अडाणी पर रिपोर्ट पेश करने वाली हिंडनबर्ग रिसर्च कंपनी बंद, कंपनी के फाउंडर ने की घोषणा

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अमेरिकी शॉर्ट-सेलिंग फर्म हिंडनबर्ग रिसर्च बंद होने जा रही है। कंपनी के फाउंडर नाथन एंडरसन ने खुद इसकी घोषणा की है। बुधवार देर रात नाथन एंडरसन ने इसकी घोषणा की। बता दें कि इसी कंपनी के कारण अडानी ग्रुप को हजारों करोड़ का नुकसान झेलना पड़ा था। कंपनी ने जनवरी 2023 में एक रिपोर्ट प्रकाशित की थी जिसमें अडानी ग्रुप पर कई तरह के आरोप लगाए गए थे। अडानी ग्रुप ने इन आरोपों का खंडन किया था लेकिन इससे ग्रुप के मार्केट कैप में भारी गिरावट आई थी।

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एंडरसन ने अपने बयान में कहा, मैंने पिछले साल के अंत से परिवार, दोस्तों और हमारी टीम के साथ साझा किया था कि मैंने हिंडनबर्ग रिसर्च को भंग करने का निर्णय लिया है। एंडरसन ने कहा, इंवेस्टिगेटिव आईडिया की अपनी पाइपलाइन को पूरा करने के बाद कंपनी को बंद करने का विचार था। हिंडनबर्ग रिसर्च ने हाल ही में पोंजी स्कीमों से जुड़े अपनी अंतिम प्रोजेक्ट्स को पूरा किया था जिसके साथ उसकी गतिविधि पर विराम लग गया है।

एंडरसन ने कंपनी को बंद करने के कारणों का खुलासा नहीं किया है लेकिन यह फैसला ऐसे समय लिया गया है जबकि 20 जनवरी को अमेरिका में डोनाल्ड ट्रंप की राष्ट्रपति के तौर पर वापसी हो रही है।

एंडरसन ने बताई अपनी भविष्य की योजना

हिंडनबर्ग रिसर्च को बंद करने के फैसले के बारे में एंडरसन को ने कहा, 'कोई एक खास बात नहीं है - कोई खास खतरा नहीं है, कोई स्वास्थ्य समस्या नहीं है और कोई बड़ा व्यक्तिगत मुद्दा नहीं है। किसी ने एक बार मुझसे कहा था कि एक निश्चित बिंदु पर एक सफल करियर एक स्वार्थी कार्य बन जाता है।' उन्होंने कहा कि अपनी पर्सनल कैरियर में उन्हें कई बलिदान देने पड़े हैं। एक इंटरव्यू में उन्होंने कहा कि उन्होंने अपनी वित्तीय सुरक्षा को आगे बढ़ाने के लिए पर्याप्त पैसा जमा कर लिया है। साथ ही उन्होंने आगे कम जोखिम वाले निवेशों में इन्वेस्टमेंट करने का भी संकेत दिया है।

अडानी समूह पर फ्रॉड का लगाया था आरोप

भारत में हिंडनबर्ग रिसर्च का नाम जनवरी 2023 में उस समय सुर्खियों में आया था जब उसने देश के तीसरे सबसे बड़े औद्योगिक घराने अडानी ग्रुप के बारे में एक रिपोर्ट पेश की थी। हिंडेनबर्ग रिसर्च एलएलसी ने जनवरी 2023 में अडानी समूह के स्टॉक में शार्ट सेलिंग करते में दावा किया था अडानी समूह के स्टॉक्स अपनी उचित वैल्यूएशन से 85 फीसदी महंगा है। हिंडनबर्ग रिसर्च ने अपने रिपोर्ट में समूह पर मार्केट मैनिपुलेशन और अकाउंटिंग फ्रॉड का भी आरोप लगाया था। इस रिपोर्ट के सामने आने के बाद अडानी समूह के शेयरों में बड़ी गिरावट देखने को मिली थी। इसके बाद अडानी समूह के शेयरों का मार्केट कैप 10 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा गिर चुका था। इस रिपोर्ट के सामने आने के बाद अडानी इंटरप्राइजेज का 20000 करोड़ रुपये का फॉलो-ऑन पब्लिक ऑफर रद्द करना पड़ा था।

सैफ अली खान पर चाकू से हमला, घर में कैसे घुसा अनजान शख्स?

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बॉलीवुड अभिनेता सैफ अली खान पर बुधवार देर रात उनके ही घर में चाकू से हमला किया गया। इसके बाद उन्हें मुंबई के लीलावती अस्पताल में भर्ती कराया गया। उनकी हालत खतरे से बाहर बताई जा रही है। घटना गुरुवार देर रात की है जब चोरी के इरादे से उनके घर में घुसे शख्स ने सैफ पर धारदार हथियार से वार किया। पहले उस शख्स की नौकरानी से बहस हुई, इसके बाद सैफ पर उसने हमला कर दिया है। हमले के बाद सैफ अली खान को मुंबई के लीलावती अस्पताल में भर्ती कराया गया जहां उनका इलाज चल रहा है। पुलिस ने इस मामले में एफआईआर दर्ज कर जांच शुरू कर दी है।

शुरुआती जानकारी के मुताबिक, एक अज्ञात शख्स सैफ के घर में घुसा। दोनों के बीच हाथापाई हुई। घटना के समय अभिनेता के कुछ पारिवार के अन्य सदस्य भी घर में मौजूद थे। कहा यह भी जा रहा है कि घर में घुसे शख्स की नौकरानी से बहस हुई। जब अभिनेता ने बीच-बचाव कर व्यक्ति को समझाने और शांत करने की कोशिश की, तो उसने सैफ अली खान पर हमला कर दिया।

बांद्रा के डीसीपी ने कहा, ये सच है, रात 2.30 बजे सैफ अली खान के घर में अनजान शख्स घुसा। इस दौरान सैफ अली खान पर चोर ने चाकू से हमला कर दिया। डीसीपी ने बताया कि इसके बाद उन्हें मुंबई के लीलावती अस्पताल में भर्ती कराया गया है। हालांकि, ये चोटें उतनी गंभीर नहीं हैं। अभी तक यह स्पष्ट नहीं है कि उन्हें चाकू मारा गया है या वे हाथापाई में घायल हुए हैं।

एक्टर के शरीर पर 6 जख्म के निशान हैं। इन घाव में से दो काफी गहरे बताए जा रहे हैंय़ सैफ अली खान की रीढ़ की हड्डी के पास में एक जख्म है। एक्टर का इलाज जारी है।

सऊदी अरब में नए वीजा नियम लागू, भारतीयों पर क्या होगा असर
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सऊदी अरब में 14 जनवरी से वर्क वीजा के नियमों में संशोधन किया गया है। सऊदी अरब सरकार ने विदेशी कामगारों के लिए वीजा नियम कड़े कर दिए है। सऊदी अरब में काम करने जाने वाले भारतीयों के लिए शैक्षणिक और पेशेवर योग्यताओं का सत्यापन अनिवार्य कर दिया गया है। छह महीने पहले प्रस्तावित यह नियम 14 जनवरी से लागू हो जाएगा। इससे वहां काम करने जाने वाले भारतीयों पर सीधा असर पड़ सकता है। इसके साथ ही सऊदी अरब ने प्रवासियों के लिए अपने इकामा (निवास परमिट) के नवीनीकरण करने के नियमों में भी बदलाव किया है।

सऊदी अरब मीडिया के अनुसार सरकार ने 2030 के विजन के मुताबिक श्रम क्षेत्र में सुधार शुरू किए हैं, ताकि प्रवासियों के लिए रोजगार अनुबंधों को और अधिक लचीला और आसान बनाया जा सके। सऊदी अरब के पासपोर्ट महानिदेशालय ने घोषणा की कि प्रवासियों के आश्रितों के साथ-साथ राज्य के बाहर स्थित घरेलू कामगार अब अपने इकामा को रिन्युअल कर सकते हैं। बता दें सऊदी अरब में इकामा प्राप्त करना काफी जरूरी होता है। दरअसल, यह राज्य में रहने और काम करने की अनुमति का प्रमाण होता है।

सऊदी अरब के अफसरों का कहना है कि इस पहल से भर्ती प्रक्रिया सुव्यवस्थित होने और कार्यबल की गुणवत्ता में वृद्धि की उम्मीद है। सऊदी मिशन की ओर से भारत में भी परिपत्र जारी किया गया। इसमें कहा गया कि 14 जनवरी से कार्य वीजा जारी करने के लिए दस्तावेजों का सत्यापन अनिवार्य हो जाएगा।

*नए नियमों से आ सकती है कई परेशानियां*
केरल से राज्यसभा सांसद हारिस बीरन का कहना है नए नियमों से कई परेशानियां आ सकती हैं। देश में पर्याप्त परीक्षण केंद्र नहीं हैं, जहां आवेदक सत्यापन करवा सकें। कार चालकों के लिए परीक्षण केंद्र राजस्थान के अजमेर और सीकर में हैं। दक्षिण के आवेदकों को लंबी दूरी तय करने के लिए मजबूर होना पड़ता है।

*24 लाख से ज्यादा भारतीय कामगार*
2024 तक, सऊदी अरब में 24 लाख से ज्यादा भारतीय कामगार रहते हैं, जिनमें 16.4 लाख निजी क्षेत्र में और 7,85,000 घरेलू कामगार शामिल हैं। बांग्लादेश 26.9 लाख प्रवासी कामगारों के साथ सबसे आगे है। महिलाओं सहित भारतीय कामगार सऊदी अरब के श्रम बाजार का अहम हिस्सा बने हुए हैं और भारत में पैसे भेजते हैं। प्रतिष्ठान मालिकों और मानव संसाधन विभागों को प्रवासी कर्मचारियों द्वारा प्रदान किए गए प्रमाणपत्रों और सूचनाओं को सत्यापित करने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा। इस पहल से भर्ती को सुव्यवस्थित करने और सउदी में कार्यबल की गुणवत्ता बढ़ाने की उम्मीद है।
फिर बिगड़े रमेश बिधूड़ी के बोल, कहा- हिरनी के जैसे घूम रही हैं आतिशी
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दिल्ली में विधानसभा चुनाव के बीच सियासी बयानबाजी जारी है। एक बार फिर कालकाजी से भाजपा के उम्मीदवार रमेश बिधूड़ी का विवादित बयान सामने आया है। रमेश बिधूड़ी ने दिल्ली सीएम आतिशी को लेकर एक बयान दिया है। बिधूड़ी ने कहा है कि आतिशी दिल्ली की सड़कों पर हिरनी के जैसे घूम रही हैं।

अपने विवादित बयानों को लेकर चर्चा में रहे वाले कालकाजी से बीजेपी प्रत्याशी रमेश बिधूड़ी ने एक बार फिर दिल्ली की मुख्यमंत्री आतिशी को लेकर विवाद बयान दिया। अपनी एक रैली को संबोधित करते हुए बीजेपी नेता रमेश बिधूड़ी ने कहा कि उन्होंने कहा कि आतिशी दिल्ली की सड़कों पर हिरनी के जैसे घूम रही हैं। उन्होंने आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल पर भी हमला बोला। बीजेपी प्रत्याशी ने कहा कि केजरीवाल शीशमहल में रहते हैं, 2 करोड़ की कार चलाते हैं। उन्होंने शीला दीक्षित को जेल नहीं भेजा, बल्कि सोनिया गांधी की गोद में बैठ गए।

बता दें कि कालकाजी विधानसभा से रमेश बिधूड़ी ने आज नामांकन पत्र दाखिल कर दिया है।  नामांकन पत्र दाखिल करने के बाद भाजपा प्रत्याशी रमेश बिधूड़ी ने कहा कि यहां कोई लड़ाई नहीं है। यहां बहुत बड़ी सत्ता विरोधी लहर है। लोगों ने आतिशी को विदाई दे दी है। उनके नामांकन के समय कालकाजी से 50 लोग भी नहीं थे। हम राजनीति में लोगों की सेवा करने आए हैं। अरविंद केजरीवाल की तरह झूठ बोलकर सीएम बनने नहीं आए।

इससे पहले भाजपा नेता रमेश बिधूड़ी ने आप नेता आतिशी और प्रियंका गांधी को लेकर विवादित बयान दिया था, जिससे राजनीति गरमा गई थी। 5 जनवरी को एक रैली में बिधूड़ी ने आतिशी पर तंज कसते हुए कहा कि उन्होंने अपना ‘बाप बदल लिया’ और मार्लेना से सिंह बन गई हैं। इसके अलावा, उन्होंने प्रियंका गांधी पर टिप्पणी करते हुए कहा कि कालकाजी की सड़कों को उनके ‘गाल जैसी चिकनी’ बना देंगे। बाद में बिधूड़ी ने अपने बयान के लिए माफी मांगी।
अमेरिका द्वारा हत्या की साजिश रचने के आरोपी पर केंद्र ने कानूनी कार्रवाई की सिफारिश, नए खुलासे की संभावना
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गृह मंत्रालय (एमएचए) ने बुधवार को एक बयान में कहा कि एक उच्चस्तरीय जांच पैनल ने "कुछ संगठित आपराधिक समूहों और आतंकवादी संगठनों की गतिविधियों पर अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की, जिसने भारत और संयुक्त राज्य अमेरिका दोनों के सुरक्षा हितों को कमजोर किया।" वाशिंगटन डीसी द्वारा खालिस्तानी आतंकवादी गुरपतवंत सिंह पन्नू की हत्या के प्रयास का आरोप लगाने के बाद नवंबर 2023 में उच्च स्तरीय पैनल की स्थापना की गई थी। भारत की बाहरी खुफिया एजेंसी रॉ के पूर्व अधिकारी विकास यादव का नाम पन्नू की हत्या के असफल प्रयास के सिलसिले में अमेरिका ने लिया था।



"जांच समिति ने अपनी जांच की और अमेरिकी पक्ष द्वारा दिए गए सुरागों का भी पीछा किया। इसे अमेरिकी अधिकारियों से पूरा सहयोग मिला और दोनों पक्षों ने दौरे भी किए। समिति ने विभिन्न एजेंसियों के कई अधिकारियों से पूछताछ की और इस संबंध में प्रासंगिक दस्तावेजों की भी जांच की," गृह मंत्रालय ने कहा। बयान में कहा गया है, "लंबी जांच के बाद समिति ने सरकार को अपनी रिपोर्ट सौंप दी है और एक व्यक्ति के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की सिफारिश की है, जिसके पिछले आपराधिक संबंध और पृष्ठभूमि भी जांच के दौरान सामने आई है। जांच समिति ने सिफारिश की है कि कानूनी कार्रवाई तेजी से पूरी की जानी चाहिए।" "समिति ने आगे प्रणालियों और प्रक्रियाओं में कार्यात्मक सुधार की सिफारिश की है और साथ ही ऐसे कदम उठाने की भी सिफारिश की है जो भारत की प्रतिक्रिया क्षमता को मजबूत कर सकें, इस तरह के मामलों से निपटने में व्यवस्थित नियंत्रण और समन्वित कार्रवाई सुनिश्चित कर सकें।"


"अमेरिकी न्याय विभाग में नामित व्यक्ति को बर्खास्त किया गया": भारत पिछले अक्टूबर में विदेश मंत्रालय ने पुष्टि की थी कि खालिस्तानी आतंकवादी गुरपतवंत सिंह पन्नू के खिलाफ विफल हत्या की साजिश में अमेरिकी न्याय विभाग के अभियोग मामले में नामित व्यक्ति अब भारत सरकार का कर्मचारी नहीं है। "अमेरिकी विदेश विभाग ने हमें सूचित किया है कि न्याय विभाग के अभियोग में शामिल व्यक्ति अब भारत में कार्यरत नहीं है। मैं पुष्टि करता हूं कि वह अब भारत सरकार का कर्मचारी नहीं है," विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा था। एएनआई की रिपोर्ट के अनुसार, अमेरिकी न्याय विभाग ने दावा किया था कि एक


भारतीय सरकारी कर्मचारी (जिसका नाम सीसी-1 है), जिसकी पहचान मैनहट्टन की एक संघीय अदालत में दायर अभियोग में नहीं की गई थी, ने पन्नू की हत्या के लिए एक हत्यारे को नियुक्त करने के लिए निखिल गुप्ता नामक एक भारतीय नागरिक की भर्ती की थी, जिसे अमेरिकी अधिकारियों ने नाकाम कर दिया था। यूनाइटेड स्टेट्स फेडरल ब्यूरो ऑफ इन्वेस्टिगेशन (एफबीआई) ने 'सीसी-1' की पहचान विकास यादव के रूप में की थी, जो "एक पूर्व भारतीय सरकारी कर्मचारी था।"
क्या एलन मस्क खरीद रहे टिकटॉक? जानें क्यों उठ रहे ये सवाल
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अमेरिका में टिकटॉक पर प्रतिबंध लगना लगभग तय माना जा रहा है। इस बीच खबर आ रही है कि संभवत: चीन अमेरिकी में राष्ट्रपति की कुर्सी पर ट्रंप के बैठने के बाद के वातावरण से फायदा उठाने के लिए अपना यह एप एलन मस्क को बेच दे। ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट में दावा किया गया है कि चीन, एलन मस्क के साथ टिकटॉक को लेकर डील करना चाहता है। रिपोर्ट के मुताबिक चीनी अधिकारी टिकटॉक में कुछ शेयर बेचने पर विचार कर रहे हैं। चीन इससे पहले टिकटॉक की बिक्री का सख्त विरोध करता आया है।

टिकटॉक पर अमेरिकी यूजर्स का डाटा चीन भेजे जाने के आरोप लगने लगे। कंपनी ने इन सभी आरोपों को सिरे से खारिज किया और खुद को सिंगापुर में निवेशित कंपनी करार दिया। लेकिन जून 2022 में एक मीडिया समूह ने टिकटॉक की आंतरिक बैठकों के हवाले से खुलासा किया कि इनमें चर्चा हुई कि कैसे चीन में बैठे बाइडांस के कर्मचारी विदेश में मौजूद डाटा तक पहुंच रखते हैं और कैसे एक मास्टर एडमिन सब कुछ देख सकता है। इन खुलासों के बाद अमेरिका की सीनेट (संसद के उच्च सदन) की खुफिया मामलों की समिति ने संघीय संचार आयोग (एफसीसी) से बाइडांस की जांच करने की मांग की और टिकटॉक की सच्चाई पता लगाने को कहा। इसके ठीक बाद टिकटॉक ने माना कि चीन में बैठे उसके कर्मचारियों की अमेरिकी यूजर्स के डाटा तक पहुंच हो सकती है। जून 2023 में टिकटॉक ने यह भी मान लिया कि कुछ अमेरिकी कंटेंट क्रिएटर्स की वित्तीय जानकारी चीन में भी स्टोर है।

रिपोर्ट्स के अनुसार, बाइडांस की हालिया बैठक में टिकटॉक को अमेरिका में बंद होने से बचाने के मुद्दे पर चर्चा हुई। इसी बैठक में टिकटॉक का अमेरिका से जुड़ा पूरा कारोबार और अधिकार एलन मस्क को बेचने पर भी चर्चा हुई। माना जा रहा है कि चीन के शासन की तरफ से भी इसकी मंजूरी मिल सकती है।

कंपनियों के मालिक की आगामी ट्रंप सरकार में अच्छी खासी पकड़ है। साथ ही चीन में भी मस्क को पसंद करने वाले लोग हैं। यही वजह है कि टिकटॉक को मस्क की कंपनी एक्स को बेचने पर विचार हो रहा है। टिकटॉक के अमेरिका में 17 करोड़ यूजर्स हैं और अगर मस्क टिकटॉक को खरीदते हैं तो इसका उनके मालिकाना हक वाले सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म- एक्स को भी जबरदस्त फायदा मिल सकता है।

यह कदम चीन के लिए सिर्फ टिकटॉक बचाने तक सीमित नहीं है। इसके जरिए चीन अमेरिकी प्रशासन के साथ अपने व्यापारिक रिश्ते सुधारना चाहता है। डोनाल्ड ट्रंप ने पहले चीनी आयातों पर भारी टैरिफ लगाने की धमकी दी थी। अगर मस्क के जरिए चीन और ट्रंप के बीच बातचीत होती है, तो चीन इस टैरिफ से बच सकता है। वहीं, ट्रंप इसे अमेरिका में टिकटॉक को बचाने और लोगों की प्राइवेसी सुनिश्चित करने के वादे के तौर पर पेश कर सकते हैं।
50 हजार का इनामी कुख्यात नवाब गिरफ्तार, 12 सालों से पुलिस कर रही थी तलाश
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डेस्क : बिहार में इनदिनों पुलिस पूरे एक्शन में है। आए दिन पुलिस द्वारा प्रदेश के किसी न किसी जिले में कुख्यात को गिरफ्तार कर सलाखों के पीछे धकेला जा रहा है। इसी कड़ी पुलिस को एकबार फिर सफलता हाथ लगी है। गया पुलिस ने एक 50 हजार के इनामी कुख्यात नवाब उर्फ पिंटू को गिरफ्तार किया है।

गया जिले के टॉप टेन अपराधियों में शामिल कई कांडों में वांछित 50 हजार के इनामी अपराधी नवाब उर्फ पिंटू को पुलिस पिछले 12 साल तलाश कर रही थी। नवाब मियां 12 साल से लगातार पुलिस को चकमा दे रहा था। उसे पकड़ने की कोशिश पुलिस करती थी लेकिन सफलता नहीं मिल पा रही थी। आखिरकार इस 50 हजार का इनामी अपराधी को पुलिस ने रामपुर थाना क्षेत्र से दबोच लिया।

सिटी एसपी रामानंद कौशिक ने बताया कि गिरफ्तार नवाब उर्फ पिंटू सिविल लाइन थाना क्षेत्र के समीर तकिया का रहने वाला है। इसके खिलाफ सिविल लाइंस थाना एवं चंदोती थाने में लूट,रंगदारी और आर्म्स एक्ट के कई मामले उसके खिलाफ दर्ज है। वह 12 वर्षों से लुक छिपकर इधर-उधर रह रहा था। पूर्व में इसके अन्य साथी को गिरफ्तार किया जा चुका है। अब नवाब मियां को जेल भेजने की कार्रवाई की जा रही है।
रूस का यूक्रेन पर बड़ा मिसाइल हमला, जानें क्यों रोकी गई कई शहरों में बिजली आपूर्ति
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#russia_ukraine_war_massive_missile_attack_on_kyiv रूस और यूक्रेन के बीच करीब तीन साल से युद्ध जारी है। इस बीच रूस ने यूक्रेन पर एक और बड़ा हमला किया है। रूस ने यूक्रेन के 100 ठिकानों पर एकसाथ अटैक किया है। यूक्रेन पर ब्लैक सी से टीयू-95 बमवर्षक से क्रूज मिसाइलें दागी गई हैं। हालांकि, इस बीच यूक्रेन ने अपने कई शहरों में बिजली की आपूर्ति बंद कर दी है। यूक्रेन के ऊर्जा मंत्री ने बुधवार को सोशल मीडिया पर इसकी जानकारी दी।

यूक्रेन के ऊर्जा मंत्री हरमन हलुश्चेंको ने लोगों से सुरक्षित पनाहगाहों में जाने की अपील की और सरकार की तरफ से दिए जाने पर वाले अपडेट पर नजर रखने को कहा। यूक्रेन की सरकारी बिजली कंपनी यूक्रेनगो ने बताया कि कई शहरों में बिजली आपूर्ति रोक दी गई है। जिन इलाकों में बिजली आपूर्ति रोकी गई है, उनमें खारकीव, सूमी, पाल्टोवा, जापोराजिया आदि क्षेत्र शामिल हैं। रिपोर्ट्स के मुताबिक बिजली कटौती का मुख्य उद्देश्य हमलों के प्रभाव को सीमित करना और ऊर्जा प्रणाली को गंभीर नुकसान से बचाना था।

रूस ने बुधवार सुबह को मिसाइलों से हमला किया। इन हमलों में यूक्रेन के पश्चिमी लीव क्षेत्र में ऊर्जा ढांचे को निशाना बनाया गया। लीव शहर के मेयर ने यह जानकारी दी। हालांकि इस हमले में किसी तरह से बड़े नुकसान की खबर नहीं है।

लगभग तीन साल पुराने युद्ध के दौरान यूक्रेन की ऊर्जा अवसंरचना लगातार निशाने पर रही है। बुधवार के हमलों ने इस दबाव को और बढ़ा दिया। विशेषज्ञों का मानना है कि बिजली कटौती जैसे उपायों से ऊर्जा प्रणाली पर नियंत्रण बनाए रखना संभव हो पाता है, जिससे हमलों के बावजूद बड़ी तबाही से बचा जा सकता है।

रूस-यूक्रेन युद्ध को अगले महीने तीन साल का समय पूरा हो जाएगा। इस युद्ध का असर न सिर्फ रूस और यूक्रेन, बल्कि पूरी दुनिया पर पड़ा है। इस युद्ध ने वैश्विक स्तर पर ऊर्जा आपूर्ति श्रृंखला को बाधित किया है। भारत भी इससे अछूता नहीं है। युद्ध के चलते भारत समेत दुनिया के कई देशों को रूस से होने वाली एलएनजी की आपूर्ति प्रभावित हुई, जिससे ऊर्जा का संकट पैदा हुआ।
'इंडियन स्टेट' वाले बयान पर घिरे राहुल गांधी, बीजेपी बोली- कांग्रेस का सच उजागर किया
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राहुल गांधी ने बुधवार को बीजेपी और आरएसएस पर जमकर हमला बोला। कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने बुधवार को पार्टी के नए दफ्तर के उद्घाटन के मौके पर उन्होंने संघ प्रमुख मोहन भागवत पर भी सीधा हमला बोला। इस दौरान बीजेपी और आरएसएस पर बोलेते बोलते लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष ने ऐसा बयान दे दिया की उसपर हल्ला मच गया है। उन्होंने कहा कि हमारी लड़ाई बीजेपी-आरएसएस के साथ इंडियन स्टेट के साथ भी है। कांग्रेस नेता के इस बयान पर भाजपा ने पलटवार किया है। भाजपा ने कांग्रेस सांसद के बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि कांग्रेस नेता ने ही पार्टी का घिनौना सच उजाकर कर दिया है। ये बयान सीधे तौर पर "जॉर्ज सोरोस की प्लेबुक" से निकला था।

राहुल गांधी का शहरी नक्सलियों और डीप स्टेट से घनिष्ठ संबंध-नड्डा
जेपी नड्डा ने एक्स पर पोस्ट में लिखा कि कांग्रेस का घिनौनी सच किसी से छिपा नहीं है। अब उनके अपने नेता ने ही इसका पर्दाफाश कर दिया है। मैं राहुल गांधी की सराहना करता हूं कि उन्होंने वह बात साफ-साफ कही जो देश जानता है कि वह भारतीय राज्य से लड़ रहे हैं। यह कोई रहस्य नहीं है कि राहुल गांधी और उनके तंत्र का शहरी नक्सलियों और डीप स्टेट के साथ घनिष्ठ संबंध है। जो भारत को बदनाम करना चाहते हैं। उनके बार-बार के कार्यों ने भी इस विश्वास को मजबूत किया है। उन्होंने जो कुछ भी किया या कहा है वह भारत को तोड़ने और हमारे समाज को विभाजित करने वाला है।

जॉर्ज सोरोस द्वारा पूर्व नियोजित और प्रायोजित- शहजाद पूनावाला
भाजपा प्रवक्ता शहजाद पूनावाला ने भी राहुल गांधी पर हमला बोला। उन्होंने कहा कि राहुल गांधी का बयान महज संयोग नहीं है बल्कि जॉर्ज सोरोस द्वारा पूर्व नियोजित और प्रायोजित है। आज कांग्रेस पार्टी और राहुल गांधी ने साफ कर दिया है कि भाजपा और पीएम मोदी का विरोध करते-करते वे देश का विरोध करने लगे हैं। वे भारत और भारतीय राज्यों के खिलाफ लड़ रहे हैं। यह संयोग नहीं बल्कि एक सोचा-समझा प्रयोग है। यह एक उद्योग बन गया है, जिसे सोरोस (जॉर्ज सोरोस) प्रायोजित करते हैं। राहुल गांधी 'भारत तोड़ो' के एजेंडे पर चलते हैं।

क्या कहा राहुल गांधी ने?
राहुल गांधी कांग्रेस के नए ऑफिस के उद्घाटन के मौके पर पहुंचे। पार्टी का ऑफिस 24 अकबर रोड से अब 9 कोटला मार्ग पर शिफ्ट हो गया है। इस दौरान राहुल गांधी ने संघ प्रमुख मोहन भागवत पर निशाना साधा। राहुल गांधी ने आरोप लगाया कि मोहन भागवत का बयान राजद्रोह के समान है कि भारत को सच्ची स्वतंत्रता राम मंदिर बनने के बाद मिली। उन्होंने कहा कि भागवत ने जो कहा है वह हर भारतीय का अपमान है और किसी दूसरे देश में ऐसा होने पर तो भागवत अब तक गिरफ्तार किए जा चुके होते।

राहुल मोहन भागवत के इसी बयान पर बोल रहे थे, इसी दौरान उन्होंने इंडियन स्टेट का भी जिक्र कर दिया। राहुल ने कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए कहा कि यह मत सोचिए कि हम निष्पक्ष लड़ाई लड़ रहे हैं। इसमें कोई निष्पक्षता नहीं है। यदि आप मानते हैं कि हम बीजेपी या आरएसएस नामक राजनीतिक संगठन से लड़ रहे हैं, तो आप समझ नहीं पाएंगे कि क्या हो रहा है। बीजेपी और आरएसएस ने हमारे देश की हर एक संस्था पर कब्जा कर लिया है। अब हम बीजेपी, आरएसएस और स्वयं इंडियन स्टेट से लड़ रहे हैं।
2024 के चुनाव को लेकर मार्क जुकरबर्ग की टिप्पणी पर मेटा ने मांगी माफी; जानें क्या कहा
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2024 के चुनाव को लेकर मार्क जुकरबर्ग की टिप्पणी पर मेटा बैकफुट पर आ गई है। कंपनी ने मामले में माफी मांग ली है। कंपनी ने कहा कि अनजाने में हुई गलती के लिए हम माफी मांगते हैं। दरअसल, जुकरबर्ग ने दावा किया था कि कोविड-19 महामारी के बाद भारत समेत ज्यादातर देशों की मौजूदा सरकारों को 2024 में चुनावी हार का सामना करना पड़ा।

मेटा इंडिया में सार्वजनिक नीति के निदेशक के तौर पर काम करने वाले शिवनाथ ठाकुरल ने एक्स पर एक पोस्ट में सीईओ की तरफ से माफी मांगी। उन्होंने कहा, मार्क का यह कहना कि 2024 के चुनावों में कई मौजूदा पार्टियां फिर से चुनकर नहीं आईं, कई देशों के लिए सही है, लेकिन भारत के मामले में ऐसा नहीं है। हम इस अनजाने में हुई गलती के लिए माफी चाहते हैं। भारत मेटा के लिए एक अविश्वसनीय रूप से महत्वपूर्ण देश बना हुआ है और हम इसके शानदार भविष्य के केंद्र में होने की आशा करते हैं।

वहीं, निशिकांत दुबे ने एक्स पर पोस्ट करते हुए लिखा, भारतीय संसद व सरकार को 140 करोड़ लोगों का आशीर्वाद व जन विश्वास प्राप्त है मेटा भारत के अधिकारी ने आखिर अपनी गलतियों के लिए क्षमा मांगी है। उन्होंने लिखा, यह जीत भारत के आम नागरिकों की है, प्रधानमंत्री मोदी को जनता ने तीसरी बार प्रधानमंत्री बनाकर दुनिया का देश के सबसे मजबूत नेतृत्व से परिचय करवाया है। अब इस मुद्दे पर हमारी कमिटि का दायित्व खत्म होता है, अन्य विषयों पर हम इन सोशल प्लेटफॉर्म को भविष्य में बुलाएंगे, क्षमा शोभती उस भुजंग को जिसके पास गरल हो।

इससे पहले, भाजपा सांसद और संचार एवं सूचना प्रौद्योगिकी पर सदन पैनल के अध्यक्ष निशिकांत दुबे ने कहा था कि गलत सूचना फैलाने के आधार पर मेटा को समन भेजा जाएगा। निशिकांत दुबे ने एक्स पर एक पोस्ट में कहा था, एक लोकतांत्रिक देश के बारे में गलत सूचना उसकी छवि को खराब करती है। संगठन को इस गलती के लिए संसद और यहां के लोगों से माफी मांगनी चाहिए।  मेरी समिति इस गलत सूचना के लिए मेटा को बुलाएगी।

*क्या है जुकरबर्ग का बयान*
मार्क जुकरबर्ग जो रोगन के साथ एक पॉडकास्ट में कोविड-19 महामारी के बाद सरकारों में विश्वास की कमी पर चर्चा कर रहे थे। इस दौरान उन्होंने कहा कि 2024 एक बड़ा चुनावी साल था। भारत समेत इन सभी देशों में चुनाव थे। लगभग सभी सत्ताधारी चुनाव हार गए। पूरे साल में किसी न किसी तरह की वैश्विक घटना हुई। चाहे वो मुद्रास्फीति के कारण हो। कोविड से निपटने के लिए आर्थिक नीतियों के कारण या सरकारों द्वारा कोविड से निपटने के तरीके के कारण। ऐसा लगता है कि इसका प्रभाव वैश्विक था। लोगों की नाराजगी और गुस्से ने दुनिया भर में चुनाव परिणामों को प्रभावित किया। सभी सत्तासीन लोग हार गए। नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार भी हार गई।

*तीसरी बार सत्ता में लौटी बीजेपी*
बता दें कि 2014 और 2019 के लोकसभा चुनावों में शानदार जीत हासिल करने वाली बीजेपी को 2024 के आम चुनाव में कुछ झटके लगे और वह बहुमत के निशान से नीचे रही। हालांकि, गठबंधन दल के साथियों के साथ बीजेपी ने सत्ता कायम रखी। मोदी 3.0 के साथ, प्रधानमंत्री मोदी जवाहर लाल नेहरू के बाद लगातार तीन बार शीर्ष पद पाने वाले दूसरे भारतीय प्रधानमंत्री बन गए।