झारखंड पेरेंट्स एसोसिएशन के अध्यक्ष अजय राय ने किया मांग,कोचिंग संस्थानों पर सरकार का नियंत्रण हो

रांची : राजधानी रांची के फिटजी कोचिंग संस्थान के दोनों सेंटर के बंद हो जाने पर चिंता जताई गई है। 

झारखंड पेरेंट्स एसोसिएशन के अध्यक्ष अजय राय ने यह चिंता जताते हुये कहा कि अपने बाल-बच्चों को पढ़ाने के लिये गार्जियन लाखों रुपये खर्च कर जाते हैं, पर कोचिंग संस्थानों पर सरकार का कोई नियंत्रण नहीं है, जिसके चलते इस तरह के कारनामे को अंजाम दिया जा रहा है। 

उन्होंने शासन-प्रशासन से फिटजी कोचिंग प्रबंधक को खोज निकालने की मांग की है, ताकि पीड़ित स्टूडेंट को इंसाफ मिल सके।

जामताड़ा में 'ऐप' से 'साइबर ट्रैप : बिना ओटीपी मोबाइल हैक, 10 करोड़ की ठगी; नए गिरोह के 6 सदस्य गिरफ्तार

जामताड़ा : झारखंड में जामताड़ा के साइबर अपराधियों ने अब बिना ओटीपी मोबाइल हैक से ठगी करना शुरू किया है। इस गिरोह के सदस्यों ने अब तक पूरे देश में हजारों लोगों से लगभग 10 करोड़ रुपये की ठगी कर ली।

इन साइबर अपराधियों पर लगाम लगाने के लिए साइबर पुलिस और झारखंड सीआईडी तकनीकी सहायता टीम ने केंद्रीय गृह मंत्रालय के साथ मिलकर काम करने का फैसला लिया है।

जामताड़ा के एसपी डॉ. एहतेशाम बकारीब ने बताया कि साइबर पुलिस ने एक ऐसे नए गिरोह का भंडाफोड़ किया है जो अब बिना ओटीपी भेज ही लोगों के मोबाइल को हैक कर लेता है और साइबर ठगी करते हैं। ऐसे गिरोह जामताड़ा गिरिडीह देवघर धनबाद में सक्रिय है।

क्या है साइबर ठगी का नया तरीका

एसपी डॉक्टर एहतेशाम बकारीब ने बताया कि साइबर अपराधी के नए गिरोह लोगों के मोबाइल पर मैसेज के माध्यम से एपेक अप भेजते हैं और जैसे ही मोबाइल संचालक उस ऐप को खोलते हैं उनका मोबाइल पूरी तरह हैक हो जाता है। और इसी का फायदा उठाकर साइबर अपराधी उनके मोबाइल से सभी तरह के मैसेज और उत्तर को हैक कर अकाउंट खाली कर देते हैं। साथ ही लोगों को अपने ठगी का शिकार बनाते हैं।

2700 लोगों को भेजें ढाई लाख मैसेज

एसपी ने बताया कि पकड़े गए नए साइबर अपराधियों के मोबाइल से कुल 2700 लोगों को ढाई लाख मैसेज भेजे गए हैं। जिसमें कई कई शिकार बन चुके हैं और कई को शिकार बनाने में वो असफल रहे हैं। यही कारण है कि सीआईडी तकनीकी की सहायता टीम इस मामले में पूरी गंभीर है और गृह मंत्रालय से सहयोग ले रही है।

लग्जरी जीवन जीते हैं यह साइबर अपराधी

पुलिस ने बताया कि इस गिरोह के सदस्य लग्जरी जीवन जीने की शौकीन है। इन लोगों के पास कई चार पहिया गाड़ी लैपटॉप डीएसएलआर कैमरा ड्रोन कैमरा दर्जनों मोबाइल मिले हैं। और यह लोग लग्जरी जीवन जीने की शौकीन है और ऐसो आराम के लिए दूर-दूर तक भ्रमण करते रहते हैं।

अल्ट्रासाउंड केंद्रों के लिए फायर सेफ्टी का एनओसी अनिवार्य

धनबाद : जिले में अल्ट्रासोनोग्राफी केंद्र संचालन के लिए अग्निशमन विभाग का फायर सेफ्टी एनओसी अनिवार्य होगा। बिना इसके अब केंद्र का रजिस्ट्रेशन पीसी एंड पीएनडीटी के तहत नहीं होगा।

यह निर्देश डीसी माधवी मिश्रा ने स्वास्थ्य अधिकारियों को दिया है। डीसी शनिवार को समाहरणालय में पीसी एंड पीएनडीटी एक्ट के जिला सलाहकार समिति की बैठक की अध्यक्षता कर रही थीं।

बैठक में डीसी ने कन्या भ्रूण हत्या की रोकथाम के लिए टीम बनाकर अल्ट्रासोनोग्राफी केंद्रों की जांच करने और प्रसव पूर्व लिंग जांच में संलिप्त केन्द्रों के खिलाफ कार्रवाई का निर्देश दिया है। बैठक में नए रजिस्ट्रेशन के लिए आए दो आवेदनों और रिन्युअल के लिए आए चार आवेदनों पर विचार विमर्श किया गया। अधिकारियों को निर्देश दिया गया कि अल्ट्रासाउंड सेन्टर के नए रजिस्ट्रेशन और रिन्यूअल के आवेदन में फायर सेफ्टी का एनओसी अनिवार्य रूप से लिया जाए। रेडियोलोजिस्ट या सोनोलॉजिस्ट को अल्ट्रासाउंड केंद्रों में उपस्थित रहने के समय की भी लिखित सूचना देनी होगी और केंद्र पर उसे प्रदर्शित करनी होगी।

 बैठक में सिविल सर्जन डॉ. चंद्रभानु प्रतापन, नोडल पदाधिकारी डॉ. विकाश कुमार राणा, डॉ. सुनील वर्मा, डॉ. राकेश इंदर, डॉ नीतू सहाय, डॉ गायत्री सिंह, डॉ. शम्स तबरेज आलम, समित प्रकाश, कार्यपालक दंडाधिकारी रविंद्रनाथ ठाकुर, नीता सहाय, पूजा रत्नाकर आदि शामिल थे।

गिरिडीह के बिजनेसमैन सुरेश जालान ने खरीदा 90 करोड़ का प्राइवेट जेट


गिरिडीह: झारखंड के कारोबारी सुरेश जालान ने 90 करोड़ का प्राइवेट जेट खरीदा है. स्विट्जरलैंड से गिरिडीह एयरपोर्ट पहुंचा यह जेट, सुरेश के कारोबारी साम्राज्य का प्रतीक है. व्यापारी सुरेश जालान की कंपनी कार्बन रिसोर्सेज कार्बनयुक्त कच्चा माल बनाती है, जो भारत के पांच राज्यों में कारोबार करती है.

झारखंड के इस अमीर बिजनेसमैन ने खरीदा 90 करोड़ का प्राइवेट जेट, पांच राज्यों में फैला है कारोबार

झारखंड के अमीर बिजनेसमैन हैं सुरेश जालान.

देश के सबसे अमीर कारोबारियों में से एक सुरेश जालान ने 10 सीटर प्राइवेट जेट खरीदा है. इस प्राइवेट जेट की कीमत 90 करोड़ रुपये बताई जा रही है. सुरेश जालान झारखंड के गिरिडीह के रहने वाले हैं और राज्य की सबसे बड़ी कार्बन रिर्सोस कंपनी के मालिक हैं. वो देश के सबसे अमीर कारोबारियों में 299वें स्थान पर है.

सुरेश जालान ने स्विट्जरलैंड से 90 करोड़ रुपये की कीमत का प्राइवेट जेट खरीदा है. उन्होंने स्विट्जरलैंड से उड़कर गिरिडीह के बोरो एयरोड्रम पर लैंडिंग की. गणतंत्र दिवस पर विमान की पूजा भी की गई।

आगजनी की घटना में झुलसे 6 लोगों का धनबाद के एसएनएमएमसीएच में चल रहा इलाज

धनबाद :गिरिडीह के मुफस्सिल थाना क्षेत्र के शीतलपुर में आगजनी की घटना में उमेश दास के परिवार के एक महिला की मौत हो गई है और आग की जद में आने से 6 लोग गंभीर रूप से झुलस गए हैं. झुलसे लोगों का धनबाद एसएनएमएमसी अस्पताल में इलाज चल रहा है.

 झुलसे लोगों में एक महिला और एक पुरुष की हालत गंभीर है. दोनों को रांची के रिम्स रेफर कर दिया गया है.

खिड़की से पेट्रोल फेंक कर लगा दी आग

इस संबंध में अस्पताल में इलाजरत उमेश दास ने बताया कि सभी रात में सोए हुए थे. इस दौरान पानी गिरने की आवाज आई. देखने पर मालूम हुआ कि वह पानी नहीं, बल्कि पेट्रोल था. घर के नीचे चारों ओर भारी मात्रा में पेट्रोल फैला हुआ था. बाहर से घर का दरवाजा बंद था. इसलिए कोई भी बहार नहीं निकल सका. इस क्रम में किसी ने खिड़की से माचिस जलाकर घर में फेंक दिया. जिससे पूरे घर में आग लग गई. देखते ही देखते आग ने विकराल रूप ले लिया. फिर अचानक से ब्लास्ट हुआ. ब्लास्ट के बाद घर की छत ऊपर की ओर क्षतिग्रस्त हो गई. दीवार की ईंट टूटकर नीचे गिर गई.

एक महिला की मौत, तीन की स्थिति गंभीर

ब्लास्ट और आग लगने के बाद ग्रामीणों मौके पर पहुंचे और किसी तरह घर के अंदर फंसे लोगों को बाहर निकाला. इस हादसे में उमेश दास की सास बेदानी देवी की मौत हो गई है. जबकि उमेश की पत्नी सबिता देवी, छोटा बेटा सन्नी और ससुर टुकून रविदास बुरी तरह झुलस गए. सबिता देवी और टुकून रविदास को रांची के रिम्स रेफर कर दिया गया है. सन्नी की भी स्थिति ठीक नहीं है. वहीं बड़ा बेटा संदीप कुमार और बेटी लक्ष्मी कुमारी का इलाज धनबाद एसएनएमएमसीएच में चल रहा है.

पीड़ित ने अस्पताल में दिया बयान

आगजनी की घटना में उमेश दास भी बुरी तरह झुलस गए हैं.उमेश दास ने बताया कि उनके सास और ससुर कोलकाता में रहते हैं. शुक्रवार को ही दोनों उनके घर पहुंचे थे. घटना में सास बेदानी की मौत हो गई है. जबकि ससुर टुकून की स्थिति नाजुक है. उन्होंने बताया कि हमारा किसी के साथ कोई विवाद या दुश्मनी नहीं है.।

आगजनी की घटना में झुलसे 6 लोगों का धनबाद के एसएनएमएमसीएच में चल रहा इलाज

धनबाद :गिरिडीह के मुफस्सिल थाना क्षेत्र के शीतलपुर में आगजनी की घटना में उमेश दास के परिवार के एक महिला की मौत हो गई है और आग की जद में आने से 6 लोग गंभीर रूप से झुलस गए हैं. झुलसे लोगों का धनबाद एसएनएमएमसी अस्पताल में इलाज चल रहा है.

 झुलसे लोगों में एक महिला और एक पुरुष की हालत गंभीर है. दोनों को रांची के रिम्स रेफर कर दिया गया है.

खिड़की से पेट्रोल फेंक कर लगा दी आग

इस संबंध में अस्पताल में इलाजरत उमेश दास ने बताया कि सभी रात में सोए हुए थे. इस दौरान पानी गिरने की आवाज आई. देखने पर मालूम हुआ कि वह पानी नहीं, बल्कि पेट्रोल था. घर के नीचे चारों ओर भारी मात्रा में पेट्रोल फैला हुआ था. बाहर से घर का दरवाजा बंद था. इसलिए कोई भी बहार नहीं निकल सका. इस क्रम में किसी ने खिड़की से माचिस जलाकर घर में फेंक दिया. जिससे पूरे घर में आग लग गई. देखते ही देखते आग ने विकराल रूप ले लिया. फिर अचानक से ब्लास्ट हुआ. ब्लास्ट के बाद घर की छत ऊपर की ओर क्षतिग्रस्त हो गई. दीवार की ईंट टूटकर नीचे गिर गई.

एक महिला की मौत, तीन की स्थिति गंभीर

ब्लास्ट और आग लगने के बाद ग्रामीणों मौके पर पहुंचे और किसी तरह घर के अंदर फंसे लोगों को बाहर निकाला. इस हादसे में उमेश दास की सास बेदानी देवी की मौत हो गई है. जबकि उमेश की पत्नी सबिता देवी, छोटा बेटा सन्नी और ससुर टुकून रविदास बुरी तरह झुलस गए. सबिता देवी और टुकून रविदास को रांची के रिम्स रेफर कर दिया गया है. सन्नी की भी स्थिति ठीक नहीं है. वहीं बड़ा बेटा संदीप कुमार और बेटी लक्ष्मी कुमारी का इलाज धनबाद एसएनएमएमसीएच में चल रहा है.

पीड़ित ने अस्पताल में दिया बयान

आगजनी की घटना में उमेश दास भी बुरी तरह झुलस गए हैं.उमेश दास ने बताया कि उनके सास और ससुर कोलकाता में रहते हैं. शुक्रवार को ही दोनों उनके घर पहुंचे थे. घटना में सास बेदानी की मौत हो गई है. जबकि ससुर टुकून की स्थिति नाजुक है. उन्होंने बताया कि हमारा किसी के साथ कोई विवाद या दुश्मनी नहीं है.।

आदित्यपुर थाना के टोल प्लाजा के निकट एक युवक का शव मिलने से क्षेत्र में सनसनी, हादसा या हत्या जाँचकर रही पुलिस जांच

जमशेदपुर: सरायकेला- खरसावां जिला के आदित्यपुर थाना अंतर्गत, टोल प्लाजा के निकट एक युवक का शव मिलने से इलाके में सनसनी फैल गई है। मृतक की पहचान सलडीह बस्ती निवासी रतन गोराई के रूप में हुई है। सूचना मिलते ही आदित्यपुर थाना पुलिस मौके पर पहुंची और मृतक के शव को कब्जे में लेकर जांच में जुट गई है। 

बताया जा रहा है कि मृतक कल शाम से ही गायब था। मृतक की पत्नी ने थाने में इसकी सूचना भी दी थी। बताया जाता है कि मृतक किसी कंपनी में काम करता था किन्तु उस दिन रात में काम के पश्चात वह घर ही नहीं लौटा। यह हत्या है या हादसा पुलिस मामले की जांच में जुटी है।

धनबाद: बरोरा चिटाही मार्ग के मुख्य सड़क में दरार !


धनबाद: बाघमारा: बरोरा से रामराज मंदिर चिटाही जाने वाले मुख्य मार्ग में सड़क कई मीटर तक फट गया है। जिससे लगातार गैस रिसाव भी हो रहा है, साथ ही रोड में दरार दिन ब दिन बढ़ते जा रहा है।इसी रास्ते से डुमरा, मांद्रा, माथाबांध, बरोरा तथा आस पास के ग्रामीण एवं श्रद्धालु रामराज मंदिर एवं कतरास धनबाद जाने के लिए इस सड़क उपयोग करते है।

 लेकिन इस ओर बीसीसीएल क्षेत्र संख्या-1 के पदाधिकारी के अनदेखी एवं उदासीन रवैये के वजह से कभी भी इस सड़क पर दुर्घटना घट सकती है। अभी कुछ दिन बाद ही रामराज मंदिर में यज्ञ होना है, इस सड़क का उपयोग लाखों लोग करेंगे।

 जनहित में अविलम्ब इस सड़क को बीसीसीएल या जिला प्रशासन दुरुस्त करें ताकि जान माल का नुकसान नहीं हो सके.

आज का इतिहास:1988 में आज ही के दिन किया गया था हेलीकॉप्टर डाक सेवा का उद्घाटन

नयी दिल्ली: 27 जनवरी का इतिहास महत्वपूर्ण माना जाता है, क्योंकि 1988 में आज ही के दिन पहली बार हेलीकॉप्टर डाक सेवा का उद्घाटन किया गया था। 

1974 में 27 जनवरी के दिन ही राष्ट्रपति वी. वी. गिरि ने नई दिल्ली के तीन मूर्ति स्थित नेहरु मेमारियल म्यूजियम को राष्ट्र को समर्पित किया था।

2008 में आज ही के दिन पश्चिम बंगाल के 13 जिलों में बर्ड फ्लू फैला था।

1988 में 27 जनवरी के दिन ही पहली बार हेलीकॉप्टर डाक सेवा का उद्घाटन किया गया था।

1974 में आज ही के दिन राष्ट्रपति वी. वी. गिरि ने नई दिल्ली के तीन मूर्ति स्थित नेहरु मेमारियल म्यूजियम को राष्ट्र को समर्पित किया था।

1967 में 27 जनवरी के दिन ही ‘अपोलो 1’ की हुई दुर्घटना में तीन अंतरिक्ष यात्रियों की मौत हो गई थी।

1948 में आज ही के दिन पहला टेप रिकॉर्डर बिका था।

1943 में 27 जनवरी के दिन ही अमेरिका ने जर्मनी पर पहली बार हवाई हमला किया था।

1915 में आज ही के दिन अमेरिकी मरीन ने हैती पर कब्जा किया था।

1905 में 27 जनवरी के दिन ही मौरिस राउविएर ने फ्रांस में सरकार बनाई थी।

1897 में आज ही के दिन ब्रिटिश सैनिकों ने घाना के बीडा गोल्ड कॉस्ट पर कब्जा किया था।

1888 में 27 जनवरी के दिन ही वाशिंगटन में नेशनल ज्योग्राफिक सोसाइटी का आयोजन किया गया था।

27 जनवरी को जन्मे प्रसिद्ध व्यक्ति

1922 में आज ही के दिन भारतीय हिंदी सिनेमा के प्रसिद्ध अभिनेता अजीत का जन्म।

1907 में 27 जनवरी के दिन हप्रसिद्ध साहित्यकार और पत्रकार पण्डित सीताराम चतुर्वेदी का जन्म।

1886 में आज ही के दिन टोक्यो, जापान युद्ध अपराध न्यायाधिकरण में भारतीय न्यायाधीश राधाबिनोद पाल का जन्म हुआ था।

27 जनवरी को हुए निधन

2010 में आज ही के दिन तेलुगु चलचित्र अभिनेता गुम्माडी वेंकटेश्वर राव जी का निधन हुआ था।

2009 में 27 जनवरी के दिन ही भारत के आठवें राष्ट्रपति रहे श्री. आर. वेंकटरमण (रामस्वामी वेंकटरमण) जी का निधन हो गया था।

2008 में आज ही के दिन इंडोनेशिया के पूर्व राष्ट्रपति हाजी मुहम्मद सुहार्तो का निधन हुआ था।

2007 में 27 जनवरी के दिन हिंदी भाषा के कथाकार, उपन्यासकार, पत्रकार तथा पटकथा लेखक श्री कमलेश्वर जी का निधन हुआ था।

1992 में आज ही के दिन प्रसिद्ध भारतीय अभिनेता श्री भारत भूषण जी का निधन हो गया था।

1986 में 27 जनवरी के दिन ही 20वीं सदी में भारत के प्रमुख सितार वादकों में से एक निखिल बैनर्जी जी का निधन हुआ था।

पुण्यतिथि पर विशेष:कमलेश्वर एक ऐसा लेखक जिसने हिन्दी साहित्य को नए आयाम दिए

नयी दिल्ली : कमलेश्वर ने हिंदी साहित्य में रचनात्मकता लाने के लिए 'नई कहानी' जैसा आंदोलन चलाया और 1972 में उसी हिंदी साहित्य के पतन को देखते हुए समांतर कहानी आंदोलन की शुरुआत भी की.

कुछ दिनों पहले मैं अवसाद और निराशा के दौर से गुजर रहा था. अपने आप को कमरे में बन्द कर लिया था. न किसी से बात करना अच्छा लगता था और न ही कुछ करने का मन करता था. बाहरी दुनिया काटने को दौड़ती थी. इसी बीच मेरी नजर एक किताब पर पड़ी. पिछले साल के पुस्तक मेले में खरीदा था. पहला पन्ना खोला तो लिखा था.

इन बंद कमरों में मेरी सांस घुट जाती है, खिड़किया खोलता हूं तो जहरीली हवा आती है.

ऐसा लगा जैसे लेखक ने मेरे मन की बात सुन ली हो. मैनें पढ़ना शुरू किया. जैसे-जैसे पढ़ता गया. मूड बदलने लगा. शुरू करने से पहले मेरा मन जो संज्ञाशून्य था, वह इस उपन्यास के साथ ही शून्य से शिखर तक पहुंच रहा था. किताब का नाम था. ‘कितने पाकिस्तान’. लिखने वाले थे कमलेश. लेखक से काफी प्रभावित हुआ. बीच में ही उठ कर लेखक के बारे में पढ़ डाला.

जीवन दर्शन

कमलेश्वर 6 जनवरी को 1932 में यूपी के मैनपुरी में पैदा हुए थे. वही मैनपुरी जो यूपी के सबसे ताकतवर राजनीतिक परिवार (मुलायम सिंह यादव) का गढ़ माना जाता है. 1954 में इलाहाबाद यूनिवर्सिटी से एमए कर लिए. कहानियां और कॉलम लिखे. टीवी के लिए कश्मीर के आतंकवाद और बाबरी मस्जिद विवाद पर कई फिल्में भी बनाईं. पत्रकारिता भी की. देश के सामाजिक हालात ने जब उनके मन को कचोटा तो वे शालिनी अग्निकांड पर ‘जलता सवाल’ और कानपुर की बहनों के आत्महत्याकांड पर ‘बंद फाइल’ जैसे धारावाहिक भी बनाने से खुद को रोक नहीं पाए. दूरदर्शन पर हर रविवार को आने वाला सुप्रसिद्ध कार्यक्रम ‘चंद्रकांता’ भी इन्हीं के कलम से निकली टीवी की सबसे लोकप्रिय रचना थी. ‘युग’, ‘विराट’ और ‘बेताल’ जैसे लंबे और 90 के दशक में लोगों को स्वस्थ मनोरंजन देने वाले धारावाहिकों का लेखन भी कमलेश्वर ने ही किया था.

‘नई कहानी’ आंदोलन के पैरोकार

हिंदी साहित्य के लगभग 150 साल के इतिहास में तीन लेखकों ने इसकी दिशा और दशा बदलने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. चाहे कमलेश्वर की ‘राजा निंबरसिया’ रही हो, राजेंद्र यादव की ‘प्रेत बोलते’ हैं. या फिर मोहन राकेश का ‘अषाढ़ का एक दिन’. इन तीनों की लेखनी ने हिंदी साहित्य की अविरल धारा को समृद्ध बनाने में भरपूर कोशिश की. इसमें सबसे अहम योगदान कमलेश्वर का रहा. राजेंद्र यादव शुरू में उत्कृष्ट लेख देने के बाद अपना ध्यान उपन्यास और पुस्तक के व्यवसाय पर केंद्रित कर लिया. उनकी रचनाओं को लेकर कुछ विवाद भी हुए. 

मोहन राकेश ने अच्छी कहानियां जरूर गढ़ी, लेकिन जब वे अपने चरम पर थे तो असमय काल के कपाल ने उन्हें गले लगा लिया. हालांकि, बाद में मोहन राकेश कहानियों से इतर नाटक मंचन में अपने आप को खपाने लगे थे.

ऐसे में कमलेश्वर ही थे, जिन्होंने शुरू से अंत तक अपनी संयमित विविधता और सृजनशीलता को बनाए रखा. राजेंद्र यादव हंस पत्रिका में लिखते हैं, ‘नई कहानी’ आंदोलन के प्रारंभिक पैरोकारों में सबसे अधिक जुझारू व्यक्तित्व कमलेश्वर का था. हालांकि मुझे, मोहन राकेश और कमलेश्वर- तीनों को नई कहानी आंदोलन के नेतृत्व करने वालों के रूप में देखा-जाना जाता है, पर नई कहानी आंदोलन को हिंदी साहित्य में स्थापित करने में कमलेश्वर की भूमिका अहम थी. स्थापित साहित्यकारों की ओर से सबसे अधिक हमले उन पर ही हुए और आगे बढ़कर हमले का जवाब भी उन्होंने ही दिया.’

दिल का काम, मन की बात की  

भारतीय समाज और राजनीति पर अपने मन के द्वंद का इजहार कहानियां गढ़ने से इतर जाकर वे सार्वजनिक इजहार करते थे. ये कमलेश्वर ही थे, जिन्होने हिंदी साहित्य में रचनात्मकता लाने के लिए ‘नई कहानी’ जैसा आंदोलन चलाया फिर 1972 में उसी हिंदी साहित्य के पतन को देखते हुए समांतर कहानी आंदोलन की शुरुआत भी की.

 सारिका पत्रिका द्वारा चलाए इस आंदोलन से पहली बार दलित लेखन ने साहित्य में अपनी जगह बनाना शुरू की. कमलेश्वर ने नए लेखकों को प्रोत्साहन देने और उनके संघर्षों को जगह देने के लिए ‘गर्दिश के दिन’ नामक एक कॉलम भी शुरू किया था. अपने मन की करने वाले कमलेश्वर आपातकाल के उस भयानक दौर में भी इंदिरा गांधी से लोहा लेने से नहीं चूके. उस समय इंदिरा का फरमान था कि छपने से पहले वे अपनी पत्रिकाओं और लेखों को सरकार को दिखाएं. 

कमलेश्वर को दूरदर्शन का महानिदेशक बनाने की प्रकिया चल रही थी. उनकी नियुक्ति की प्रक्रिया बाकी थी. उन्होंने उस दौर में भी काली कहानी जैसी कहानी लिखते हुए आपातकाल का जमकर विरोध किया. जब यह बात इंदिरा गांधी को पता चली तो ये उनका बड़प्पन कह लें या फिर कमलेश्वर की स्पष्टवादिता का प्रभाव, गांधी ने केवल इतना कहा कि वे कमलेश्वर को दूरदर्शन के खिलाफ भी ऐसा ही मुखर देखना चाहेंगी.

‘कितने पाकिस्तान’

अपने जीवन के अंतिम दिनों में भी लिखने वाले कमलेश्वर की यह आखिरी उपन्यास था. लोगों ने इसे हाथों हाथ लिया. इसकी लोकप्रियता का आलम यह था कि 2000 में प्रकाशित यह अब तक उपन्यास 17 संस्करणों में प्रकाशित हुआ. अपने नौवें संस्करण की भूमिका में कमलेश्वर लिखते हैं, ‘मैं अपने पाठकों का बहुत आभारी हूं. यह नवम संस्करण मैं भारत के उन पाठकों को समर्पित करता हूं, जिनकी मातृभाषा हिंदी नहीं है. ’2003 में अपनी इस सर्वश्रेष्ठ कृति के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार पाने वाले कमलेश्वर ने इस उपन्यास में मानव सभ्यता को कई वर्गों में बांटने वाली प्रवृत्तियों की परख की है. इस उद्देश्य से कि भारत ही नहीं, दुनिया भर में एक के बाद एक दूसरे पाकिस्तान बनाने की लहू से लथपथ यह परंपरा अब समाप्त हो. कमलेश्वर कितने पाकिस्तान में लिखते हैं, ‘मेरी दो मजबूरियां भी इसके लेखन से जुड़ी हैं. एक तो यह कि कोई नायक या महानायक सामने नहीं था, इसलिए मुझे समय को ही नायक-महानायक और खलनायक बनाना पड़ा. और दूसरी मजबूरी यह है कि इसे लिखते समय लगातार यह एहसास बना रहा कि जैसे यह मेरी पहली रचना हो. लगभग उसी अनकही बेचैनी और अपनी असमर्थता के बोध से मैं गुजरता रहा. 

आखिर इस उपन्यास को कहीं तो रुकना था. रुक गया. पर मन की जिरह अभी भी जारी है.’

300 से अधिक कहानियां और 13 उपन्यास लिखने वाले इस मानवीय लेखक का इस दुनिया से चला जाना देश में कट्टरता और असहिष्णुता के खिलाफ संघर्षों के लिए एक झटका है. अब ये देखना होगा कि नई पीढ़ी के लेखकों में कौन उनके समकक्ष खड़ा होने की हिमाकत करता है।