डीएमके सांसद पर क्यों भड़के लोकसभा स्पीकर? दिया करारा जवाब
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सदन में बजट 2025-26 को लेकर चर्चा की जा रही है। सदन के बीच में द्रविड़ मुन्नेत्र कड़गम (डीएमके) सांसद दयानिधि मारन ने संस्कृत भाषा को लेकर एक बयान दिया। उनके इस बयान पर लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला भड़क गए। डीएमके सांसद दयानिधि मारन ने संसद में संस्कृत अनुवाद को पैसे की बर्बादी बताया, जिस पर लोकसभा स्पीकर ओम बिरला ने कड़ी फटकार लगाई और पूछा उन्हें क्या आपत्ति है।
दरअसल, डीएमके सांसद दयानिधि मारन ने सदन में हो रही बहस के अनुवाद में अन्य भाषाओं के साथ संस्कृत को शामिल करने को लेकर आपत्ति जताई है। दायनिधि मारन ने संस्कृत को पैसे की बर्बादी से जोड़ दिया। उन्होंने सदन में कहा कि आप संसद में भाषण को संस्कृत नें अनुवाद करके टैक्सपेयर्स के पैसों को क्यों बर्बाद कर रहे हैं। इस पर लोकसभा स्पीकर भड़क गए। स्पीकर ने उन्हें खरी-खरी सुना दी।
लोकसभा में प्रश्नकाल के तुरंत बाद स्पीकर ओम बिरला ने कहा, मुझे यह घोषणा करते हुए खुशी हो रही है कि छह और भाषाओं- बोडो, डोगरी, मैथिली, मणिपुरी, संस्कृत और उर्दू को उन भाषाओं में शामिल किया गया है, जिनमें संसद की कार्यवाही को ट्रांसलेट करने की सुविधा उपलब्ध कराई जाएगी।
स्पीकर ने जैसे ही संस्कृत शब्द बोला, डीएमके के नेता नारेबाजी करने लगे। इस पर स्पीकर ने पूछा कि आखिर आप लोगों की समस्या क्या है। इसके बाद डीएमके सांसद दयानिधि मारन ने कहा कि संस्कृत में भाषा ट्रांसलेट कराकर सरकार टैक्सपेयर के पैसे बर्बाद कर रही है। यह ठीक नहीं है। आरएसएस की विचारधारा के कारण लोकसभा की कार्यवाही का संस्कृत में ट्रांसलेट किया जा रहा है।
इस पर लोकसभा स्पीकर ने दयानिधि मारन को कड़ी फटकार लगा दी। कहा, माननीय सदस्य आप किस देश में जी रहे हैं। यह भारत है. संस्कृत भारत की प्राथमिक भाषा रही है। मैंने 22 भाषाओं के बारे में बात की, सिर्फ संस्कृत की नहीं। आपको संस्कृत पर ही क्यों आपत्ति है भाई?
बता दें कि सदन में पहले भाषण को बंगाली, गुजराती, कन्नड, मलयालम, पंजाबी और उड़िया समेत 10 भाषाओं में अनुवाद करने की सुविधा थी
7 hours ago