चुनाव प्रचार में एआई का मनमाने ढंग से उपयोग नहीं कर सकेंगीं पार्टियां, आयोग ने जारी की एडवाइजरी

#eciurgespoliticalpartiesforresponsibleandtransparentuseofai

आर्टिफिशिल इंटेलिजेंस यानी एआई का इस्तेमाल आज लगभग हर क्षेत्र में किया जा रहा है। एक तरफ जहां एआई ने लोगों का काम आसान किया है। वहीं, इसका दुरुपयोग भी खूब किया जा रहा है। चुनाव में एआई के इस्तेमाल को लेकर कोई परेशानी न खड़ी हो, इसीलिए चुनाव आयोग सख्त है। इलेक्शन कमीशन ने चुनाव में एआई के इस्तेमाल को लेकर एडवाइजरी जारी की है। आयोग ने कहा है कि राजनीतिक दल और उम्मीदवार एआई से जारी होने वाली सामग्री का उचित रूप से खुलासा जरूर करें।

चुनाव आयोग ने उम्मीदवारों और राजनीतिक दलों को जारी की गई एडवाइजरी में कहा है कि अगर कोई राजनीतिक दल या उम्मीदवार आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस (एआई) के जरिये किसी फोटो, वीडियो या अन्य सामग्री का उपयोग करे तो उसके स्रोत की जानकारी का खुलासा जरूर किया जाए। आयोग ने कहा कि राजनीतिक दल विज्ञापन और प्रचार सामग्री पर अगर सिथेंटिक कंटेट का उपयोग करेंगे तो उनको इसका अस्वीकरण देना होगा।

पारदर्शिता बने रहने के लिए ये जरूरी

चुनाव आयोग ने यह दिशा निर्देश जारी करते हुए कहा है कि जिस तरह से बड़े पैमाने पर आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के द्वारा तैयार किया जा रहे हैं कंटेंट का इस्तेमाल किया जा रहा है, वह मुमकिन है कि मतदाताओं को प्रभावित करें। लिहाजा जरूरत इस बात की है कि पूरी पारदर्शिता बनी रहे और मतदाता को पता हो कि कौन सा कंटेंट ओरिजिनल है और कौन सा आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की तकनीक द्वारा इस्तेमाल कर बनाया गया।

मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार ने प्रशासन को गलत सूचना फैलाने के किसी भी प्रयास के प्रति सतर्क रहने और तेजी से कार्रवाई करने का निर्देश दिया है।उन्होंने राजनीतिक दलों से चुनाव प्रचार में गरिमा और शिष्टाचार बनाए रखने का भी आग्रह किया है।

पहले ही किया था सतर्क

चीफ इलेक्शन कमिश्नर राजीव कुमार ने हाल में गलत जानकारी फैलाने में एआई और ‘डीप फेक’ के इस्तेमाल के खिलाफ चेतावनी दी थी। उन्होंने चिंता व्यक्त करते हुए कहा था कि ‘डीप फेक’ और गलत सूचनाओं से चुनावी प्रक्रियाओं में विश्वास खत्म हो सकता है। पिछले साल लोकसभा चुनावों के दौरान आयोग ने सोशल मीडिया मंचों के जिम्मेदारीपूर्ण और नैतिक तरीके से इस्तेमाल के लिए दिशानिर्देश जारी किए थे।

लगातार सामने आ रहे डीपफेक के मामले

दिल्ली विधानसभा चुनाव में डीपफेक और भ्रामक संदेश फैलाने के मामले लगातार सामने आ रहे हैं। हाल ही में पुलिस ने आप के खिलाफ प्रधानमंत्री व गृहमंत्री की एआई-जनरेटेड तस्वीरें और वीडियो पार्टी के आधिकारिक एक्स हैंडल पर पोस्ट करने के आरोप में पांच एफआईआर दर्ज की हैं। शिकायतें 10 जनवरी और 13 जनवरी को पोस्ट किए गए वीडियो से जुड़ी थीं, जिनमें से एक में 90 के दशक की बॉलीवुड फिल्म के दृश्य में भाजपा नेताओं को चित्रित करने के लिए एआई-डीपफेक तकनीक का उपयोग किया गया था। इसके साथ ही सोशल मीडिया और एआई के दुरुपयोग को रोकने के लिए नोडल अधिकारी नियुक्त किया है। आयोग का मानना है कि डीपफेक वीडियो चुनाव कानूनों और निर्देशों का उल्लंघन करके चुनावी प्रक्रिया को बाधित करते हैं।

प्रणब मुखर्जी के स्मारक के बगल में होगा मनमोहन सिंह का मेमोरियल, जानें कहां है वो 1.5 एकड़ जमीन

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केन्द्र की मोदी सरकार ने पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह मेमोरियल के लिए डेढ़ एकड़ जमीन को चिह्नित कर दी है। ये जमीन राष्ट्रीय स्मृति परिसर में पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी की समाधि के ठीक बगल में है। गृह मंत्रालय और शहरी मामलों के मंत्रालय ने मनमोहन सिंह के परिवार को आधिकारिक रूप से इस फैसले के बारे में सूचित किया है। साथ ही परिवार से एक ट्रस्ट रजिस्टर करने का अनुरोध किया गया है, क्योंकि ये सार्वजनिक भूमि के आवंटन के लिए अनिवार्य प्रक्रिया है। इस कदम से भूमि आवंटन की कानूनी औपचारिकताएं पूरी की जाएंगी।

सूत्रों के अनुसार, सिंह के परिवार के सदस्यों से साइट का निरीक्षण करने का अनुरोध किया गया है,लेकिन अभी तक उन्होंने ऐसा नहीं किया है। परिवार अभी शोक में है,इसलिए उन्होंने सरकार के प्रस्ताव पर कोई फैसला नहीं लिया है। सूत्र ने कहा कि मनमोहन सिंह परिवार तय करेगा कि उन्हें किस तरह का स्मारक चाहिए। इसमें समय लग सकता है। परिवार इस पर विचार करेगा कि वे किस तरह का स्मारक बनाना चाहते हैं। फिर वे सरकार को सूचित करेंगे।

टाइम्स ऑफ इंडिया में छपी एक रिपोर्ट के मुताबिक, इस महीने की शुरूआत में ही मनमोहन सिंह के मेमोरियल के लिए जमीन चिह्नित करने के लिए अधिकारियों ने राष्ट्रीय स्मृति परिसर का दौरा किया था। राष्ट्रीय स्मृति यमुना किनारे विकसित की गई है। यह राष्ट्रपतियों, उपराष्ट्रपतियों, प्रधानमंत्रियों और पूर्व राष्ट्रपतियों, पूर्व उपराष्ट्रपतियों और पूर्व प्रधानमंत्रियों के अंतिम संस्कार और स्मारकों के लिए एक सामान्य स्थान है। वर्तमान में परिसर में सात नेताओं के स्मारक हैं। इनमें पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी,पी वी नरसिम्हा राव,चंद्रशेखर और आई के गुजराल शामिल हैं। अब बचे दो स्थान मनमोहन सिंह और प्रणब मुखर्जी के लिए निर्धारित किए गए हैं।

बता दें कि मनमोहन सिंह की समाधि स्थल के लिए खूब विवाद हुआ था। केंद्र ने कांग्रेस पर दिग्गज नेता की मौत के बाद राजनीति करने का आरोप लगाया था। तो कांग्रेस ने भी सरकार पर हमला बोलते हुए ‘अपमान’ करने का आरोप लगाया था।

इस मुद्दे को लेकर कांग्रेस ने बीजेपी सरकार पर कई तरह के आरोप लगाए थे। यहां तक की मनमोहन सिंह के निधन के बाद ही इस मामले पर दोनों दलों में आरोप-प्रत्यारोप का दौर शुरू हो गया था। जबकि खुद पीएम मोदी से लेकर केंद्र सरकार के सभी बड़े नेताओं की मौजूदगी में मनमोहन सिंह का अंतिम संस्कार राजकीय सम्मान के साथ किया गया था।

डॉ. मनमोहन सिंह ने 2004 से 2014 तक भारत के प्रधानमंत्री के रूप में कार्य किया। वे एक प्रसिद्ध अर्थशास्त्री भी थे। उनके कार्यकाल के दौरान भारत ने आर्थिक विकास देखा। राष्ट्रीय स्मृति परिसर में स्मारक बनाने से लोगों को डॉ. सिंह के जीवन और कार्यों के बारे में जानने का अवसर मिलेगा। यह उनके योगदान को याद रखने और भावी पीढ़ियों को प्रेरित करने का एक तरीका होगा।

जाते-जाते भारत पर मेहरबान हुई बाइडेन सरकार, भाभा समेत 3 परमाणु संस्थानों से हटाए प्रतिबंध

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अमेरिका की जो बाइडन सरकार ने जाते-जाते भारत पर तोहफों की बारिश की है। अमेरिका ने 3 भारतीय परमाणु संस्थाओं पर 20 साल से लगा प्रतिबंध हटाया। इसमें भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र (BARC), इंदिरा गांधी परमाणु अनुसंधान केंद्र (IGCAR) और इंडियन रेयर अर्थ (IRE) के नाम हैं। वहीं, अमेरिका ने राष्ट्रीय सुरक्षा को लेकर चाइना की 11 संस्थाओं को प्रतिबंध की लिस्ट में जोड़ा है। यूनाइटेड स्टेट्स ब्यूरो ऑफ इंडस्ट्री एंड सिक्योरिटी (बीआईएस) ने इसकी पुष्टि की है।

बीआईएस के अनुसार, बार्क के अलावा इंदिरा गांधी परमाणु अनुसंधान केंद्र (आईजीसीएआर) और इंडियन रेयर अर्थ्स (आईआरई) पर से प्रतिबंध हटाया गया है। तीनों संस्थान भारत के परमाणु ऊर्जा विभाग के अंतर्गत काम करते हैं और परमाणु ऊर्जा के क्षेत्र में किए जाने वाले कार्यों पर निगरानी रखते हैं।

बीआईएस ने कहा, इस निर्णय का उद्देश्य संयुक्त अनुसंधान और विकास तथा विज्ञान व प्रौद्योगिकी सहयोग सहित उन्नत ऊर्जा सहयोग में बाधाओं को कम करके अमेरिकी विदेश नीति के उद्देश्यों का समर्थन करना है, जो साझा ऊर्जा सुरक्षा जरूरतों और लक्ष्यों की ओर ले जाएगा। अमेरिका व भारत शांतिपूर्ण परमाणु सहयोग और संबंधित अनुसंधान और विकास गतिविधियों को आगे बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध हैं।

अमेरिका ने पहले ही दिया था संकेत

अमेरिका का ये फैसला अमेरिकी राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) जेक सुलिवन के 6 जनवरी के हुए भारत दौरे के बाद आया।सुलिवन ने दिल्ली आईआईटी में कहा था कि अमेरिका उन नियमों को हटाएगा जो भारतीय परमाणु संस्थाओं और अमेरिकी कंपनियों के बीच सहयोग में बाधा डाल रहे हैं। उन्होंने कहा था कि लगभग 20 साल पहले पूर्व राष्ट्रपति बुश और भारत के पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने परमाणु समझौते की एक दूरदर्शी सोच की नींव रखी थी, जिसे हमें अब पूरी तरह हकीकत बनाना है।

परमाणु समझौते का क्रियान्वयन होगा आसान

प्रतिबंध हटाने के फैसले को 16 साल पहले भारत और अमेरिका के बीच हुए नागरिक परमाणु समझौते के कार्यान्वयन को सुविधाजनक बनाने के प्रयास के रूप में देखा जा रहा है। दोनों देशों में 2008 में तत्कालीन पीएम मनमोहन सिंह और अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्रपति जॉर्ज डब्ल्यू बुश के कार्यकाल के दौरान समझौते पर हस्ताक्षर किए गए थे।

चीन पर गिराई गाज

जहां अमेरिका ने भारत के लिए ये रियायतें दी हैं, वहीं चीन के 11 संगठनों को 'एंटिटी लिस्ट' में जोड़ा गया है. यह कदम अमेरिका की उस नीति का हिस्सा है, जो चीन और अन्य विरोधियों की एडवांस सेमीकंडक्टर और AI तकनीकों तक पहुंच को सीमित करना चाहती है

जनसंख्या को लेकर चिंतित चंद्रबाबू नायडू, स्थानीय निकाय चुनाव लड़ने के लिए लाने जा रहे नया प्रस्ताव

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आंध्र प्रदेश में घटती युवा आबादी पर मुख्यमंत्री एन चंद्रबाबू नायडू चिंतित हैं। हाल ही में उन्होंने दो से अधिक बच्चे पैदा करने की वकालत की थी। उन्होंने अब नया प्रस्ताव लाने की बात कही है। इसके अनुसार अब लोकल चुनाव लड़ने के लिए 2 से ज्यादा बच्चे होना जरूरी होगा। इसके साथ ही 3 बच्चे वाले परिवारों को अलग लाभ दिए जाएंगे। नायडू का यह बयान तीन दशक पुराने कानून को निरस्त करने के कुछ ही महीनों बाद सामने आया है। जिसमें दो से अधिक बच्चों वाले व्यक्तियों को स्थानीय निकाय चुनाव लड़ने से रोक दिया गया था।

मकर संक्रांति पर अपने पैतृक गांव नरवरिपल्ली पहुंचे चंद्रबाबू नायडू ने कहा कि लगातार कम हो रहा फर्टिलिटी रेट यानी प्रजनन दर कई देशों के लिए चिंता का विषय बन गया है। जापान, कोरिया समेत कई यूरोप देश प्रजनन दर कम होने और बढ़ती उम्र की आबादी की समस्या से जूझ रहे हैं। यह भारत के लिए चेतावनी है क्योंकि हम दो बच्चों पैदा करने के लिए लोगों को मजबूर कर रहे हैं। अगर परिवार नियोजन की पॉलिसी नहीं बदली तो कुछ वर्षों में भारत को बढ़ती उम्र की समस्याओं का सामना करना पड़ेगा।

चंद्राबाबू नायडू ने कहा कि पहले दो से अधिक बच्चों को पंचायत चुनाव लड़ने से रोक दिया जाता था। अब कम बच्चों वालों को चुनाव लड़ने से रोकने के लिए नियम बनाने होंगे। नायडू ने कहा कि वे ज्यादा बच्चों वाले परिवारों को पंचायत और नगरपालिका चुनावों में चुनाव लड़ने की अनुमति देने सहित उन्हें प्रोत्साहित करने जा रहे हैं, उन्होंने कहा कि वे ज्यादा बच्चों वाले परिवारों को ज्यादा सब्सिडी वाले चावल मुहैया कराने के प्रस्ताव पर भी काम कर रहे हैं। वर्तमान में हर परिवार को 25 किलोग्राम सब्सिडी वाले चावल दिए जाते हैं, जिसमें हर एक सदस्य को 5 किलोग्राम चावल मिलता है।

पहले ही इस नियम को रद्द कर चुकी है नायडू सरकार

बता दें कि 2024 में सत्ता में आने के बाद टीडीपी सरकार आंध्र प्रदेश में दो से अधिक बच्चों वाले लोगों को पंचायत और स्थानीय निकाय चुनाव लड़ने से रोकने वाले नियम को रद्द कर चुकी है।

जनसंख्या में बड़ी गिरावट के संकेत

70 के दशक में देश के सभी सरकारों ने पॉपुलेशन कंट्रोल के लिए परिवार नियोजन अभियान चलाया। 'हम दो हमारे दो' और 'बच्चे दो ही अच्छे' के नारों से शहर से लेकर गांव कस्बे की दीवारें रंग दी गई। परिवार नियोजन के अन्य तौर-तरीकों का जमकर प्रचार हुआ। इसका असर पूरे देश में हुआ, मगर दक्षिण भारत के राज्यों ने इस पॉलिसी को दशकों पहले हासिल कर लिया। 1988 में केरल में फर्टिलिटी रेट दो के करीब पहुंच गया। 1993 में तमिलनाडु, 2001 में आंध्रप्रदेश और 2005 में कर्नाटक भी इस लिस्ट में शामिल हो गया। राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (एनएफएचएस-5) के आंकड़ों के अनुसार, अभी पूरे देश में टोटल फर्टिलिटी रेट (TFR) 2.1 है, मगर दक्षिण भारत के राज्यों में यह राष्ट्रीय औसत से भी नीचे 1.75 पर पहुंच गया है। एक्सपर्ट भी मानते हैं कि अगर ऐसा ट्रेंड बना रहा तो जनसंख्या में तेजी से गिरावट आ सकती है।

केजरीवाल के पास नहीं है कार, सिर्फ 50 हजार कैश, भाजपा के प्रवेश के पास करोड़ों की संपत्ति*

#kejriwaldoesnothaveacarandhowmuch_property

नई दिल्‍ली विधानसभा सीट से आम आदमी के प्रमुख अरविंद केजरीवाल ने नॉमिनेशन फाइल कर दिया है।उन्‍होंने चुनावी हलफनामे में अपनी संपत्ति का खुलासा किया है। आप के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल के चुनावी हलफनामे के अनुसार, उनकी कुल संपत्ति 1.73 करोड़ रुपये की है। हलफनामे से यह भी पता चला है कि केजरीवाल के पास कोई घर या कार नहीं है।

अरविंद केजरीवाल के हलफनामे मुताबिक उनकी कुल चल संपत्ति 3.46 लाख रुपये है। साथ ही अचल संपत्ति 1 करोड़ 70 लाख रुपये है। यानी अरविंद केजरीवाल की कुल संपत्ति 1 करोड़ 73 लाख 46 हजार 848 रुपये है। नई दिल्ली सीट से चुनाव लड़ रहे अरविंद केजरीवाल ने 2020 के चुनावी हलफनामे में 3.4 करोड़ रुपये की संपत्ति घोषित की थी। 2015 में यह 2.1 करोड़ रुपये थी। यानी उनकी संपत्ति पिछले 5 साल में घट गई है।

केजरीवाल से ज्यादा अमीर उनकी पत्नी

केजरीवाल से ज्यादा अमीर उनकी पत्नी सुनीता केजरीवाल है। केजरीवाल की पत्नी सुनीता केजरीवाल की कुल संपत्ति- 3 करोड़ 39 लाख 655 रूपये है। जिसमें से कुल चल संपत्ति 1 करोड़ 89 लाख 655 रूपये और अचल संपत्ति- 1 करोड़ 50 लाख रूपये है।

प्रवेश वर्मा की संपत्ति

वहीं, बीजेपी उम्मीदवार प्रवेश वर्मा के हलफनामे के मुताबिक उनकी आय में कई गुना बढ़ोतरी हुई है। साल 2019-20 में आयकर रिटर्न में प्रवेश वर्मा ने अपनी आय 92 लाख 94 हज़ार 980 रुपये दिखाई थी। वहीं, अब यह बढ़कर 2023-24 में 19 करोड़ 68 लाख 34 हजार 100 रु हो गई है। हालांकि आय सिर्फ प्रवेश वर्मा की नहीं बल्कि उनकी पत्नी स्वाति सिंह की भी बढ़ी है। साल 2019-20 के दौरान दिखाए गए आयकर रिटर्न में प्रवेश वर्मा की पत्नी स्वाति सिंह की आय 5 लाख 35 हजार 570 रुपये थी, जो कि साल 2023 24 में बढ़कर 91 लाख 99 हजार 560 रुपये पहुंच गई है।

प्रवेश वर्मा के हलफ़्रनामे के मुताबिक उन पर कुछ मुकदमे जरूर दर्ज है लेकिन किसी में उनको दोषी नहीं ठहराया गया है। हलफनामे के मुताबिक प्रवेश वर्मा के पास 2,20,000 रुपए नगद है तो 1 करोड़ 28 लाख से ज्यादा बैंक खाते में है, साथ ही 52 करोड़ 75 लाख से ज्यादा शेयर, बॉन्ड और म्युचुअल फंड में इन्वेस्ट किया हुआ है। वहीं उनकी पत्नी स्वाति सिंह के पास ₹50,000 नगद वहीं 42 लाख बैंक खाते में हैं। वहीं स्वाती के पास 16 करोड़ 55 लाख से ज्यादा शेयर, बांड और म्युचुअल फंड में इन्वेस्ट किया हुआ है।

15 महीने बाद गाजा में बंद होगा युद्, इजरायल-हमास के बीच हुआ समझौता

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इजराइल और हमास ने 15 महीने से गाजा में चल रहे युद्ध को खत्म करने के लिए सीजफायर पर सहमति दी है। यह समझौता इजराइली बंधकों के बदले फिलिस्तीनी कैदियों के आदान-प्रदान के तहत हुआ है। ये समझौता 19 जनवरी से लागू होने की बात की जा रही है।मिस्र और कतर की मध्यस्थता से हुआ यह सौदा अमेरिकी समर्थन से संभव हो पाया है। अक्टूबर 2023 में शुरू हुए इस युद्ध में 46,000 से अधिक लोगों की मौत हुई।

कतर, मिस्र और अमेरिका ने बुधवार को एक संयुक्त बयान जारी किया। इसमें बताया गया कि इस्राइल और हमास ने युद्ध विराम और बंधकों की रिहाई के लिए समझौता किया है। यह समझौता 19 जनवरी 2025 से प्रभावी होगा और इसमें तीन चरणों में शांति लाने की योजना है। साथ ही मामले में कतर, मिस्र और अमेरिका ने यह सुनिश्चित करने का वचन दिया है कि सभी तीन चरणों का पालन किया जाएगा और यह समझौता पूरी तरह से लागू होगा। इन देशों ने संयुक्त राष्ट्र और अन्य अंतर्राष्ट्रीय भागीदारों के साथ मिलकर इस प्रक्रिया को सफल बनाने का भी वादा किया है।

वहीं, सीजफायर को लेकर इजराइली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने कहा कि हमास के साथ युद्ध विराम समझौता अभी पूरी तरह से तय नहीं हुआ है और इस पर आखिरी विवरण पर काम किया जा रहा है। साथ ही पीएम नेतन्याहू ने इजाराइली बंधकों की रिहाई और वापसी के लिए प्रतिबद्धता पर जोर देते हुए अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन और डोनाल्ड ट्रंप को धन्यवाद किया।

33 इजरायली बंधकों को रिहा किया जाएगा

समझौते के विवरण की अभी औपचारिक घोषणा नहीं की गई है, लेकिन एक अधिकारी ने बताया कि शुरुआती चरण में छह हफ्ते का प्रारंभिक युद्धविराम होगा जिसमें गाजा पट्टी से इजरायली सेना की धीरे-धीरे वापसी, हमास के कब्जे से इजरायली बंधकों की रिहाई और इजरायल की कैद से फलस्तीनी कैदियों की रिहाई शामिल है। 

इस चरण में 33 इजरायली बंधकों को रिहा किया जाएगा जिनमें सभी महिलाएं, बच्चे और 50 वर्ष से अधिक उम्र के पुरुष हैं। दूसरे चरण को लागू करने के लिए पहले चरण के 16वें दिन वार्ता शुरू होगी और इसमें सैनिकों समेत सभी बाकी बंधकों की रिहाई, स्थायी युद्ध विराम और गाजा से इजरायली सेना की पूर्ण वापसी शामिल होने की संभावना है। तीसरे चरण में सभी बाकी शवों को लौटाने और मिस्त्र, कतर व संयुक्त राष्ट्र की निगरानी में गाजा का पुनर्निर्माण शुरू करने की बात हो सकती है।

46 हजार से अधिक लोगों ने गंवाई जान

बीते 7 अक्तूबर 2023 को हमास के हमले के साथ शुरू हुए इस्राइल और फलस्तीन के बीच जंग ने पूरी दुनिया को हिलाकर रख दिया। इस युद्ध में अब तक 23 लाख की आबादी वाली गाजा पट्टी में लगभग 90 प्रतिशत लोग विस्थापित हो चुके हैं और 46 हजार से अधिक फिलिस्तीनी मारे जा चुके हैं।

अडाणी पर रिपोर्ट पेश करने वाली हिंडनबर्ग रिसर्च कंपनी बंद, कंपनी के फाउंडर ने की घोषणा

#hindenburgresearchshuts_down

अमेरिकी शॉर्ट-सेलिंग फर्म हिंडनबर्ग रिसर्च बंद होने जा रही है। कंपनी के फाउंडर नाथन एंडरसन ने खुद इसकी घोषणा की है। बुधवार देर रात नाथन एंडरसन ने इसकी घोषणा की। बता दें कि इसी कंपनी के कारण अडानी ग्रुप को हजारों करोड़ का नुकसान झेलना पड़ा था। कंपनी ने जनवरी 2023 में एक रिपोर्ट प्रकाशित की थी जिसमें अडानी ग्रुप पर कई तरह के आरोप लगाए गए थे। अडानी ग्रुप ने इन आरोपों का खंडन किया था लेकिन इससे ग्रुप के मार्केट कैप में भारी गिरावट आई थी।

एंडरसन ने अपने बयान में कहा, मैंने पिछले साल के अंत से परिवार, दोस्तों और हमारी टीम के साथ साझा किया था कि मैंने हिंडनबर्ग रिसर्च को भंग करने का निर्णय लिया है। एंडरसन ने कहा, इंवेस्टिगेटिव आईडिया की अपनी पाइपलाइन को पूरा करने के बाद कंपनी को बंद करने का विचार था। हिंडनबर्ग रिसर्च ने हाल ही में पोंजी स्कीमों से जुड़े अपनी अंतिम प्रोजेक्ट्स को पूरा किया था जिसके साथ उसकी गतिविधि पर विराम लग गया है।

एंडरसन ने कंपनी को बंद करने के कारणों का खुलासा नहीं किया है लेकिन यह फैसला ऐसे समय लिया गया है जबकि 20 जनवरी को अमेरिका में डोनाल्ड ट्रंप की राष्ट्रपति के तौर पर वापसी हो रही है।

एंडरसन ने बताई अपनी भविष्य की योजना

हिंडनबर्ग रिसर्च को बंद करने के फैसले के बारे में एंडरसन को ने कहा, 'कोई एक खास बात नहीं है - कोई खास खतरा नहीं है, कोई स्वास्थ्य समस्या नहीं है और कोई बड़ा व्यक्तिगत मुद्दा नहीं है। किसी ने एक बार मुझसे कहा था कि एक निश्चित बिंदु पर एक सफल करियर एक स्वार्थी कार्य बन जाता है।' उन्होंने कहा कि अपनी पर्सनल कैरियर में उन्हें कई बलिदान देने पड़े हैं। एक इंटरव्यू में उन्होंने कहा कि उन्होंने अपनी वित्तीय सुरक्षा को आगे बढ़ाने के लिए पर्याप्त पैसा जमा कर लिया है। साथ ही उन्होंने आगे कम जोखिम वाले निवेशों में इन्वेस्टमेंट करने का भी संकेत दिया है।

अडानी समूह पर फ्रॉड का लगाया था आरोप

भारत में हिंडनबर्ग रिसर्च का नाम जनवरी 2023 में उस समय सुर्खियों में आया था जब उसने देश के तीसरे सबसे बड़े औद्योगिक घराने अडानी ग्रुप के बारे में एक रिपोर्ट पेश की थी। हिंडेनबर्ग रिसर्च एलएलसी ने जनवरी 2023 में अडानी समूह के स्टॉक में शार्ट सेलिंग करते में दावा किया था अडानी समूह के स्टॉक्स अपनी उचित वैल्यूएशन से 85 फीसदी महंगा है। हिंडनबर्ग रिसर्च ने अपने रिपोर्ट में समूह पर मार्केट मैनिपुलेशन और अकाउंटिंग फ्रॉड का भी आरोप लगाया था। इस रिपोर्ट के सामने आने के बाद अडानी समूह के शेयरों में बड़ी गिरावट देखने को मिली थी। इसके बाद अडानी समूह के शेयरों का मार्केट कैप 10 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा गिर चुका था। इस रिपोर्ट के सामने आने के बाद अडानी इंटरप्राइजेज का 20000 करोड़ रुपये का फॉलो-ऑन पब्लिक ऑफर रद्द करना पड़ा था।

सैफ अली खान पर चाकू से हमला, घर में कैसे घुसा अनजान शख्स?

#saif_ali_khan_knife_attack_admitted_to_lilavati_hospital

बॉलीवुड अभिनेता सैफ अली खान पर बुधवार देर रात उनके ही घर में चाकू से हमला किया गया। इसके बाद उन्हें मुंबई के लीलावती अस्पताल में भर्ती कराया गया। उनकी हालत खतरे से बाहर बताई जा रही है। घटना गुरुवार देर रात की है जब चोरी के इरादे से उनके घर में घुसे शख्स ने सैफ पर धारदार हथियार से वार किया। पहले उस शख्स की नौकरानी से बहस हुई, इसके बाद सैफ पर उसने हमला कर दिया है। हमले के बाद सैफ अली खान को मुंबई के लीलावती अस्पताल में भर्ती कराया गया जहां उनका इलाज चल रहा है। पुलिस ने इस मामले में एफआईआर दर्ज कर जांच शुरू कर दी है।

शुरुआती जानकारी के मुताबिक, एक अज्ञात शख्स सैफ के घर में घुसा। दोनों के बीच हाथापाई हुई। घटना के समय अभिनेता के कुछ पारिवार के अन्य सदस्य भी घर में मौजूद थे। कहा यह भी जा रहा है कि घर में घुसे शख्स की नौकरानी से बहस हुई। जब अभिनेता ने बीच-बचाव कर व्यक्ति को समझाने और शांत करने की कोशिश की, तो उसने सैफ अली खान पर हमला कर दिया।

बांद्रा के डीसीपी ने कहा, ये सच है, रात 2.30 बजे सैफ अली खान के घर में अनजान शख्स घुसा। इस दौरान सैफ अली खान पर चोर ने चाकू से हमला कर दिया। डीसीपी ने बताया कि इसके बाद उन्हें मुंबई के लीलावती अस्पताल में भर्ती कराया गया है। हालांकि, ये चोटें उतनी गंभीर नहीं हैं। अभी तक यह स्पष्ट नहीं है कि उन्हें चाकू मारा गया है या वे हाथापाई में घायल हुए हैं।

एक्टर के शरीर पर 6 जख्म के निशान हैं। इन घाव में से दो काफी गहरे बताए जा रहे हैंय़ सैफ अली खान की रीढ़ की हड्डी के पास में एक जख्म है। एक्टर का इलाज जारी है।

सऊदी अरब में नए वीजा नियम लागू, भारतीयों पर क्या होगा असर
#new_visa_rules_implemented_in_saudi_arabia_difficulties_for_indians
सऊदी अरब में 14 जनवरी से वर्क वीजा के नियमों में संशोधन किया गया है। सऊदी अरब सरकार ने विदेशी कामगारों के लिए वीजा नियम कड़े कर दिए है। सऊदी अरब में काम करने जाने वाले भारतीयों के लिए शैक्षणिक और पेशेवर योग्यताओं का सत्यापन अनिवार्य कर दिया गया है। छह महीने पहले प्रस्तावित यह नियम 14 जनवरी से लागू हो जाएगा। इससे वहां काम करने जाने वाले भारतीयों पर सीधा असर पड़ सकता है। इसके साथ ही सऊदी अरब ने प्रवासियों के लिए अपने इकामा (निवास परमिट) के नवीनीकरण करने के नियमों में भी बदलाव किया है।

सऊदी अरब मीडिया के अनुसार सरकार ने 2030 के विजन के मुताबिक श्रम क्षेत्र में सुधार शुरू किए हैं, ताकि प्रवासियों के लिए रोजगार अनुबंधों को और अधिक लचीला और आसान बनाया जा सके। सऊदी अरब के पासपोर्ट महानिदेशालय ने घोषणा की कि प्रवासियों के आश्रितों के साथ-साथ राज्य के बाहर स्थित घरेलू कामगार अब अपने इकामा को रिन्युअल कर सकते हैं। बता दें सऊदी अरब में इकामा प्राप्त करना काफी जरूरी होता है। दरअसल, यह राज्य में रहने और काम करने की अनुमति का प्रमाण होता है।

सऊदी अरब के अफसरों का कहना है कि इस पहल से भर्ती प्रक्रिया सुव्यवस्थित होने और कार्यबल की गुणवत्ता में वृद्धि की उम्मीद है। सऊदी मिशन की ओर से भारत में भी परिपत्र जारी किया गया। इसमें कहा गया कि 14 जनवरी से कार्य वीजा जारी करने के लिए दस्तावेजों का सत्यापन अनिवार्य हो जाएगा।

*नए नियमों से आ सकती है कई परेशानियां*
केरल से राज्यसभा सांसद हारिस बीरन का कहना है नए नियमों से कई परेशानियां आ सकती हैं। देश में पर्याप्त परीक्षण केंद्र नहीं हैं, जहां आवेदक सत्यापन करवा सकें। कार चालकों के लिए परीक्षण केंद्र राजस्थान के अजमेर और सीकर में हैं। दक्षिण के आवेदकों को लंबी दूरी तय करने के लिए मजबूर होना पड़ता है।

*24 लाख से ज्यादा भारतीय कामगार*
2024 तक, सऊदी अरब में 24 लाख से ज्यादा भारतीय कामगार रहते हैं, जिनमें 16.4 लाख निजी क्षेत्र में और 7,85,000 घरेलू कामगार शामिल हैं। बांग्लादेश 26.9 लाख प्रवासी कामगारों के साथ सबसे आगे है। महिलाओं सहित भारतीय कामगार सऊदी अरब के श्रम बाजार का अहम हिस्सा बने हुए हैं और भारत में पैसे भेजते हैं। प्रतिष्ठान मालिकों और मानव संसाधन विभागों को प्रवासी कर्मचारियों द्वारा प्रदान किए गए प्रमाणपत्रों और सूचनाओं को सत्यापित करने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा। इस पहल से भर्ती को सुव्यवस्थित करने और सउदी में कार्यबल की गुणवत्ता बढ़ाने की उम्मीद है।
फिर बिगड़े रमेश बिधूड़ी के बोल, कहा- हिरनी के जैसे घूम रही हैं आतिशी
#ramesh_bidhuri_said_atishi_is_roaming_streets_of_delhi_like_a_deer
दिल्ली में विधानसभा चुनाव के बीच सियासी बयानबाजी जारी है। एक बार फिर कालकाजी से भाजपा के उम्मीदवार रमेश बिधूड़ी का विवादित बयान सामने आया है। रमेश बिधूड़ी ने दिल्ली सीएम आतिशी को लेकर एक बयान दिया है। बिधूड़ी ने कहा है कि आतिशी दिल्ली की सड़कों पर हिरनी के जैसे घूम रही हैं।

अपने विवादित बयानों को लेकर चर्चा में रहे वाले कालकाजी से बीजेपी प्रत्याशी रमेश बिधूड़ी ने एक बार फिर दिल्ली की मुख्यमंत्री आतिशी को लेकर विवाद बयान दिया। अपनी एक रैली को संबोधित करते हुए बीजेपी नेता रमेश बिधूड़ी ने कहा कि उन्होंने कहा कि आतिशी दिल्ली की सड़कों पर हिरनी के जैसे घूम रही हैं। उन्होंने आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल पर भी हमला बोला। बीजेपी प्रत्याशी ने कहा कि केजरीवाल शीशमहल में रहते हैं, 2 करोड़ की कार चलाते हैं। उन्होंने शीला दीक्षित को जेल नहीं भेजा, बल्कि सोनिया गांधी की गोद में बैठ गए।

बता दें कि कालकाजी विधानसभा से रमेश बिधूड़ी ने आज नामांकन पत्र दाखिल कर दिया है।  नामांकन पत्र दाखिल करने के बाद भाजपा प्रत्याशी रमेश बिधूड़ी ने कहा कि यहां कोई लड़ाई नहीं है। यहां बहुत बड़ी सत्ता विरोधी लहर है। लोगों ने आतिशी को विदाई दे दी है। उनके नामांकन के समय कालकाजी से 50 लोग भी नहीं थे। हम राजनीति में लोगों की सेवा करने आए हैं। अरविंद केजरीवाल की तरह झूठ बोलकर सीएम बनने नहीं आए।

इससे पहले भाजपा नेता रमेश बिधूड़ी ने आप नेता आतिशी और प्रियंका गांधी को लेकर विवादित बयान दिया था, जिससे राजनीति गरमा गई थी। 5 जनवरी को एक रैली में बिधूड़ी ने आतिशी पर तंज कसते हुए कहा कि उन्होंने अपना ‘बाप बदल लिया’ और मार्लेना से सिंह बन गई हैं। इसके अलावा, उन्होंने प्रियंका गांधी पर टिप्पणी करते हुए कहा कि कालकाजी की सड़कों को उनके ‘गाल जैसी चिकनी’ बना देंगे। बाद में बिधूड़ी ने अपने बयान के लिए माफी मांगी।