ़े। वह 2001 में पहली बार जालुकबाड़ी सीट से विधायक बने। विधानसभा पहुंचने के साथ ही हिमंता की नज़दीकियां मुख्यमंत्री तरुण गोगोई से बढ़ती गईं। हिमंता 2001 से लगातार तीन बार कांग्रेस के टिकट पर विधायक चुने गए और तरुण गोगोई भी लगातार तीन बार मुख्यमंत्री बने।
दूसरे ही कार्यकाल में हिमंता को कैबिनेट में जगह मिल गई। ना सिर्फ मंत्री बने मुख्यमंत्री गोगोई ने स्वास्थ्य एवं शिक्षा जैसे अहम मंत्रालय हिमंता को सौंपे। इस दौरान सरमा तरुण गोगोई के सबसे भरोसेमंद नेताओं में से एक बन गए। लेकिन अक्सर इस तरफ की राजनीतिक मित्रताओं में 'पुत्रमोह' आड़े आ जाता है।
तरुण गोगोई के तीसरे कार्यकाल में हिमंत (तब वो कांग्रेस में थे) उम्मीद लगाकर बैठे थे कि आगे उन्हें सीएम बनने का मौका मिलेगा। लेकिन तरुण गोगोई ने 2014 में अपने बेटे गौरव गोगोई को लोकसभा चुनाव में खड़ा कर राजनीति में एंट्री करवा दी। इस समय गौरव असम में एक बड़े नेता हैं। क्योंकि हिमंता ने गौरव की पुरानी लोकसभा सीट कलियाबोर को परिसीमन के तहत खत्म कर दिया था ताकि गौरव मुसलमानों के वोट से जीत न सकें। लेकिन गौरव ने 2024 के लोकसभा चुनाव में हिंदू बहुल जोरहाट सीट से जीत दर्ज कर हिमंता को बड़ा झटका दे दिया। लिहाजा गौरव असम में सीएम सरमा के बड़े प्रतिद्वंद्वी बनकर सामने आ गए है।










Feb 15 2025, 15:18
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