भारत के पड़ोसी देश ने बनाई दुनिया की सबसे तेज चलने वाली ट्रेन, चीन ने दिखाई 'रॉकेट' जैसी रफ्तार

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चीन दुनिया के ताकतवर देशों से लगातार आगे बढ़ने की होड़ में लगा है। इसी कड़ी में अब ऐसी बुलेट ट्रेन को तैयार किया गया है जो 450 किमी/घंटा की स्पीड से दौड़ेगी। यह दुनिया की सबसे तेज रफ्तार वाली ट्रेन है।चीन ने 2021 में इस परियोजना की शुरुआत की थी। इसका उद्देश्य सुरक्षा, ऊर्जा दक्षता और यात्री सुविधा पर फोकस करते हुए तेज गति की ट्रेन बनाना था। इस ट्रेन से चीन रेलवे तकनीक में दुनिया का लीडर बनना चाहता है। इससे यात्रा का समय भी काफी कम हो जाएगा। उम्मीद है कि यह ट्रेन अगले साल से चलने लगेगी।

इस बुलेट ट्रेन का नाम सीआर450 EMU (इलेक्ट्रिक मल्टीपल यूनिट्स) है। यह चीन की हाल ही में डिजाइन की गई बुलेट ट्रेन मॉडल है। इस ट्रेन को रविवार को बीजिंग में लॉन्च किया गया है। सरकारी समचाार एजेंसी ‘शिन्हुआ’ की एक खबर में कहा गया है कि यह वर्तमान में सेवा में मौजूद सीआर400 फक्सिंग हाई-स्पीड रेल से काफी तेज है, जो 350 किलोमीटर प्रति घंटे की गति से चलती है।

इस ट्रेन को चीन की चीन स्टेट रेलवे ग्रुप ने तैयार किया है। कंपनी ने कहा, ट्रेन यात्रा के समय को और कम कर देगी और कनेक्टिविटी में सुधार करेगी, जिससे देश के यात्रियों के लिए यात्रा अधिक सुविधाजनक और आसान हो जाएगी। कंपनी ने कहा, यह ट्रेन पूरी दुनिया में एक नया बेंचमार्क सेट करेगी और बहुत जल्द ही लंबी दूरी को कवर कर लेगी।

चीन की नई ट्रेन का भारत में सबसे तेज चलने वाली वंदे भारत एक्सप्रेस से कोई मुकाबला नहीं है। वंदे भारत एक्सप्रेस की अधिकतम रफ्तार 180 किलोमीटर प्रति घंटा है। चीन की नई हाई स्‍पीड ट्रेन को भारत के कंटेक्‍स्‍ट में समझें तो कानपुर में रहने वाला कोई व्‍यक्ति बड़े मजे में रोज दिल्‍ली आकर काम कर लेगा। दिल्‍ली और कानपुर की दूरी 475 किमी के आसपास है। सीआर450 ट्रेन की जो रफ्तार है, उसमें उसे इसे कवर करने में कुछ सवा घंटे का समय ही लगेगा।

“केरल मिनी पाकिस्तान, इसलिए राहुल और प्रियंका...”, नितेश राणे के बयान पर बवाल

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अपने बयानों के लिए चर्चा में रहने बीजेपी नेता और फडणवीस सरकार में मंत्री बने नितेश राणे एक बार फिर सुर्खियों में आ गए हैं। महाराष्ट्र के मत्स्य पालन मंत्री नितेश राणे ने केरल की तुलना पाकिस्तान से की है। उन्होंने कहा कि यह राज्य मिनी पाकिस्तान की तरह है, तभी राहुल गांधी और उनकी बहन वहां से सांसद चुने जाते हैं। राणे के इस बयान के बाद सियासी बवाल मच गया। हालांकि, बढ़ते मामले को देखते हुए सोमवार को भाजपा नेता ने सफाई दी। उन्होंने कहा कि केरल भारत का हिस्सा है। उन्होंने पाकिस्तान से केवल केरल में हो रहे घटनाक्रमों के संदर्भ में तुलना की थी।

महाराष्ट्र सरकार में मंत्री नितेश राणे ने एक कार्यक्रम में कांग्रेस नेता राहुल गांधी और प्रियंका गांधी को निशाने पर लेते हुए कहा कि वो मुस्लिमों की वजह से वयनाड से चुनाव जीत पाते हैं। उन्होंने कहा है कि केरल मिनी पाकिस्तान है, इसलिए राहुल गांधी और उनकी बहन प्रियंका गांधी जीतकर आते हैं, सांसद बनने के लिए ऐसे ही लोग उनको वोट देते हैं। नितेश राणे ने यह टिप्पणी पुणे में एक कार्यक्रम के दौरान रविवार को की।

विवाद बढ़ने के बाद दी सफाई

विवाद बढ़ता देख राणे ने मामले में सफाई देते हुए कहा कि हमारा देश एक हिंदू राष्ट्र बने, यही हमारी इच्छा है। हिंदुओं को हर संभव तरीके से सुरक्षा मिलनी चाहिए। उन्होंने आगे कहा, 'केरल भारत का हिस्सा है, लेकिन वहां हिंदू आबादी का घटना एक चिंता का विषय है। हिंदुओं का इस्लाम और ईसाई धर्म में धर्मांतरण एक आम बात हो गई है। वहीं, 'लव जिहाद' के मामले भी बढ़ रहे हैं। मैं केरल और पाकिस्तान की स्थिति की तुलना कर रहा था। अगर हमारे देश में भी पाकिस्तान जैसी स्थिति पैदा होती है, तो हमें इसके खिलाफ कार्रवाई करनी चाहिए। यही मैंने अपने भाषण में कहा था।'

पहले भी दे चुके हैं विवादित बयान

यह पहला मौका नहीं है जब पूर्व केंद्रीय मंत्री नारायण राणे के बेटे नितेश राणे ने विवादित बयान दिया है। इससे पहले वह 2 नवंबर 2024 जब राणे से पूछा गया था कि आपको मुस्लिमों से क्या दिक्कत है? तो उन्होंने कहा था कि देश में 90 प्रतिशत हिंदू रहते हैं। हिंदुओं के हितों की चिंता करना कोई अपराध नहीं हो सकता। इसके आगे उन्होंने ये भी कहा था कि देश में बांग्लादेशी हिंदुओं के त्योहारों पर पत्थरबाजी करते हैं। यदि इसके खिलाफ आवाज उठाने पर मुकदमा दर्ज होता है तो, मैं उसका सामना करने के लिए तैयार हूं।

राणे के खिलाफ 38 मामले दर्ज

नितेश राणे कोंकण इलाके की कंकावली विधानसभा सीट से विधायक हैं। एक रिपोर्ट के अनुसार उनके खिलाफ 38 मामले दर्ज हैं। इनमें 66 गंभीर धाराएं शामिल हैं। अधिकतर मामले पिछले एक से डेढ़ साल में दर्ज हुए हैं और भड़काऊ भाषण से जुड़े हैं। हालांकि, इन 38 में से सिर्फ 10 मामलों में ही चार्जशीट दाखिल की गई है। भड़काऊ भाषणों से जुड़े किसी भी मामले में उनके खिलाफ चार्जशीट दाखिल नहीं की गई है, क्योंकि सरकार ने उन पर मुकदमा चलाने की मंजूरी नहीं दी है। अब तक 10 मामलों में चार्जशीट दाखिल की गई है और इनमें से चार मामलों में अदालतों ने आरोप तय किए हैं।

मुसलमानों नया साल नहीं मनाने की हिदायत, मौलाना ने जारी किया फतवा, बताया शरियत के खिलाफ

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साल 2024 बस खत्म होने ही वाला है। हर तरफ नए साल के स्वागत की तैयारियां हो रही हैं। इस बीच एक मौलाना ने मुसलमानों को लिए फतवा जारी कर दिया है। उन्होंने कहा कि ये नया साल हमारा नहीं, बल्कि, ईसाइयों का है। इसलिए नए साल का जश्न मुसलमानों को नहीं मनाना चाहिए।

उत्तर प्रदेश के बरेली के मौलाना चश्म-ए-दारुल इफ्ता ने नए साल का जश्न मनाने और मुबारकबाद देने को गैर इस्लामी करार दिया है।उन्होंने कहा कि मुसलमानों के लिए नया साल मनाना हराम है और गुनाह है। ये इसाइयों का धार्मिक त्योहार है, जिसे मुसलमानों को नहीं मनाना चाहिए। उन्होंने कहा कि गैर-मजहबी प्रथाओं को मानना मुसलमानों के लिए सख्त नाजायज है। ऐसे में मुसलमानों खासतौर पर नए लड़के-लड़कियों को नए साल का जश्न मनाने से बचना चाहिए। मौलाना ने कहा कि मुसलमान के लिए नए साल का जश्न मनाना फख्र की बात नहीं है।

नया साल ईसाईयों का ?

मौलाना शहाबुद्दीन ने फतवा जारी करते हुए कहा- नए साल का जश्न मनाना, मुबारकबाद देना और प्रोग्राम आयोजित करना इस्लामी शरियत की रोशनी में नाजायज है। फतवे में कहा गया है कि नया साल जनवरी से शुरू होता है जो अंग्रेज, ईसाईयों का नया साल है। ईसाईयों का मजहबी और धार्मिक कार्यक्रम है कि वो हर साल के पहले दिन ज़श्न मनाते हैं. इसमें विभिन्न कार्यक्रम का आयोजन करते हैं. ये ईसाईयों का खालीस ‘मजहबी शिआर’ (धार्मिक कार्यक्रम) है. इसलिए मुसलमानों को नए साल का जश्न मनाना जायज नहीं है. इस्लाम इस तरह के कार्यक्रमों को सख्ती के साथ रोकता है.

फतवे में इन्हें बताया गया नाजायज

शाहाबुद्दीन रजवी बरेलवी ने फतवे में आगे कहा- नए साल का जश्न मनाना, एक दूसरे को मुबारकबाद देना, पटाखे दागना, तालियां बजाना, शोर मचाना, सीटियां बजाना, लाइट बंद करके हुड़दंग करना फिर लाइट को दोबारा जलाना, नाच-गाना करना, शराब पीना, जुआ खेलना, अपने मोबाइल वाट्सअप से एक -दूसरे को मैसेज भेजकर मुबारकबाद देना, ये सारे काम इस्लामी शरियत की रोशनी में नाजायज हैं।

क्या होता है फतवा?

मालूम हो कि इस्लामिक फतवा एक धार्मिक राय या निर्णय है, जो इस्लामी कानून के अनुसार दिया जाता है। यह एक इस्लामी विद्वान या मुफ्ती द्वारा दिया जाता है, जो इस्लामी कानून के जानकार होते हैं। फतवा किसी धार्मिक मसले पर पूछे गये सवाल पर मुफ्ती द्वारा जारी जवाब का दस्तावेज होता है। हालांकि, फतवे को मानना वांछनीय होता है लेकिन बाध्यकारी नहीं है।

संजय सिंह की पत्‍नी पर ऐसा क्या बोल गए मनोज तिवारी? आप नेता ने दी कोर्ट में घसीटने की धमकी

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आम आदमी पार्टी नेता और राज्यसभा सांसद संजय सिंह ने बीजेपी नेता मनोज तिवारी को कोर्ट में घसीटने की धमकी दी है। संजय सिंह का कहना है कि उन्हें और उनके परिवार को बदनाम करने की कोशिश की गई। आप नेता ने कहा कि बीजेपी वाले झूठ फैलाते रहते हैं। दरअसल, मनोज तिवारी ने आप नेता संजय सिंह की पत्‍नी के वोटर आईडी पर सवाल खड़े किए थे। जिसको लेकर संजय सिंह ने बीजेपी नेता मनोज तिवारी के खिलाफ मानहानि का केस करने को लेकर चेतावनी दी है।

संजय सिंह ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कहा कि बीजेपी ने फिर से झूठ फैलाना किया शुरू कर दिया है। बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा ने पूर्वांचलियों को रोहिंग्या और बांग्लादेशी बताया और उनके वोट कटवाने की एप्लीकेशन दी। इसका मैंने संसद में विरोध किया तो बीजेपी वालों ने मेरी पत्नी का वोट कटवाने की एप्लीकेशन दे दी। अब बीजेपी झूठ फैला रही है कि मेरी धर्मपत्नी का सुल्तानपुर में वोट है। इस झूठ को फैलाने में मनोज तिवारी भी शामिल हैं।

आप नेता ने कहा, 'अनीता सिंह ने 4 जनवरी 2024 को सुल्तानपुर के जिला निर्वाचन अधिकारी को वोट कटवाने की एप्लीकेशन दी। बीजेपी नेता अमित मालवीय और मनोज तिवारी ने मेरा अपमान किया है। अब मैं इन दोनों नेताओं के खिलाफ मानहानि का मुकदमा करूंगा।' क्या बीजेपी वाले हमारे पैतृक आवास पर भी कब्जा करना चाहते हैं? मैं बीजेपी से कहना चाहता हूं कि तुरंत इलेक्शन कमिशन की वेबसाइट पर जाकर मेरी पत्नी अनीता सिंह के एपिक नंबर 2202935 पर चेक करो कि कहां इनका वोट बना हुआ है

संजय सिंह ने कहा कि बीजेपी कार्यकर्ताओं ने दिल्ली की विभिन्न विधानसभाओं में नियमों के खिलाफ जाकर हजारों वोट कटवाने की एप्लीकेशन दी। लेकिन हम उनकी इस साजिश को सफल नहीं होने देंगे। हम पूर्वांचल समाज का अपमान नहीं होने देंगे

इससे पहले बीजेपी नेता मनोज तिवारी ने दावा किया था कि संजय सिंह की पत्नी ने 2024 लोकसभा चुनाव में दिल्ली में मतदान किया था। मनोज तिवारी का कहना है कि अगर शपथपत्र के मुताबिक अनीता सिंह यूपी के सुल्तानपुर में रजिस्‍टर्ड मतदाता हैं तो उनका दिल्ली में वोट देना अवैध और गैर-कानूनी है। बीजेपी की तरफ से इसे गंभीर मामला करार देते हुए चुनाव आयोग से तुरंत कार्रवाई की मांग की गई।

भारत बहुत भाग्यशाली नहीं, दुश्मन अंदर भी हैं, बाहर भी", ऐसा क्यों बोले रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह*

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केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा है कि भारत सुरक्षा के मोर्चे पर बहुत भाग्यशाली नहीं रहा है। देश को बाहरी और आंतरिक दोनों तरफ से खतरों का सामना करना पड़ता है। हमें लगातार चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है।राजनाथ सिंह ने रविवार को मध्य प्रदेश के इंदौर जिले स्थित महू छावनी में सैन्यकर्मियों को संबोधित करते हुए सीमा पर सुरक्षा को लेकर ये बातें कहीं। साथ ही रक्षा मंत्री ने सेना के जवानों से आह्वान किया कि वे बाहरी और आंतरिक दुश्मनों पर कड़ी नजर रखें।

आंतरिक या बाहरी दुश्मन हमेशा सक्रिय-राजनाथ सिंह

रक्षा मंत्री ने रविवार को इंदौर से 25 किलोमीटर दूर महू छावनी में मिलिट्री कॉलेज ऑफ टेलीकम्युनिकेशन इंजीनियरिंग और इन्फैंट्री स्कूल, प्रमुख प्रशिक्षण संस्थान आर्मी वॉर कॉलेज (एडब्ल्यूएस) के साथ-साथ इन्फैंट्री म्यूजियम और आर्मी मार्कस्मैनशिप यूनिट का दौरा किया। इस दौरान राजनाथ सिंह ने कहा, सुरक्षा के नजरिए से भारत बहुत भाग्यशाली देश नहीं है, क्योंकि हमारी उत्तरी सीमा और पश्चिमी सीमा लगातार चुनौतियों का सामना कर रही है। उन्होंने सैन्यकर्मियों से कहा, हमें आंतरिक मोर्चे पर भी चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। ऐसी असुरक्षा के साथ हम बेफिक्र नहीं हो सकते। हमारे दुश्मन, चाहे आंतरिक हों या बाहरी, हमेशा सक्रिय रहते हैं। इन परिस्थितियों में हमें उनकी गतिविधियों पर कड़ी नजर रखनी चाहिए और उनके खिलाफ उचित और समय पर प्रभावी कदम उठाने चाहिए।

शांति के समय में भी अनुशासन और समर्पण बहुत जरूरी-राजनाथ सिंह

राजनाथ सिंह ने जवानों से कहा कि शांति के समय में भी अनुशासन और समर्पण बहुत जरूरी है। अनुशासन के इस स्तर को बनाए रखने के लिए समर्पण और दृढ़ विश्वास की आवश्यकता होती है। जवानों का प्रशिक्षण युद्ध से कम नहीं है। रक्षा मंत्री ने कहा कि भारत को 2047 तक एक विकसित और आत्मनिर्भर देश बनाने के लिए सेना की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण है।

सैन्यकर्मियों के मेहनत और प्रतिबद्धता की सराहना

रक्षामंत्री ने सैन्यकर्मियों से आगे कहा कि उनकी कड़ी मेहनत और प्रतिबद्धता के कारण देश और इसकी सीमाएं लगातार सुरक्षित और मजबूत होती जा रही हैं। रक्षा मंत्री ने कर्मियों को सैन्य रणनीतियों और युद्ध कौशल में निपुण बनाने में भारतीय सेना के प्रशिक्षण संस्थानों के बहुमूल्य योगदान की भी सराहना की।

क्या है इसरो का स्पैडेक्स मिशन ? आज अंतरिक्ष डॉकिंग प्रयोग के लिए लॉन्च होगा नया कदम

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) सोमवार, 30 दिसंबर को पीएसएलवी रॉकेट पर अपना अंतरिक्ष डॉकिंग प्रयोग - जिसे स्पैडेक्स के नाम से भी जाना जाता है - लॉन्च कर रहा है। अंतरिक्ष एजेंसी के नवीनतम अपडेट के अनुसार, स्पैडेक्स लॉन्च को दो मिनट के लिए 9:58 से 10 बजे तक पुनर्निर्धारित किया गया है।

इसरो ने सोमवार को एक अपडेट में कहा, "लॉन्च का दिन आ गया है। आज रात ठीक 10 बजे, स्पैडेक्स और अभिनव पेलोड के साथ पीएसएलवी-सी60 उड़ान भरने के लिए तैयार है।" अंतरिक्ष एजेंसी ने कहा, "अंतरिक्ष डॉकिंग प्रयोग ऑर्बिटल डॉकिंग में भारत की क्षमता स्थापित करने के लिए एक अग्रणी मिशन है, जो भविष्य के मानव अंतरिक्ष उड़ान और उपग्रह सेवा मिशनों के लिए एक महत्वपूर्ण तकनीक है।"

पहले यह लॉन्च रात 9:58 बजे निर्धारित किया गया था। इसरो ने कहा कि अब यह सोमवार को रात 9.58 बजे की बजाय रात 10 बजे उड़ान भरेगा। हालांकि, पुनर्निर्धारण के पीछे के कारण के बारे में तत्काल कोई जानकारी नहीं है।

स्पेस डॉकिंग क्या है जिसे इसरो स्पैडेक्स के माध्यम से हासिल करना चाहता है?

अंतरिक्ष में डॉकिंग तकनीक भारत की अंतरिक्ष महत्वाकांक्षाओं को पूरा करने के लिए आवश्यक होगी, जिसमें चंद्रमा पर मानव भेजना, वहां से नमूने लाना और देश के अपने अंतरिक्ष स्टेशन- भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन का निर्माण और संचालन करना शामिल है। अंतरिक्ष में डॉकिंग के लिए एक लागत प्रभावी प्रौद्योगिकी प्रदर्शन मिशन, इसरो का अंतरिक्ष डॉकिंग प्रयोग, यदि सफल होता है, तो भारत चीन, रूस और संयुक्त राज्य अमेरिका की सूची में शामिल हो जाएगा।

डॉकिंग तकनीक का उपयोग तब भी किया जाएगा जब सामान्य मिशन उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए कई रॉकेट लॉन्च की योजना बनाई जाती है। मिशन को पहले लॉन्च पैड से लॉन्च किया जाएगा और इसमें स्पैडेक्स के साथ दो अंतरिक्ष यान प्राथमिक पेलोड के रूप में और 24 द्वितीयक पेलोड होंगे। इसरो ने कहा कि

पीएसएलवी रॉकेट में दो अंतरिक्ष यान- स्पेसक्राफ्ट ए (एसडीएक्स01) और स्पेसक्राफ्ट बी (एसडीएक्स02) को एक ऐसी कक्षा में रखा जाएगा जो उन्हें एक दूसरे से 5 किमी दूर रखेगी। बाद में, इसरो मुख्यालय के वैज्ञानिक उन्हें 3 मीटर तक करीब लाने की कोशिश करेंगे, जिसके बाद वे पृथ्वी से लगभग 470 किमी की ऊँचाई पर एक साथ मिल जाएँगे।

इसरो अधिकारियों के अनुसार, यह प्रक्रिया सोमवार को निर्धारित लिफ्ट-ऑफ के लगभग 10-14 दिन बाद होने की उम्मीद है। स्पैडेक्स मिशन में, स्पेसक्राफ्ट ए में एक हाई रेजोल्यूशन कैमरा है, जबकि स्पेसक्राफ्ट बी में मिनिएचर मल्टीस्पेक्ट्रल पेलोड और रेडिएशन मॉनिटर पेलोड है। ये पेलोड हाई रेजोल्यूशन इमेज, प्राकृतिक संसाधन निगरानी, ​​वनस्पति अध्ययन आदि प्रदान करेंगे। यह 2024 में इसरो का आखिरी मिशन होगा और पीएसएलवी-सी60 पहला वाहन है जिसे पीएसएलवी इंटीग्रेशन फैसिलिटी में चौथे चरण तक एकीकृत किया गया है।

विवाद में फंसे मल्लिकार्जुन खड़गे के बेटे प्रियांक, लग रहे गंभीर आरोप
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* कर्नाटक में एक ठेकेदार की आत्महत्या के बाद से कांग्रेस की सरकार मुश्किल में है। कर्नाटक में कॉन्ट्रैक्टर सचिन पंचाल के सुसाइड केस में कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के बेटे प्रियांक के करीबी का नाम सामने आ रहा है। प्रियांक के सहयोगी पर आरोप है कि उन्होंने एक ठेकेदार को आत्महत्या के लिए मजबूर किया। प्रियांक के करीबी का नाम आने के बाद भाजपा ने खड़गे पर निशाना साधा है। दरअसल, बीदर के एक ठेकेदार सचिन पंचाल ने कथित तौर पर गुरुवार को एक ट्रेन के सामने कूदकर आत्महत्या कर ली थी। उनका शव रेलवे ट्रैक पर मिला था। पुलिस ने सचिन के पास से लंबा-चौड़ा सुसाइड नोट बरामद किया। सचिन पांचाल के डेथ नोट में मंत्री प्रियांक खड़गे के करीबी और कलबुर्गी महानगर निगम के पूर्व नगरसेवक राजू कपनूर पर गंभीर आरोप लगाए गए। सुसाइड नोट में प्रियांक के सहयोगी – राजू कपनूर पर आरोप है कि उन्होंने बिना टेंडर दिए 15 लाख रुपये से ज्यादा लेकर धोखाधड़ी की। इतना ही नहीं, 1 करोड़ रु. पैसे देने के लिए दबाव डालने की भी बात की जा रही है। राजू कपनूर पर भाजपा नेताओं की हत्या की सुपारी देने का भी आरोप है। दावा है कि राजू कपनूर और गिरोह ने भाजपा विधायक बसवराज मैटिमूड, अंडोला स्वामीजी श्री सिद्धलिंग स्वामीजी, चंदू पाटिल और मणिकांता सहित चार लोगों की हत्या की सुपारी दी थी। इतना ही नहीं, आरोप है कि जब पुलिस के सामने ये मामला ले जाया गया तो पुलिस ने शिकायत दर्ज करने में काफी आनाकानी की। डेथ नोट के आधार पर कर्नाटक पुलिस ने रविवार को प्रियांक खड़गे के करीबी राजू कपनूर समेत 6 लोगों पर केस दर्ज किया है। पुलिस ने बताया कि इन लोगों पर भाजपा विधायक बसवराज मट्टीमाडु और अन्य नेताओं की हत्या की साजिश रचने का आरोप है। सचिन के सुसाइड नोट में इनका नाम था। इसी आधार पर केस दर्ज किया गया है। *प्रियांक ने आरोपों को किया खारिज* इस मामले में अब कर्नाटक सरकार में कैबिनेट मंत्री प्रियांक खड़गे की प्रतिक्रिया आई है। उन्होंने सुसाइड मामले में कहा कि इस मामले में दो पहलू सामने आए हैं। ठेकेदार ने कुछ और कहा है, जबकि आरोपी ने भी घटना के दूसरे पहलू के मद्देनजर शिकायत की है। कैबिनेट मंत्री प्रियांक खड़गे ने कहा, मैं स्पष्ट रूप से कह रहा हूं कि इस मामले में स्वतंत्र जांच होनी चाहिए और मैंने खुद गृह मंत्री से अनुरोध किया है कि वे गृह विभाग के भीतर एक स्वतंत्र जांच एजेंसी से मामले की जांच करवाएं। इसलिए स्वाभाविक रूप से भाजपा को लगता है कि उन्हें कुछ मुद्दा मिल गया है, लेकिन एक साल हो गया है, भाजपा अपने मतलब के आधार पर मुझ पर इस्तीफा देने का दबाव बना रही है।प्रियांक खड़गे ने आगे कहा, न तो मैं, न ही मेरा विभाग और न ही सरकार इन सभी गतिविधियों में शामिल है। *बीजेपी ने की सीबीआई जांच की मांग* वहीं, बीजेपी ने मामले को गंभीरता से उठाते हुए केस को सीबीआई को सौंपने की मांग की है। कर्नाटक बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष बीवाई विजयेंद्र ने अन्य वरिष्ठ नेताओं के साथ रविवार शाम को पंचाल के परिवार वालों से मुलाकात की। बाद में एक बयान में उन्होंने कहा, मंत्री प्रियांक खड़गे के दाहिने हाथ राजू से उत्पीड़ित होने के कारण आत्महत्या करने वाले बीदर के ठेकेदार पंचाल द्वारा लिखे गए सुसाइड नोट से चौंकाने वाली और गंभीर जानकारी का पता चलता है कि उसने हमारे एमएलए बसवराज मट्टीमाडु, पार्टी नेता चंदू पाटिल, मणिकांठा राठौड़ और अंडोला स्वामी को मारने के लिए 'सुपारी' दी थी।
रंगीन मिजाज हिजबुल्लाह कमांडर का सच, एक साथ 4 महिलाओं से लड़ाया इश्क; फोन पर की थी शादी

#hezbollah_ex_leader_fuad_shukr_had_4_mistress_and_want_to_marry

हिज्‍बुल्लाह के एक वरिष्ठ कमांडर फुआद शुकर को लेकर बड़ी जानकारी सामने आई है।फुआद शुकर की चार प्रेमिकाएं थीं और उसने सबसे फोन पर ही शादी की थी। इजरायल की जासूस एजेंसी मोसाद ने यह खुलासा किया है। मोसाद को लेबनानी सशस्त्र समूह पर निगरानी के दौरान पता चली। मोसाद ने हिजबुल्ला के शीर्ष कमांडर फुआद शुकर को निशाना बनाने से पहले लंबे समय तक उसकी निगरानी की। फुआद शुकर अपनी ही एक गलती से मोसाद के जाल में फंसा। दरअसल शुकर का एक साथ चार-चार महिलाओं से प्रेम संबंध था और इन महिलाओं से बातचीत के दौरान ही शुकर मोसाद के जाल में फंसा और आखिरकार मोसाद ने बीते दिनों उसे लेबनान के एक अपार्टमेंट में ढेर कर दिया।

न्यूयॉर्क टाइम्स की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि हिज्‍बुल्लाह के सह-संस्थापकों में से एक फुआद शुकर ने कथित तौर पर एक साथ 4 महिलाओं के साथ धोखाधड़ी करने के लिए खुद को अपराधी महसूस किया और इसके चलते उसने उन सभी से शादी करने की कोशिश की। रिपोर्ट के अनुसार, फुआद शुक्र ने चार प्रेमिकाओं को पटा तो लिया। मगर एक साथ चारों से इश्क लड़ाकर काफी असहज महसूस कर रहा था। उसने हिजबुल्लाह के सर्वोच्च धार्मिक मौलवी हाशिम सफीउद्दीन से संपर्क किया। मोसाद ने कथित तौर पर खुलासा किया कि फुआद शुक्र ने सफीउद्दीन से अपनी चार प्रेमिकाओं से शादी कराने के लिए कहा था। सफीउद्दीन की सलाह के बाद फुआद शुक्र के लिए फोन पर चार अलग-अलग शादी समारोह आयोजित किए गए। सफीउद्दीन की अक्टूबर में एक हवाई हमले में मौत हो गई थी।

खास बात यह भी है कि इजरायली एजेंसी मोसाद ने दशकों तक मेहनत कर हिजबुल्लाह कमांडरों के बारे में छोटी-बड़ी और निजी जानकारी जुटाने में बिताए हैं। इजरायल 2006 में हुई जंग के बाद से ही हिजबुल्लाह के सैकड़ों कमांडरों पर नजर रखे हुए था। इसमें हिजबुल्लाह कमांडर फउद शुकर का नाम भी शामिल था।

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, 30 जुलाई को फुआद शुकर को एक फोन गया, जिसमें उसे अपने गुप्त ठिकाने से दक्षिणी बेरुत के एक ठिकाने पर बुलाया गया। जैसे ही शुकर वहां पहुंचा, तभी इजराइल ने मिसाइल से हमला कर शुकर को ढेर कर दिया। इसी साल जुलाई में मजदल शम्स में एक मिसाइल हमला हुआ था, जिसमें स्कूली बच्चों समेत कई इस्राइली नागरिक मारे गए थे। जुलाई में इजरायल पर हुए एक मिसाइल हमले के बाद से फउद शुकर इजरायल के निशाने पर था। इस हमले में इजरायल के दर्जनों नागरिक मारे गए थे। रिपोर्ट में कहा गया है कि जुलाई में शुकर को एक फोन कॉल आया था, जिससे उसके छिपने की जगह का पता चल गया। इसके बाद इजरायल ने फउद शुकर को उसकी एक पत्नी और दो बच्चों के साथ मार गिराया था।

जजों के रिश्तेदार नहीं बनेंगे जज? कॉलेजियम उठा सकता है बड़ा कदम, भाई-भतीजावाद वाली छवि को दुरुस्त करने की कोशिश

#collegium_may_take_action_relatives_of_judges_will_no_longer_become_high_court

सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम एक नए प्रस्ताव पर विचार कर रहा है। सुप्रीम कोर्ट के कॉलेजियम में शामिल एक जज ने विचार पेश किया है कि हाई कोर्ट में उन लोगों की नियुक्तियाँ ना की जाएँ, जिनके रिश्तेदार पहले से हाई कोर्ट में जज हैं। इसके लिए इन हाई कोर्ट से ऐसे नाम ना भेजने को कहा जाएगा। रिश्तेदारों की जगह नए और पहली बार वकील बने लोगों को प्राथमिकता दिए जाने का विचार पेश किया गया है।इस प्रस्ताव के तहत, मौजूदा या पूर्व संवैधानिक न्यायालय के जजों के परिवार के सदस्यों को उच्च न्यायालय के जज के रूप में नियुक्त करने की सिफारिश फिलहाल रोकी जा सकती है।

सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस संजीव खन्‍ना की अध्‍यक्षता वाले कॉलेजियम ने हाल ही में हाईकोर्ट जज बनने के संभावित वकीलों व जूनियर जजों से बातचीत की। यह पहला मौका है जब हाईकोर्ट कॉलेजियम की सिफारिश वाले जजों व वकीलों से सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम द्वारा बातचीत की गई हो। इस दौरान एक वकील की तरफ से कॉलेजियम के सामने यह मांग रखी गई कि ऐसे वकीलों को जज बनाने की सिफारिश ना की जाए जिनके माता-पिता व रिश्‍तेदार पहले सुप्रीम कोर्ट या हाईकोर्ट में जज रह चुके हों। इस प्रस्‍ताव को कई अन्‍य वकीलों का भी समर्थन मिला। कॉलेजियम में सीजेआई के अलावा जस्टिस बी आर गवई, सूर्यकांत, हृषिकेश रॉय और ए एस ओका भी शामिल रहे।

पहली बार मुख्य न्यायाधीश और न्यायमूर्ति गवई और न्यायमूर्ति कांत वाले कॉलेजियम ने पहली बार हाई कोर्ट के कॉलेजियम द्वारा हाई कोर्ट के न्यायाधीश के रूप में नियुक्ति के लिए अनुशंसित वकीलों और न्यायिक अधिकारियों के साथ बातचीत शुरू की है, ताकि उनकी उपयुक्तता का परीक्षण किया जा सके और उनकी क्षमता और योग्यता का आकलन किया जा सके। शीर्ष तीन न्यायाधीशों ने इलाहाबाद, बॉम्बे और राजस्थान उच्च न्यायालयों के न्यायाधीशों के रूप में नियुक्ति के लिए अनुशंसित लोगों के साथ बातचीत की और 22 दिसंबर को केंद्र को उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों के रूप में नियुक्ति के लिए योग्य समझे जाने वाले नामों को अग्रेषित किया।

इससे पहले, सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम केवल उच्च न्यायालय के कॉलेजियम द्वारा प्रस्तुत वकीलों और न्यायिक अधिकारियों के विस्तृत बायोडेटा, उनके पिछले जीवन पर खुफिया रिपोर्ट, साथ ही संबंधित राज्यपालों और सीएम की राय के आधार पर काम करता था।

अक्टूबर 2015 में, सुप्रीम कोर्ट की पांच-जजों की संवैधानिक पीठ ने राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग (एनजेएसी) को रद्द कर दिया था। एनजेएसी को संसद द्वारा सर्वसम्मति से कॉलेजियम प्रणाली को बदलने के लिए लाया गया था। कॉलेजियम प्रणाली, हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के जजों के चयन को नियंत्रित करती है। एनजेएसी को रद्द करने के बाद से सुप्रीम कोर्ट ने जजों के चयन की अपारदर्शी प्रक्रिया में कुछ पारदर्शिता लाने की कोशिश की है।

जजों के रिश्तेदार नहीं बनेंगे जज? कॉलेजियम उठा सकता है बड़ा कदम, भाई-भतीजावाद वाली छवि को दुरुस्त करने की कोशिश
#collegium_may_take_action_relatives_of_judges_will_no_longer_become_high_court
* सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम एक नए प्रस्ताव पर विचार कर रहा है। सुप्रीम कोर्ट के कॉलेजियम में शामिल एक जज ने विचार पेश किया है कि हाई कोर्ट में उन लोगों की नियुक्तियाँ ना की जाएँ, जिनके रिश्तेदार पहले से हाई कोर्ट में जज हैं। इसके लिए इन हाई कोर्ट से ऐसे नाम ना भेजने को कहा जाएगा। रिश्तेदारों की जगह नए और पहली बार वकील बने लोगों को प्राथमिकता दिए जाने का विचार पेश किया गया है।इस प्रस्ताव के तहत, मौजूदा या पूर्व संवैधानिक न्यायालय के जजों के परिवार के सदस्यों को उच्च न्यायालय के जज के रूप में नियुक्त करने की सिफारिश फिलहाल रोकी जा सकती है। सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस संजीव खन्‍ना की अध्‍यक्षता वाले कॉलेजियम ने हाल ही में हाईकोर्ट जज बनने के संभावित वकीलों व जूनियर जजों से बातचीत की। यह पहला मौका है जब हाईकोर्ट कॉलेजियम की सिफारिश वाले जजों व वकीलों से सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम द्वारा बातचीत की गई हो। इस दौरान एक वकील की तरफ से कॉलेजियम के सामने यह मांग रखी गई कि ऐसे वकीलों को जज बनाने की सिफारिश ना की जाए जिनके माता-पिता व रिश्‍तेदार पहले सुप्रीम कोर्ट या हाईकोर्ट में जज रह चुके हों। इस प्रस्‍ताव को कई अन्‍य वकीलों का भी समर्थन मिला। कॉलेजियम में सीजेआई के अलावा जस्टिस बी आर गवई, सूर्यकांत, हृषिकेश रॉय और ए एस ओका भी शामिल रहे। पहली बार मुख्य न्यायाधीश और न्यायमूर्ति गवई और न्यायमूर्ति कांत वाले कॉलेजियम ने पहली बार हाई कोर्ट के कॉलेजियम द्वारा हाई कोर्ट के न्यायाधीश के रूप में नियुक्ति के लिए अनुशंसित वकीलों और न्यायिक अधिकारियों के साथ बातचीत शुरू की है, ताकि उनकी उपयुक्तता का परीक्षण किया जा सके और उनकी क्षमता और योग्यता का आकलन किया जा सके। शीर्ष तीन न्यायाधीशों ने इलाहाबाद, बॉम्बे और राजस्थान उच्च न्यायालयों के न्यायाधीशों के रूप में नियुक्ति के लिए अनुशंसित लोगों के साथ बातचीत की और 22 दिसंबर को केंद्र को उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों के रूप में नियुक्ति के लिए योग्य समझे जाने वाले नामों को अग्रेषित किया। इससे पहले, सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम केवल उच्च न्यायालय के कॉलेजियम द्वारा प्रस्तुत वकीलों और न्यायिक अधिकारियों के विस्तृत बायोडेटा, उनके पिछले जीवन पर खुफिया रिपोर्ट, साथ ही संबंधित राज्यपालों और सीएम की राय के आधार पर काम करता था। अक्टूबर 2015 में, सुप्रीम कोर्ट की पांच-जजों की संवैधानिक पीठ ने राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग (एनजेएसी) को रद्द कर दिया था। एनजेएसी को संसद द्वारा सर्वसम्मति से कॉलेजियम प्रणाली को बदलने के लिए लाया गया था। कॉलेजियम प्रणाली, हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के जजों के चयन को नियंत्रित करती है। एनजेएसी को रद्द करने के बाद से सुप्रीम कोर्ट ने जजों के चयन की अपारदर्शी प्रक्रिया में कुछ पारदर्शिता लाने की कोशिश की है।