मां सरस्वती की आराधना से प्राप्त होगी बुद्धि और विद्या
हाजीपुर
सरस्वती पूजा को लेकर लोगों के बीच संशय की स्थिति बनी हुई है कि पूजा 2 फरवरी को होगी या 3 फरवरी को।
माघ मास की शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि 03 फरवरी को बसंत पंचमी का त्योहार हर्षोल्लास के साथ मनाया जाएगा। सरस्वती पूजा का शुभ मुहूर्त 3 फरवरी की सुबह 6:32 बजे से शाम 5:40 तक है। उन्होंने बताया कि इस वर्ष सूर्य और बुध एक ही राशि मकर में रहेंगे। इसके साथ ही रेवती नक्षत्र के शुभ योग में 3 फरवरी सोमवार को पंचमी तिथि को अद्भुत संयोग बन रहा है। इस दिन मां सरस्वती की अराधना से बुद्धि और विद्या की प्राप्ति होती है। इंटर की परीक्षा शुरू हैं। इस बीच ही छात्र-छात्राएं मां सरस्वती की आराधना करेंगे। जिन विद्यालयों में परीक्षा केंद्र नहीं है। वहां पूजा की भव्य तैयारी चल रही है। अक्षयवट स्टेडियम स्थित वैशाली कला मंच पर भी हर वर्ष की तरह सरस्वती पूजनोत्सव का आयोजन किया गया है। नगरभर के कलाकार और साहित्यकार व आम नागरिक पूजनोत्सव में शामिल होंगे। वरिष्ठ कलाकार व एंकर विठ्ठल नाथ सूर्य के मार्गदर्शन में गीत संगीत की प्रस्तुति होगी। इधर, बाजारों में पूजा को लेकर चहल-पहल बढ़ गया है। लोग खरीदारी में जुट गए हैं। सार्वजनिक स्थलों व शिक्षण व कोचिंग संस्थानों में तैयारी को अंतिम रूप दिया जा रहा है।
मूर्तिकारों को नहीं मिलता मेहनत का दाम
मूर्तिकार मां सरस्वती की प्रतिमा को अंतिम रूप देने में जुटे हुए हैं। नगर के नखास चौक, चौहट्टा, मीनापुर, कोनहारा रोड, बागमली आदि स्थानों पर मां सरस्वती की मनमोहक प्रतिमा बनाई गई है। देवी सरस्वती को विद्या, कला और वाणी की देवी के रूप में पूजा जाता है। इस दिन की पूजा-अर्चना से ज्ञान, कला और संगीत का आशीर्वाद भी प्राप्त होता है। प्रतिमा निर्माण की जाने वाली सामग्रियों का दाम बहुत बढ़ गया है। मिट्टी के साथ बांस की कीमत रंग और अन्य सामान पहले के मुताबिक 5 गुना बढ़ गया है।
इससे प्रतिमा की अच्छी फिनिशिंग देने के बावजूद चाहकर भी अपने मुताबिक प्रतिमा का निर्माण नहीं कर पाते। लागत के अनुसार प्रतिमा की बिक्री नहीं हो पाता लेकिन पारंपरिक पुश्तैनी धंधा होने और पारिवारिक बोझ के कारण दूसरे प्रदेश में जाने पर भी मेहनत के अनुसार मजदूरी नहीं मिलती इसलिए घर के सदस्यों के साथ मिलकर एक से बढ़कर एक डिजाइन के मूर्ति का निर्माण करते हैं।
सभी जीवों को बोलने की शक्ति प्राप्त हुई
वसंत पंचमी का पर्व नई फसल और प्रकृति के बदलाव का उत्सव भी है। इस समय प्रकृति खिल उठती है। सरसों के पीले फूल, आम के पेड़ों पर नई बौर, और गुलाबी ठंड पूरे वातावरण को आनंदमय बना देती है। छात्र छात्राएं विशेष रूप से पूजा में भाग लेती हैं। पौराणिक कथाओं के अनुसार, सरस्वती पूजा के शुभ दिन ज्ञान की देवी मां शारदा का जन्म हुआं था। इसीलिए इस दिन को सरस्वती
जयंती के नाम से भी जाना जाता है। माना जाता है है कि इसी पावन दिन मां सरस्वती ने अपनी वीणा के मधुर स्वर से सपूर्ण सृष्टि को आवाज दी थी। उनके इस दिव्य कृत्य से ही सभी जीवों को बोलने की शक्ति प्राप्त हुई।
Feb 03 2025, 17:45