मौसम के मुताबिक बढ़ रहा एचएमपीवी, कोई खतरा नहीं: डब्ल्यूएचओ
रिपोर्ट -नितेश श्रीवास्तव
ह्यूमन मेटान्यूमो वायरस यानी एचएमपीवी की बढ़ोतरी मौसम के स्वरूप के मुताबिक हो रही है। इसमें कुछ भी असामान्य नहीं है और परेशानी की कोई बात नहीं है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने उत्तरी गोलार्ध में तीव्र श्वसन संक्रमण सहित एचएमपीवी के प्रसार के बारे में जानकारी देते हुए कहा कि कई देशों में श्वसन संक्रमण के मामले बढ़ रहे हैं, लेकिन यह इस समय के लिए सामान्य है। डब्ल्यूएचओ वैश्विक स्तर पर श्वसन बीमारियों की निगरानी जारी रखता है और जरूरत पड़ने पर अपडेट देता है। डब्ल्यूएचओ इस वजह से किसी भी यात्रा या व्यापार पर प्रतिबंध लगाने की सलाह नहीं दी है। इसका मतलब है कि लोग सामान्य तरीके से सफर और व्यापार कर सकते हैं, बगैर किसी अतिरिक्त पाबंदी के। डब्ल्यूएचओ के मुताबिक, संक्रमण में यह बढ़ोतरी आमतौर पर मौसमी वायरस जैसे इन्फ्लूएंजा, रेस्पिरेटरी सिंकिशियल वायरस एचएमपीवी और बैक्टीरियल संक्रमण जैसे माइकोप्लाज्मा निमोनिया की वजह से होती है। सर्दियों में कई वायरस के एक साथ प्रसार से कभी-कभी स्वास्थ्य प्रणाली पर दबाव बढ़ सकता है। डब्ल्यूएचओ ने एचएमपीवी को लेकर कहा कि यह वायरस आमतौर पर सर्दियों और वसंत की शुरुआत में फैलता है। एचएमपीवी से संक्रमित ज्यादातर लोग हल्के लक्षण अनुभव करते हैं, जो सामान्य सर्दी जैसे होते हैं और कुछ दिनों में ठीक हो जाते हैं, लेकिन कुछ मामलों में यह ब्रोंकाइटिस या निमोनिया का कारण बन सकता है और अस्पताल में भर्ती होने जरूरत पड़ सकती है।
चीन पर नजर
डब्ल्यूएचओ चीन में एचएमपीवी के हालात को लेकर वह चीनी स्वास्थ्य अधिकारियों के साथ संपर्क में है। अब तक चीन में एचएमपीवी जैसे श्वसन संक्रमण के किसी असामान्य स्वरूप या प्रकोप की रिपोर्ट नहीं मिली है। चीनी स्वास्थ्य प्रणाली सामान्य रूप से काम कर रही है और वहां कोई आपात स्थिति या दबाव नहीं है। चीन के मुताबिक, एचएमपीवी सहित श्वसन संक्रमण का स्तर सर्दियों के मौसम के लिए सामान्य है। अस्पतालों का इस्तेमाल बीते साल के इसी वक्त के मुकाबले कम है और किसी आपात उपाय की जरूरत नहीं पड़ी है।
ज्यादा ठंडे क्षेत्रों में बरते एहतियात
विश्व स्वास्थ्य संगठन ने सुझाव दिया है कि सर्दियों वाले क्षेत्रों में लोग खुद को और दूसरों को संक्रमण से बचाव के लिए उपाय करें। इसमें बीमार महसूस करने पर घर पर रहना, आराम करना, भीड़भाड़ वाली या कम हवादार जगहों पर मास्क पहनाना,हाथ धोना और खांसते या छींकते समय रुमाल या कोहनी का इस्तेमाल करना शामिल है।
दावा : फरवरी तक खत्म हो जाएगा वायरस का असर
फरवरी तक एचएमपीवी का प्रसार लगभग समाप्त हो जाएगा। लगभग दो साल तक सांस की दिक्कतों की वजह से एक अस्पताल में भर्ती बच्चों पर किए गए अध्ययन में पाया गया है कि केवल 1.4 फीसदी बच्चे ही एचएमपीवी से प्रभावित थे। यह जानकारी भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद की ओर से दी गई है।
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