अफगानिस्तान के साथ रिश्तों की नई शुरूआत! तालिबान प्रशासन ने भारत के लिए खतरा नहीं बनने का दिया आश्वासन
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* भारत-अफगानिस्तान के रिश्तों में नए दौर की शुरूआत हो रहा है। अफगानिस्‍तान में तालिबान के काबिज होने के बाद भारत ने तालिबान की सरकार के साथ सीमित दायरे में ही संपर्क रखा था। हालांकि, अब दोनों देशों के रिश्ते करवट ले रहे हैं। तालीबान के साथ पहली बार भारत सरकार की उच्‍च स्‍तरीय बातचीत हुई है। दुबई में भारतीय विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने अफगानिस्तान के कार्यवाहक विदेश मंत्री मावलवी आमिर खान मुत्ताकी से मुलाकात की। इस दौरान दोनों पक्षों ने द्विपक्षीय संबंधों के साथ-साथ क्षेत्रीय विकास से संबंधित कई मुद्दों पर चर्चा की।बैठक में अफगानिस्तान ने भारत की सुरक्षा चिंताओं को वरीयता देने का आश्वासन दिया और दोनों देशों के बीच क्रिकेट के क्षेत्र में सहयोग बढ़ाने पर भी सहमति बनी। तालिबान के विदेश मंत्री अमीर खान मुत्ताकी ने अफगानिस्तान को मानवीय सहायता पहुंचाने के लिए भारत को धन्यवाद दिया और कहा कि हम एक महत्वपूर्ण और आर्थिक देश के रूप में भारत के साथ संबंध रखना चाहते हैं। इस दौरान भारतीय विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने कहा कि भारत और अफगानिस्तान के ऐतिहासिक रिश्ते हैं। उन्होंने कहा कि उनके देश ने बीते साढ़े तीन वर्षों में अफगानिस्तान को मानवीय सहायता प्रदान की है और बुनियादी ढांचा परियोजनाओं में अफगानिस्तान के साथ सहयोग करना चाहता है। बैठक में निर्णय लिया गया कि भारत अफगानिस्तान में चल रहे मानवीय सहायता कार्यक्रम के अलावा निकट भविष्य में विकास योजनाओं में शामिल होने पर विचार करेगा। बैठक में व्यापार और वाणिज्यिक गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिए चाबहार बंदरगाह के उपयोग को बढ़ावा देने पर भी सहमति बनी। भारत ने स्वास्थ्य क्षेत्र और शरणार्थियों के पुनर्वास के लिए मानवीय मदद बढ़ाने का आश्वासन दिया। *तालिबान को राजनीतिक संबंधों के बढ़ने की उम्मीद* तालिबान विदेश मंत्री मुत्ताकी ने राजनीतिक संबंधों को बढ़ाने की उम्मीद के साथ ही छात्रों, व्यापारियों, मरीजों के लिए वीजा से संबंधित सुविधाएं बनाने की उम्मीद जताई। तालिबान की तरफ से जारी बयान में कहा गया कि दोनों पक्ष व्यापार और वीजा को सुविधाजनक बनाने पर सहमत हुए हैं। *अफगानिस्‍तान को भेजी मदद* भारत ने अब तक अफगहानिस्तान को 50,000 मीट्रिक टन गेहूं, 300 टन दवाइयां, 27 टन भूकंप राहत सहायता, 40,000 लीटर कीटनाशक, 100 मिलियन पोलियो खुराक, कोविड वैक्सीन की 1.5 मिलियन खुराक, नशा मुक्ति कार्यक्रम के लिए 11,000 यूनिट स्वच्छता किट, 500 यूनिट सर्दियों के कपड़े और 1.2 टन स्टेशनरी किट आदि के कई शिपमेंट भेजे हैं। इस मुलाकात में भारत ने कहा कि वह अफगानिस्‍तान को आगे भी मदद करना जारी रखेगा। विशेष तौर पर स्वास्थ्य क्षेत्र और शरणार्थियों के पुनर्वास के लिए भारत ज्‍यादा सामग्री और सहायता देगा। *क्रिकेट पर भी हुई चर्चा* भारत-पाकिस्‍तान के बीच हुई इस बातचीत में दोनों पक्षों ने खेल (क्रिकेट) सहयोग को मजबूत करने पर भी चर्चा की, जिसे अफगानिस्तान की युवा पीढ़ी बहुत अहमियत दे रही है। इसके अलावा अफगानिस्तान के लिए मानवीय सहायता के उद्देश्य सहित व्यापार और वाणिज्यिक गतिविधियों का समर्थन करने के लिए चाबहार बंदरगाह के उपयोग को बढ़ावा देने पर भी सहमति हुई। *अब तक तालिबान सरकार को आधिकारिक मान्यता नहीं* भारत ने अब तक तालिबान सरकार को आधिकारिक रूप से मान्यता नहीं दी है। सरकारी सूत्रों का कहना है कि भारत थोड़ा इंतजार करेगा। अगर तालिबान का रुख वाकई सकारात्मक रहा तब चरणबद्ध तरीके से वहां की सरकार को आधिकारिक मान्यता देने के अलावा फिर से दूतावास खोलने, नई दिल्ली स्थिति बंद पड़े अफगान दूतावास में तालिबान सरकार के राजनयिक की नियुक्ति पर हामी भरेगा।
तिरुपति मंदिर में भगदड़, छह लोगों की मौत की खबर, जानें कैसे हुआ हादसा?

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आंध्र प्रदेश के तिरुपति मंदिर में बुधवार को भगदड़ मच गई। इस हादसे में कम से कम 6 लोगों की मौत हो गई। कई लोग घायल हो गए।वहीं घटना में 40 लोग घायल हुए हैं। घायलों को श्री वेंकटेश्वर रामनारायण रुइया सरकारी अस्पताल में भर्ती कराया गया। सुबह से करीब 4000 श्रद्धालु तिरुपति में विभिन्न टिकट केंद्रों पर वैकुंठ द्वार दर्शन टिकट के लिए कतार में खड़े थे। यह घटना तब हुई जब श्रद्धालुओं को बैरागी पट्टी पार्क में टोकन वितरण के लिए कतार में लगने के लिए कहा गया था।

10 जनवरी से तिरुपति मंदिर में वैकुंठ द्वार दर्शनम शुरू हो रहा है। इसी के लिए देश भर से सैकड़ों श्रद्धालु यहां आए हैं. तिरुपति मंदिर के खास वैकुंठ द्वार दर्शनम के लिए टोकन सिस्टम है। टोकन लेने के बाद ही दर्शन के लिए अंदर जा सकते हैं। वैकुंठ द्वार दर्शनम के लिए मंदिर परिसर में कुल आठ जगहों पर टोकन बाटें जा रहे थे। टोकन के लिए श्रद्धालुओं की लंबी लाइन थी। दर्शन के लिए टोकन मिल जाए, इसके लिए खूब चढ़ा-ऊपरी थी। जैसे ही गेट खुला भक्त अधीरज हो गए. पहले टोकन पाने के लिए वे आगे बढ़े और देखते ही देखते स्थिति बिगड़ गई। अचानक भगदड़ मची और देखते ही देखते लाशें बिछ गईं।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जताया दुख

इस बीच इस घटना पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत कई नेताओं ने दुख प्रकट किया है। पीएम मोदी ने अपने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट शेयर किया है, जिसमें उन्होंने कहा है ‘आंध्र प्रदेश के तिरुपति में मची भगदड़ से आहत हूं। मेरी संवेदनाएं उन लोगों के साथ हैं जिन्होंने अपने प्रियजनों को खोया है। मैं प्रार्थना करता हूं कि घायल जल्द ठीक हो जाएं। आंध्र प्रदेश सरकार प्रभावित लोगों को हर संभव सहायता प्रदान कर रही है।

सीएम चंद्रबाबू नायडू आज तिरुपति पहुंचेंगे

इधर मुख्यमंत्री एन चंद्रबाबू नायडू आज घायलों से मिलने के लिए गुरुवार को तिरुपति पहुंचेंगे। सूबे के मुख्यमंत्री एन. चंद्रबाबू नायडू ने भी हादसे पर दुख जताया है। भगदड़ में कुछ श्रद्धालुओं की मौत होने की घटना से मैं बहुत दुखी हूं। मैंने उच्च अधिकारियों को मौके पर जाने और राहत उपाय करने का निर्देश दिया है। ताकि घायलों को बेहतर चिकित्सा उपचार प्रदान किया जा सके और उनकी जान बचाई जा सके। मैं समय-समय पर जिला और टीटीडी अधिकारियों से बात कर रहा हूं और स्थिति का जायजा ले रहा हूं।

एक देश, एक चुनाव' पर 18 हजार पन्नों की रिपोर्ट, जेपीसी सदस्यों को मिला सूटकेस

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एक देश एक चुनाव संबंधी दो विधेयक पर संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) की पहली बैठक बुधवार को हुई। इस दौरान सत्ता पक्ष विपक्ष से जुड़े तमाम सांसदों ने अपनी अपनी बात समिति के सामने रखी। सत्ता पक्ष से जुड़े हुए सांसदों ने जहां इस बिल को देश की जरूरत बताया तो वहीं विपक्षी सांसदों ने बिल को राज्यों के अधिकतर छीनने वाला बिल बताया। बैठक के बाद समिति के तमाम सदस्यों को एक बड़े सूटकेस में 18,000 से ज्यादा पन्नों के दस्तावेज भी सौंपे गए।

केंद्र सरकार ने शीतकालीन सत्र में पूरे देश में एक साथ चुनाव कराने के लिए ‘वन नेशन, वन इलेक्शन’ का प्रस्ताव सामने रखा था। इसके लिए 39 सदस्यीय संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) का गठन किया गया था। इस समिति की आज यानी बुधवार को पहली बैठक हुई। समिति की इस पहली बैठक में 37 सांसद मौजूद रहे। इस समिति में सभी प्रमुख राजनीतिक दलों के सदस्य शामिल हैं, प्रियंका गांधी वाड्रा (कांग्रेस) से लेकर संजय झा (जद (यू), श्रीकांत शिंदे (शिवसेना), संजय सिंह (आप), और कल्याण बनर्जी (तृणमूल कांग्रेस) समेत कई नेता शामिल हैं।

बैठक के पहले दिन एक देश एक चुनाव से संबंधित विधेयक के प्रावधानों को समिति के सदस्यों के सामने रखा गया। साथ ही इसके प्रावधानों से संबंधित विभिन्न पहलुओं पर चर्चा भी की गई। बैठक में विधेयक के समर्थन में इसकी जरूरत और पूर्व में दी गई विभिन्न सिफारिशों को भी समिति के सामने रखा गया।

जेपीसी की बैठक में सबसे पहले कानून और विधि मंत्रालय की ओर से वन नेशन वन इलेक्शन बिल पर प्रेजेंटेशन दी गई, लगभग 18 हजार पेज का प्रेजेंटेशन कानून मंत्रालय ने दिया है। इसके बाद कानून मंत्रालय की तरफ से 18 हजार पन्नों की विस्तृत रिपोर्ट को जेपीसी सदस्यों को सौंपा गई। जेपीसी सदस्यों को एक नीले रंग का सूटकेस मिला।

नई दिल्ली में जेपीसी की मीटिंग खत्म होने के बाद आम आदमी पार्टी के राज्यसभा सांसद संजय सिंह ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक पोस्ट किया। जिसमें उनके हाथ में एक नीले रंग का ट्रॉली बैग नजर आ रहा है। उन्होंने लिखा, 'एक देश-एक चुनाव की जेपीसी में हज़ारों पन्ने की रिपोर्ट मिली है। आज ONOE की JPC मीटिंग की पहली मीटिंग हुई।'

बांग्लादेश के साथ भारत के कूटनीतिक में आया तनाव, लेकिन सामरिक रिश्तों पर अब भी मजबूत

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भारत का बांग्लादेश से रिश्ता ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और भौगोलिक जुड़ावों से बना है। लेकिन अब इस रिश्ते के सामने बड़ी चुनौतियां हैं। अगस्त में बांग्लादेश में शेख हसीना सरकार के पतन और मोहम्मद यूनुस की अंतरिम सरकार के गठन के बाद से दोनों देशों के बीच ऐसा लग रहा है कि अविश्वास बढ़ गया है। बांग्लादेश के साथ कूटनीतिक रिश्ते भले ही खराब दौर से गुजर रहे हैं। सामरिक रिश्तों पर इसका कोई असर फिलहाल नहीं दिख रहा है। दोनों देशों की सेनाओं के बीच रिश्ते पहले की तरह मजबूत हैं। भारत और बांग्लादेश की सेना के अधिकारी एक दूसरे के वहां पहले की तरह ट्रेनिंग ले रहे हैं।

भारतीय सेना का कई मित्र देशों के साथ डिफेंस एक्सचेंज प्रोग्राम है। इसी तरह का एक्सचेंज प्रोग्राम बांग्लादेश के साथ भी है। बांग्लादेश की सेना के अधिकारी भारत के डिफेंस इंस्टीट्यूट्स में अलग अलग तरह के कोर्स करने आते रहे हैं। ऐसे ही प्रोग्राम के तहत विजय दिवस के मौके पर भी बांग्लादेश के सैन्य अधिकारी और मुक्तियोद्धा को कोलकाता आए थे। अब भारतीय सेना के 3 अफसर मिलिट्री एक्स्चेंज कोर्स करने लिए ढाका पहुंच चुके हैं।

अगर हम पिछले 5 साल के आंकड़ों पर नजर डालें तो साल 2019-20 में 37 बांग्लादेशी अफसर भारतीय सेना के अलग अलग ट्रेनिंग कोर्स में शामिल हो चुके हैं. इसी तरह से साल 2021-22 में 62, साल 2022-23 में 52, साल 2023-24 में 30 और साल 2024-25 के कैलेंडर वर्ष में 41 बांग्लादेशी सेना के अफसरों को भारत में ट्रेनिंग ले चुके हैं। भारतीय सेना का कैलेंडर ईयर 1 जुलाई से 30 जून तक होता है। अगला बैच के आने में अभी थोड़ा वक्त है। इसी तरह से साल 2021-22 में 3 भारतीय सेना के अफसर भी बांग्लादेश सेना के अलग अलग कोर्स को करने गए। साल 2022-23 में 3, साल 2023-24 में 15और साल साल 2024-25 में 11 भारतीय सैन्य अधिकारियों ने बांग्लादेशी सेना को कोर्स को ज्वाइन किया।

पिछले हफ़्ते ही भारतीय सेना के तीन अधिकारी बांग्लादेश कोर्स करने के लिए रवाना हुए हैं। साथ ही भारतीय सेना के 4 अधिकारी बांग्लादेश के मिलिट्री इंस्टिट्यूट ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी में बांग्लादेशी अधिकारियों को कंप्यूटर ट्रेनिंग दे रहे हैं।इस वक्त बांग्लादेश की दो महिला कैडेट्स भी भारत के ओटीए चेन्नै में ट्रेनिंग ले रही हैं।

इससे पहले पिछले हफ्ते भारत से चल रहे तनावों के बीच बांग्लादेश के आर्मी चीफ का बड़ा बयान सामने आया है। सेना प्रमुख वाकर-उज-जमान ने एक बयान में कहा कि भारत के साथ बांग्लादेश का बेहद खास रिश्ता है। इसलिए उनका देश कभी भारत के खिलाफ नहीं जा सकता। इस दौरान उन्होंने भारत को महत्वपूर्ण पड़ोसी बताया और कहा कि ढाका कई मामलों में नई दिल्ली पर निर्भर है। सेना प्रमुख ने कहा कि बड़ी संख्या में बांग्लादेशी अपना इलाज कराने भी भारत जाते हैं और वहां से ढाका बहुत सारा सामान भी आयात करता है। इसलिए बांग्लादेश ऐसा कोई कदम नहीं उठाएगा, जो भारत के रणनीतिक हितों के खिलाफ हो। भारत-बांग्लादेश के बीच लेन-देन से लेकर आपसी हितों को समान महत्व देने का रिश्ता है। इसमें कोई भेदभाव न हो। इसलिए बांग्लादेश को भारत से समान रिश्ते बना कर रखना होगा। यही बांग्लादेश के हित में है।

बांग्लादेश ने भारत में घुसकर 5 किलोमीटर तक किया कब्जा? बीएसएफ ने बताई सच्चाई

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पांच अगस्त, 2024 को बांग्लादेश में शेख हसीना सत्ता से बाहर हुईं। उसके बाद से बांग्लादेश से लगातार ऐसी खबरें आती रही हैं जिसमें भारत के साथ उसके संबंधों की तल्खी जाहिर होती रही है। इस बीच बांग्लादेश ने भारत की सीमा में घुसकर भारत की जमीन पर कब्जा लेने का दावा किया है। दावा किया जा रहा है कि बॉर्डर गार्ड बांग्लादेश (बीजीबी) ने भारत की 5 किलोमीटर भूमि पर कब्जा कर लिया है। हालांकि, भारतीय सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) ने उन खबरों को खारिज कर दिया है।

बीएसएफ दक्षिण बंगाल फ्रंटियर ने एक बयान में कहा कि बांग्लादेशी मीडिया में छपी इस रिपोर्ट में 'सत्यता और योग्यता' का अभाव है। बीएसएफ ने दावे से इनकार किया और कहा कि बीजीबी को एक विरोध पत्र भेजा गया है। बीएसएफ ने बीजीबी के दावे के बारे में केंद्र सरकार को भी सूचित किया है। बीएसएफ ने बीजीबी को लिखे पत्र में बांग्लादेश एजेंसी के दावे को निराधार, गैर-जिम्मेदाराना और किसी भी सच्चाई और योग्यता से रहित बताया।

बीजीबी के कमांडिंग ऑफिसर की पहचान करते हुए, बीएसएफ ने लिखा: 58 बीजीबी के नवनियुक्त कमांडिंग ऑफिसर लेफ्टिनेंट कर्नल द्वारा किए गए झूठे और मनगढ़ंत दावे किये गए हैं। इस तरह की मीडिया रिपोर्ट केवल दोनों सीमा सुरक्षा बलों के बीच संबंधों को खराब करेंगे। पत्र में बीएसएफ ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय सीमा की स्थिति में कोई बदलाव नहीं हुआ है। पत्र में लिखा है,बीएसएफ और बीजीबी दोनों कोडलिया नदी के अपने किनारे पर अपनी ड्यूटी निभा रहे हैं, जिसका केंद्र आईबी है।

बीएसएफ ने बताया कि जिस क्षेत्र का सवाल उठाया गया है, वह क्षेत्र उत्तर 24 परगना जिले के बागदा ब्लॉक के रणघाट गांव में है। अंतरराष्ट्रीय सीमा (आईबी) कोडलिया नदी के साथ चलती है, जिसे दोनों तरफ खंभों से सीमांकित किया गया है। बीएसएफ ने उन दावों का भी खंडन किया, जिसमें कहा गया है कि बीजीबी कर्मियों ने 19 दिसंबर से क्षेत्र में गश्त शुरू कर दी है।

बीएसएफ अधिकारियों ने मंगलवार को बताया कि पश्चिम बंगाल के मालदा जिले में भारत-बांग्लादेश सीमा पर कंटीले तार की बाड़ लगाने का काम शांतिपूर्ण ढंग से फिर से शुरू हो गया है। यह काम पहले कुछ समय के लिए रोक दिया गया था, क्योंकि बॉर्डर गार्ड बांग्लादेश (बीजीबी) ने आपत्ति जताई थी। मालदा के कालियाचक नंबर 3 ब्लॉक के सुकदेवपुर इलाके में यह काम सोमवार को अस्थायी रूप से रोक दिया गया था। बीजीबी ने दावा किया था कि यह काम बांग्लादेशी क्षेत्र में किया जा रहा है। लेकिन बातचीत के जरिए यह समस्या सुलझ गई और मंगलवार को काम बिना किसी बाधा के फिर से शुरू हो गया।

इससे पहले बीजीबी कमांडर ने नदी के तट पर खड़े होकर दावा किया कि जो नदी आप देख रहे हैं, उसे स्थानीय तौर पर कोटला नदी के नाम से जाना जाता है। आधिकारिक तौर पर हम इसे कोडालिया नदी के नाम से जानते हैं। पहले, यदि कोई बांग्लादेशी नागरिक नदी के करीब आता था या उसके पानी में उतरने की कोशिश करता था, तो हमारी प्रतिद्वंद्वी सेना (बीएसएफ) उन्हें पीछे हटने के लिए मजबूर कर देती थी। चूंकि यह नदी बांग्लादेश के अधिकार क्षेत्र में है, इसलिए हमने इस पर अपना नियंत्रण स्थापित कर लिया है। अब आप देख सकते हैं कि हमारे देश के लोग नदी में मछली पकड़ रहे हैं। यह अभ्यास पिछले दो सप्ताह से चल रहा है।

यूपी में जारी रहेगा ठंड का सितम, मौसम विभाग ने 'कोल्ड डे' और 'ऑरेंज अलर्ट' की चेतावनी जारी की

रिपोर्ट -नितेश श्रीवास्तव

उत्तर प्रदेश में कड़ाके की ठंड के बीच चल रही तेज रफ्तार पछुआ हवाओं ने गलन के एहसास को बढ़ा दिया है। बुधवार को भी प्रदेश के विभिन्न जिलों में 20 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से सर्द पछुआ हवा चली। कई जगहों पर घना कोहरा छाया रहा। मौसम विभाग की ओर से बुधवार से लेकर बृहस्पतिवार के बीच प्रदेश के 50 से ज्यादा जिलों में कोल्ड डे का अलर्ट जारी किया है। वहीं 30 से ज्यादा जिलों के लिए घने कोहरे का ऑरेंज अलर्ट है। राजधानी लखनऊ में बुधवार को दोपहर बाद हल्की धूप खिली लेकिन फिर सूरज बादलों के बीच छिप गया। दोपहर में गलन का अहसास कम रहा। मौसम विभाग का कहना है कि गलन भरी ठंड और घने कोहरे का सिलसिला अगले तीन से चार दिनों तक ऐसे ही जारी रहने वाला है। प्रदेश में फिलहाल तीन से चार दिन ठिठुरन भरी ठंड और घने कोहरे का सितम यूं ही जारी रहेगा।

मौसम वैज्ञानिक डॉ सुनील पांडेय ने बताया कि प्रदेश में ठंड और मध्यम से घने कोहरे का दौर अगले दो-तीन दिनों तक ऐसे ही जारी रहेगा। 11 और 12 जनवरी को प्रदेश के विभिन्न जगहों पर बूंदाबांदी के संकेत हैं।

बृहस्पतिवार को घने से अत्यंत घने कोहरे का ऑरेंज अलर्ट

आजमगढ़, मऊ, बलिया, देवरिया, गोरखपुर, संतकबीरनगर, बस्ती, कुशीनगर, महाराजगंज, सिद्धार्थनगर, गोंडा, बलरामपुर, श्रावस्ती, बहराइच, लखीमपुर खीरी, सीतापुर, हरदोई, फरुखाबाद, बाराबंकी, अयोध्या, अम्बेडकरनगर, सहारनपुर, शामली, मुजफ्फरनगर, बिजनौर, अमरोहा, मुरादाबाद, रामपुर बरेली, पीलीभीत, शाहजहांपुर एवं आसपास इलाकों में अत्यंत घने कोहरे का अलर्ट जारी किया गया है।

शीत दिवस होने की संभावना

बांदा, चित्रकूट, कौशाम्बी, प्रयागराज, फतेहपुर, प्रतापगढ़, सोनभद्र, मिर्जापुर, चंदौली, वाराणसी, भदोही ,जौनपुर, गाजीपुर, आजमगढ़, मऊ, बलिया, देवरिया, गोरखपुर, संतकबीरनगर, बस्ती, कुशीनगर, महाराजगंज, सिद्धार्थनगर, गोंडा, बलरामपुर, श्रावस्ती, बहराइच, लखीमपुर खीरी, सीतापुर, हरदोई, फरुखाबाद, कन्नौज, कानपुर देहात, कानपुर नगर, उन्नाव, लखनऊ, बाराबंकी, रायबरेली, अमेठी, सुल्तानपुर, अयोध्या, अम्बेडकर नगर, मथुरा, हाथरस, कासगंज, एटा, आगरा, फिरोजाबाद, मैनपुरी, इटावा, औरैया, बरेली, पीलीभीत, शाहजहांपुर, बदायूं, जालौन, हमीरपुर एवं आसपास इलाकों में शीत दिवस होने का अलर्ट जारी किया गया है।

फिर शरद पवार की पार्टी तोड़ने की कोशिश कर रहे अजीत पवार? महाराष्ट्र की राजनीति में बड़े उलटफेर संकेत

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महाराष्ट्र की राजनीति में बड़े उलटफेर संकेत मिल रहे हैं। सबसे चौंकाने वाली रिपोर्ट राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) को दोनों खेमे से आ रही है। शिवसेना (यूबीटी) के सांसद संजय राउत ने महाराष्ट्र की राजनीति में भूचाल लाने वाला दावा किया है। उन्होंने कहा है कि उप-मुख्यमंत्री अजित पवार के नेतृत्व वाली राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) शरद पवार की पार्टी एनसीपी (एसपी) में फिर से फूट डालने की कोशिश कर रही है। राउत की यह टिप्पणी एनसीपी नेता अमोल मितकरी के उस बयान के बाद आई है जिसमें उन्होंने कहा था कि शरद पवार नीत राकांपा के कुछ लोकसभा सदस्य महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री अजित पवार के संपर्क में हैं।

उद्धव ठाकरे की पार्टी शिवसेना (यूबीटी) के नेता संजय राउत ने कहा कि एनसीपी शरद पवार की पार्टी के सांसदों को तोड़ने की कोशिश कर रही है और इसके नेताओं को केंद्रीय मंत्रिमंडल में जगह देने का प्रलोभन दिया जा रहा है। राउत ने पत्रकारों से बातचीत में आरोप लगाया कि एनसीपी के वरिष्ठ नेता प्रफुल्ल पटेल और तटकरे को शरद पवार के नेतृत्व वाले गुट में दलबदल कराने का काम सौंपा गया है।

राउत ने दावा करते हे कहा है कि, एनसीपी को केंद्र सरकार में कोई पद नहीं मिलेगा, जब तक कि वे शरद पवार के नेतृत्व वाले गुट से दलबदल कराने में कामयाब नहीं हो जाते। फिलहाल अजित के नेतृत्व वाली एनसीपी का केवल एक लोकसभा सदस्य (तटकरे) है, जबकि प्रतिद्वंद्वी राकांपा (एसपी) के आठ लोकसभा सदस्य हैं।

सूत्रों के अनुसार, शरद गुट के कई सांसद इसके लिए तैयार भी थे। जब इसकी भनक शरद पवार को लगी तो उन्होंने एनसीपी के कई नेताओं को फटकार लगाई। उन्होंने अजित पवार गुट के नेताओं को ऐसी हरकतें दोबारा न करने की चेतावनी भी दी, मगर वह पार्टी में विभाजन के खतरे को भांप गए। शरद पवार ने समय रहते अपने सांसदों को एकजुट कर लिया।

भाजपा ने सीएम आतिशी के घर गतिरोध पर आप पर 'अराजकता' का आरोप लगाया

भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने बुधवार को आम आदमी पार्टी (आप) पर निशाना साधा, जब उसके नेताओं ने मुख्यमंत्री के बंगले के बाहर तैनात दिल्ली पुलिस कर्मियों के साथ गतिरोध किया, और इसे "अराजकता का स्पष्ट प्रदर्शन" बताया।

"भ्रष्टाचार के स्मारक की वास्तविकता लोगों के सामने आ रही है, आज जो कुछ भी हो रहा है और आप सांसद संजय सिंह और दिल्ली के मंत्री सौरभ भारद्वाज जो चरित्र दिखा रहे हैं, चाहे वे कुछ भी करें, वे अरविंद केजरीवाल के भ्रष्टाचार के संग्रहालय, 'शीश महल' को नहीं बचा पाएंग। आज उन्होंने जो कुछ भी किया है, वह अराजकता का स्पष्ट प्रदर्शन है," एएनआई ने भाजपा सांसद सुधांशु त्रिवेदी के हवाले से कहा।

मुख्यमंत्री के घर में प्रवेश से मना किए जाने के बाद आप नेता धरने पर बैठे

दिल्ली के मंत्री सौरभ भारद्वाज और राज्यसभा सांसद संजय सिंह ने भाजपा द्वारा किए गए 'शीश महल' के दावों का खंडन करने के लिए सीएम के आधिकारिक बंगले तक मार्च किया। पुलिस कर्मियों ने उन्हें बंगले में घुसने से रोक दिया। हम यहां 'तेरा घर, मेरा घर' के इस तर्क को समाप्त करने आए हैं। हमने कहा कि लोगों को पीएम आवास और सीएम आवास दोनों दिखाए जाने चाहिए। इसलिए हम यहां आए हैं," भारद्वाज ने प्रवेश से मना किए जाने के बाद कहा। पुलिस द्वारा प्रवेश से मना किए जाने के बाद भारद्वाज और सिंह सीएम आवास के बाहर 'धरने' पर बैठ गए। बंगले के बाहर तैनात पुलिसकर्मियों के साथ उनकी तीखी बहस भी हुई।

आप पर अपना हमला जारी रखते हुए त्रिवेदी ने कहा, "आज आप ने जो कुछ भी किया है, वह उनके गैरजिम्मेदाराना, पागलपन भरे और अराजक व्यवहार का एक ज्वलंत उदाहरण है।" दिल्ली भाजपा प्रमुख वीरेंद्र सचदेवा ने भी संजय सिंह और सौरभ भारद्वाज पर निशाना साधते हुए कहा, "आप नेता नाटक कर रहे हैं और शीश महल (6, फ्लैगस्टाफ रोड, जिस पर अरविंद केजरीवाल मुख्यमंत्री के तौर पर काबिज हैं) के निर्माण में हुए भ्रष्टाचार और अनियमितताओं से ध्यान हटाने की कोशिश कर रहे हैं। उन्होंने पहले शीश महल दिखाने के बारे में क्यों नहीं सोचा और अब जब प्रशासन आदर्श आचार संहिता से बंधा हुआ है, तो वे इसे देखने पर जोर क्यों दे रहे हैं?"

दिल्ली विधानसभा चुनाव 5 फरवरी को होंगे। मतों की गिनती 8 फरवरी को होगी।

मंदिरों में वीआईपी कल्चर बंद हो”, उप राष्ट्रपति धनखड़ बोले-समानता के प्रतीक हैं धार्मिक स्थल

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उप राष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने मंगलवार को कहा कि हमें वीआईपी संस्कृति को खत्म करना चाहिए, खासकर मंदिरों में क्योंकि वीआईपी दर्शन का विचार ही देवत्व के खिलाफ है। वीआईपी दर्शन भक्ति और समरसता की भावना का अपमान है। साथ ही उन्होंने लोगों से विघटनकारी राजनीति से ऊपर उठने और देश को 2047 तक विकसित भारत के लक्ष्य तक पहुंचने में मदद करने की अपील भी की।

श्री मंजूनाथ मंदिर में देश के सबसे बड़े प्रतीक्षा परिसर ‘श्री सानिध्य’ के उद्घाटन के मौके पर उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने धार्मिक स्थलों पर होने वाली वीआईपी व्यवस्था को लेकर बयान दिया। धनखड़ ने कहा कि जब किसी को वरीयता दी जाती है और प्राथमिकता दी जाती है एवं जब हम उसे वीवीआईपी या वीआईपी कहते हैं तो यह समानता की अवधारणा को कमतर आंकना है। वीआईपी संस्कृति एक पथभ्रष्टता है। यह एक अतिक्रमण है। समानता के नजरिए से देखा जाए तो समाज में इसका कोई स्थान नहीं होना चाहिए, धार्मिक स्थलों में तो बिल्कुल भी नहीं।

गलत सूचना के माध्यम से हमें कमजोर करने की कोशिश-धनखड़

धनखड़ ने अपने मुख्य संबोधन में मौजूदा राजनीतिक परिवेश में प्रचलित प्रवृत्ति की आलोचना की, जहां लोग संवाद करने के बजाय लोकतांत्रिक मूल्यों को बाधित करते हैं। उप राष्ट्रपति के मुताबिक भारत में हो रहे राजनीतिक परिवर्तन ‘जलवायु परिवर्तन से भी अधिक खतरनाक हैं’ जो भारतीय लोकतंत्र के विरोधी राजनीतिक ताकतों द्वारा संचालित हैं। धनखड़ ने कहा कि हमें भारत विरोधी ताकतों को बेअसर करना होगा जो विभाजन और गलत सूचना के माध्यम से हमें कमजोर करने की कोशिश कर रही हैं। हमें उन्हें हमारे देश के महान नाम और समावेशिता, कल्याण और हमारे लोकतंत्र को मजबूत करने की दिशा में हासिल की गई सभी उपलब्धियों को कलंकित करने से रोकना होगा।

विभाजनकारी ताकतों के खिलाफ एकजुट होने की अपील

उप राष्ट्रपति ने कहा कि भारत विकास के कई मोर्चों पर आगे बढ़ रहा है। ऐसे में हमें विभाजनकारी ताकतों के खिलाफ एकजुट होकर काम करना चाहिए। उन्होंने समाज से आग्रह किया कि भौतिकवाद से ऊपर उठकर सामाजिक सद्भाव, पर्यावरण संरक्षण और नागरिक अधिकारों को मजबूत करने पर ध्यान दें।

मनमोहन सिंह के बाद प्रणब मुखर्जी की समाधी बनाएगी केन्द्र, कांग्रेस के साथ यूं “खेला”

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पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह के स्मारक पर देश में खूब हल्ला मचा। पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह के निधन के बाद कांग्रेस ने स्मारक बनाने की मांग की। इसको लेकर खूब विवाद हुआ। सियासत इतनी तेज हुई कि सरकार को इस पर खुद सफाई और सच्चाई बतानी पड़ी। इसी बीच केंद्र सरकार ने राष्ट्रीय स्मृति क्षेत्र परिसर में पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी का भी एक स्मारक स्थापित करने का निर्णय लिया है। ऐसा तब हुआ है जब सरकार ने अभी तक पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के लिए स्मारक स्थल की घोषणा नहीं की है। खास बात यह है कि प्रणब मुखर्जी के स्मारक बनाने की मांग ना तो उनके परिवार ने की और ना ही कांग्रेस पार्टी ने।

शर्मिष्ठा मुखर्जी ने मंगलवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात कर इस फैसले के लिए उनका शुक्रिया अदा किया। उन्होंने कहा, यह इसलिए भी ज्यादा खुशी की बात है क्योंकि हमने इसके लिए नहीं कहा था। प्रधानमंत्री के इस अप्रत्याशित लेकिन वास्तव में दयालु कदम से मैं बेहद प्रभावित हूं। बाबा कहा करते थे कि राजकीय सम्मान मांगा नहीं जाना चाहिए, बल्कि दिया जाना चाहिए। मैं बहुत आभारी हूं कि प्रधानमंत्री मोदी ने बाबा की याद में ऐसा किया। इससे बाबा पर कोई फर्क नहीं पड़ता कि वे अब कहां हैं- सिर्फ तारीफ या आलोचना के अलावा। लेकिन उनकी बेटी के लिए, मैं अपनी खुशी को शब्दों में बयां नहीं कर सकती।

इससे पहले पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह के निधन के बाद कांग्रेस की ओर से स्मारक बनाए जाने की मांग पर पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी की बेटी शर्मिष्ठा मुखर्जी ने कांग्रेस को जमकर खरी-खरी सुनाई थी। शर्मिष्ठा मुखर्जी ने कांग्रेस की इस मांग को लेकर उसकी आलोचना की थी। शमिष्ठा ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पोस्ट लिखकर दावा किया है कि जब 2020 में उनके पिता और देश के पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी का निधन हुआ तो कांग्रेस नेतृत्व ने कांग्रेस कार्य समिति द्वारा शोक सभा बुलाने की भी जहमत नहीं उठाई।

दरअसल, कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने केंद्र सरकार को पत्र लिखकर मांग की थी कि पूर्व पीएम मनमोहन सिंह के स्मारक के लिए दिल्ली में जमीन आवंटित की जाए। पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह का 26 दिसंबर को निधन हो गया था। उनका अंतिम संस्कार दिल्ली के निगम बोध घाट पर किया गया था। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने प्रधानमंत्री मोदी को पत्र लिखकर डॉ. सिंह का अंतिम संस्कार ऐसी जगह करने का अनुरोध किया था जहां उनका स्मारक बनाया जा सके। कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने केंद्र सरकार पर निशाना साधते हुए कहा था कि लोग समझ नहीं पा रहे हैं कि सरकार पूर्व प्रधानमंत्री के अंतिम संस्कार और स्मारक के लिए उपयुक्त जगह क्यों नहीं ढूंढ पा रही है। रमेश ने कहा था, 'यह भारत के पहले सिख प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह का जानबूझकर अपमान है।

इसके जवाब में बीजेपी ने इसके जवाब में बीजेपी ने कहा था कि यह विडंबना है कि कांग्रेस सरकार को परंपराओं की याद दिला रही है, लेकिन उसने खुद पूर्व प्रधानमंत्री नरसिम्हा राव का स्मारक नहीं बनाया। बीजेपी प्रवक्ता सीआर केसवन ने कहा था, 'कांग्रेस ने 2004-2014 तक 10 साल सत्ता में रहने के बावजूद उनके लिए स्मारक नहीं बनाया। 2015 में प्रधानमंत्री मोदी ने नरसिम्हा राव जी के लिए स्मारक बनवाया और 2024 में उन्हें मरणोपरांत भारत रत्न से सम्मानित किया।