छत्तीसगढ़ के गरियाबंद में 36 घंटे से चल रही मुठभेड़, अब तक 14 नक्सली ढेर
#encounter_going_on_for_36_hours_in_gariaband_14_naxalites_killed

* छत्तीसगढ़ के गरियाबंद में पिछले 36 घंटे से नक्सलियों और सुरक्षाबलों की मुठभेड़ जारी है। अब तक कुल 14 नक्सलियों के मारे जाने की जानकारी सामने आई है। मुठभेड़ में कई इनामी नक्सली मारे गए हैं। सभी मारे गए नक्सलियों के शव और हथियार बरामद कर लिए गए हैं। साथ ही भारी मात्रा में हथियार भी बरामद हुए हैं। गरियाबंद जिले के कुल्हाड़ी घाट स्थित भालू डिग्गी जंगल में कुल एक हजार से अधिक जवानों ने 60 से अधिक नक्सलियों को चारों तरफ से घेर रखा है। यह मामला मैनपुर थाने इलाके का बताया जा रहा है।रविवार सुबह से मंगलवार की की सुबह तक रुक-रुक कर फायरिंग हो रही है। यह मुठभेड़ नक्सलियों के खिलाफ छेड़े गए ऑपरेशन का हिस्सा है, जिसमें सुरक्षा बलों का उद्देश्य नक्सली संगठन को कमजोर करना है। मुठभेड़ में सीआरपीएफ के कोबरा यूनिट का एक जवान भी घायल हुआ है, जिसे एयर लिफ्ट करके रायपुर लाया जा रहा है। इससे पहले रविवार को हुई मुठभेड़ में दो नक्सली ढेर किए गए थे वहीं एक जवान भी घायल हुआ था। गरियाबंद में सुरक्षा बल नक्सली मुठभेड़ में एक करोड़ का इनामी नक्सली जयराम उर्फ चलपती मारा गया है। वह नक्सलियों के केंद्रीय कमेटी मेंबर बताया जा रहा है। अब तक 14 से अधिक महिला / पुरुष नक्सलियों के शव बरामद कर लिए गए हैं। मारे गए नक्सलियों में माओवादियों के सीनियर कैडर शामिल हैं, जिनकी शिनाख्त की जा रही है l बता दें कि छत्तीसगढ़-ओडिशा बॉर्डर पर ऑपरेशन चल रहा है। यह छत्तीसगढ़ पुलिस, ओडिशा पुलिस, सीआरपीएफ और कोबरा का जॉइंट ऑपरेशन है। इस ऑपरेशन में सुरक्षा बलों की कुल 10 टीमें शामिल हैं, जिसमें 3 टीमें ओडिशा से, 2 टीमें छत्तीसगढ़ पुलिस की और 5 टीमें सीआरपीएफ की हैं। जवान इलाके के सर्चिंग ऑपरेशन पर निकले हुए थे, तभी नक्सलियों ने जवानों पर हमला किया। एनकाउंटर की सूचना मिलते ही वरिष्ठ अधिकारी भी मैनपुर पहुंच गए हैं। इलाके में भारी सुरक्षाबल तैनात किया गया है। सुरक्षा के लिहाज से भाटीगढ़ स्टेडियम को भी छावनी में तब्दील कर दिया गया है।
डोनाल्ड ट्रंप के सत्ता में आते ही विवेक रामास्वामी ने DOGE का पद छोड़ा, जानें क्या है वजह?
#america_vivek_ramaswamy_leaves_doge_department
अमेरिका में डोनाल्ड ट्रंप के राष्ट्रपति बनने के बाद भारतीय-अमेरिकी बिजनेसमैन से राजनेता बने विवेक रामास्वामी ने एक बड़ा फैसला लिया है। बताया जा रहा है वो अब डोनाल्ड ट्रम्प के डिपार्टमेंट ऑफ गवर्नमेंट एफिशिएंसी (डीओजीई) का हिस्सा नहीं हैं। इसकी जानकारी ट्रंप के शपथ ग्रहण के कुछ घंटों के बाद व्हाइट हाउस ने दी। बता दें कि अपने मंत्रीमंडल के चयन के दौरान डोनाल्ड ट्रंप ने विवेक रामास्वामी को एलन मस्क के साथ मिलकर सरकारी दक्षता विभाग (डीओजीई) का नेतृत्व करने के लिए चुना था। उद्यमी विवेक रामास्वामी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक पोस्ट शेयर किया। इसमें उन्होंने कहा, “डीओजीई के निर्माण में सहायक बनना मेरे लिए सम्मान की बात थी। मुझे पूरा विश्वास है कि एलन मस्क और उनकी टीम सरकार को सुव्यवस्थित करने में पूरी तरह से सफल होगी। मैं जल्द ही ओहायो में अपने भविष्य की योजनाओं के बारे में और अधिक बताऊंगा। हालांकि सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि हम सभी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के अमेरिका को फिर से महान बनाने में मदद करने के लिए पूरी तरह से तैयार हैं।” सरकारी दक्षता सलाहकार समूह की प्रवक्ता ने एक बयान में कहा, “विवेक रामास्वामी जल्द दी एक निर्वाचित पद के लिए चुनाव लड़ने का इरादा रखते हैं, जिसके लिए उन्हें डीओजीई से बाहर रहना होगा। हम पिछले दो महीने के उनके योगदान के लिए उनका धन्यवाद करते हैं और उम्मीद करते हैं कि वह अमेरिका को फिर से महान बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे।” बता दें कि रामास्वामी ने संकेत दिया है कि वह 2026 में ओहायो से गवर्नर का चुनाव लड़ने की प्लानिंग कर रहे हैं। अगर वह जीत जाते हैं तो ओहायो के पहले भारतीय-अमेरिकी गवर्नर होंगे। इससे पहले उन्होंने भी रिपब्लिकन पार्टी की ओर से उम्मीदवारी भी पेश की थी। हालांकि उन्होंने अब ओहियो के गवर्नर के लिए चुनाव लड़ने का इरादा जताया है। इसलिए ट्रंप के राष्ट्रपति पद के लिए शपथ ग्रहण करने के कुछ ही घंटों बाद ही विवेक रामास्वामी को सरकारी दक्षता विभाग (डीओजीई) से इस्तीफा देना पड़ा।
शपथ लेते ही डोनाल्ड ट्रंप ने BRICS को धमकी, भारत लिए क्या है मायने
#president_donald_trump_threatens_100_percent_tariffs_on_brics_nations
* डोनाल्ड ट्रम्प ने सोमवार, 20 जनवरी को अमेरिकी संसद कैपिटल हिल में 47वें राष्ट्रपति के तौर पर शपथ ली। ट्रम्प ने सत्ता संभालते ही देश से लेकर विदेश तक अमेरिकी नीतियों में कई बड़े बदलाव लाने की बात कही। शपथ के बाद 30 मिनट के भाषण में डोनाल्ड ट्रम्प ने अमेरिका फर्स्ट पॉलिसी के तहत दूसरे देशों पर टैरिफ लगाने की बात कही। ट्रंप चुनाव जीतने के बाद ब्रिक्स देशों पर 100% टैरिफ लगाने की धमकी भी दी थी। इससे अलावा वो चीन, कनाडा और मेक्सिको पर भारी भरकम टैरिफ लगाने की धमकी दे चुके हैं। राष्ट्रपति पद की कुर्सी पर बैठते ही डोनाल्ड ट्रंप का एक्शन शुरू हो गया है। डोनाल्ड ट्रंप ने ब्रिक्स देशों को खुलेआम धमकी दे दी है। सोमवार को शपथ लेते ही अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा कि स्पेन समेत ब्रिक्स देशों पर 100% टैरिफ लगाया जा सकता है। ब्रिक्स में दस देश शामिल हैं। ब्राजील, रूस, भारत, चीन, दक्षिण अफ्रीका, मिस्र, इथियोपिया, इंडोनेशिया, ईरान और संयुक्त अरब अमीरात। स्पेन ब्रिक्स का हिस्सा नहीं है। बावजूद वह भी ट्रंप के रडार में है। हालांकि, दिसंबर में ही डोनाल्ड ट्रंप ने इसका इशारा कर दिया था कि वह ब्रिक्स देशों पर 100 फीसदी टैरिफ लगाएंगे। हालांकि, उन्होंने इसके लिए एक शर्त रखी थी। बता दें कि ट्रंप पहले ब्रिक्स की ओर से एक अलग करेंसी लाने का विरोध कर चुके हैं। ट्रंप की इस घोषणा के बाद ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका से उसके टकराव बढ़ सकते हैं। डोनाल्ड ट्रंप की इस धमकी का मतलब है कि भारत भी इसके लपेटे में आएगा। भारत ब्रिक्स का अहम सदस्य है। ट्रंप का बयान इसलिए भी अहम है, क्योंकि कुछ समय पहले यह खबर आई थी कि ब्रिक्स देश अपनी नई करेंसी पर विचार कर रहे हैं। हालांकि, उस पर अब तक कोई आधिकारिक बयान नहीं है। अगर ट्रंप की धमकी सही साबित होती है तो ब्रिक्स देशों के लिए बड़ी मुसीबत होगी। ऐसे में भारत के लिए भी अमेरिका से आयात-निर्यात करना बहुत कठिन हो जाएगा।
विश्व स्वास्थ्य संगठन से बाहर हुआ अमेरिका, ट्रम्प ने बाइडेन के 78 फैसले पलटे
#us_to_exit_world_health_organization

* डोनाल्ड ट्रंप ने सोमवार को अमेरिका के राष्ट्रपति पद की शपथ ली। इसके साथ ही वह आधिकारिक तौर पर देश के राष्ट्रपति बन गए हैं। चुनाव जीतने के बाद से ही एक्शन में दिख रहे ट्रंप ने शपथ लेने के सिर्फ 6 घंटे के अंदर ही ट्रम्प ने बाइडेन के 78 फैसलों को पलट दिया है। शपथ ग्रहण के बाद ट्रम्प कैपिटल वन एरिना पहुंचे। यहां उन्होंने लोगों के सामने बाइडेन के फैसलों को पलटने समेत कई कार्यकारी आदेशों पर साइन किए। *डब्ल्यूएचओ पर लगाया पक्षपात का आरोप* राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने सोमवार को अपने शपथ ग्रहण के कुछ ही घंटों बाद विश्व स्वास्थ्य संगठन से अमेरिका के बाहर निकलने के आदेश पर हस्ताक्षर कर दिए। कोरोना महामारी के वक्त ट्रंप इस संगठन पर काफी हमलावर थे। व्हाइट हाउस में आदेश पर हस्ताक्षर करते हुए ट्रंप ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र अमेरिका के साथ डब्ल्यूएचओ पक्षपात कर रहा है। यहां चीन को तवज्जो दी जा रही है। उन्होंने कहा कि विश्व स्वास्थ्य संगठन ने हमें ठगा है। *पेरिस जलवायु समझौते से भी बाहर* इससे पहले ट्रंप ने शपथ लेने के तत्काल बाद अमेरिका के पेरिस जलवायु समझौते से बाहर होने की घोषणा की थी। व्हाइट हाउस ने एक बयान जारी कर कहा कि राष्ट्रपति ट्रंप एक बार फिर अमेरिका को पेरिस जलवायु समझौते से बाहर करने जा रहे हैं। ट्रंप ने शपथ ग्रहण के कुछ घंटों बाद ही कैपिटल वन एरिना में कार्यकारी आदेशों के अपने पहले सेट पर हस्ताक्षर किए। इस दौरान पेरिस जलवायु संधि से हटने के लिए कार्यकारी आदेश पर हस्ताक्षर किए गए।
डोनाल्ड ट्रंप ने TikTok पर प्रतिबंध को रोका, कार्यकारी आदेश में ऐप को 75 दिन का अतिरिक्त समय दिया

* अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अमेरिका में TikTok पर प्रतिबंध को अस्थायी रूप से रोक दिया, जिससे कंपनी और उसकी चीनी मूल कंपनी ByteDance Ltd. को लोकप्रिय ऐप के लिए एक समझौते पर पहुंचने के लिए 75 दिन का अतिरिक्त समय मिल गया, जो लंबे समय से चली आ रही अमेरिकी राष्ट्रीय सुरक्षा चिंताओं को हल करेगा। TikTok की जीवनरेखा डोनाल्ड ट्रंप द्वारा सोमवार को पदभार ग्रहण करने के बाद अपने पहले कार्यों में से एक में हस्ताक्षरित एक कार्यकारी आदेश के माध्यम से आई। यह कदम वीडियो-शेयरिंग प्लेटफ़ॉर्म को अमेरिका में उस प्रतिबंध से राहत देता है जो रविवार को ByteDance द्वारा विनिवेश की आवश्यकता वाले कानून का पालन करने से इनकार करने के बाद लागू हुआ था। ट्रंप ने पिछले कई दिनों में वादा किया था कि विस्तार की संभावना है। डोनाल्ड ट्रंप ने व्हाइट हाउस में कहा, "मुझे लगता है कि TikTok के लिए मेरे मन में एक गर्मजोशी है।" पिछले साल इसमें शामिल होने के बाद ट्रंप ने TikTok पर लगभग 15 मिलियन फ़ॉलोअर्स जुटाए हैं, और उन्होंने युवा मतदाताओं के बीच अपनी पकड़ बनाने में मदद करने के लिए ट्रेंडसेटिंग प्लेटफ़ॉर्म को श्रेय दिया है। फिर भी इसके 170 मिलियन अमेरिकी उपयोगकर्ता शनिवार रात और रविवार सुबह के बीच 12 घंटे से अधिक समय तक TikTok का उपयोग नहीं कर सके। कांग्रेस द्वारा अनुमोदित और अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट द्वारा रविवार को प्रभावी होने वाले प्रतिबंध से पहले प्लेटफ़ॉर्म ऑफ़लाइन हो गया। ट्रम्प द्वारा सोमवार को प्रतिबंध को रोकने का वादा करने के बाद, TikTok ने मौजूदा उपयोगकर्ताओं के लिए पहुँच बहाल कर दी। Google और Apple। हालाँकि, इसने अभी भी TikTok को अपने ऐप स्टोर में बहाल नहीं किया है। TikTok पर पैसे कमाने वाले व्यापारिक नेता, कानून निर्माता, कानूनी विद्वान और प्रभावशाली लोग यह देखने के लिए देख रहे हैं कि ट्रम्प अपने हस्ताक्षर से विनियामक, कानूनी, वित्तीय और भू-राजनीतिक मुद्दों के ढेर को कैसे हल करने की कोशिश करते हैं। *TikTok पर प्रतिबंध कैसे लगा?* TikTok का ऐप उपयोगकर्ताओं को लघु-फ़ॉर्म वीडियो बनाने और देखने की अनुमति देता है, और एक एल्गोरिथ्म के साथ काम करके नई ज़मीन तैयार करता है जो दर्शकों को उनकी देखने की आदतों के आधार पर सिफारिशें देता है। लेकिन समाचार एजेंसी एसोसिएटेड प्रेस ने बताया कि बीजिंग के लिए अमेरिकियों को हेरफेर करने और जासूसी करने के लिए एक उपकरण के रूप में काम करने की इसकी क्षमता के बारे में चिंताएँ ट्रम्प के पहले राष्ट्रपति पद से पहले की हैं। 2020 में, ट्रम्प ने बाइटडांस और चीनी मैसेजिंग ऐप वीचैट के मालिकों के साथ लेन-देन पर प्रतिबंध लगाने के लिए कार्यकारी आदेश जारी किए। अदालतों ने आदेशों को रोक दिया, लेकिन एक साल से भी कम समय पहले, कांग्रेस ने राष्ट्रीय सुरक्षा चिंताओं का हवाला देते हुए एक कानून पारित किया, जिसमें बाइटडांस द्वारा इसे किसी स्वीकृत खरीदार को बेचे जाने तक TikTok पर प्रतिबंध लगाने का प्रावधान था। रविवार को लागू हुआ यह कानून, प्रमुख मोबाइल ऐप स्टोर - जैसे कि Apple और Google द्वारा संचालित - और Oracle जैसी इंटरनेट होस्टिंग सेवाओं के खिलाफ प्रति US TikTok उपयोगकर्ता $5,000 तक का जुर्माना लगाने की अनुमति देता है, यदि वे बाइटडांस के विनिवेश की समय सीमा के बाद भी US उपयोगकर्ताओं को TikTok वितरित करना जारी रखते हैं। रविवार को ट्रम्प ने कहा कि उन्होंने TikTok के US सेवा प्रदाताओं से प्लेटफ़ॉर्म और ऐप का समर्थन जारी रखने के लिए कहा है, जबकि वह अभी के लिए प्रतिबंध को रोकने के लिए एक कार्यकारी आदेश पर हस्ताक्षर करने की तैयारी कर रहे हैं।
डोनाल्ड ट्रम्प ने कार्यकारी आदेशों की झड़ी के साथ अपना दूसरा कार्यकाल शुरू किया: पूरी सूची*

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने बिडेन प्रशासन द्वारा लागू की गई कई नीतियों को रद्द करने के उद्देश्य से कई कार्यकारी आदेशों पर हस्ताक्षर किए। हस्ताक्षर समारोह वाशिंगटन में एक सार्वजनिक कार्यक्रम के दौरान हुआ, जहाँ ट्रम्प को कई दस्तावेज़ दिए गए, जिन पर उन्होंने एक-एक करके हस्ताक्षर किए और उन्हें जयकारे लगाती भीड़ को दिखाया। कार्यकारी आदेशों में कई तरह के विषय शामिल हैं, जिसमें बिडेन-युग के 78 कार्यकारी कार्यों को रद्द करना शामिल है, जो पिछले प्रशासन द्वारा लागू की गई कई नीतियों को प्रभावी रूप से उलट देता है। अन्य उल्लेखनीय आदेशों में एक विनियामक फ़्रीज़ शामिल है, जो नौकरशाहों को तब तक नए नियम जारी करने से रोकता है जब तक कि ट्रम्प प्रशासन का सरकार पर पूर्ण नियंत्रण न हो जाए, और संघीय भर्ती पर रोक, जो प्रशासन के उद्देश्य स्पष्ट होने तक सभी गैर-आवश्यक भर्ती को रोक देता है। ट्रम्प ने जीवन यापन की लागत के संकट को संबोधित करने के उद्देश्य से आदेशों पर भी हस्ताक्षर किए, जिसका अमेरिकियों पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ा है, और पेरिस जलवायु संधि से वापस लेना, एक ऐसा कदम जो विवादों में रहा है। इसके अतिरिक्त, राष्ट्रपति ने अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को बहाल करने और सरकारी सेंसरशिप को रोकने के साथ-साथ राजनीतिक विरोधियों के खिलाफ सरकार के हथियारीकरण को समाप्त करने के उद्देश्य से निर्देशों पर हस्ताक्षर किए। *ट्रम्प द्वारा हस्ताक्षरित कार्यकारी आदेशों की पूरी सूची* 1. राष्ट्रपति ट्रम्प की पहली कार्रवाई बिडेन प्रशासन के 78 कार्यकारी कार्यों, कार्यकारी आदेशों, राष्ट्रपति ज्ञापनों और अन्य निर्देशों को रद्द करने पर हस्ताक्षर करना है। 2. उन्होंने एक विनियामक फ्रीज भी लागू किया, जैसा कि पहले उनके भाषण में घोषित किया गया था, जो नौकरशाहों को तब तक नए नियम जारी करने से रोकता है जब तक कि सरकार और प्रशासन पूरी तरह से नियंत्रण में न आ जाए। 3. अब सेना और कुछ अन्य श्रेणियों के अपवादों के साथ सभी संघीय भर्तियों पर रोक रहेगी, जब तक कि पूर्ण नियंत्रण स्थापित न हो जाए और सरकार के आगे बढ़ने के उद्देश्य स्पष्ट न हो जाएं। 4. एक और तत्काल कदम संघीय कर्मचारियों के लिए पूर्णकालिक, व्यक्तिगत रूप से काम पर लौटने की आवश्यकता है। 5. राष्ट्रपति ने सभी संघीय विभागों और एजेंसियों को चल रहे जीवन-यापन की लागत के संकट को दूर करने के लिए एक निर्देश भी जारी किया, जिसने अमेरिकी परिवारों को भारी रूप से प्रभावित किया है। 6. ट्रम्प पेरिस जलवायु समझौते से अमेरिका को वापस ले रहे हैं और आधिकारिक पत्र के माध्यम से संयुक्त राष्ट्र को इस निर्णय की जानकारी दे रहे हैं। 7. इसके अलावा, वह संघीय सरकार को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को बहाल करने और भविष्य में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर किसी भी सरकारी सेंसरशिप को रोकने का निर्देश दे रहे हैं। 8. अमेरिकी राष्ट्रपति ने राजनीतिक विरोधियों के खिलाफ सरकारी एजेंसियों के हथियारीकरण को समाप्त करने का निर्देश जारी किया है, जैसा कि पिछले प्रशासन के दौरान देखा गया था।
राहुल गांधी ने जेपी नड्डा और दिल्ली की सीएम आतिशी को लिखा पत्र, जानें किस ओर दिलाया ध्यान

#rahul_gandhi_letter_to_jp_nadda_and_atishi

लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा तथा दिल्ली की मुख्यमंत्री आतिशी को पत्र लिखा है। राहुल गांधी ने यहां आखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) आने वाले मरीजों एवं उनके परिजनों के लिए बेहतर इंतजाम करने की अपील की है। राहुल गांधी ने ये चिठ्ठी तब लिखी है, जब हाल ही वे अचानक आधी रात को एम्स के बाहर पहुंचे थे। इस दौरान उन्होंने एम्स में इलाज के लिए आए लोगों से बातचीत की थी।

राहुल गांधी ने अपनी चिट्ठी में लिखा कि वह हाल ही में एम्स के आसपास का दौरा करके आए। उन्होंने वहां देखा कि ठंड के इस मौसम में दूर-दराज़ से आए मरीज और उनके परिवार मेट्रो स्टेशन के नीचे या खुले आसमान के नीचे सोने को मजबूर हैं। न वहां पीने का पानी है, न शौचालय की व्यवस्था। ऊपर से गंदगी और कचरे के ढेर ने हालात और बदतर कर दिए हैं।

कांग्रेस नेता ने आगे लिखा, इतनी बड़ी संख्या में मरीजों का दिल्ली एम्स आना यह भी दिखाता है कि लोग जहां रहते हैं वहां उन्हें सस्ती और अच्छी क्वालिटी की स्वास्थ्य सुविधाएं नहीं मिल रही हैं। मैं उम्मीद करता हूं कि मेरे पत्र का संज्ञान लेते हुए दिल्ली की मुख्यमंत्री और केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री इस मानवीय संकट को हल करने के लिए तत्काल कदम उठाएंगे। साथ ही आशा है कि केंद्र सरकार अगामी बजट में पब्लिक हेल्थकेयर सिस्टम को मज़बूत करने के लिए ठोस पहल करेगी और उसके लिए ज़रूरी संसाधनों को बढ़ाएगी।

बता दें कि राहुल गांधी ने हाल ही में एम्स का दौरा किया था। इसका वीडियो भी उन्होंने शेयर किया था। अपने वीडियो में नेता प्रतिपक्ष ने कहा था, एम्स के बाहर नरक है। देशभर से आए गरीब मरीज और उनके परिवार एम्स के बाहर ठंड, गंदगी और भूख के बीच सोने को मजबूर हैं। उनके पास न छत है, खाना और न शौचालय और न ही पीने का पानी। बड़े-बड़े दावे करने वाली केंद्र सरकार और दिल्ली सरकार ने इस मानवीय संकट पर आंखें क्यों मूंद ली हैं?

अगर उसे फांसी हो जाती तो मैं खुद को सांत्वना दे सकती थी', आरजी कर केस में फैसले पर सीएम ममता नाराज

#rg_kar_case_mamata_banerjee_says_not_satisfied_with_court_decision

कोलकाता के सरकारी आरजी कर मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल में प्रशिक्षु महिला डाक्टर से दरिंदगी मामले में सियालदह कोर्ट ने सोमवार को दोषी सिविक वॉलंटियर संजय रॉय को आजीवन कारावास की सजा सुनाई। अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश अनिर्बाण दास ने यह फैसला सुनाया। कोर्ट ने दोषी पर 50,000 रुपये का जुर्माना भी लगाया है। मामले में आए फैसले के बाद पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी का बयान सामने आया है। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी इस फैसले से खुश नहीं हैं। उन्होंने कहा कि हम सभी ने दोषी के लिए मृत्युदंड की मांग की, लेकिन अदालत ने उम्रकैद की सजा सुनाई।

सीएम ममता बनर्जी ने नाराजगी जताते हुए कहा था, हम शुरू से ही फांसी की मांग करते आए हैं, लेकिन कोर्ट ने उम्रकैद की सजा सुनाई। अगर केस सीबीआई को नहीं सौंपा होता और हमारे हाथ में होता तो बहुत पहले ही फांसी की सजा हो गई होती। मैं इस फैसले से संतुष्ट नहीं हूं।

मुख्यमंत्री ने आगे कहा कि उन्होंने (सीबीआई) जानबूझकर मामला हमारे हाथ से छीन लिया और चले गए। मैंने पहले भी कहा था कि अगर हम ऐसा नहीं कर सकते तब मामला सीबीआई को दे दीजिए, कोई समस्या नहीं। हम न्याय चाहते हैं। उन्होंने यह भी कहा कि हम इन दरिंदों के लिए कड़ी से कड़ी सजा चाहते हैं। ममता बनर्जी ने यह भी स्पष्ट किया कि वह संतुष्ट नहीं हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि अगर उसे फांसी हो जाती तो मैं खुद को सांत्वना दे सकती थी।

मुख्यमंत्री ने कहा कि हम पहले दिन से ही मृत्युदंड की मांग कर रहे हैं। मैं आज भी उस मांग पर कायम हूं। लेकिन मैं अदालत के फैसले के बारे में कुछ नहीं कहूंगी। मैं अपने और टीम के लिए बोल सकती हूं। हमने तीन मामलों में 54 से 60 दिनों के भीतर फांसी देने का आदेश दिलाया है। यह एक गंभीर मामला है।

बता दें कि कोलकाता के सरकारी आरजी कर मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल में प्रशिक्षु महिला डाक्टर से दरिंदगी मामले में कोर्ट ने दोषी संजय रॉय को उम्र कैद की सजी सुनाई है। अदालत ने राज्य सरकार को मृतक चिकित्सक के परिवार को 17 लाख रुपये का मुआवजा देने का भी निर्देश दिया।

इसकी “आंखों” से 8000 किमी दूर भी दुश्मन नहीं बच पाएगा, भारत अपने दोस्त से खरीद रहा ऐसी रडार

#voronezhradarthatindiawillbuyfromrussiahow_dangerous

भारत के लिए वैश्विक सुरक्षा चुनौतियां बढ़ रहीं हैं। इसे देखते हुए एयर डिफेंस इन्फ्रास्ट्रक्चर को आधुनिक बनाया जा रहा है। इसी क्रम में रूस से वोरोनिश रडार खरीदने जा रहा है। बहुत अधिक दूरी तक खतरों की पहचान करने की क्षमता के चलते यह समय रहते वायु सेना को हमले के बारे में सचेत कर देगा। इससे भारत की निगरानी क्षमता भी बढ़ेगी।

भारत ने वोरोनिश रडार सिस्टम को खरीदने के लिए रूस के साथ बातचीत को अंतिम रूप दे दिया है। भारत के वायु रक्षा बुनियादी ढांचे को मजबूत करने के लिए 4 अरब डॉलर के रक्षा सौदे पर रूस के साथ सहमति हो गई है।भारत कर्नाटक में चालकेरे के अंदर बने डीआरडीओ के कैंपस में रूस का महाशक्तिशाली रडार लगाने जा रहा है।यह रूसी रेडार कर्नाटक में लगाए जाने के बाद भी पूरे पाकिस्‍तान और चीन तक निगरानी करने में माहिर है। कर्नाटक से चीन के बीच दूरी 1800 किमी है लेकिन यह रेडार अपनी 8 हजार किमी तक सूंघने की ताकत की वजह से वहां तक निगरानी करने में सक्षम है। यह रूसी रेडार विभिन्‍न वेबबैंड पर काम करने में सक्षम है। इस वजह से यह विभिन्‍न भूमिका में काम करने में सक्षम है। यह रूसी रेडॉर एक के बाद एक सैकड़ों लक्ष्‍यों को ट्रैक करने में सक्षम है।

कैसे काम करता है वोरोनिश रडार?

वोरोनिश रडार रूस की लेटेस्ट तकनीक पर आधारित है। इसे अल्माज-एंटे कंपनी ने विकसित किया है, जो एस-400 मिसाइल प्रणाली के लिए भी जानी जाती है। वोरोनिश रडार की पहचान प्रणाली विशेष रूप से रडार तरंगों के माध्यम से काम करती है। इसकी तकनीक लंबी दूरी पर हवा और अंतरिक्ष में गतिविधियों का पता लगाती है। यह रडार अत्यधिक संवेदनशील है और 6,000 से 8,000 किलोमीटर तक के दायरे में हवाई खतरों को ट्रैक कर सकता है। इसकी मॉड्यूलर संरचना इसे किसी भी समय आंशिक रूप से चालू करने की अनुमति देती है, जिससे इसे जल्दी से कार्य में लाया जा सकता है

एक साथ 500 से अधिक उड़ने वाली चीजों की निगरानी

रूस के मुताबिक यह सिस्टम एक साथ 500 से अधिक उड़ने वाली चीजों की निगरानी कर सकता है और अंतरिक्ष में पृथ्वी के निकट की वस्तुओं को भी ट्रैक कर सकता है। इस एडवांस रडार से चीन, दक्षिण एशिया और हिंद महासागर सहित महत्वपूर्ण इलाकों पर अपनी निगरानी को बढ़ाकर भारत को रणनीतिक लाभ मिलने की उम्मीद है।

बेहद प्रगतिशील कानून, इसका धर्म से कोई लेना-देना नहीं”, यूसीसी के समर्थन में बोले पूर्व चीफ जस्टिस रंजन गोगोई

#formercjiranjangogoisupportsuniformcivil_code

भारत में समान नागरिक संहिता सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी का मुख्य एजेंडा रहा है। हालांकि केन्द्र की मोदी सरकार इसे अब तक लागू नहीं करा सकी है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले दिनों एक रैली में अपने भाषण में यूसीसी का मुद्दा उठाकर इसे ताजा हवा दे दी थी। उन्होंने कहा था कि हमारे देश में अलग-अलग लोगों के लिए अलग-अलग कानून कैसे हो सकते हैं। वहीं, विभिन्न मुस्लिम संगठनोंने इसे अल्पसंख्यक अधिकारों का उल्लंघन माना है। इस बीच भारत के पूर्व चीफ जस्टिस और वर्तमान राज्यसभा सांसद रंजन गोगोई ने यूनिफॉर्म सिविल कोड (यूसीसी) की वकालत की है।

भारत के पू्र्व चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने समान नागरिक संहिता यानी यूसीसी को 'बेहद प्रगतिशील कानून' बताया। उन्होंने यूसीसी को राष्ट्रीय एकता और सामाजिक न्याय के लिए जरूरी बताते हुए इसे लागू करने के लिए आम सहमति पर जोर दिया।

पूर्व सीजेआई सूरत में सूरत लिटरेचर फेस्टिवल में पहुंचे थे। यूसीसी का समर्थन करते हुए गोगोई ने कहा कि यह कई पुरानी रीतियों को बदलेगा जो अब कानून बन गई हैं। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि यूसीसी संवैधानिक है इसका जिक्र अनुच्छेद 44 में है। उन्होंने कहा कि यूसीसी लागू होने पर सभी नागरिकों के लिए, चाहे उनका धर्म कोई भी हो, एक ही कानून होगा। यह शादी, तलाक, गोद लेना, विरासत और गुजारा भत्ता जैसे मामलों पर लागू होगा।

गोवा में यूसीसी का दिया उदाहरण

गोगोई ने कहा कि गोवा में यूसीसी शानदार तरीके से काम कर रही है। उन्होंने कहा कि आम सहमति बनाने और गलत सूचनाओं को रोकने की जरूरत है। पूर्व प्रधान न्यायाधीश के अनुसार यूसीसी का धर्म से कोई लेना-देना नहीं है। उन्होंने कहा कि उच्चतम न्यायालय ने भी शाहबानो मामले से लेकर मुस्लिम महिलाओं के गुजारा भत्ता मांगने के अधिकार से संबंधित पांच मामलों में कहा कि सरकार को इस पर विचार करना चाहिए। उन्होंने कहा कि समान नागरिक संहिता देश को एकजुट करने तथा सामाजिक न्याय को प्रभावित करने वाले नागरिक और व्यक्तिगत मामलों को नियंत्रित करने वाले विभिन्न कानूनों के कारण लंबित मामलों से निपटने का एक तरीका है।

सरकार जल्दबाजी न करें, आम सहमति बनाएं

पूर्व प्रधान न्यायाधीश ने कहा, इस मामले में आम सहमति बनाने की जरूरत है और इसे लेकर फैलाई जा रही गलत खबरों की जांच भी करने की आवश्यता है। आज हमारे देश में अलग-अलग रीति-रिवाज हैं, परंपराएं हैं। इतनी विभन्नता से सामाजिक न्याय के मामलों पर असर होता है। कोई भी देश इतने ज्यादा कानून नहीं रख सकता। यूसीसी हमारे देश को एकजुट कर सकता है।